Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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आचारांग सूत्र - बीओ सुयखंधो
७, अहावरा छट्ठा पिंडेसणा- से भिक्खू वा भिक्खुणी वा जाव पविढे समाणे पगहियमेव भोयणजायं
जाणेज्जा जं च सयट्ठाए पग्गहियं, जं च परवाए पग्गहियं तं पायपरियावण्णं तं पाणिपरियावण्णं फासुयं जाव पडिगाहेज्जा | छट्ठा पिंडेसणा। अहावरा सत्तमा पिंडेसणा- से भिक्खू वा भिक्खूणी वा जाव पविढे समाणे उज्झियधम्मियं भोयणजायं जाणेज्जा- जं च अण्णे बहवे दुपय-चउप्पय-समण-माहण-अतिहि-किवण- वणीमगाणावकंखंति तहप्पगारं उज्झियधम्मियं भोयणजायं सयं वा णं जाएज्जा, परो वा से देज्जा जाव पडिगाहेज्जा । सत्तमा पिंडेसणा | इच्चेयाओ सत्त पिंडेसणाओ। अहावराओ सत्त पाणेसणाओ । तत्थ खलु इमा पढमा पाणेसणा- असंसढे हत्थे असंसढे मत्ते । तं चेव भाणियव्वं, णवरं चउत्थाए णाणत्तं, से भिक्खू वा भिक्खुणी वा गाहावइकुलं पिंडवाय पडियाए पविढे समाणे से जं पण पाणगजायं जाणेज्जा, तं जहा- तिलोदगं वा तुसोदगं वा जवोदगं वा आयाम वा सोवीरं वा सुद्धवियर्ड वा, अस्सिं खलु पडिग्गहियंसि अप्पे पच्छाकम्मे, तहेव जाव पडिगाहेज्जा | इच्चेयासिं सत्तण्हं पिंडेसणाणं सत्तण्हं पाणेसणाणं अण्णयरं पडिम पडिवज्जमाणे णो एवं वएज्जामिच्छा पडिवण्णा खलु एए भयंतारो, अहमेगे सम्म पडिवण्णे । जे एए भयंतारो एयाओ पडिमाओ पडिवज्जित्ताणं विहरंति, जो य अहमंसि एयं पडिम पडिवज्जित्ताणं विहरामि; सव्वे ते उ जिणाणाए उवट्ठिया अण्णोण्णसमाहीए; एवं च णं विहरति । एयं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गियं । जं सव्वदे॒हिं समिए सहिए सया जए | त्ति बेमि ।
॥ एगारसमो उद्देसो समत्तो ||
॥पढंम अज्झयणं समत्तं ||
बीअं अज्झयणं
सेज्जा
पढमो उद्देसो १ से भिक्खू वा भिक्खुणी वा अभिकंखेज्जा उवस्सयं एसित्तए, से अणुपविसित्ता गामं वा णगरं वा
जाव रायहाणिं वा; से जं पुण उवस्सयं जाणेज्जा- सअंडं सपाणं जाव संताणयं, तहप्पगारे उवस्सए णो ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं वा चेएज्जा । से भिक्खू वा भिक्खुणी वा से जं उवस्सयं जाणेज्जा- अप्पंडं जाव संताणयं, तहप्पगारे उवस्सए पडिलेहित्ता पमज्जित्ता तओ संजयामेव ठाणं वा सेज्जं वा, णिसीहियं वा चेएज्जा |
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