Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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३२०
प्रथमे परिशिष्टे
पंथ
३०३
३०८
विशिष्टशब्दाः
सूत्राङ्काः विशिष्टशब्दाः
सूत्राकाः निसिद्धा
पडिक्कममाण
१६२ नूम २५२ पडिक्कमे
२४३ पंडित(य) ६८,७५, ९२,९४, १४१, १५७, पडिग्गह ८९, १८३, १९९, २०४
१५८, १८९, १९५,२०९, २३४ पडिघात ५,१३, २४, ३५, ४३,५१,५८ पंत ९, १४१, २९४ पडिच्छादण
२२५ १९९ पडिणिक्खमित्तु
३०१ पंथणिज्झाई(ती-टि.) १६२ पडिण्णत्त
२१९ पंथपेही २७४ पडिपुण्ण
१६६ पंसु
पडिबुज्झ
२५२ पकप्पेंति १३३, १३४, १९१ पडिबुद्धजीवि
१७० पकप्पयंति[टि०]
१३४ पडिबूहणता पकरेंति
पडिभाणी
२७४ पकुव्वति(इ) ९६, १८० पडिमोयए
९१, १०३ पकुव्वमाण ७९, ८२, १४८ पडियाइक्खे
२०४, २६८ पक्खालण
पडियार
२४० पक्खिणो २८३ पडिलेह
७६, ११२, २६६ पगंथं
१८४ पडिलेहाए ७१, ९२, ९७, १११, १२२, पगंथे
१९१
१४९, १६४, १७५, २०५, पगड ११६
२०६, २१२ पगप्प
२१९ पडिलेहित्ता
४९, २४८ पगब्भति
१६० पडिलेहिय
१११, २२४-२२८ पगामाए २८१ पडिलेहिया
२३५ पग्गहिततरग
पडिलेहेंति पग्गहे
२४८ पडिवण्ण
१९, १३४, १३९, पचह
२०६
२१४, २२१, २७५ पञ्चक्खाएजा
२२८ पडिवतमाण पञ्चस्थिम
१, २ पडिसंखाए
१७१ पच्चासी
पडिसंजलेजासि
१४२ पच्छण्ण
पडिसंवेदयंति
१३५ पच्छा
६४, ६६, ६७, ८१, पडिसंवेदयति १४१, १५३, १६४ पडिसंवेदेति
३८० पच्छाणिवाती १५८ पडिसेवमाण
३०५ पजवजात
१०९ पडिसेवे पजालित्तए
२११ पडिसेहितो पजालेता
२१२ पडीण पट्टण २२४ पडुच
१७१ पडिकूल
७९ । पदुप्पण्ण
२३९
१९३
१७८
३११
१४६, १९६
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