Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 431
________________ ३४० प्रथमे परिशिष्टे ७४५ ५०५ विशिष्टशब्दाः . सूत्राङ्काः । विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्कः अकंतदुक्खा अचित्त ६३८, ६६७ अकरणिज्ज ३४०, ७६६ अचित्तमंत ५२२, ७८३, ७८९ अकसिण ३२५ अचेलयं ___७४३ अकालपडिबोहीणि ४७१ अच्चाइण्णा ३४८, ४६५ अकालपरिभोईणि ४७१ अच्चि ७५४ अकिंचण ६०७ अच्चुत अकिरिय ५२५ अच्चुसिण ३६८ अक्कंतपुव्वे ३४२ अच्छ ३५४ अक्कोसंति ४२२, ४४९, ५१८, ५८६, अच्छाहि ५९८ ६०५, ६१८ अच्छि ४१९, ४८८ अक्कोसंतु ४२२ अच्छिदित्ता ७१४, ७२० अक्कोसेज ४७१ अच्छिदेज ४७१.५१८,६४३,७१४,७२० अक्खाइयट्ठाण ६८२ अच्छिमल ७१९, ७२२ अक्खाय(त) ३३८,५२२, ६३५ अच्छियं ३८७ अगड अच्छोप्प अगडमह अच्छेज ३३१, ३३८,४१३ अगढिए ३५७ अजाणता(तो) ४०५, ५२० अगणि ३६३, ४४७, ५११ अज्झत्थवयण ५२१ अगणिकाय ४२१,४२३, ४२९,४४०,४४१ अज्झत्थिय ६९० अगणिफंडणट्ठाण अज्झवसाण १५८ अगरहित अज्झोववजेजा ६८७, ७९. अगार ४३५, ४३६, ४३८,४३९, ४४० अज्झोववण्ण ३७४ ४४५, ७३३, ७४६ अट्ट ६५२, ६७७ अगारबंधण अद्यालय ६६०, ६७७ अगारि ४३५, ४३६, ४३८-४४१ अट्ठ (अष्टन् ) ७४८, ७५१ अगिद्ध ३५७ अट्ठम अग्ग ७५१ अट्टमिपोसहिएसु ३३५ अग्गजाय ३८४ अट्ठासीति ७४९ अग्गपिंड ३३३, ३५२, ३५९ अहि ३४२ अग्गबीय ३८४ अद्विय ३७३, ४०३, ४०४ अग्गल ३५३, ४९९,५०४, ५३५, ५४३ अद्विरासि ३२४ अग्गलपासग ३५३, ४९९ अड्राइज अग्गि ७९७ अणंत ७३३, ७७२, ७९४, ७९८ अग्घाति [टि.] ७९० अणंतरहिता(या)ए ३५३, ३७१, ५७५, अग्घाउं ६१२, ६५३ अग्घाय अणंबिल ३६९ अचले [टि.] ७४३ । अणगार ६०७, ७९२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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