Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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आचारांग सूत्र - पढमो सुयखंधो
अवि से हासमासज्ज, हंता गंदीति मण्णइ । अलं बालस्स संगेणं, वेरं वड्ढेइ अप्पणो ॥३॥ तम्हाऽतिविज्जं परमं ति णच्चा, आयंकदंसी ण करेइ पावं। अग्गं च मूलं च विगिंच धीरे, पलिछिंदिया णं णिक्कम्मदंसी ॥४॥ एस मरणा पमुच्चइ, से हु दिट्ठभए मुणी । लोगंसि परमदंसी विवित्तजीवी उवसंते समिए सहिए सया जए कालकंखी परिव्वए | बहुं च खलु पावं कम्मं पगडं | सच्चमि धिइं कुव्वह | एत्थोवरए मेहावी सव्वं पावं कम्मं झोसेड़ ।
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अणेगचित्ते खलु अयं पुरिसे, से केयणं अरिहइ पूरइत्तए । से अण्णवहाए अण्णपरियावाए अण्णपरिग्गहाए जणवयवहाए जणवय परियावाए जणवय- परिग्गहाए | आसेवित्ता एयमद्वं इच्चेवेगे समुट्ठिया | तम्हा तं बिइयं णो सेवे णिस्सारं पासिय णाणी । उववायं चवणं णच्चा अणण्णं चर माहणे । से ण छणे, ण छणावए, छणंतं णाणुजाणइ । णिव्विंद णंदि अरए पयासु अणोमदंसी णिसण्णे पावेहि कम्मेहिं । कोहाइमाणं हणिया य वीरे, लोभस्स पासे णिरयं महंतं। तम्हा हि वीरे विरए वहाओ, छिंदिज्ज सोयं लभूयगामी ॥५॥ गंथं परिण्णाय इहऽज्ज वीरे, सोयं परिण्णाय चरेज्ज दंते । उम्मज्ज लद्धं इह माणवेहिं, णो पाणिणं पाणे समारभेज्जासि ॥६॥ -त्ति बेमि ।
॥ बिइओ उद्देसो समत्तो ||
तइओ उद्देसो
संधिं लोगस्स जाणित्ता आयओ बहिया पास । तम्हा ण हंता ण विघायए । जमिणं अण्णमण्णवितिगिच्छाए पडिलेहाए ण करेइ पावं कम्मं । किं तत्थ मुणी कारणं सिया ? समयं तत्थुवेहाए अप्पाणं विप्पसायए। अणण्णपरमं णाणी, णो पमाए कयाइ वि । आयगुत्ते सया धीरे, जायामायाए जावए । विरागं रूवेहिं गच्छेज्जा, महया खुड्डएहिं वा । आगइं गईं परिण्णाय दोहिं वि अंतेहिं अदिस्समाणेहिं से ण छिज्जइ, ण भिज्जइ, ण डज्झइ, ण हम्मइ कं च णं सव्वलोए ।
अवरेण पव्वं ण सरंति एगे, किमस्सऽतीतं किं वाऽऽगमिस्सं । भासंति एगे इह माणवा उ, जमस्स तीतं तं आगमिस्सं ॥१॥
णातीतमटुं ण य आगमिस्सं अटुं णियच्छति तहागया 3 | विधूतकप्पे एयाणुपस्सी णिज्झोसइत्ता खवए महेसी ॥२॥
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