Book Title: Agam 30 Prakirnak 07 Gacchachar Sutra
Author(s): Punyavijay, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 33
________________ गच्छावारपवणयं कर चुके हैं कि लगभग उसी काल में गच्छाचार की रचना हुई होगी। वस्तुतः गच्छाचार ऐसा ग्रन्थ है जो जैन मुनि संघ को आगमोक्त आचार विधि के परिपालन हेतु निर्देश ही नहीं देता है वरन उसे स्वच्छन्दाचारी और शिथिलाचारी प्रवृत्तियों से दूर रहने का आदेश भी देता है। इस ग्रन्थ का सम्यक अध्ययन जैन मुनि संघ के लिए इसलिए भी आवश्यक है कि वह आगम निरूपित आदर्श आचार संहिता का आचरण कर अपने को गरिमामंडित कर सके । वाराणसी १२ दिसम्बर, १९९४ सागरमल जैन सुरेश सिसोदिया

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