Book Title: Acharanga Stram Part 05
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
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आचा०
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सूत्रम्
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॥१०९९॥
B॥१०९९॥
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विहरमाणस्स जे केइ उक्सग्गा समुप्पज्जति-दिव्वा वा माणुस्सा वा तिरिच्छिया वा, ते सव्वे उवसग्गे समुप्पन्ने समाणे अणाउले अव्वहिए अद्दीणमाण मे तिविहमणवयणकायगुत्ते सम्म सहइ खमह तितिक्खइ अहिआसेइ, तोणं समणस्स भगवश्री महावीरस्स एएणं विहारेणं विहरमाणस्स बारस वासा वीइकना तेरसमस्स य वासस्स परियाए वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दुच्चे मासे चउत्थे पक्खे चइसाहसुद्धे तास णं वेसाहसुद्धम्म दसमीपक्खेणं सुन्न एग दिवसेणं विजएणं मुहुनेणं हत्युत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगोवगएणं पाईणगामिणीए छयाए वियनाए पोरीसीए नंभियगामस्स नगरस्स बहिया नईए उज्जुवालियाए उत्तरकले सामागस्स गाढावइस्स कटकरणंसि उडूंनाणूअहोसिरस्स झाणकोट्टोवगयस्स वेयावतस्स चेइयस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे सालरुकावस्स अदरसामते उकुडुयस्स गोदाहियाए आयावणाए आयावेमाणस्स छ?ण भत्तेणं अपाणएणं मुकझाणंतरियाए वट्टमाणस्म निवाणे कमिणे पडिपुन्ने अव्वाहए निरावरणे अणते अणुचरे केवलवरनाणदसणे समुप्पन्ने, से भगवं अरहं जिणे केवली सम्बन्न सवभावदरिसी सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स पज्जाए जाणइ, तं
आगाई गई ठिई चयणं उबवायं भुनं पीयं कई पडिसेवियं आविकम्मं रहोकम्मै लवियं कहियं मणोमाणसियं सचलोए सजीवाणं मनभावाई जाणमाणे पासमाणे एवं च णं विहरह, जणं दिवस समणम्म भगवो महावीरस्स निवाणे कसिणे जाव समुप्पन्ने तणं दिवसं भवयवइवाणमंतरजोइसियविमाणवासिदेवेहि य देवीहि य उवयं तेहि जाव उप्पिंजलगम्भूए यावि हुत्था; तो णं समणे भगवं महावीरे उत्पन्नवरनाणदसणधरे अपाणं च लोगं च अभिसमिक्ख पुव्वं देवाणं धम्ममाइक्खा, तनो पच्छा मणुसपणं, तभो णं समणे भगवं महावीरे उप्पननाणदंपणधरे गोयमाणं समणाण पंच महन
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