Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो
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२ दुविहं पि विदित्ताणं, बुद्धा धम्मस्स पारगा ।
अणुपुटवीए संखाए, कम्मुणाओ तिउट्टइ ॥ कसाए पयणुए किच्चा, अप्पाहारो तितिक्खए | अह भिक्खू गिलाएज्जा, आहारस्सेव अंतियं || जीवियं णाभिकंखेज्जा, मरणं णो वि पत्थए । दुहओ वि ण सज्जेज्जा, जीविए मरणे तहा || मज्झत्थो णिज्जरापेही, समाहिमणुपालए | अंतो बहिं विउसिज्ज, अज्झत्थं सुद्धमेसए || जं किंचवक्कम जाणे, आउक्खेमस्स अप्पणो । तस्सेव अंतरराए, खिप्पं सिक्खेज्ज पंडिए || गामे अद्वा रण्णे, थंडिलं पडिलेहिया ।
अप्पपाणं तु विण्णाय, तणाइं संथरे मणी ॥ ८] अणाहारो तुयट्टेज्जा, पुट्ठो तत्थऽहियासए |
णाइवेलं उवचरे, माणुस्सेहिं वि पुढओ || संसप्पगा य जे पाणा, जे य उड्ढमहेचरा | भंजंते मंससोणियं, ण छणे ण पमज्जए ||
पाणा देहं विहिंसंति, ठाणाओ ण वि उब्भमे । आसवेहिं विवित्तेहिं, तिप्पमाणोऽहियासए |
गंथेहिं विवित्तेहिं, आउकालस्स पारए | पग्गहियतरगं चेयं, दवियस्स वियाणओ ||
अयं से अवरे धम्मे, णायपुत्तेण साहिए | आयवज्जं पडियारं, विजहेज्जा तिहा तिहा || हरिएसु ण णिवज्जेज्जा, थंडिलं मुणिआ सए ।
विउसिज्ज अणाहारो, पुट्ठो तत्थऽहियासए | १४ | इंदिएहिं गिलायंतो, समियं साहरे मणी ।
तहावि से अगरिहे, अचले जे समाहिए ||
अभिक्कमे पडिक्कमे, संकुचए पसारए । कायसाहारणढाए, एत्थं वा वि अचेयणं ॥
परिक्कमे परिकिलंते, अदुवा चिट्टे अहायते ।
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