Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 7
________________ M पढमो उद्देसो 8 सुयं मे आउ ! तेणं भगवया एवमक्खायं -इहमेगेसिं णो सण्णा भवइ । तं जहा- पुरत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, दाहिणाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, पच्चत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उत्तराओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, उड्ढाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि, अहे दिसाओ वा आगओ अहमंसि, अण्णयरीओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि। आचारांग सूत्र - पढमो सुखंधो पढमो सुयखंधो [] पढमं अज्झयणं सत्थपरिणा [ एवमेगेसिं णो णायं भवइ- अत्थि मे आया उववाइए, णत्थि मे आया उववाइए, के अहं आसी, केव इओ चुओ इह पेच्चा भविस्सामि । से जं पुण जाणेज्जा सहसम्मइयाए परवागरणेणं अण्णेसिं वा अंतिए सोच्चा, तं जहा- पुरत्थिमाओ वा दिसाओ आगओ अहमंसि जाव अण्णयरीओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा आगओ अहमंसि । 3 अकरिस्सं च हं, कारवेसुं च हं, करओ यावि समणुण्णे भविस्सामि । एयावंति सव्वावंति लोगंसि कम्मसमारंभा परिजाणियव्वा भवंति । एवमेगेसिं जं णायं भवइ अत्थि मे आया उववाइए, जो इमाओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अणुदिसाओ जो आगओ अणुसंचरइ, सोऽहं । से आयावाई लोयावाई कम्मावाई किरियावाई । अपरिण्णायकम्मे खलु अयं पुरिसे, जो इमाओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा अणुसंचरइ, सव्वाओ दिसाओ सव्वाओ अणुदिसाओ साहेइ, अणेगरूवाओ जोणीओ संधेइ, विरूवरूवे फासे पडिसंवेदेइ । तत्थ खलु भगवया परिण्णा पवेइया । इमस्स चेव जीवियस्स परिवंदण माणण पूयणाए, जाई मरण मोयणाए, दुक्खपडिघाय हेउं । एयावंति सव्वावंति लोगंसि कम्मसमारंभा परिजाणियव्वा भवंति । जस्सेते लोगंसि कम्मसमारंभा परिण्णाया भवंति से हु मुणी परिण्णायकम्मे। त्ति बेमि । ॥ पढमो उद्देसो समत्तो ॥ बिइओ उद्देस अट्टे लोए परिजुण्णे दुस्संबोहे अविजाणए । अस्सिं लोए पव्वहिए तत्थ तत्थ पुढो पास आउ परितावेंति । 1

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