Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री ज्ञाताधर्मकथा सूत्र ॥ श्री आगम-गुण-मञ्जूषा ।। ।। श्री भागम-गुण-मंभूषा ।। II Sri Agama Guna Manjusa II (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू. आ. भ. स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ११ अंगसूत्र ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय १) श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है । द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। ६) २) श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान मे विद्यमान है । १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का मुख्य विषय रहा है। ३) श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। ४) श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी संग्रहग्रंथ है। एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण मे उपलब्ध है। ५ ) श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ( भगवती सूत्र ) :- यह सबसे बड़ा सूत्र है, इसमे ४२ शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ में प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान किया है । प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुई है। चारो अनुयोगो कि बाते अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। ७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। ८) श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यतः धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री शत्रुंजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हुए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती है । ९) श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। १०) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र मे भी है । कुल मिला के इसके २०० श्लोक है। ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है । १२ उपांग सूत्र १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है। इस मे चंपानगरी का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। २) श्री राजप्रनीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है । २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। श्री आगमगुणमंजूषा GY Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KGRO १०C) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबंधित बड़े ग्रंथो का सार है। उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। छह छेद सूत्र (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है। अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि से करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। चार मूल सूत्र १) श्री दशवैकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए र तिवाक्या व, विवित्तचरिया नाम से दी हैं। इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। २) श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। International 2010 03. 乐乐乐乐乐乐出乐城 ३) श्री निर्युक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ निर्युक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं। पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताई हैं । ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं । ४) श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बड़े सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रातः एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ श्री आगमगुणमंजूषा I २) श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गई है। अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पडती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम् ॥ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XOX ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶KK Introduction 45 Agamas, a short sketch YURALSEA PERLA RADIO Quan Bài 3 Bà Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là 35 3 3 20 It is of the size of around 800 Ślokas. (8) Antagaḍa-daśānga-sutra: It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vṛṣṇi, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akṣobhakumāra, 6 sons of Devaki, Gajasukumara, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Kṛṣṇa, 8 queens like Rukmiņi. It is available of the size of 800 Ślokas. (9) Anuttarovavayi-daśānga-sūtra : It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimāna, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumara and other 9 princes of king Śrenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Apagara, etc. It is of the size of 200 Ślokas. I Eleven Angas: (1) Acărănga-sutra: It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 Ślokas. (2) Suyagaḍānga-sutra: It is also known as Sūtra-Kṛtānga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 Ślokas. (3) Thapanga-sutra: It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 Slokas. (4) Samaväyänga-sutra: This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 slokas. (5) Vyakhyā-prajñapti-sūtra : It is also known as Bhagavati-sūtra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 Ślokas. (6) Jäätädharma-Kathānga-sutra: It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 Ślokas. SEVEN A (7) Upāsaka-daśānga-sutra: It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahāvīra, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. (10) Praśna-vyākaraṇa-sūtra: It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahavira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 Ślokas. Vipaka-sūtranga-sutra: It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 Ślokas. (11) II Twelve Upangas (1) Uvavayi-sutra: It is a subservient text to the Acaranga-sutra. It deals with the description of Campă city, 12 types of austerity, procession-arrival of Konika's marriage, 700 disciples of the monk Ambaḍa. It is of the size of 1000 slokas. (2) Rayapaseni-sutra: It is a subservient text to Suyagaḍanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 Ślokas. www.jainelibrary Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ShhhhĀMhMMMMMMMMMMMÁR ૪૫ આગમ સરળ અગ્રજી ખાવાથ (3) Jivabhigama-sutra: It is a subservient text to Thaṇānga-sūtra. It deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambu continent and its areas, etc. and the detailed description of the veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, etc. published recently are composed on the line of the topics of this Sūtra and of the Pannavaṇa-sutra. It is of the size of 4700 slokas. (4) Pannāvaṇā-sūtra : It is a subservient text to the Samavāyāngasūtra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 Ślokas. (5) Surya-prajñapti-sūtra and (6) Candra-prajñapti-sutra: These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, northward and the southward solstices, etc. Each one of these Agamas are of the size of 2200 Ślokas. (7) Jambudvipa-prajñapti-sūtra: It mainly deals with the teaching of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners (āra). It is available in the size of 4500 Slokas. Nirayavali-pancaka: (8) Nirayavali-sütra: It depicts the war between the grandfather and the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death of king @renika's 10 sons who attained hell after death. This war is designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpiņi) age. (9) Kalpavatamsaka-sutra: It deals with the life-sketches of Kalakumara and other 09 princes of king Śrenika, the life-sketch of Padamakumpra and others. (10) Pupphiya-upanga-sutra: It consists of 10 lessons that covers the topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikă, Pūrṇabhadra, Manibhadra, Datta, Sila, Bala and Anaḍdhiya. (11) Pupphaculiya-upanga-sutra: It depicts previous births of the 10 queens like Sridevi and others. (12) Vahnidaśā-upanga sutra: It contains 10 stories of Yadu king Andhakavṛṣṇi, his 10 princes named Samudra and others, the tenth Cain Education International 2010 03 JARNANAK one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişaḍha. JARD DA DA DA DA DAS III Ten Payanna-sutras : (1) Aurapaccakhāṇa-sūtra : It deals with the final religious practice and the way of improving (the life so that the) death (may be improved). (2) Bhattaparinna-sūtra : It describes (1) three types of Pandita death, (2) knowledge, (3) Ingini devotee (4) Padapopagamana, etc. (4) Santharaga-payanna-sutra: It extols the Samstaraka. ** These four payannas can also be learnt and recited by the Jain householders. ** (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It describes what amount of food an individual soul will eat in his life of 100 years, the human life can be justified by way of practising a religious life. (6) Candavijaya-payanna-sutra: It mainly deals with the religious practice that improves one's death. (7) Devendrathui-payanna-sūtra : It presents the hymns to the Lord sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. (8) Maraṇasamadhi-payanna-sūtra : It describes at length the final religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing with death. (9) Mahāpaccakhāṇa-payanna-sūtra : It deals specially with what a monk should practise at the time of death and gives various beneficial informations. (10) Gaṇivijaya-payanna-sutra: It gives the summary of some treatise on astrology. These 10 Payannās are of the size of 2500 Ślokas. Besides about 22 Payannās are known and even for these above 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra is taken, by some, in place of the Candavijaya of the 10 Payannās. Only « KAAKAKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKOYOX www.jainelibrary.o Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKOK YU BALLU BURU VERLO PLA Xoxo (1) (2) IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra. These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas. Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. * It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 ślokas. ** ********* V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana. 明明明明明明明明明與乐乐乐为历历明明明明明明明明兵兵兵兵兵兵兵兵乐乐乐乐玩玩乐乐明步兵兵玩乐乐乐恩 * O YOK LOXOV L FT STATUTEUT- O 20:10 03 www.ainelibrary.org Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GSSS55555555 કાન સર ગુજરાતી ભાવાર્થ કક્કાવ % % આગમ ૬ ધર્મકથાનુયોગમય જ્ઞાતા-ધર્મકથાંગ સૂત્ર - ૬ - - - - - ૨ જ અન્ય નામ :- નાયાધમ્મકહી શ્રુતસ્કંધ ----- અધ્યયન ---- ઉદ્દેશક – પદ ----- -------- ૨૯ છે %%%%%%%%%%%虽虽弱弱弱 ઉપલબ્ધ પાઠ --- ગદ્યસુત્ર - - - - - - પઘસૂત્ર ----- - ૫૫૦૦ શ્લોક પ્રમાણ. ૧૫૬ -- ૬૨ כוכב וכוכחכוכוכע ויעבוע ויעובות ונועעוע רעוע עיצוע התכתבתות ובתתתת רעיונשטם દ્વિતીય ધર્મષા-શ્રુતસ્કંધ % પ્રથમ અધ્યયન ગદ્યસૂત્ર પઘસુત્ર જ્ઞાનવ્રુતસ્કંધ ૧૯ ૧૪૭ વર્ગ ક ૫૬. અધ્યયન ગસૂત્ર પદ્યસૂત્ર - ' SRC项明明明明明明明明明明明明%%%% (૧) જાન - શ્રુતસ્કંધ (૧) અધ્યયન: ઉન્સિપ્તશાત - શય્યા પરીપહ આ અધ્યયનમાં આર્ય સુધર્મા ભગવાનની પાસે આર્યજંબુસ્વામી જ્ઞાતાધર્મકથા વિષે જાણવાની ઈચ્છાથી જાય છે. ભગવાન ગણધર સુધર્માસ્વામી જ્ઞાતાધર્મસ્થાનું કથન કરે છે. | સર્વપ્રથમ બે શ્રુતસ્કંધોના નામ, ૧૯ અધ્યયનોના નામ વગેરે જણાવી શ્રેણિક રાજા અને નંદારાણીનું વર્ણન, અભયકુમારની રાજનીતિ અને સામાજિક જીવન, શ્રેણિક ! રાજાની રાણી ધારિણી નું સ્વપ્ન અને તેનું ફળ, દોહદ, મેઘકુમારનો જન્મ, આઠ કન્યાઓ ! સાથે લગ્ન, ભગવાન મહાવીરનું સમવસરણ, મેઘકુમારનું ભગવાનની દેશનાનું શ્રવણ, સંસાર પર વૈરાગ્ય, દીક્ષા ગ્રહણ, પ્રથમ રાત્રિએ શય્યા પરીષહ, મેધમુનિનું ભગવાન મહાવીર પાસે જવું, ભગવાન દ્વારા મેઘમુનિના પૂર્વભવોનું પ્રતિપાદન, પૂર્વભવમાં સુમેરુપ્રભ નામના 4 annnnnnnn). OF MEEEE Ë¥É555 બાગમગામનુષા - ૨૨ 555555555555555555 Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ ધ (૬) અધ્યયન : કુંભક – જીવની ગુરુતા અને લઘુતા આ અધ્યયનમાં રાજગૃહીમાં ભગવાન મહાવીર દ્વારા જીવની ગુરુતા અને લઘુતાનું કારણ અને તે વિષે માટીથી લીંપેલી તુંબડીનું ઉદાહરણ આપવામાં આવ્યું છે. (૭) અધ્યયન : રોહિણી – પાંચ મહાવ્રતોની વૃદ્ધિ હાથીએ સસલાની કરેલી રક્ષા, મેઘમુનિને પૂર્વજાતિનું સ્મરણ, પ્રવ્રજ્યાસ્થિરતાની દઢ પ્રતિજ્ઞા, ૧૨ શ્રમણ પ્રતિમા આરાધના, વિપુલ ગિરિ પર અંતિમ આરાધના, વિજય વિમાનમાં ઉત્પત્તિ પછી ચ્યવન, મહાવિદેહમાં જન્મ અને અંતે નિર્વાણની કથા છે. (૨) અધ્યયન : સંઘાટક – રત્નત્રયની આરાધનાર્થે આહાર કરવો આ અધ્યયનમાં રાજગૃહનગર, ધન્ના વેપારી (સાર્થવાહ) અને તેની ભાર્યા ભદ્રા, પંથક નામનો ચાકર, વિજય ચોરનું ક્રૂર જીવન, ભદ્રાદ્વારા પુત્રપ્રાપ્તિ માટે અનેક દેવદેવીઓની પૂજા, દેવદિત્રનો જન્મ, દેવદિત્રને રમાડવા પંથકનું ઉદ્યાનમાં જવું, આભૂષણો ચોરવા વિજય ચોર દ્વારા દેવદિત્રની હત્યા, સૈનિકો દ્વારા બાલધાતી ચોરને પકડીને કારાવાસમાં નાંખવો, ધન્ના વેપારીને પણ કરચોરીના અપરાધમાં કારાવાસ, ચોર અને શેઠને એક જ બેડીમાં બંધન, પંથક ચાકર દ્વારા લવાએલા ભોજનમાંથી શેઠનું ચોરને ભોજનદાન, ભદ્રા શેઠાણી નારાજ, શેઠદ્વારા ખુલાસો, ધન્નારોઠની પ્રવ્રજ્યા અને છેલ્લે ભગવાન મહાવીર દ્વારા નિગ્રંથની શિક્ષાની કથા છે. (૩) અધ્યયન : ઈંડું – શંકા ન કરવી આમાં ચંપાનગરીના જિનદત્ત અને સાગરદત્ત નામે બે મિત્રોને ઢેલના બે ઈંડા મળવા, બંને મિત્રો દ્વારા પાલન માટે એક એક ઈંડું લેવું, જિનદત્ત દ્વારા ઈંડાને મરઘીના ઈંડાઓસાથે પાલન કરવા મૂકવું. સાગરદત્તનું ઇંડાવિષે શંકા અને તેથી ઇંડાનું નાશ પામવું, જિનદત્તને ઈંડામાથી મોરની પ્રાપ્તિ, મોરને નૃત્ય વગેરેની શિક્ષા આપી જિનદત્તનું ધનોપાર્જન. આ કથા દ્વારા ભગવાન મહાવીરની સાધુ-સાધ્વીઓને સમ્યક્ત્વમાં શંકાના અતિચાર વિષે હિતશિક્ષા આપવામાં આવી છે. (૪) અધ્યયન : સૂર્ય – ઈન્દ્રિયજય આમાં વારાણસીના ઝરામાંથી બે કાચબાઓનું ખોરાકની શોધમાં નીકળવું, બે શિયાળનું તેમની તાકમાં બેસવું, શિયાળ પાસેથી પસાર થતા કાચબાઓનાં ચંચળચિત્ત કાચબાનો શિકાર થવો અને સ્થિરચિત્ત કાચબાનું બચી જવું - એ કથા દ્વારા ભગવાન મહાવીર સાધુ-સાધ્વીઓને પાંચેય ઈન્દ્રિયોને વશ કરવાની હિતશિક્ષા આપે છે. (૫) અધ્યયન : શાત – પ્રમાદ પરિહાર આમાં દ્વારિકા નગરી વગેરેના વર્ણન પછી થાવસ્યા ગાયાપતિના થાવચ્ચા પુત્રનો વૈરાગ્ય, દીક્ષા માટે અંતરાય, શ્રીકૃષ્ણ દ્વારા થાવચ્ચા પુત્રના વૈરાગ્યની પરીક્ષા અને અંતે ૧૦૦૦ વ્યક્તિઓ સાથે પ્રવ્રજ્યા ગ્રહણ વગેરે થા દ્વારા પ્રમાદનો ત્યાગ કરવાની હિતશિક્ષા આપી છે. 出 રાજગૃહ નગરમાં ધન્નારોઠ દ્વારા પાંચ-પાંચ ડાંગરના દાણા આપીને ચાર પુત્રવધૂઓની પરીક્ષા અને તે પ્રમાણે કાર્યસોંપણી, તે ચાર પુત્રવધુઓમાં રોહિણીએ ડાંગરમાંથી વાવણી કરાવીને વૃદ્ધિ કરી તે પ્રમાણે પાંચ મહાવ્રતોની વૃદ્ધિ કરવાની હિતશિક્ષા ભગવાન મહાવીરે આપી છે. (૮) અધ્યયન : મલ્લી - ૧. માયાશલ્ય નિવારણ ૨. દુર્ગંધમય દેહ આ અધ્યયનમાં ભગવાન મલ્લિનાથનો પૂર્વભવ, વર્તમાન ભવનું વિસ્તૃત વર્ણન, છ રાજાઓની પરીક્ષા, તપમાં માયા કરવાથી સ્રીપણાની પ્રાપ્તિ, દુર્ગંધમય દેહ દ્વારા છ રાજાઓને પ્રતિબોધ વગેરે ક્થા છે. (૯) અધ્યયન : માર્કદી આ અધ્યયનમાં ચંપાનગરીમાં માદીરશેઠના બે પુત્રો જિનપાલિત અને જિનરક્ષિતનું વ્યાપાર અર્થે સમુદ્રયાત્રા પર જવું, યાત્રામાં વિઘ્ન, જહાજનું તૂટવું, બંને ભાઈઓનું રત્નદ્વીપ પહોંચવું, રયણાદેવી સાથે ભોગવિલાસ, લવણસમુદ્રની સફાઈ કરવા સુસ્થિત દેવનો રયણાદેવીને આદેશ, રયણાદેવી દ્વારા બંને ભાઈઓને દક્ષિણ દિશા તરફ જવાની મનાઈ છતાં બંનેનું ત્યાં જવું, રયણાદેવીની વાસ્તવિકતાનું ભાન થવું, બંને દ્વારા સેલક યક્ષની ઉપાસના, યક્ષદ્વારા ચંપાનગરી જતા રસ્તામાં રયણાદેવી દ્વારા અસિપ્રહારમાં ચંચળ મનવાળા જિનરક્ષિતનું મૃત્યું વગેરે કથા દ્વારા ભગવાન મહાવીર સાધુ-સાધ્વીઓને ચંચળ મનવાળા ન થવાની હિતશિક્ષા આપે છે. (૧૦) અધ્યયન : ચંદ્ર – આત્મગુણોની વૃદ્ધિ આ અધ્યયનમાં ચંદ્રની કૃષ્ણપક્ષમાં હાનિ અને શુક્લ પક્ષમાં વૃદ્ધિ થાય છે તે પ્રમાણે આત્મગુણોની વૃદ્ધિ કરવાની વાત છે. (૧૧) અધ્યયન : દાવદ્રવ – જિનમાર્ગની આરાધના – વિરાધના આ અધ્યયનમાં (૧) ઉપમાન = દાવાનળમાં વૃક્ષ, ઉપમેય = સાધક શ્રમણ વગેરે ( ૨ ) ઉપમાન = સમુદ્રનો વાયુ, ઉપમેય = અન્ય તીર્થિકો (૩) ઉપમાન = દ્વીપનો વાયુ, ઉપમેય = સ્વતીર્થિકો તેમજ (૪) દેશ આરાધક અને દેશવિરાધક, સર્વ આરાધક અને સર્વ વિરાધક વગેરે વર્ણન છે. श्री आगमगुणमंजूषा २३ 5719 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ WW听听% %$$$$$$$$%%% SSSSSSSSSSSSSSS સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ | KKKK કકકકકકકકકકકકJUઈ છે (૧૧) નગમનઃ ઉદક(પરિખોદક) - પુદ્ગલ પરિણતિ (૧૯) અધ્યયનઃ પુંડરીક આ અધ્યયનમાં પુષ્કલાવતીના મહાપદ્મરાજાના પુંડરીક અને કુંડરીક એ બે આ અધ્યયનમાં ચંપા નગરીના જિતરાત્રુ નામના રાજાના સુબુદ્ધિ નામના અમાત્ય રાજકુમાર ભાઈઓમાંથી પુંડરીકનું યુવરાજ થવું અને ધર્મશ્રવણ પછી શ્રમણોપાસક થવું, દ્વારા દુગંધિત પરિખાના જળને શુદ્ધ કરાવવું અને રાજાની સેવા કરવી, પુદ્ગલ પરિણતિની પ્રવ્રજ્યા અને અંતે નિર્વાણની કથા છે. જાણ, રાજાને પ્રતિબોધ, સ્થવિરોનું આગમન, રાજા અને અમાત્યની પ્રવ્રજ્યા અને પછી (૨) ધર્મક્યા - શ્રુતરકંધ કે અધ્યયન વગેરે કક્ષા આપવામાં આવી છે. ૧) ચમરે અગમહિષી વર્ગ (૧૩) અધ્યયન દૂર - સત્સંગના અભાવે આત્મગુણોનો અપકર્ષ (૧) અધ્યયન : કાલી આ અધ્યયનમાં રાજગૃહમાં ભગવાન મહાવીરનું સમવસરણ, નંદ મણિકારનું જીવન આ અધ્યયનમાં રાજગૃહમાં ચમરેન્દ્ર રાજાની પટરાણી કાલી ભગવાન મહાવીરના વર્ણન, તેની તપશ્ચર્યા અને ધર્મારાધનને અંતે મહાવિદેહમાં નિર્વાણ સુધીની ક્યા છે. સમવસરણમાં આગમન, ભગવાન ગૌતમ દ્વારા કાલીદવી વિષે જિજ્ઞાસા, ભગવાન મહાવીર (૧૪) અધ્યયન તેટલીપુત્ર દ્વારા કાલીદેવીના પૂર્વભવની આરાધના વગેરે કથા છે. આ અધ્યયનમાં તેતલપુરના કનકરથ રાજાના અમાત્ય તતલીપુત્ર તેના પોટિલા (૨-૫) અધ્યયનોના રાજી નામના અધ્યનમાં ચમરેન્દ્ર રાજાની મુખ્ય રાણીઓમાં સાથે લગ્ન વગેરેથી શરૂ કરીને તેના જ્ઞાન સંપન્ન જીવન અને સિદ્ધપદની કથા છે. રાણી રાજીના, રજની નામના અધ્યયનમાં રાણી રજનીના, વિધુત નામના અધ્યયનમાં (૧૫) અધ્યયન: નંદીકલ - અજાણ્યફળ ખાવાનો નિષેધ રાણી વિધુતુ ના અને મેઘા નામના અધ્યયનમાં રાણી મેઘાના પૂર્વભવની આરાધના, આ અધ્યયનમાં કનકકેતુ રાજાની અહિચ્છત્રા નગરીમાં ધન્ના હોઠનું વ્યાપાર અર્થે પ્રવજ્યા વગેરેની કથા છે. જતા માર્ગમાં સાથીઓ દ્વારા નંદીફળ ખાવાથી મૃત્યુ અને ન ખાનારાઓનો બચાવ, * ૨) બલેન્દ્ર અગ્રમહિષી વર્ગ ધન્નારોઠની પ્રવ્રજ્યા, મહાવિદેહમાં જન્મ અને નિર્વાણની કથા આપવામાં આવી છે. (૧-૫) અધ્યયનોના શુંભા નામના અધ્યયનમાં બલેન્દ્ર રાજાની મુખ્ય પાણીમાં (૧૬) અધ્યયન: અપરકંકા- ફળ મેળવવાની ઈચ્છાનો નિષેધ શુંભાદેવીના, નિશુંભા નામના અધ્યયનમાં રાણી નિશુંભાના, રંભા નામના અધ્યયનમાં આ અધ્યયનમાં નાગથી બ્રાહ્મણીના બે ભવની કથા તેમજ દ્રૌપદીનું અમરકંકાના રાણી રંભાના, નિરંભાનામના અધ્યયનમાં રાણી નિરંભાના અને મદના નામના અધ્યયનમાં રાજા પદ્મનાભ દ્વારા અપહરણ, દ્રૌપદીની તપ-આરાધના અને શ્રીકૃષ્ણ દ્વારા દ્રૌપદીને રાણી મદનાના પૂર્વભવની આરાધના, પ્રવજ્યા વગેરેની કથા છે. છોડાવવી અને અંતે અંતિમ આરાધના દ્વારા મહાવિદેહમાં જન્મ અને નિર્વાણની કથા છે. ૩) શરણાદિ અગમહિષી વર્ગ (૧૭) અધ્યયન: અશ્વ (૧-૬) આ અધ્યયનોના દૂલા નામના અધ્યયનમાં ધરણેન્દ્રની મુખ્ય રાણીઓમાં આ અધ્યયનમાં હસ્તિ શીર્ષ નગરના રાજા કનકકેતુના વહાણના વેપારીઓ દ્વારા રાણી દુલાના, કમા નામના અધ્યયનમાં રાણી કમાના, સંતરા નામના અધ્યયનમાં કાલિકીપના શ્રેષ્ઠ અશ્વોને શબ્દ, સ્પર્શ આદિ આસક્તિજનક દ્રવ્યોથી વશ કરીને રાજા રાણી સંતરાના, સૌદામની નામના અધ્યયનમાં રાણી સૌદામનીના, ઈન્દ્રા નામના કનકકેતુને દાન કરવાની કથા છે. આ કથા દ્વારા ઈન્દ્રિય વિજય અને ઈન્દ્રિયલોલુપતાના અધ્યયનમાં રાણી ઇન્દ્રાના અને ધના નામના અધ્યયનમાં રાણી ધનાના પૂર્વભવની ગુણ-અવગુણની ભગવાન મહાવીર હિતશિક્ષા આપે છે. આરાધના, પ્રવ્રજ્યા વગેરેની કથા છે. (૧૮) અધ્યયનઃ સુંસુમાં (૭-૫૪) વળી વેણુદેવેન્દ્રની છ મુખ્યરાણીઓથી લઈને ઘોષેન્દ્રની છ મુખ્યરાણીઓના આ અધ્યયનમાં રાજગૃહના ધન્નાશેઠ, તેની પત્ની ભદ્રા, તેમના પાંચ પુત્રો અને અધ્યયનો મળીને કુલ ૪૮ અધ્યયનોમાં તે તે રાણીઓએ પૂર્વભવમાં કરેલી આરાધના, પુત્રી સુંસુમાં, દાસપુત્ર ચિલાત દ્વારા પુત્રીનું અપહરણ અને મસ્તક છેદ કરી નાસી જવું, પ્રવ્રજ્યા વગેરેની કથા છે. ચિલાતને શોધવા નીકળેલા શેઠ અને પાંચ પુત્રો દ્વારા ભૂખને લીધે અતિ વ્યાકુળ ચિલાતનું ૪) ભૂતાનંદાદિ અગમહિષી વર્ગ મરણ અને અંતે ધર્મશ્રવણ, પ્રવ્રજ્યા ગ્રહણ, અધ્યયનને અંતે મહાવિદેહમાં જન્મ અને નિર્વાણની કથા છે. (૧-૬) આ અધ્યયનોનાફુચા નામના અધ્યયનમાં ભૂતાનંદની મુખ્યરાણીઓમાં રાણી રુચાના, સુરુચા નામના અધ્યયનમાં રાણી સુરુચાના, રુચાંસા નામના અધ્યયનમાં રાણી 見乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听用明于华中明中中中中中华军甲甲明明华中华心 %%%%%%%%%%%%%%%%% %%%%%SO જિક ક કા ક્ક્ષપ ષ EWS - YO'Cછે. બાગાગુorમ કૂવા - ૨૪ KM FKH Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * રુચાંસાના, રુચકાવતી નામના અધ્યયનમાં રાણી રુચકાવતીના અને રુચકાંતા નામના અધ્યયનમાં રાણી રુચકાંતાના પૂર્વભવની આરાધના પ્રવ્રજ્યા વગેરેની કથા છે. (૭-૫૪) વળી મહાઘોષની છ રાણીઓ સુધીના કુલ ૪૮ અધ્યયનોમાં તે તે રાણીઓએ પૂર્વભવમાં કરેલી આરાધના, પ્રવ્રજ્યા વગેરેની ક્યા છે. ૫) પિશાચાદિ અગ્રમહિષી વર્ગ (૧) અધ્યયન : કમલા આ અધ્યયનમાં પિશાચેન્દ્રની મુખ્ય રાણી કમલાદેવીના પૂર્વભવની આરાધના, પ્રવ્રજ્યા વગેરેની કથા છે. સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ (૨-૩૨) આ બધાં અધ્યયનોમાં અનુક્રમે કમલપ્રભા, ઉત્પલા, સુદર્શના, રૂપવતી, બહુરૂપા, સુરૂપા, સુભગા, પૂર્ણા, બહુપુત્રિકા, ઉત્તમા, ભાર્યા, પદ્મા, વસુમતી, કનકા નકપ્રભા, વાંસા, કેતુમતી, વજ્રસેના, રતિપ્રિયા, રોહિણી, નમિતા, હ્રી, પુષ્પવતી, ભુજગા, ભુજગવતી, મહાચ્છા, અપરાજિતા, સુઘોષા, વિમલા, સુસ્વરા અને સરસ્વતી એમ કુલ ૩૧ રાણીઓના પૂર્વભવના આરાધના, પ્રવ્રજ્યા વગેરેની કથા છે. ૬) મહાકાલેન્દ્રાદિ ગ્રમહિષી વર્ગ (૧-૩૨) આ અધ્યયનોમાં મહાકાલેન્દ્ર વગેરેની ૩૨ રાણીઓના પૂર્વભવની આરાધના, પ્રવ્રજ્યા વગેરેની કથા છે. ૭) સૂર્ય અગ્રમહિષી વર્ગ (૧-૪) આ અધ્યયનોમાં અનુક્રમે સૂરપ્રભા, આતપા, અર્ચિમાલી અને પ્રશંકરાનામની સૂર્યની ચાર મુખ્યરાણીઓના પૂર્વભવની કથા છે. ૮) ચંદ્રમહિષી વર્ગ (૧-૪) આ અધ્યયનોમાં અનુક્રમે ચંદ્રપ્રભા, જ્યોત્સ્નાભા, અર્ચિમાલી અને પ્રશંકરા નામની ચંદ્રની ચાર મુખ્ય રાણીઓના પૂર્વભવની કથા છે. ૯)શન અગ્રમહિષી વર્ગ (૧-૮) આ અધ્યયનોમાં અનુક્રમે પદ્મા અને શિવાના શ્રાવસ્તી નગરીના પૂર્વભવની, સતી અને અંજૂના હસ્તિનાપુરના પૂર્વભવની, રોહિણી અને નવમિકાના કપિલપુરના પૂર્વભવની તેમજ અચલા અને અપ્સરાના સાકેતનગરના પૂર્વભવની કથા છે. ૧૦) ઈશાનેન્દ્ર અગ્રમહિષી વર્ગ (૧-૮) આ અધ્યયનોમાં અનુક્રમે કૃષ્ણા અને કૃષ્ણરાજીના વારાણસી નગરીના પૂર્વભવની, રામા અને રામરક્ષિતાના રાજગૃહ નગરીના પૂર્વભવની, વસુ અને વસુગુપ્તાના શ્રાવસ્તી નગરીના પૂર્વભવની તેમજ વસુમિત્રા અને વસુંધરાના કૌશામ્બી નગરીના પૂર્વભવની કથા છે. * श्री आगमगुणमंजूषा २५ 乐乐出乐乐乐乐乐乐乐乐出乐乐乐乐消消消消消消乐出乐 5 5 5 5 5 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR७%$$55555555H (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंघो?- अन्झयणं उक्खिते पिटुंको 555555555555%Essexoly DSCF明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐SC सिरि उसाहदेव सामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदय यास णाहाणं णमो। नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो। सिरि सुगुरु - देवाणं णमो । पंचमगणहरभयवंसिरिसुहम्मसामिविरिइयं छट्ठमंगं णायाधम्मकहाओ ज पढमो सुयक्खंधो ***पढमं अज्झयणं 'उक्खित्ते' ★★★ || ॐ नमः सर्वज्ञाय ॥ १. ते णं काले णं ते णं समए णं चंपा णाम णयरी होत्था, वण्णओ। २. तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तमपुरत्थिमे दिसीभाए पुण्णभद्दे नामं चेतिए होत्था, वण्णओ । ३. तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिए नाम राया होत्था, वण्णओ। ४. ते णं काले णं तेणं समए णं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अज्जसुहम्मे णाम थेरे जातिसंपण्णे कुलसंपण्णे बल-रूव-विणय-णाण-दसणचरित्त-लाघवसंपण्णे ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोहे जिइंदिए जियनिद्दे जियपरीसहे जीवियासा-मरणभयविप्पमुक्के तवप्पहाणे गुणप्पहाणे एवं करण० चरण निग्गह० णिच्छय० अज्जव० मद्दव० लाघव० खंति० गुत्ति० मुत्ति० १० विज्जा० मंत० बभं० वेय० नय० नियम० सच्च० सोय० णाण० दंसण० चरित्त० २१ ओराले घोरे घोरव्वए घोरतव्वसी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेयलेस्से चउद्दसपुव्वी चउणाणोवगते पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूतिज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपा नगरी जेणेव पुण्णभद्दे चेतिए तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति । ५. तते णं चंपाए नयरीए परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगया । ६. ते णं काले णं ते णं समए णं अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स जेट्टे अंतेवासी अज्जजंबूणाम अणगारे कासवे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव अज्जुसुहम्मस्स थेरस्स अदूरसामंते उडुंजाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगते संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति । ७. तते णं से अज्जजंबूणामे जायसड्ढे जायसंसए जायकोउहल्ले, संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोउहल्ले, उप्पण्णसड्ढे उप्पण्णसंसए उप्पण्णकोउहल्ले, समुप्पण्णसड्ढे समुप्पण्णसंसए समुप्पण्णकोउहल्ले उठाए उद्वेति, उठाए उद्वित्ता जेणामेव अज्जसुहम्मे थेरे तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता, अज्जसुहम्मे थेरे तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति, करित्ता वंदति णमंसति, वंदित्ता णमंसित्ता अज्जसुहम्मस्स थेरस्स णच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे पंजलिउडे विणएणं पज्जुवासमाणे एवं वदासी जति णं भंते समणेणं भगवता महावीरेणं आइगरेणं तित्थकरेणं सहसंबुद्धेणं पुरिसुत्तमेणं पुरिससीहेणं पुरिसवरपुंज्रीएणं पुरिसवरगं धहत्थिणा लोगुत्तमेणं लोगणाहेणं लोगपईवेणं लोयपज्जोयगरेणं अभयदएणं सरणदएणं चक्खुदएणं मग्गदएणं बोहिदएणं धम्मदएणं धम्मदेसएणं धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टिणा अप्पडि हयवरनाणदं सणधरेणं विअट्टछ उमेणं जिणेणं जाणएणं बुद्धेणं बोहएणं मुत्तेणं मोयगेणं तिण्णेणं तारएणं सव्वनेणं सव्वदरिसणेणं सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तयं सासयं ठाणमुवगतेणं पंचमस्स अंगस्स अयमढे पण्णत्ते, छट्ठस्स णं अंगस्स भंते ! णायाधम्मकहाणं के अढे पण्णत्ते ? जंबू ! ति अज्जसुहम्मे थेरे अज्जजंबूणामं अणगारं एवं वदासी । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता महावीरेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स दो सुतक्खंधा पण्णत्ता, तंजहा- णायाणि य धम्मकहाओ य । जति णं भंते ! समणेणं भगवता महावीरेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स दो सुतक्खंधा पण्णत्ता तंजहा-नायाणि य धम्मकहाओ य, पढमस्स णं भंते ! सुतक्खंधस्स समणेणं जाव संपत्तेणं णायाणं कति अज्झयणा पण्णत्ता ? एवं खलु जंबु ! समणेणं जाव संपत्तेणं णायाणं एगूणवीसं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा उक्खित्तणाए १ संघाडे २ अंडे ३ कुम्मे य ४ सेलगे ५। तुंबे य ६ रोहिणी ७ मल्ली ८ मायंदी ९ चंदिमा इ य १०॥१॥ दावद्दवे ११ उदगणाए १२ मंडुक्के १३ तेयली इ य १४ । णंदिफले १५ अवरकंका १६ आतिण्णे १७ सुंसुमा इय १८ ॥२|| अवरे य पुंडरीए णाए एगूणवीसतिमे १९।३ १/२। जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं णायाणं एगूणवीसं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा उक्खित्तणाए जाव पुंडरीए ति य, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स TO听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听G સૌજન્ય :- પ. પૂ. સાધ્વી શ્રી ચારૂલતાશ્રીજીના પ્રેરણાથી મુલુન્ડ (પશ્ચિમ) અચલગચ્છના ભાઈ બહેનો તરફથી ) To 9 श्री आगमगुणमजूषा - ५९१ $$$$ $$ $$$$ONOR Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ POR95555555555555म (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो १ - अज्झयणं उक्खिते पिट्ठको 555 乐乐折折乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐所乐乐乐 2 के अटे पण्णत्ते ? ८. एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्डभरहे रायगिहे णामे नवरे होत्था, वण्णओ । गुणसिलए $ चेतिए, वण्णओ। तत्थण रायगिहे नगरे सेणिए णाम राया होत्था, महताहिमवंत०, वण्णओ। तस्सणं सेणियस्सरणोणंदा णाम देवी होत्था सूमालसुकुमालपाणिपादा, वण्णओ। तस्स णं सेणियस्स पुत्ते णंदाए देवीए अत्तए अभए णाम कुमारे होत्था अहीण जाव सुरूवे साम-दंड-भेय-उवप्पयाणणीतिसुप्पउत्तणयविहण्णू ईहा-वूहमग्गण-गवेसणअत्थसत्थमतिविसारए उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मयाए पारिणामियाए चउव्विहाए बुद्धीए उववेए, सेणियस्स रण्णो बहूसु कज्जेसु य कुटुंबेसु य मंतेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य णिच्छएसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे मेढी पमाणं आहारे आलंबणं चक्खू मेढीभूए पमाणभूए आहारभूए आलंबणभूए चक्खुभूए सव्वकज्जेसु सव्वभूमियासु लद्धपच्चए विइण्णवियारे रज्जधुरचिंतए यावि होत्था, सेणियस्स रण्णो रज्जं च रट्टं च कोसं च कोट्ठागारं च बलं च वाहणं च पुरं च अंतेउरं च सयमेव समुवेक्खमाणे २ विहरति । ९. तस्स णं सेणियस्स रण्णो धारिणी नाम देवी होत्था जाव सेणियस्स रण्णो इट्ठा जाव विहरइ । तते णं साफ 5 धारिणी देवी अण्णया कयाइ तंसि तारिसगंसि छक्कट्ठकलट्ठ - मट्ठसंठियखं - भुग्गतपवरवरसालभंजियउज्जलमणिकणगरतणथूभियविडंकजालद्धचंदणिज्जूहंतरकणयालिचंदसालियाविभत्तिक लिए सरसच्छ वाडवलवण्णरइए बाहिरओ दूमियघट्ठमढे अभंतरओ पसत्तसुचिलिहियचित्तकम्मे नाणाविहपंचवण्णमणिरयण-कोट्टिमतले पउमलया-फुल्लवल्लि-वरपुप्फजातिउल्लोयचित्तियतले वंदणवरकणग-कलससुणिम्मियपडिपुंजियसरसप3 उमसोहंतदारभाए पयरगलंबंतमणिमुत्तदामसुविरइयदारसोहे सुंगंधिवरकुसुममउयपम्हलसयणोवयारमणहिययनिव्वुइकरे कप्पूरलवंगमलयचंदणकालगरुपवर कुंदरुक्कतुरुक्कघूवडज्झंतसुरभिमघमघेतगंधुद्धयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूते मणिकिरणपणासियंधकारे, किं बहुणा ? जुइगुणेहिं सुरवरविमाणवेलंबवरघरए तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि सालिंगणवट्टिए उभयोविब्बोयणे दुहओ उण्णए मज्झे णयगंभीरे गंगापुलिणवालुयउद्दालसालिसए ओयवियखोमदुगुल्लपट्टपडिच्छयणे अत्थरय-मलय-नवतय-कुसत्त-लिंब-सीहकेसरपच्चुत्थिए सुविरइरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे आइणग-रूय-बूर-णवणीयतुल्लफासे पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी एणं महं सत्तस्सेहं रययकूडसन्निहं नयलंसि सोमं सोमागारं लीलायंतं जंभायमाणं मुहमतिगयं गयं पासित्ताणं पडिबुद्धा । तते णं सा धारिणी देवी अयमेयारूवं ओरालं कल्लाणं सिवं धन्नं मंगल्लं सस्सिरीयं महासुमिणं पासित्ताणं पडिबुद्धा समाणी हट्टतुट्ठा चित्तमाणंदिया पीतिमणा परमसोमणंसिया हरिसवसविसप्पमाणहियया धाराहयकलंबपुप्फगं पिव समूसवियरोमकूवा तं सुमिणं ओगिण्हित्ता सयणिज्जाओ उठेति, उतॄत्ता पायपीढातो पच्चोरुहति, पच्चोरुहित्ताई अतुरियमचवलमसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसाए गतीए जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता सेणियं रायं ताहिं इठ्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुण्णाहिमणामाहिं ओरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धन्नाहिं मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं हिययगमणिज्जाहिं हिययपल्हायणिज्जाहिं मियमहुररिभियगंभीरसस्सिरीयाहिं गिराहिं संलवमाणी संलवमाणी पडिबोहेति, पडिबोहेत्ता सेणिएणं रण्णा अब्भणुन्नाया समाणी णाणामणिकणगरयणभत्तिचित्तंसि भद्दासणंसि णिसीयति, णिसीइत्ता आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट सेणियं एवं वयासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! अज्जतंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसालिंगणवट्टिए जाव नियगवयणमइवयंतं गयं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तं एयस्स णं देवाणुप्पिया ! ओरालियस्स कल्लाणस्स सिवस्स धन्नस्स मंगलस्स जाव सुमिणस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सति ? । १०. तते णं सेणिए राया धारिणीए देवीए अंतिए एयमटुं सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हियए धाराहयनीवसुरभिकुसुमचुचुमालइयतणू ऊसवियरोमकूवे तं सुमिणं ओगिण्हति, ओगिण्हित्ता ईहं पविसत्ति पविसित्ता अप्पणो साभाविएणं मइपुव्वएणं बुद्धिविण्णाणेणं तस्स सुमिणस्स अत्थोग्गहं करेति, करित्ता धारिणिं देविं ताहिं जाव हिययपल्हायणिज्जाहिं मिउमहुररिभितगंभीरसस्सिरीयाहिं वग्गूहिं अणुवूहमाणे # अणुवूहमाणे एवं वयासी ओराले णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दिट्ठ, कल्लाणे णं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे दिखे, धन्ने मंगल्ले सस्सि एणं तुमे देवाणुप्पिए ! सुमिणे २ दिढे आरोग्गतुट्ठिदीहाउयकल्लणमंगलकारए णं तुमे देवाणुप्पिए सुमिणे दिढे, अत्थलाभो ते देवाणुप्पिए !, पुत्तलाभो ते देवाणुप्पिए!, सोक्खलाभो ते देवाणुप्पिए!, Erosoft श्री आगमगुणमजूषा - ५९२555 5OR C乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$2G Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४२ 546 (4) () 65 रज्जलाभो ते देवाणुप्पिए !, भोगलाभो ते देवाणुप्पिए !, एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अद्घट्टमाण य रातिदियाणं वितिक्कंताणं अम्हं कुलकेउं कुलकेउं कुलदीवं कुलपव्वयं कुलवडिंसयं कुलतिलकं कुलकित्तिकरं कुलवित्तिकरं कुलणंदिकरं कूलजसकरं कुलाधारं कुलपायवं कुलविवर्द्धणकरं सुकुमालपाणिपायं जाव दारयं पयाहिसि । से वि य णं दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णयपरिणयमेते जोव्वणगमणुपत्ते सूरे वीरे विक्कते वित्थिण्णविपुलबलवाहणे रज्जवती राया भविस्सति, तं ओराले णं तुमे देवाणुप्पिए सुमिणे दिट्ठे जाव आरोग्गतुट्ठिदीहाउकल्लाणमंगलकारए णं तुमे देवी! सुमिणे दिट्ठे त्ति कट्टु भुज्जो अणुवहति । ११. तते णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणी हट्टतुट्ठा जाव हियया करतलपरिग्गहियं जाव अंजलि कट्टु एवं वदासी- एवमेयं देवाणुप्पिया ! तहमेयं देवाप्पिया ! अवितहमेयं देवाणुप्पिया ! असंदिद्धमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छियपडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! सच्चेणं समजंतुभे वदह त्ति कट्टु तं सिमिणं सम्मं पडिच्छति, पडिच्छित्ता सेणिएणं रण्णा अब्भणुण्णाता समाणी णाणामणिकणगरयणभत्तिचित्तातो भद्दासणातो अति, अत्ता जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छिता सयंसि सयणिज्जंसि णिसीयइ, णिसीइत्ता एवं वदासी-मा मे से उत्तमे पहाणे मंगल्ले सुमिणे अन्नेहिं पावसिमिणेहिं पडिहम्मिहिति त्ति कट्टु देवय-गुरुजणसंबद्धाहिं पसत्थाहिं धम्मियाहिं कहाहिं सिमिणजागरियं पडिजागरमाणी पडिजागरमाणी विहरति । १२. तते णं