________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
आचा०
॥१००५॥
www.kobatirth.org
उपर दुर्भाव बतावको नहि, पण उत्सुकता छोडी समाधियी विहार करी बीजे ग्राम जब. आज साधुनी साधुता छे.
श्रीजुं अध्ययन समाप्त थयुं.
---
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
धुं अध्ययन भाषा जातम्
श्रीजुं अध्ययन कं, हवे चोथुं कहे छे, तेनो आ प्रमाणे संबंध छे, त्रीजा अध्ययनमां पिंडविशुद्ध माटे गमनविधि कही त्यां गयेलाए मार्गमां आ प्रमाणे बोलवु आम न बोलवं, ते बतावशे, आ संबंधे आवेला आ भाषा जात अध्ययनना चार अनुयोगद्वारा थाय छे, तेमां निक्षेपनिर्युक्ति अनुगममां भाषाजात शब्दोना निक्षेपा माटे नियुक्तिकार कहे छे.
जह: बकं तह भासा जाए छकं च होइ नायन्त्रं । उप्पत्तीए ? तह पज्जवं २ तरे ३ जायगहणे ४ य ।। ३१३ वाक्य शुद्धि नामना अध्ययनमां जेम वाक्यनो पूर्वे निक्षेप कर्यो छे, ते प्रमाणे भाषानो पण करतो.
जात शब्दना निक्षेपानुं वर्णन.
पण जात शब्दनो छ प्रकारे निक्षेपो करवो, नाम स्थापना क्षेत्र काळ अने भाव छे, एमां नाम स्थापना सुगम छे, द्रव्य जात आगमथी अने नो आगमथी छे, तेमां व्यतिरिरिक्तमां निर्मुक्तिकार पाछळनी अडधी गाथाथी कहे छे, ते चार प्रकारे उत्पत्तिजात, पर्यवजात, अंतरजात, अने ग्रहण जात छे. (१) तेमां उत्पत्तिजात ते जे द्रव्यो भाषा वर्गणानी अंदर पडेल काययोगथी ग्रहण करेलां
For Private and Personal Use Only
सूत्रम्
॥१००५॥