Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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छट्ठो उद्देसो
१ अणाणाए एगे सोवट्ठाणा, आणाए एगे णिरुवट्ठाणा । एवं ते मा होउ । एयं कुसलस्स दंसणं । तद्दिट्ठीए तम्मुत्ती तप्पुरक्कारे तस्सण्णी तण्णिवेसणे ।
२ अभिभूय अक्खु । अणभिभूए पभू णिरालंबणयाए, जे महं अबहिंमणे ।
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आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो
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पवाएणं पवायं जाणेज्जा सहसम्मइयाए, परवागरणेणं, अण्णेसिं वा अंतिए सोच्चा । णिद्देसं णाइवट्टेज्जा मेहावी सुपडिलेहिय सव्वओ सव्वत्ताए सम्ममेव समभिजाणिज्जा ।
इह आरामं परिण्णाय अल्लीणगुत्तो परिव्वए । णिट्ठियट्ठी वीरे आगमेणं सया परक्कमेज्जासि । त्ति बेम |
उड्ढं सोया अहे सोया, तिरियं सोया वियाहिया ।
एते सोया वियक्खाया, जेहिं संगं ति पासह ॥
आवट्टं तु पेहाए एत्थ विरमेज्ज वेयवी । विणइत्तु सोयं णिक्खम्म एस महं अकम्मा जाणइ, पासइ, पडिलेहाए णावकंखई ।
इह आगई गई परिण्णाय अच्चेइ जाई मरणस्स वट्टमग्गं विक्खायरए ।
सव्वे सरा णियट्टंति, तक्का जत्थ ण विज्जइ, मई तत्थ ण गाहिया । ओए अप्पइट्ठाणस्स खेयणे । से ण दीहे, ण हस्से, ण वट्टे, ण तंसे, ण चउरंसे, ण परिमंडले, ण किण्हे, ण णीले, ण लोहिए, ण हालिद्दे, ण सुक्किले, ण सुब्भिगंधे, ण दुब्भिगंधे, ण तित्ते, ण कडुए, ण कसाए, ण अंबिले, ण महुरे, ण कक्खडे, ण मउए, ण गरुए, ण लहुए, ण सीए, ण उण्हे, ण णिद्धे, ण लुक्खे, ण काऊण रुहे, ण संगे, ण इत्थी, ण पुरिसे, ण अण्णा ।
परिण्णे, सण्णे । उवमा ण विज्जइ । अरूवी सत्ता । अपयस्स पयं णत्थि । से ण सद्दे, ण रूवे, ण गंधे, ण रसे, ण फासे, इच्चेयावंति । ति ।
॥ छट्टो उद्देसो समत्तो ॥
॥ पंचमं अज्झयणं सामत्तं ॥
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