Book Title: Acharanga Stram Part 05
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
आचा०
॥। १०९४ ।।
www.kobatirth.org
कौडिन्य गोत्रनी हती. भगवाननी पुत्री काप्यपगोत्रीनी तेना के नाम ले- अनवद्या, प्रियदर्शना. भगवाननी दौहित्री कौशिक गोत्रनी तेना के नाम शेषवती, यशोमती.
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
समणस्स ० ३ अन्मापियरो पासवचिज्जा समणोवासगा यात्रि हुत्था, ते णं बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पालइत्ता छहं जीवनिकायाण सारक्खनिमित्तं आलोइसा निंदित्ता गरिहित्ता पडिकमित्ता अहारिहं उत्तरगुणपायच्छिलाई पडिव - जित्ता संथारगं वा दुरूद्दित्ता भत्तं पच्चक्खायंति २ अपच्छिमार मारणं तियाए संलेहणासरीरए झुसियसरीरा कालमा से कालं किया सरीरं विधजहित्ता अच्चुए कप्पे देवताए बबन्ना, तभी णं आउक्खएग भव० टि० चुए चइता महाविदेहे वासे चरमेणं उस्सासेणं सिज्झिस्संति बुज्झिरांति मुश्च्चिसंति परिनिच्वाइस्संति सव्यदुक्खाणभूतं करिस्पति (मू० १७८) भगवान्ना मा बाप पार्श्व परंपराना श्रमणोना उपासक हता, तेओ घणां वर्ष श्रमणोपासकपणुं पाणी छ कायना जीवनी रक्षणार्थे (पापनी) आलोचना करी निंदी गर्छौ पडिकमी यथायोग्य प्रायश्चित लइ दर्भ संस्तारक उपर बेसी भक्त प्रत्याख्यान करी | डेल्ली मरण पर्यंतना शरीर-संलेखना वडे शरीर शोषी काल समये काल करी ते शरीर छोडी अच्युत कल्पमां देवपणे उप्तन्न थयां. त्यांथी आयु क्षय थतां चवीनेमहात्रिदेह क्षेत्रमां छेल्ले ऊसासे सिद्धबुद्ध मुक्त भइ निर्वाण पामी सर्व दुःखनो अंत करशे.
तेणं कालेणं २ समणे भ० नाए नायपुत्ते नायकुलनिव्वत्ते विदेहे विदेहजच्चे विदेहम्माले तीसं वासाई विदेहंसित्तिकडे अगारमज्झे सिक्षा अम्मापिऊहिं कालगहिं देवलोगमणुपतेहिं समत्तपइने चिच्चा हिरनं चिचा सुवनं चिया बलं चिचा वाहणं चिचा धणकणगरयण संतसारसावइज्जं चिच्छडित्ता विग्गोवित्ता विसाणित्ता दायारेमु णं दाइसा परिभाइत्ता संच्छ
For Private and Personal Use Only
सूत्रम् ।। १०९४ ।।

Page Navigation
1 ... 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328