Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 43
________________ आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो १४ | एस विही अणुक्कंतो, माहणेण मईमया । अपडिण्णेण वीरेण, कासवेण महेसिणा || त्ति बेमि || (बहुसो अपडिण्णेण भगवया एवं रीयंति ॥ त्ति बेमि ||) ॥ तइओ उद्देसो समत्तो || १ चउत्थो उद्देसो ओमोयरियं चाएइ, अपुढे वि भगवं रोगेहिं ।। पुढे वा से अपुढे वा, णो से साइज्जइ तेइच्छं | संसोहणं च वमणं च, गायब्भंगणं सिणाणं च । संबाहणं ण से कप्पे, दंतपक्खालणं परिणाए || २ विरए य गामधम्मेहं, रीयइ माहणे अबहुवाई । सिसिमि एगया भगवं, छायाए झाइ आसी य || आयावई य गिम्हाणं, अच्छइ उक्कुडुए अभितावे | अदु जावइत्थ लूहेणं, ओयण-मंथु-कुम्मासेणं || ५] एयाणि तिण्णि पडिसेवे, अट्ठ मासे य जावए भगवं । अवि इत्थ एगया भगवं, अद्धमासं अद्वा मासं पि || ६ | अवि साहिए दुवे मासे, छप्पि मासे अद्वा अपिबित्था । राओवरायं अपडिण्णे, अण्णगिलायमेगया भुंजे || ७ | छटेण एगया भुंजे, अदुवा अट्ठमेण दसमेण । दुवालसमेण एगया भुंजे, पेहमाणे समाहिं अपडिण्णे || णच्चाण से महावीरे, णो वि य पावगं सयमकासी । अण्णेहिं वि ण कारित्था, करंतं पि णाणुजाणित्था ॥ गामं पविस्स णगरं वा, घासमेसे कडं परवाए | सिया भगवं, आयतजोगयाए सेवित्था ॥ अदु वायसा दिगिंछत्ता, जे अण्णे रसेसिणो सत्ता । घासेसणाए चिटुंते, सययं णिवइए य पेहाए || ११ | अदु माहणं व समणं वा, गामपिंडोलगं च अतिहिं वा । सोवागं मूसियारिं वा, कुक्कुरं वा विविहं ट्ठियं पुरओ | 37

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