Book Title: Agam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 574
________________ अध्ययन ५ उ. २ गा. २७-२८-भिक्षाचरणे विवेकोपदेशः - भिक्षाग्रहणयोग्यताऽऽवेदिता। 'अमुच्छिओ' इतिपदेनाऽऽहारादिलोलुपता निराकृता । 'मायन्ने' इत्यनेन निर्दोपसरसभक्तपानादौ प्राचुर्येण दीयमानेऽपि प्रमाणाधिक न ग्राह्यमिति स्पष्टीकृतम् । ' एसणारए' इति-पदेनाऽऽधाकर्मादिसकलभिक्षादोपानुसन्धानेनैव विशुद्धभिक्षाग्रहणं भवितुमर्हतीत्याविष्कृतम् ॥२६॥ मूलम्-बहुं परघरे अस्थि विविहं खाइम साइमं । १४ १२ न तत्थ पंडिओ कुप्पे, इच्छा देज परो न वा ॥२७॥ छाया-बहु परगृहे अस्ति, विविधं खायं स्वाघम् । न तत्र पण्डितः कुप्येत् , इच्छा दद्यात् परो न वा ॥२७॥ सान्वयार्थः-परघरे-गृहस्थके घरमें विविहं-नाना प्रकारका खाइमंदाख पिस्ता वादाम आदि खाद्य साइम-एलची लूंग आदि स्वाय बहुं-बहुत अस्थि है, (किन्तु) इच्छा-इच्छा-मरजी-है कि परो-गृहस्थ देज्ज-देवे वा अथवा न-न देवे । नहीं देने पर तत्थ-उस गृहस्थ पर पंडिओ-बुद्धिमान् साधु न कुप्पे= कुपित न होवे ॥२७॥ टीका-'बहु' इत्यादि। परगृहे-गृहस्थभवने विविधं-नैकप्रकारं खाद्यन्द्राक्षापिस्तवादामादिक, स्वावम्-एलालवङ्गादिकम् बहु-प्रभूतमस्ति, किन्तु इच्छा चेत् करनेकी योग्यता व्यक्त होती है । 'अमुच्छिओ' पदसे आहार आदिकी लोलुपताका त्याग ध्वनित होता है। 'मायन्ने' पदसे यह सूचित किया है कि निर्दोष और सरस आहार अधिक प्राप्त हो रहा हो तो भी प्रमाणसे अधिक नहीं ग्रहण करना चाहिए । 'एसणारए' पदसे यह योतित किया है कि आधाकर्म आदि भिक्षाके समस्त दोषोंका अनुसन्धान करनेसे ही विशुद्ध भिक्षाका ग्रहण होना संभव है ॥ २६ ॥ 'बहु' इत्यादि । गृहस्थके घरमे भाँति-भाँतिके खाद्य और भाँतिभातिके स्वाद्य विद्यमान रहते हैं, उसकी इच्छा हो तो देवे, न हो तो વ્યકત થાય છે ચારિો શબ્દથી આહાર આદિની લપતાને ત્યાગ ઇવનિત થાય છે માયને શબ્દથી એજ સૂચિત કરવામાં આવ્યું છે કે નિર્દોષ અને સરસ આહાર વધારે પ્રાપ્ત થઈ રહ્યો હોય તે પણ પ્રમાણુથી વધારે ગ્રહણ ન કરવા જોઈએ. પITRU શબ્દથી એમ સચત કરવામાં આવ્યું છે કે આધાકર્મ આદિ ભિક્ષાના બધા દેનું અનુસંધાન કરવાથી જ વિશુદ્ધ ભિક્ષાનું ગ્રહણ સભવિત છે (૨૬) वहुं० त्याहि गृहस्थना घरमा त२- तना माध भने मात-सातना સ્વાઘ વિદ્યમાન હોય છે તેની ઈરછા હોય તે આપે અને ન હોય તે ન આપે,

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