Book Title: Agam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Kalpanabai Mahasati, Artibai Mahasati, Subodhikabai Mahasati
Publisher: Guru Pran Prakashan Mumbai

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Page 198
________________ | १४६ શ્રી વિવાઈસૂત્ર धम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा, सुसीला, सुव्वया, सुप्पडियाणंदा, साहू; एगच्चाओ पाणाइवायाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया । एगच्चाओ मुसावायाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया, एगच्चाओ अदिण्णादाणाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया । एगच्चाओ मेहुणाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया, एगच्चाओ परिग्गहाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया । एगच्चाओ कोहाओ, माणाओ, मायाओ, लोहाओ, पेज्जाओ, दोसाओ, कलहाओ, अब्भक्खाणाओ, पेसुण्णाओ, परपरिवायाओ, अरइरईओ, मायामोसाओ, मिच्छादसणसल्लाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया। एगच्चाओ आरंभसमारंभाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया। एगच्चाओ करण-कारावणाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया । एगच्चाओ पयणपयावणाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया । एगच्चाओ कोट्टण- पिट्टण-तज्जण-तालण-वह-बंध-परिकिलेसाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया । एगच्चाओ ण्हाण मद्दण-वण्णगविलेवण-सद्दफरिसरसरूवगंध-मल्लालंकाराओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया । जेयावण्णे तहप्पगारा सावज्जजोगोवहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरा कज्जति तओ विएगच्चाओ पडिविरया जावज्जीवाए, एगच्चाओ अपडिविरया ।। से जहाणामए समणोवासगा भवंति- अभिगयजीवाजीवा, उवलद्धपुण्णपावा, आसक्संवरणिज्जरकिरिया-अहिगरणबंधमोक्खकुसला, असहेज्जा, देवासुस्णागजक्खरक्खसकिण्णरकिंपुरिसगरुलगंधव्य महोरगाइएहिं देवगणेहिं णिग्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिज्जा, णिग्गंथे पावयणे णिस्संकिया, णिक्कंखिया, णिव्वितिगिच्छा, लट्ठा, गहियट्ठा, पुच्छियट्ठा, अभिगयट्ठा, विणिच्छियट्ठा अद्विमिंजपेमाणुरागरत्ता; __ अयमाउसो ! णिग्गंथे पावयणे अटे, अयं परमटे, सेसे अणटे, ऊसियफलिहा, अवंगुयदुवारा, चियत्तंतेउरयघरप्पवेसा बहूहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासा चाउद्दसटुमुद्धिपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपालेत्ता समणे णिग्गंथे फासुए सणिज्जेण असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गह कंबलपायपुच्छणेणं ओसहभेसज्जेणं पाडिहारिएण य पीढफलगसेज्जा-संथारएणं पडिला माणा विहरंति, विहरित्ता भत्तं पच्चक्खंति, ते बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेति, छेदित्ता आलोइय पडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववत्तारो भवंति । तहिं तेसिं गई जाव बावीसं सागरोवमाइं ठिई, आराहगा, सेसं तहेव।

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