Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो चउत्थो उद्देसो | N १ | आवीलए पवीलए णिप्पीलए जहित्ता पुव्वसंजोगं हिच्चा उवसमं । तम्हा अविमणे वीरे सारए समिए सहिए सया जए । दुरणुचरो मग्गो वीराणं अणियट्ट- गामीणं । विगिंच मंस-सोणियं। एस परिसे दविए वीरे आयाणिज्जे वियाहिए जे धुणाइ समुस्सयं वसित्ता बंभचेरंसि | णेत्तेहिं पलिछिण्णेहिं आयाणसोयगढिए बाले अव्वोच्छिण्णबंधणे अणभिक्कंत संजोए । तमंसि अविजाणओ आणाए लंभो णत्थि त्ति बेमि । जस्स णत्थि पुरा पच्छा, मज्झे तस्स कुओ सिया ? से हु पण्णाणमंते बुद्धे आरंभोवरए । सम्ममेयं ति पासह । जेण बंधं वहं घोरं परियावं च दारुणं । पलिछिंदिय बाहिरगं च सोयं णिक्कम्मदंसी इह मच्चिएहिं । कम्माणं सफलं दगुणं तओ णिज्जाइ वेयवी । ४ जे खलु भो वीरा समिया सहिया सया जया संघडदंसिणो आतोवरया अहा तहा लोगं उवेहमाणा पाईणं पडीणं दाहिणं उदीणं इति सच्चंसि परिवि साहिस्सामो णाणं वीराणं समियाणं सहियाणं सया जयाणं संघडदंसीणं आतोवरयाणं अहा तहा लोगमुवेहमाणाणं । किमत्थि उवाहि पासगस्स, ण विज्जइ? णत्थि | त्ति बेमि । || चउत्थो उद्देसो समत्तो || ॥ चउत्थं अज्झयणं समत्तं ॥ पचमं अज्झयणं पढमो उद्देसो १ २ आवंती केयावंती लोयंसि विप्परामुसंति, अट्ठाए अणट्ठाए वा, एतेसु चेव विप्परामुसंति । गुरु से कामा । तओ से मारस्स अंतो । जओ से मारस्स अंतो, तओ से दूरे | णेव से अंतो णेव से दूरे । से पासइ फुसियमिव कुसग्गे पणुण्णं णिवइयं वाएरियं । एवं बालस्स जीवियं मंदस्स अवियाणओ | कूराइं कम्माई बाले पकुव्वमाणे तेण दुक्खेण मूढे विप्परियासमुवेइ, मोहेण गब्भं मरणाइ एइ । एत्थ मोहे पुणो पुणो।

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116