Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 8
________________ जैनागमवेत्ता जैनधर्मदिवाकर उपाध्याय श्री १००८ आत्मारामजी महाराज तथान्याय व्याकरण के ज्ञाता परम पण्डित मुनिश्री १००७ श्री हेमचंद्रश्री महाराज, इन दोनों महात्माओंका दिया हुआ श्री उपासकदशाङ्ग सूत्रका प्रमाण पत्र निम्न प्रकार है सम्मइवत्तं सिरि-वीरनिव्वाण संवच्छर २४५८ आसोई (पुण्णमासी ) १५ सुकवारो लुहियाणाओ। मए मुणिहेमचंदेण य पंडियरयणमुणिसिरि-घासीलालविणिम्मिया सिरिउवासगसुत्तस्स अगारधम्मसंजीवणीनामिया वित्ती पंडियमूलचन्दवासाओ अज्जोवंतं सुया, समीईणं, इयं वित्ती जहाणामं तहा गुणेवि धारेइ, सच्चं, अगाराणं तु इमा जीवण (संजमजीवण) दाई एव अस्थि । वित्तीकत्तुणा मूलमुत्तस्स भावो उज्जुसेलीओ फुडीकओ, अहय उवासयस्स सामण्णविसेसधम्मो, णयसियवायवाओ, कम्मपुरिसठवाओ, समणोवासयस्स धम्मदढत्ता य, इच्चाइविसया अस्सि फुडरीइओ वणिया, जेव कत्तुणो पडिहाए सुटुप्पयारेण परिचओ होइ, तह इइहासदिहिओवि सिरिसमणस्स भगवओ महावीरस्स समए वट्टमाण-भरहवासस्स य कत्तुणा विसयप्पयारेण चितं चित्तितं, पुणो सक्कयपाढीणं, वट्टमाणकाले हिन्दोणामियाए भासाए भासीणं य परमोवयारो कडो, इमेण कत्तुणी अरहित्ता दीसइ, कत्तुणो एयं कर्ज परमप्पसंसणिज्जमत्थि । पत्तेयजणस्स मज्झत्थभावाओ अस्स मुत्तस्स अवलोयणमईव लाहप्पयं, अविउ सावयस्स तु (उ) इमं सत्थं सव्वस्समेव अत्थि, अओ कत्तुणो अणेगकोडीसो धनवाओ अस्थि, जेहिं, अच्चंतपरिस्समेण जइणजणतोवरि असीमोवयारो कडो, अहय सावयस्स बारस नियमा उ पत्तेयजगस्स पढणिज्जा अत्थि, जेसि पहावओ वा गहणाओ आया निव्वाणादिगारी भवइ, तहा भवियव्वयावाओ पुरिसकारपरकवाओ य अवस्समेव दंसणिज्जो, किंबहुणा इमी से वीत्तीए पत्तेयविसयस्स फुडसद्देहिं वण्णणं कयं, जइ अन्नोधि एवं अम्हाणं पसुत्तप्पाए समाजे विजं भवेज्जा तथा नाणस्स चरित्तस्स तहा संघस्स य खिप्पं उदयो भविस्सइ, एवं हं मन्ने। भवईओउवज्झाय-जइणमुणि-आयाराम,-पंचनईओ मवा ઉત્તરાધ્યયન સૂત્ર : ૧

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