Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 714
________________ सम्यक्त्व-अध्य० ४. उ. ४ ६६९ मूलम्-दुरणुचरो मग्गो वीराणं अनियगामीणं ॥ सू० ३॥ छाया-दुरनुचरो मार्गों वीराणामनिवृत्तगामिनाम् ॥ मू० ३ ॥ टीका--मार्गः संयमरूपः पन्थाः अनिवृत्तगामिनां=न निवर्तते यस्मात् सः -अनिवृत्तो मोक्षः, तत्र गन्तुं शीलं येषां ते-अनिवृत्तगामिनस्तेषां, वीराणां-कर्मविदारणसमर्थानां प्रमादरहितानां दुरनुचरः-दुःखेन सह अनु-पूर्वपूर्वतीर्थंकरेभ्यः पश्चात् चर्यते-गम्यते इति दुरनुचरः दुःखानुगम्यः-सदुःखमनुसेव्योऽस्ति, तस्मात् पुनः पुनः संयमानुष्ठानोपदेशः क्रियत इति भावः ॥ मू. ३॥ तन्मार्गानुचरणं प्रमादपरित्यागाद् भवतीत्याह-'विगिंच' इत्यादि । मूलम्-विर्गिच मंससोणियं, एस पुरिसे दविए वीरे आयाणिज्जे वियाहिए जे धुणाइ समुस्सयं वसित्ता बंभचेरांसि ।।सू०४॥ छाया--वे विश्व मांसशोणितम् , एप पुरुषो द्रविको वीर आदानीयो व्याख्यातो यो धुनाति समुच्छ्रयम् उषित्वा ब्रह्मचर्य ॥ मू० ४ ॥ _____टीका--मांसशोणितं स्वशरीरस्थं वेविश्व अपनय-अन्तप्रान्ताहारादिना अन यह संयम रूप मार्ग, मुक्ति को प्राप्त करने की इच्छावाले पुरुष जो कि वीर-कर्मों के नष्ट करने में शक्तिशाली एवं अप्रमादी हैं उनके लिये भी दुरनुचर-अर्थात् अतिकष्टसाध्य है, क्यों कि पूर्व-पूर्व तीर्थङ्करों ने इस के आचरण करने की जो विधि प्रदर्शित की है उसी के अनुसार यह आचरित किया जाता है, अतः इसके अनुष्ठान करने का बारंबार उपदेश दिया जाता है । सू० ३॥ उस संयमरूप मार्गका आचरण प्रमाद के त्याग से होता है, इसी बात की पुष्टि करते हैं-'विगिंच मंससोणियं' इत्यादि । संयमी अपने शरीर के मांसशोणित को सुखावे, अर्थात् अन्तप्रान्त આ સંયમરૂપ માર્ગ, મુક્તિને પ્રાપ્ત કરવા ઈચ્છનાર પુરૂષ જે વીર એટલે કે કમને ક્ષય કરવામાં શક્તિશાળી અને અપ્રમાદી છે તેને માટે પણ દુરનુચર અર્થાત્ અતિકષ્ટસાધ્ય છે, કારણ કે પહેલાંના તીર્થકરોએ તેનું આચરણ કરવાની જે વિધિ બતાવી છે તદનુસારે જ એનું આચરણ કરવામાં આવે છે, માટે એનું અનુષ્ઠાન કરવાને ઉપદેશ વારંવાર કરવામાં આવેલ છે. આ સૂ૦ ૩ છે આ સંયમરૂપ માર્ગનું આચરણ પ્રમાદના ત્યાગથી થાય છે આ વાતની पुष्टि ४२ छ--विगिंच मंससोणियं' त्याहि. સંયમી પિતાના શરીરના માંસ લેહીને સુકાવે, અર્થાત્ અંત-પ્રાંત આહા શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૨

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