सेणिए राया पच्चूसकालसमयंसि कोडुंबियपुरिसे सहावेति, सद्दावेत्ता एवं वदासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! बाहिरियं उवट्ठाणसालं अज्ज सविसेसं परमरम्मं गंधोदगसित्तसुइयसम्मज्जितोवलित्तं पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं कालागरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्क धूवडज्झतमघमघेतगंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूतं करेह कारवेह य, करेत्ता कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तते णं ते कोडुंबियपुरिसा सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव पच्चप्पिणंति । तते णं से सेणिये राया कल्लं पाउप्पभाताए रयणीए, फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिलियंमि अह पंडरे पभाते, रत्तासोगपगास-किंसुय- सुयमुह-गुंजद्धबंधुजीवग-पारावयचलणणयण-परहुतसुरत्तलोयण-जासुमणकुसुम-जलितजलण- तवणिज्जकलस- हिंगुलुय-निगररूवाइरेगरेहंतसस्सिरीए दिवारे अह उदिते, तस्स दिणकरपरंपरोयारपरद्वंमि अंधयारे, बालातवकुंकुमेण खचिते व्व जीवलोए, लोयणविसयाणुतासविगसंतविसददंसियंसि लोए, कमलागरसंडबोहए उट्टियंमि सूरे सहस्सरस्सिमि दिणयरे तेयसा जलंते सयणिज्जातो उट्ठेति, उट्ठेत्ता जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता अट्टणसालं अणुपविसति, अणुपविसित्ता अणेगवायामजोग वग्गण- वामद्दण-मल्लजुज्झ करणेहिं संते परिस्संते, सयपाग-सहस्सपागेहिं सुगंध-वरतेल्लमादिएहिं पीणणिज्जेहिं दीवणिज्जेहिं दप्पणिज्जेहिं मणिज्जेहिं विहणिज्जेहिं सव्विदियगायपल्हायणिज्जेहिं अब्भंगेहिं अब्भंगिए समाणे, तेल्लचम्मंसि पडिपुण्ण-पाणिपायसुकुमालकोमलतलेहिं पुरिसेहिं छेएहिं दक्खेहिं पट्टेहिं कुसलेहिं मेहावीहिं णिउणेहिं णिउणसिप्पोवगतेहिं जियपरिस्समेहिं अब्भंगणपरिमद्दणुव्वलणकरण गुणणिम्माएहिं अट्ठिसुहाए मंससुहाए तयसुहाए रोमसुहाए चउव्विहाए संवाहणाए संवाहिए समाणे अवगयपरिस्समे णरिदे अट्टणसालातो पडिणिक्खमति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसति, अणुपविसित्ता समत्तजालाभिरामे विचित्तमणिरयणकोट्टिमतले रमणिज्जे ण्हाणमंडवंसि णाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि ण्हाणपीढंसि सुहणिसण्णे सुहोदगेहिं गंधोदगेहिं पुप्फोदगेहिं सुद्धोदएहि य पुणो पुणो कल्लाणग-पवरमज्जणविहीए मज्जिए, तत्थ कोउयसतेहिं बहुविहेहिं कल्लाणपवरमज्जणावसाणे पम्हलसुकुमालगंधकासाइलूहियंगे, अहतसुमहग्घदूसरयणसुसंवृते सरससुरभि गोसीसचंदणाणुलित्तगत्ते सु मालावण्णगविलेवणे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पितहारद्धहारतिसरयपालंबपलंबमाणकडिसुत्तसुकयसोहे पिणद्धगेवेज्ज-अंगुलेज्जगललियं गयललियकयाभरणे णाणामणिक डगतुडियथंभियभुए अहियरूवसस्सिरीए कुंडलुज्जोवियाणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकतरइयवच्छे मुद्दियापिंगलंगुलीए पालंबपलंबमाणसुकयपङउत्तरिज्जे पाणामणिकणगरयणविमलमहरिहणिउणोवियमिसि - मिसितविरइयसुसिलिट्ठविसिठ्ठलट्ठसंठियपसत्यआविद्धवीरवलए, किं बहुणा ? कप्परुक्खए विवसुअलंकियविभूसिए णरिदे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चउचामरवालवीइयंगे मंगलजयसद्दकयालोए अणेगगणणायग-दंडणायग55 श्री आगमगुणमंजूषा ५९३ SONOR Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IKO S S S S S $$$$$$$$ $$ (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो १ अज्झयणं उक्खिते पिट्टको - [४] राईसर-तलवर- माडंबिय - कोडुंबिय मंति- महामंति गणग-दोवारिय-अमच्च- चेड- पीढमद्द-नगर-निगम-सेट्ठि - सेणावति सत्यवाह दूयसंधिवाल सद्धिं संपरिवुडे धवलमहामेह - णिग्गए विव गहगणदिप्पंतरिक्खतारागणाण मज्झे संसि व्व पियदंसणे णरवती मज्जणघरातो पडिणिक्खमति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छिति, उवागच्छत्ता सीहासणवरगते पुरत्याभिमुहे सन्निसण्णे । तते णं से सेणिए राया अप्पणो अदूरसामंते उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे अभासणाई सेयवत्थपच्चत्थुयाइं सिद्धत्थमंगलोवयारकतसंतिकम्माई रयावेति, रयावेत्ता णाणामणिरयणमंडियं अहियपेच्छणिज्नरूवं महग्घवरपट्टणुग्गयं सहब हुभत्तिसयचित्तद्वाणं ईहामिय उसम -तुरय-र-मगर - विहग वाल- किंनर- रुरु- सरभ- चमर- कुंजर वणलय-पउमलयभत्तिचित्तं सुखचियवरकणगपवरपेरंतदेसभागं अब्भिंतरियं जवणियं अंछावेइ, अंछावेत्ता अत्थरगमउयमसूरओत्थइयं धवलवत्थपच्चत्थुयं विसिद्धं अंगसुहफासयं सुमउयं धारीण देवीए भद्दासणं रयावेति, रयावेत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वदासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अट्ठगमहाणिमित्तसुत्तत्थपाढए विविहसत्थकुसले सुमिणापाढए सद्दावेह, सद्दावेत्ता एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह। तते णं ते कोडुंबियपुरिसा सेणिएणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्टतुट्ठा जाव हियया करयलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अजलिं कट्टु एवं देवो तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता सेणियस्स रण्णो अंतियातो पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमेत्ता रायगिहस्स नगरस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव सुमिणपाढगगिहाणि तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सुमिणपाढए सद्दावेंति । तते णं ते सुमिणपाढगा सेणियस्स रण्णो कोडुंबियपुरिसेहिं सद्दाविया समाणा हट्ठतुट्ठा जाव हियया पहाता कतबलिकम्मा जाव पायच्छित्ता अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा हरियालियसिद्धत्थयकयमुद्धाणा सहिं एहिं गेहेहिंतो पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमित्ता रायगिहस्स मज्झमज्झेणं जेणेव सेणियस्स रण्णो भवणवडेंसगदुवारे तेणेव उवागच्छंति, एगतओ उवागच्छित्ता मिलायंति, मिलाइत्ता सेणियस्स रण्णो भवणवडेंसगदुवारेणं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सेणिए या व गच्छति, उवागच्छित्ता सेणियं रायं जएणं विजएणं वद्धावेति, सेणिएणं रण्णा अच्चिय-वंदिय-माणिय-पूइय-सक्कारिय- सम्माणिया समाणा पत्तेयं पत्तेयं पुव्वन्नत्थेसु भद्दासणेसु निसीयंति । तते णं सेणिए राया जवणियंतरियं धारिणि देवि ठवेति, ठवेत्ता पुप्फफलपडिपुण्णहत्थे परेणं विणएणं ते सुमिणपाढए एवं वदासी एवं खलु देवाप्पिया ! धारिणी देवी अज्ज तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि जाव महासुमिणं पासित्ताणं पडिबुद्धा, तं एयस्स णं देवाणुप्पिया ! ओरालस्स जाव सस्सिरीयस्स महाणिस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सति ? तते णं ते सुमिणपाढगा सेणियस्स रण्णो अंतिए एयमहं सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव हियया तं सुमिणं सम्मं ओगिण्हंति, ओगिण्हित्ता ईहं अणुपविसंति, अणुपविसित्ता अन्नमन्त्रेण सद्धिं संचालेति, संचालित्ता तस्स सुमिणस्स लद्धट्ठा पुच्छियट्ठा गहियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा सेणियस्स रण्णो पुरतो सुमिणसत्थाइं उच्चारेमाणा उच्चारेमाणा एवं वदासी एवं खलु अम्हं सामी ! सुमिणसत्यंसि बायालीसं सुमिणा, तीसं महासुमिणा, बावत्तरं सव्वसुमिणा दिट्ठा। तत्थ णं सामी ! अरहंतमायरो वा चक्कवट्टिमातरो वा अरहंतंसि वा चक्कवट्टिसि वा गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुमिणाणं इमे चोस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुज्झंति, तंजहा गय-उसभ-सीह-अभिसेय-दाम-ससि-दिणयरं झयं कुंभं । पउमसर-सागर-विमाणभवण-रणुच्चय-सिहिं च ॥ १॥ वासुदेवमातरो वा वासुदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं चोद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्नतरे सत्त महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुज्झति । बलदेवमायरो वा बलदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि वक्कममाणंसि एतेसिं चोद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्नतरे चत्तारि महासुमिणे पासिताणं पडिबुज्झति । मंडलियमायरो वा मंडलियंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसि चोद्दसण्हं महासुमिणाणं अन्नतरं एगं महासुमिणं पासित्ताणं पडिबुज्झति । इमे य सामी ! धारिणीए देवीए एगे महासुमिणे दिट्ठे, तं ओराले णं सामी ! धारिणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे, जाव आरोग्गतुट्ठिदीहाउकल्लाणमंगलकारए णं सामी ! धारिणीए देवीए सुमिणे दिट्ठे, अत्थलाभो सामी ! सोक्खलाभो सामी ! भोगलाभो सामी ! पुत्तलाभो सामी ! रज्जलाभो सामी ! एवं खलु सामी ! धारिणी देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव दारगं पयाहिति, सेवियदार उम्मुक्कबालभावे विण्णयपरिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विक्कंते वित्थिण्णविपुलबलवाहणे रज्जवती राया भविस्सति अणगारे वा भावियप्पा | 5 श्री आगमगणमंज 66666666666666667 Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HIRO930035555055854 मायावयापळया मुख्यालयो र मानविकताका 85%ERASARAMESTERes C$乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐中乐乐乐听听听听听听纲听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐6C र तं ओराले णं सामी ! धारिणीए देवीए सुमिणे दिटे, जाव आरोग्गतुट्ठि जाव दिढे त्ति कट्ट भुजो भुज्जो अणुव्हेति । तते णं सेणिए राया तेसिं सुमिणपाढगाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठ जाव हियए करयल जाव एवं वयासी एवमेयं देवाणुप्पिया! जाव जण्णं तुब्भे वदह त्ति कट्टतं सुमिणं सम्म पडिच्छति, पडिच्छित्ता ॥ ते सुमिणपाढए विपुलेणं असण-पाण-खादिम-सादिमेणं वत्थ-गंध-मल्लालंकारेण य सक्कारेति सम्माणेति, सक्कारित्ता सम्माणित्ता विपुलं जीवियारिहं पीतिदाणं दलयति, दलइत्ता पडिविसज्जेति। तते णं से सेणिए राया सीहासणाओ अब्भुढेति, अब्भुतुत्ता जेणेव धारिणी देवी तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता धारिणिं देविं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिए ! सुमिणसत्थंसि बायालीसं सुमिणा, तीसं महासुमिणा, जाव भुज्जो भुज्जो अणुवूहति । तते णं धारिणी देवी सेणियस्स रण्णो 5 अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव हियया तं सुमिणं सम्म पडिच्छति, पडिच्छित्ता जेणेव सए वासघरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता ण्हाया कयबलिकम्मा जाव विपुलाइं जाव विहरति । १३. तते णं तीसे धारिणीए देवीए दोसु मासेसु वीतिकंतेसु ततिए मासे वट्टमाणे तस्स गब्भस्स दोहलकालसमयंमि अयमेतारूवे अकालमेहेसु दोहले पाउन्भवित्था धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ, संपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओणं ताओ अम्मयाओ , कयपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयलक्खणाओ णंताओ अम्मयाओ, कयविहवाओ णं ताओ अम्मयाओ, सुलद्धे णं तासिं माणुस्सए जम्मजीवियफले जाओणं मेहेसु अब्भुग्गतेसु अब्भुज्जएसु अब्भुन्नतेसु अब्भुट्ठिएसु सगज्जिएसु सविज्जुएसु सफुसिएसु सत्थणिएसु धंतधोतरुप्पपट्ट-अंक-संख-चंद-कुंद-सालिपिठ्ठरासिसमप्पभेसु चिउरहरियालभेय-चंपग-सण-कोरेंटग-सरिसव-पउमरयसमप्पभेसु लक्खारस-सरस-रत्तकिंसुय-जासुमण-रत्तबंधुजीवग - जातिहिंगुलुय - सरसकुंकुम - उरब्भससरुहिर -इंदगोवगसमप्पभेसु बरहिण -नील - गुलिय- सुगचासपिच्छ- भिंगपत्त -सासग- नीलुप्पलनियर- नवसिरीसकुसुम- णवसद्दलसमप्पभेसु जच्चजण- भिगमेय- रिट्ठग- भमरावलि- गवल- गुलिय- कज्जलसमप्प- भेसु फुरंतविज्जुतसगज्जिएसु वायवसविपुलगगणचवलपरिसक्किरेसु, निम्मलवरवारिधारापगलियपयंडमारुयसमाहयसमोत्थरंतउवरिउवरितुरियवासं पवासिएसु, धारा-पहकरणिवायनिव्वाविय मेइणितले, हरियगणकंचुए, पल्लविय पायवगणेसु, वल्लिवियाणेसु पसरिएसु, उन्नतेसुसोभग्गवगतेसु, वेभारगिरिप्पवाततड- कडगविमुक्केसु उज्झरेसु, तुरियपधावियपलोट्टफेणाउलं सकलुसं जलं वहंतीसु गिरिणदीसु, सज्जज्जुण- नीव- कुडयकं दल सिलिंधक लिएसु उववणे सु, मेहरसियहद्वतुट्ठचिट्ठिय हरिसवसपमुक्ककं ठके कारवं मुयंतेसु बरहिणेसु उउवसमणियजयतरुणसहयरिपणच्चितेसु, णवसुरभिसिलिंधकु डयकं दलकयंबगंधद्धणि मुयंते सु उववणेसु, परहयरुयरिभित- संकुलेसु उद्दाइंतरत्तइंदगोवयथोवयकारुण्णविलवितेसु ओणयतणमंडिएसु ददुरपयंपिएसु संपिडियदरियभमरमहुकरिपहकरपरिलिंतमत्तछप्पयकुसुमासवलोलमधुरगुंजंतदेसभाएसु उववणेसु, परिसामियचंदसूरगहगणपणट्ठनक्खत्ततारगपहे इंदाउहबद्ध-चिंधपट्टसि अंबरतले उड्डिणबलागपंतिसोभंतमेहवंदे, कारंडग- चक्कवायकलहंसउस्सुय- करे संपत्ते पाउसंमि काले, पहायातो कयबलिकम्मातो कयकोउयमंगलपायच्छित्तातो, किं ते, वरपायपत्तणेउरमणिमेहलहाररइयउचियकडगखड्डयविचित्तवरवलयथंभियभुयाओ कुंडलउज्जोवियाणणाओ रयणभूसियंगीओ, नासानीसासवायवोज्झं चक्खुहरं वण्णफरिससंजुत्तं हयलालापेलवाइरेयं धवलकणयखचियंतकम्मं आगासफलिहसरिसप्पभं अंसुयं पवर परिहियाओ, दुगूलसुकुमालउत्तरिज्जाओ, सव्वोउयसुरभिकुसुमपवरमल्लसोभितसिराओ कालागरुधूवधूवियाओ सिरीसमाणवेसाओ सेयणगं गंधहत्थिरयणं दुरूढाओ समाणीओ सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चंदप्पभ-वइर- वेरुलियविमलदंड-संख- कुंद- दगरय- अमय-महिय- फेणपुंजसन्निगास- चउचमरवालवीजितंगीओ सेण्णिएणं रण्णा सद्धिं हत्यि घरगतेणं पिट्ठतो पिट्ठतो समणुगच्छ माणीओ चाउरंगिणीए सेणाए महता हयाणीएणं गयाणीएणं रहाणीएणं पायत्ताणीएणं सव्विड्डीए जाव निग्घोसणादितरवेणं रायगिहंणगरं सिंघा- डग-तिग- चउक्क- चच्चर- चउम्मुह- महापह- पहेसु आसित्तसित्तसुचियसंमज्जित्तोवलितं जाव सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं अवलोएमाणीओ अवलोएमाणीओ णागरजणेणं अमिणदिज्जमोणीओ अभिणंदिज्जमाणीओ गच्छलयारुक्खगुम्मवल्लिगुच्छोच्छइयं सुरम्मं वेभारगिरिकडगपायमूलं सव्वतो समंता goros555555555555555555555[ श्री आगमगुणमंजूषा ५९५ #5555555555555555555555555#POK 治$$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听約 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 区 FOR9555555555FFFFF (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो १ - अज्झयणं उक्खिते पिट्ठको - 955559ERIOR FOENOMY 2 ओलोएमाणीओ ओलोएमाणीओ आहिँडमाणीओ आहिँडमाणीओ दोहलं विणिति, तं जइ णं अहमवि मेहेसु अब्भुग्गएसु जाव दोहलं विणिज्जामि। १४. तए णं सा धारिणी देवी तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि असंपत्तदोहला असंपुण्णदोहला असंमाणियदोहला सुक्का भुक्खा णिम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा पमइलदुब्बला किलंता ओमंथियवयणनयणकमला पंडुइयमुही करयलमलियव्व चंपगमाला णित्तेया दीणविवण्णवयणा जहोचियपुप्फगंधमल्लालंकाराहारं अणभिलसमाणी किड्डारमणकिरियं च परिहावेमाणी दीणा दुम्मणा निराणंदा भूमिगयदिट्ठीया ओहयमणसंकप्पाजाव झियाति। ततेणं तीसे धारिणीए देवीए अंगपडियारियाओ अभितरियाओ दासचेडियाओ धारिणिं देविं ओलुग्गं जाव झियायमाणिं पासंति, पासित्ता एवं वदासी किण्णं तुमे देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ? तते णं सा धारिणी देवी ताहिं अंगपडिचारियाहिं अग्भितरियाहिं दासचेयिहिं एवं वुत्ता समाणी ताओ दासचेडियाओ णो आढाति, णो परियाणति, अणाढायमीणा अपरियाणमीणा तुसिणीया संचिठ्ठति, तते णं ताओ अंगपडिचारिगाओ अभितरियाओ दासचेडियाओ धारिणिं देविं दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासी-किन्नं तुमं देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव झियायसि ? तते णं सा धारिणी देवी ताहिं अंगपडिचारियाहिं अभितरियाहिं दासचेडियाहिं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्ता समाणी णो आढाति, णो परियाणति, अणाढायमीणा अपरियाणमीणा तुसिणीया संचिट्ठति । तते णं ताओ अंगपडिचारियाओ दासचेडियाओ धारिणीए देवीए अणाढातिज्जमाणीओ अपरिजाणिज्जमाणीओ तहेव संभंताओ समाणीओ धारिणीए देवीए अंतियाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करतलपरिग्गहियं जावं कट्ट जएणं विजएणं वद्धावेति, वद्धावेता एवं वदासी एवं खलु सामी ! किं पि अज्ज धारिणी देवी ओलुग्गए ओलुग्गसरीरा जाव अट्टज्झाणोवगया झियायति । तते णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म तहेव संभंते समाणे सिग्घं तुरियं चवलं वेइयं जेणेव धारिणी देवी तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता धारिणिं देवि ओलुग्गं ओलुग्गसरीरं जाव अट्टझाणोवगयं झियायमणिं पासति पासिता एवं वदासी किण्णं तुमं देवाणुप्पिए ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा जाव अट्टझाणोवगता झियायसि ? तते णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणी णो आढाइ णो परिजाणइ जाव तुसिणीया संचिट्ठति, तते णं से सेणिए राया धारिणिं देविं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वदासी किण्णं तुमं देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा जाव झियायसि । तते मणं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ता समाणी णो आढाति, णो परिजाणति, तुसिणीया संचिट्ठइ, ततेणं से सेणिए राया धारिणिं देविं सवहसावियं ॥ करेति, करेत्ता एवं वयासी किण्णं देवाणुप्पिए ! अमेयस्स अट्ठस्स अणरिहे सवणयाए ? ता णं तुम ममं अयमेयारूवं मणोमाणसियं दुक्खं रहस्सीकरेसि । तते णं ई सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना सवहसाविया समाणी सेणियं रायं एवं वदासी एवं खलु सामी ! मम तस्स उरालस्स जाव महासुमिणस्स तिण्हं मासाणं ॥ बहुपडिपुन्नाणं अयमेयारूवे अकालमेहेसुदोहले पाउब्भूए ‘धन्नाओणं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ, जाव वेब्भारगिरिपायमूलं आहिँडमाणीओ -दोहलं विणिति तं जइणं अहमवि जाव दोहलं विणिज्जामि' । तते णं हं सामी ! अयमेयारूवंसि अकालदोहलंसि अविणिज्जमाणंसि ओलुग्गा जाव अट्टज्झाणोवगया झियामि । तते णं से सेणिए राया धारिणीए देवीए अंतिए एयमढ़े सोच्चा णिसम्म धारिणिं देविं एवं वदासी मा णं तुमं देवाणुप्पिए ! ओलुग्गा जाव झियाहि, अहं णं ॥ तह करिस्सामि जहाणं तुझं अयमेयारूवस्स अकालदोहलस्स मणोरहसंपत्ती भविस्सति त्ति कट्ट धारिणिं देविं इट्टाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं वग्गूहिं समासासेति, समासासेत्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, तेणेव उवागच्छित्ता सीहासणवरगते पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे धारिणीए देवीए एयं अकालदोहलं बहूहिँ आएहिं य उवाएहिं य उप्पत्तियाहिं य वेणइयाहिं य कम्मियाहिं य परिणामियाहिं य बुद्धीहिं अणुचितेमाणे अणुचितेमाणे तस्स दोहलस्स आयं वा उवायं वा ठिइं वा उप्पत्तिं वा अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायति । १५. तयणंतरं च अभयकुमारे पहाते कयबलिकम्मे जाव सव्वालंकारविभूसिते पायवंदए पहारेत्थ गमणाए । तते णं से अभयकुमारे जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ, तेणेव उवागच्छित्ता सेणियं रायं ओहतमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासति, पासित्ता अयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिते पत्थितेमणोगते संकप्पे समुप्पज्जित्था-अण्णया ममं सेणिए राया एज्जमाणं पासति, पासित्ता आढाति, परिजाणति, X 555 5 555555 श्री आगमगुणमजूषा - १९६॥5555555555555555555555493GIOR 乐乐乐听听听听听听听听 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐蛋乐乐乐乐乐乐乐乐 乐乐所乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2C Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ (६) १ ********W 1) सक्कारेति, सम्माणेति, आलवति, संलवति, अद्धासणेणं उवणिमंतेति मत्थयंसि अग्घायति, इयाणिं ममं सेणिए राया णो आढाति, णो परियाणइ, णो सक्कारेइ, णो सम्माणे, णो इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहिं मणामाहिं ओरालाहिं वग्गूहिं आलवति संलवति, नो अद्धासणेणं उवणिमंतेति णो मत्थयंसि अग्घायति, किंपि ओहयमणसंकप्पे झियायति, तं भवियव्वं णं एत्थ कारणेणं, तं सेयं खलु मे सेणियं रायं एतमहं पुच्छित्तए, एवं संपेहेति, संपेहेत्ता जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेति वद्धावेत्ता एवं वदासी तुब्भे णं ताओ ! अन्नया ममं एज्नमाणं पासित्ता आढाह, परिजाणह, जाव मत्थयंसि अग्घायह, आसणेणं उवणिमंतेह, इयाणिं ताओ ! तुब्भे ममं नो आढाह जाव नो आसणेणं उवणिमंतेह, किंपि ओहयमणसंकप्पा झियायह, तं भवियव्वणं ताओ एत्थ कारणेणं तओ तुब्भे मम ताओ ! एयं कारणं अगुहमाणा असंकमाणा अनिण्हवमाणा अपच्छाएमाणा जहाभूतमवितहमसंदिद्धं एतमट्ठ माइक्खह, तते णं हं तस्स कारणस्स अंतगमणं गमिस्सामि । तते णं से सेणिए राया अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे अभयं कुमारं एवं वयासी एवं खलु पुत्ता ! तव चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए तस्स गब्भस्स दोस मासेसु अतिक्कंतेसु ततियमासे वट्टमाणे दोहलकालसमयंसि अयमेयारूवे दोहले पाउब्भवित्था धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव विणिति, तए णं हं पुत्ता ! धारिणीए देवीए तस्स अकालदोहलस्स बहूहिं आएहिं य उवाएहिं य जाव उप्पत्तिं अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियायामि, तुमं आगयंपि न याणामि तं एतेणं कारणेणं अहं पुत्ता ओहय जाव झियायामि तए से अभयकुमारे सेणियस्स रण्णो अंतिए एयमहं सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव हियए सेणियं रायं एवं वयासी माणं तुब्भे ताओ ! ओहयमण जाव झियायह, अहणणं तहा करिस्सामि जहा णं मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवस्स अकालदोहलस्स मणोरहसंपत्ती भविस्सति त्ति कट्टु सेणियं रायं ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं जाव समासासेइ, तते णं सेणिए राया अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठे जाव अभयं कुमारं सक्कारेति संमाणेति, सक्कारेत्ता संमाणेत्ता पडिविसज्जेति । १६. त से अभये कुमारे सक्कारियसम्माणियपडिविसज्जिए समाणे सेणियस्स रन्नो अंतियाओ पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता सीहासणे निसण्णे । तते णं तस्स अभयस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था 'नो खलु सक्का माणुस्सएणं उवाएणं मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अकालदोहलमणोरहसंपत्तिं करित्तए नन्नत्थ दिव्वेणं उवाएणं, अत्थि णं मज्झ सोहम्मकप्पवासी पुव्वसंगतिए देवे महिड्डीए जाव महासोक्खे, तं सेयं खलु मम पोसहसालाए पोसहियस्स बंभचारिस्स उम्मुक्कमणिसुवण्णस्स ववगयमालावण्णगविलेवणस्स णिक्खित्तसत्थमुसलस्स एगस्स अबीयस्स दब्भसंथारोवगयस्स अट्ठमभत्तं पगिण्हिता पुव्वसंगतियं देवं मणसीकरेमाणस्स विहरित्तए । तते णं पुव्वसंगतिए देवे मम चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवं अकालमेहेसु डोहलं विणेहिति । ' एवं संपेहेति, संपेहित्ता जेणेव पोसहसाला तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता पोसहसालं पमज्जति, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमिं पडिलेहेइ, पडिलेहित्ता डब्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता अट्ठमभत्तं पगिण्हइ पगिण्हिता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी जाव पुव्वसंगतियं देवं मणसीकरेमाणे २ चिट्ठति, तते णं तस्स अभयकुमारस्स अट्ठमभत्ते परिणममाणे पुव्वसंगतियस्स देवस्स आसणं चलति, तते णं पुव्वसंगतिए सोहम्मकप्पवासी देवे आसणं चलिय पासति, पासित्ता ओहिं पउंजति, तते णं तस्स पुव्वसंगतियस्स देवस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था 'एवं खलु मम पुव्वसंगतिए जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्डुभरहे रायगिहे नयरे पोसहसालाए पोसहिए अभए नाम कुमारे अट्ठमभत्तं पगिण्हेत्ताणं ममं मणसीकरेमाणे २ चिट्ठति, तं सेयं खलु ममं अभयस्स कुमारस्स अंतिए पाउब्भवित्तए' । एवं संपेहेइ, संपेहित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमति, अवक्कमित्ता वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणंति, समोहणित्ता संखेज्नाई जोयणाई दंडं निसिरति, निसिरित्ता तंजहा रयणाणं १ वइराणं २ वेरुलियाणं ३ लोहियक्खाणं ४ मसारगल्लाणं ५ हंसगब्भाणं ६ पुलगाणं ७ सोगंधियाणं ८ जोतीरसाणं ९ अंकाणं १० अंजणाणं ११ रयणाणं १२ जायरूवाणं १३ अंजणपुलगाणं १४ फलिहाणं १५ रिट्ठाणं १६ अहाबायरे पोग्गले परिसाडेइ, परिसाडेत्ता अहासुहुमे पोग्गले परिगिण्हति, परिगिण्हित्ता अभयकुमारमणुकंपमाणो देवो पुव्वभवजणियनेहपीतिबहुमाणजायसोगो तओ विमाणवरपुंडरीयाओ रणुत्माओ MOTOR श्री आगमगुणमंजूषा ५९७ 720 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ VOI9555555555555555y (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो १ - अन्झयणं उक्खिते पिट्ठको 55555555555555xox MOTOSS$$$$$$$$$$$$$$$$FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFSSSSSSSSSSMA घरणि- यलगमण--तुरितसंजणित- -गमणवयारो वाघुण्णित--विमलकण- -गपयरग--वडेंसग- मउडुक्कडाडो--वदंसणिज्जो अणेगमणि-कणगरतण-पहकरपरिमंडितभ- -त्तिचित्तविणिउत्तग- मणुगुणजणियहरिसो पिंखोलमाणवरललितकुंडलुज्जलियवयणगुणजणितसोम्मरूवो उदितो विव कोमुदीणिसाए सणिच्छरंगारकुज्जलियमज्झभागत्यो णयणाणंदो सरयचंदो दिव्वोसहिपज्जलुजलियदंसणाभिरामो उडुलच्छिसमत्तजायसोहो पइट्टगंधुद्धयाभिरामो मेरू विव णगवरो विगुब्वियविचित्तवेसो दीवसमुद्दाणं असंखपरिमाणनामधेज्जाणं मज्झकारेणं वीईवयमाणो वीईवयमाणो उज्जोवेंतो पभाए विमलाते जीवलोगं रायगिहं पुरवरं च अभयस्स पासं ओवयति दिव्वरूवधारी । तते णं से देवे अंतलिक्खपडिवन्ने दसद्धवण्णाइं सखिखिणीयाइं पवरवत्थाइं परिहिए । एक्को ताव एसो गमो । अण्णो वि गमो ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए सीहाए उद्ध्याए जइणाए छेयाए दिव्वाए देवगतीए जेणामेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे जेणामेव दाहिणड्डभरहे रायगिहे णगरे पोसहसालाए अभए कुमारे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अंतरिक्खपडिवन्ने दसद्धवन्नाई सखिखिणीयाई पवरवत्थाइं परिहिते अभयं कुमार एवं वयासी अहण्णं देवाणुप्पिया ! पुव्वसंगतिए सोहम्मकप्पवासी देवे महिड्डीए जण्णं तुमं पोसहसालाए अट्ठमभत्तं संगिणिहत्ताणं ममं मणसीकरेमाणे मणसीकरेमाणे चिट्ठसि, तं एस णं देवाणुप्पिया ! अहं इहं हव्वभागए, संदिसाहिणं देवाणुप्पिया ! किं करेमि, किं दलामि, किं पयच्छामि, किंवा ते हियइच्छितं ? १७. तते णं से अभए कुमारे तं पुव्वसंगतियं देवं अंतलिक्खपडिवन्नं पासित्ता हट्ठतुढे पोसह पारेति, पारेत्ता करयल० अंजलिं कट्ट एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम पुल्लुमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवे अकालदोहले पाउन्भूते धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ तहेव पुव्वगमेणं जाव विणिज्जामि, तंणं तुम देवाणुप्पिया ! मम चुल्लुमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवं अकालदोहलं विणेहि । तते णं से देवे अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठ० अभयं कुमार एवं वदासी तुमण्णं देवाणुप्पिया ! सुणिव्वुयवीसत्थे अच्छाहि, अहण्णं तव चुल्लमाउयाए धारिणीए देवीए अयमेयारूवं दोहलं विणेमीति कट्ट अभयस्स कुमारस्स अंतियाओ पडिणिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता उत्तरपुरत्थिमेणं वेभारपव्वए वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणति, समोहणित्ता संखेज्जाइं जोयणाइं दंडं निसिरति जाव दोच्चंपि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणत्ति समोहणित्ता खिप्पामेव सगज्जियं सविजुयं सफुसियं पंचवण्णमेहणिणाओवसोभियं दिव्वं पाउससिरिं विउव्वइ, विउव्वेत्ता जेणामेव अभए कुमारे तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अभयं कुमारं एवं क्दासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए तव पियट्टयाए सगज्जिय-सफुसिय-सविज्जुया दिव्वा पाउससिरी विउव्विया, तं विणेउ णं देवाणुप्पिया ! तव चुल्लमाउया धारिणी देवी अयमेयारूवं अकालदोहलं । ततेणं से अभयकुमारे तस्स पुव्वसंगतियस्स देवस्स सोहम्मकप्पवासिस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठ० सयातो भवणाओ पडिणिक्खमति, पडिणिक्खमित्ता जेणामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता करयल० अंजलिं कट्ट एवं वदासी एवं खलु तातो ! मम पुव्वसंगतिएणं सोहम्मकप्पवासिणा देवेणं खिप्पामेव सगज्जितसफुसितसविज्जुता पंचवण्णमेह-निनाओवसोभिता दिव्वा पाउससिरी विउब्विया, तं विणेउ णं मम चुल्लमाउया धारिणी देवी अकालदोहलं । तते णं से सेणिए राया अभयस्स कुमारस्स अंतिए एतमढे सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठ० कोडुबियपुरिसे सद्दावेति, सद्दावेता एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायगिहं नगरं सिंघाडग-तिगचउक्क-चच्चर० आसित्त-सित्त जाव सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूतं करेह य कारवेह य, एतमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते काडुंबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से सेणिए राया दोच्चं पि कोडुंबियपुरिसे सद्दावइ, सद्दावेत्ता एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! हय-गय-रह-जोहपवरकलितं चाउरंगिणि सेणं सन्नाहेह, सेयणयं च गंधहत्थिं परिकप्पेह । ते वि तहेव जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से सेणिए राया जेणेव धारिणी देवी तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता धारिणिं देवि एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिए ! सगज्जिया जाव पाउससिरी पाउन्भूता, तण्णं तुम देवाणुप्पिए ! एयं अकालदोहलं विणेहि। तते णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रन्ना एवं वुत्ता समाणी हट्ठतुट्ठा जेणामेव मज्जणघरे तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मज्जणघरं अणुपविसति, अणुपविसित्ता अंतो अंतेउरंसि पहाता कतबलिकम्मा कतकोउयमंगलपायच्छित्ता किं ते वरपायपत्तणेउर जाव आगासफलियसमप्पभं अंसुयं नियत्था सेयणयं गंधहत्थिं दुरूढा समाणी अमयमहियफेणपुंजसण्णिगासाहिं MO4555555555555555$$श्री आगमगुणमंजूषा - ५९८ 555555555555555555$$OOR G705听听听听听听听听听乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐加乐明明明明明明明明明明CN Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XG9555555555555555 (३) णायाधम्मकहाओ पढमो सुपक्खंधो? अज्झयणं उक्खिते पिको 55555555555555OOK OTO乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听听听听听 सेयचामरवालवीयणीहिं वीइज्जमाणी २ संपत्थिता । तए णं सेणिए राया पहाए कयबलिकम्मे जाव सरीरे हत्थिखंधवरगए सकोरटेंमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चउचामराहिं वीइज्जमाणे धारिणिं देविं पिट्ठतो अणुगच्छति । तए णं सा धारिणी देवी सेणिएणं रण्णा हत्थिखंधवरगएणं पिट्ठतो पिट्ठतो समणुगम्ममाणमग्गा हय- 5 गय-रह-जोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा महता भडचडगरवंदपरिक्खित्ता सव्विड्डीए सव्वजुईए जाव दुंदुभिणिग्घोसणादितरवेणं रायगिहे णगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क - चच्चर जाव महापहपहेसु नागरजणेणं अभिणंदिज्जमाणी २ जेणामेव वेभारगिरिपव्वए तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता वेभारगिरिकडगतडपायमूले आरामेसु य उज्जाणेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसु य रुक्खेसुय गच्छेसु य गुम्मेसु य लयासु य वल्लीसु य कंदरासु य दरीसुय चुंढीसु य जूहेसु य कच्छेसु य नदीसु य संगमेसु य वियरेसु य अच्छमाणी य पेच्छमाणी य मज्जमाणी य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य पल्लवाणि य गिण्हमाणी य माणेमाणी य अग्घायमाणी य परिभुंजमाणी य परिभाएमाणी य वेभारगिरिपायमूले विणेमाणी सव्वतो समंता आहिंडति । तए णं सा धारिणी देवी विणीयदोहला संपुण्णदोहला संपत्तदोहला जाया यावि होत्था । तए णं सा धारिणी देवी सेयणगं गंधहत्थिं दुरूढा समाणी सेणिएणं हत्थिखंधवरगएणं पिट्ठओ पिट्ठओ समणुगम्ममाणमग्गा हय-गय जाव रयेणं जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रायगिह नगरं मझमज्झेणं जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता विउलाई भोगभोगाई जाव विहरति । १८. तते णं से अभए कुमारे जेणामेव पोसहसाला तेणामेव उवागच्छइ, उवागच्छिता पुव्वसंगतियं देवं सक्कारेति ॥ सम्माणेति, सक्कारित्ता सम्माणित्ता पंडिविसज्जेति । तते णं से देवे सगज्जियं पंचवन्नमेहोवसोहियं दिव्वं पाउससिरिं पडिसाहरति, पडिसाहतित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगते । १९. तते णं सा धारिणी देवी तंसि अकालदोहलंसि विणीयंसि सम्माणियदोहला तस्स गब्भस्स अणुकंपणट्ठाए जयं चिट्ठति, जयं, आसयति, जयं सुवति, आहारं पि य णं आहारेमाणी णातितित्तं णातिकडुयं णातिकसायं णातिअंबिलं णातिमहुरं जं तस्स गब्भस्स हियं मयं पत्थं देसे य काले य आहारं आहारेमाणी, णाइचिन्तं णाइसोगं णाइमोहं णाइभयं णाइपरित्तासं ववगयचिंत-सोय-मोह-भय-परित्तासा उदुभज्जमाणसुहेहिं भोयण-च्छायण-गंधमल्लालंकारेहितंगभं सुहंसुहेणं परिवहति । २०. तएणं साधारिणी देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण य रातिदियाणं वीतिक्कंताणं अडरत्तकालसमयंसि सुकुमालपाणिपायं जाव सव्वंगसुंदरं दारगं पयाया। तए णं ताओ अंगपडियारियाओ धारिणिं देविं नवण्हं मासाणं जाव दारगं पयायं पासंति, पासित्ता सिग्धं तुरियं चवलं वेतियं जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सेणियं रायं जएणं विजएणं वद्धावेति, वद्धावेत्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! धारिणी देवी नवण्हं मासाणं जाव दारगं पयाया, तण्णं अम्हे देवाणुप्पियाणं पियं णिवेदेमो पियं ते भवउ । तते णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठ० ताओ अंगपडियारियाओ महुरेहिं वयणेहिं विपुलेण य पुप्फ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेति सम्माणेति, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता मत्थयधोयाओ करेति, पुत्ताणुपुत्तियं वित्तिंकप्पेति, कप्पेत्ता पडिविसज्जेति । तते णं से सेणिए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायगिहं णगरं आसिय जाव परिगीयं करेह कारवेह य, चारागारसोहणं करेह, करेत्ता माणुम्माणवड्ढणं करेह, करेत्ता एतमाणत्तियं पच्चप्पिणह जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से सेणिए राया अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! रायगिहे नगरे अब्भितरबाहिरए उस्सुक्कं उक्करं अभडप्पवेसं अदंडिमकुडंडिमं अधरिमं अधारणिज्जं अणुद्धयमुइंगं अव्वायमल्लदामं भणियावरणाडइज्जकलियं अणेगतालायराणुचरितं पमुझ्यपक्कीलियाभिरामं जहारिहं ठिइवडियं दसदेवसियं करेह २, एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । ते वि तहेव करेति, करेत्ता तहेव पच्चप्पिणंति । तएणं से सेणिए राया बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे सतिएहि य साहस्सिएहि य सयसाहस्सिएहि + य दाएहिं दलयमाणे दलयमाणे पडिच्छमाणे पडिच्छमाणे एवं च णं विहरति । तते णं तस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे जातकम्मं करेति, बितिए दिवसे जागरियं २ करेंति, ततिए दिवसे चंद-सूरदंसणियं करेंति, एवामेव निव्वत्ते सुइजातकम्मकरणे संपत्ते बारसाहदिवसे विपुलं असण-पाण-खादिम-सादिम उवक्खडावेति, Xoros फ फफ5555555555 5 श्री आगमगुणमजूषा - ५९९ #555555555$$$$$$STOR GO乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$$$$$ 2C Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो १ अज्झयणं उक्खिते पिट्ठको [१०] उवक्खडावेत्ता मित्त - णाति णियग-सयण संबंधि- परिजणं बलं च बहवे गणणायग जाव आमंतेति, ततो पच्छा पहाता कयबलिकम्मा कयकोउय जाव सव्वालंकारभूसिता महतिमहालयंसि भोयणमंडवंसि तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं मित्त-नाति० गणणायग जाव सद्धिं आसाएमाणा परिभाएमाणा परिभुंजमाणा एवं चणं विहरंति, जिमितभुत्तत्तरागता वि य णं समाणा आयंता चोक्खा परमसूइभूया तं मित्त-नाति - नियग-सयण-संबंधि० गणणायग० विपुलेणं पुप्फ-गंधमल्लालंकारेणं सक्कारेति सम्मार्णेति, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता एवं वदासी जम्हा णं अम्हं इमस्स दारगस्स गब्भत्थ चेव समाणस्स अकालमेहेसु दोहले पादुब्भूते, तं होउ णं अम्हं दारए मेहे णामेणं मेहे २, तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फण्णं णामधेज्जं करेति मेहा ति । तते णं से मेहकुमारे पंचधातीपरिग्गहिते, तंजहां खीरधातीए, मंडणधातीए, मज्जणधातीए, कीलावणधातीए, अंकधातीए, अन्नाहिं य बहूहिं खुज्नाहिं चिलाइयाहिं वामणि- वडभिबब्बरि-बउसि - जोणिय - पल्हवि इसिणि थारुगिणि-लासिय-लउसिय-दमिलि-सिंहलि- आरवि पुलिदि-पक्कणि-वहलि-मुरुंडि - सबरी - पारसीहिं णाणादेसी हिं विदेसपरिमंडियाहिं इंगिय- चिंतिय-पत्थियवियाणियाहिं सदेसणेवत्थगहिय - वेसाहिं णिउणकुसलाहिं विणीयाहिं चेडियाचक्कवालवरिसधरकंचुज्जमहयरगवंदपरिक्खित्ते, हत्थातो हत्थं साहरेज्जमाणे, अंकातो अंकं परिभुज्जमाणे, परिगिज्जमाणे, उवलालिज्जमाणे, रम्मंसि मणिकोट्टिमतलंसि परंगिज्नमाणे २, णिव्वायणिव्वाघायंसि गिरिकंदरमल्लीणे व चंपगपायवे सुहंसुहेणं वडइ, तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो अणुपुव्वेणं नामकरणं च पजेमणगं च पचकमणगं च चोलोवणयणं च महया महया इड्डीसक्कारसमुदएणं करेंसु । तए णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो सातिरेगट्ठवासजातगं चेव गब्भट्टमे वासे सोहणं सि तिहि करण - मुहुत्तंसि कलायरियस्स उवणेति । तए णं से कलायरिए मेहं कुमारं लेहाइयाओ गणितप्पहाणाओ सउणरुतपज्जवसाणाओ बावत्तरिं कलाओ सुत्तओ य अत्थओ य करणओ य सेहावेति सिक्खावेति, तंजहा - लेहं १, गणियं २, रूवं ३, नहं ४, गीयं ५, वाइयं ६, सरगयं ७, पोक्खरगयं ८, समतालं ९, जूयं १०, जणवायं ११, पासयं १२, अट्ठावयं १३, पोरेकव्वं १४, दगमट्टियं १५, अन्नविहिं १६, पाणविहिं १७, वत्थविहिं १८, विलेवणविहिं १९, सयणविहिं २०, अज्जं २१, पहेलियं २२, मागहियं २३, गाहं २४, गीतियं २५, सिलोगं २६, हिरण्णजुत्तिं २७, सुवण्णजुत्तिं २८, चुन्नजुत्तिं २९, आभरणविहिं ३०, तरुणीपडिकम्मं ३१, इत्थी लक्खणं ३२, पुरिसलक्खणं ३३, हयलक्खणं ३४, गयलक्खणं ३५, गोणलक्खणं ३६, कुक्कुडलक्खणं ३७, छत्तलक्खणं ३८, दंडलक्खणं ३९, असिंलक्खणं ४०, मणिलक्खणं ४१, कागणिलक्खणं ४२, वत्थुविज्जं ४३, खंधारमा ४४, नगरमाणं ४५, वूहं ४६, पडिवूहं ४७, चारं ४८, पडिचारं ४९, चक्कवूहं ५०, गरुलवूहं ५१, सगडवूहं ५२, जुद्धं ५३, निजुद्धं ५४, जुद्धा तिजुद्धं ५५, अट्ठिजुद्धं ५६, मुट्ठिजुद्धं ५७, बाहुजुद्धं ५८, लयाजुद्धं ५९, ईसत्थं ६०, छरुप्पवायं ६१, धणुव्वेयं ६२, हिरन्नपागं ६३, सुवण्णपागं ६४, सुत्तखेडं ६५, वट्टखेडं ६६, नालियाखेडं ६७, पत्तच्छेज्नं ६८, कडच्छेज्जं ६९, सज्जीवं ७०, निज्जीवं ७१, सउणरूयमिति ७२ । २१. तते णं से कलायरिए मेहं कुमारं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणरुतपज्जवसाणाओ बावत्तरी कलाओ सुत्तओ य अत्थओ य करणओ य सेहावेति सिक्खावेति, सेहावेत्ता सिक्खावेत्ता अम्मापिऊणं उवणेति। तते णं मेहस्स कुमारस्स अम्मापितरो तं कलायरियं मधुरेहिं वयणेहिं विपुलेण य गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेति सम्माणेति, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता विपुलं जीवियारिहं पीतिदाणं दलयंति, पीतिदाणं दलइत्ता पडिविसज्जेति । २२. तते से मेहे कुमारे बावत्तरिकलापंडिए णवंगसुत्तपडिबोहिए अट्ठारस - विहिप्पगारदेसीभासाविसारए गीयरई गंधव्वनट्टकुसले हयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमद्दी अलं भोगसमत्थे साहसिए वियालचारी जाते यावि होत्था । