Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 24
________________ आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो ४ संसयं परियाणओ संसारे परिणाए भवइ, संसयं अपरियाणओ संसारे अपरिणाए भवइ । जे छेए से सागारियं ण सेवए। कट्ट एवं अवियाणओ बिइया मंदस्स बालया । लद्धा हुरत्था पडिलेहाए आगमेत्ता आणवेज्जा अणासेवणयाए त्ति बेमि। पासह एगे रूवेसु गिद्धे परिणिज्जमाणे | एत्थ फासे पुणो पुणो। आवंती केयावंती लोयंसि आरंभजीवी एतेस् चेव आरंभजीवी । एत्थ वि बाले परिपच्चमाणे रमइ पावेहिं कम्मेहिं असरणं सरणं ति मण्णमाणे। ६ | इहमेगेसिं एगचरिया भवइ । से बहकोहे बहमाणे बहुमाए बहुलोभे बहुरए बहुणडे बहुसढे बहुसंकप्पे आसवसक्की पलिओछण्णे उट्ठियवायं पवयमाणे, मा मे केइ अदक्खु, अण्णाण पमायदोसेणं । सययं मूढे धम्म णाभिजाणइ । ७] अट्टा पया माणव ! कम्मकोविया, जे अणुवरया अविज्जाए पलिमोक्खमाहु, आवट्टमेव अणुपरियद॒ति । -त्ति बेमि | || पढमो उद्देसो समत्तो || बीओ उद्देसो १ आवंती केयावंती लोगंसि अणारंभजीवी, एतेसु चेव अणारंभजीवी । एत्थोवरए तं झोसमाणे अयं संधी ति अदक्खू, जे इमस्स विग्गहस्स अयं खणे त्ति अण्णेसी । एस मग्गे आरिएहिं पवेइए । उट्ठिए णो पमायए, जाणित्तु दुक्खं पत्तेयं सायं | पुढो छंदा इह माणवा | पुढो दुक्खं पवेइयं | से अविहिंसमाणे अणवयमाणे पुट्ठो फासे विप्पणोल्लए । एस समियापरियाए वियाहिए | २ जे असत्ता पावेहिं कम्मेहिं उदाहु ते आयंका फुसंति । इति उदाहु धीरे ते फासे पुट्ठो अहियासए | से पुव्वं पेयं पच्छा पेयं भेउरधम्म विद्धंसणधम्म अधुवं अणितियं असासयं चयोवचइयं विप्परिणामधम्म। पासह एयं रूवसंधिं समुपेहमाणस्स एगायतणरयस्स इह विप्पमुक्कस्स पत्थि मग्गे विरयस्स | त्ति बेमि | आवंती केयावंती लोगंसि परिग्गहावंती, से अप्पं वा बहुं वा अणुं वा थूलं वा चित्तमंतं वा, अचित्तमंतं वा, एतेस चेव परिग्गहावंती । एतदेवेग स महब्भयं भवइ । लोगवित्तं च णं उवेहाए | एते संगे अवियाणओ | से सुपडिबद्धं सूवणीयं ति णच्चा पुरिसा ! परमचक्खु विपरिक्कम । एतेसु चेव बंभचेरं । ति बेमि | ४ | से सुयं च मे अज्झत्थयं च मे, बंधपमोक्खो अज्झत्थेव । | एत्थ विरए अणगारे दीहरायं तितिक्खए | पमत्ते बहिया पास, अप्पमत्तो परिव्वए । एयं मोणं सम्म अणुवासेज्जासि | त्ति बेमि । || बिइओ उद्देसो समत्तो || 18

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