Book Title: Abhidhan Chintamani Kosh
Author(s): Vijaykastursuri
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 687
________________ ૩૦ शब्दः प्रमथपति ( प्रमथाधिप ) प्रमद प्रमदवन प्रमदा प्रमनस् प्रमय प्रमर्दन ( प्रमातामह) प्रमाद प्रमापण प्रमीत प्रमीला प्रमुख प्रमृत प्रह प्रमोद प्रमोदित प्रयस्त प्रयाणक प्रयाम प्रयास प्रयुत प्रयोग प्रयोजन प्ररोह श्लोकाङ्कः १९९ २०७ ३१६ १११३ ५०५ ४३५ ३७० २१९-शे. ५५७ १३८२ ३७० ३७३ ३१३. १४३८ ८६६- शि. ४७० ३१६ १९० - शे. ४११ ७८९ १५१८ ३२० ८७३ १५१० १५१४ १११८ अभिधानचिंतामणिकोशस्य शब्दः (प्रलम्बन्न) प्रलम्बभिद् प्रलम्बाण्ड प्रलय "" प्रलाप प्रलापिन् प्रलोभ्य प्रवङ्ग प्रवण प्रवयण प्रवयस् प्रवर "" " प्रवरवाहन प्रवर्ग प्रव प्रवह प्रवहण 99 प्रवह्निका प्रवाच् प्रवाल " 22 श्लोकाङ्कः शब्दः २२४ प्रवासन २२४ प्रवासिन् ४५७ १६१ ३०७ - २७५ २२५ - शे. ५७० - शे. १२९२-शि.” ३८५ ८९३ ३३९ ११७३ १४३८ ६४० - शे. १८२ - शे. ८३६ १४३८ १५१४ ७५३ ८३६- शि. २५९ ३४६ २९१ १०६६ ११०४ प्रवाह प्रवाहिक प्रवाहिका प्रविदारण प्रवीण प्रवृत्ति " प्रवृद्ध प्रवेक (प्रवेणि) प्रवेणी "" प्रवे प्रवेल प्रवेश प्रवेशन प्रवेष्ट 'प्रव्यक्त' प्रव्रज्या प्रशंसा प्रशमन प्रशस्त प्रशस्यता प्रश्न श्लोकाः ३७१ ४९३. १०८७ १८८ - शे. ४७१ ७९७ ३४२ २६० १२२३ १४९५ १४३८ ५७० ५७० ६८० ७६० ११७२ १५०० ९९३ ५८९ १४६७ ८१ - शि २७० ३७० ८६ - शि. ६८ २६३

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