Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो
छठं अज्झयणं
धूयं
पढमो उद्देसो १ / ओबुज्झमाणे इह माणवेसु आघाइ से णरे। जस्स इमाओ जाईओ सव्वओ सुपडिलेहियाओ भवंति,
आघाइ से णाणमणेलिसं। से किट्टइ तेसिं समुट्ठियाणं णिक्खित्तदंडाणं समाहियाणं पण्णाणमंताणं इह मुत्तिमग्गं । एवं एगे महावीरा विप्परक्कमंति । पासह एगेऽवसीयमाणे अणत्तपण्णे | से बेमि-से जहा वि कुम्मे हरए विणिविट्ठचित्ते पच्छण्णपलासे, उम्मग्गं से णो लहइ । भंजगा इव सण्णिवेसं णो चयंति। एवं एगे अणेगरूवेहिं कुलेहिं जाया । रूवेहिं सत्ता कलुणं थणंति, णियाणओ
ते ण लहंति मोक्खं । छ | अह पास तेहिं कुलेहिं आयत्ताए जाया
गंडी अदुवा कोढी, रायंसी अवमारियं । काणियं झिमियं चेव, कुणियं खुज्जियं तहा ॥१॥ उयरिं च पास मयं च, सूणियं च गिलासिणिं । वेवई पीढसप्पिं च, सिलिवयं महुमेहणिं ॥२॥ सोलस एते रोगा, अक्खाया अपव्वसो ।
अह णं फुसंति आयंका, फासा य असमंजसा ॥३॥ ५, मरणं तेसिं संपेहाए उववायं चवणं च णच्चा परिपागं च संपेहाए । तं सुणेह जहा तहा | संति पाणा
अंधा तमंसि वियाहिया । तामेव सइं असई अइयच्च उच्चावयफासे पडिसंवेदेति । बुद्धेहिं एयं पवेइयं। संति पाणा वासगा रसगा उदए उदयचरा आगासगामिणो । पाणा पाणे किलेसंति | पास लोए महब्भयं । बहुदुक्खा हु जंतवो | सत्ता कामेहिं माणवा | अबलेण वहं गच्छंति सरीरेण पभंगुरेण । अट्टे से बहुदुक्खे, इति बाले पकुव्वइ । एते रोगे बहू णच्चा
आउरा परियावए। णालं पास | अलं तव एतेहिं । एयं पास मुणी ! महब्भयं । णाइवाएज्ज कं च णं। ७] आयाण भो ! सुस्सूस भो ! धूयवायं पवेयइस्सामि ! इह खलु अत्तत्ताए तेहिं तेहिं कुलेहिं अभिसेएण
अभिसंभूया अभिसंजाया अभिणिव्वा अभिसंवुड्ढा अभिसंबुद्धा अभिणिक्खंता अणुपुव्वेण महामुणी । तं परक्कमंतं परिदेवमाणा मा णे चयाहि इति ते वदंति | छंदोवणीया अज्झोववण्णा अक्कंदकारी जणगा रुयंति । अतारिसे मुणी णो ओहं तरए, जणगा जेण विप्पजढा । सरणं तत्थ णो समेइ । कहं णु णाम से तत्थ रमइ ? एयं णाणं सया समणुवासेज्जासि । त्ति बेमि |
॥ पढमो उद्देसो समत्तो ||
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