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं बावत्तरिकलापंडितं जाव वियालचारी जायं पासंति, पासित्ता पासायवडेंसए कारेंति अब्भुग्गयमूसिय पहसिए विव मणिकणगरयणभत्तिचित्ते वाद्भुतविजयवेजयतीपडागछत्ताइछत्तकलिए तुंगे गगणतलमभिलंघमाणसिहरे जालंतररयणपंजरुम्मिल्लिए व्व मणिकणगधूभियाए वियसितसयपत्तपुंडरीए तिलयरयणद्धचंदच्चिए नाणामणिमयदामालंकिते अंतो बहिं च सण्हे तवणिज्जरुइरवालुयापत्थरे सुहफासे सस्सिरीयरूवे पासादीए जाव पडिरूवे, एगं च णं महं भवणं कारेति अणेगखंभसयसन्निविट्टं लीलट्ठिय सालभंजियागं HO श्री आगमगुणमंजूषा - ६०० 原纸50 KOKO फफफफफफफ Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR9555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्रवंधो १ - अज्झयणं उक्खिते पिट्टको . [११]555555555555QoY MOTICW乐明乐乐听听听听听听听听听乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐乐乐听听听听听 अब्भुग्गयसुक यवइरवेतियातोरणवररइयसालभं जियासुसिलिट्ठ विसिठ्ठलट्ठ संठितपसत्थवे रुलियखंभणाणामणिक णगरयणखचित उज्जलं बहुसमसुविभत्तनिचितरमणिज्जभूमिभागं ईहामिय जाव भत्तिचित्तं खंभुग्गयवइरवेइयापरिगहियाभिरामं विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्समालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमीणं भिब्भिसमीणं चक्खुलोयणलेसं सुहफासं सस्सिरीयरूवं कंचण-मणि-रयणथूभियागंणाणाविहपंचवण्णघंटापडागपरिमंडियग्गसिहरं धवलमरीचिकवयं विणिम्मुयंत लाउल्लोइयमहियं जाव गंधवट्टिभूतं पासादीयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं । तते णं तस्स मेहकुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमार सोहणंसि तिहि-करण-णक्खत्त-मुहुत्तंसि सरिसियाणं सरिव्वयाणं सरित्तयाणं सरिसलावण्णरूवजोव्वण-गुणोववेयाणं सरिसएहितो रायकुलेहितो आणियल्लियाणं पसाहणटुंगअविहववहू-ओवयणमंगलसुजंपितेहिं अट्ठहिं रायवरकन्नाहिं सद्धिं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हाविंसु। तते णं तस्स मेहस्स अम्मापितरो इमं एतारूवं पीतिदाणं दलयंति अट्ठहिरण्णकोडीओ अट्ठ सुवण्णकोडीओ गाहाणुसारेण भाणियव्वं जाव पेसणकारियाओ अन्नं च विपुलं धणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणसंतसारसावतेनं अलाहि जाव आसत्तमातो कुलवंसातो पकामं दाउं पकामं भोत्तुं पकामं परिभाएउं। ततेणं से मेहे कुमारे एगमेगाए भारियाए एगमेगं हिरण्णकोडिं दलयति, एगमेगं सुवण्णकोडिं दलयति, जाव एगमेगं पेसणकारि दलयति, अन्नं च विपुलं धणकणग जाव परिभाएउ दलयति । तते णं से मेहे कुमारे उप्पिं पासायवरगते फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं वरतरुणिसंपउत्तेहिं बत्तीसतिबद्धेहिं नाडएहिं उवगिज्जमाणे उवगिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे उवलालिज्जमाणे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधे विउले माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरति । ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं ॐ महावीरे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे नगरे गुणसिलए चेतिए जाव विहरति । तते णं रायगिहे णगरे सिंघाडग० महया जणसद्दे ति वा जाव बहवे उग्गा भोगा जाव रायगिहस्स णगरस्स मज्झंमज्झेणं एगदिसि एगाभिमुहा णिग्गच्छति । इमं च णं मेहे कुमारे उप्पिं पासातवरगते फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं जाव माणुस्सए कामभोगे भुंजमाणे रायमग्गं च ओलोएमाणे ओलोएमाणे एवं च णं विहरति । तए णं से मेहे कुमारे ते बहवे उग्गे भोगे जाव एगदिसाभिमुहे णिग्गच्छमाणे पासति, पासित्ता कंचुइज्जपुरिसं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासी किन्नं भो देवाणुप्पिया ! अज्ज रायगिहे नगरे इंदमहे ति वा खंदमहे ति वा एवं रुद्दमहे इ वा सिवमहे इ वा वेसमण-नाग-जक्ख-भूय-नदि-तलाय-रुक्ख-चेतिय-पव्वय० उज्जाण-गिरिजत्ता ति वा, जण्णं एए उग्गा जाव एगदिसिं एगाभिमुहा णिग्गच्छंति । तते णं से कंचुइज्जपुरिसे समणस्स भगवओ महावीरस्स गहियागमणपवित्तिए मेहं कुमार एवं वदासी नो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज रायगिहे नयरे इंदमहे इ वा जाव गिरिजत्ता इवा, जण्णं एए उग्गा जाव एगदिसिंएगाभिमुहा निग्गच्छति । एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे आइकरे तित्थकरे इहमागते, इह संपत्ते, इह समोसढे, इह चेव रायगिहे नगरे गुणसिलए चेतिए अहापडि० जाव विहरति। ततेणं से मेहे कुमारे कंचुइज्जपुरिसस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्ठतुढे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, सद्दावेता एवं वदासी खिप्पामेव चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह, तहत्ति उवणेति, तते णं से मेहे पहाते जाव सव्वालंकारविभूसिते चाउग्घंटं आसरहं दुरूढे समाणे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं महया भडचडगरवंदपरियालसंपरिखुडे रायगिहस्स नगरस्स मज्झंमज्झेणं निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणामेव गुणसिलए चेतिए तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स छत्तातिछत्तं पडागातिपडागं विज्जाहर-चारणे जंभगे य देवे ओवयमाणे उप्पयमाणे पासति, पासित्ता चाउग्घंटाओ आसरहाओ पच्चोरुहति, पच्चोरुहित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छति, तंजहा सचित्ताणं दव्वाणं विउसरणयाए, अचित्ताणं दव्वाणं अविउसरणयाए, एगसाडियउत्तरासंगकरणेणं, चक्खुफासे अंजलिपग्गहेणं, मणसो एगत्तीकरणेणं, जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आदाहिणपदाहिणं 4 करेति, करित्ता वंदति णमंसति, वंदित्ता णमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्सणच्चासन्ने णातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे पंजलियडे अभिमुहे विणएणं पज्जुवासति तएणं समणे भगवं महावीरे मेहकुमारस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए मज्झगए विचित्तं धम्ममातिक्खति जहा जीवा बझंति, मुच्चंति, जहा य संकिलिस्संति, Mero555555555555555555555555 श्री आगमगणमंजषा - For cucicccurrrrrrrrrr.in 得乐乐听听听听听听听听听听听听坂听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$乐乐国2》 Gain Education International diainelibrary.c ) Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GEO555555555555; (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो १ - अन्झयणं उक्खित पिढेको १श 555555555555O OR QC%听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐%5C धम्मकहा भाणियव्वा, जाव परिसा पडिगया । २३. तते णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म हट्ठतुढे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति, करित्ता वंदति नमसत्ति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी सद्दहामि णं भंते ! णिग्गंथें पावयणं, एवं पत्तियामि णं भंते ! णिग्गंधं पावयणं,रोएमिणं भंते ! णिग्गंथं पावयणं, अब्भुट्टेमिणं भंते ! निग्गंथं पावयणं, एवमेयं भंते! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते !, इच्छितमेयं भंते!, इच्छितपडिच्छियमेयं भंते !, अभिरुइयमेयं भंते ! जहेयं तुब्भे वदह, जंणवरिं देवाणुप्पिया अम्मापियरो आपुच्छामि, तओ पच्छा मुंडे भवित्ताणं पव्वइस्सामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं । तते णं से मेहे कुमारे समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति, वंदित्ता णमंसित्ता जेणामेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छति, तेणेव उवागच्छित्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरुहति, दुरुहित्ता महया भडचडगरपहकरेणं रायगिहस्स नगरस्स मज्झंमज्झेणं जेणामेव सए भवणे तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता चाउरघंटाओ आसरहाओ पच्चोरुहति, पच्चोरुहित्ता जेणामेव अम्मापियरो तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता अम्मापिऊणं पायवडणं करेति, करित्ता एवं वदासी एवं खलु अम्मयातो ! मए समणस्स भगवतो महावीरस्स अंलिए धम्मे णिसंते, से वि य मे धम्मे इच्छिते पडिच्छिते अभिरुइए । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो एवं वदासी धन्नो सि तुम जाया !, संपुन्नो कयत्थो कयलक्खणो सि तुमं जाया ! जन्नं तुमे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मे णिसंते, से वि य ते धम्मे इच्छिते पडिच्छिते अभिरुइते । तते णं से मेहे कुमारे अम्मापियरो दोच्वं पि तच्चं पि एवं वदासी एवं खलु अम्मताओ ! मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मे निसंते, से वि य धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए। तं इच्छामिणं अम्मतातो! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाते समाणे समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ताणं अगारातो अणगारियं पव्वइत्तए। तते णं सा धारिणी देवी तमणि8 अकंतं अप्पियं अमुणुण्णं अमणामं असुयपुव्वं फरुसं गिरं सोच्चा णिसम्म इमेणं एतारूवेणं मणोमाणसिएणं महया पुत्तदुक्खेणं- अभिभूता समाणी सेयागयरोमकूवपगलंतविलीणगाया सोयभरपवेवियंगी णित्तेया दीणविमणवयणा, करयलमलियव्व कमलमाला तक्खणओलुग्गदुब्बलसरीरलायण्णसुन्ननिच्छायगयसिरीया, पसिढिलभूसणपडंतखुम्मियसंचुण्णियधवलवलयपन्भट्ठउत्तरिज्जा सूमालविकिण्णकेसहत्था, मुच्छावसणट्ठचेयसि गरुई, परसुनियत्तव्व चंपगलया, निव्वत्तमहेव्व इंदलट्ठी विमुक्कसंधिबंधणा कोट्टिमतलंसि सव्वंगेहिं धसत्ति पडिया। तते णं सा धारिणी देवी ससंभमोवत्तियाए तुरियं कंचणभिगारमुहविणिग्गयसीयलजलविमलधाराए परिसिंचमाणनिव्ववियगायलट्ठी उक्खेवग-तालवेंट-वीयणगजणियवाएणं सफुसिएणं अंतेउरपरिजणेणं आसासिया समाणी मुत्तावलिसन्निगासपवडंतअंसुधाराहिं सिंचमाणी पओहरे कलुणविमणदीणा रोयमाणी कंदमाणी तिप्पमाणी सोयमाणी विलवमाणी मेहं कुमारं एवं वयासी। तुमंसिणं जाया! अम्हं एगे पुत्ते इट्टे कंते पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेसासिए सम्मए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणभूते जीवियउस्सासए हिययणंदिजणणे उंबरपुप्फ व दुल्लभे सवणयाए किमंग पुण पासणयाए ? णो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो खणमवि विप्पओगं सहित्तए, तं भुंजाहि ताव जाया ! विपुले माणुस्सए कामभोगे जाव ताव वयं जीवामो, तओ पच्छा अम्हेहिं कालगतेहिं परिणयवए, वड्डियकुलवंसतंतुकजंमि, निरावयक्खे, समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वइस्ससि । तते णं से मेहे कुमारे अम्मापिऊहिं एवं वुत्ते समाणे अम्मापियरो एवं वदासी तहेव णं तं अम्मो! जहेव णं तुम्हे ममं एवं वदह 'तुमंसिणं जाया ! अम्हे एगे पुत्ते तं चेव जाव निरावयक्खे समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव पव्वइस्ससि ।' एवं खलु अम्मताओ ! माणुस्सए भवे अधुवे अणितिए असासए वसणसउवद्दवाभिभूते विज्जुलयाचंचले ! अणिच्चे जलबुब्बुयसमाणे कुसग्गजलबिंदुसन्निभे संझब्भरागसरिसे सुविणगदंसणोवमे सडणपडणविद्धंसणधम्मे पच्छा पुरं च णं अवस्सविप्पजहणिज्ज, के णं जाणति अम्मताओ ! 'के पुव्विं गमणाए, के पच्छा गमणाए ?' तं इच्छामि णं अम्मताओ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाते समाणे समणस्स भगवतोमहावीरस्स जाव पव्वइत्तए । तते णं मेहं कुमारं अम्मापियरो एवं वदासी इमातो ते जाया ! सरिसियाओ सरित्तयाओ सरिव्वयाओ सरिसलावण्णरूवजोव्वणगुणोववेयाओ सरिसेहितो रायकुलेहितो आणियल्लियाओ भारियाओ, तं भुंजाहि णं जाया ! एताहिं सद्धिं विपुले माणुस्सए कामभोगे Keros555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६०२०55555555555555555555555 GN2听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FSC Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ U FORO$$$$$$$$$$$$$ (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सयक्खंधो १ - अज्झयणं उक्विते पिट्ठको। [१३] 99999999 R NOY 2 %%%%%%%%%%%%% %%%%%%%%%%%%%%% पच्छा भुत्तभोगे समणस्स जाव पव्वइस्ससि । तते णं से मेहे कुमारे अम्मापियरो एवं वदासी तहेव णं अम्मताओ ! जन्नं तुब्भे ममं एवं वदह इमाओ ते जाया ! सरिसियाओ जाव समणस्स पव्वइस्ससि । एवं खलु अम्मताओ ! माणुस्सगा कामभोगा असुई असासता वंतासवा पित्तासवा खेलासवा सुक्कासवा सोणियासवा दुरुस्सासनीसासा दुरूयमुत्तपुरीसपूयबहुपडिपुण्णा उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाणग-वंत-पित्त-सुक्क - सोणितसंभवा अधुवा अणितिया असासया सडणपडणविद्धंसणधम्मा पच्छा पुरं च णं अवस्सविप्पजहणिज्जा, से के णं अम्मताओ! जाणति 'के पुव्वं गमणाए, के पच्छा गमणाए ?' तं इच्छामि णं अम्मयाओ! जाव पव्वतित्तए । तते णं तं मेहं कुमारं अम्मापितरो एवं वदासी-इमे ते जाया ! अज्जयपज्जयपिउपज्जयागए सुबहु हिरणे य सुवण्णे य कंसे य दूसे य मणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणसंतसारसावतेज्जे य अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पगामं दाउं, पगामं भोत्तुं, पगामं परिभाएउं, तं अणुहोहि ताव जाव जाया ! विपुलं माणुस्सगं इड्डिसक्कारसमुदयं, तओ पच्छा अणुभूयकल्लाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पव्वइस्ससि । तते णं से मेहे कुमारे अम्मापियरो एवं वदासी तहेव णं अम्मयाओ ! जण्णं वदह 'इमे ते जाया ! अज्जगपज्जगपिउ जाव ततो पच्छा अणुभूयकल्लाणे पव्वइस्ससि' । एवं खलु अम्मयाओ ! हिरणे य सुवण्णे य जाव सावतेज्जे अग्गिसाहिए चोरसाहिए रायसाहिए दाइयसाहिए मच्चुसाहिए, अग्गिसामन्ने जाव मच्चुसामन्ने, सडणपडणविद्धंसणधम्मे, पच्छा पुरं च णं अवस्सविप्पजहणिज्ज, से के णं जाणइ अम्मयाओ ! के जाव गमणाए ? तं इच्छामि णं जाव पव्वतित्तए । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो जाहे नो संचाएंति मेहं कुमारं बहूहिं विसयाणुलोमाहि आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य आघवित्तए वा पण्णवित्तए वा सण्णवित्तए वा विण वित्तए वा ताहे विसयपडिकूलाहिं ! संजमभय उव्वेय कारियाहिं पण्णवणाहिं पण्णवेमाणा एवं वदासी - एस णं जाया निग्गंथे +पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवलिए पडिपुण्ण णेयाउए संसुद्धे सल्लगत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे निज्जाणमग्गे निव्वाणमग्गे सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे, अही व एगंतदिट्ठिए, खुरो इव एगंतधाराए लोहमया इव जवा चावेयव्वा वालुयाकवलो इव निरस्साए गंगा इव महानदी पडिसोयगमणाए, महासमुद्दो इव भुयाहिंदुत्तरे, तिक्खं कमियव्वं, गरुयं लबेयव्वं, असिधारावयं चरियव्वं, णो य खलु कप्पति जाया ! समणाणं निग्गंथाणं आहाकम्मिए वा उद्देसिए वा कीयगडे वा ठविए वा रइयए वा दुब्भिक्खभत्ते वा कंतारभत्ते वा वदलियाभत्ते वा गिलाणभत्ते वा मूलभोयणे वा कंदभोयणे वा फलभोयणे वा बीयभोयणे वा हरियभोयणे वा भोत्तए वा पायए वा, तुमं चणं जाया ! सुहसमुचिए, णो चेवणं दुहसमुचिए, णालं सीयं णालं उण्हणालं खुह, णालं पिवासं णालं वातिय-पित्तिय-सिभिय-सन्निवाइय विविहे रोगायंके उच्चावए गामकंटए, बावीसं परीसहोवसग्गे उदिण्णे सम्म अहियासित्तए । भुंजाहि ताव जाया ! माणुस्सए कामभोगे, ततो पच्छा भुत्तभोगी समणस्स जाव पव्वतिस्ससि । तते णं से मेहे कुमारे अम्मापिऊहिं एवं वुत्ते समाणे अम्मापितरं एवं वदासी तहेव णं तं अम्मतातो ! जण्णं तुब्भे ममं एवं वदह 'एस णं जाया ! निग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे' पुणरवि तं चेव जाव 'तओ पच्छा भुत्तभोगी समणस्स जाव पव्वतिस्ससि । एवं खलु अम्मयाओ! णिग्गंथे पावयणे कीवाणं कायराणं कापुरिसाणं इहलोगपडिबद्धाणं परलोगनिप्पिवासाणं, दुरणुचरे पागयजणस्स, णो चेवणं धीरस्स, निच्छियववसियस्स एत्थ किं दुक्करं करणयाए?, तं इच्छामिणं अम्मताओ ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ० पव्वइत्तए । २४. तते णं तं मेहं कुमारं अम्मापियरो जाहे नो संचाएतिं बहूहि विसयाणुलोमाहिं य विसयपडिकूलाहिं य आघवणाहिं य पण्णवणाहिं य सण्णवणाहिं य विण्णवणाहिं य आघवित्तए वा पण्णवित्तए वा सण्णवित्तए वा विण्णवित्तए वा ताहे अकामकाइं चेव मेहं कुमारं एवं वदासी इच्छामो ताव जाया ! एगदिवसमवि ते रायसिरिं पासित्तए। तते णं से मेहे कुमारे अम्मापितरमणुवत्तमाणे तुसिणीए संचिट्ठति । तते णं से सेणिए राया कोटुंबियपुरिसे सद्दावेति, कोटुंबियपुरिसे सद्दावित्ता एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! मेहस्स कुमारस्स महत्थं महग्धं महरिहं विउलं रायाभिसेयं उवट्ठवेह । तते णं ते * कोडुंबियपुरिसा जाव ते वि तहेव उवट्ठवेति । तते णं से सेणिए राया बहूहिं गणणायग-दंडणायगेहि य जाव संपरिवुडे मेहं कुमारं अट्ठसएणं सोवण्णियाणं कलसाणं, र एवं रुप्पमयाणं कलसाणं, मणिमयाणं कलसाणं, सुवन्नरुप्पमणिमयाणं [कलसाणं], सुवन्नमणिमयाणं [कलसाणं], रुप्पमणिमयाणं [कलसाणं], सुवन्नरुप्पमणिमयाणं Tex5555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ६०३5555555555555555555555555ORO 乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明听听听听听听C $$$$听听听听听听听听听C Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XGR95555555555555H (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो १ - अन्झयणं उक्खिते पिढेंको.१४] 5555555 E oo MOTIO455 乐乐乐听听听听听听听听听听听听乐乐明 听听听听听听听听听听听国乐$$$$$$$$$$$$$$3C कलसाणं], भोमेज्जाणं कलसाणं], सव्वोदएहिं, सव्वमट्टियाहिं, सव्वपुप्फेहिं, सव्वगंधेहि, सव्वमल्लेहिं, सव्वो सहिसिद्धत्यएहिंय, सव्विड्डीए सव्वजुईए सव्वबलेणं जाव दुंदुभिनिग्घोसणादितरवेणं महया २ राया-भिसेएणं अभिसिंचति, अभिसिंचित्ता करयल जाव कट्टएवं वदासी जय जय णंदा ! जय जय भद्दा ! जय जय णंदा! 5 भदंते, अजियं जिणाहि, जियं पालयाहि, जियमज्झे वसाहि, अजियं जिणाहि सत्तुपक्खं, जियं च पालेहि मित्तपक्खं, जाव भरहो इव मणुयाणं रायगिहस्स नगरस्स अन्नेसिं च बहूणं गामागरनगर जाव सन्निवेसाणं आहेवच्चं जाव विहराहि त्ति कट्ट 'जय जय' सद्दे पउंजंति । तते णं से मेहे राया जाते महता जाव विहरति । तते णं तस्स मेहस्स रण्णो अम्मापितरो एवं वदासी भण जाया ! किं दलयामो, किं पयच्छामो, किं वा ते हियइच्छिए सामत्थे ? तते णं से मेहे कुमारे अम्मापितरो एवं वदासी इच्छामिणं अम्मयाओ ! कुत्तियावणाओ रयहरणं पडिग्गहगं च आणियं कासवगं च सद्दावितं, तते णं से सेणिए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, सद्दावेता एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! सिरिघरातो तिन्नि सयसहस्सातिंगहाय दोहिं सयसहस्सेहिं कुत्तियावणाओ रयहरणं पंडिग्गहगं च उवणेह, सयसहस्सेणं कासवयं सद्दावेह । तते णं ते कोडुबियपुरिसा सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा सिरिघराओ तिण्णि सयसहस्सतिंगहाय कुत्तियावणातो दोहिं सयसहस्सेहि रयहरणं पडिग्गहगं च उवणेति, सयसहस्सेणं कासवयं च सद्दावेति। ततेणं से कासवए तेहिं कोडुंबियपुरिसेहिं सद्दाविए समाणे हट्ठ जाव हयहियएण्हाते कतबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसातिं वत्थाई पवरपरिहिए अप्पमहग्याभरणा- लंकितसरीरे जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता सेणियं [रायं ] करयल० अजलिं कट्ट एवं वयासी संदिसह णं देवाणुप्पिया ! जं मए करणिज्ज । तते णं से सेणिए राया कासवयं एवं वदासी गच्छाहिणं तुमं देवाणुप्पिया! सुरभिणा गंधोदएणं णिक्के हत्थ-पाए पक्खालेहि, सेयाए चउप्फलाए पोत्तीए मुहं बंधेत्ता मेहस्स कुमारस्स चउरंगुलवज्जे णिक्खमणपाओग्गे अग्गकेसे कप्पेहि। तते णं से कासवए सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्ठ जाव हियए जाव पडिसुणेति, पडिसुणित्ता सुरभिणा गंधोदएणं हत्थ-पाए पक्खालेति, पक्खालित्ता सुद्धवत्थेणं मुहं बंधति, बंधित्ता परेणं जत्तेणं मेहस्स कुमारस्स चउरंगुलवज्जे णिक्खमणपाओग्गे अग्गकेसे कप्पति। तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स माया महरिहेणं हंसलक्खणेणं पडगसाडएणं अग्गकेसे पडिच्छति, पडिच्छित्ता सुरमिणा गंधोदएणं पक्खालेति, पक्खालित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चाओ दलयति, दलयित्ता सेयाए पोत्तीए बंधति, बंधित्तारयणसमुग्गयंसि पक्खिवति, पक्खिवित्ता मंजूसाए पक्खिवति, पक्खिवित्ता हार-वारिधार-सिंदुवार-छिन्नमुत्तावलिप्पगासाइं अंसूणि विणिम्मुयमाणी २ रोयमाणी २ कंदमाणी २ विलवमाणी २ एवं वदासी एस णं अम्हं मेहस्स कुमारस्स अब्भुदएसु य उस्सवेसु य पसवेसु य तिहीसु य छणेसु य जण्णेसु य पव्वणीसु य अपच्छिमे दरिसणे भविस्सइ त्ति कट्ट उस्सीसामूले ठवेति । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापितरो उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयावेति, रयावित्ता मेहं कुमारं दोच्वं पितच्वं पि सेयापीयएहिं कलसेहिं पहावेति, पहावित्ता पम्हलसूमालाए गंधकासाइयाए, गायाति लूहेति, लूहित्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायातिं अणुलिंपंति, अणुलिपित्ता नासानीसासवायवोज्झं जाव हंसलक्खणं पडगसाडगं नियंसेति, २ हारंपिणद्धति, २ अद्धहारंपिणद्धति, २ एगावलिं २ मुत्तावलिं २ कणगावलिं २ रयणावलिं २ पालंबं २ पायपलंबं पकडगाइं २ तुडियाइं २ केऊराति २ अंगयाति २ दसमुद्दियाणंतगं २ कडिसुत्तयं २ कुंडलातिं [२] चूडामणिं २ रयणुक्कडं मउडं पिणद्धंति, पिणद्धित्ता दिव्वं सुमणदामं पिणद्धंति, पिणद्भित्ता दद्दरमलयसुगंधिए गंधे पिणद्धति । तते णं तं मेहं कुमारं गंथिम-वेढिम-पूरिमसंजोतिमेणं चउविहेणं मल्लेणं कप्परुक्खगं पिव अलंकितविभूसियं करेंति । तते णं से सेणिए राया कोडुपियपुरिसे सद्दावेति, सद्दावित्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पया ! अणेगखंभसयसन्निविट्ठ लीलट्ठियसालभंजियागं ईहामिग-उसभ-तुरय-नर-मगर-विहग-वालग-किन्नर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलयपउमलयभत्तिचित्तं घंटावलिमहुरमणहरसरं सुभं कंतं दरिसणिज्जं निउणोवियमिसि-मिसिंतमणिरयणघंटियाजालपरिक्खित्तं अब्भुग्गयवइरवेतियापरिगयाभिरामं विज्जाहरजलजंतजुत्तं पिव अच्चीसहस्समालणीयं रूवगसहस्सकलियं भिसमीणं भिब्भिसमीणं चक्खुलोयणलेस्सं सुहफासं सस्सिरीयरूवं सिग्घं तुरितं चवलं वेतियं पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं उवट्ठवेह । तते णं ते कोडुंबियपुरिसा हट्ठतुट्ठा जाव उवट्ठवेति । तते णं से मेहे कुमारे सीयं दुरुहति, दुरुहित्ता सीहासणवरगते mero 55555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६०४5555555555555555555555555OOK Q$乐听$$$明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明TO Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ o9555555555555555H (क) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंघो?- अन्झयणं उक्खित पिट्ठको१५) 555555555555%8sog 45555555555555SEXOR पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स माया ण्हता कयबलिकम्मा जाव अप्पमहग्यामरणालंकियसरीरा सीयं दुरुहति, दुरुहित्ता मेहस्स कुमारस्स दाहिणपासे भद्दासणंसि निसीयति । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अंबधाती रयहरणं च पडिग्गहगं च गहाय सीयं दुरुहति, दुरुहिता मेहस्स कुमारस्स वामे पासे भद्दसणं सि निसीयति । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिट्ठतो एगा वरतरुणी सिंगारागारचारुवेसा संगयगयहसियभणियचेट्ठियविलाससंलावुल्लावनिउणजुत्तोवयारकुसला आमेलगजमलजुयलवट्टियअब्भुन्नयपीणरतियसंठितपओहरा हिमरययकुंदेंदुपगासं सकोरेंटमल्लदामं धवलं आयवत्तं गहाय सलीलं ओहारेमाणी ओहारेमाणी चिट्ठति । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स दुवे वरतरुणीओ सिंगारागारचारुवेसाओ जाव कुसलाओ सीयं दुरुहंति, दुरुहित्ता मेहस्स कुमारस्स उभओ पासिं नाणामणिकणगरयणमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदंडाओ चिल्लियाओ सुहुमवरदीहवालाओ संख-कुंद-दगरय-असय-महिय-फेणपुंजंसन्निगासाओ चामराओ गहाय सलीलं ओहारेमाणीओ २ चिट्ठति । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स एगा वरतरुणी सिंगारा जाव कुसला सीयं जाव दुरुहति, दुरुहिता मेहस्स कुमारस्स पुरतो पुरत्थिमेणं चंदप्पभ-वइर-वेरुलियविमलदंडं तालियंट गहाय चिट्ठति । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स एगा वरतरुणी जाव सुरूवा सीयं दुरुहति, दुरुहित्ता मेहस्स कुमारस्सपुव्वदक्खिणेणं सेयं रययामयं विमलसलिलपुन्नंमत्तगयमहामुहाकितिसमाणं भिंगारं गहाय चिट्ठति । तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स पिया कोडुबियपुरिसे सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सरिसयाणं सरित्तयाणं सरिव्वयाणं एगाभरणगहितणिज्जोयाणं कोडुबियवरतरुणाणं सहस्सं सद्दावेह, जाव सद्दावेति। तएणं ते कोडुंबियवरतरुणपुरिसा सेणियस्स रण्णो कोडुंबियपुरिसेहिं सद्दाविया समाणा हट्ठा ण्हाया जाव एगाभरणगहितणिज्जोया जेकामेव सेणिए राया तेणामेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सेणियं रायं एवं वदासी संदिसह णं की देवाणुप्पिया ! जण्णं अम्हेहिं करणिज्जं । तते णं से सेणिए राया तं कोडंबियवरतरुणसहस्सं एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! मेहस्स कुमारस्स * पुरिससहस्सबाहिणि सीयं परिवहह । तते णं तं कोडंबियवरतरुणसहस्सं सेणिएणं रण्णा एवं वुत्तं संतं ह8 मेहस्स कुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं परिवहति । तए कणं तस्स मेहस्स कुमारस्स पुरिसहस्सवाहिणिं सीयं दुरूढस्स समाणस्स इमे अट्ठट्ठ मंगलया तप्पढमयाए पुरतो अहाणुपुव्वीए संपत्थिया, तंजहा सोत्थिय सिरिवच्छ णंदियावत्त वद्धमाणग भद्दासण कलस मच्छ दप्पण जाव बहवे अत्थिया जाव ताहिंइट्ठाहिं जाव अणवरयं अभिणंदंता य अभिथुणंता य एवं वदासी जय जय णंदा ! जय जय भद्दा ! जय जय णंदा ! भई ते, अजियं जिणाहि इंदियादि, जियं च पालेहिं समणधम्मं, जियविग्यो वि य वसाहितं देव ! सिद्धिमज्झे, निहणाहि रागदोसमल्ले तवेण धितिधणियबद्धकच्छो, मदाहिय अट्ठकम्मसत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं अप्पमत्ते, पावय वितिमिरमणुत्तरं केवलं नाणं, गच्छ य मोक्खं परमं पयं सासयं च अयलं, हंता परीसहचमूणं, अभीओ परीसहोवसग्गाणं, धम्मे ते अविग्धं भवउ त्ति कट्ट पुणो पुणो मंगलजयसई पउंजंति । तते णं से मेहे कुमारे रायगिहस्स नगरस्स मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छति, णिग्गच्छित्ता जेणेव गुणसिलए चेतिए तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ पच्चोरुभति । २५. ततेणं तस्स मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो मेहं कुमारं पुरओ कट्ट जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं [महावीरं] तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति, करित्ता वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी एस णं देवाणुप्पिया ! मेहे कुमारे अम्हं एगे पुत्ते इढे कंते जाव' जीवियऊसासए हिययणंदिजणए उंबरपुप्फ पि व दुलहे सवणयाए, किमंग पुण दरिसणयाए ? से जहानामए उप्पले ति वा पउमे ति वा कुमुदे ति वा पंके जाए जले संवड्डिए नोवलिप्पइ पंकरयेणं, नोवलिप्पड़ जलरएणं, एवामेव मेहे कुमारे कामेसु जाए भोगेसु संवड्डिए नोवलिप्पति कामरएणं, नोवलिप्पति भोगरएणं । एस णं देवाणुप्पिया! संसारभउव्विग्गे भीए जम्मणजरमरणाणं, इच्छइ देवाणुप्पियाण अंतिए मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वइत्तए। अम्हेणं देवाणुप्पियाणं सीसभिक्खं दलयामो, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सीसभिक्खं । तते णं समणे भगवं महावीरे मेहस्स कुमारस्स अम्मापिऊहिं एवं वुत्ते समाणे एयमहूँ सम्म पडिसुणेति । तते णं २ से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवक्कमति, अवक्कमित्ता सयमेव आभारणमल्लालंकारं ओमुयति । तते णं सा Mero ### 555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ६०५555555555555555555555555xx SO9所听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$2C 明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐乐乐国乐乐SC Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G55555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो १ - अज्झयणं उक्खिते पिट्ठको - [१६] 5555 55555oxox मेहकुमारस्समाया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरणमल्लालंकारं पडिच्छति, पडिच्छित्ता हार-वारिधार-सिंदुवार-छिन्नमुत्तावलिपगासातिं अंसूणि विणिम्मुयमाणी जर रोयमाणी २ कंदमाणी २ विलवमाणी २ एवं वदासी जतियव्वं जाया! घडियव्वं जाया ! परक्कमियव्वं जाया ! अस्सिं च णं अढे नो पमादेयव्वं, अम्हं पिणं एसेव मग्गे भवउ त्ति कट्ट मेहस्स कुमारस्स अम्मापियरो समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगया ! २६. तते णं से मेहे कुमारे सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति, करित्ता जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो म आयाहिणपयाहिणं करेति, करित्ता वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी आलित्ते णं भंते ! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, आलित्तपलित्ते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य । से जहाणामए केइ गाहावती अगारंसि झियायमाणंसि जे तत्थ भंडे भवति अप्पभारे मोल्लगरुए तं गहाय आयाए एगंतं अवक्कमति, एस मे णित्थरिए समाणे पच्छा पुरा य लोए हियाए सुहाए खमाए णिस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सति, एवामेव मम वि एगे आयाभंडे इडे कंते पिए मणुण्णे मणामे एस मे नित्थारिए समाणे संसारवोच्छेयकरे भविस्सति । तं इच्छामि णं देवाणुप्पिएहिं सयमेव पव्वावियं, सयमेव मुंडावियं सेहावियं सिक्खावियं, सयमेव आयारगोयरविणयवेणइयचरणजायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं । तते णं समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं सयमेव पव्वावेति, सयमेव मुंडावेति, सयमेव आयार जाव धम्ममातिक्खइ - एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं, चिट्ठितव्वं, णिसीयव्वं, तुयट्टियव्वं, मुंजियव्वं, भासियव्वं, एवं उट्ठाय उट्ठाय पाणेहिं भूतेहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमितव्वं, अस्सिं च णं अट्ठे णो पमादेयव्वं । तते णं से मेहे कुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं सम्म पडिवज्जति तमाणाए, तह गच्छइ, तह चिट्ठइ जाव उठाए उट्ठाए पाणेहिं भूतेहिं जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमइ । २७. जद्दिवसं च णं मेहे कुमारे मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तस्स णं दिवसस्स पच्चावरण्हकालसमयंसि समणाणं निग्गंथाणं आहारातिणियाए सेज्जासंथारएसु विभज्जमाणेसु मेहकुमारस्स बारमूले सेज्जासंथारए जाए यावि होत्था। ततेणं समणा निग्गंथा पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए पुच्छणाए परियट्टणाए धम्माणुओगचिंताए य उच्चारस्सय पासवणस्स य अतिगच्छमाणा य निग्गच्छमाणा य अप्पेगतिया मेहं कुमारं हत्थेहिं संघद्वेति, एवं पाएहिं सीसे पोट्टे कायंसि अप्पगेतिया ओलंडेति, अप्पेगइया पोलंडेंति, अप्पेगतिया पायरयरेणुगुंडियं करेति । एमहालियं च णं रयणि मेहे कुमारे णो संचाएति खणमवि अच्छिं निमीलित्तए। तते णं तस्स मेहस्स कुमारस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं सेणियस्स रण्णो पुत्ते धारिणीए देवीए अत्तए मेहे जाव सवणयाए, तं जया णं अहं अगारमज्झावसामि तया णं मम समणा णिग्गंथा आढायंति, परिजाणंति, सक्कारेति, सम्माणेति, अट्ठाई हेऊतिं पसिणातिं कारणाई वागरणाई आतिक्खंति, इट्टाहिं कंताहि वग्गूहि आलवेति, संलवेति । जप्पभितिं च णं अहं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए तप्पभिति च णं मम समणा निग्गंथा नो आढायंति जाव नो संलवेति । अदुत्तरं च णं मम समणा णिग्गंथा राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए पुच्छणाए जाव एमहालियं च णं रत्तिं नो संचाएमि अच्छिं णिमिल्लावेत्तए । तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते समणं भगवं महावीरं आपुच्छित्ता पुणरवि अगारमज्झावसित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेति, संपेहित्ता अट्टदुहट्टवसट्टमाणसगए णिरयपडिरूवियं च णं तं रयणिं खवेति, खवित्ता कल्लं पाउप्पभायाए सुविमलाए रयणीए जाव तेयसा जलंते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छति, म उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जाव पज्जुवासइ । २८. तते णं मेहा ! ति समणे भगवं महावीरे मेहं कुमारं क एवं वदासी से णूणं तुम मेहा ! राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि समणेहिं निग्गंथेहिं वायणाए पुच्छणाए जाव एमहालियं च णं रयणिं णो संचाएमि मुहुत्तमवि अच्छिं निमिल्लावेत्तए। तते णं तुज्झ मेहा ! इमेयारूवे अज्झथिए० समुपज्जित्था जया णं अहं अगारमज्झावसामि तया णं मम समणा निग्गंथा आढायंति जाव म परियाणंति । जप्पभितिं चणं मुंडे भवित्ता अगाराओ जाव पव्वतिए तप्पभितिंच णं मम समणा निग्गंथा णो आढायंति जाव नो परियाणंति। अदुत्तरं चणं समणा निग्गंथा राओ अप्पेगतिया वायणाए जाव पायरयरेणुगुडियं करेंति। तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए समणं भगवं [महावीरं] आपुच्छित्ता पुणरवि अगारमज्झे -xoxo555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६०६ 955555555555555555555OR AC%听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐听听乐乐乐乐乐乐乐 卐FOTO Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6395555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो १ . अज्झयणं उक्खिते पिढेको . [१७] 5555555555xoy FOR9555555555555555555555555555555555555555555ONOR आवसित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेसि, संपेहित्ता अट्टदुहट्टवसट्टमाणसे जाव रयणिं खवेसि, खवित्ता जेणामेव अहं तेणामेव हव्वमागए। से गूणं मेहा ! एस अत्थे समत्थे ? हंता, अत्थे समत्थे । एवं खलु मेहा ! तुम इओ तच्चे अईए भवग्गहणे वेयड्डगिरिपायमले वणयरएहिं णिव्वत्तियणामधेज्जे सेते है संखउलविमलणिम्मलदहिघणगोखीरफेणरयणियरप्पगासे सत्तुस्सेहे णवायए दसपरिणाहे सत्तंगपतिहिते सोमसंमिए सुरुवे पुरओ उदग्गे समूसियसिरे सुहासणे पिट्ठओ वराहे अइयाकुच्छी अच्छिद्दकुच्छी अलंबकुच्छी अलंबलंबोयराहरकरे धणुपट्ठागितिविसिट्ठपुढे अल्लीणपमाणजुत्तवट्टियपीवरगत्तावरे अल्लीणपमाणजुत्तपुच्छे पडिपुन्नसुचारुकुम्मचलणे पंडुरसुविसुद्धणिद्धणिरुवयविंसतिणहे छदंते सुमेरुप्पभे नाम हत्थिराया होत्था। तत्थ णं तुम मेहा ! बहूहि हत्थीहि य हत्थिणियाहि य लोट्टएहि य लोट्टियाहि य कलभएहि य कलभियाहि य सद्धिं संपरिवुडे हत्थिसहस्सणायए देसए पागट्ठी पट्ठवए जूहवती वंदपरिवड्डए अन्नेसि च बहूणं एकल्लाणं हत्थिकलभाणं आहेवच्चं जाव विहरसि । तते णं तुम मेहा ! णिच्चप्पमत्ते, सई पललिए, कंदप्परती, मोहणसीले, अवितण्हे, कामभोगतिसिए, बहूहि हत्थीहिं य जाव संपरिवुडे, वेयडगिरिपायमूले गिरीसु य दरीसु य कुहरेसु य कंदरासु य उज्झरेसु य निज्झरेसु य वियरएसु य मड्डासु य पल्ललेसु य चिल्ललेसु य कडगेसु य कडगपल्ललेसु य तडीसु य वियडीसु य टंकेसु य कूडेसु य सिहरेसु य पब्भारेसु य मंचेसु य मालेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसु य वणराईसु य नदीसु य नदिकच्छेसु य जूहेसु य संगमेसु य वावीसु य पुक्खरिणीसु य दीहियासु य गुंजालियासु य सरेसु य सरपंतियासु य सरसरपंतियासु य वणयरएहिं दिन्नवियारे बहुविहतरुपल्लवपउरपाणियतणे निब्भए निरुब्विग्गे सुहंसुहेणं विहरसि । तते णं तुम मेहा ! अन्नया कयाइ पाउस-वरिसारत्त-सरय-हेमंत-वसंतेसु कमेण पंचसु उदूसु समतिक्तेसु गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूलमासे पायवधंससमुट्ठिएणं सुक्कतणपत्तकयवरमारुतसंजोगदीविएणं महाभयकरेणं हुयवहेणं वणदवजालसंपलित्तेसु वणंतेसु धूमाउलासु दिसासु महावायवेगेणं संघट्टिएसु छिन्नजाले सु आवयमाणे सु पोल्लरुक्खेसु अंतो अंतो झियायमाणेसु मयकु हितविणि(ण?)