Book Title: Abhidhan Chintamani Kosh
Author(s): Vijaykastursuri
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 761
________________ २०४ अभिधानधित्तामणिकोशस्य शब्दः लोकाङ्कः शब्दः लोकाङ्कः । शब्दः । लोकाङ्कः सप्तर्षिज ११९-शि. समन्तभुज् ११००-शे. समाकर्षिन् १३९० (सप्तर्षिपूता) १५-7. समन्तात् १५२९ समाख्या २७३-शि० सप्तला ११४८ समपाद ७७७ समाघात सप्तसप्ति समम् १५२७ समाज ४८१ सप्तार्चिष् समय १२६ १४१४ ११०० २४२ समाज्ञा सप्ति १२३३ १५०९ समाधान १३७८ सबलि १४० समया १५३४ समाधि सब्रह्मचारिन् ८० समर सभा ४८१ समरोचित १२२२ १३७८ समर्थ ४९१-शे. २७८-शि. सभाजन ७३१ समर्थन १३७१ समान ११०९ सभासद् समर्धक ४८० १४६१ सभास्तार समधुका ५४२-शे. समानोदर्य ५५१ सभिक ४८५ समर्पण १५१९- शि. समापन ३७९ समर्याद १४५१ समारट ४८० समवकार २८४ समालमत १४३३ समवभ्रंश ५१८-शे. समास १४३२ १४६१ समवर्तिन् १८४ समाहार १४३२ समग्र १४३३ समवाय २४३ १५२४ समज १४१४ १४१२ समाहृति २५७ समज्या ४८१ समसुप्ति समाह्वय ४८८ समञ्जस ७४२ समस्त १४३३ ७९७ 'समधिक १४०९ समस्थली ९४९ समित् ७९७ समन्ततस् १५२९ समा १५९ समिता - ४०२ समन्तभद्र २३४ | समांसमीना १२७१ समिति ४८० " ३७१ सभ्य ६२३ " ४८१

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