Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 409
________________ दग १७० दढ २६५ तेण दसंतु दसम ७९, १२ दास ३१८ प्रथमे परिशिष्टे विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः । विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः तुट्टे [टि.] १९८ २२४, २२० तुम्मे १३७ दटुं १४५, १६४ तुमं सि णाम तं चेव ७८, १८४ तुयट्टेज २०४, २०५ दम तुला १४८ दयति २१० तुसिणीए २८८ दया १९६, २१० १७२, २०४, २११, २९९ दलयिस्सामि २२७ तेइच्छ ९४, ३०७ दलएज्जा २१८ तेउकाय दविय ५६, १२७, १४३, १८७, तेउफास १८७, २२५, २२६, २९३ १९४, २३९, २९१,३१९ २२७ तेवणं ६४, ६६, ६७, ८१ ३१३ तेसऽप्पत्तिय ३१८ दहह २०६ थंडिल २३५, २४१ दाढा थण १५ दायाद थणंति १७८ दारुण १४५ थावर २६५ थावरत्त दासी ८४ दाह ७९, ८२ १५४ दाहिण १, १४६, १९६, २२३ थोव दिगिछत्ता ३१६ १८९ ३३, १३३, १३६ दंड ३३, ७३, ७४, १३२, १४०, दिट्ठपह . १६४, २०३, २०९, २६१ दिट्ठभय ११६ दंडजुद्ध दिट्टिम १९७ दंडभी २०३ दिया १८९, १९० दंडसमादाण दियापोत १८९ दंत [दन्त] १५, ५२ दिव्वमाया दंतपक्खालण ३०८ दिसा १, २, ६, ४९, १०३, १३६, दंत (दान्त) १२०, १९३ १३७, २०३ दसण १२८, १३०, १६२, १७२, दिस्सति ७७ २६४ दीण दसणलूसिणो १९१ दीव १८९, १९७ दंसमसग २९३ दीह दंसमसगफास १८७, २२५, २२६ दीहराय दक्ख दीहलोगसत्थ दक्खिण २६४, ३१२ २६. धूल दइत २५२ १९३ १५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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