ट्ठकिमियकद्दमनदीवियरगज्झीणपाणियंतेसु वणंतेसु भिगारकदीणकं दियरवेसु खरफरुसअणिट्ठरिट्ठवाहितविदुमग्गेसु दुमग्गेसु तण्हावसमुक्कपक्खपायडियजिब्भतालुयअसंपुडि ततुंडपक्खिसंघेसु ससंतेसु गिम्हुम्हउण्हवाय खरफरुसचंड मारुयसुक्क तणपत्तक यवर वाउलिभमंतदित्तसंभंतसावयाउलमि गतण्हाबद्ध चिंधपट्टेसु गिरिवरेसु संवट्टइएसु तत्थमियपसयसरीसिवेसु अवदालियवयणविवरणिल्लालियग्गजीहे महंततुंबइयपुन्नकन्ने संकुचियथोर पीवरकरे ऊसियलंगूले, पेणाइयविसरडियसद्देणं फोडयंतेव अंबरतलं पायदद्दरएणं कंपयंतेव मेइणितलं, विणिम्मुयमाणे य सीयरं, सव्वतो समंता वल्लिवियाणाई छिंदमाणे रुक्खसहस्सातिं तत्थ सुबहूणि णोल्लयंते, विणट्ठरढे वणरवरिद, वायाइद्धे व्व पोए, मंडलवाए व्व परिब्भमंते, अभिक्खणं है अभिक्खणं लिंडणियरं पमुंचमाणे पमुंचमाणे बहूहिं हत्थीहि य जाव सद्धिं दिसोदिसिं विप्पलाइत्था । तत्थ णं तुम मेहा ! जुन्ने जराजज्जरियदेहे आतुरे झंझिए पिवासिए दुब्बले किलंते नट्ठसुतीए मूढदिसाए सयातो जूहातो विप्पहीणे वणदवजालापरद्धे उण्हेण य तण्हाए य छुहाए य परब्भाहए समाणे भीते तत्थे तसिए उव्विग्गे संजातभए सव्वतो समंता आधावमाणे परिधावमाणे एगं च णं महं सरं अप्पोदयं पंकबहुलं अतित्थेणं पाणियपाए उइण्णे । तत्थं णं तुम मेहा ! तीरमतिगते पाणियं असंपत्ते अंतरा चेव सेयंसि विसन्ने। तत्थ णं तुम मेहा ! पाणियं पाइस्सामि त्ति कट्ट हत्थं पसारेसि, से विय ते हत्थे उदगं न पावति, तते णं तुम मेहा ! पुणरवि कायं पच्चुद्धरिस्सामीति कट्ट बलियतरायं पंकसि खुत्ते। ततेणं तुम मेहा ! अन्नया कदाइ एगे चिरनिज्जूढए गयवरजुवाणए सगाओ जूहाओ करचरणदंतमुसलप्पहारेहि विप्परद्धे समाणे तं चेव महद्दहं पाणीयपाए समोयरति । तते णं कलभए तुम पासति, पासित्ता तं पुव्ववेरं सुमरति, सुमरित्ता आसुरुत्ते सटे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे जेणेव तुमं तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता तुमं तिक्खेहिं दंतमुसलेहिं तिक्खुत्तो पिट्ठतो उट्ठभति, उट्ठभित्ता पुव्ववेरं निज्जाएति, निज्जाइत्ता हट्ठतुढे पाणियं पियति, पिइत्ता जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए। तते णं तव मेहा ! सरीरगंसि वेयणा पाउन्भवित्था उज्जला विउला कक्खडा जाव दुरहियासा। पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतिए यावि विहरित्था । तए णं तुमं मेहा ! तं उज्जलं जाव दूरहियासं सत्तराइंदियं वेयणं वेदेसि, सवीसं वाससतं परमाउं पालइत्ता 5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ६००555555555555555555FOOK 55岁历牙牙55555555。 K Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खधो १ अज्झयण उक्खिते पिट्ट्को [१८] अट्टवसट्टदुहट्टे कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे दाहिणड्डूभरहे गंगाए महाणदीए दाहिणे कूले विंझगिरिपायमूले एगेणं मत्तवरगंधहत्थिणा एगाए गयवरकरेणुए कुच्छिसि गयकलभए जणिते । तते णं सा गयकलभिया णवण्हं मासाणं वसंतमासंसि तुमं पयाया । तते गं तुमं मेहा ! गब्भवासाओ विप्पमुक्के समाणे गयकलभए यावि होत्था, रत्तुप्पलरत्तसूमालए जासुमणाऽऽरत्तपालियत्तय- लक्खारस सरस- कुंकुम संझब्भराग वण्णे इट्ठे णियगस्स जूहवइणो गणियारकणेरुकोत्थहत्थी अणेगहत्थिसयसंपरिवुडे रम्मेसु गिरिकाणणेसु सुहंसुहेणं विहरसि । तते णं तं मेहा! उम्मुक्कबालभाचे जोव्वणगमणुप्पत्ते जूहवइणा कालधम्मुणा संजुत्तेणं तं जूहं सयमेव पडिवज्जसि । तते णं तुमं मेहा ! वणयरेहिं निव्वत्तियनामधेज्जे जाव चउदंते मेरुप्पभे हत्थिरयणे होत्था तत्था णं तुम मेहा ! सत्तसइयस्स जूहस्स आहेवच्च जाव अभिरमेत्था । तते णं तुमं मेहा ! अन्नया कयाइ गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूले वणदवजालपलित्तेसु वर्णतेसु धूमाउलासु दिसासु जाव मंडलवाए व्व परिब्भमंते भीते तत्थे जाव संजायभए बहूहिं हत्थीहि य जाव कलभियाहि य सद्धिं संपरिवुडे सव्वतो समंता दिसोदिसिं विप्पलाइत्था । तते णं तव मेहा ! तं वणवं पासित्ता अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था कहिं णं मन्ने मया अयमेयारूवे अग्गि संभमे अणुभूयपुव्वे । तए णं तव मेहा ! लेस्साहिं विसुज्झमाणीहिं अज्झवसाणेणं सोहणेणं सुभेणं परिणामेणं तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहापूहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स सन्निपुव्वे जातीसरणे समुप्पज्जित्था, तते णं तु हा ! यमहं सम्मं अभिसमेसि एवं खलु मया अतीए दोच्चे भवग्गहणे इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयडगिरिपायमूले जाव तत्थ णं मया अयमेयारूवे अग्गिसंभमे समणुभूए, तते गं तुमं मेहा ! तस्सेव दिवसंस्स पच्चावरण्हकालसमयंसि नियएणं जूहेणं सद्धिं समन्नागए यावि होत्था । तते णं तुमं मेहा ! सत्तुस्सेहे जाव सन्निजाईसरणे चउद्दंते मेरुप्पभे नाम हत्थी होत्था । तते णं तुज्झ मेहा ! अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था सेयं खलु मम इयाणि गंगाए महानदीए दाहिणिल्लंसि कुलंसि विंझगिरिपायमूले दवग्गिसंताणकारणट्ठा सएणं जूहेणं महतिमहालयं मंडलं घाइत्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेसि, संपेहित्ता सुहंसुहेण विहरसि । तते हा ! अन्नयाकयाइ पढमपाउसंसि महावुट्ठिकार्यंसि सन्निवइयंसि गंगाए महाणदीए अदूरसामंते बहूहिं हत्थीहिं जाव कलभियाहिं य सत्तहिं य हत्थसए हिं संपरिवुडे एगं महं जोयणकरिमंडलं महतिमहालयं मंडलं घाएसि, जं तत्थ तणं वा पत्तं वा कट्टं वा कंटए वा लया वा वल्ली वा खाणुं वा रूक्खे वा खुवे वा तं सव्वं तिक्खुत्तो आहुणिय पाएण उट्ठवेसि, हत्थेणं गेण्हसि, एगंते एडेसि, एडित्ता तते णं तुमं मेहा! तस्सेव मंडलस्स अदूरसामंते गंगाए महानदीए दाहिणिल्ले कूले विंझगिरी पायमूले गिरीसु य जाव विहरसि । तते णं तुमं मेहा ! अन्नया कयाति मज्झिमए वरिसारत्तंसि महावुट्टिकायंसि सन्निवइयंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छिता दोच्चं पि मंडलं घाएसि, एवं चरिमवरिसारतंसि महावुट्टिकायंसि संनिवयमाणंसि जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि । उवागच्छिता तच्च पि मंडलघायं करेसि, जं तत्थ तणं वा जाव सुहंसुहेणं विहरसि । अह मेहा ! तुमं गइंदभावमि वट्टमाणो कमेणं नलिणिवणविहवणकरे हेमंते कुं दलोद्धउद्धततुसारपउरंमि अतिक्कं ते, अहिणवगिम्हसमयंसि पत्ते, वियट्टमाणो वणेसु वणकरेणुविविहदिण्णकयपसवघाओ तुमं उउयकुसुमकयचामरकण्णपूरपरिमंडियाभिरामो मयवसविगसंतकडतडकिलिन्नगंधमदवारिणा सुरभिजणियगंधो करेणुपरिवारिओ उउसमत्तजणितसोभो, काले दिणयरकरपयंडे परिसोसियतरुवरसिहर भीमतरदंसणिज्जे भिंगाररवंतभेरवरवे णाणाविहपत्तकट्ठतणकयवरुद्धतपइमारुयाइद्धनहयलदुमगणे वाउलिदारुणतरे तण्हावसदोसदूसियममंतविविहसावयसमाउले भीमदरिसणिज्जे वट्टंते दारुणंमि गिम्हें, मारुतवसपसरपसरियवियंभिएणं अब्भहिंभीममेववप्पग्गारेणं मूहधारपडियसित्त उद्धायमाण धगधगेत संदुद्धएणं दित्ततरसफुलिंगेणं धूममालाउलेणं सावयसयंतकरणेणं वणदवेणं जालालोवियनिरुद्धधूमंधकारभीओ आयवालोयमहंततुंबइयवुन्नकण्णो आकुंचियथोरपीवरकरो भयवसभयंतदित्तनयणो वेगेण महामहो व्व वायणोल्लियमहल्लरूवो जेण कओ ते पुरा दवग्गिभयभीयहियएणं अवगयतणप्पएसरुक्खो रुक्खोंद्देसो दवग्गिसंताणकारणट्ठा तेहिं बहूहिं हत्थिहिं य सद्धिं जेणेव मंडले तेणेव पहारेत्थ गमणाए। एक्को ताव एस गमो । तते णं तुमं मेहा ! अन्नया कयाइ कमेणं पंचसु उऊसु समतिक्कंतेसु, गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूलमासे पायवधंससमुट्ठिएणं जाव संवट्टिएस मिय-पसुTO श्री आगमगुणमंजूषा ६०८ AGRO Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HORO655555555555555Hoपायाधम्मको पढमा सुक्क्मधार जावन उदिखते पिटको ( 55509888888SENDog Merror 明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C पक्खि-सिरीसिवेसु दिसो दिसिं विप्पलायमाणेसु तेहिं बहूहि हत्थीहि य सद्धिं जेणेव मंडले तेणेव पहारेत्थ गमणाए- -तत्थ णं अन्ने बहवे सीहा य वग्घा य विगाय दीविया अच्छा तरच्छा परासरा सियाला विराला सुणहा कोला ससा कोकंतिया चित्ता चिल्लला पुव्वपविठ्ठा अग्गिभयविदुया एगयओ बिलधम्मेणं चिट्ठति । तए णं तुम मेहा ! जेणेव से मंडले तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता तेहिं बहूहिं सीहेहिं य जाव चिल्ललएहि य एगयओ बिलधम्मेणं चिट्ठसि । तते णं तुम मेहा ! पाएणं गत्तं कंडुइस्सामीति कट्ट पाए अणुक्खित्ते, तंसि च णं अंतरंसि अन्नेहिं बलवंतेहिं सत्तेहिं पणोलिज्जमाणे पणोलिज्जमाणे ससए अणुपवितु। तते णं तुम मेहा ! गायं कंडुइत्ता पुणरवि पायं पडिनिक्खिविस्सामि त्ति कट्ट तं ससय अणुपविट्ठ पाससि, पासित्ता पाणाणुकंपयाए भूयाणुकंपयाए जीवाणुकंपयाए सत्ताणुकंपयाए से पाए अंतरा चेव संधारिए, णो चेवणं णिक्खित्ते । तए णं तुम मेहा ! ताए पाणाणुकंपयाए जाव सत्ताणुकंपयाए संसारे परित्तीकते, माणुस्साउए निबद्धे । तते णं से वणदवे अड्डाइज्जाई राइंदियाई तं वणं झामेति, झामित्ता निट्ठिए उवरए उवसंते विज्झाए यावि होत्था । तते णं ते बहवे सीहा य जाव चिल्लला य तं वणदवं निट्ठियं जाव विज्झायं पासंति, पासित्ता अग्गिभंयविप्पमुक्का तण्हाए य छुहाए य परब्भाहया समाणा मंडलाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता सव्वतो समंता विप्पसरित्था। तए णं ते बहवे हत्थी जाव छुहाए य परब्भाहया समाणा ततो मंडलातो पडिनिक्खमंति पडिनिक्खमित्ता दिसो दिसं विप्पसरित्था । तए णं तुम मेहा ! जुण्णे जराजज्जरियदेहे सिढिलवलितयपिणद्धगत्ते दुब्बले किलंते झुझिए पिवासिते अत्थामे अबले अपरक्कम्मे ठाणुक्कडे वेगेण विप्पसरिस्सामि त्ति कट्ठ पाए पसारेमाणे विज्जुहते विव रयतगिरिपब्भारे धरणितलंसि सव्वंगेहिं सन्निवइए । तते णं तव मेहा ! सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूता उज्जला जाव दाहवक्कंतिए यावि विहरसि । तते णं तुमं मेहा ! तं उज्जलं जाव दुरहियासं तिन्नि राइंदियाइं वेयणं वेएमाणे विहरित्ता एगं वाससतं परमाउं पालइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे रायगिहे णगरे सेणियस्स रण्णो धारिणीए देवीए कुच्छिसि कुमारत्ताए पच्चायाए। २८(१). तते णं तुम मेहा ! अणुपुव्वेणं गब्भवासाओ निक्खंते समाणे उम्मुक्कबालमावे जोव्वणगमणुप्पत्ते मम अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए । तं जति ताव तुमे मेहा ! तिरिक्खजोणियभावमुवगएणं अपडिलद्धसम्मत्तरयणलंभेणं से पाए पाणाणुकंपणयाए जाव अंतरा चेव संधारिते, नो चेवणं निक्खित्ते, किमंग पुण तुमे मेहा ! इयाणिं विपुलकुलसमुब्भवे णं निरुवहयसरीरपत्तलद्धपंचिदिए णं एवं उट्ठाणवलवीरियपुरिसगारपरक्कमसंजुत्ते णं मम अंतिए मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वइए समाणे समणाणं निग्गंथाणं राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि वायणाए जाव धम्माणुओगचिंताए य उच्चारस्स वा पासवणस्स वा अतिगच्छमाणाण य निग्गच्छमाणाण य हत्थसंघट्टणाणि य पायसंघट्टणाणि य जाव रयरेणुगुंडणाणि य नो सम्मं सहसि खमसि तितिक्खसि अहियासेसि ? तते णं तस्स मेहस्स अणगारस्स समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए एतम४ सोच्चा णिसम्म सुभेहिं परिणामेहिं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं लेस्साहिं विसुज्झमाणीहिं तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ईहावूहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स सण्णिपुव्वे जातीसरणे समुप्पन्ने । एतम8 सम्म अभिसमेति । तते णं से मेहे अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं संभारियपुव्वजातीसरणे दुगुणाणियसंवेगे आणंदयंसुपुण्णमुहे हरिसवस० धाराहयकलंबकं पिव समूसवियरोमकूवे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी अज्जप्पभिती णं भंते ! मम दो अच्छीणि मोत्तूणं अवसेसे काए समणाणं णिग्गंथाणं निसट्टे त्ति कट्ट पुणरवि समणं [भगवं महावीर वंदति नमसत्ति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी इच्छामिणं भंते ! इयाणिंदोच्चंपि सयमेव पव्वावियं, सयमेव मुंडावियं जाव सयमेव आयारगोयर० जायामायाउत्तियं धम्ममाइक्खियं । तए णं समणे भगवं महावीर मेहं कुमार सयमेव पवावेइ जाव जायामायाउत्तियं धम्ममाइक्खइ । एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं, एवं चिट्ठियव्वं, एवं भुंजियव्वं, एवं भासियव्वं, एवं उट्ठाय उट्ठाय पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं संजमेणं संजमियव्वं । तते णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवतो महावीरस्स अयमेयारूवं धम्मियं उवएसं पडिच्छति, पडिच्छित्ता तह चिढ़ति जाव संजमेणं संजमति । तते णं से मेहे अणगारे जाए इरियासमिए भासासमिए, अणगारवण्णओ भणियव्वो । तते णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई अहिज्जति, अहिज्जित्ता बहूहिं छट्ठहमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरति । Meros55555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६०९5555555555555555555555555555IOR SO明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听2.0 ४३ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR5555555555 (६) णायाधम्मकहाओ पढमो सुयक्खंधो ? - अन्झयणं उक्खिते पिट्ठको २०] 5 5555555FOTORY FATO तते णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाओ नगराभो गुणसिलाओ चेतियाओ पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरति । २९. तते णे से मेहे ई अणगारे अन्नया कयाइ समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाते समाणे मासियं भिक्खुपडिम उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। जहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबन्धं । तते णं से मेहे अणगारे समणेणं भगवया अब्भणुण्णाते समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरति । मासियं भिक्खुपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं सम्मं कारणं फासेति पालेति सोभेति तीरेति किट्टेति, सम्मं काएण फासेत्ता पालेत्ता सोभेत्ता तीरेत्ता किट्टित्ता पुणरवि समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाते समाणे दोमासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्धं । जहा पढमाए अभिलावो तहा दोच्चाए तच्चाए चउत्थाए पंचमाए छम्मासियाए सत्तमासियाए पढमसत्तराइंदियाए दोच्चसत्तरातिदियाए तच्चसत्तरातिदियाए अहोराइयाए एगराइयाए वि । तते णं से मेहे अणगारे बारस भिक्खुपडिमाओ सम्मं कारणं फासेत्ता पालेत्ता सोभेत्ता तीरेत्ता किट्टित्ता पुणरवि वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाते समाणे गुणरतणसंवच्छरं फतवोकम्मं उपसंपज्जित्ताणं विहरित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं । तते णं से मेहे अणगारे पढमं मासं चउत्थं-चउत्थेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं । दोच्चं मासं छ8-छटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सुराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रतिं वीरासणेणं आवाउडएणं । तच्चं मासं अट्ठम-अट्ठमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए # आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं । चउत्थं मासं दसम-दसमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं । पंचमं मासं दुवालसम-दुवालसमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेणं अवाउडएणं । एवं एएणं अभिलावेणं छठे चोद्दसमं-चोइसमेणं, सत्तमे सोलसम-सोलसमेणं, अट्ठमे अट्ठारसमंअट्ठारसमेणं, नवमे वीसतिमं-वीसतिमेणं, दसमे -बावीसतिमंबावीसतिमेणं, एक्करसमे चउवीसतिमं चउवीसतिमेणं, बारसमे छव्वीसतिम-छव्वीसतिमेणं, तेरसमे अट्ठावीसतिम-अट्ठावीसतिमेणं, चोद्दसमे तीसतिमतीसतिमेणं, पंचदसमे बत्तीसतिम-बत्तीसतिमेणं, सोलसमे चउत्तीसतिमं-चउत्तीसतिमेणं, अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं, दिया ठाणुकुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए आयावेमाणे, रत्तिं वीरासणेण य अवाउडएण य । तए णं से मेहे अणगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं अहासुत्तं जाव सम्मं कारणं फासेइ पालेइ सोभेइ तीरेइ किट्टेइ, अहासुत्तं अहाकप्पं जाव किट्टेत्ता समण भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता बहूहिं छठ्ठठ्ठम-दसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरति ।३०. ततेणं से मेहे अणगारे तेणं उरालेणं विपुलेणं सस्सिरीएणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं उदग्गेणं उदारेणं उत्तमेणं महाणुभावेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे किडिकिडियाभूए अट्ठिचम्मावणद्धे किसे धमणिसंतए जाते यावि होत्था, जीवंजीवेणं गच्छति, जीवंजीवेणं चिट्ठति, भासं भासित्ता गिलाति, भासं भासमाणे गिलाति, भासं भासिस्सामि त्ति गिलाति, से जहानामए इंगालसगडिया इ वा कट्ठसगडिया इ वा पत्तसगडिया इ वा तिलंडासगडिया इ वा एरंडसगडिया इ वा उण्हे दिन्ना सुक्का समाणी ससदं गच्छइ, ससदं चिट्ठति, एवामेव मेहे अणगारे ससई गच्छइ, ससई चिट्ठइ, उवचिए म तवेणं, अवचिते मंस-सोणिएणं, हुयासणे इव भासरासिपरिच्छन्ने, तवेणं तयेणं तवतेयसिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणे उवसोभेमाणे चिट्ठति । ते णं काले णं ते ॐ णं समए णं समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे जाव पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणामेव रायगिहे नगरे जेणामेव ॐ गुणसिलए चेतिए तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता अहापडिरुवं उग्गहं ओगिण्हइ, ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरति । तते णं तस्स मेहस्स अणगारस्स राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं इमेणं ओरालेणं तहेव जाव भासं भासिस्सामि त्ति गिलामि, तं अत्थिता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे सद्धा धिती संवेगे। तंजाव तामे अत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए Keross 555555555555 श्री आगमयमंन्या- R ananesthese twinmumtamman 听听听听听听乐乐明乐乐乐乐乐乐乐乐纸听乐明明明明明玩乐乐乐乐明明明明明明明明明乐乐 GO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听23 onEducation International 20100 Miainelibrary.o Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४ (६) पायाच [२१] 0903590 300 300 300 300 3690530 पुरिसगारपरक्कमे सद्धा धिती संवेगे, जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरति, ताव ताव मे सेयं कल्लं पाउप्पमायाए रयणीए जावतेयसा जलते सूरिए समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नमंसित्ता समणेणं भगवता महावीरेणं अब्भणुण्णायस्स समाणस्स सयमेव पंच महव्वयाई आरुहित्ता गोयमादीए समणे निग्गंथे निग्गंधीओ य खामेत्ता तहारूवेहिं कडाईहिं थेरेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं सणियं सणियं दुरुहित्ता सयमेव मेहघणसन्निगासं पुढविसिलापट्टयं पडिलेहित्ता संलेहणाझूसणाझूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खितस्स पाओवगयस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए । एवं संपेहेति । संपेहित्ता कल्लं पाउप्प [भायाए रयणीए] जाव जलंते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आदाहिणपदाहिणं करेइ, करित्ता -वंदति नम॑सति, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे पज्जुवासति । मेहा ! ति समणे भगवं महावीरे मेहं अणगारं एवं वदासी से णूणं तव मेहा ! राओ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिते जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं इमेणं ओरालेणं जाव जेणेव इहं तेणेव हव्वमागते, से णूणं मेहा अट्ठे समट्ठे ? हंता अत्थि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं । तते णं से मेहे अणगारे समणेण भगवया [महावीरेणं] अब्भणुण्णाते समाणे हट्ठ जाव हियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति, करेत्ता वंदति नम॑सति, वंदित्ता नमंसित्ता सयमेव पंच महव्वयाई आरुहेति, आरुहेत्ता गोयमाति समणे निग्गंथे निग्गंथीओ य खामेति, खामेत्ता तहारूवेहिं कडादीहिं थेरेहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं सणियं सणियं दुरुहति, दुरुहित्ता सयमेव मेहघणसन्निगासं पुढविसिलापट्टयं पडिलेहेति, पडिलेहेत्ता उच्चारपासवणभूमिं पडिलेहेति, पडिलेहेत्ता दब्भसंथारगं संथरति, संथरित्ता दब्भसंथारगं दुरुहति, दुरुहित्ता पुरत्याभिमुहे संपलियंकनिसण्णे करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वदासी नमोत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, णमोत्थूणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स वदामी णं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासऊ मे भगवं तत्थगते इहगतं त्ति कटु वंदति नम॑सति, वंदिता नमंसिता एवं वदासी पुव्वं पि य णं मए समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणातिवाए पच्चक्खाए मुसावाए अदिन्नादाणे मेहुणे परिग्गहे कोहे माणे माया लोभे पेज्ने दोसे कलहे अब्भक्खाणे पेसुन्ने परपरिवाए अरतिरति मायामोसे मिच्छादंसणसल्ले पच्चक्खाते, इयाणि पिणं अहं तस्सेव अंतिए सव्वं पाणातिवायं पच्चक्खामि जाव मिच्छादंसणसल्लं पच्चक्खामि सव्वं असण-पाण- खाइम साइमं चउव्विहं पि आहारं पच्चक्खामि जावज्जीवाए, जं पि य इमं सरीरं इटुं कंतं पियं जाव विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कट्टु एवं पि य णं चरमेहिं ऊसासनीसासेहिं वोसिरामि त्ति कट्टु संलेहणाझूसणाझूसिते भत्तपाणपडियाइक्खिते पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरति । तते णं ते थेरा भगवंतो मेहस्स अणगारस्स अगिलाए वैयावडियं करेति। तते णं से मेहे अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं घेराणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जित्ता, बहुपडिन्नाई दुवाल वरिसाई सामन्नपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसित्ता, सट्ठि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता, आलोतियपडिक्कंते उद्धियसल्ले समाहिपत्ते अणुपुव्वेणं कलगए । तते णं ते रा भगवंतो मेहं अणगारं अणुपुव्वेणं कालगयं पासंति, पासित्ता परिनिव्वाणवत्तियं काउस्सग्गं करेति, करित्ता मेहस्स आयारभंडयं गेण्हंति, गेण्हित्ता विउलाओ पव्वयाओ सणियं सणियं पच्चोरुहंति, पच्चोरुहित्ता जेणामेव गुणसिलए चेइए जेणामेव समणे भगवं महावीरे तेणामेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदंति नमंसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी मेहे णामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीते से णं देवाणुप्पिएहिं अण्णा समाणे गोत्तमातिए समणे निग्गंथे निग्गंथीओ य खामेत्ता अम्हेहिं सद्धिं विउलं पव्वयं सणियं सणियं दुरुहति, [दुरुहित्ता ] सयमेव मेघघणसन्निगासं पुढविसिलं पडिलेहेति, [पडिलेहित्ता ] भत्तपाणपडियाइक्खिते अणुपुव्वेणं कालगए। एस णं देवाणुप्पिया मेहस्स अणगारस्स आयारभंडए । ३१. भंते! त्ति भगवं गोतमे समण भगवं महावीरं वंदति नम॑सति, वंदित्ता नमसित्ता एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पियाण अंतेवासी मेहे णामं अणगारे से णं भंते! मेहे अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए कहिं उववन्ने ? गोतमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वनासी एवं खलु गोयमा ! मम अंतेवासी मेहे णामं अणगारे श्री आगमगुणमंजूषा - ६११ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १ अ. / २ अ. संघाडे [२२] पगतिभद्दए जाव विणीए से णं तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जिति, अहिज्जत्ता बारस भिक्खुपडिमाओ गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं काएणं फासेत्ता जाव किट्टेत्ता मए अब्भणुण्णाते गोयमाइ थेरे खामेति, [खामेत्ता ] तहारूवेहिं जाव विपुलं पव्वयं दुरुहति, दुरुहित्ता दब्भसंथारगं संथरति, संथरित्ता दब्भसंथारोवगए सयमेव पंच महव्वए उच्चारेइ, उच्चारित्ता बारस वासाइं सामण्णपरियागं पाउणेत्ता, मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसेत्ता, सहिं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, आलोइयपडिक्कंते उद्धियसल्ले समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा, उड्डुं चंदिम-सूर-गगण - णक्खत्त-तारारूवाणं बहूइं जोयणाई बहूइं जोयणसयाई बहूइं जोयणसहस्साइं बहूइं जोयणसयसहस्साइं बहूओ जोयणकोडीओ बहूओ जोयणकोडाकोडीओ उड्ढ दूरं उप्पइत्ता सोहम्मीसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलंग महासुक्क सहस्साराणयपाणयारणच्चुते तिण्णि य अट्ठारसुत्तरे गेवेज्जविमाणावाससए वीइवइत्ता विजए महाविमाणे देवत्ताए उववण्णे । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं तेतीसं साणरोवमाई ठिती पण्णता । तत्थ णं मेहस्स वि देवस्स तेत्तीस सागरोवमाई [ठिती पण्णत्ता ] | एस णं भंते! मेहे देवे ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति, कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति, बुज्झिहिति, मुच्चिहिति, परिणिव्वाहिति, सव्वदुक्खाणमंतं काहिति । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आदिगरेणं तित्थगरेणं जाव संपत्तेणं अप्पोलंभनिमित्तं पढमस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते त्ति बेमि । ★★★ । पढमं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ ★★★ बीयं अज्झयणं 'संघाडे' ★★★ ३२. जति णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेण पढमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, बितियस्स णं भंते । णायज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे णाम नयरे होत्था, णगरवण्णओ । तस्स णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए गुणसिलए नाम चेतिए होत्था, वण्णओ । तस्स णं गुणसिलयस्स चेतियस्स अदूरसामंते एत्थ णं महं एगे जिण्णूज्जाणे यावि होत्या, विणट्ठदेवउल- परिसडियतोरण-धरे नाणाविहगच्छ गुम्म-लया- वल्लि - वच्छच्छाइए अणेगवालसयसंकणिज्जे यावि होत्था । तस्स णं जिष्णुज्जाणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे भग्गकूवए यावि होत्या तस्स णं भग्गकूवस्स अदूरसामंते एत्थ णं महं एगे मालुयाकच्छए या होत्या, किहे कि होभासे जाव रम्मे महामेहनिउरंबभूते बहूहिं रुक्खेहि य गच्छेहि य गुम्मेहि य लयाहि य वल्लीहि य तणेहि य कुसेहि य खण्णुएहि य संछन्ने परिच्छन्ने, अंतो झुसिरे, बाहिं गंभीरे, अणेगवालसयसंकणिज्जे यावि होत्था । ३३. तत्थ णं रायगिहे नगरे धणे नाम सत्थवाहे अड्डे दिते जाव विउल भत्त-पाणे, तस्स णं घणस्स सत्थवाहस्स भद्दा नाम, भारिया होत्था सुकुमालपाणिपाया अहीणपडि पुण्णपंचिदियसरीरा लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणपडिपुण्णसुजातसव्वंगसुदरंगी ससिसोमागारकं तपियदंसणा सुरूवा करयलपरिमियतिवलियवलियमज्झा कुंडलुल्लिहियगंडलेहा कोमुदिरयणियरपडिपुण्ण सोमवयणा सिंगारागारचारुवेसा जाव पडिरूवा वंझा अवियागरी जाणु कोप्परमाया यावि होत्था । ३४. तस्स णं धणस्स सत्यवाहस्स पंथए नाम दासचेडे होत्था सव्वंगसुंदरंगे मंसोवचिते बालकीलावणकुसले यावि होत्था । तते णं से धणे सत्थवाहे रायगिहे नयरे बहूणं नगर-निगम-सेट्ठि-सत्थवाहाणं अट्ठारसण्ह य सेणिप्पसेणीणं बहूसु कज्जेसु य कुटुंबेसु य मंतेसु य जाव चक्खुभूते यावि होत्था, नियगस्स वि य णं कुटुंबस्स बहुसु कज्जेसु य जाव चक्खुभूते यावि होत्था । ३५. तत्थ णं रायगिहे नगरे विजए नामं तक्करे होत्था पावचंडालरूवे भीमतररुद्दकम्मे आरुसियदित्तरत्तनयणे खरफरुसमहल्लविगयबीभच्छदाढिए असंपुडितउट्टे उद्घुयपइण्णलंबतमुद्धए भमरराहुवण्णे निरणुक्कोसे निरणुतावे दारुणे पतिभए निस्संसतिए निरणुकंपे, अही व एगंतदिट्ठिए, खुरे व एगंतधाराए, गिद्धे व आमिसतल्लिच्छे, अग्गिमिव सव्वभक्खी, जलमिव सव्वग्गाही, उक्कंचण-वंचण-माया- नियडि-कूड - कवडसाइसंपओगबहुले चिरनगरविणदुट्ठसीलायारचरित्ते जूयप्पसंगी मज्जप्पसंगी भोज्जप्पसंगी मंसप्पसंगी दारुणे हिययदारए साहसिए संधिच्छेयए उवहिए विस्संभघाती आलीवगतित्थभेयलहुहत्थसंपउत्ते, परस्स दव्वहरणंमि निच्चं अणुबद्धे, तिव्ववेरे, रायगिहस्स नगरस्स बहूणि अतिगमणाणि य संवट्टणाणि य निवट्टणाणि य जूयखलयाणि य पाणागाराणि य वेसागाराणि य तक्करट्ठाणाणि य तक्करघराणि य सिंघाडगाणि य तियाणि य चउक्काणि य चच्चराणि य नागघराणि य भूयघराणि य जक्खदेउलाणि य सभाणि य पपाणि य Kon श्री आगमगुणमंजूषा - ६१२ NRO Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C$$$$乐听听听听听听听听听听听听乐听听听听 $项$$$$$$$乐乐乐乐乐乐听听听听听听乐乐乐乐乐乐MO AGROS99999999999999 हाचाचम्मकमजोर.म. /२. सवार रिश 15555555555xxrape पणियसलाणि य सुन्नधराणि य आभोएमाणे मग्गमाणे गवेसमाणे, बहुजणस्स छिद्देसु य विसमेसु य विहुरेसु य वसणेसु य अब्भुदएसु य उस्सवेसु य पसवेसु य । तिहीसु य छणेसु य जन्नेसु य पव्वणीसु य मत्तपमत्तस्स य वक्खित्तस्स य वाउलस्स य सुहियस्स य दुहियस्स य विदेसत्थस्स य विप्पवसिस्स य मग्गं च छिदं च विरहं च अंतरं च मग्गमाणे गवेसमाणे एवं च णं विहरति, बहिया वि य णं रायगिहस्स नगरस्स आरामेसु य उज्जाणेसु य वावि-पोक्खरणि-दीहिय-गुंजालियसरपंतिय-सरसर-पंतियासु य जिण्णुज्जाणेसु य भग्गकूवएसु य मालुयाकच्छएसु य सुसाणएसु य गिरिकंदरेसु य लयणेसु [य] देवउलेसु य उवट्ठाणेसु य बहुजणस्स छिद्देसुयजाव एवं च णं विहरति । ३६. ततेणं तीसे भद्दाए भारियाए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुपज्जित्था अहं धणेण सत्थवाहेण सद्धिं बहूणि वासाणि सद्द-फरिस-रस-रूवाणि माणुस्सगाई कामभोगाइं पच्चणुभवमाणी विहरामि, नोभ चेवणं अहं दारगं वा दारिगं पयामि, तं धन्नाओणं ताओ अम्मयाओ जाव सुलद्धे णं माणुस्सए जम्मजीवियफले तासिं अम्मयाणं जासिं मन्ने णियगकुच्छिसंभूयाति थणदुद्धलुद्धयातिं महुरसमुल्लावगातिं मम्मणपयंपियातिं थणमूला कक्खदेसभागं अभिसरमाणातिं मुद्धयाइं थणयं पियंति, ततो य कोमलकमलोवमेहिं हत्थेहि गिण्हिऊणं उच्छंगनिवेसियाणि देति समुल्लावए पिए सुमहुरे पुणो पुणो मंजुलप्पभणिते, तंणं अहं अदन्ना अपुण्णा अकयलक्खणा एत्तो एगमवि न पता । तं सेयं मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलते धणं सत्थवाहं आपुच्छित्ता धणेणं सत्थवाहेणं अब्भणुण्णाया समाणी सुबहुं विपुलं असण-पाण-खातिम-सातिमं उवक्खडावेत्ता सुबहुं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारं गहाय बहूहि मित्त-णाति-णियग-सयण-संबंधि-परिजणमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा जाई इमाइं रायगिहस्स नगरस्स बहिया णागाणि य भूयाणि य जक्खाणि य इंदाणि य खंदाणि य रुद्दाणि य सिवाणि य वेसमणाणि य तत्थ णं बहूणं नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य महरिहं पुप्फच्चणियं करेत्ता जण्णुपायपडियाए एवं वइत्तए जइ णं हं देवाणुप्पिया ! दारगं वा दारिगं वा पयामि तो णं अहं तुब्भं जायं च दायं च भायं च अक्खयणिहिं च अणुवड्डेमि त्ति कट्ट उवातियं उववाइत्तए। एवं संपेहेति, संपेहित्ता कल्लं जाव जलते जेणामेव धणे सत्थवाहे तेणामेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता एवं वदासि एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं सद्धिं बहूहिं वासाइं जाव देति समुल्लावए सुमहुरे पुणो पुणो मंजुलप्पभणिते, तं णं अहं अहन्ना अपुण्णा अकयलक्खणा, एत्तो एगमवि न पत्ता । तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाता समाणी विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं जाव अणुवड्डेमि उवाइयं करेत्तए । तते णं धणे सत्थवाहे भद्दे भारियं एवं वदासी ममं पि य णं खलु देवाणुप्पिए ! एस चेव मणोरहे - 'कहं णं तुमं दारगं वा दारिगं वा पयाएज्जासि' । भद्दाए सत्यवाहीए एवमट्ठमणुजाणति। तते णं सा भद्दा सत्यवाही धणेणं सत्थवाहेणं अब्भणुण्णाता समाणी हट्ठतुट्ठजाव हियया विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेति, २त्ता सुबहुं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारं गेण्हति, २ त्ता सयाओ गिहाओ निग्गच्छति, २त्ता रायगिहं नगरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छति, २त्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति, २ त्ता पुक्खरिणीए तीरे सुबहु पुप्फ जाव मल्लालंकारं ठवेइ, २ त्ता पुक्खरिणिं ओगाहइ, २ जलमज्जणं करेति, २ त्ता जलकीडं करेति, २ त्ता ण्हाया कयबलिकम्मा उल्लपडसाडिगा जाई तत्थ उप्पलाइंजाव सहस्सपत्ताई ताइं गिण्हइ, २ त्ता पुक्खरिणीतो पच्चोरुहइ, २ त्तातं सुबहुयं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्ल गेण्हति, २ त्ता जेणामेव नागघरए य जाव वेसमणघरए य तेणेव उवागच्छति, २ त्ता तत्थ णं नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य आलोए पणामं करेति, २ त्ता पच्चुन्नमइ, २ लोमहत्थगं परामुसइ, २त्ता नागपडिमाओ य जाव वेसमणपडिमाओ य लोमहत्थएणं पमज्जति, २त्ता उदगधाराए अब्भुक्खेति, २त्ता पम्हलसूमालाए गंधकासाइए गायाइं लूहेइ, २त्ता महरिहं वत्थारूहणं च मल्लारुहणं च गंधारुहणं च चुन्नारुहणं च वन्नारुहणं च करेति, २ त्ता धूवं डहति, २त्ता जण्णुपायपडिया पंजलिउडा एवं वदासी 'जइ णं अहं दारगं वा दारिगं वा पयामि तो णं अहं जायं च जाव अणुवड्डेमि' त्ति कट्ट उवातियं करेति, २ त्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव म उवागच्छति, २त्ता तं विपुलं असणं ४ आसाएमाणी जाव विहरति । जिमिया जाव सुइभूया जेणेव सए गिहे तेणेव उवागया। अदुत्तरं च णं भद्दा सत्थवाही चाउद्दसट्ठमुद्दिठ्ठपुण्णमासिणीसु विपुलं असण ४ उवक्खडेति, २ बहवे नागा य जाव वेसमणा य उवायमाणी णमंसमाणी जाव एवं च णं विहरति । ३७. तते णं साथ ero5555555555555555555555 9 श्री आगमगुणमंजूषा - ६१३55555555555555555555555 959555 路听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐乐乐听听听听听听听乐乐2V #555555OOK 明明明明明明 म 乐乐乐乐乐乐明明明明明乐乐乐听听玩玩乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐 MORO5555555555555559 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. २ अ. संघाडे २४ भद्दा सत्थवाही अन्नया कदाइ केणति कालंतरेण आवन्नसत्ता जाया यावि होत्था । तते णं तीसे भद्दाए सत्थवाहीए दोसु मासेसु वीतिकंतेसु ततिए मासे वट्टमाणे इमेयारूवे दोहले पाउब्भूते धन्नाओणं ताओ अम्मयाओ जाव कयलक्खणाओ ताओ अम्मयाओ जाओणं विउलं असणं ४ सुबहुयं पुप्फवत्थ-गंध-मल्लालंकारं गहाय मित्त-नाति-नियग-सयण-संबंधि-परियणमहिलियाहियसद्धिं संपरिवुडाओरायगिह नगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छंति, २ जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति, २त्ता पोक्खरिणी ओगांति, २त्ता ण्हायाओ कयबलिकम्माओ सव्वालंकारविभूसियाओतं विपुलं असणं ४ आसाएमाणीओ जाव परि जमाणीओ दोहलं विणेति । एवं ॥ संपेहेति, २ त्ता कल्लं जाव जलंते जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति, २त्ता धणं सत्थवाहं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम तस्स गब्भस्स जाव विणेति । तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाता समाणी जाव विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं । तते णं सा भद्दा [सत्थवाही] धणेणं ॥ सत्थवाहेणं अब्भणुण्णाया समाणी हट्ठा जाव विपुलं असण ४ जाव ण्हाया जाव उल्लपडसाडगा जेणेव नागघरते जाव धूवं दहति, २ पणामं करेति, पणामं करेत्ता' जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छति, २ तते णं ताओ मित-नाति जाव नगरमहिलाओ भई सत्थवाहिं सव्वालंकारविभूसितं करेति । तते णं सा भद्दा सत्थवाही ताहि मित्त-नाति-नियग-सयण-संबंधि-परिजाण-णागरमहिलियाहिं सद्धिं तं विपुलं असणं ४ जाव परि जमाणी य दोहलं विणेति, २ त्ता जामेव दिसिं पाउब्भूता तामेव दिसिं पडिगया। तते णं सा भद्दा सत्थवाही संपुण्णदोहला जाव तं गम्भं सुहंसुहेणं परिवहति । तते णं सा भद्दा सत्थवाही णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं ' अट्ठमाण य राइंदियाणं० सुकुमालपाणिपादं जाव दारगं पयाया। तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे जातकम्मं करेति, २ त्ता तहेव जाव विपुलं असणं ४ उवक्खडावेति, २ त्ता तहेव मित्त-नाति० भोयावेत्ता अयमेयारूवं गोणं गुणनिप्फन्नं नामधेज करेंति जम्हा णं अम्हं इमे दारए बहूणं नागपडिमाण य जाव वेसमणपडिमाण य उवाइयलद्धे तं होउणं अम्हं इमे दारए देवदिन्ने नामेणं । तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधिज्ज करेंति देवदिन्ने त्ति । तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो जायं च दायं च भायं च अक्खयनिहिं च अणुवड्डेति । ३८. तते णं से पंथए दासचेडए देवदिन्नस्स दारगस्स बालग्गाही जाए। देवदिन्नं दारयं कडीएगेण्हति, २ बहूहि डिभएहिं य डिभिगाहियदारएहि य दारियाहिय कुमारएहि य कुमारियाहि यसद्धिं संपरिबुडे अभिरमति। ततेणं सा भद्दा सत्यवाही अन्नया कदाइ देवदिन्नं दारयं ण्हायं कयबलिकम्मं कयकोउयमंगलपायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं करेति, करेत्ता पंथयस्स दासचेडयस्स हत्थयंसि दलयति । तते णं से पंथए दासचेडए भद्दाए सत्थवाहीए हत्थाओ देवदिन्नं दारगं कडीए गिण्हति, २ त्ता सयातो गिहाओ पडिनिक्खमति, २ त्ता बहूहि डिभएहिं य डिभियाहिं य जाव कुमारियाहिं य सद्धिं संपरिवुडे जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छति, २त्ता देवदिन्नं दारगं एगते ठावेति, २त्ता बहूहिँ डिभएहि य जाव कुमारियाहि य सद्धि संपरिवुडे पमत्ते यावि विहरति । इमं च णं विजए तक्करे रायगिहस्स नगरस्स बहूणि बाराणि य अवदाराणि य तहेव जाव आभोएमाणे मग्गमाणे गवेसमाणे जेणेव देवदिन्ने दारए तेणेव उवागच्छइ, २ देवदिन्नं दारगं सव्वालंकारविभूसियं पासति, पासित्ता देवदिन्नस्स दारगस्स आभरणालंकारेसु मुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववन्ने पंथयं च ॥ म दासचेडं पमत्तं पासति, २त्ता दिसालोयं करेति, करेत्ता देवदिन्नं दारगं गेण्हति, २त्ता कक्खंसि अल्लियावेति, २ त्ता उत्तरिज्जेणं पिहेइ, २ त्ता सिग्धं तुरियं चवलं वेतियं रायगिहस्स नगरस्स अवदारेणं निग्गच्छति, २ त्ता जेणेव जिण्णुज्जाणे जेणेव भग्गकूवए तेणेव उवागच्छति, २त्ता देवदिन्नं दारयं जीवियाओ ववरोवेति, २ म त्ता आभरणणालंकारं गेण्हति, २त्ता देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरगं निप्पाणं निच्चेटुं जीवियविप्पजढं भग्गकूवए पक्खिवति, २ त्ता जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छति, २त्ता मालुयाकच्छयं अणुपविसति, २त्ता निच्चले निष्फंदे तुसीणिए दिवसं खवेमाणे चिट्ठति । ३९. तते णं से पंथए दासचेडे तओ मुहुत्तंतरस्स जेणेव देवदिन्ने दारए ठविए तेणेव उवागच्छति, २त्ता देवदिन्नं दारगं तंसि ठाणंसि अपासमाणे रोयमाणे कंदमाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं करेइ, म २त्ता देवदिन्नस्स विलवमाणे दारगस्स कत्थइ सुति वा खुतिं वा पउत्तिं वा अलभमाणे जेणेव सए गिहे जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति, २त्ता धणं सत्थवाहं थएवं वदासि एवं खलु सामी ! भद्दा सत्थवाही देवदिन्नं दारयं ण्हायं जाव मम हत्थंसि दलयति, तते णं अहं देवदिन्नं दारयं कडीए गिण्हमि, २ जाव मग्गणगवेसणं KORo5555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६१४5555555555555555555555555 O2O乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2C Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. / २ अ. संघाडे [२५] ********* करेमि । तं न णज्जति णं सामि ! देवदिने दारए केणइ णितिए वा अवहिए वा अक्खित्ते वा । पायवडिए धणस्स सत्यवाहस्स एतमट्टं निवेदेति । तते णं से धणे सत्थवाहे पंथयस्स दासचेडस्स एतमहं सोच्चा णिसम्म तेण य महया पुत्तसोएणाभिभूते समाणे परसुणियत्ते व चंपगपायवे धसत्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं सन्निवइए । तते गं धणे सत्वा ततो मुहुत्तंतरस्स आसत्थे पच्चागयपाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सव्वतो समंता मग्गण-गवेसणं करेति, २ त्ता देवदिन्नस्स दारगस्स कत्थइ सुइं वा खुई वा पउत्तिं वा अलभमाणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता महत्थं पाहुडं गेण्हति, २ त्ता जेणेव नगरगुत्तिया तेणेव उवागच्छति, २त्ता तं महत्थं पाहुडं उवणेति, उवणेत्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए देवदिन्ने नाम दारए इट्ठे कंते जाव उंबरपुप्फे पि व दुल्लहे सवणयाए, किमंग पाणयाए ?, ततेणं सा भद्दा देवदिन्नं हायं सव्वालंकारविभूसियं पंथगस्स हत्थे दलाति जाव पायवडिए तं मम निवेदेति । तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! देवदिन्नस्स दारगस्स सव्वओ समंता मग्गण - गवेसणं कथं । तए णं ते नगरगुत्तिया धणेणं सत्थवाहेणं एवं वृत्ता समाणा सन्नद्धबद्धवम्मियकवया उप्पीलियस रासणपट्टीया जाव गहियाउहपहरणा धणेणं सत्थवाहेणं सद्धिं रायगिहस्स नगरस्स बहूणि अतिगमणाणि य जाव पवासु य मग्गण-गवेसणं करेमाणा रायगिहाओ नगराओ पडिनिक्खमंति, २ त्ता जेणेव जिष्णुज्जाणे जेणेव भग्गकूवए तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरगं निप्पाणं निच्चेट्टं जीवविप्पजढं पासंति, २ त्ता हा हा अहो अकज्जमिति कट्टु देवदिन्नं दारगं भग्गकूवाओ उत्तारेति, २ धणस्स सत्थवाहस्स हत्थे दलयंति । ४०. तते णं ते नगरगुत्तिया विजयस्स तक्करस्स पयमग्गमणुगच्छमाणा २ जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता मालुयागच्छयं अणुपविसंति, २ त्ता विजयं तक्करं ससक्खं सहोढं सगेवेज्जं जीवगाहं गिण्हंति, २ त्ता अट्ठिमुट्ठिजाणुकोप्परपहारसंभग्गमहियगत्तं करेंति, २ त्ता अवउडगबंधणं करेंति, २ त्ता देवदिन्नगस्स दारगस्स आभरणं गेण्हंति, २ त्ता विजयस्स तक्करस्स गीवाए बंधंति, २ त्ता मालुयाकच्छगाहो पडिनिक्खमंति, २ त्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता रायगिहं नगरं अणुपविसंति, २ त्ता रायगिहे नगरे सिंघाडग- तिगचउक्क चच्चर-महापह पहेसु कसप्पहारे य लयप्पहारे य छिवापहारे य निवाएमाणा २ छारं च धूलिं च कयवरं च उवरिं पकिरमाणा २ महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वदंति एस णं देवाणुप्पिया ! विजए नाम तक्करे जाव गिद्धे विव आमिसभक्खी बालघायए बालमारये, तं नो खलु देवाणुप्पिया ! एयस्स केति राया वा रायामच्चे वा अवरज्झति, णण्णत्थ अप्पणो सयातिं कम्माई अवरज्झंति त्ति कट्टु जेणामेव चारगसाला तेणामेव उवागच्छंति, २ हडिबंधणं करेति, २ त्ता भत्त-पाणनिरोहं करेति, २ त्ता तिसंझं कसप्पहारे य जाव निवाएमाणा २ विहरति । तते णं से धणे सत्थवाहे मित्त-नाति-नियग-सयणसंबंधि-परियणेणं सद्धिं रोयमाणे जाव विलवमाणे देवदिन्नस्स दारगस्स सरीरस्स महया इड्डीसक्कारसमुदएणं नीहरणं करेति, २ त्ता बहूई लोइयाई मयकिच्चाई करेति, २ त्ता केणइ कालंतरेण अवगयसोए जाते यावि होत्था । ४१. तते णं से धणे सत्थवाहे अन्नया कयाइ लहूसरांसि रायावराहंसि संपलते जाए यावि होत्था, त णं ते नगरगुत्तिया धणं सत्यवाहं गेण्हंति, २ त्ता जेणेव चारगे तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता चारगं अणुपविसंति, २ विजएणं तक्करेणं सद्धिं एगयओ हडिबंधणं करेति । तते णं सा भद्दा भारिया कल्लं जाव जलंते विपुलं असणं ४ उवक्खडेति, २ त्ता भोयणपिडए करेति, २ त्ता भोयणाइं पक्खिवति, २ त्ता लंछियमुद्दियं करेइ, २ त्ता एगं च सुरभिवारिपडिपुन्नं दगवारयं करेति, २ त्ता पंथयं दासचेडं सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं विपुलं असणं ४ गहाय चारगसालाए धणस्स सत्थवाहस्स उवणेहि । तते णं से पंथए भद्दाए सत्यवाहीए एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्टे तं भोयणपडियं तं च सुरभिवरवारिपडिपुन्नं वारयं गेण्हति, २ त्ता सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमति, २ त्ता रायगिहं नगरं मज्झंमज्झेणं जेणेव चारगसाला जेणेव धणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छति, २ भोयणपिडयं ठवेलि, २, ता उल्लंछेत्ति, २ त्ता भायणाई गेण्es, २ त्ता भायणाई धोवेइ, २ त्ता हत्थसोयं दलयति, २ त्ता धणं सत्थवाहं तेणं विपुलेणं असण ४ परिवेसेति । तत णं से विजए तक्करे धणं सत्यवाहं एवं वदासी तुमं णं देवाणुप्पिया ! मम एत्तो विपुलातो असण ४ संविभागं करेहि । तते णं से धणे सत्थवाहे विजयं तक्करं एवं वदासी अवि याई अहं विजया ! एयं विपुलं असणं ४ कायाण वा सुणगाण वा दलएज्जा, उक्कुरुडियाए वा णं छड्डेज्जा, नो चेव णं तव पुत्तघायगस्स पुत्तमारगस्स अरिस्स वेरियस्स ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ६१५52 फ्र Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. / २अ संघाडे [२६] पडणीयस्स पच्चामित्तस्स एत्तो विपुलाओ असण ४ संविभागं करेज्जामि । तते णं से धणे सत्थवाहे तं विपुलं असण ४ आहारेति, २ तं पंथयं पडिविसज्जेति । तते गं से पंथ दास चेडए तं भोयणपिडंगं गिण्हति, २ त्ता जामेव दिसं पाउब्भूते तामेव दिसं पडिगए। तते णं तस्स धणस्स सत्थवाहस्स तं विपुलं असण ४ आहारियस्स समाणस्स उच्चारपासवणे णं उब्बाहित्था, तते णं से धणे सत्थवाहे विजयं तक्करं एवं वदासी एहि ताव विजया ! एगंतमवक्कमामो जाणं अहं उच्चारपासवणं परिवेमि । ततेणं से विज्जए तक्करे धणं सत्थवाहं एवं वयासी तुज्ज णं देवाणुप्पिया ! विपुलं असण ४ आहारियस्स अत्थि उच्चारे वा पासवणे वा मम णं देवाणुप्पिया ! इमेहिं बहूहिं कसप्पहारेहि य जाव लयापहारेहि य तण्हाए य छुहाए य परब्भमाणस्स णत्थि केइ उच्चारे वा पासवणे वा, तं छंदेणं तुमं देवाणुप्पिया ! एगते अवक्कमिता उच्चारपासवणं परिद्ववेहि। तते णं से धणे सत्थवाहे विजएणं तक्करेणं एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए संचिट्ठति । तते णं से धणे सत्थवाहे मुहुत्तंतरस्स बलियतरागं उच्चार- पासवणेणं उब्बाहिज्जमाणे विजयं तक्करं एवं वदासीएहि ताव विजया ! जाव अवक्कमामो। तते णं से विजए तक्करे धणं सत्थवाहं एवं वयासी जइ णं तुमं देवाणुप्पिया ताओ विउलाओ असण ४ संविभागं करेहि ततो हं तुमेहि सद्धिं एगंतं अबक्कमामि । तते णं से घणे सत्थवाहे विजयं एवं वदासी अहं णं तुझं तातो विपुलातो असणा४ संविभागं करिस्सामि । तते णं से विजए घणस्स सत्यवाहस्स एतमट्टं पडिसुणेति । तते णं से विजए धणेणं सत्थवाहेणं सद्धिं एगते अवक्कमेति, [२] उच्चारपासवणं परिट्ठवेति, २ आयंते चोक्खे परमसुइभूते तमेव ठाणं उवसंकमित्ताणं विहरति । तते णं सा भद्दा कल्लं जाव जलंते विपुलं असणं ४ जाव परिवेसेति तते णं से घणे सत्थवाहे विजयस्स तक्करस्स तातो विपुलातो असण संविभागं करेति । तते णं से धणे सत्थवाहे पंथयं दासचेडं विसज्जेति । तते णं से पंथए भोयणपिडयं गहाय चारगाओ पडिनिक्खमति, २ त्ता रायगिहं नगरं मज्झमज्झेणं जेणेव सए गिहे जेणेव भद्दा भारिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भदं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिए! धणे सत्थवाहे तव पुत्तघायगस्स जाव पच्चामित्तस्स ताओ विपुलाओ असण ४ संविभागं करेति । तते णं सा भद्दा सत्यवाही पंथयस्स दासचेडस्स अंतिए एयमहं सोच्चा आसुरुत्ता रुट्ठा जाव मिसिमिसेमाणी धणस्स सत्थवाहस्स पओसमावज्जति । तते णं से धणे सत्थवाहे अन्नया कयाइ मित्त-नातिनियग-सयण-संबंधि-परियणेणं सएण य अत्थसारेणं रायकज्जातो अप्पाणं मोयावेति, २ त्ता चारगसालाओ पडिनिक्खमति, २ त्ता जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छति, २ त्ता अलंकारियकम्मं करेति, २ जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति, २ त्ता अह धोयमट्टियं गेण्हति, २ त्ता पोक्खरणिं ओगाहति, २ त्ता जलमज्जणं करेति, २ त्ता हाए कयबलिकम्मे जाव रायगिहं नगरं अणुपविसति, २ त्ता रायगिहं नगरं मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तते णं तं धणे सत्थवाहं एज्जमाणं पासित्ता रायगिहे नगरे बहवे नगर-निगम-सेट्ठि-सत्थहपभितओ आढंति परिजाणंति सक्कारेति सम्माणेति अब्भुट्ठेति सरीरकुसलं पुच्छंति । तते •णं से धणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता जा वि य से तत्थ बाहिरिया परिसा भवति, तंजहा दासा ति वा पेस्सा ति वा भियगा ति वा भाइल्लगा तिवा साविधणं सत्यवाहं एज्जंतं पासति, २ त्ता पायवडिया खेमकुसलं पुच्छति । जा वि य से तत्थ अब्भंतरिया परिसा भवति तंजहा माया ति वा पिता तिवा भायाति वा भगिणी ति वा सा वि य णं धणं सत्थवाहं एज्जमाणं पासति, २ त्ता आसणाओ अब्भुट्ठेति, २ कंठाकंठियं अवयासिय बाहप्पमोक्खं करेति । तते णं से धणे सत्थवाहे जेणेव भद्दा भारिया तेणेव उवागच्छति। तते णं सा भद्दा धणं सत्यवाहं एज्जमाणं पासति, पासित्ता णो आढाति नो परियाणाति, अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी तुसिणीया परम्मुही संचिट्ठति । तते णं से धणे सत्थवाहे भद्दं भारियं एवं वदासी किण्णं तुज्झं देवाणुप्पिए ! न तुट्ठी वा, न हरिसे वा नाणंदे वा, जं मए सएणं अत्थसारेण रायकज्जातो अप्पा विमोतिए । तते णं सा भद्दा धणं सत्यवाहं एवं वदासी कहण्णं देवाणुप्पिया ! मम तुट्ठी वा जाव आणंदे वा भविस्सति जेणं तुमं मम पुत्तघायगस्स जाव पच्चामित्तस्स तातो विपुलातो असण ४ संविभागं करेसि। तते णं से धणे सत्थवाहे भद्दं एवं वदासी नोखलु देवाणुप्पिए ! धम्मो त्ति वा तवो त्ति वा कयपडिकइया वा लोगजत्ता ति वा नायए ति वा घाडियए ति वा सहाए ति वा सुहि त्ति ततो विपुलातो असण ४ संविभागे कए, नन्नत्थ सरीरचिंताए । तते णं सा भद्दा धणेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणी हट्ट जाव असणातो अब्भुट्ठेति, [२] कंठाकंठि अवयासेति, [२] खेमकुसलं पुच्छति, २ त्ता पहाया जाव पायच्छित्ता YO श्री आगमगुणमंजूषा ६१६ SOYON 6666666666 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ For:55555555555555 (क) णायाधम्मकहामो प.स. २ अ. संघाडे / ३ अ. अंडे २० 5 55555555555555SONOR OLIC%明斯坎听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐乐听听听听听听听听乐听听听听听听听乐乐乐C विपुलातिं भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरति । तते णं से विजए तक्करे चारगसालाए तेहिं बंधेहिं य वहेहिं य कसप्पहारेहि य जाव तण्हाए य छुहाए य परब्भमाणे कालमासे कालं किच्चा नरएसुनेरइयत्ताए उववन्ने । सेणं तत्थ नेरइए जाते काले कालोभासे जाव वेयणं पच्चणुब्भवमाणे विहरति । से णं तओ उव्वट्टित्ता अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियट्टिस्सति । एवामेव जंबू ! जे णं अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा आयरियउवज्झायाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वतिए समाणे विपुलमणि-मोत्तिय-धण-कणग-रयण-सारेणं लुब्भति से वि एवं चेव । ४२. ते णं काले णं ते णं समए णं थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना जाव पुव्वाणुपुव्विं चरमाणा जाव जेणामेव रायगिहे नगरे जेणेव गुणसिलए चेतिए जाव अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति। परिसा निग्गया, धम्मो कहितो। तते णं तस्स धणस्स सत्थवाहस्स बहुजणस्स अंतिए एतमढे सोच्चा णिसम्म इमेतारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु भगवंतो जातिसंपन्ना इहमागया, इह संपत्ता, ते इच्छामि णं थेरे भगवंते वंदामि, नमसामि । पहाते जाव सुद्धप्पावेसाति मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिए पायविहारचारेणं जेणेव गुणसिले चेतिएजेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति, २त्ता वंदति नमंसति । तते णं थेरा भगवंतो धणस्स विचित्तं धम्ममातिक्खंति। तते णं से धणे सत्थवाहे धम्म सोच्चा एवं वदासी सद्दहामिणं भंते ! निग्गंथं पावयणं जाव पव्वतिते जाव बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता, भत्तं पच्चक्खातित्ता, मासियाए संलेहणाए सर्व्हि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता, कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइंठिती पन्नता। तत्थ णं धणस्स वि देवस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता। सेणं धणे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं ठितिक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति। ४३. जहा णं जंबू ! धणेणं सत्थवाहेणं नो धम्मो त्ति वा जाव विजयस्स तक्करस्स तातो विपुलातो असण ४ संविभागे कए, नन्नत्थ सरीरसारक्खणट्ठाए, एवामेव जंबू ! जे णं अहं निग्गंथे वा निग्गंथी वा जाव पव्वतिए समाणे ववगयण्हाणुम्मद्दण-पुप्फ-गंधमल्लालंकारविभूसे इम्मस्स ओरालियस्स सरीरस्स नो वण्णहेडं वा रूवहेउं वा विसयहेउं वा तं विउलं असणं ४ आहारमाहारेति, नन्नत्थ णाणदंसणचरित्ताणं वहणट्ठयाए, सेणं इहलोए चेव बहूणं समणाणं समणीणं सावगाण य साविगाण य अच्चणिज्जे जाव पज्जुवासणिज्जे भवति, परलोए वि यणं नो बहूणि हत्थच्छेयणाणि य कण्णच्छेयणाणि य नासाच्छेयणाणि य एवं हिययउप्पाडणाणि य वसणुप्पाडणाणि य ओलंमणाणि य पाविहिति, पुणो अणाइयं च णं अणवदग्गं दीह जाव वीतिवतिस्सति, जहा व से धणे सत्थवाहे । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया जाव दोच्चस्स नायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि || ॥ बितीयं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ तच्चं अज्झयणं 'अंडे ४४. जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव एवं खलु जंबू ! तेणं काले णं ते णं समए णं चंपा नाम नगरी होत्था, वण्णओ । तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए सुभूमिभागे नाम उजाणे सव्वोउय० सुरम्मे नंदणवणे इव सुहसुरभिसीयलच्छायाए समणुबद्धे । तस्स णं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उत्तरे एगदेसंमि मालुयाकच्छए, वण्णओ । तत्थ णं एगा वणमयूरी दो पुढे परियागते पिटुंडीपंडुरे निव्वणे निरुवहए भिन्नमुट्ठिप्पमाणे मयूरीअंडए पसवति, पसवित्ता सएणं पक्खवाएणं सारक्खमाणी संगोवमाणी संचेटेमाणी विहरति । तत्थ णं चंपाए नयरीए दुवे सत्थवाहदारगा परिवसंति तंजहा जिणदत्तपुत्ते य सागरदत्तपुत्ते य, सहजायया सहवड्डियया सहपंसुकीलियया सहदारदरिसी अन्नमन्नमणुरत्तया अन्नमन्नमणुव्वया अन्नमन्नच्छंदाणुवत्तया अन्नमन्नहियइच्छियकारया अन्नमन्नेसु गिहेसु किच्चाई करणिज्जाइं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति । ४५. तते णं तेसिं सत्थवाहदारगाणं अन्नया कयाइ एगतओ सहियाणं समुवागयाणं सन्निसन्नाणं सन्निविट्ठाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था जण्णं देवाणुप्पिया ! अम्हं सुहं वा दुक्खं वा पव्वज्जा वा विदेसगमणं वा समुप्पज्जति तण्णं अम्हेहिं एगयओ समेच्चा णित्थरियव्वं ति कट्ट अन्नमन्नमेयारूवं संगारं पडिसुणेति, २त्ताक सकम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था। ४६. तत्थ णं चंपाए नयरीए देवदत्ता नाम गणिया परिवसति अड्डा जाव भत्तपाणा चउसट्ठिकलापंडिया चउसट्ठिगणियागुणोववेया 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- ६१७5555555$$5555555$$OOR Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ aor.9555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. /३ अ. अंडे (२८] CSC5%$$$$ र अउणत्तीसं विसेसे रममाणी एक्कवीसरतिगुणप्पहाणा बत्तीसपुरिसोवयारकुसला णवंगसुत्तपडिबोहिया अट्ठारसदेसीमासाविसारया सिंगारागारचासवेसा संगयगयहसिय० उसियज्झया सहस्सलंभा विदिन्नछत्तचामरवालवीयणिया कण्णीरहप्पयाया वि होत्था, बहुणं गणियासहस्साणं आहवच्चं जाव विहरति । तते णं तेसिं सत्थवाहदारगाणं अन्नया कदाइ पुव्वावरण्हकालसमयंसि जिमियभुत्तुत्तरागयाणं समाणाणं आयंताणं चोक्खाणं परमसुइभूयाणं सुहासणवरगयाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पजित्था - सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! कल्लं जाव जलंते विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेत्ता तं विपुलं असण-पाणखाइम-साइमं धूव-पुप्फ-गंध-वत्थं गहाय देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उजाणसिरिं पच्चणुब्भवमाणाणं विहरित्तए ति कट्ट अन्नमन्नस्स एयमढें पडिसुणेति, २ कल्लं पाउ० जाव कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २त्ता एवं वदासी - गच्छहणं तुब्भे देवाणुप्पिया ! विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडेह, २ तं विपुलं असण ४ धूव-पुप्फ गहाय जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे जेणेव गंदा पुक्खरिणी तेणामेव उवागच्छह, २ नंदाए पुक्खरिणीए अदूरसामंते थूणामंडवं आहणह, २ त्ता आसितसम्मज्जितोवलित्तं सुगंध जाव कलियं करेह, २ ता अम्हे पडिवालेमाणा २ चिट्ठह, जाव चिट्ठति । तए णं ते सत्थवाहदारगा दोच्चं पि कोडुबियपुरिसे सद्दावे ति, २ ता एवं वदासी . खिप्पामेव लहक रणजुत्तजोतियं समखुरवालिहाणसमलिहियतिक्खसिंगे हिं रययामयघंटसुत्तरज्जुयवरकंचणखचियणत्थपग्गहोवग्गहितएहिं नीलुप्पलकयामेलएहिं पवरगोणजुवाणएहिं नानामणिरयणकंचणघंटियाजालपरिक्खित्तं पवरलक्खणोववेयं जुत्तामेव पवहणं उवणेह। ते वि तहेव उवणेति । तते णं ते सत्थवाहदारगा व्हाया जाव सरीरा पवहणं दुरुहंति, २ त्ता जेणेव देवदत्ताए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता पवहणातो पच्चोरुहंति, २ देवदत्ताए गणियाए गिह अणुपविसंति। तते णं सा देवदत्ता गणिया ते सत्थवाहदारए एज्जमाणे पासति, २त्ता हट्ठतुट्ठा आसणातो अब्भुढेति, २त्ता सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छति, २त्ता ते सत्थवाहदारए एवं वदासी - संदिसंतुणं देवाणुप्पिया ! किमिहागमणप्पतोयणं ? तते णं ते सत्थवाहदारगा देवदत्तं गणियं एवं वदासी - इच्छामो णं देवाणुप्पिए ! तुमे सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उज्जाणसिरिं पच्चणुब्भवमाणा विहरित्तए। तते णं सा देवदत्ता तेसिं सत्थवाहदारगाणं एतमढे पडिसुणेति, २ त्ता बहाया कयबलिकम्मा किं ते वर जाव सिरीसमाणवेसा जेणेव सत्थवाहदारगा तेणेव उवागया। तते णं ते सत्थवाहदारगा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं जाणं दुरुहंति,२ त्ता चंपाए नयरीए मज्झंमज्झेणं जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे जेणेव नंदा पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति, २॥ त्ता पवहणातो पच्चोरुहंति, २ त्ता नंदं पोक्खरिणिं ओगाहेति, २ जलमज्जणं करेंति, २त्ता जलकीडं करेंति, २ ण्हाया देवदत्ताए सद्धिपच्चुत्तरंति, २त्ता जेणेव ॥ थूणामंडवे तेणेव उवागच्छंति, २ अणुपविसंति, २ सव्वालंकारभूसिया आसत्था वीसत्था सुहासणवरगयादेवत्ताए सद्धिं तं विपुलंअसण ४ धूव-पुप्फ-गंध-वत्थं आसाएमाणा वीसाएमाणा परि जमाणा एवं च णं विहरंति । जिमियमुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा देवदत्ताए सद्धिं विपुलातिं माणुस्सगाई कामभोगाई भुंजमाणा विहरंति । ४७. तते णं ते सत्थवाहदारगा पुव्वावरहणकालसमयंसि देवदत्ताए गणियाए सद्धिं थूणामंडवाओ पडिनिक्खमंति, २ त्ता हत्थसंगेल्लीए सुभूमिभागे बहूसु आलिघरएसु य जाव कुसुमघरएसु य उज्जाणसिरि पच्चणुब्भवमाणा विहरति । ४८. तते णं ते सत्थवाहदारया जेणेव से मालुयाकच्छए तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तते ॥ णं सा वणमयूरी ते सत्थवाहदारए एज्जमाणे पासति, २त्ता भीया तत्था महया २ सद्देणं केकारवं विणिम्मुयमाणी २ मालुयाकच्छाओ पडिनिक्खमति, २त्ता एगंसि रुक्खडालयंसि ठिच्चा ते सत्यवाहदारए मालुयाकच्छयं च अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी २ चिट्ठति । तते णं ते सत्थवाहदारगा अण्णमण्णं सद्दावेति, २ एवं ॐ वदासी जहा णं देवाणुप्पिया ! एसा वणमयूरी अम्हे एज्जमाणे पासित्ता भीता तत्था तसिया उब्विग्गा पलाया महता २ सद्देशं जाव अम्हे मालुयाकच्छकं च पेच्छमाणी २ चिट्ठति तं भवियव्वमेत्थ कारणेणं ति कट्ठ मालुयाकच्छयं अंतो अणुपविसंति, तत्थ णं दो पुढे परियागए जाव पासित्ता अन्नमन्नं सद्दावेति, २ एवं विदासी सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमे वणमयूरीअंडए साणं साणं जातिमंताणं कुक्कुडियाणं अंडएसु पक्खिवावेत्तए। तते णं ताओ जातिमंताओ कुक्कुडियाओम एए अंडए सए य अंडए सएणं पक्खवाएणं सारक्खमाणीओ संगोवेमाणीओ विहरिस्संति । तते णं अम्हं एत्थं दो कीलावणगा मयूरपोयगा भविस्संति त्ति कट्टर Yo5555555555 5 55 श्री आगमगुणमजूषा - ६१८ $ $ $ $$$$$$$$$OOK $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ C5555555555乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$乐乐乐乐明明明明TO Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RORRO4455555555 णायाधम्मकहाओ प.सु. ३ अ. अंडे (२९] $$$$$$$$$$$ exox FONOR 听听听听听听乐乐玩玩乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐乐乐乐听乐乐6G अन्नमन्नस्स एतमट्ठ पडिसुणेति, २त्ता सए सए दासचेडे सद्दावेति, २त्ता एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! इमे अंडए गहाय सगाणं सगाणं जातिमंताणं कुक्कुडीणं अंडएसु पक्खिवह, जाव ते वि पक्खिवेति । ततेणं ते सत्थवाहदारगा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उज्नाणसिरिं पच्चणुब्भवमाणा विहरित्ता तमेव जाणं दुरूढा समाणा जेणेव चंपा नगरी जेणेव देवदत्ताए कणियाए गिहे तेणेव उवागच्छति, २ ता देवदत्ताए गिहं अणुपविसंति, २ ता देवदत्ताए गणियाए विपुलं जीवियारिहं पीतिदाणं दलयंति, २त्ता सक्कारेति सम्माणेति, २त्ता देवदत्ताए गिहातो पडिनिक्खमंति, २ त्ता जेणेव साइं साइं गिहाई तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता सकम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था । ४९. तते णं जे से सागरदत्तपुत्ते सत्थवाहदारए से णं कल्लं जाव जलते जेणेव से वणमयूरीअंडए तेणेव उवागच्छति, २ तंसि मयूरीअंडयंसि संकिते कंखिते वितिगिंछसमावण्णे भेयसमावण्णे कलुससमावण्णे किण्णं ममं एत्थ कीलावणए मयूरीपोयए भविस्सति उदाहु णो भविस्सति त्ति कट्टतं मयूरीअंडयं अभिक्खणं २ उव्वत्तेति परियत्तेति आसारेति संसारेति चालेति फंदेइ घट्टेति खोभेति अभिक्खणं २ कण्णमूलंसि टिट्टियावेति। तते ॥ णं से मयूरीअंडए अभिक्खणं २ उव्वत्तिज्जमाणे जाव टिट्टियावेज्जमाणे पोच्चडे जाते यावी होत्था । तते णं से सागरदत्तपुत्ते सत्थवाहदारए अण्णया कदाइ जेणेव से वणमयूरीअंडए तेणेव उवागच्छति, २ त्तातं मयूरीअंडयं पोच्चडमेव पासति, २ अहो णं ममं एत्थ कीलावणए मयूरिपोयए ण जाए त्ति कट्ट ओद्दतमण जाव झियाइ। एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा आयारियउवज्झायाणं अंतिए पव्वतिए समाणे पंचमहव्वएसु छज्जीवनिकाएसु निग्गंथे पावयणे संकिते जाव कलुससमावन्ने से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावगाणं [बहूणं] सावियाणं हीलणिज्जे निंदणिज्जे खिंसणिज्जे गरहणिजे, परिभवणिज्जे, परलोए वि य णं आगच्छति बहूणि दंडणाणि य जाव अणुपरियट्टइ। ५०. तते णं से जिणदत्तपुत्ते जेणेव से मयूरीअंडए तेणेव उवागच्छति, २ तंसि मयूरीअंडयंसि निस्संकिते सुव्वत्तण्णं मम एत्थ कीलावणए मयूरिपोयए भविस्सति त्ति कट्टतं मयूरिअंडयं अभिक्खणं २ नो उव्वत्तेति जाव नो टिट्टियावेति । तते णं से मयूरीअंडए अणुव्वत्तिज्जमाणे जाव अट्टियाविजमाणे कालेणं समएणं उब्भिन्ने मयूरिपोयए एत्थ जाते । तते णं से जिणद [त्तपु] ते तं मयूरपोययं पासति, २त्ता हट्टतुढे मयूरपोसए सद्दावेति, २त्ता एवं वदासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इमं मयूरपोययं बहूहिं मयूरपोसणापाउग्गेहिं दव्वेहि अणुपुव्वेणं सारक्खमाणा संगोवेमाणा संवड्ढेह नहल्लगं च सिक्खावेह । तते णं ते मयूरपोसगा जिणदत्तपुत्तस्स एतमढे पडिसुणेति, २ तं मयूरपोययं गेण्हंति, जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति, २त्ता तं मयूरपोयगं जाव नट्टल्लगं सिक्खावेति । तते णं से मयूरपोयए उम्मुक्क बालभावे विण्णय [परिणयमेत्ते] जोव्वणग [मणुप्पत्ते] लक्खणवंजण [गुणोववेए] माणुम्माणप्पमाणपडिपुण्णपक्खपेहुणकलावे विचित्तपिच्छसतचंदए नीलकंठए नच्चणसीलए एगाए चप्पुडियाए कयाए समाणीए अणेगातिं नट्टलगसयाति केयाइयसयाणि य करेमाणे विहरति । तते णं ते मयूरपोसगा तं मयूरपोयगं उम्मुक्त जाव करेमाणं पासित्ता तं मयूरपोयगं गेण्हंति, २त्ता जिणदत्तपुत्तस्स उवणेति। तते णं से जिणदत्तपुत्ते सत्थवाहदारए मयूरपोयगं उम्मुक्त जाव करेमाणं पासित्ता हट्ठतुढे तेसिं विपुलं जीवियारिहं पीतिदाणं जाव पडिविसज्जेइ। तए णं से मयूरपोतए जिणदत्तपुत्तेणं एगाए चप्पुडियाए कदाए समाणीएणंगोलाभंगसिरोधरे सेयावंगे ओयारियपइण्णपक्खे उक्खित्तचंदकातियकलावे केक्काइयसय विमुच्चमाणे णच्वइ । तते णं से जिणदत्तपुत्ते तेणं मयूरपोयएणं चंपाए नयरीए सिंघाडग जाव पहेसु सतिएहिं य साहस्सिएहिं य सयसाहस्सिएहिं य पणिएहि जयं करेमाणे विहरति । एवमेव समणाउसो! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा पव्वतिए समाणे पंचसु महव्वएसुछसुजीवनिकाएसु निग्गंथे पावयणे निस्संकिते निक्कंखिते निव्वितिगिच्छे से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं समणीणं जाव वीतिवतिस्सति । एवं खलु जंबू । समणेणं [भगवया महावीरेणं] णायाणं तच्चस्स अज्झयणस्स अयमद्वे पण्णत्ते त्ति बेमि। । तच्चं नायज्झयणं सम्मत्तं ॥३॥ चउत्थं अज्झयणं 'कुम्मे'555 ५१. जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं णायाणं तच्चस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, चउत्थस्स णं णायाणं के अटे पण्णत्ते? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं वाणारसी नाम नयरी होत्था वण्णओ। तीसे णं वाणारसीए नयरीए उत्तरपुरस्थिमे दिसीभागे गंगाए महानदीए मयंगतीरबहे नाम दहे होत्था, अणुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीयलजले अच्छविमलसलिलपलिच्छन्ने XOOf54 5555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६१९5555555555555555 OR $$$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2 Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Kor55555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. /४ अ. कुम्मे [३०] 555555555555555FOTOR OGC%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明$5C संछन्नपत्तपुप्फपलासे बहुउप्पलपउमकुमुयनलिणसुभगसोगंधियपुंडरीयमहापुंडरीयसयपत्तंसहस्सपत्तकेसरपुप्फोवचिए छप्पयपरिभुज्जमाणकमले अच्छविमलसलिलपत्थपुण्णे परिहत्थभमंतमच्छकच्छभअणेगसउणगणमिहुणपविचरिए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूचे पडिरूवे । तत्थ णं बहूणं मच्छाण य कच्छभाण य गाहाण य मगराण य सुंसुमाराण य सइयाणि य साहस्सियाणि य सयसाहस्सियाणि य जूहाई निब्भयाइं निरूव्विग्गाइं सुहंसुहेणं अभिरममाणाई विहरंति । तस्सणं मयंगतीरद्दहस्स अदूरसामने एत्थ णं महं एगे मालुयाकच्छए होत्था, वण्णओ। तत्थ णं दुवे पावसियालगा परिवसंति, पावा चंडा रोद्दा तल्लिच्छा साहसिया लोहितपाणी आमिसत्थी आमिसाहारा आमिसप्पिया आमिसलोला आमिसं गवेसमाणा रत्ति-वियालचारिणो दिया पच्छण्णं यावि चिट्ठति । तते णं तातो मयंगतीरद्दहातो अन्नया कदाइ सुरियसि चिरत्थमियंसिलुलियाए संझाए पविरलमाणुसंसि णिसंतपडिणिसंतंसि समाणंसि दुवे कुम्मगा आहारत्थी आहारं गवेसमाणा सणियं सणियं उत्तरंति। तस्सेव मयंगतीरद्दहस्स परिपेरंतेणं सव्वतो समंता परिघोलेमाणा परिघोलेमाणा वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति। तयणंतरं च णं ते पावसियालगा आहारत्थी जाव आहारं गवेसमाणा मालुयागच्छगाओ पडिनिक्खमंति, २त्ता जेणेव मयंगतीरद्दहे तेणेव उवागच्छंति, २त्ता तस्सेव मयगंतीरद्दहस्स परिपेरंतेणं परिघोलेमाणा परिघोलेमाणा वित्तिं कप्पेमाणा विहरति । तते णं ते पावसियालया ते कुम्मए पासंति, २ त्ता जेणेव ते कुम्मए तेणेव पधारेत्थ गमणाए । तते णं ते कुम्मगा ते पावसियालए एज्जमाणे पासंति, २ त्ता भीता तत्था तसिया उव्विग्गा संजातभया हत्थे य पादे य गीवाओ य सएहिं २ काएहिं साहरंति, २ त्ता निच्चला निष्फंदा तुसिणीया संचिट्ठति । तते णं ते पावसियालया जेणेव ते कुम्मगा तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता ते कुम्मगा सव्वतो समंता उव्वत्तेतिं परियत्तेतिं आसारेति संसारेंति चालेति घट्टेति फंदेति खोभेति, नहेहिं आलुंपंति, दंतेहि य अक्खोडेति, नो चेवणं संचाएंति तेसिं कुम्मगाणं किंचि सरीरस्स आबाहं वा पबाहं वा वाबाहं वा उप्पाइत्तए छविच्छेदं वा करेत्तए। ततेणं ते पावसियालगा ते कुम्मए दोच्चं पि तच्चं पिसव्वतो समंता उव्वत्तेति जाव नो चेवणं संचाएंति करेत्तए। ताहे संता तंता परितंता निविण्णा समाणा सणियं सणियं पच्चोसक्केंति, २ त्ता एगंतमवक्कमंति, २ निच्चला निप्फंदा तुसिणीया संचिट्ठति । तत्थ णं एगे कुम्मगे ते पावसियालए चिरगते दूरगए जाणित्ता सणियं सणियं एगं पायं निच्छुभति । तते णं ते पावसियाला तेणं कुम्मएणं सणियं सणियं एगं पायं निणियं पासंति, २त्ता सिग्धं चवलं तुरियं चंडं जतिणं वेगितं जेणेव से कुम्मए तेणेव उवागच्छंति, २ तस्सणं कुम्मगस्स तं पायं नक्खेहिं आलुंपंति, दंतेहिं अक्खोडेति, ततो पच्छा मंसं च सोणियं च आहारेति, २ त्ता तं कुम्मगं सव्वतो समंता उव्वत्तेति जाव नो चेवणं संचाएंति करेत्तए ताहे दोच्चं पि अवक्कमंति, एवं चत्तारि वि पाया जाव सणियं सणियं गीवं णीणेति। ततेणं ते पावसियालगा तेणं कुम्मएणं गीवं णीणियं पासंति, पासित्ता सिग्धं चवलं तुरियं चंडं जइणं वेइयं जाव नहेहिं दंतेहिं य कवालं विहाडेति, २त्ता तं ॥ कुम्मगं जीवियाओ ववरोवैति, २ त्ता मंसंच सोणियं च आहारेति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा आयरिय उवज्झायाणं अंतिए पव्वतिए समाणे, पंच य से इंदिया अगुत्ता भवंति से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं ४ हीलणिज्जे निंदणिज्जे खिंसणिज्जे गरहणिज्जे] परिभवणिज्ने , परलोगे वि य णं आगच्छति बहूणं दंडणाणं जाव अणुपरियदृति, जहा व से कुम्मए अगुतिदिए। तते णं ते पावसियालगा जेणेव से दोच्चए कुम्मए तेणेव उवागच्छंति, २ तं कुम्मगं सव्वतो समंता उव्वत्तेति जाव दंतेहिं णिक्खुडेंति जाव नो चेव णं सक्का करेत्तए। तते णं ते पावसियालगा दोच्चं पितच्वं पिजाव नो संचाएंति तस्स कुम्मगस्स किंचि आबाहं वा पबाहं वा जाव छविच्छेदं वा करेत्तए । ताहे संता तंता परितंता निविण्णा समाणा जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगया । तते णं से कुम्मए ते पावसियालए चिरगए दूरगए जाणित्ता सणियं सणियं गीवं नीणेति, २ दिसावलोयं करेति, २ त्ता जमगसमगं चत्तारि वि पादे नीणेति, २ ताए उक्किट्ठाए कुम्मगतीए वीतीवयमाणे वीतीवयमाणे जेणेव मयंगतीरहहे तेणेव उवागच्छति, २त्ता मित्त-णाति-नियग-सयण-संबंधि-परिजणेण सद्धिं अभिसमन्नागए यावि होत्था । एवामेव समणाउसो! जो अम्हं समणो वा समणी वा पंच य से इंदियाइं गुत्ताइं भवंति जाव जहा व से कुम्मए गुत्तिदिए। एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं चउत्थस्स यणायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि ।। ।। चउत्थं णायज्झयणं सम्मत्तं ॥४॥ पंचमं अज्झयणं सेलेगे ५२. जति णं भंते ! Mor99555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६२०5555 955555555555555$$OOR ZOZOFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFQON Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. / ५ अ. सेलगे [33] फुफ्र फ्रफ़ फ्रफ़ फ्र समणेण भगवया महावीरेणं चउत्थस्स नायज्झयणस्स अयमठ्ठे पण्णत्ते, पंचमस्स णायज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं णं सम बारवती नाम नयरी होत्था, पाईणपडीणायया उदीणदाहिणवित्थिण्णा नवजोयणवित्थिण्णा दुवालसजोयणायामा धणवतिमतिणिम्माया चामीयरपवरपागारा णाणामणिपंचवण्णकविसीसगसोहिया अलयापुरिसंकासा पमुतियपक्कीलिया पच्चक्खं देवलोगभूता । तीसे णं बारवतीए णगरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे रेवतगे णाम पव्वए होत्था, तुंगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे णाणाविहगच्छ गुम्म-लता वल्लिपरिगते हंस-सस-मिग-मयूर कोंच-सारस-चक्कवाय-मयणसालकोइलकुलोववेए अणेगतड कडग वियर उज्झर-पावाय पब्भार- सिहरपउरे अच्छरगण देवसंघ - चारण- विज्जाहर- मिहुणसंविचिण्णे निच्चच्छणए दसारवरवीरपुरिसतेलोक्कबलवगाणं, सोमे सुभगे पियदंसणे सुरूवे पासातीए ४ । तस्स णं रेवयगस्स अदूरसामंते एत्थ णं णंदणवणे नाम उज्जाणे होत्था, सव्वोउयपुप्फफलसमिद्धे रम्मे नंदणवणप्पगासे पासातीए ४ । तस्स णं उज्जाणस्स बहुमज्झदेसभाए सुरप्पिए नाम जक्खाययणे होत्था, दिव्वे० वण्णओ । तत्थ णं बारवतीए णयरीए कण्हे नामं वासुदेवे राया परिवसती । से णं तत्थ समुद्दविजयपामोक्खाणं दसण्हं दसाराणं, बलदेवपामोक्खाणं पंचण्हं महावीराणं, उग्गसेणपामोक्खाणं सोलसण्हं रायसहस्साणं, पज्जुन्नपामोक्खाणं अद्भुट्ठाणं कुमारकोडीणं, संबपामोक्खाणं सट्ठीए दुदंतसाहस्सीणं, वीरसेणपामोक्खाणं एक्कवीसाए वीरसाहस्सीणं, महासेणपामोक्खाणं छप्पन्नाए बलवगसाहस्सीणं, रुप्पिणीपामोक्खाणं बत्तीसाए महिलासाहस्सीणं, अणंगसेणापामोक्खाणं अणेगाणं गणियासाहस्सीणं, अन्नेसिं च बहूणं ईसर-तलवर जाव सत्थवाहप्पभिईणं वेयडगिरिसागरपेरंतस्स य दाहिणड्डूभरहस्स बारवतीए नयरीए आहेवच्चं जाव पालेमाणे विहरति । ५३. तत्थ णं बारवईए नयरीए थावच्चा णाम गाहावतिणी परिवसति, अड्डा जाव अपरिभूता । तीसे णं थावच्चाए गाहावतिणीए पुत्ते थावच्चापुत्ते णामं सत्थवाहदारए होत्था सुकुमालपाणि पाए जाव सुरूवे । तते णं सा थावच्चा गाहावइणी तं दारगं सातिरेगअट्ठवासजाययं जाणित्ता सोहणंसि तिहि करण णक्खत्तमुहुत्तंसि कलायरियस्स उवणेति, जाव भोगसमत्थं जाणित्ता बत्तीसाए इब्भकुलबालियाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेति, बत्तीसओ दाओ जाव बत्तीसाए इब्भकुलबालियाहिं सद्धिं विपुले सद्द-फरिस रस- रूव-गंधे जाव भुंजमाणे विहरति । ते णं काले णं ते णं समए णं अरहा अरिट्ठनेमी, सो चेव वण्णओ, दसधणुस्सेहे नीलुप्पल - गवल - गुलिय-अयसिकुसुमप्पगासे, अट्ठारसहिं समणसाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे, चत्तालीसाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे, पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे, गामाणुगामं दूइज्जमाणे जाव जेणेव बारवती नगरी, जेणेव रेवयगपव्वए, जेणेव नंदणवणे उज्जाणे, जेणेव सुरप्पियस्स जक्खस्स जक्खाययणे, जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति । परिसा निग्गया, धम्मो कहितो। तते णं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लट्ठे समाणे कोटुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए मेघोघरसियं गंभीरमहुरसद्दं कोमुदियं भेरिं तालेह । तते णं ते कोटुंबियपुरिसा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा जाव मत्थए अंजलि कट्टु एवं सामी ! तहत्ति' जाव पडणेति, २त्ता कण्हस वासुदेवस्स अंतियाओ पडिनिक्खमंति, २ त्ता जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव कोमुदिया भेरी तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता तं मेघोघरसियं गंभीर-महुरसद्दं कोमुदियं भेरिं तालेति । ततो निद्धमहुरगंभीरपडिसुएणं पिव सारइएणं बलाहएणं अणुरसियं भेरीए । तते णं तीसे कोमुदियाए भेरिए तालियाए समाणीए बारवतीए नयरीए नवजोयणवित्थिण्णाए दुवालसजोयणायामाए सिंघाडग-तिय- चउक्क - चच्चर-कंदर-दरी - वियर - कुहर - गिरिसिहर - नगर - गोउर -पासाय दुवार-भवण-देउलपडिसुयासयसहस्ससंकुलं करेमाणे बारवतिं नगरिं सब्भिंतरबाहिरियं सव्वतो समंता से सद्दे विप्पसरित्था । तते णं बारवतीए नयरीए नवजोयणवित्थिण्णाए बारसजोयणायामाए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव गणियासहस्साई कोमुदियाए भेरीए सद्दं सोच्चा णिसम्म हट्ठट्ठा जाव ण्हाया आविद्धवग्घारियमल्लदामकलावा अहतवत्थचंदणोल्लित्तगायसरीरा, अप्पेगतिया हयगया, एवं गयगया, रह-सीया-संदमाणीगया, अप्पेगतिया पायविहारचारेण पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता कण्हस्स वासुदेवस्स अंतियं पाउब्भवित्था । तते णं से कण्हे वासुदेवे समुद्दविजयपामोक्खे दस दसारे जाव अंतियं पाउब्भवमाणे पासित्ता ॐ श्री आगमगुणमजूषा - ६२१ फ्र sexx Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मक हाओ प. स. ५ अ. सेलगे [३२] F जाव कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउरंगिणिं सेणं सज्जेह विजयं च गंधहत्थिं उवट्टवेह । ते वि तहत्ति उववेति जाव पज्जुवासंति । ५४. थावच्चापुत्ते वि णिग्गए, जहा मेहे तहेव धम्मं सोच्चा णिसम्म जेणेव थावच्चा गाहावतिणी तेणेव उवागच्छति, २ त्ता पायग्गहणं करेति, जहा मेहस्स तहा चेव णिवेयणा, जाहे नो संचाएति विसयाणुलोमाहि य विसयपडिकूलाहि य बहूहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विष्णवणाहि य आघवित्त वा (पणवित्तए वा सणवित्तए वा विणवित्तए वा ) ४ ताहे अकामिया चेव थावच्चापुत्तस्स दारगस्स निक्खमणमणुमन्नित्था । तते णं सा थावच्चा आसाणाओ अब्भुट्ठेति, २ त्ता महत्थं महग्घं महारिहं रायारिहं पाहुडं गेण्हति, २त्ता मित्त जाव संपरिवुडा जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स भवणवरपडिदुवारदेसभाए तेणेव उवागच्छति, २ त्ता पडिहारदेसिएणं मग्गेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं] वद्धावेति, २ तं महत्थं महग्घं महारिहं रायारिहं पाहुडं उवणेइ, २ त्ता एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम एगे पुत्ते थावच्चापुत्ते नाम दारए इट्ठे जाव से णं संसारभयुव्विग्गे इच्छति अरहतो अरिट्ठनेमिस्स जाव पव्वइत्तए, अहण्णं निक्खमणसक्कारं करोमि, इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! थावच्चापुत्तस्स निक्खममाणस्स छत्त-मउड- चामराओ य विदिन्नाओ । तते णं कण्हे वासुदेवे थावच्चं गाहावतिणिं एवं वदासी अच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिए! सुनिव्वुयवीसत्था, अहण्णं सयमेव थावच्चापुत्तस्स दारगस्स निक्खमणसक्कारं करिस्सामि । तते णं से कण्हे [वासुदेवे] चाउरंगिणीए सेणाए विजयं हत्थिरयणं दुरूढे समाणे जेणेव थावच्चाए गाहावतिणीए भवणे तेणेव उवागच्छति, २त्ता थावच्चापुत्तं एवं वदासी मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! मुंडे भवित्ता पव्वयाहिं, भुंजाहि णं देवाणुप्पिया ! विउले माणुस्सए कामभोगे मम बाहुच्छायापरिग्गहिए, केवलं देवाणुप्पियस्स अहं णो संचाएमि वाउकायं उवरिमेणं गच्छमाणं निवारित्तए, अण्णो णं देवाणुप्पियस्स जं किंचि आबाहं वा वाबाहं उप्पाएति तं सव्वं निवारेमि । तते णं से थावच्चापुत्ते कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे कण्हं वासुदेवं एवं वयासी जई णं देवाणुप्पिया मम जीवियंतकरं मच्चुं एज्जमाणं निवारेसि, जरं वा सरीररुवविणासिणिं सरीरं अइवयमाणि निवारेसि, तते णं अहं तव बाहुच्चायापरिग्गहिए विउले माणुस्सए माभोगे भुंजमाणे विहरामि, तते णं से कण्हे वासुदेवे थावच्चापुत्ते एवं पुत्ते समाणे थावच्चापुत्तं एवं वदासी एए णं देवाणुप्पिया दुरतिक्कमणिज्जा, णो खलु सक्का सुबलिएणावि देवेण वा दाणवेण वा णिवारित्तए, णन्नत्थ अप्पणा कम्मक्खएणं । तते णं से थावच्चापुत्ते कण्हं वासुदेवं एवं वयासी जइ णं एते णं दुरतिक्कमणिज्जा, णो खलु सक्का जाव णण्णत्थ अप्पणा कम्मक्खएणं । तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! अण्णाण-मिच्छत्त- अविरइ-कसायसंचियस्स अत्तणो कम्मक्खयं करित्तए । तते णं से कण्हे वासुदेवे थावच्चापुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे बियपुरसे सहावेत, २ त्ता एवं वदासी गच्छह णं देवाणुप्पिया ! बारवतीए नयरीए सिंघाडग-तिग- चउक्क - चच्चर जाव पहेसु हत्थिखंधवरगया महया महया सद्देणं उग्घोसेमाणा २ उग्घोसणं करेह एवं खलु देवाणुप्पिया ! थावच्चापुत्ते संसारभउव्विग्गे भीए जम्मणमरणाणं इच्छति अरहतो अरिट्ठनेमिस्स अंतिए मुंडे भवित्ता पव्वइत्तए, तं जो खलु देवाणुप्पिया ! राया वा जुवराया वा देवी वा कुमारे वा ईसरे वा तलवरे वा कोडुंबिय - माडंबिय - इब्भ-सेट्ठि - सेणावति सत्थवाहे वा थावच्चापुत्तं पव्वयंतमणुपव्वयति तस्स णं कण्हे वासुदेवे अणुजाणति, पच्छातुरस्स वि य से मित्त- [णाति - णियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स] जोग-खेमवट्टमाणिं पडवहति त्ति कट्टु घोसणं घोसेह, जाव घोसंति । तते णं थावच्चापुत्तस्स अणुराएणं पुरिससहस्सं निक्खमणाभिमुहं ण्हायं सव्वालंकारविभूसियं पत्तेयं पत्तेयं पुरिससहस्सवाहिणीसु सिवियासु दुरूढं समाणं मित्त-णाति०परिवुडं थावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउब्भूयं । तते णं से कण्हे वासुदेवे पुरिससहस्समंतियं पाउब्भवमाणं पासति, २ कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी । जहा मेहस्स निक्खमणाभिसेओ तहेव सेयापीएहिं कलसेहिं ण्हावेति, जाव अरहतो अरिट्ठनेमिस्स पडागातिपडागं पासति, २ ता विज्जाहर चारणे जाव पासित्ता सीयाओ पच्चोरुहति, तते णं से कण्हे वासुदेवे थावच्चापुत्तं पुरतो काउं जेणेव अरहा अरिट्ठनेमी सव्वं तंव व आभरण [मल्लालंकारं ] ओमुयति । तते णं सा थावच्चा गाहावइणी हंसलक्खणेणं पडगसाडगेणं आभरणमल्लालंकारं पडिच्छर, [पडिच्छित्ता ] हारवारिधार - छिन्न-मुत्तावलिप्पगासातिं अंसूणि विणिमुंचमाणी २ एवं वदासी जतियव्वं जाया ! घडियव्वं जाया ! परक्कमियव्वं जाया ! अस्सिं च णं अट्ठे णो पमादेयव्वं ॐ श्री आगमगुणमजूषा ६२२ YOO Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOO (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ५ अ. सेलगे [३३] फ्रफ़ फ्र जव जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगया । तते णं से थावच्चापुत्ते पुरिससहस्सेण सद्धिं सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति जाव पव्वतिते । तते णं से थावच्चापुत्ते अणगारे जाते इरियासमिते भासासमिते जाव विहरति । तते णं से थावच्चापुत्ते अरहतो अरिट्ठनेमिस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाइयातिं चोद्दस पुव्वातिं अहिज्जति, २ त्ता बहूहिं चउत्थ जाव विहरति । तते णं अरहा अरिट्ठनेमी थावच्चापुत्तस्स अणगारस्स तं इब्भाइयं अणगारसहस्सं सीसत्ताए दलयति । तते णं से थावच्चापुत्ते अन्नदा कदाइ अरहं अरिट्ठनेमिं वंदति नम॑सति, २ एवं वदासी इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाते समाणे सहस्सेणं अणगाराणं बहिया जणवयविहारं विहरित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिया ! । तते णं से थावच्चापुत्ते अणगारसहस्सेण सद्धिं तेणं उरालेणं उदग्गेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं [विहारेणं] बहिया जणवयविहारं विहरति । ५५. ते णं काले णं ते णं समए णं सेलगपुरे नाम नगरे होत्था, सुभूमिभागे उज्जाणे, सेलए राया, पउमावती देवी, महुए कुमारे जुवराया । तस्स णं सेलगस्स पंथगपामोक्खा पंच मंतिसया होत्था, उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मजाए पारिणामियाए ४ उववेया रज्जधुरं चिंतयंति । थावच्चापुत्ते सेलगपुरे समोसढे, राया णिग्गते, धम्मकहा, धम्मं सोच्चा जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे उग्गा भोगा जाव चइत्ता हिरण्णं जाव पव्वतिता तहा णं अहं नो संचाएमि पव्वतित्तए, अहन्नं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वतियं जाव समणोवासए जाए अहिगयजीवाजीवे जाव अप्पाणं भावेमाणे विहरति । पंथगपामोक्खा पंच मंतिसया य समणोवासया जाया । थावच्चापुत्ते हिया जणवयविहारं विहरति । ते णं काले णं ते णं समए णं सोगंधिया नाम नयरी होत्था, वण्णओ। नीलासोए उज्जाणे, वण्णओ । तत्थ णं सोगंधियाए नयरीए सुदंसणे नाम नगरसेट्ठी परिवसति अड्डे जाव अपरिभूते । ते णं काले णं ते णं समए णं सुए नाम परिव्वायए होत्था, रिउव्वेय-जजुव्वेय- सामवेय- अथव्ववेयसट्ठितंतकुसले, संखसमए लद्धट्ठे, पंचजम- पंचनियमजुत्तं सोयमूलयं दसप्पयारं परिव्वायगधम्मं दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्थाभिसेयं च आघवेमाणे पण्णवेमाणे धाउरत्तवत्थपवरपरिहिए तिदंड - कुंडिय - छत्त छण्णालय- अंकुस पवित्तय केसरिहत्थगए परिव्वायगसहस्सेण सद्धिं संपरिवुडे जेणेव सोगंधिया नगरी जेणेव परिव्वायगावसह तेणेव उवागच्छति, २ परिव्वायगावसहंसि भंडगनिक्खेवं करेति, करेत्ता संखसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरति । तते णं सोगंधियाए नयरीए सिंघाडग - [तिग- चउक्क - चच्चर- चउम्मुह महापह-पहेसु] बहुजणो अन्नमन्नस्स [ एवमाइक्खइ, एवं भासइ, एवं पण्णवेइ, ] एवं परूवेइ एवं खलु सुए परिव्वायगे इहमागते जाव विहरति । परिसा निग्गया, सुदंसणो वि णीति । तते णं से सुए परिव्वायए तीसे परिसाए सुदंसणस्स य अन्नेसिं च बहूणं संखाणं परिकहेति, एवं खलु सुदंसणा अम्हं सोयमूलए धम्मे पण्णत्ते, से वि य सोए दुविहे पण्णत्ते, तंजहा दव्वसोए य भावसोए य । दव्वसोए उदएणं मट्टियाए य, भावसोए दब्भेहि य मंतेहि य, जन्नं अम्हं देवाणुप्पिया ! किंचि असुई भवति तं सव्वं सज्जपुढवीए आलिप्पति, ततो पच्छा सुद्धेण वारिणा पक्खालिज्जति, ततो तं असुई सुई भवति, एवं खलु जीवा जलाभिसेयपूयप्पाणो अविग्घेणं सग्गं गच्छति । तते णं से सुदंसणे सुयस्स अंतिए धम्मं सोच्चा हट्ठ [तुट्ठे] सुयस्स अंतियं सोयमूलयं धम्मं गेण्हति, २ ता परिव्वायए विपुलेणं असण ४ पडिलाभेमाणे जाव विहरति । तते णं से सुए परिव्वायगे सोगंधियाओ नगरीओ निग्गच्छति, २ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरति । ते णं काले णं ते णं समए णं थावच्चापुत्तस्स समोसरणं, परिसा निग्गया, सुदंसणो वि णीइ, थावच्चापुत्तं वंदति नम॑सति, २ त्ता एवं वदासी तुम्हाणं किंमूल धम्मे पण्णत्ते ? तते णं थावच्चापुत्ते सुदंसणेणं एवं वुत्ते समाणे सुदंसणं एवं वदासी सुदंसणा ! विणयमूलए धम्मे पण्णत्ते, से वि य विणए दुविहे पण्णत्ते, तंजा अगारविणए य अणगारविणए य । तत्थ णं जे से अगारविणए से णं पंच अणुव्वयातिं, सत्त सिक्खावयाति, एक्कारस उवासगपडिमाओ । तत्थ णं जेसे अणगारविणए से णं पंच महव्वयाइं पन्नत्ते, तंजहा सव्वातो पाणातिवायाओ वेरमणं, सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं, सव्वातो अदिन्नादाणातो वेरमणं, सव्वाओ मेहुणाओ वेरमणं, सव्वाओ परिग्गहाओ वेरमणं, सव्वाओ राइभोयणाओ वेरमणं, जाव मिच्छादंसणसल्लाओ वेरमणं, दसविहे पच्चक्खाणे, बारस मिक्खुपडिमाओ । इच्चेएणं दुविहेणं विणयमूलएणं धम्मेण अणुपुव्वेणं अट्ठकम्मपगडीओ खवेत्ता लोयग्गपट्ठाणा भवंति । तते णं थावच्चापुत्ते सुदंसणं एवं वदासी तुब्भं णं सुदंसणा ! किंमूलए धम्मे पण्णत्ते ? अम्हाणं देवाणुप्पिया ! सोयमूलए धम्मे पण्णत्ते जाव सग्गं गच्छति । तते णं थावच्चापुत्ते सुदंसणं एवं श्री आगमगुणमंजूषा ६२३TOR YO Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -HORO5555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ५ अ. सेलगे [३४] $$$牙牙牙牙牙牙牙牙乐男男COS COC玩乐乐乐玩玩乐乐贝贝纸听听听听听听乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐明听听听听听乐乐55C वदासी सुदंसणा ! से जहा नाम ए केइ पुरिसे एगं महं रुहिरकयं वत्थं रुहिरेण चेव धोवेज्जा, तते णं सुदंसणा ! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेण चेव पक्खालिज्जमाणस्स अत्थि काइ सोही ? णो इणमढे समढे ! एवामेव सुदंसणा ! तुम्भं पि पाणातिवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं नत्थि सोही, जहा तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेण चेव पक्खालिज्जमाणस्स नत्थि सोही। सुदंसणा ! से जहा नाम ए केइ पुरिसे एग महं रुहिरकयं वत्थं सज्जियखारेणं अणुलिपति, २ पयणं आरुहेति, २त्ता उण्हं गाहेति, २त्ता ततो पच्छा सुद्धेणं वारिणा धोवेज्जा, से गूणं सुदंसणा! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स सज्जियखारेणं अणुलित्तस्स पयणं आरुहियस्स उण्हं गाहितस्स सुद्धणं वारिणा पक्खालिज्जमाणस्स सोही भवति ? हंता भवति । एवामेव सुदंसणा ! अम्हं पि पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं अत्थि सोही। जहा वा तस्स रुहिरकतस्स वत्थस्स जाव सुद्वेण वारिणा पक्खालिज्जमाणस्स अत्थि सोही । तत्थ णं से सुंदसणे संबुद्धे थावच्चापुत्तं वंदति नमसति, २त्ता एवं वदासी इच्छामिणं भंते ! धम्म सोच्चा जाणित्तए जाव समणोवासए जाते अहिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरति।तए णं तस्स सुयस्स परिव्वायगस्स इमीसे कहाते लद्धट्ठस्स समाणस्स अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु सुदंसणेणं सोयधम्मं विप्पजहाय विणयमूले धम्मे पडिवन्ने, तं सेयं खलु ममं सुदंसणस्स दिढेि वामेत्तए, पुणरवि सोयमूलए धम्म आघवित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेति, २त्ता परिव्वायगसहस्सेणं सद्धिं जेणेव सोगंधिया नगरी जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छति, २त्ता परिव्वायगावसहंसि भंडगनिक्खेवं करेति, २त्ता धातुरत्तवत्थपरिहिते पविरलपरिव्वायग सद्धिं संपरिवुडे परिव्वायगावसहाओ पडिनिक्खमति, २त्ता सोगंधियाए नयरीए मझमज्झेणं जेणेव सुदंसणस्स गिहे जेणेव सुदंसणे तेणेव उवागच्छति । तते णं से सुदंसणे तं सुयं एजमाणं पासति, २त्ता नो अब्भुढेति, नो पच्चुग्गच्छति, णो आढाति, नो वंदति, तुसिणीए संचिट्ठति । तएणं से सुए परिव्वायए सुदंसणं अणब्भुट्ठियं पासित्ता एवं वदासी तुमंणं सुंदसणा! अन्नदा मम एज्जमाणं पासित्ता अब्भुट्टेसि जाव वंदसि, इयाणिं सुदंसणा ! तुम मम एज्जमाणं पासित्ता जाव णो वंदसि, तं कस्स णं तुमे सुदंसणा ! इमेयारूवे विणयमूलए धम्मे पडिवन्ने ? तते णं से सुदंसणे सुएणं परिव्वायएणं एवं वुत्ते समाणे आसणाओ अब्भुतुति, २त्ता करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट] सुयं परिव्वायगं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहतो अरिठ्ठनेमिस्स अंतेवासी थावच्चापुत्ते नामं अणगारे जाव इहमागते, इह चेव नीलासोए उज्जाणे विहरति, तस्स णं अंतिए विणयमूलए धम्मे पडिवन्ने । तते णं से सुए परिव्वायए सुदंसणं एवं वदासी तं गच्छामो णं सुदंसणा! तव धम्माययरियस्स थावच्चापुत्तस्स अंतियं पाउब्भवामो, इमाइं च णं एयारूवाति अट्ठातिं हेऊतिं पसिणातिं कारणातिं वागरणातिं पुच्छामो, तं जइ मे से इमातिं अट्ठातिंजाव वाकरेति ततोणं वंदामि नमसामि, अह मे से इमातिं अट्ठातिंजाव नो वाकरेति ततोणं अहं एतेहिं चेव अढेहिं हेऊहिं निप्पट्ठपसिणवागरणं करिस्सामि । तते णं से सुए परिव्वायगसहस्सेणं सुदंसणेण य सेट्टिणा सद्धिं जेणेव नीलासोए उज्जाणे जेणेव थावच्चापुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छति, २ ता थावच्चापुत्तं एवं वदासी जत्ता ते भंते ! जवणिज, अव्वाबाहं, फासुयविहारं च ? तते णं से थावच्चापुत्ते अणगारे सुएणं परिव्वायगेणं एवं वुत्ते समाणे सुयं परिव्वायगं एवं वदासी सुया ! जत्ता वि मे, जवणिज्ज पि मे, अव्वाबाहं पि मे, फासुयविहारं पि मे। तते णं से सुए थावच्वापुत्तं एवं वदासी किं भंते ! जत्ता?, सुया ! जण्णं मम णाणदंसण-चरित्त-तव-संजममातिएहिंजोएहिं जयणा, सेतं जता । से किं तं भंते ! जवणिज्ज ? सुया जवणिज्जे दुविहे पण्णत्ते, तंजहा इंदियजवणिज्जे यनोइंदियजवणिज्जे य । से किं तं इंदियजवणिज्जं ?, इंदियजवणिज सुया ! जण्णं ममं सोतिदिय-चक्खिदिय-घाणिदिय जिभिदिय-फासिदियाई निरुवहयाई वसे वटुंति, सेतं इंदियजवणिज्जे । से किं तं नोइंदियजवणिज्जे ?, सुया ! जण्णं कोह-माण-माया-लोभा खीणा उवसंता, नो उदयंति, सेतं नोइंदियजवणिज्ने । से किं तं भंते ! अव्वाबाहं ?, सुया ! जण्णं मम वातिय-पित्तिय-सिभिय-सन्निवाइय विविहा रोगातंकादी णो उदीरेंति, सेतं अव्वाबाहं । से किं तं भंते ! फासुयविहारं ? सुया ! ' जण्णं आरामेसु उज्जाणेसु देवउलेसु सभासु पवासु इत्थि-पसु-पंडगविवज्जियासु वसहीसु पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारयं ओगिण्हित्ताणं विहरामि, सेतंभ फासुयविहारं । सरिसवया ते भंते ! किं भक्खेया अभक्खेया ? सुया ! सरिसवया भक्खेया वि अभक्खेया वि। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ सरिसवया भक्खेया rer5555 555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ६२४55555555555555555$$OOK STO乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐2 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ T EC%%%%乐乐乐频听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听 乐乐乐乐乐乐乐乐 HIRONMENSEENNNNNN रकमायाधम्मकहाओ प. सु. ५ अ. सेलमे (३९) xxxxxxxxxxxxxxx रवि अभक्खेया वि ?, सुया ! सरिसवया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा मित्तसरिसवया धन्नसरिसवया । तत्थ णं जेते मित्तसरिसवया ते तिविहा पण्णत्ता, तंजहा सहजायया सहवड्डियया सुहपंसुकीलियया। ते णं समणाणं णिग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धन्नसरिसवा ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा सत्थपरिणया य असत्थपरिणया य । तत्थ णं जेते असत्थपरिणया ते समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया । तत्थ णं जेते सत्थपरिणया ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा फासुगा य अफासुगा य । अफासुया णं सुया ! नो भक्खेया। तत्थ णं जेते फासुया ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा जातिया य अजातिया य । तत्थ णं जेते अजातिया ते अभक्खेया । तत्थ णं जेते जातिया ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा एसणिज्जा य अणेसणिज्जा य । तत्थ णं जेते अणेसणिज्जा ते णं अभक्खेया । तत्थ णं जेते एसणिज्जा ते दुविहा पण्णत्ता, तंजहा लद्धा य अलद्धा य । तत्थ णं जेते अलद्धा ते अभक्खेया। तत्थ णं जेते लद्धा ते] निग्गंधाणं भक्खेया। एएणं अटेणं सुया ! एवं वुच्चति सरिसवया भक्खेया वि अभक्खेया वि । एवं कुलत्था विभाणियव्वा, नवरि इमं णाणत्तं इत्थिकुलत्था य धन्नकुलत्था य । इत्थिकुलत्था तिविहा पण्णत्ता, तंजहा कुलवधुया य कुलमाउया इय कुलधूया इ य । धन्नकुलत्था तहेव । एवं मासा वि, नवरि इमं नाणत्तं मासा तिविहा पण्णत्ता, तंजहा कालमासा य, अत्थमासा य, धन्नमासा य । तत्थ णं जेते कालमासा ते णं दुवालस, तंजहा सावणे जाव आसाढे, ते णं अभक्खेया । अत्थमासा दुविहा हिरण्णमासा य सुवण्णमासा य, ते णं अभक्खेया। धन्नमासा तहेव । एगे भवं, दुवे भवं अक्खए भवं, अव्वए भवं, अवट्ठिए भवं, अणेगभूयभावभविए भवं ? सुया ! एगे वि अहं, दुवे वि अहं, जाव अणेगभूयभावभविए वि अहं । से केणद्वेणं भंते ! एगे वि अहं जाव सुया ! दव्वट्ठयाए एगे अहं, नाणदंसणट्ठयाए दुवे वि अहं, पएसट्ठयाए अक्खए वि अहं, अव्वए वि अहं, अवट्ठिए वि अहं, उवओगट्ठयाए अणेगभूयभावभविए वि अहं। एत्थ णं से सुए संबुद्धे थावच्चापुत्तं वंदति नमसति, २त्ता एवं वदासी इच्छामि णं भंते ! तुभं अंतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं निसामित्तए । धम्मकहा भाणियव्वा । तए णं से सुए परिव्वायए थावच्चापुत्तस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्मा एवं वदासी इच्छामि णं भंते ! परिव्वायगसहस्सेणं सद्धिं संपरिवुडे देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता पव्वइत्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! जाव उत्तरपुरस्थिमे दिसीभागे तिडंडं जाव धाउरत्ताओ य एगते एडेति, सयमेव सिहं उप्पाडेति, २ जेणेव थावच्चापुत्ते जाव मुंडे भवित्ता पव्वतिए । सामाइयमातियाइं चोद्दस पुव्वाति अहिज्जति । तते णं थावच्चापुत्ते सुयस्स अणगारसहस्सं सीसत्ताए वियरति । तते णं थावच्चापुत्ते सोगंधियाओ नीलासोयाओ पडिनिक्खमति, २त्ता बहिया जणवयविहारं विहरति । तते णं से थावच्चापुत्ते अणगारसंहस्सेणं सद्धिं संपरिवुडे जेणेव पुंडरीए पव्वते तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता पुंडरीयं पव्वयं सणियं सणियं दुरुहति, २ मेघघणसन्निगासं देवसन्निवायं पुढवि सिलापट्टयं] जावं पाओवगमणं णुवन्ने । तते णं से थावच्चापुत्ते बहूणि वासाणि सामन्नपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए सर्व्हि भत्ताति अणसणाए जाव केवलवरनाण-दसणं समुप्पाडेत्ता ततो पच्छा सिद्धे जाव प्पहीणे । ५६. तते णं से सुए अन्नया कयाइ जेणेव सेलगपुरे नगरे जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे० समोसरणं, परिसा निग्गया, सेलओ निग्गच्छति, धम्मं सोच्चा, जंणवरं देवाणुप्पिया! पंथगपमोक्खातिं पंच मंतिसयातिं आपुच्छामि, महुयं च कुमारं रज्जे ठावेमि, ततो पच्छा देवाणुप्पिया [णं अंतिए] मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! तते णं से सेलए राया सेलगपुरं नयरं अणुपविसति, २ ता जेणेव सए गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता सीहासणे सन्निसण्णे । तते णं से सेलए गया पंथयपामोक्खे पंच मंतिसए सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए सुयस्स अंतिए धम्मे णिसंते, से वि य मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरुइए, तए णं अहं देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विग्गे जाव पव्वयामि, तुब्भे णं देवाणुप्पिया किं करेइ किं ववसह किं वा भे हिय इच्छिते सामत्थे ? तते णं ते पंथयपामोक्खा पंच मंतिसया है सेलगं रायं एवं वदासी जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! संसार जाव पव्वयह, अम्हाणं देवाणुप्पिया ! किमन्ने आहारे वा आलंबे वा ? अम्हे वि य णं देवाणुप्पिया ! संसारभउब्विग्गा जाव पव्वयामो । जहा देवाणुप्पिया ! अम्हं बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य जाव तहा णं पव्वतियाण वि समाणाणं बहूसु जाव चक्खुभूते । तते णं से २ सेलगे पंथगपामोक्खे पंच मंतिसए एवं वदासी जति णं देवाणुप्पिया ! तुब्भे संसार जाव पव्वयह, तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! सएसु सएसु कुडुंबेसु जेठ्ठपुत्ते Mer.cFFFFF5555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा • ६२५ 555555555555555FFFFFFFFFFFFORG $听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FONCE Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ or©55555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प.सु. ५ अ. सेलगे [३६] $ $$$$$$ $$ EC$乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听乐频听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐蛋蛋乐乐听听听听听听FM कुडुबमज्झे ठावेत्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरूढा समाणा मम अंतियं पाउब्भवह । ते वि तहेव पाउन्भवंति । तते णं से सेलए राया पंच मंतिसयाई पाउब्भवमाणातिं पासति, २त्ता हट्ठतुढे कोडुंबियपुरिसे सहावेति, २त्ता एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! मदुयस्स कुमारस्स महत्थं जाव रायाभिसेयं उवट्ठवेह, अभिसिंचति जाव राया जाए विहरति। तते णं से सेलए मदुयं रायं आपुच्छइ। तते णं से मढुए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, २त्ता एवं वदासी खिप्पामेव सेलगपुरं नगरं आसित्त जाव गंधवट्टिभूतं करेह य कारवेह य, २त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तते णं से मढुए दोच्चं पि कोडुबियपुरिसे एवं वदासी खिप्पामेव सेलगस्स रन्नो महत्थं जाव निक्खमणाभिसेओ जहेव मेहस्स तहेव, णवरं पउमावती देवी अग्गकेसे पडिच्छति, सच्चेव पडिग्गहं गहाय सीयं दुरुहति । अवसेसं तहेव जाव सामातियमातियाति एक्कारस अंगाई अहिज्जति, २ त्ता बहूहिं चउत्थ जाव विहरति । तएणं से सुए सेलयस्स अणगारस्स ताई पंथयपामोक्खाति पंच अणगारसयाई सीसत्ताए वियरति। तते णं से सुए अन्नया कयाइ सेलगपुराओ नगराओ सुभूमिभागाओ उज्जाणाओपडिनिक्खमति, २ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरति । तते णं से सुए अणगारे अन्नया कयाइ तेणं अणगारसहस्सेणं सद्धिं संपरिबुडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं विहरमाणे जेणेव पुंडरीए पव्वए जाव सिद्धे। ५७. तते णं तस्स सेलगस्स रायरिसिस्स तेहिं अंतेहि य पंतेहि य तुच्छेहि य लूहेहि य अरसेहि य विरसेहि य सीएहि य उण्हेहि य कालातिकतेहि य पमाणातिक्कंतेहि य णिच्चं च पाणभोयणेहि य पयइसुकुमालयस्स सुहोचियस्स सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूता उज्जला जाव दुरहियासा, कंडु-दाह-पित्तज्जरपरिगयसरीरे यावि विहरति। तते णं से सेलए तेणं रोगातंकेणं सुक्खे जाए यावि होत्था । तते णं से सेलए अन्नया कदाइ पुव्वाणुपुब्विं चरमाणे जाव जेणेव सुभूमिभागे जाव विहरति । परिसा निग्गया, मदुओ वि निग्गओ, सेलयं अणगारं वंदइ नमसइ, २ त्ता पज्जुवासइ, २त्ता तते णं से महुए राया सेलयस्स अणगारस्स सरीरयं सुक्खं भुक्खं जाव सव्वाबाहं सरोगं पासति, २ एवं वदासी अहं णं भंते ! तुम्भं अहापवत्तेहिं तेगिच्छिएहिं अहापवत्तेणं ओसह-भेसज्ज-भत्त-पाणेणं तेगिच्छं आउट्टावेमि, तुब्भे णं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह, फासुएसणिज्ज पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगं ओगिण्हित्ताणं विहरह । तते णं से सेलए अणगारे मडुयस्स रण्णो एयम8 तहत्ति पडिसुणेति । तते णं से मद्दुए सेलयं वंदति नमसति, २त्ता जामेव दिसंपाउन्भूते तामेव दिसं पडिगते । तते णं से सेलए कल्लं जाव जलते सभंडमत्तोवगरणमायाए पंथयपामोक्खेहिं पंचहिं अणगारसएहिं सद्धिं सेलगपुरमणुपविसति, २ त्ता जेणेव मडुयस्स रण्णो जाणसालाओ तेणेव उवागच्छति, २ ता फासुयं पीढ जाव विहरति । ततेणं से मदुए तेगिच्छिए सदावेति, २त्ता एवं वदासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! सेलयस्स फासुएसणिज्जेणं जाव तेगिच्छं आउट्टेह । तते णं ते तेगिच्छिया महुएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा अट्ठतुट्ठा सेलयस्स अहापवत्तेहिं ओसह-भेसज्ज-भत्त-पाणेहिं तेगिच्छं आउट्टेति, मज्जपाणयं च से उवदिसंति । तते णं तस्स सेलयस्स तेहिं तेहिं अहापवत्तेहिं जाव मज्जपाणएण य से रोगायके उवसंते यावि होत्था, हटे गल्लसरीरे जाते ववगयरोगातंके । तते णं से सेलए तंसि रोयातंकसि उवसंतंसि समाणंसितंसि विपुले असण ४ मज्जपाणए यमुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववन्ने ओसन्ने ओसन्नविहारी एवं पासत्थे पासत्थविहारी कुसीले कुसीलविहारी पमत्ते पमत्तविहारी संसत्ते संसत्तविहारी ओबद्धपीढ-फलग-सेज्जा संथारए पमत्ते यावि विहरति, नो संचाएति फासुएसणिज्ज पीढं पच्चप्पिणित्ता मडुयं च रायं आपुच्छित्ता बहिया जाव विहरित्तए। ५८. तते णं तेसिं पंथयवज्जाणं पंचण्हं अणगारसयाणं अन्नया कदाइ एगतओ सहियाणं जाव पुव्वत्तावरत्तवरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणाणं अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु सेलए रायरिसी चइत्ता रज्जं जाव पव्वतिए, विपुले असण-पाण-खाइमसाइमे मज्जपाणए य मुच्छिए नो संचाएति जाव विहरित्तए, नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया! समणाणं जाव पमत्ताणं विहरित्तए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं कल्लं सेलयं रायरिसिं आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगं पच्चप्पिणित्ता सेलगस्स अणगारस्स पंथयं अणगारं वेयावच्चकरं ठवेता बहिया अब्भुज्जएणं जाव विहरित्तए। एवं संपेहेति, २त्ता कल्लं जेणेव सेलए० आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढ़ - [फलग-सेज्जा-संथारगं] पच्चप्पिणंति, २ त्ता पंथयं अणगारं वेयावच्चकर ठवेति, २ त्ता बहिया जाव विहरंति । ५९. तते णं से पंथए सेलए सेज्जा-संथार-उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-मत्त-ओसह-भेसज्ज-भत्त-पाणएणं अगिलाए roro5555555555555555555श्री आगमगुणमंजूषा - ६२६॥ 5 555 9455555555555 SONOR SOF听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听 听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听乐乐玩玩乐乐EC Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मंकहाओ प. सु. ५ अ. सेलगे / ६ अ. तुम्बे [३७] ॐॐॐॐॐॐॐ विणएणं वेयावडियं करेइ । तते णं से सेलयस्स अन्नया कयाइ कत्तियचाउम्मासियंसि विपुलं असणं ४ आहारमाहारिए सुबहुं च मज्जपाणयं पीए पच्चावरण्हकालसमयंसि सुहृपसुत्ते । तते णं से पंथएण कत्तियचाउम्मासियंसि कयकाउसग्गे देवसियं पडिक्कमणं पडिक्कंते चाउम्मासियं पडिक्कमिउकामे सेलयं रायरिसिं खामणट्टयाए सीसे पाएं संघट्टेति । तते णं से सेलए पंथएरं सीसेणं पाएस संघट्टिए समाणे आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे उट्ठेति, २ त्ता एवं वदासी से केस णं भो एस अपत्थियपत्थर जाव वज्जिए जेणं मम सुहपसुत्तं पाएसु संघट्टति ? तते णं से पंथए सेलएणं एवं वुत्ते समाणे भीए तत्थे तसिए करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं ] कट्टु एवं वदासी अहण्णं भंते! पंथए कयकाउस्सग्गे देवसियं पडिक्कमणं पडिक्कंते चाउम्मासियं खामेमाणे देवाणुप्पियं वंदमाणे सीसेणं पाए संघेट्टेमि, तं खमंतु णं कट्टु सेलयं अणगारं एतमहं सम्मं देवाणुप्पिया ! खंतुमरुहंतु णं देवाणुप्पिया ! भुज्जो भुज्जो खामेति । तते णं तस्स सेलयस्स रायरिसिस्स पंथएणं एवं वुत्तस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं रज्जं च [ इत्ता] जाव ओबद्धपीढ [फलग - सेज्जा- संथारए पमत्ते यावि] विहरामि, तं नो खलु कप्पति समणाणं णिग्गंथाणं पासत्थाणं जाव विहरित्तए, तं सेयं खलु मे कल्लं महुयं रायं आपुच्छित्ता पाडिहारियं पीढ-फलग- सेज्जा-संथारगं पच्चप्पिणित्ता पंथएणं अणगारेणं सद्धिं बहिया अब्भुज्जएणं जाव जणवयविहारेणं विहरित्तए । एवं संपेहेति, २ त्ता कल्लं जाव विहरति । ६०. एवामेव समणाउसो ! जाव णिग्गंथो वाणिग्गंथी वा ओसने जाव संथारए पमत्ते विहरति से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं ४ हीलणिज्जे०, संसारो भाणियव्वो । तते णं ते पंथगवज्जा पंच अणगारसया इमसे कहाए लट्ठा समाणा अन्नमन्नं सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी सेलए रायरिसी पंथएणं बहिया जाव विहरति, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं सेलयं उवसंपज्नित्ताणं विहरित्तए । एवं संपेहेति, एवं संपेहित्ता सेलयं रायरिसिं उवसंपज्जिताणं विहरंति । ६१. तते णं ते सेलयपामोक्खा पंच अणगारसया बहूणि वासा सामण्णपरियागं पाउणित्ता जेणेव पुंडरीए पव्वए तेणेव उवागच्छंति, २ जहेव थावच्चापुत्ते तहेव सिद्धा । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव वीतीवइस्सति । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पंचमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते त्ति बेमि ||55|| पंचमं नायज्झयणं सम्मत्तं ॥ 555छट्टं अज्झयणं 'तुंबे ' 555 ६२. जति णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पंचमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, छट्ठस्स णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ?, एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे समोसरणं, परिसा निग्गया। ते णं काले णं ते णं समए णं स्वमणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूती नाम अणगारे अदूरसामंते जाव सुक्कज्झाणोवगए विहरति । तते णं से इंदभूती जायसड्ढे जाव एवं बदासी कहणं भंते! जीवा गरूयत्तं वा लहुयत्तं वा हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! से जहा नामए केइ पुरिसे एगं महं सुक्कं तुंबं णिच्छिड्डुं निरुवहयं दब्भेहिं य कुसेहिं य वेढेइ, २ त्ता मट्टियालेवेणं लिंपति, २ त्ता उण्हे दलयति, २त्ता सुक्कं समाणं दोच्चं पि दब्भेहि य कुसेहि य वेढेति, २ त्ता मट्टियालेवेणं लिंपति । २ उण्हे दलयइ, सुक्कं समाणं तच्चं पि दब्भेहि य कुसेहि य वेढोति, २ त्ता मट्टियालेवेणं लिंपति । एवं खलु एएणुवाएणं अंतरा वेढेमाणे अंतरा लिपेमाणे अंतरा सुक्कवेमाणे जाव मट्टियालेवेहिं लिंपति, अत्थामतारम॑पोरिसिय॑सि उदगंसि पक्खिवेज्जा, से गूणं गोतमा ! से तुंबे तेसिं अट्ठण्हं मट्टियालेवाणं गरुययाए भारिययाए गरुयभारिययाए उप्पिं सलिलमतिवइत्ता अहे धरणियलपइट्ठाणे भवति, एवामेव गोतमा ! जीवा वि. पाणाति वाएणं जाव मिच्छादंसणसल्लेणं अणुपुव्वेणं अट्ठ कम्मपगडीओ समज्जिणित्ता, तासिं गरुययाए भारिययाए गरुयभारिययाए कालमासे कालं किच्चा धरणियलमतिवतित्ता अहे नरगतलपइट्ठाणा भवंति, एवं खलु गोतमा ! जीवा गरुयन्तं हव्वमागच्छंति | अह णं गोतमा ! से तुंबे तंसि पढमिल्लुगंसि मट्टियालेवंसि तित्तंसि कुहियंसि परिसडियंसि ईसिं धरणियलाओ उप्पतित्ताणं चिट्ठति, तयणंतरं च णं दोच्चं पि मट्टियालेवे जाव उप्पतित्ताणं चिट्ठति, एवं खलु एएणं उवाएणं से तेसु अट्ठसु मट्टियालेवेसु तित्तेसु जाव विमुक्कबंधणे अहे धरणिवलमइवइत्ता उप्पिं सलिलतलपइट्ठाणे भवति । एवामेव गोतमा ! जीवा पाणातिवातवेरमणेणं जाव मिच्छादंसणसल्लवेरमणेणं अणुपुव्वेणं अट्ठ कम्मपगडीओ खवेत्ता श्री आगमगुणमंजूषा - ६२७ OK MOTOR Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ६ अ तुम्बे / ७ अ. रोहिणी [३८] गणतलमुपत्ता उप्पिं लोयग्गपतिट्ठाणा भवंति, एवं खलु गोतमा ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवत्ता महावीरेणं छट्ठस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते त्ति बेमि । ॥ छटुं नायज्झयणं सम्मत्तं ॥ 