Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 473
________________ ३८२ प्रथमे परिशिष्टे विवग्घ ६५८ ८०३ ४६० ७५४ वेणुसद्द वेत्तग्गग वेदेति ७२. वेयणा विह विशिष्टशब्दाः - सूत्राङ्काः विशिष्टशब्दाः सूत्राकाः वीयंति विवण्ण ४०१, ५८४ वीर ७५२ विवेग ५२० वीस विवेगभासी वीहि ६५५ विसभक्खणट्ठाण वुक्कंत ३६९ विसम ३३८,३५५, ४६०,४६२, ६५६ वुचई(ती) ८०२, विसय वुट्ठ ५३१ विसुज्झती विसुज्झंत ७५८ वुत्तपुव्व ३९०, ४२५, ४३७ विसूइया ४२१ वेउम्विय ७५४ विसोधेत्ता वेग ७५३ विसोहेज ४८९, ६९९, ७००, ७२०- वेजयंतिय ५९४ ७२२, ७२४ वेढिम ६८९, विसोहेहि ६७२ विसोहिय ३२४ ३८५ विस्साणित्ता ७४०, ७४६ विस्साणेति ७२८ ४७३, ५१६, ५८५, ६८९ वेरज ४७२, ६८३ वेरमण ७७९ विहर वेलुग ३८७ विहरति ___ ७४२, ७७०, ७७३ वेलोतिय विहराति ४१०,४५७ वेसमण ७५०, ७६६ विहरामि वेसमणकुंडलधरा विहरिस्सामो ४४५, ६०८, ६२१ वेसाहसुद्ध वेसिय ३४१ विहरेजा ४५६, ४६२, ४८२, वेसियकुल ५१८, ६३३, ६३९ वेहाणसट्ठाण ६५८ विहरमाण ७७१, ७७२ वेहिय ५४५ विहार ४६२, ४७१, ४७२, ७७०, ७७२ वोकंत ७४० विहारभूमि ३२८, ३४४, ३४५, ४६५, वोकसाहि ४७७ ४६६ वोक्कसित्तए ४७८ विहारवत्तिया ४७१-४७३ बोक्कसिस्सामो ४७८ विहीय वोच्छिण्ण ३२५, ४९१, ६२५, ६२८ विहुवण वोज्झ वीणासद्द वोसट्ठकाए ६३८, ७७० वीतिकं (क)त ४६८, ५२३, ७७२ वोसिरामि ७७७, ७८०, ७८३, ७८६, ७८९ वीतिकममाण ७५३ । वोसिरेजा ६४६-६६७ विहग तय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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