Book Title: Aao Prakrit Sikhe Part 02 Author(s): Vijaysomchandrasuri, Vijayratnasensuri Publisher: Divya Sandesh Prakashan View full book textPage 5
________________ पूज्यश्री की प्रेरणा से विदूषी पू.सा. श्री निर्वेदरेखाश्रीजी की सुशिष्या पू. सा. श्री अध्यात्मरेखाश्रीजी ने 'प्राकृत विज्ञान पाठमालामार्गोपदेशिका' के हिन्दी अनुवाद के लिए प्रयास किया । तत्पश्चात् पूज्य आचार्य श्री ने अतिव्यस्तता के बीच भी समय निकालकर उस प्रेस कॉपी का. परिमार्जन किया । इसी के फलस्वरुप आज हम पाठकों के कर कमलों में 'आओ ! प्राकृत सीखें' भाग-2 पुस्तक अर्पण करते हुए परम आनंद का अनुभव कर रहे है । हमारे हिन्दी पाठकों को गोडवाड के गौरव, मरुभूमि के रत्न पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय रत्नसेनसूरीश्वरजी म. सा. का परिचय देने की हमें कोई आवश्यकता नही है क्योंकि उनका साहित्य ही उनका 'परिचय' बन गया है ! हिन्दी साहित्यकार के रुप में वे जगमशहुर है। 36 वर्षों के उनके निर्मल संयम जीवन में प्रथम बार ही उनका चातुर्मास गोडवाड की धन्यधरा उनकी जन्मभूमि बाली नगर में होने जा रहा है और उसी धरा पर उनके द्वारा हिन्दी भाषा में संपादित 165 वीं पुस्तक 'आओ ! प्राकृत सीखे' भाग-2 का विमोचन होने जा रहा है, जो हमारे लिए गर्व की बात है। हमें आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास हैं कि पूज्यश्री के पूर्व प्रकाशनों की भांति यह प्रकाशन भी लोकोपयोगी और उपकारक सिद्ध होगा | निवेदक दिव्यसंदेश प्रकाशन ट्रस्ट मंडल मिलापचंद सूरचंदजी चौहान - पिंडवाडा सागरमल भभूतमलजी सोलंकी-लुणावा रमेशकुमार ताराचंदजी (C.A.)- खिवांदी प्रकाशचंद हरकचंदजी राठोड - बाली सुरेन्द्रकुमार सोहनराजजी राठोड - बाली ललितकुमार तेजराजजी राठोड - बालीPage Navigation
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