55 सत्तमं अज्झयणं 'रोहिणी' फफफ ६३. जति णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेण छट्ठस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, सत्तमस्स णं भंते! नायज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे नाम नयरे होत्था, सुभूमिभागे उज्जाणे । तत्थ णं रायगिहे नगरे धणे नाम सत्थवाहे परिवसति अड्डे भद्दा भारिया अहीणपंचेदिय जाव सुरूवा। तस्स णं धणस्स सत्यवाहस्स पुत्ता भद्दाए भारियाए अत्तया चत्तारि सत्थवाहदारया होत्या, तंजहा धणपाले धणदेवे धणगोवे धणरक्खिए । तस्स णं धणस्स सत्थवाहस्स चऊण्हं पुत्ताणं भारियाओ चारि सुहाओ होत्था, तंजहा उज्झिया भोगवतिया रक्खिया रोहिणिया । तते णं तस्स धणस्स अन्नया कदाइं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं रायगिहे बहूणं इसर जाव प्पभितीणं सयस्स य कुटुंबस्स बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य कुटुं [ बेसु] मंते गुज्झे रहस्स निच्छए ववहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे मेढी पमाणं आहारे आलंबणं चक्खू मेढिभूते पमाणभूते आहारभूते आलंबणभूते चक्खुभूते सव्वकट्टा, सिवा चुयंसि वा मयंसि वा भग्गंसि वा लुग्गंसि वा सडियंसि वा पडियंसि वा विदेसत्यंसि वा विप्पवसियंसि वा इमस्स कुटुंबस्स के मन्ने आहारे वा आलंबे वा पडिबंधे वा भविस्सति ?, तं सेयं खलु मम कल्लं जाव जलंते विपुलं असण ४ उवक्खडावेत्ता मित्त-णाति - णि[ग-सयण-संबंधि-परिजणं] चउण्ह य ण्हुसाणं कुलघरवग्गं आमंतेत्ता तं मित्त-णाइणिय ग-सयण संबंधि-परिजणं चउण्ह य ण्हुसाणं कुलघरवग्गं विपुलेणं असण ४ धूव - पुप्फ-वत्थ- गंध - जाव सक्कारेत्ता सम्माणेता तस्सेव मित्त-णाति णियग-सयण-संबिंधि-परिजणस्स चउण्ह य ण्हुसाणं कुलघरवग्गस्स पुरतो चउण्हं ण्हुसाणं परिक्खणट्टयाए पंच पंच सालिअक्खवए दलइत्ता जाणामि ताव का किह वा सारक्खइ वा संगोवेइ वा संवढेति वा । एवं संपेहेइ, २ त्ता कल्लं जाव मित्तणाति [णियग-सयण संबंधिपरिजणं] चउण्ह य ण्हुसाणं कुलघरवग्गं आमंतेइ, २ त्ता विपुलं असण ४ उवक्खडावेइ । ततो पच्छा पहाए भोयणमंडवंसि सुहासण [ वरगए ] मित्त-णाति [णियगसण-संबंधि-परिजणेणं] चउण्हय सुण्हाणं कुलघरवग्गेण सद्धिं तं विपुलं असण ४ जाव सक्कारेति, २ त्ता तस्सेव मित्त-णाति णियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरतो पंच सालिअक्खए गेण्हति, २ त्ता जेवं सुण्हं उज्झियं सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी तुमं णं पुत्ता ! मम हत्थाओ इमे पंच सालिअक्खए गेण्हाहि, २ अणुपुव्वेणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी विहराहि, जया णं अहं पुत्ता ! तुमं इमे पंच सालिअक्खए जाएजा तया णं तुमं मम इमे पंच सालिअक्खए पडिनिज्जज्जासि त्ति कट्टु सुण्हाए हत्थे दलयति, २ त्ता पडिविसज्जेति । तते णं सा उज्झिया धणस्स तहति एयमहं पडिसुणेति, २ त्ता धणस्स सत्थवाहस्स अत्थाओ ते पंच सालिअक्खए गेण्हति, २ त्ता एगंतमवक्कमति, एगंतमवक्कमिताए इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए कप्पे समुज्जित्था एवं खलु तायाणं कोट्ठागारंसि बहवेपल्ला सालीणं पडिपुण्णा चिट्ठति, तं जया णं ममं ताओ इमे पंच सालिअक्खए जाएसति तया णं अहं पल्लंतराओ अण्णे पंच सालिअक्खए गहाय दाहामि त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, २ ते पंच सालिअक्खए एगंते एडेति, २ त्ता सकम्मसंजुत्ता जाया यावि होत्था । एवं भगवतिया वि, वरं सा छोल्लेति, २ त्ता अणुगिलति, २ त्ता सकम्मसंजुत्ता जाया । एवं रक्खियाए वि, नवरं गेण्हति, २ त्ता इमेयारूवे अज्झत्थिए [चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था ] एवं खलु ममं ताओ इमस्स मित्त-नाति - नियग- सयण संबंधि-परिजणस्स चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरवग्गस्स पुरतो सहावेत्ता एवं वदासी तुमं णं पुत्ता ! मम हत्थाओ जाव पडिनिज्जारज्जासि त्ति कट्टु मम हत्यंसि पंच सालिअक्खए दलयति, तं भवियव्वमेत्थ कारणेणं ति कट्टु एवं संपेहेति, २ त्ता ते पंच सालिअक्खए सुद्धे वत्थे बंधइ, २ त्ता रयणकरंडियाए पक्खिवइ, २ त्ता मंजूसाए पक्खिवइ, २ त्ता ऊसीसामूले ठावेइ, २ त्ता तिसंझं पडिजागरमाणी २ विहरति । तए णं से धणे सत्थवाहे तस्सेव मित्त जाव चउत्थं रोहिग्यं सुण्डं सद्दावेति, जाव तं भवियव्वमेत्थ कारणेणं । तं सेयं खलु मम एए पंच • साल अक्खए सारक्खमाणीए संगोवेमाणीए संवड्डेमाणीए त्ति कट्टु एवं संपति, २ त्ता कुलघरपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! एते पंच श्री आगमगुणमंजूषा - ६२८ XGK F Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGRO89%99%83%83%835 (मायायम्बकवायो प.स. 7अ.रोहिणी [३९] $%%%%%%%%%%% IOS FOLOR $$$$$$$$$坎$$乐明明明明明明明乐明乐 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐 सालिअक्खए गेण्हह, सारक्खमाणा संगोवेमाणा अणुपुव्वेणं संवड्वेह। पढमपाउसंसि महावुट्टिकायंसि निवइयंसि खुड्डागं केयारं सुपरिकम्मियं करेह, सुपरिकम्मियं । करेत्ता इमे पंच सालिअक्खए वावेह, वावेत्ता दोच्चं पि तच्चं पि उक्खयनिहए करेह, २ वाडि परिक्खेवं करेह, २ सारक्खमाणा संगोवेमाणा अणुपुव्वेणं संवड्ढेह । तते णं ते कोडुंबिया रोहिणीए एतमढें पडिसुणेति, २ त्ता ते पंच सालिअक्खए गेण्हंति, २ अणुपुव्वेणं सारक्खंति संगोवंति विहरति । तए णं ते कोडुंबिया पढमपाउसंसि महावुट्ठिकार्यसि णिवइयंसि समाणंसि खुड्डागं केदारं सुपरिकम्मियं करेंति, २ ते पंच सालिअक्खए ववंति, [२] दोच्चं पि तच्चं पि उक्खयनिहए करेति, २' वाडिपरिक्खेवं करेंति, २ अणुपुव्वेणं सारक्खमाणा संगोवेमाणा विहरंति । तते णं ते साली अणुपुव्वेणं सारक्खिज्जमाणा संगोविज्जमाणा संवड्डिजमाणा साली जाया किण्हा किण्होभासा जाव निउरंबभूया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा । तते णं ते साली पत्तिया वत्तिया गब्भिया पसूया आगयगंधा खीरइया बद्धफला पक्का परियागया सल्लइया पत्तइया हरियपेरुंडा जाया यावि होत्था । तते णं ते कोडुंबिया ते साली पत्तिए जाव सल्लइए पत्तइए जाणित्ता तिक्खेहिं । णवपज्जणएहिं असियएहिं लुणंति, २ करयलमलिते करेति, २ पुणंति । तत्थ णं चोक्खाणं सूइयाणं अखंडाणं अफुडियाणं छडछडापूयाणं सालीणं मागहए पत्थए जाए । तते णं ते कोडुंबिया ते साली णवएसु घडएसु पक्खिवंति, २ ओलिपति, लिपंति, २ लंछियमुहिते करेति, २ त्ता कोट्ठागारस्स एगदेसंसि ठाति, २ सारक्खमाणा संगोवेमाणा विहरति । तते णं ते कोडुंबिया दोच्वंसि वासारत्तंसि पढमपाउसंसि महावुट्टिकायंसि निवइयंसि खुड्डागं केयारं सुपरिकम्मियं करेति, २ ते साली ववंति, २ दोच्चं पि० उक्खयणिहए जाव लुणंति जाव चलणतलमलिए करेति, २ पुणंति। तत्थ णं सालीणं बहवे मुरया जाव एगदेसंसि ठावेति, २ सारक्खमाणा + संगोवेमाणा विहरंति । तते णं ते कोडुबिया तच्चंसि वासारत्तंसि महावुट्टिकायंसि निवइयंसि बहवे केदारे सुपरि० जाव लुणंति, २त्ता संवहंति, २ त्ता खलयं करेंति, २ मलेति जाव बहवे कुंभा जाया । तते णं ते कोडुबिया साली कोट्ठागारंसि पल्लंति जाव विहरंति । चउत्थे वासारत्ते बहवे कुंभसया जाता। तते णं तस्स धणस्स पंचमयंसि संवच्छरंसि परिणममाणंसि पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु मए इओ अतीते पंचमे संवच्छरे चउण्हं सुण्हाणं परिक्खणट्ठाए ते पंच पंच सालिअक्खया हत्थे दिन्ना, तं सेयं खलु मम कल्लं जाव जलते पंच सालिअक्खए पडिजाइत्तए जाव जाणामि ताव काए किह सारक्खिया वा संगोविया वा संवड्डिया व त्ति कट्ट एवं संपेहेति, २त्ता कल्लं जाव जलंते विपुलं असण ४ मित्त-नाइ-णियग-सयण-संबंधि-परिजणं चउण्ह य सुण्हाणं कुलघर जाव सम्माणित्ता तस्सेव मित्त-णाति-णियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स चउण्ह य सुण्हाणं० पुरओ जेट्टं उज्झियं सद्दावेइ, २ त्ता एवं वयासी एवं खलु अहं पुत्ता ! इतो अतीते पंचमंमि संवच्छरे इमस्स मित्त-णाति-णियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरस्स य पुरतो तव हत्थंसि पंच सालिअक्खए दलयामि, जया णं हं तुमं पुत्ता ! एएपंच सालिअक्खए जाएज्जा तया णं तुम मम इमे पंच सालिअक्खए पडिनिज्जाएसि ति कट्ट तव हत्थंसि दलामि । से नूणं पुत्ता ! अत्थे समढे ?, हंता अत्थि। तण्णं तुभ पुत्ता ! मम ते सालिअक्खए पडिनिज्जाएहि। ततेणं सा उज्झिया एयमटुं धणस्स पडिसुणेति, २त्ता जेणेव कोट्ठागारे तेणेव उवागच्छति, २ ता पल्लातो पंच सालिअक्खए गेण्हति, २ त्ता जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति, २ ता धणं सत्थवाहं एवं वदासी एए णं ताओ ! पंच सालिअक्खए(क्खय?) त्ति कट्ट धणस्स हत्थंसि ते पंच सालिअक्खए दलयति । तते णं धणे उज्झियं सवहसावियं करेति, २ त्ता एवं वयासी किण्णं पुत्ता ! ते चेव पंच सालिअक्खए(क्खया?) उदाहु अन्ने ? तते णं उज्झिया धणं सत्थवाहं एवं वयासी एवं खलुतुब्भे तातो! इओ अतीते पंचमे संवच्छरे इमस्स मित्त-नाति-णियगसयण-संबंधि-परिजणस्स चउण्ह य [ण्हुसाणं] कुल [घरवग्गस्स] जाव विहराहि । तते णं हं तुम्भं एतमढे पडिसुणेमि, ते पंच सालिअक्खए गेण्हामि, २त्ता एगंतमवक्कमामि । तते णं मम इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु तायाणं कोट्ठागारंसि जाव सकम्मसंजुत्ता । तं णो खलु ताओ! ते चेव पंच सालिअक्खया, एए णं अन्ने । तते णं से धणे उज्झियाए अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे उज्झियं तस्स मित्त-नाति [-नियग-सयण2 संबंधि-परिजणस्स चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरस्स पुरओ तस्स कुलघरस्स छारुज्झियं च छाणुज्झियं च कयवरुज्झियं च संपुच्छियं च सम्मज्जियं च पाओदयदाइयं AMRENIORite r armirmirria -NE r irirurirrrrrrrrrrr-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.-.----ear NO虽听听听听听听听听听听明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Gain Education anelibrary.oa Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HORO55555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ७ अ. रोहिणी /८ अ. मल्ली [४०] $ % %%% % %%% 2 0g LC编乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明5CM चण्हाणोदयदाइयं च बाहिरपेसणकारियं च ठवेति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव पव्वतिते, पंच य से महव्वयाति उज्झियाइं भवंति, से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्टिस्सइ, जहा सा उज्झिया । एवं भोगवइया वि, नवरं तस्स कुलघरस्स कडेतियं च कोट्टंतियं च पीसंतियं च एवं रूंचंतियं च रंधतियं च परिवेसंतियं च परिभायंतियं च अब्भंतरियं च पेसणकारिं महाणसिणिं ठवेति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं समणो वा समणी वा पंच य से महव्वयाइं फोल्लियाइं भवंति से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं जाव हीलणिज्जे निंदणिज्जे खिंसणिज्जे गरहणिज्जे परिभवणिज्जे, जहा व सा भोगवतिया । एवं रक्खिया वि, नवरं जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छति, २त्ता मंजूसं विहाडेति, २ त्ता रयणकरंडगाओ ते पंच सालिअक्खए गिण्हति, २त्ता जेणेव धणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छति, २त्तापंच सालिअक्खए धणस्स हत्थे दलयति। तते णं से धणे रक्खियं एवं वदासी किण्णं पुत्ता ! ते चेव एते पंच सालिअक्खया उदाहु अन्ने?, तते णं रक्खिया धणं सत्थवाहं एवं वदासी ते चेव ताओ ! एए पंच सालिअक्खया, णो अन्ने। कहं णं पुत्ता ? एवं खलु ताओ ! तुब्भे इओ पंचमंमि जाव भवियव्वं एत्थ कारणेणं ति कट्ट ते पंच सालिअक्खए सुद्धे वत्थे जाव तिसंझं पडिजागरमाणी यावि विहरामि । तं एएणं कारणेणं ताओ ! ते चेव ते पंच सालिअक्खए(क्खया?), णो अन्ने । तते णं से धणे रक्खियाए अंतियं एयमढे सोच्चा हट्ठतुढे तस्स कुलघरस्स हिरण्णस्स य कंसदूस-विपुलधण जाव सावतेज्जस्स य भंडागारिणिं ठवेति । एवामेव समणाउसो ! जाव पंच य से महव्वयाति रक्खियातिं भवंति से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं अच्चणिज्जे जाव जह सा रक्खितिया। रोहिणीया वि एवं चेव, नवरं तुब्भे ताओ ! मम सुबहुयं सगडीसागडं दलाह जाणं अहं तुब्भं ते पंच सालिअक्खए पडिणिज्जाएमि । ततेणं से धणे रोहिणी एवंवयासि कहंणं तुम मम पुत्ता ! ते पंच सालिअक्खए सगडसागडेणं निज्जाइस्ससि ?, ततेणं सारोहिणी धणं सत्यवाह एवं वदासी एवं खलु तातो ! इओ तुब्भे पंचमे संवच्छरे इमस्स मित्त जाव बहवे कुंभसया जाया तेणेव कमेणं । एवं खलु ताओ ! तुब्भे ते पंच सालिअक्खए सगडिसागडेणं निज्जाएमि । तते णं से धणे सत्थवाहे रोहिणीयाए सुबहुयं सगडीसागडं दलाति । तते णं रोहिणी सुबहुं सगडीसागडं गहाय जेणेव सए कुलघरे तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता कोट्ठागारे विहाडेति, २ त्ता पल्ले उब्भिदति, २ त्ता सगडीसागडं भरेति, २ त्ता रायगिहं नगरं मज्झंमज्झेणं जेणेव धणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छति । तते णं रायगिहे नगरे सिंघाडग जाव बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमातिक्खति धन्ने णं देवाणुप्पिया ! धणे सत्थवाहे, जस्स णं रोहिणीया सुण्हा पंच सालिअक्खए सगडसागडिएणं निज्जाएति । तते णं से धणे सत्थवाहे ते पंच सालिअक्खए सगडिसागडेणं निज्जातिते पासति, २त्ता हट्ठ जाव पडिच्छति, २ त्ता तस्सेव मित्त-नाति [-नियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स] चउण्ह य सुण्हाणं कुलघरस्स पुरतो रोहिणीयं सुण्हं तस्स कुलस्स बहूसु कज्जेसु य जाव रहस्सेसुय आपुच्छणिज्जं जाव वट्टावितं पमाणभूयं ठवेति । एवामेव समणाउसो ! जाव पंच से महव्वया संवड्डिया भवंति से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं जाव वीतीवइस्सति, जहा व सा रोहिणीया । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं सत्तमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि ॥ ॥ सत्तमं नायज्झयणं सम्मत्तं ॥७॥ अट्ठमं अज्झयणं 'मल्ली' ६४. जति णं भंते ! समणेणं भगवता महावीरेणं सत्तमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, अट्ठमस्स णं भंते ! के अटे पण्णत्ते ! एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं इहेव जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे, मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं, निसढस्स वासहरपब्बयस्स उत्तरेणं, सीतोयाए महाणदीए दाहिणेणं, सुहावहस्स वक्खारपव्वतस्स पच्चत्थिमेणं, पच्चत्थिमलवणसमुदस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं सलिलावती नाम विजएपण्णत्ते। तत्थ णं सलिलावतीविजए वीयसोगा नाम रायहाणी पण्णत्ता नवजोयणवित्थिण्णा जाव पच्चक्खं देवलोगभूया। तीसेणं वीयसोगाए रायहाणीए उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे इंदकुभे नाम उज्जाणे । तत्थ णं वीयसोगाए रायहाणीए बलो नाम राया। तस्सणं धारिणीपामोक्खं देविसहस्सं ओरोधे होत्था । तते णं सा धारिणी देवी अन्नया कदाइ सीहं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा जाव महब्बले नामं दारए जाए उमुक्कबालभावे जाव भोगसमत्थे। तते णं तं महब्बलं अम्मापियरो 9 सरिसियाणं कमलसिरीपामोक्खाणं पंचण्हं रायवरकन्नासयाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेति । पंच पासायसया, पंचसत्तो दातो जाव विहरति । थेरागमणं, इंदकुभे worOFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF[ श्री आगमगुणमंजूषा - ६३० 555555555555555555555555 93F FOTO 00乐乐听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明国历历历垢與乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IG05555555%%%%%%% (६) णायाधम्मकहाओ प.सु. ८ अ. मल्ली [१] 55555555555555yog SSSSSSSSSSSSSSSS CO听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FSC उज्जाणे समोसढा, परिसा निग्गया, बलो वि निग्गओ, धम्म सोच्चा णिसम्म, जं नवरं महब्बलं कुमारं रज्जे ठावेमि जाव एक्कारसंगबीइ, बहूणि वासाणि परियाओ। जेणेव चारुपव्वए, मासिएणं भत्तेणं सिद्धे । तते णं सा कमलसिरी अन्नदा सीहं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा जाव बलभद्दो कुमारो जातो, जुवराया यावि होत्था, तस्स णं महब्बलस्स रण्णो इमे छप्पि य बालवयंसगा रायाणो होत्था, तंजहा अयले, धरणे, पूरणे, वसू, वेसमणे, अभिचंदे, सहजायया जाव संहिच्चा ते णित्थरियव्वे त्ति कट्ट अन्नमन्नस्सेयमद्वं पडिसुणेति । ते णं काले णं ते णं समए णं इंदकुंभे उज्जाणे थेरा समोसढा, परिसा निग्गया। महब्बले णं धम्म सोच्चा० जं नवरं छप्पि य बालवयंसए [आ पुच्छामि, बलभदं च कुमारं रज्जे ठावेमि, जाव ते छप्पिय बालवयंसए आपुच्छति । ततेणं ते छप्पिय बालवयंसया महब्बलं रायं एवं वदासी जति णं देवाणुप्पिया! तुब्भे पव्वयह, अम्हं के अन्ने आहारे वा जाव पव्वयामो। तते णं से महब्बले राया ते छप्पि य बालवयंसए एवं क्यासी जति णं तुब्भे मए सद्धिं जाव पव्वयह, गच्छह, जेट्टपुत्ते सएहिं-सएहिं रज्जेहिं ठावेह, २त्ता ते पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ दुरूढा जाव पाउब्भवंति। तते णं से महब्बले छप्पिय बालवयंसए पाउन्भूते पासति, २त्ता हट्ठतुढे कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, बलभद्दस्स अभिसेओ, आपुच्छति । तते णं से महब्बले जाव महया इड्डीए पव्वतिए, एक्कारसंगवी, बहूहिं चउत्थ जाव भावेमाणे विहरति । तते णं तेसि महब्बलपामोक्खाणं सत्तण्हं अणगाराणं अन्नया कदाइ एगयओ सहियाणं इमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था जण्णं अम्हं देवाणुप्पिया ! एगे तवोकम्मं उव्वसंपज्जित्ताणं विहरति तण्णं अम्हेहिं सव्वेहिं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स एयमढें पडिसुणेति, २ त्ता बहूहिं चउत्थ जाव विहरति । तते णं से महब्बले अणगारे णं इमेणं कारणेणं इत्थिणामगोयं कम्मं निव्वत्तेसु जति णं ते महब्बलवज्जा छ अणगारा चउत्थं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति ततो से महब्बले अणगारे छ8 उवसंपज्जित्ताणं विहरति, जति णं ते महब्बलवज्जा छ अणगारा छ8 उवसंपज्जित्ताणं विहरंति ततो से महब्बले अणगारे अट्ठमं उवसंपज्जित्ताणं विहरति, एवं अह अट्ठमंतो दसमं, अह दसमंतो दुवालसमं । इमेहि पुण वीसाए कारणेहिं आसेवियबहुलीकएहिं तित्थयरनामगोयं कम्मं निव्वत्तिंसु, तंजहा अरहंत १ सिद्ध २ पवयण ३ गुरु ४ थेर ५ बहुस्सुए ६ तवस्सीसु७। वच्छल्लयाइ तेसिं अभिक्ख णाणोवओगे य ८॥१|| दसण ९विणए १० आवस्सए य ११ सीलव्वए निरइयारो १२ खणलव १३ तव १४ चियाए १५ वेयावच्चे १६ समाही य १७॥२॥ अपुव्वणाणगहणे १८ सुयभत्ती १९ पवयणे पभावणया २०। एएहिं कारणेणं तित्थयरत्तं लहइ एसो॥३॥ तए णं ते महब्बलपमोक्खा सत्त अणगारा मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति जाव एगराइयं उवसंपज्जिताणं विहरंति । तते णं ते महब्बलपामोक्खा सत अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति, तंजहा चउत्थं करेति, २त्ता सव्वकामगुणियं पारेति, २त्ता छ8 करेति, २त्ता चउत्थं करेति, २त्ता अट्ठमं करेति, २ ताछ8 करेंति, २ ता दसमं करेंति, २त्ता अट्ठमं करेति, २त्ता दुवालसमं करेति, २त्ता दसमं करेति, २ त्ता चोद्दसमं करेति, २त्ता दुवालसमं करेंति, २त्ता सोलसमं करेति, २ त्ता चोद्दसमं करेति, २ त्ता अट्ठारसमं करेति, २त्ता सोलसमं करेंति, २त्ता वीसइमं करेंति, २त्ता अट्ठारसमं करेति, २त्ता वीसइमं करेंति, २त्ता सोलसमं करेति, २त्ता अट्ठारसमं करेंति, २ त्ता चोद्दसमं करेति, म २त्ता सोलसमं करेति, २ त्ता दुवालसमं करेति, २त्ता चोद्दसमं करेति, २त्ता दसमं करेति, २ त्ता दुवालसमं करेति, २ त्ता अट्ठमं करेति, २त्ता दसमं करेति, २त्ता छठें करेति, २ त्ता अट्टमं करेंति, २त्ता चउत्थं करेति, २त्ताछट्टेकरेति, २त्ता चउत्थं करेति, २ सव्वत्थ सव्वकामगुणियं पारेति। एवं खलु एसा खुड्डागसीहनिक्कीलियस्स तवोकम्मस्स पढमा परिवाडी छहिं मासेहिं सत्तहिं य अहोरत्तेहिं अहासुत्ता जाव आराहिया भवइ । तयाणंतरं दोच्चाए परिवाडीए चउत्थं करेंति, नवरं विगइवज्ज पारेति । एवं तच्चा वि परिवाडी, नवरं पारणए अलेवाडं पारेति । एवं चउत्था वि परिवाडी, नवरं पारणए आयंबिलेणं पारेति । तए णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त प्र अणगारा खुड्डागं सीहनिक्कीलियं तवोकम्मंदोहिं संवच्छरेहिं अट्ठावीसाए अहोरत्तेहिं अहासुत्तं जाव आणाए आराहेत्ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता थेरे भगवंते वंदति नमसंति, २त्ता एवं वयासी इच्छामोणं भंते ! महालयं सीहनिक्कीलियं तहेव जहा खुड्डागं । नवरं चोत्तीसइमो नियत्तइ । एगाए परिवाडीए कालो २ एगेणं संवच्छरेणं छहिं मासेहिं अट्ठारसहिं य अहोरत्तेहिं समप्पति । सव्वं पि सीहनिक्कीलियं छहिं वासेहिं दोहिं य मासेहिं बारसहि य अहोरत्तेहिं समप्पति । तए णं Keros $555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६३१3555555 555#FIFSOK 55555555555 Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली [४२] हब्बलपामोक्खा सत्त अणगरा महालयं सीहनिक्कीलियं अहासुत्तं जाव आराहेत्ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता थेरे भगवंते वंदंति नमंसंति, २ बहूणि चत् जाव विहरंति । तते णं ते महब्बलपामोक्खा सत्त अणगारा तेणं ओरालेणं [विपुलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धण्णेणं मंगल्लेणं सस्सिरीणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं] सुक्का भुक्खा जहा खंदओ, णवरं थेरे आपुच्छइ, आपुच्छित्ता चारुपव्वयं दुरुहंति, २ जादोमासिया संलेहणाए [ अप्पाणं झोसेत्ता ] सवीसं भत्तसयं [ अणसणाए छेदेत्ता] चउरासीति वाससयसहस्सातिं परियागं पाउणंति, पाउणित्ता चुलसीतिं पुव्वसय सहस्सातिं सव्वाउयं पालइत्ता जयंते विमाणे देवत्ताए उववन्ना । ६५. तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं बत्तीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता, तत्थ णं महब्बलवज्जाणं छहं देवाणं देसूणाई बत्तीसं सागरोवमाइं ठिती [पण्णत्ता,] महब्बलस्स देवस्स पडिपुन्नाइं बत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तते णं ते महब्बलवज्जा छप्पि देवा जयंताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता, इहेव जंबुद्दीवे, दीवे भारहे वासे, विसुद्धपितिमातिवंसेसु रायकुलेसु पत्तेयं पत्तेयं कुमारत्ताए पच्चायाया, तंजहा पडिबुद्धी इक्खागराया, चंदच्छाए अंगराया संखे कासीराया, रुप्पी कुणालाहिवती, अदीणसत्तू कुरुराया, जितसत्तू पंचालाहिवई । तते णं से महब्बले देवे तिहिं णाणेहिं समग्गे, उच्चट्ठाणट्ठिएस गहेसु, सोमासु दिसासु वितिमिरासु विसुद्धासु, जइतेसु सउणेसु, पयाहिणाणुकूलंसि भूमिसप्पिसि मारुतंसि पवायंसि, निप्फन्नसस्समेइणीयंसि कालंसि, पमुइयपक्कीलिएसु जणवएसु, अडरत्तकालसमयंसि, अस्सिणीणक्खत्तेणं जोगमुवागएणं, जे से हेमंताणं उत्थे मासे अट्टमे पक्खे [ फग्गुणसुद्धे ] तस्स णं फग्गुणसुद्धस्स चउत्थीपक्खे णं जयंताओ विमाणाओ बत्तीससागरोवमट्टितीयाओ अणंतरं चयं चइत्ता, इहेव जंबुवेदी, भार वासे, मिहिलाए रायहाणीए, कुंभगस्स रण्णो पभावतीए देवीए कुच्छिसि आहारवक्कंतीए भववक्त्रंतीए सरीरवक्कंतीए गब्भत्ताए वक्कंते । तं रयणिं चणं चोद्दस महासुमिणे, वण्णओ । भत्तारकहणं, सुमिणपाढगपुच्छा, जाव विहरति । तते णं तीसे पभावतीए देवीए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं इमेयारूवे डोहले पाउब्भूते धन्नाओ णं ताओ अम्मयाओ जाओ णं जल-थलयभासरप्पभूएणं दसद्धवण्णेणं मल्लेणं अत्थुयपच्चत्थुयंसि सयणिज्जंसि सन्निसण्णाओ सन्निवण्णाओ य विहरंति, एगं च णं महं सिरिदामगंडं पाडल-मल्लिय चंपय- असोग-पुन्नाग- कुरु-बग-नाग-मरुयग-दमणग-अणोज्जकोज्जयपउरं परमसुहदरिसणिज्जं महया गंधद्वणि मुतं अग्घायमाणीओ डोहलं विणेति । तते णं तीसे पभावतीए [ देवीए ] इमेयारूवं डोहलं पाउब्भूतं पासित्ता अहासन्निहिया वाणमंतरा देवा खिप्पामेव जल-थल जाव दसवण्णं मल्लं कुंभग्गसो य भारग्गसो य कुंभगस्स रण्णो भवणंसि साहरंति, एगं च णं महं सिरिदामगंडं जाव मुयंतं उवर्णेति । तए णं सा भावती देवी ते णं जल-थलय जाव मल्लेणं डोहलं विणेति । तए णं सा पभावती देवी पसत्थडोहला जाव विहरइ । तए णं सा पभावती देवी नवण्हं मासाणं I [बहुपsिyण्णाणं] अट्टमाण य रातिदियाणं [वीतिक्कंताणं] जे से हेमंताणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे मग्गसिरसुद्धे तस्स णं [ मग्गसिरसुद्धस्स ] एक्कारसीए पुव्वरत्तावरत [कालसमयंसि] अस्सिणीनक्खत्तेणं [जोगमुवागएणं] उच्चट्ठाण जाव पमुइयपक्कीलिएसु जणवएस अरोया अरोयं एगूणवीसतिमं तित्थयरं पयाया । ६६. ते णं काले णं तेणं समए णं अहोलोगवत्थव्वाओ अट्ठ दिसाकुमारीमयहरियाओ जहा जंबुद्दीवपण्णत्तीए जम्मणं सव्वं, नवरं मिहिलाए कुंभयस्स पभावतीए अभिलाओ संजोएयव्वो, जाव नंदीसरवरे दीवे महिमा । तदा णं कुंभए राया बहूहिं भवणवति ४ तित्थयर० जायकम्मं जाव नामकरणं, जम्हा णं अम्हं इमीए दारियाए माऊए मल्लसयणिज्जंसि डोहले विणीते तं होउ णं णामेणं मल्ली २, जहा महाबले जाव परिवड्ढिया। सा वडती भगवती दियलोयचुत्ता अणोवमसिरिया । दासीदासपरिवुडा परिकिण्णा पीढमद्देहिं || १ || असियसिरया सुनयणा बिंबोट्ठी धवलदंतपंतीया । वरकमलकोमलंगी फुल्लुपलगंधनीसासा ॥ २॥ ६७. तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकन्ना उम्मुक्कबालभावा जाव रूवेण जोव्वणेण य लावण्णेण य अतीव अतीव उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाता यावि होत्था। तते णं सा मल्ली देसूणवाससयजाया ते छप्पिय रायाणो विपुलेण ओहिणा आभोएमाणी आभोएमाणी विहरति, तंजहा पडिबुद्धिं जाव जियसत्तुं पंचालाहिवई । तते णं सा मल्ली कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, २ त्ता एवं वयासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! असोगवणियाए एवं महं मोहणघरं करेह अणेगखंभसयसन्निविद्वं, तस्स णं मोहंणघरस्स बहुमज्झदेसभा MORO श्री आगमगुणमंजूषा - ६३२ NORO Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मं कहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली [४३] XX जालघरयं करेह, तस्स णं जालघरगस्स बहुमज्झदेसभाए छ गब्भघरए करेह, तेसि णं गब्भघरगाणं बहुमज्झदेसभाए मणिपेढियं करेह, २ त्ता जाव पच्चप्पिणंति । तते णं मल्ली मणिपेढियाए उवरिं अप्पणो सरिसियं सरित्तयं सरिव्वयं सरिसलावण्णजोव्वणगुणोववेयं कणगामयिं मत्थयच्छिड्डुं परमुप्पलप्पिहाणं पडिमं कारेति, २त्ता जं विपुलं असण ४ आहारेति ततो मणुन्नातो असण ४ कल्लाकुल्लिं एगमेगं पिंडं गहाय तीसे कणगामतीए मत्थयच्छिड्डाए जाव पडिमाए मत्थयंसि पक्खिवमाणी विहरति, तते णं तीसे कणगामतीए जाव मत्थच्छिड्डाए पडिमाए एगमेगंसि पिंडे पक्खिप्पमाणे २ ततो गंधे पाउब्भवति, से जहा नामए अहिमडे ति वा जाव अणिट्टतराए अमणामतराए। ६८. ते णं काले णं ते णं समए णं कोसला नाम जणवए। तत्थ णं सागेए नाम नयरे । तस्स णं उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे एत्थ णं महेगे 1 घर होत्या दिव्वे सच्चे सच्चोवाए संनिहियपाडिहेरे । तत्थ णं सागेए नगरे पडिबुद्धी नाम इक्खागराया परिवसति, पउमावती देवी, सुबुद्धी अमच्चे साम-दंड० । तते णं पउमावतीए देवीए अन्नदा कदाइ नागजन्नए यावि होत्था। तते णं सा पउमावती नागजन्नमुवट्ठियं जाणित्ता जेणेव पडिबुद्धी [राया तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता] करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु ] एवं वदासी एवं खलु सामी ! मम कल्लं नागजन्नए भविस्सति, तं इच्छामि णं सामी ! तुब्भेहिं अण्णाता समाणी नागजन्नयं गमित्तए, तुब्भे वि णं सामी ! मम नागजन्नयंसि समोसरह । तते णं पडिबुद्धि परमावतीए देवीए एतमहं पडिसुणेति । तते णं परमावती देवी पडिबुद्धिणा रण्णा अब्भणुण्णाता समाणी हट्ट [तुट्ठा ] कोडुंबिय [पुरिसे] सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम कल्लं नागण भविस्सति, तं तुब्भे मालागारे सद्दावेह, २ त्ता एवं वदाह एवं खलु पउमावईए देवीए कल्लं नागजन्नए भविस्सइ, तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! जल-थलय [भासरप्पभूयं] दसद्धवण्णमल्लं णागघरयंसि साहरह, एगं च णं महं सिरिदामगंडं उवणेह । तते णं जल-थलय [भासरप्पभूएणं] दसद्धवण्णेणं मल्लेणं णाणाविहभत्तिसुविरइयं हंस-मिय-मयूर- कोंच-सारस-चक्कवाय-मयणसाल-कोइल-कुलोववेयं ईहामिय जाव भत्तिचित्तं महग्धं महरिहं विपुलं पुप्फमंडवं विरएह, तस्स णं बहुमज्झदेसभाए एगं महं सिरिदामगंडं जाव गंधद्धणि मुयंतं उल्लोयंसि ओलएह, २ त्ता पउमावतिं देवि पडिवालेमाणा २ चिट्ठह । तते णं ते कोडुंबिया चिट्ठति । तते णं सा पउमावती देवी कल्लं० कोडुबिए एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सागेयं नगरं सब्भितरबाहिरियं आसितसम्मज्जितोवलित्तं जाव पच्चप्पिणंति । तते णं सा परमावती देवी दोच्चं पि कोडुंबिय जाव एवं [वयासी] खिप्पामेव [भो देवाणुप्पिया !] लहुकरणजुत्तं जाव जुत्तामेव उवट्ठवेति । तते णं सा पउमावती [देवी] अंतो अंतेउरंसि व्हाया जाव धम्मियं जाणं दुरूढा, तए णं सा पउमावई देवी नियगपरियालसंपरिवुडा सागेयं नगरं मज्झंमज्झेणं णिज्जाति, [२ त्ता] जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति, २ त्ता पुक्खरिणि ओगाहइ, २ त्ता जलमज्जणं जाव परमसुइभूया उल्लपडसाडया जातिं तत्थ उप्पलातिं जाव गेहति, २ त्ता जेणेव नागघरए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तते णं परमावतीए दासचेडीओ बहूओ पुप्फपडलगहत्थगयाओ धूवकडच्छुगहत्थगयाओ पिट्ठतो समणुगच्छति । तणं परमावती सव्विड्डीए जेणेव नागघरए तेणेव उवागच्छति, २ त्ता नागघरयं अणुपविसति, २ त्ता लोमहत्थगं जाव धूवं डहति, २ त्ता पडिबुद्धिं पडिवालेमाणी २ चिट्ठति । तते णं पडिबुद्धी पहाए हत्थिखंधवरगते सकोरेंट जाव सेयवरचामराहिं [वीइज्जमाणे] हय-गय-रह जोह [पवरकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे] महया भडचडकरपहकर [वंदपरिक्खित्ते) साकेयं नगरं मज्झमज्झेणं णिग्गच्छति, २ त्ता जेणेव नागघरए तेणेव उवागच्छति, २ त्ता हत्थिखधाओ पच्चोरुहति, २ ता आलोए पणामं करेति, २ त्ता पुप्फमंडवं अणुपविसति, २ त्ता पासति तं एवं महं सिरिदामगंडं । तए णं पडिबुद्धी तं सिरिदामगंडं सुइरं कालं निरिक्खइ, २ तंसि सिरिदामगंडंसि जायविम्हए सुबुद्धिं अमच्चं एवं वयासी तुमं णं देवाणुप्पिया ! मम दोच्चेणं बहूणि गामागर जाव सन्निवेसाई आहिंडसि, बहू राईसर जाव गिहाति अणुपविससि, तं अत्थि णं तुमे कहिचि एरिसए सिरिदामगंडे दिट्ठपुव्वे जारिसए णं इमे पउमावतीए देवीए सिरिदामगंडे ! तते णं सुबुद्धी पडिबुद्धी रायं एवं वदासी एवं खलु सामी ! अहं अन्नदा कदाइ तुब्भं दोच्चेणं मिहिलं रायहाणि गते, तत्थ णं मए कुंभगस्स रण्णो धूताए पभावतीए देवीए अत्तयाए मल्लीए संवच्छरपडिलेहणगंसि दिव्वे सिरिदामगंडे दिट्ठपुव्वे, तस्स णं सिरिदामगंडस्स इमे पउमावतीए देवीए सिरिदामगंडे सयसहस्सतिमं पिकलं ण अग्घति । Education For Private & Personal Use C MORALE LE LEWE USE WE WEWE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE 45 45 45 45 45 of 621 1454545454654545465555555555556Y Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KGRO (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली [४४] फ्र तणं पडिबुद्धि सुबुद्धिं अमच्चं एवं वदासी केरिसिया णं देवाणुप्पिया ! मल्ली विदेहरायवरकन्ना, जस्स णं संवच्छरपडिलेहणयंसि सिरिदामगंडस्स पउमावतीए देवीए सिरिदामगंडे सयसहस्सतिमं पि कलं न अग्घति ! तते णं सुबुद्धी पडिबुद्धिं इक्खागरायं एवं वदासी एवं खलु सामी ! [ मल्ली] विदेहराय [वरकन्ना] सुपइट्ठियकुम्मुन्नयचारुचरणा, वण्णओ । तते णं पडिबुद्धी सुबुद्धिस्स अमच्चस्स अंतिए सोच्चा णिसम्म सिरिदामगंडजणितहासे दूयं सद्दावेइ, २ त्ता एवं वयासी गच्छाहि णं तुमं देवाणुप्पिया ! मिहिलं रायहाणिं, तत्थ णं कुंभगस्स रण्णो धूयं पभावतीए [देवीए] अत्तियं मल्लिं विदेहवररायकन्नगं मम भारियत्ताए वरेहि, जति वि य णं सा सयं रज्जसुंका। तते णं से दूए पडिबुद्धिणा रन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्ट [तुट्ठे] पडिसुणेति, २ त्ता जेणेव सए गिहे जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता चाउरघंट आसरहं पडिकप्पावेति, २ [चाउग्घंटं आसरहं] दुरूढे जाव हयगय ) महया भडचडगरेणं साएयाहो णिग्गच्छति, २ त्ता जेणेव विदेहाजणवए जेणेव महिला रायहाणी तेणेव पहारेत्थ गमणाए । ६९. ते णं काले णं ते णं समए णं अंगा नाम जणवए होत्था । तत्थ णं चंपा नाम नयरी होत्था । तत्थ णं चंपाए नयरीए चंदच्छाए अंगराया होत्था । तत्थ णं चंपाए नयरीए अरहन्नगपामोक्खा बहवे संजत्ताणावावाणियगा परिवसंति अड्डा जाव अपरिभूया । तते णं से अरहन्नगे समणोवास यावि होत्था अहिगयजीवाजीवे, वण्णओ । तते णं तेसिं अरहन्नगपामोक्खाणं संजत्ताणावावाणियगाणं अन्नदा कदाइ एगयओ सहियाणं इमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था सेयं खलु अम्हं गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च भंडगं गहाय लवणसमुद्द पोतवहणेण ओगाहित्तए त्ति कट्टु अन्नमन्नस्स एयमहं पडिसुणेति, २ गणिमं च ४ गेण्हंति, २ सगडीसागडयं च सज्जेति, २ त्ता गणिमस्स ४ भंडगस्स सगडीसागडयं भरेति, (२) सोहणंसि तिहि करण- नक्खत्त-मुहुत्तंसि विपुलं असण ४ उवक्खडावेति, मित्त-णाइ [णियग-सयण संबंधि-परिजणं] भोयणवेलाए भुंजावेति जाव आपुच्छंति, २ त्ता सगडीसागडियं जोयंति, २ त्ता चंपाए नयरी मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छंति, २ त्ता जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता सगडीसागडियं मोयंति, २ त्ता पोयवहणं सज्जेति, २त्ता गणिमस्स य जाव चउव्विहस्स भंडगस्स भरेंति, २ तंदुलाण य समितस्स य तेल्लस्स य घयस्स य गुलस्स य गोरसस्स य उदयस्स य उदयभायणाण य ओसहाण य भेसज्जाण य तणस्स य कट्ठस्स य आवरणाण य पहरणाण य अन्नेसिं च बहूणं पोतवहणपाउग्गाणं दव्वाणं पोतवहणं भरेति, (२ सोहणंसि तिहि करण-नक्खत्त-मुहुत्तंसि विपुलं असण ४ उवक्खडावेति, २ मित्तणाति [णियग-सयण-संबंधि-परिजणं] आपुच्छंति, २ त्ता जेणेव पोतट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति । तते णं तेसिं अरहन्न जव वाणियगाणं परियणो (णा) जाव ताहिं इट्ठाहिं जाव वग्गूहिं अभिनंदंता य अभिसंथुणमाणा य एवं वदासी अज्ज! तात ! भाय ! माउल ! भागिणेज्ज ! भगवता समुद्देणं अभिरक्खिज्जमाणा २ चिरं जीवह, भद्दं च भे, पुणरवि लट्ठे कयकज्जे अणहसमग्गे नियगं घरं हव्वमागते पासामो त्ति कट्टु ताहिं सोमाहिं निद्धाहिं दीहाहिं सप्पिवासाहिं पप्पुयाहिं दिट्ठीहिं निरिक्खमाणा मुहुत्तमेत्तं संचिद्वंति । तओ समाणिएसु पुप्फबलिकम्मेसु दिन्नेसु सरसरत्तचंदणदद्दरपं चंगुलितलेसु, अणुक्खित्तंसि धूवंसि, पूइतेसु समुद्दवातेसु, संसारियासु वलयबाहासु, ऊसिएसु सिएस झयग्गेसु, पडुप्पवाइएसु तूरेसु, जइएसु सव्वसउणेसु, गहिएस रायवरसासणेसु, महया उक्विट्ठिसीहणाय जाव रखेणं पक्खुभितमहासमुद्दरवभूयं पिव मेइणिं करेमाणा एगदिसं जाव वाणियगा णावं दुरूढा । ततो पुस्समाणवो वक्कमुदाहु हं भे! सव्वेसामि अत्थि अत्थसिद्धी, उवट्ठिताइं कल्लाणाई, पडिहयातिं सव्वपावाइं, जुत्तो पूसो, विजओ मुहत्तो, अयं देसकालो । ततो पुस्समाणवेणं वक्के मुदाहिए हट्ठतुट्ठकुच्छिधारकन्नधारगब्भिजसंज्जत्ताणावावाणियगा वावरिंसु, तं नावं पुन्नुच्छंगं पुण्णमुहिं बंधणेहिंतो मुंचति । तते णं सा नावा विमुक्कबंधणा पवणबलसमाहया ऊसियसिया, विततपक्ख इव गरूलजुवती, गंगासलिलतिक्खसोयवेगेहिं संछुब्भमाणी २, उम्मीतरंगमालासहस्साइं समतिच्छमाणा २, कइवएहिं अहोरत्तेहिं लवणसमुद्दं अणेगातिं जोयणसतातिं ओगाढा । तते णं तेसिं अरहन्नगपामोक्खाणं संजत्तानावावाणिगयाणं लवणसमुद्दे अणेगाई जोयणसयाई ओगाढाणं समाणाणं बहूतिं उप्पातियसतातिं पाउब्भूयाई, तंजहा अकाले गज्जिते, अकाले विज्जुते, अकाले थणियसद्दे, अभिक्खणं अभिक्खणं आगासे देवताओ नच्वंति । एगं च णं महं पिसायरूवं पासंति, तालजंघं दिवंगयाहिं बाहाहिं मसि मूसगमहिसकालगं भरियमेहवण्णं लंबोट्टं निग्गयग्गदंतं निल्लालियजमलजुयलजीहं आऊसियवयणगंडदेसं Moo श्री आगमगुणमंजूषा - ६३४ Res Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NIO A A A A (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली [ ४५ ] चीणचिमिढनासियं विगयभुग्गभग्गभुमयं खज्जोयगदित्तक्खुरागं उत्तासणगं विसालवच्छं विसालकुच्छिं पलंबकुच्छिं पहसियपयलियपयडियगत्तं पणच्चमाणं अप्फोडंतं अभिवग्गंतं अभिगज्जतं बहुसो २ अट्टट्टहासे विणिम्मुयंतं नीलुप्पलगवलगुलियअयसिकुसुमप्पगासं खुरधारं असिं गहाय अभिमुहमावयमाणं पासंति । तणं ते अरहणगवज्जा संजत्ताणावावाणियगा एगं च णं महं तालपिसायं पासंति, तालजंधं दिवंगयाहिं बाहाहिं फुट्टसिरं भमरणिगर-वरमासरासि - महिसकालगं भरियमे हवण्णं सुप्पणहं फालसरिसजीहं लंबोद्वं धवलवट्ट असिलिट्ठ तिक्खथिरपीणकु डिलदाढावगूढवयणं विकोसियधारासिजुयलसमसरिसतणुयचंचलगलंतरसलोलचवलफुरफुरेंत निल्लालियग्गजीहं अवयच्छियमहल्लविगयबीभच्छलालापगलंतरत्ततालुयं हिंगुलुयसगब्भकंदरबिलं व अंजणगिरिस्स अग्गिजालुग्गिलंतवयणं आऊसियअक्खचम्मउट्ठगंडदेसं चीणचिमिढवंकभग्गणासं रोसागयधमधमेंतमारुतनिडुरखरफरुसझुसिरं ओभुग्गणासिय पुडं घाडुब्भडरइयभीसणमुहं उद्धमुहकन्नसक्कु लियमहंतविगयलोमसंखालगलंबंतचलियकण्णं पिंगलदिप्पंतलोयणं भिउडितडिनिडालं नरसिरमालपरिणद्धचिंधं विचित्तगोणससुबद्धपरिकरं अवहोलंतफुप्फुयायंतसप्प-विच्छुय-गोधुंदर-नउल- सरडविरइयविचित्तवेयच्छमालियागं भोगकूरकण्हसप्पधमधमेंतलंबंतकण्णपूरं मज्जार- सियाललइखधं दित्तघुग्घुंयतघूयकयचुंभलसिरं घंटरवणभीमभयंकरं कायरजणहिययफोडणं दित्तमट्टट्टहासं विणिम्मुयंतं वसा - रुहिर पूय-मंस-मलमणिपोच्चडतणुं उत्तासणयं विसालवच्छं पेच्छंताभिन्नणहमुहनयणकण्णवरवग्घचित्तकत्तीणियंसणं सरसरुहिरगयचम्मविततऊसवियबाहुजुयलं ताहि य खरफरुसअणिद्धदित्तअणिट्ठअसुभअप्पियअकंतवग्गूहिं तज्जयंतं