Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 42
________________ आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो तइओ उद्देसो तणफासे सीयफासे य, तेउफासे य दंसमसगे य । अहियासए सया समिए, फासाइं विरूवरूवाइं || २] अह दुच्चरलाढमचारी, वज्जभूमिं च सुब्भभूमिं च । पंतं सेज्जं सेविंसु, आसणगाइं चेव पंताई ॥ ३ लाढेहिं तस्सुवसग्गा, बहवे जाणवया लूसिंसु । अह लूहदेसिए भत्ते, कुक्कुरा तत्थ हिंसिसु णिवतिंसु || ४ अप्पे जणे णिवारेइ, लूसणए सुणए डसमाणे | छुच्छुकारेंति आहंसु, समणं कुक्कुरा दसंतु त्ति ॥८३॥ ५] एलिक्खए जणे भुज्जो, बहवे वज्जभूमि फरुसासी । लहिँ गहाय णालीयं, समणा तत्थ य विहरिंसु ॥ ६] एवं पि तत्थ विहरंता, पुट्ठपुव्वा अहेसि सुणएहिं । ___संतुंचमाणा सुणएहिं, दुच्चरगाणि तत्थ लाढेहिं || णिहाय दंडं पाणेहिं, तं वोसिज्ज कायमणगारे । अह गामकंटए भगवं, ते अहियासए अभिसमेच्चा ॥ | ८ | णागो संगामसीसे वा, पारए तत्थ से महावीरे । एवं पि तत्थ लाढेहिं, अलद्धपुव्वो वि एगया गामो || ९ | उवसंकमंतमपडिण्णं, गामंतियं पि अपत्तं । पडिणिक्खमित्तु लूसिंसु, एताओ परं पलेहि त्ति || हयपुव्वो तत्थ डंडेणं, अदुवा मुट्ठिणा अदु कुंतफलेणं । अदु लेलुणा कवालेणं, हंता हंता बहवे कंदिसु ॥ मंसाणि छिण्णपुव्वाइं, उटुंभिया एगया कायं । परीसहाई लुंचिंसु, अदुवा पंसुणा अवकरिंसु ॥ १२ उच्चालइय णिहणिंसु, अदुवा आसणाओ खलइंसु । वोसट्ठकाए पणयासी, दुक्खसहे भगवं अपडिण्णे | १३ सूरो संगामसीसे वा, संवुडे तत्थ से महावीरे । पडिसेवमाणे फरुसाइं, अचले भगवं रीइत्था || 36

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