Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 16
________________ आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो || चउत्थो उद्देसो समत्तो || पंचमो उद्देसो १ | जमिणं विरूवरूवेहिं सत्थेहिं लोगस्स कम्मसमारंभा कज्जंति । तं जहा- अप्पणो से पुत्ताणं धूयाणं सुण्हाणं णाइणं धाईणं राईणं दासाणं दासीणं कम्मकराणं कम्मकरीणं आएसाए पुढो पहेणाए सामासाए पायरासाए सण्णिहि सण्णिचयो कज्जइ इहमेगेसिं माणवाणं भोयणाए । समुट्ठिए अणगारे आरिए आरियपण्णे आरियदंसी अयं संधी ति अदक्खु; से णाइए, णाइयावए, णाइयंतं समणुजाणए | सव्वामगंधं परिण्णाय णिरामगंधे परिव्वए | अदिस्समाणे कयविक्कएसु । से ण किणे, ण किणावए, किणंतं ण समणुजाणए | ३ से भिक्खू कालण्णे बलण्णे मायण्णे खेयण्णे खणयण्णे विणयण्णे समयण्णे भावण्णे, परिग्गरं अममायमाणे कालेणुट्ठाई अपडिण्णे | दुहओ छेत्ता णियाइ । ४ | वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं उग्गहं च कडासणं एतेसु चेव जाणेज्जा | लद्धे आहारे अणगारे मायं जाणेज्जा | से जहेयं भगवया पवेइयं । लाभोत्ति ण मज्जेज्जा, अलाभोत्ति ण सोएज्जा, बहू पि लद्धं ण णिहे । परिग्गहाओ अप्पाणं अवसक्केज्जा । अण्णहा णं पासए परिहरेज्जा । एस मग्गे आरिएहिं पवेइए, जहेत्थ कुसले णोवलिंपिज्जासि । त्ति बेमि। कामा दुरतिक्कमा । जीवियं दुप्पडिबूहगं । कामकामी खलु अयं पुरिसे, से सोयइ जूरइ तिप्पइ पिट्टइ परितप्पड़ । आयतचक्खू लोगविपस्सी लोगस्स अहोभागं जाणइ, उड्ढं भागं जाणइ तिरियं भागं जाणइ, गढिए लोए अणुपरियट्टमाणे। संधिं विदित्ता इह मच्चिएहिं, एस वीरे पसंसिए जे बद्धे पडिमोयए | जहा अंतो तहा बाहिं, जहा बाहिं तहा अंतो । अंतो अंतो पूइदेहतराणि पासइ पुढो वि सवंताइं । पंडिए पडिलेहाए । से मइमं परिण्णाय मा य हु लालं पच्चासी । मा तेसु तिरिच्छमप्पाण मावायए | कासंकासे खलु अयं पुरिसे, बहुमायी कडेण मूढे पुणो तं करेइ लोहं, वेरं वड्ढेइ अप्पणो । जमिणं परिकहिज्जइ इमस्स चेव पडिबूहणयाए | अमरायइ महासड्ढी | अट्टमेयं तु पेहाए | अपरिण्णाए कंदइ । ९ से तं जाणह जमहं बेमि । तेइच्छं पंडिए पवयमाणे से हंता छेत्ता भेत्ता लुपित्ता विलुपित्ता उद्दवइत्ता 'अकडं करिस्सामि' त्ति मण्णमाणे जस्स वि य णं करेइ, अलं बालस्स संगेणं, जे वा से कारेड बाले । ण एवं अणगारस्स जायइ । त्ति बेमि। ॥ पंचमो उद्देसो समत्तो || 10


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