Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 15
________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ सू.१ नैरयिकजीवनिरूपणम् इत्यादि, 'चउविहा' चतुर्विधा चतुः प्रकारकाः, 'संसारसमावन्नगा जीवा' संसारसमापन्नका जीवाः ते एवमाहंसु' ते-आचार्या एवम्-वक्ष्यमाणप्रकारेण जीवसंख्याविषये आहुः-कथितवन्तः। चातुर्विध्यमेव दर्शयति-तं जहा' इत्यादि, 'तं जहा' तद्यथा-'णेरइया' नैरयिकाः, 'तिरिक्खजोणिया' तिर्यग्योनिकाः, तथा-मणुस्सा' मनुष्याः, तथा -'देवा'स देवाः, तथा च नारकतिर्यमनुष्यदेवभेदेन संसारसमापन्नका जीवाश्चतुर्विधाः प्रज्ञप्ता इति । चतुर्विधजीवेषु मध्ये प्रथमं नारकं ज्ञातुं प्रश्न यन्नाह-'से कि ते' इत्यादि, ‘से कि त णेरइया' अथ के ते नैरयिकाः नारकाणां किं लक्षणं कियन्तश्च भेदा इति प्रश्नः, उत्तरयति'णेरइया सत्तविहा पणत्ता' नैरयिकाः सप्तविधा:-सप्तमकारकाः प्रज्ञप्ताः कथिता इति । सप्तविधभेदमेव दर्शयति-'तं जहा' इत्यादि, 'तं जहा' तद्यथा'पढमा पुढवी जेरइया' प्रथम पृथिवीनैरयिकाः प्रथमायाँ रत्नप्रभापृथिव्यां समुदुभवा नारकाः प्रथमपृथिवीनारका इत्यर्थः 'दोच्चा पुढवी नेरइया' द्वितीय पृथिवीनैरयिकाः द्वितीयस्या शर्करापभापृथिव्यां समुद्भवा नैरयिकाः द्वितीयसंसारसमावनगा जीवा' संसार समापनक जीव चार प्रकार के है 'ते एवमासु' उन्होंने इस सम्बन्ध में ऐसा कहा हैं-'णेरइया तिरिवखजोणिया, मणुस्सा, देवा' नैरयिक (१) तिर्यग्योनिक (२) मनुष्य (३) और देव (४) इस तरह नारक, तिर्यञ्च, मनुष्य और देव के भेद से संसारी जीव चार प्रकार के कहे गये हैं। ___ 'से किं तंणेरइया' हे भदन्त ! नारकों का क्या लक्षण है और कितने उनके भेद हैं ? उत्तर में प्रभु कहते हैं-'णेरइया सत्तविहा पनत्ता' हे गौतम ! नैरयिक सात प्रकार के कहे गये हैं 'तं जहा-'जैसे-'पढमा पुढवी रइया' प्रथम पृथिवी के नैरयिक-रत्न प्रभा नाम की पहिलि पृथिवी में उत्पन्न हुए नैरयिक 'दोच्चा पुढवी नेरइया' द्वितीय पृथिवी जीवा " ससारी ७वे या२ प्रा२ना या छ, “ ते एवमाहंस " तयार मा सधमा स युं छे. 'णेरइया तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा' नै२यि: (१) तियानि (२) मनुष्य (3) अन हेवा (४) मा शत ना२४, तियय मनुष्य। અને દેવના ભેદથી સંસારી જી ચાર પ્રકારના કહેલા છે. " से किं तं जेरइया" है सावन! नानु शुरक्षण छ १ मा प्रश्रना उत्तरमा प्रभु गौतमस्वामीन छ “णेरइया सत्तविहा पण्णत्ता" हे गौतम नी सातारा या छ. "त जहा" ते माप्रमाणे छ. रेम- 'पढमा पदवी जेरइया' पहेली २त्नमा नामनी पृथ्वीमा उत्पन्नथयेा नयि। १. 'दोच्चा पुढवी जेरइया' भी पृथ्वीना नैयि र शशमा वीमा જીવાભિગમસૂત્ર

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