Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो पढमो उद्देसो |१ | अहासुयं वइस्सामि, जहा से समणे भगवं उट्ठाय । संखाए तंसि हेमंते, अहुणा पव्वइए रीइत्था || णो चेविमेण वत्थेण, पिहिस्सामि तंसि हेमंते । से पारए आवकहाए, एयं खु अणुधम्मियं तस्स || ३ | चत्तारि साहिए मासे, बहवे पाणजाइया आगम्म । अभिरुज्झ कायं विहरिंसु, आरुसियाणं तत्थ हिंसिंस् ॥ संवच्छरं साहियं मासं, जं ण रिक्कासि वत्थगं भगवं । अचेलए तओ चाई, तं वोसज्ज वत्थमणगारे || अदु पोरिसिं तिरियभित्तिं, चक्खुमासज्ज अंतसो झाइ । अह चक्खुभीया संहिया, ते हंता हंता बहवे कंदिसु ॥ ६ सयणेहिं वितिमिस्सेहिं, इत्थीओ तत्थ से परिण्णाय । सागारियं ण सेवेइ, से सयं पवेसिया झाइ ॥ 6 | जे के इमे अगारत्था, मीसीभावं पहाय से झाइ । पुट्ठो वि णाभिभासिंसु, गच्छइ णाइवत्तइ अंजू | | ८ | णो सुकरमेयमेगेसिं, णाभिभासे अभिवायमाणे । हयपुव्वो तत्थ दंडेहि, लूसियपुव्वो अप्पपुण्णेहिं || फरूसाइं दुतितिक्खाइं, अइअच्च मुणी परक्कममाणे । आघाय-णट्ट-गीयाइं, दंडजुद्धाइं मुट्ठिजुद्धाइं ॥ गढिए मिहोकहासु, समयम्मि णायसुए विसोगे अदक्खु । एयाइं से उरालाइं, गच्छइ णायपुत्ते असरणाए || ११ | अवि साहिए वे वासे, सीओदं अभोच्चा णिक्खंते । एगत्तगए पिहियच्चे, से अहिण्णायदंसणे संते ॥ १२ | पुढविं च आउकायं च, तेउकायं च वायुकायं च । पणगाइं बीयहरियाई, तसकायं च सव्वसो णच्चा || एयाई संति पडिलेहे, चितमंताइ से अभिण्णाय । परिवज्जियाण विहरित्था, इति संखाय से महावीरे ॥ थावरा तसत्ताए, तसजीवा य थावरत्ताए ।

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116