Book Title: Abhidhan Chintamani Kosh
Author(s): Vijaykastursuri
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 763
________________ २०६ शब्दः सरक सरधा सरट सरण सरणि 'सरणी' सरमा सरल सरलद्रब सरस् सरसी ( सरसीरुह ) सरस्वत् " पुरस्वती در "" सरि सरित् सरिद्वरा सरीसृप सरीसृष सरूप सरोज (,,) सरोजन्मन् श्लोकाः ९०६ १२१३ १२९९ १०३८ ९८३ ९८३ १२८१ ३७६ ६४८ १०९४ १०९४ ११६३ १०७३ १०९१ २४१ १०८० १०८५ १०९६ अभिधानचिंतामणिकोशस्य शब्दः 'सरोजिनी सरोरुह् सरोरुह (») सरोरुहासन सर्ग 17 (,, ) सर्ज - 'सर्जक' सर्जमणि सर्जरस सर्प सर्पभुज् सर्पराज (सर्पवली) सर्पन् सर्पाति सर्पिष् सर्व १०८० १०८२ १३०३ २१९ - शे. १४६१ ११६२ 96-9. "" ११६२ सर्वतस् सर्वसा सर्वकेशिन् सर्वप्रन्थिक सर्वश श्लोकाङ्कः ११६० ११६२ ११६२ १८- प. २१२ २५२ १३७६ २५७ ११३८ ११४४ ६४७ ६४७ १३०२ १३१९ . १६०८ ११५५ १३०२ २३१ ४०७ १४३३ ९३७ ३२८ ४२१ २५ १९८ १५२९ शब्दः ( सर्वतोभद्र) (,,) (:) (सर्वतोभद्रा) सर्वतोमुख सर्वदमन सर्वदर्शिन सर्वदुःखक्षय सर्वधन्विन् सर्वधुरीण सर्वदम सर्वभक्षा सर्वमङ्गला सर्वमूषक (सर्वरत्नक) सर्वस " सर्वरसा सर्व सर्वला सर्वलौह सर्वविद्या सर्ववेदस् सर्वसन्नहन सर्वानुभूति श्लोकाः ९४ १०१५ ११३९ १४३ १०७० ६९.२ - शि. २५ १५३१- शि. ७५ २२८-शे. १२६१ ७०२ १२७५ २०४ १२६ १९३ ६४७ १३८९ ३९६ १५९ - शे. ७८७ ७७९ २५८ ८१९ ७८८ ५१

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