Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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३३०
प्रथमे परिशिष्टे
विशिष्टशब्दाः
सूत्राङ्काः १४०, १४६, १५२, १५४, १५७-१५९, १६४, १८३,
१८५, १९६,२०९ लोगवित्त
१५४ लोगविपस्सी लोगसंजोग
१०१ लोगसण्णा
९७,१०४,१११ लोगस्सेसणं लोगालोग
१२७ लोगावादी लोभ ७१, ९३, १२०, १२८, १३०,
१५१, १९८, २५१ लोभदंसी
१३० लोहित
१७६
१४७ वइगुत्तीए
२०६ वइगुत्ते
१६५ वइगोयर
२०१
१५७ वकसमायार
४१, १६१ वंकाणिकेया
१३४ वंता. ९७, १११, १२८, १२९, १९८ वक्खातरत
१७६ वच्च
१०७
२५४
वध
विशिष्टशब्दाः
सूत्राका वत्तए
१०० वत्थ ८९, १८३, १८७, १९९, २०४,
२०५, २०७, २०८, २१३, २१४, २१५, २२०, २२१, २५५, २५७,
२७२, २७५ वत्थग वत्थधारि
२१४ वत्थु वदंत
२१२, २१८ वदंति ८४, १३५, १३६, १८२, १९०,
१९१ वदासी
१३७ वदित्ता
१९३ वदिस्सामि
७८, ११८, १२०, १४५, १८० वधेति वमण
३०८ वय (वयस्) ६४, ६५, ६८, ९६, २०९ वयं (व्रत) वयं (वयम्)
१३८, २०३ वयंति वयण १३६-१३८, २०४, २११ वयणिज
१९१ वयसा (वचसा)
१६२ वलेमाण
१९९ ववहार
११०
१९३ वसह
२०४ वसा वमित्ता
१४३, १८३, वसु
१८३ वसुमं
६२, १६०, २१५ वसुमंत .
. . २२९
वई
वज्ज
२९४,
३१८
२९७
वसह
१९७
१७६
५२
१७६
वजभूमि वजेत वज्झमाण वट्ट वद्यमगं [टि.] वडभत्त वडुमगं वड्डति [टि०] वड्डेति वणस्सति वण्ण वण्णादेसी. ,
.
१७६
११४ ९३, ११४ ४२-४४,४७, ४८
२५१
वसे
वसोवणीय
: १०८ वह ७८, ११८, १२०, १४५, १८० वहिंति
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