Book Title: Acharanga Stram Part 05
Author(s): Shilankacharya
Publisher: Shravak Hiralal Hansraj
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आचा०
॥१०९०॥
-
परिवाइ, तो णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अम्मापियरो एयमढे जाणित्ता निव्वतदसाहसि बुकंतसि मुइभूयंसि विपुलं असणपाणखाइमसाइमं उवक्खडार्विति २ गा मित्तनाइसयणसंबंधिवग्ग उवनिमंतंति मित्त. उपनिमंतित्ता बहवे
। सूत्रम् समणमाहणकिवणवणीमगाहिं भिन्छुडगपंडरगाईण विच्छटुंति विग्गोविति विस्ताणिति दायारेसु पज्जमाईति विच्छडित्ता विग्गो० विसाणिशा दाया. पन्जभाइना मित्तनाइ भुंजाविति मित्त० भुंजावित्ता मित्त० वग्गेण इममेयारूवं नाम- ॥१०९०॥ धिज्ज कारवितिजओ णं पभिइ इमे कुमारे ति० ख० कुच्छिसि गम्भे आहूए तो णं पमिइ इमं कुलं विपुलेणं हिरनेणं. संखसिलप्पवालेण अतीव २ परिवाइ ता होउ णं कुमारे बदमाणे, तभी णं समणे भगवं पहावीरे पंचधाइपरिडे, तंखीरधाईए १ मज्जणधाईए २ मंडणधाईए ३खेलावणधाइए ४ अंकधा०५ अंकाओ अंकं साहरिजमाणे रम्मे मणिकुष्टिमतले गिरिकंदरसमुल्लीणेविव चंपयपायवे अहाणुपुच्चीए संबइ, ताणं समणे भगवं० विनायपरिणय (मित्ते) विणियवत्तालभाव अप्पुस्मुयाई उरालाई माणुसगाई पंचलक्खागा कामभोगाई सहफरिसरसरूवगंधाई परियारेमाणे एवं च न विहरइ ।। (मू० १७६.)
श्रमण भगवान महावीर आ अवसर्पिणीना चाथा आराने छेडे पंचोतेर बरसने साडाभाठ महिना बाकी रहे छे, ते ग्रीष्मरुतुना18 चोथे महिने आठमे पखवाडीए अषाढ शुद छट्टने दिवसे महाविज्य सिद्धार्थ पुष्पोपत्तर वर पुंडरिकदिशा सौवस्तिक वर्धमान नामना महाविमानमांथी देवता संबंधी बीस सागरपमर्नु आयु पुरु करीने भव तथा स्थितिनो क्षय थतां चवीने आ जंबूद्वीपना भरत क्षेत्रना दक्षिण अर्धभरतमा दक्षिण ब्राह्मणकुंडस्थानमां कोडालगोत्री रुषभदत्त ब्राह्मणना घरमां जालंधर गोत्रनी देवानंदा ब्राह्मणीनी
-
-
-
-X
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328