Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
View full book text ________________
3 अणुवीइ भिक्खू धम्ममाइक्खमाणे णो अत्ताणं आसाएज्जा णो परं आसाएज्जा णो अण्णाई पाणाई भूयाइं जीवाइं सत्ताइं आसाएज्जा । से अणासायए अणासायमाणे वज्झमाणाणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं जहा से दीवे असंदीणे एवं से भवइ सरणं महामणी ।
४
आचारांग सूत्र - पढमो सुखंधो
दयं लोगस्स जाणित्ता पाईणं पडीणं दाहिणं उदीणं आइक्खे विभए किट्टए वेयवी । से उट्ठिएसु वा अणुट्ठिएसु वा सुस्सूसमाणेसु पवेयए- संतिं विरइं उवसमं णिव्वाणं सोयं अज्जवियं मद्दवियं लाघवयं अणइवत्तियं सव्वेसिं पाणाणं सव्वेसिं भूयाणं सव्वेसिं जीवाणं सव्वेसिं सत्ताणं, अणुवीइ भिक्खू धम्ममाइक्खेज्जा ।
५
एवं से उट्ठिए ठियप्पा अणिहे अचले चले अबहिल्लेस्से परिव्वए । संखाय पेसलं धम्मं दिट्ठिमं परणिव्वुडे ।
तम्हा संगं ति पासह । गंथेहिं गढिया णरा विसण्णा कामक्कंता । तम्हा लूहाओ णो परिवित्तसेज्जा । जस्सिमे आरंभा सव्वओ सव्वत्ताए सुपरिण्णाया भवंति, जस्सिमे लूसिणो णो परिवित्तसंति, सेवंता कोहं च माणं च मायं च लोभं च । एस तुट्टे वियाहिए । त्ति बेमि ।
कायस्स वियाघाए एस संगामसीसे वियाहिए । से हु पारंगमे मुणी । अवि हम्ममाणे फलगावतट्ठी कालोवणीए कंखेज्ज कालं जाव सरीरभेउ । त्ति बेमि ।
॥ पंचमो उद्देसो समत्तो ॥
॥ छट्टं अज्झयणं समत्तं ॥
सत्तमो अज्झयणं
महार
॥ सत्तमो अज्झयणं समत्तं ॥
अट्ठमं अज्झयणं
विमोक्खो
25
Loading... Page Navigation 1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116