Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharang Sutra Aayaro Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 19
________________ सूत्रांक पृष्ठांक २३-२७ २७-२९ २९-३७ २६ ३१ ३१-३३ ३३-३५ अग्निकायिक जीवों की हिंसा ६९-८१ अग्निकायिक जीव का जीवत्व और वेदना-बोध ८२-८४ हिंसा-विवेक ८५-८६ पंचम उद्देशक ९०-११७ अनगार ९०-९२ गृहत्यागी के वेष में गृहवासी ९३-९८ वनस्पतिकायिक जीवों की हिंसा ५९-१०९ वनस्पतिकायिक जीव का जीवत्व और वेदना-बोध ११०-११२ मनुष्य और वनस्पति की तुलना ११३ हिंसा-विवेक ११४-११७ षष्ठ उद्देशक ११८-१४४ संसार ११८-१२२ वसकायिक जीवों की हिंसा १२३-१३६ वसकायिक जीव का जीवत्व और वेदना-बोध १३७-१३९ हिंसा-विवेक १४०-१४४ सप्तम उद्देशक १४५-१७७ आत्म-तुला १४५-१४९ वायुकायिक जीवों की हिंसा १५०-१६० वायुकायिक जीव का जीवत्व और वेदना-बोध १६१-१६३ हिंसा-विवेक १६४-१६८ मुनि को सम्बोध १६६-१७५ हिंसा-विवेक १७६-१७७ ३५-३७ ३७-४३ ३७-४१ ૪૧ ४१-४३ ४३-५१ ४५-४७ ४७ ४७-४९ ४९-५१ ५१ टिप्पण ५२-६७ सूत्र १ तथा मूत्र १,२ सूत्र ३ सूत्र ४ सूत्र ५, ६-८, १० सूत्र १२ सूत्र १५, १६, १९ सूत्र २३, २५, २८-३० tin x x GM2006 x x x x x Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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