Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): Jambuvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 418
________________ भोम मंता मंद १०८ १२९ ८५ आचाराङ्गसूत्रप्रथमश्रुतस्कन्धान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः ३२७ विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः विशिष्टशब्दाः सूत्राकाः मम २०४, २०५, २११ भोयण ६३, ६७, ७९, ८२, ८७ ममाइत मउए १७६ ममाइयमति मए १५७ ममायमाण - ७७, ८८, १८३ १०८, ४० [टि.] मरण ५, १३, २४, ३५, ४३, ५१, ५८, मंथु ३१० ७७, ७८, ८५, १०८, ११६, ३१८ १४८, १७६, १८०, २३२, २४५ मंस मसग १८७, २२५, २२६ मंससोणित १४३, १८८, २३७ महं (महान् ) १७२, १७५, २०२, २०९ मंसू ३०३ महं [मम] ૧૮૪ मक्कड २२४ महंत १२० मग्ग ७४, ८९, १४३, १५२, १५३, १७७ महता ६३, १२३, १६२ मच्चिय ११, ११३, १४५ महब्भय ४९, ८५, १८९, १५४, १८० महाजाण मच्चुमुह महामुणी १८१, १८४, १९० मजेजा महामोह मज्झ (मध्य) १४५ महावीर १७८, १८७, १९०, २६६, मज्झए १६६ २७७, ३००, ३०५, ३१४, ३२० मज्झत्थ २३३ महावीहिं २१ मज्झिम २०९ महासड्डी ९३ मट्टिय २२४ महुर १७६ मडंब २२४ महेसिणो ९८, १४३, १६४, १७२ महेसी [टि.] १२३ मणिकुंडल महोवकरण मण्णति ११४ ९२, १५१, १६२, १७२, १८२ मण्णमाण ६६, ७३, ९४, १५०, १६९, माण १२०, १२८, १३०, १९८ १९०, १९३ माणदंसी १३० मण्णसि १७० माणण ७, १३, २४, ३५, मत: १३३, १३६ ४३, ५१, ५८, १२७ मतिमं माणव ६४, ६७, ७७, ८२, ८७, १०१, मतिमंत - १२०, १२३, १३४, १५१, मती १७६ ... १५२, १६२, १७७, १८०, १८५, मतीमता . २७६, २९२, ९२,३०६, ३२३ माणावादी - .:...: ७५ मत्ता (मत्वा) माणुस्स २३६ मत्ता (मात्रा) १२७ मातण्ण २७३ मद्दविय १९६ माता ६३, १९३ मधुमेहणि माता (मात्रा) ८९, १२३ मण मा १७९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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