Book Title: Acharanga Stram Part 05
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj

View full book text
Previous | Next

Page 321
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra आचा० ।। ११०६ ।। ।। www.kobatirth.org नो कोहणे सिया, केवली वूया - कोहपत्ते कोहनं समवइज्जा मोसं वयणाए, कोई परियाणइ से निग्गंथे न य कोहणे सियत्ति दुच्चा भावा । अहावरा तच्चा भावणा-लोभ परियाणा से निग्गंथे तो अ लोभणए सिया, केवली बूया-लोभपत्ते लोभी समात्रइज्जा मोसं वयणाए लोभं परियाण से निग्गंथे नो य लोभणए सियत्ति तच्चा भावणा । अहावरा चउत्था भावणा-भयं परिजाणइ से निग्गंथे नो भयभीरुए सिया, केवली वूया -भयपत्ते भीरू समावइज्जा मोसं वयण ए, भयं परिमाणड़ से निम्गंथे तो भयभीरुए सिया चउत्था भावणा ४ । अहावरा पंचमा भावणा -हासं परियाणा से निगं नो य हासणए सिया, केव० हासपत्ते हासी समावइज्जा मोसं वयणाए, हासे परियाणड़ से निग्ये नो हासणए सियति पंचमी भावणा५ । एतावता दोच्चे महत्वए सम्भं काएग फासिए जाव आणाए आरादिए यात्रि भवइ दुच्चे भंते! मन्त्रए । अहावरं तच्चं भंते ! महच्चयं पच्चखामि सव्वं अदिन्नादाणं' से गामे वा नगरे वा रन्ने वा अवा बहु वा अशुं वा धूलं वा चित्ततं वा अचित्तमं वा नेव सयं अदिन्नं गिण्डिजा नेवन्नेहिं अदिनं गिण्हा विज्जा अदिन्न अन्नंपि, गिन्हंत न समणुजाणिज्जा जावज्जीवाए जात्र बोसिरामि, तस्सिमात्र पंच भावणाओं भवति, तत्थिमा पढमा भावणा - अणुवीर मिउग जाई से निग्गंथे नो अणणुवीमिउग्गहं जाई से निग्गंथे, केवली वूया - अणपुत्री मिउहं जाइ निथे अदिन्नं गिण्हेज्जा, अणुवीड़ मिउग्गह जाइ से निम्गंथे नो अणणुत्रो मिउग्गहं जाइति पढमा भावणा १ | अहावरा दुच्चा भावणा - अणुन्नविय पाणभोद्यणभोइ से निग्र्गथे नो अणणुन्नविअ पाणभांयणभाइ, केवली बूयाअणुत्रविय पाणभोयणभोर से निग्गंथे अदिन्नं भुंजिज्जा तन्हा अणुन्नविय पाणभोयगभोर से निग्गंथे नो अणणुन्न For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सूत्रम् ।।११०६ ।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328