Book Title: Agam 32 Chulika 02 Anuyogdwar Sutra Anuogdaraim Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 447
________________ ४१० क्षीण क्षीण वेदन क्षीणावरण क्षेत्र क्षेत्रपल्योप खातिका गच्छ गणनाम गणिका गाथा गिल्लि गुञ्जालिका गुरुवाचनोपगत चकर गृहधर्मी गोपुर गोव्रती गोतम घोषसम कर लिया चतुर्मुख चतुष्क चत्वर चरक चरिका चर्मखण्डिक चर्मे टक चित कर लिया चित्त चित्राकृति चीरिक छद्मस्थ छेक जय जवण जिन जीवोदय निष्पन्न जोड़कर जोणिजम्मणनिक्खते टंक तडाग तदुभयागम Jain Education International २८१ १८१ १८१ १०० ३८० २३८ ११४ २१२ ७३ ३२७ ३३९ २३७ २७ २० ३४ २३८ ३४ ३४ २३ २३९ २३९ २३९ ३३ २३८ ३३ २७७ २२ ३७ १९ ३३ १८० २७७ ३७ २७७ १८० १७९ २० २९ २४४ २३७ ३१९ तलवर तीव्राध्यवसान तूणवादक, तम्बूरावादक तोरण त्रिक थिल्लि दक्ष दीर्घिका देवकुल देवपूजा, अंजलि द्रव्यप्रमाण डिरूपम्यून द्रोणिक पुरुष धर्मचिन्तक धूमिका नरक प्रस्तट नामसम कर लिया नालिका निपुण निपुण शिल्पोपगत निरवशेष निरावरण निर्घात निर्मुक्ति निर्लेप निवेदन निषीधिकागत निष्ठित नीरजस् पटशाटिका पट्टाटिका पथ पद परस्पर गुणाकार परिकर्म परिखा परिध परिचित कर लिया परिधि पर्यव पल्य पत्योपम सूक्ष्म व व्यावहारिक For Private & Personal Use Only अणुओगवाराई ३० ३७ ७२ २४४ २३९ २३९ २७७ २३७ २३८ ३६ १०० ११४ २३५ ३४ १८१ २४४ २३ ७३ २७७ २७७ ३२५ १८१ १८१ ३२७ २८१ १८१ २९ २८१ २८१ २७७ २७७ २३९ ३२७ ११४ ७२ २३८ २७७ २३ २४४ ३२६ २०१ २८० www.jainelibrary.org


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