पासंति । तं तालपिसायरूवं एज्नमाणं पासंति २ ता भीया जाव संजायभया अन्नमन्नस्स का समतुरंगेमाणा २ बहूणं इंदाण य खंदाण य रुद्द सिव- वेसमण णागाणं भूयाण य जक्खाण य अज्ज कोट्टकिरियाण य बहूणि ओवाइयसयाणि उवाइणमाणा २ चिट्ठति । तए से अरहन्नए समणोवासए तं दिव्वं पिसायरूवं एज्जमाणं पासति, २ त्ता अभीते अतत्थे अचलिए असंभंते अणाउले अणुव्विग्गे अभिन्नमुहरागणयणवणे अदीणविमणमाणसे पोयवहणस्स एगदेसंसि वत्थंतेणं भूमिं पमज्जति, २ त्ता ठाणं ठाइ, २ त्ता करयलपरिग्गहियं [दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु] एवं वयासि नमोत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, जइ णं हं एत्तो उवसग्गातो मुंचामि तो मे कप्पति पारित्तए, अह णं एत्तो उवसग्गातो ण मंचामि तो मे तहा पच्चक्खाए सागरं भत्तं पच्चक्खाति । तते णं से पिसायरूवे जेणेव अरहन्नगे समणोवासए तेणेव उवागच्छति, २ त्ता अरहन्नगं एवं वदासी हं भो ! अरहन्नगा अप्पत्थियपत्थया जाव परिवज्जिया ! णो खलू कप्पति तव सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासातिं चालित्तए वा एवं खोभेत्तए वा खंडित्तए वा जित्त वा उज्झित्तए वा परिच्चइत्तए वा, तं जति णं तुमं सीलव्वय जाव ण परिच्चयसि तो ते अहं एयं पोतवहणं दोहिं अंगुलियाहिं गेण्हामि, २ ता सत्तट्ठतलप्पमाणमेत्तातिं उद्धुं वेहासं उव्विहामि, २ अंतोजलंसि णिव्वोलेमि, जाणं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे असमाहिपत्ते अकाले चेव जीवियातो ववरोविज्जसि । तते णं से अरहन्नगे समणोवासए तं देवं मणसा चेव एवं वदासी अहं णं देवाणुप्पिया ! अरहन्नए णामं समणोवासए अहिगयजीवाजीवे, नो खलु अहं सक्का केणइ देवेण वा जानिग्गंथाओ पावणाओ चालित्तए वा खोभेत्तए वा विपरिणामेत्तए वा, तुमं णं जा सद्धा तं करेहीति कट्टु अभीए जाव अभिन्नमुहरागणयणवण्णे अदीणविमणमाणसे निच्चले निप्फंदे तुसिणीए धम्मज्झाणोवगते विहरति । तए णं से दिव्वे पिसायरूवे अरहन्नगं समणोवासगं दोच्चं पि तच्वं पि धम्मज्झाणो एवं वदासी हं भो अहन्ना ! जाव धम्मज्झाणोवगए विहरति । तते णं से दिव्वे पिसायरूवे अरहन्नगं धम्मज्झाणोवगयं पासति, पासित्ता बलियतरागं आसुरुते तं पोयवहणं दोहिं या हिति, २ त्ता सत्तट्ठ तलाई जाव अरहन्नगं एवं वदासी हं भो अरहन्नगा ! अप्पत्थिय [ पत्थिया !] णो खलु कप्पति तव सीलव्वय तहेव जा धम्मज्झाणोग विहरति । तते णं से पिसायरूवे अरहन्नगं जाहे नो संचाएइ निग्गंथाओ [ पावयणाओ] चालित्तए वा तहेव संते जाव निव्विन्ने तं पोयवहणं सणियं सणियं उवरि जलस्स ठवेति, २ त्ता तं दिव्वं पिसायरूवं पडिसाहरइ, २ त्ता दिव्वं देवरूवं विउव्वइ, २ त्ता अंतलिक्खपडिवन्ने सखिखिणियाइं जाव परिहिते अरहन्नगं समणोवासगं एवं वयासी हं भो अरहन्नगा ! धन्ने सि णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव जीवियफले जस्स णं तव निग्गंथे पावयणे इमेयारूवा पडिवत्ती ला श्री आगमगुणमंजूषा - ६३५ HO 原 Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली [४६ ] पत्ता अभिसमन्नागया । एवं खलु देवाणुप्पिया ! सक्के देविदे देवराया सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसए विमाणे सभाए सुहम्माए बहूणं देवाणं मज्झगते महया सद्देणं आतिक्खति, भासति, पण्णवेति, परूवेति एवं खलु जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए नयरीए अरहन्नए समणोवासगे अहिगयजीवाजीवे, नो खलु सक्का केणति देवेण वा दाणवेण वा णिग्गंथाओ पावयणाओ चालित्तए वा जाव विपरिणामेत्तए वा । तते णं अहं देवाणुप्पिया ! सक्कस्स णो एयमहं सद्दहामि णो पत्तियामि, णो रोएमि । तणं मम इमेयारूवे अज्झत्थिए [चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था ] 'गच्छामि णं अरहन्नयस्स अंतियं पाउब्भवामि, जाणामि ताव अहं अरहन्नगं किं पियधम्मे, णो पियधम्मे ? दढधम्मे नो दढधम्मे ? सीलव्वय गुरव्वय० किं चालेति २ जाव परिच्चयति णो परिच्चयति त्ति कट्टु एवं संपेहेमि, २ ओहिं पउंजामि, २ देवाणु [प्पियं] ओहिणा आभोएमि, २ उत्तरपुरत्थिमं [ दिसीभागं अवक्कमामि,] २ उत्तरविउव्वियं [रूवं विउव्वामि, २त्ता ] ताए उक्किट्ठाए [तुरियाए चवलाए चंडा जईणाए छेयाए सीहाए सिग्घाए दिव्वाए उद्धयाए देवगतीए] जेणेव समुद्दे जेणेव देवाणुप्पिए तेणेव उवागच्छामि, २ त्ता देवाणुप्पियाणं उवसग्गं करेमि, नो देवाप्पिया भीया वा [ तत्था वा तसिया वा उव्विग्गा वा संजायभया वा] तं जं णं सक्के देविदे देवराया एवं वदति सच्चे णं एसमट्ठे । तं दिट्ठे णं देवाणुप्पियाणं इड्डी जुई जसे बले वीरिए पुरिसकारपरक्कमे लब्द्धे पते अभिसमन्नागए। तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमंतु ! मरिहंतु णं देवाणुप्पिया ! णाइभुज्जो एवं करणयाए त्ति क पंजलिउडे पायवडिए एयमहं विणएणं भुज्जो भुज्जो खामेइ, २ त्ता अरहन्नयस्स समणोवासगस्स दुवे कुंडलजुयले दलयति, २ त्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडते । ७०. तसे अरहन्नए सत्यवाहे निरुवसग्गमिति कट्टु पडिमं पारेति । तए णं ते अरहन्नगपामोक्खा जाव वाणियगा दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीर पोयट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता पोयं लंबेति, २ त्ता सगडिसागडं सज्जेति, २ त्ता तं गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च सगडि [सागडं] कामेति २त्ता सगडी [सागडं] जोएंति, २ त्ता जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छंति, २ मिहिलाए रायहाणीए बहिया अग्गुज्जाणंसि सगडीसागडं मोएंति, २तं महत्थं महग्धं महरिहं विउलं रायरिहं पाहुडं कुंडलजुयलं च गेणहंति, २ त्ता अणुपविसंति, २ त्ता जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु ] तं महत्थं दिव्वं कुंडलजुयलं उवर्णेति, तते णं कुंभए तेसिं संजत्तगाणं जाव पडिच्छइ, २ मल्ली विदेहवररायकन्नं सद्दावेति, २ त्ता तं दिव्वं कुंडलजुयलं मल्लीए विदेहवररायकन्नगाए पिणद्धति, २ पडिविसज्जेति । तते णं से कुंभए राया ते अरहन्नगपामोक्खे जाव वाणियगे विपुलेणं असण ४ वत्थगंध मल्लालंकारेणं जाव उस्सुकं वियरति २ रायमग्गमोगाढे य आवासे वियरति, २ त्ता पडिविसज्जेति । तते णं अरहन्नग [पामोक्खा] संजत्तगा [णावावाणियगा] जेणेव रायमग्गमोगाढे आवासे तेणेव उवागच्छंति, २ भंडववहरणं करेति, २ त्ता पडिभंडं गेण्हंति, २ त्ता सगडी [सागडं] भरेति, जेणेव गंभीरए पोयट्ट उवागच्छंति, २ त्ता पोतवहणं सज्जेति, २ त्ता भंड संकामेति, दक्खिणाणु (कूलेणं वातेणं) जेणेव चंपा पोयट्ठाणे तेणेव [उवागच्छंति, २ त्ता] पोयं लंबेति, २ सगडी [सागडं] सज्जेंति, २ तं गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च सगडी [सागडं] संकामेति, २ जाव महत्थं पाहुडं दिव्वं च कुडंलजुयलं गेण्हंति, २ जेणेव चंदच्छाए अंगराया तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता तं महत्थं जाव उवर्णेति । तते णं चंदच्छाए अंगराया तं दिव्वं महत्थं च कुडलजुयलं पडिच्छति, २ त्ता ते अरहन्नगपामोक्खे एवं वदासी तुब्भेणं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामागर जाव आहिंडह, लवणसमुदं च अभिक्खणं २ पोयवहणेहिं ओगाहह, तं अत्थि याइं भे केइ कहिंचि अच्छेरए दिवे ? तते णं ते अरहन्नगपामोक्खा चंदच्छायं अंगरायं एवं वदासी एवं खलु सामी ! अम्हे इहेव चंपाए नयरीए अरहन्नगपामोक्खा बहवे संजत्तगा वावाणियगा परिवसामो । तते णं अम्हे अण्णदा कदाइ गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च, तहेव अहीणमतिरित्तं, जाव कुंभस्स रन्नो उवणेमो, तते णं से कुंभ मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए तं दिव्वं कुंडलजुयलं पिणिद्धति, २ त्ता पडिविसज्जेति । तं एस णं सामी ! अम्हेहिं कुंभगरायभवणंसि मल्ली विदेहरायवरकन्न अच्छेरए दिट्ठे, तं नो खलु अन्ना का वि तारिसिया देवकन्नगा वा जाव जारिसिया णं मल्ली विदेहरायवरकन्ना । तते णं चंदच्छाए ते अरहन्नगपामोक्खे सक्कारेति सम्माणेति, २ त्ता पडिविसज्जेति, तते णं चंदच्छाए वाणियगजणितहासे दूतं सद्दावेति, २ त्ता जाव जइ वि य णं सा सयं रज्जसुंका । तते णं से दूते हट्ठ जाव पहारेत्थ श्री आगमगुणमंजूषा - ६३६ 第666666 HOTO $ $ $ $$$$$$$$$$$1 Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॐॐॐॐॐॐॐ I (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली [ ४७ ] गमणाए । ७१. ते णं काले णं ते णं समए णं कुणाला नाम जणवए होत्था । तत्थ णं सावत्थी नाम नगरी होत्था । तत्थ णं रूप्पी कुणालाहिवई नाम राया होत्था । तस्स णं रुप्पिस्स धूया धारिणीए देवीए अत्तया सुबाहू नाम दारिया होत्था, सुकुमालपाणिपाया रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया होत्था। तीसे णं सुबाहूए दारियाए अन्नदा चाउम्मासियमज्जणए जाए यावि होत्था । तते णं से रुप्पी कुणालाहिवई सुबाहुए दारियाए चालम्मासियमज्जणयं वयं जाणाति, २ ता कोडुंबिय पुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! सुबाहूए दारियाए कल्लं चाउम्मासियमज्जणए भविस्सति, तंतुब्भेणं रायमग्गमोगाढंसि चउक्कंसि जल-थलयदसद्धवण्णं मल्लं साहरह जाव सिरिदामगंडं ओलइंति । तते णं से रुप्पी कुणालाहिवती सुवन्नगारसेणिं सद्दावेति, २ ता एवं [वयासी] खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायमग्गमोगाढंसि पुप्फमंडवंसि णाणाविहपंचवन्नेहिं तंदुलेहिं णगरं आलिहह, आलिहित्ता तस्स बहुमज्झदेसभाए पट्टय रएह, रएत्ता जाव पच्चप्पिणंति । तते णं से रुप्पी कुणालाहिवई हत्थिखंधवरगए चाउरंगिणीए सेणाए [सद्धिं संपरिवुडे] महया भड [ चडगरवंदपरिक्खिते] अंतेउरपरियालसंपरिवुडे सुबाहुं दारियं पुरतो कट्टु जेणेव रायमग्गे जेणेव पुप्फमंडवे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता हत्थिखंधातो पच्चोरुहति, २ त्ता पुप्फमंडवं अणुपविसति, २ त्ता सीहासणवरगए पुरत्याभिमुहे सण्णिसण्णे । तते णं ताओ अंतेउरियाओ सुबाहुं दारियं पट्टयंसि दुरुहेति, २ त्ता सेयापीतयहिं कलसेहिं हाति, २ सव्वालंकारविभूसियं करेति, दारिया जेणेव रुप्पी राया तेणेव उवागच्छति, २ त्ता पायग्गहणं करेति । तते णं से रुप्पी राया सुबाहुं दारियं अंके निवेसेति, २ सुबाहूए दारियाए रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य जायविम्हए वरिसधरं सद्दावेति, २ एवं वयासी तुमं णं देवाणुप्पिया ! मम दोच्चेणं बहूणि गामागरनगर० गिहाणि अणुपविससि, तं अत्थि याइं ते कस्सइ रन्नो वा ईसरस्स वा कर्हिचि एरिसए मज्जणए दिट्ठपुव्वे जारिसए णं इमीसे सुबाहूए दारियाए मज्जणए ! तते णं से वरिसधरे रुप्पिं करतल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु ] एवं वयासी एवं खलु सामी ! अहं अन्नया तुब्भं दोच्चेणं मिहिलं गए, तत्थ णं मए कुंभगस्स रणो धूयाए पभावती देवीए अत्तयाए मल्लीए विदेहाय कन्नगाए मज्जणए दिट्ठे, तस्स णं मज्जणगस्स इमे सुबाहूए दारियाए मज्जणए सयसहस्सइमं पि कलं न अग्घति । तए णं से रुप्पी राया वरिसधरस्स अंतियं एतमट्ठे सोच्चा णिसम्म मज्जणगजणितहासे दूतं सद्दावेति, २ त्ता एवं जाव जेणेव महिला नयरी तेव पहारेत्थ गमणाए । ७२. णं काले णं ते णं समए णं कासी नाम जणवए होत्था । तत्थ णं वाराणसी नाम नगरी होत्था । तत्थ णं संखे नामं कासिराया होत्था । तते गं तीसे मल्लीए विदेहरायवरकन्नाए अन्नया कयाइ तस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधी विसंघडिए यावि होत्या, तते णं से कुंभए राया सुवण्णगारसेणिं सद्दावेति, २ एवं वदासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इमस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधी संधाडेह । तए णं सा सुवण्णगारसेणी एतमहं तहत्ति पडिसुणेति, २त्ता तं दिव्वं कुंडलजुयलं गेहति, २ जेणेव सुवण्णगारभिसियाओ तेणेव उवागच्छति, २ सुवण्णगारभिसियासु णिविसति, २ ता बहूहिं आएहिं य जाव परिणामेमाणा इच्छति तस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स संधिं घडित्तए, नो चेव णं संचाएति घडित्तए । तते णं सा सुवन्नगारसेणी जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छति, २ त्ता करयल [ परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेति,] वद्धवेत्ता एवं वदासी एवं खलु सामी ! अज्ज तुम्हे अम्हे सदावेहे २ जाव संधी संघाडेत्ता एत माणत्तिअं पच्चपिणह त तेणं अम्हे तं दिव्वं कुंडलं गेण्हामो, गेण्हित्ता जेणेव सुवन्नागारभिसियाओ जाव नो संचाएमो संधि संघाडित्तए । तते णं अम्हे सामी ! एतस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स अन्नं सरिसयं कुंडलजुयलं घडेमो । तते णं से कुंभए राया तीसे सुवन्नगारसेणीए अंतिए एतमहं सोच्चा णिसम्म आसुरुत्ते तिवलियं भिउडिं निडाले साहट्टु एवं वदासी से के णं तुब्भे कलायाणं भवह ? जे णं तुब्भे इमस्स दिव्वस्स कुंडलजुयलस्स नो संचाएह संधि संघाडेत्तए ? ते सुवण्णगारे निव्विस ए आणवेति । तते णं ते सुवण्णगारा कुभएणं [रण्णा] निव्विसया आणत्ता समाणा जेणेव सयातिं २ गिहातिं तेणेव उवागच्छंति, २ सभंडमत्तोवगरणमायाए मिहिलाए रायहाणीए मज्झंमज्झेणं निक्खमंति, (२) विदेहस्स जणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव कासी जणवए जेणेव वाराणसी नयरी तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता अग्गुज्जाणंसि सगडीसागडं मोएंति, २ त्ता महत्थं जाव पाहुडं गेहंति, २ त्ता वाराणसीए नयरीए मज्झमज्झेणं जेणेव संखे कासीराया तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता करयलप श्री आगमगुणमंजूषा - ६३७ 20 Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GLOB% %%%%%%%%%%% (६) णायाधम्मकहाओ प.सु. ८ अ. मल्ली [४८] 455555555555555550303 LC}听听听听听听听听听听听听乐乐乐安乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐听听听听听$$$$$$$$明明明5CM [रिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट] जाव वद्धावेंति, २त्ता [एवं वयासी-] अम्हे णं सामी ! मिहिलातो नयरीओ कुंभएणं रण्णा निव्विसया आणत्ता समाणा इहं हव्वमागता, तं इच्छामो णं सामी ! तुभं बाहुच्छायापरिग्गहिया निब्भया निरुव्विग्गा सुहंसुहेणं परिवसिउं । तते णं संखे कासीराया ते सुवण्णगारे एवं वदासी किण्णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! कुंभएणं रण्णा निव्विसया आणत्ता ? तते णं ते सुवण्णगारा संखं एवं वदासी एवं खलु सामी ! कुंभगस्स रण्णो घूयाए याए पभावतीए देवीए अत्तयाए मल्लीए कुंडलजुयलस्स संधी विसंघडीए, तते णं से कुंभए सुवण्णगारसेणिं सहावेति, २ त्ता जाव निव्विसया आणत्ता । तं एएणं कारणेणं सामी ! अम्हे कुंभएणं निव्विसया आणत्ता : तते णं से संखे ते सुवण्णगारे एवं वदासी केरिसिया णं देवाणुप्पिया ! कुंभगस्स रण्णो धूया पभावतीए देवीए अत्तिया मल्ली वि देहरायवरकन्ना?] तते णं ते सुवण्णगारा संखं रायं एवं वदासी णो खलु सामी ! अन्ना काइ तारिसिया देवकण्णगा वा गंधव्वकण्णगा वा जाव जारिसिया णं मल्ली विदेहरायवरकन्ना । तते णं से संखे कुंडलजुअलजणितहासे दूतं सदावेति, २त्ता जाव तहेव पहारेत्थ गमणाए। ७३. ते णं काले णं ते णं समए णं कुरुजणवए होत्था, हत्थिणाउरे नमरे, अदीणसत्तू नामं राया होत्था जाव विहरति । तत्थ णं मिहिलाए तस्स णं कुंभगस्स पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए मल्लीए अणुमग्गजायए मल्लदिन्नए नाम कुमारे जाव जुवराया यावि होत्था। ततेणं मल्लदिन्ने कुमारे अन्नया कयाइं कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी गच्छह णं तुम्भे मम पमदवणंसि एगं महं चित्तसभं करेह अणेग जाव पच्चप्पिणंति । तते णं से मल्लदिन्ने चित्तगरसेणिं सद्दावेति, २त्ता एवं वयासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! चित्तसभ हावभावविलासविब्बोयकलिएहिं रूवेहिं चित्तेह, २ जाव पच्चप्पिणह । तते णं सा चित्तगरसेणी तहत्ति पडिसुणेति, २त्ता जेणेव सयाइं सयाइं गिहाइं तेणेव उवागच्छति, २त्ता तूलियाओ वण्णए य गेण्हति, २ जेणेव चित्तसभा तेणेव उवागच्छति, २त्ता अणुपविसति, २ भूमिभागे विरिंचति, २ भूमिं सज्जेति, २ चित्तसभं हावभाव जाव चित्तेउं पयत्ता यावि होत्था । तते णं एगस्स चित्तगरस्स इमेयारूवा चित्तगरलद्धी लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया जस्स णं दुपयस्स वा चउपयस्स वा अपयस्स वा एगदेसमवि पासति तस्स णं देसाणुसारेणं तयाणुरूवं रूवं निव्वत्तेति । तए णं से चित्तगरदारए मल्लीए जवणियंतरियाए जालंतरेण पायंगुटुं पासति । तते णं तस्स णं चित्तगरस्स इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था सेयं खलु ममं मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए] पायंगुट्ठाणुसारेणं सरिसगं जाव गुणोववेयं रूवं निव्वत्तित्तए। एवं संपेहेति, २त्ता भूमिभागं सज्जेति, २ मल्लीए वि देहरायवरकण्णाए] पायंगुट्ठाणुसारेणं जाव निव्वत्तेति । तते णं सा चित्तगरसेणी चित्तसभं जाव हाव-भाव चित्तेति, २ जेणेव मल्लदिन्ने कुमारे तेणेव उवागच्छति, २ जाव एतमाणत्तियं पच्चप्पिणति । तए णं मल्लदिन्ने चित्तगरसेणिं सक्कारेइ, २ त्ता विपुलं जीवियारिहं पीतिदाणं दलयति, २ पडिविसज्जेति। तए णं मल्लदिन्ने अन्नया ण्हाए अंतेउरपरिवारसंपरिबुडे अम्मधातीए सद्धिं जेणेव चित्तसभा तेणेव उवागच्छति, २ चित्तसभं अणुपविसति, २ त्ता हाव-भाव-विलास-विब्बोयकलियाई रूवाइं पासमाणे पासमाणे जेणेव मल्लीए विदेहवररायकन्नाए तयाणुरूवे रूवे णिव्वत्तिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तए णं से मल्लदिन्ने कुमारे मल्लीए विदेहवररायकन्नाए तयाणुरूवं रूवं निव्वत्तियं पासति, २ त्ता इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एस णं मल्ली विदेहवररायकन्न त्ति कट्ट लज्जिए विलिए विड्डे सणियं सणियं पच्चोसक्कइ । तए णं तं मल्लदिन्नं कुमारं अम्मधाती सणियं सणियं पच्चोसक्वंतं पासित्ता एवं वदासी किन्नं तुम पुत्ता ! लज्जिए विलिए विड्डे सणियं सणियं पच्चोसक्कसि ? ततेणं से मल्लदिन्ने अम्मघाति एवं वदासी जुत्तंणं अम्मो! मम जेट्ठाए भगिणीए गुरुदेवयभूयाए लज्जणिज्जाए मम चित्तसमं अणुपविसित्तए ? तए णं अम्मधाती मल्लदिन्नं कुमारं एवं वयासी नो खलु पुत्ता ! एस मल्ली, एस णं मल्लीए विदे [हवररायकण्णाए] चित्तगरएणं तयाणुरूवे रूवे णिव्वत्तिए। तते णं मल्लदिन्ने अम्मधातीए एयमढे सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते एवं वयासी केस णं भो से चित्तारए अप्पत्थिय जाव परिवज्जिए जेणं मम जेट्टाए भगिणीए गुरुदेवभूयाए लज्जणिज्जाए चित्त सभाए तयाणुरूवं रूवं जाव निव्वत्तेइ त्ति कट्टतं चित्तगरं वज्झं आणवेति। तएणं सा चित्तगरसेणी इमीसे कहाए लट्ठा समाणाजेणेव मल्लदिन्ने कुमारे तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता करयलपरिग्गहियं जाव वद्धावेत्ता एवं वयासी एवं खलु सामी ! तस्स चित्तगरस्स इमेयारूवा चित्तकरलद्धी लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया जस्स णं दुपयस्स वा जाव णिव्वत्तेति । तं मा णं सामी ! तुब्भे तं चित्तगरं xoxofF 555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ६३८॥555555555555555555555$$O OR Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 955%%%%%%%%% % (६) णायाधम्मकहाओ प.सु. ८ अ. मल्ली [४९] 55555555555555 #Freog FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF異FFFFFFFFFICA वज्झं आणवेह, तं तुब्भे णं सामी ! तस्स चित्तगरस्स अन्नं तयाणुरूवं दंडं निव्वत्तेह । तए णं से मल्लदिन्ने तस्स चित्तगरस्स संडासगं छिदावेति, [२] निव्विसयं आणवेति । तए णं से चित्तगरए मल्लदिन्नेणं णिव्विसए आणत्ते समाणे सभंडमत्तोवगरणमायाए मिहिलाओ णयरीओ णिक्खमइ, २ विदेहं जणवयं मझमज्झेणं जेणेव कुरुजणवए जेणेव हत्थिणाउरे नयरे जेणेव अदीणसत्तू राया तेणेव उवागच्छइ, २ भंडणिक्खेवं करेइ, २ चित्तफलगं सज्झेइ, २ मल्लीए, विदेह[रायवरकन्नाए] पायंगुट्ठाणुसारेण रूवं णिव्वत्तेइ, २ कक्खंतरंसि छुब्भइ, २ महत्थं महग्धं महरिहं जाव पाहुडं गेण्हइ, २ हत्थिणापुरं नयर मज्झमज्झेणं जेणेव अदीणसत्तू राया तेणेव उवागच्छति, २ तं करयल जाव वद्धावेइ, २ पाहुडं उवणेति, २ एवं वदासी एवं खलु अहं सामी ! मिहिलाओ रायहाणीओ कुंभगस्स रण्णो पुत्तेणं पभावतीएफ देवीए अत्तएणं मल्लदिन्नेणं कुमारेणं निव्विसए आणत्ते समाणे इहं हव्वमागए, तं इच्छामि णं सामी ! तुब्भं बाहुच्छायापरिग्गहिए जाव परिवसित्तए । तते णं से अदीणसत्तू राया तं चित्तगरदारयं एवं वदासी किण्णं तुमं देवाणुप्पिया! मल्लदिण्णेणं निव्विसए आणत्ते? तएणंसे चित्त यरदारए] अदीणसत्तुं रायं एवं वदासी एवं खलु अहं सामी ! भल्लदिन्ने कुमारे अण्णया कयाइ चित्तगरसेणिं सद्दावेइ, २ एवं वयासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! मम चित्तसभं तं चेव सव्वं भाणितव्वं जाव मम संडासगं छिदावेइ, २ निव्विसयं आणवेइ । तं एवं खलु सामी ! मल्लदिन्नेणं कुमारेणं निव्विसए आणत्ते । तते णं अदीणसत्तू राया तं चित्तगरं एवं वदासी से केरिसए णं देवाणुप्पिया ! तुमे मल्लीए तदाणुरूवे रूवे निव्वत्तिए ? तते णं से चित्तकरे कक्खंतराओ चित्तफलयं णीणेति, २ अदीणसत्तुस्स उवणेइ, २ एवं वयासी एस णं सामी ! मल्लीए वि[देहरायवरकण्णगाए] तयाणुरूवस्स रूवस्स केइ आगारभावपडोयारे निव्वत्तिए, णो खलु सक्का केणइ देवेण वा जाव मल्लीएम विदेहरायवरकण्णगाए तयाणुरूवे रूवे निव्वत्तित्तए। तते णं अदीणसत्तू पडिरूवजणितहासे दूयं सद्दावेति, २ एवं वदासी तहेव जाव पहारेत्थ गमणाए। ७४. ते णं काले णं ते णं समए णं पंचाले जणवए, कंपिल्लपुरे नगरे, जियसत्तू नाम राया पंचालाहिपती, तस्स णं जितसत्तुस्स धारिणीपामोक्खं देविसहस्सं ओरोहे होत्था । तत्थ णं मिलाए चोक्खा नामं परिव्वाइया रिव्वेद जाव परिणिट्ठिया यावि होत्था । तते णं सा चोक्खा परिव्वाइया मिहिलाए बहूणं राईसर जाव सत्थवाहपभितीणं पुरतो दाणधम्मं च सोयधम्मं च तित्थाभिसेयं च आघवेमाणी पण्णवेमाणी परूवेमाणी उवदंसेमाणी विहरति । तते णं सा चोक्खा परिव्वाइया अन्नदा कदाइ तिदंडं च कुंडियं च जाव धाउरत्ताओ य गेण्हइ, २ परिव्वाइगावसहातो पडिनिक्खमइ, २ पविरलपरिव्वाइया सद्धिं संपरिखुडा मिहिलं रायहाणिं मज्झंमज्झेणं जेणेव कुंभगस्स रण्णो भवणे जेणेव कन्नतेउरे जेणेव मल्ली विदेह [रायवरकण्णा] तेणेव उवागच्छइ, २त्ता उदयपरिफोसियाए दब्भोवरि पच्चत्थुयाए भिसियाए निसीयति, २त्ता मल्लीए विदेह रायवरकण्णगाए पुरतो दाणधम्मं च जाव विहरति । तते णं मल्ली वि [देहरायवरकन्ना] चोक्खं परिव्वाइयं एवं वयासी तुब्भं णं चोक्खे ! किंमूलए धम्मे पन्नत्ते? तते णं सा चोक्खा परिव्वाइया मल्लिं विदेहरायवरकण्णं] एवं वदासी अम्हंणं देवाणुप्पिए! सोयमूलए धम्मे पण्णत्ते, जण्णं अम्हं किंचि असुई भवइ तण्णं उदएण य मट्टियाए य जाव अविग्घेणं सग्गं गच्छामो । तए णं मल्ली वि [देहरायवरकण्णा] चोक्खं परिव्वाइयं एवं वदासी चोक्खी ! से जहानामए केइ पुरिसे रुहिरकयं वत्थं रुहिरेण चेव धोवेज्जा, अत्थि णं चोक्खी ! तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुहिरेणं धोव्वमाणस्स काइ सोही ? नो इणढे समढे।' एवामेव चोक्खी ! तुब्भं णं पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं नत्थि काइ सोही, जहा व तस्स रुहिरकयस्स वत्थस्स रुरिरेणं चेव धोव्वमाणस्स । तएणं सा चोक्खी परिव्वाइया मल्लीए वि [देहरायवरकण्णगाए एवं वुत्ता समाणा संकिया कंखिया वितिगिच्छिया भेयसमावण्णा जाया यावि होत्था, मल्लीए विदेह रायवरकण्णगाए] णो संचाएति किंचि वि पमोक्खमाइक्खित्तए, तुसिणीया संचिट्ठति । तते णं तं चोक्खं परिव्वाइयं मल्लीए विदेहरायवरकण्णगाए बहूओ दासचेडीओ हीति, निदति, खिसंति, गरिहंति, अप्पेगतिया हेरुयालेति, अप्पेगतिया मुहमक्कडियाओ करेंति, अप्पेगतिया वग्घाडीओ करेति, अप्पेगतिया * तज्जेमाणीओ तालेमाणीओ निच्छुभंति । तए णं सा चोक्खा मल्लीए विदेह [रायवरकण्णयाए] दासचेडियाहिं जाव गरहिज्जमाणी हीलिज्जमाणी आसुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणी मल्लीए विदेहरायवरकन्नयाए पओसमावज्जति, मिसियं गेण्हति, २ त्ता कन्नतेउराओ पडिनिक्खमति, २ मिहिलाओ निग्गच्छति, २ त्ता worko) 55555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ६३९5555555555555555555555555OOR 明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明CC Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EK 溪9666666 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली [५० ] परिव्वाइयासंपरिवुडा जेणेव पंचालजणवए जेणेव कंपिल्लपुरे तेणेव उवागच्छति, २ कंपिल्लपुरे बहूणं राईसर जाव परूवेमाणी विहरति । तए णं से जियसत्तू अन्नदा कदाइ अंतो अंतेउरपरियाल सद्धिं संपरिवुडे एवं चावि विहरति । तते णं सा चोक्खा परिव्वाइयासंपरिवुडा जेणेव जितसत्तुस्स रण्णो भवणे जेणेव जितसत्तू तेणेव उवागच्छइ, २ अणुपविसति, २ जियसत्तुं जएणं विजएणं वद्धावेति । तते णं से जितसत्तू चोक्खं परिव्वाइयं एज्जमाणं पासति, २ सीहासणातो अब्भुट्ठेति, २ चोक्खं सक्कारेति, २ आसणेणं उवणिमंतेति । तते णं सा चोक्खा परिव्वाइया उदगपरिफोसियाए जाव भिसियाए निविसइ २, जितसत्तुं रायं रज्जे य जाव अंतेउरे य कुसलोदंतं पुच्छइ । तते णं सा चोक्खा जियसत्तुस्स रन्नो दाणधम्मं च जाव विहरति । तते णं से जियसत्तू अप्पणो ओरोहंसि जायविम्हए चोक्खं एवं वदासी तुम देवाप्पिया ! बहूणि गामागर जाव अडहि, बहूण य रातीसर० गिहातिं अणुपविसहि, तं अत्थि याइं ते कस्स वि रण्णो वा जाव एरिसए ओरोहे दिट्ठपुव्वे जारिसए इमे मह ओरोहे ? तए णं सा चोक्खा परिव्वाइया जियसत्तुं एवं वदासी (जियसत्तुणा रण्णा एवं वुत्ता समाणा ) ईसिं अवहसियं करेति, २ एवं वयासी सरिसए णं तुमं देवाणुप्पिया! तस्स अगडदद्दुरस्स । के णं देवाणुप्पिए! से अगडदद्दुरे ? जियसत्तू ! से जहा नामए अगडदद्दुरे सिया, से णं तत्थ जाए तत्थेव वुड्ढे अण्णं अगडं वा तलागं वा दहं वा सरं वा सागरं वा अपासमाणे मन्नइ अयं चेव णं अगडे वा जाव सागरे वा । तए णं तं कूवं अण्णे सामुद्दए दद्दुरे हव्वमागए, तए णं से कूवदद्दुरे तं सामुदं दद्दुरं एवं वदासी से केस णं तुमं देवाणुप्पिया !, कत्तो वा इह हव्वमागए ?, तए णं से सामुद्दए दद्दुरे तं कूवदद्दुरं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अहं सामुद्दए दद्दुरे । तए णं से कुवदद्दुरे तं सामुद्दयं दद्दुरं एवं वयासी केमहालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ?, तए णं से सामुद्दए दद्दुरे तं कूवदद्दुरं एवं वयासी महालये णं देवाणुप्पिया ! समुद्दे । तए णं से दद्दुरे पाएणं लीहं कड्डेइ, २ एवं वयासी एमहालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ?, णो इणट्ठे समट्ठे, महालए णं से समुद्दे । तए णं से कूवदद्दुरे पुरत्थिमिल्लाओ तीराओ उप्फिडित्ताणं गच्छइ, २ एवं वयासी एमहालए णं देवाणुप्पिया ! से समुद्दे ?, णो इणट्ठे तव । एवामेव तुमंपि जियसत्तू । अन्नेसिं बहूणं राईसर जाव सत्थवाहप्पभितीणं भज्जं वा भगिणिं वा धूयं वा सुण्हं वा अपासमाणे जाणसि जारिसए मम चेव णं ओरोहे तारिसए णो अण्णस्स, तं एवं खलु जियसत्तू ! मिहिलाएं नयरीए कुंभगधूता पभावतीए देवीए अत्तिया मल्ली नामं विदेह रायवरकण्णा रूवेण य जोव्वणेण जाव नो खलु अण्णा काइ देवकन्ना वा० जारिसिया मल्ली विदेहरायवरकण्णा, मल्लीए विदेहरायवरकण्णाए छिण्णस्सवि पायंगुट्ठस्स इमे तवोरोहे सयसहस्सतिमं पि कलं न अग्घति त्ति कट्टु व पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगया । तते णं जितसत्तू परिव्वाइयाजणितहासे दूयं सद्दावेति, २ त्ता जाव पहारेत्थ गमणाए । ७४. तते णं तेसिं जियसतुपामोक्खाणं छण्हं राईणं दूया जेणेव मिहिला तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तते णं छप्पि दूतका जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छंति, २ मिहिलाए अग्गुज्जाणंसि पत्तेयं २ खंधावारनिवेसं करेति, २ मिहिलं रायहाणि अणुपविसंति, २ जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छंति, २ पतेयं २ करयल [परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु] साणं २ राई वयणातिं निवेदेति । तते णं से कुंभए तेसिं दूयाणं अंतियं एयमद्वं सोच्चा आसुरुत्ते जाव तिवलियं मिउडिं [निडाले साहड्ड] एवं वयासी न देमि णं अहं ब्भं मल्ि विदेहवरकण्णं ति कट्टु ते छप्पि दूते असक्कारिय असम्माणिय अवद्दारेणं णिच्छुभावेति । तते णं ते जितसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं दूया कुंभएणं रन्ना अक्कारिया असम्माणिया अवद्दारेणं णिच्छुभाविया समाणा जेणेव सगा २ जणवया जेणेव सयातिं २ णगराई जेणेव सगा २ रायाणो तेणेव उवागच्छंति, २ करयलप [रिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु ] एवं वयासी एवं खलु सामी ! अम्हे जितसत्तुपामोक्खाणं छण्णं राईणं दूया जमगसमगं चेव जेणेव मिहिला जाव अवद्दारेणं निच्छुभावेति । तं ण देइ णं सामी कुंभए मल्लिं विदे [हरायवरकण्णं ], साणं २ राईणं एयमहं निवेदेति । तते णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो तेसिं दूयाणं अंति एयमट्ठे सोच्चा निसम्म आसुरुत्ता अण्णमण्णस्स दूयसंपेसणं करेति, २ एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं छण्हं राईणं दूया जमगसमगं चेव जाव निच्छूढा तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं कुंभगस्स जत्तं गिण्हित्तए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्स एतमहं पडिसुर्णेति, २ त्ता व्हाया सण्णद्धा हत्थिखंधवरगया सकोरेंटमल्ल जव सेयवरचामराहिं [वीइज्जमाणा] महया हय-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा सव्विड्डीए जाव रखेणं सएहिं २ नगरेहिंतो जाव श्री आगमगुणमंजूषा - ६४० Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (बायाधम्मकाजीप.सु. ८. मल्ला [१] 15555555555Essswer निग्गच्छंति, २ एगयओ मिलायंति, २ जेणेव मिहिला तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तते णं कुंभए राया इमीसे कहाए लद्धढे समाणे बलवाउयं सद्दावेति, २ एवं वदासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! हय-गय जाव सेणं सन्नाहेह जाव पच्चप्पिणति। तते णं से कुंभए ण्हाते सण्णद्धे हत्थिखंध [वरगए] सकोरेंट [मल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं] सेयवरचामर [हिं वीइज्जमाणे] महया [हय-गय-रह-जोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे] मिहिलं मज्झमज्झेणं णिज्जाति, २ त्ता विदेहं जणवयं मझमज्झेणं जेणेव देसग्गं तेणेव उवागच्छति, २ खंधावारनिवेसं करेति, २ त्ता जियसत्तुपामोक्खे छप्पि रायाणो पडिवालेमाणे जुज्झसज्जे पडिचिट्ठति। ततेणं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छंति, २ कुंभएण रण्णा सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था। तते णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो कुंभयं रायं हयमहियपवरवीरघातियविवडिय चिंधधयपडागं किच्छपाणोवगयं दिसोदिसिं पडिसेहिति। तते णं से कुंभए राया जितसत्तुपामोक्खेहि छहिं राईहिं हयमहित जाव पडिसेहिए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए जाव अधारणिज्जमिति कट्ट सिग्धं तुरियं जाव वेइयं जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छति, २ मिहिलं अणुपविसति, २ मिहिलाए दुवारातिं पिहेइ, २ रोहासज्जे चिट्ठति। तते णं ते जितसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो जेणेव मिहिला तेणेव उवागच्छंति, २ मिहिलं रायहाणिं निस्संचारं णिरुच्चारं सव्वतोसमंता ओलंभित्ताणं चिट्ठति। ततेणं से कुंभए मिहिलं रायहाणिं ओरुद्धं जाणित्ता अब्भंतरियाए उवट्ठाणसालाए सीहासणवरगए तेसिं जितसत्तुपामोक्खाणं छह रातीणं छिद्दाणि य विरहाणि य मम्माणि य अलभमाणे बहूहिं आएहि य उवाएहि य उप्पत्तियाहि य ४ बुद्धीहिं परिणामेमाणे २ किंचि आयं वा उवायं वा अलभमाणे ओहतमणसंकप्पे जाव झियायति । इमं च णं मल्ली विदे [हरायवरकन्ना] पहाया जाव बहूहिं खुज्नाहिं परिवुडा जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छति, २ ता कुंभगस्स पायग्गहणं करेति । तते णं कुंभए राया मल्लिं विदेह [रायवरकन्नं] णो आढाति, नो परियाणाइ, तुसिणीए संचिट्ठति । तते णं मल्ली विदे [हरायवरकन्ना] कुंभगं एवं वयासी तुब्भे णं ताहो ! अण्णदा मम एज्जमाणं जाव निवेसेह । किण्णं तुम्भं अज्ज ओहत जाव झियायह ? तते णं से कुंभए मल्लिं वि दिहरायवरकन्नं] एवं वयासी एवं खलु पुत्ता । तव कज्जे जितसत्तुपामोक्खेहिं छहिं रातीहिं दूया संपेसिया, ते णं मए असक्कारिया जाव निच्छूढा । तते णं ते जितसत्तु [पामोक्खा छप्पि रायाणो] तेसिं दूयाणं अंतिए एयमढे सोच्चा परिकुविया समाणा मिहिलं रायहाणिं निस्संचारं जाव चिट्ठति । तते णं हं पुत्ता ! तेसिं जितसत्तुपामोक्खाणं छह राईणं अंतराणि अलभमाणे जाव झियामि । तते णं सा मल्ली विदेह [रायवरकन्ना] कुंभयं रायं एवं वयासी मा णं तुब्भे ताओ ! ॥ ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह, तुब्भे णं ताओ ! तेसि जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं पत्तेयं २ रहस्सिए दूयसंपेसे करेह, एगमेगं एवं वदह तव देमि मल्लिं विदेहरायवरकण्णं ति कट्ट संझाकालसमयंसि पविरलमणूसंसि निसंतपडिनिसंतसि पत्तेयं २ मिहिलं रायहाणिं अणुप्पवेसेह, २ गब्भघरएसु अणुप्पवेसेह, मिहिलाए रायहाणीए दुवाराई पिधेह, २ रोहासज्जे(ज्जा) चिट्ठह । तते णं कुंभए एवं, तं चेव, जाव पवेसेति रोहासज्जे चिठ्ठति। तते णं ते जितसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो कल्लं पाउप्पभा० जाव जलते जालंतरेहिं कणगमई मत्थयछिडं पउमुप्पलपिहाणं पडिमं पासंति, एस णं मल्ली विदेहरायवरकण्ण त्ति कट्ठ मल्लीए विदेह [रायवरकण्णाए] रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य मुच्छिया गिद्धा जाव अज्झोववण्णा अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणा २ चिट्ठति । तते णं सा मल्ली वि [देहरायवरकण्णा] ण्हाया जाव पायच्छित्ता सव्वालंकारविभूसिया बहूहिँ खुजाहिं जाव परिक्खित्ता जेणेव जालघरए जेणेव कणग [मईमत्थयछिड्डा पउमुप्पलपिहाणा पडिमा] तेणेव उवागच्छति, २ तीसे कणग जाव पडिमाए मत्थयाओ तं पउमं अवणेति, तते णं गंधे णिद्धावति से जहा नामए अहिमडे ति वा जाव असुभतराए चेव । तते णं ते जियसत्तुपामोक्खा . [छप्पिरायाणो] तेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहिं २ उत्तरिज्जेहिं आसातिं पिहेति, २ त्ता परम्मुहा चिट्ठति । तते णं सा मल्ली वि [देहरायवरकन्ना] ते जितसत्तुपामोक्खे [छप्पिरायाणो] एवं वयासी-किण्णं तुब्भं देवाणुप्पिया ! सएहिं २ उत्तरिज्जेहिं जाव परमुहहा चिट्ठह ? ततेणं ते जितसत्तुपामोक्खा [छप्पिरायाणो] - मल्ली वि [देहरायवरकण्णं] एवं वयंति एवं खलु देवाणुप्पिए ! अम्हे इमेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहिं २ उत्तरिजेहिं जाव चिट्ठामो । तते पां सा मल्ली वि (देहरायवरकन्ना [ते जितसत्तुपामोक्खे छप्पि रायाणो एवं वयासी जइताव देवाणुप्पिया ! इमीसे कणग जाव पडिमाए कल्लाकल्ली ताओ मणुण्णाओ mero555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६४१ 555555555555555555555555555OK LO乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐手乐乐明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐F6C dinelibrary.org Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली [५२ ] असण- पाण- खाइम - साइमाओ एगमेगे पिंडे पक्खिप्पमाणे २ इमेयारूवे असुभे पोग्गलपरिणामे; इमस्स पुण ओरालियसरीरस्स खेलासवस्स वंतासवस्स पित्तासवस्स सुक्कासवस्स सोणियपूयासवस्स दुरूयऊसासनीसासस्स दुरूयमुत्तपूतियपुरीसपुण्णस्स सडण जाव धम्मस्स केरिसए परिणामे भविस्सति ? तं मा णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! माणुस्सएसुकामभोगेसु सज्जह, रज्जह, गिज्झह, मुज्झह, अज्झोववज्जह। एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमाओ तच्चे भवग्गहणे अवरविदेहे वासे सलिलावतिमि विजए वीयसोगाए रायहाणीए महब्बलपामोक्खा सत्त वि य बालवयंसया रायाणो होत्था सहजाया जाव पव्वतिता । तए णं अहं देवाणुप्पिया ! इमेणं कारणेणं इत्थीनामगोयं कम्मं निव्वत्तेमि जति णं तुब्भे चउत्थं उवसंपज्जित्ताणं विहरह तते णं अहं छट्टं उवसंपज्जित्ताणं विहरामि, सेसं तहेव सव्वं । तते णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! कालमासे कालं किच्चा जयंते विमाणे उववन्ना, तत्थ णं तुब्भं देसूणाति बत्तीसातिं सागरोवमाइं ठिती । तते णं तुब्भे ताओ देवलोगाओ अनंतरं चयं चत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सातिं २ रज्जातिं उवसंपज्जित्ताणं विहरह। तते णं अहं देवाणुप्पिया ! तातो देवलोगातो आउक्खएणं जाव दारियत्ताए पच्चायाया । किं थ तयं पम्हुट्टं जं थ तया भो जयंतपवरंमि । वुत्था समयनिबद्धं देवा ! तं संभरह जातिं ॥ ९ ॥ ७५. तते णं तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राई मल्लीए विदेहराया [वरकन्नाए] अंतिए एतमहं सोच्चा णिसम्मा सुभेणं परिणामेणं पसत्थेणं अज्झवसाणेणं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तयावर (णिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं) ईहा पूह मग्गण जाव सण्णि जाइस्सरणे समुप्पन्ने, एयमहं सम्मं अभिसमागच्छंति । तए तए णं मल्ली अरहा ते जितसत्तुपामोक्खे छप्पि रायणो समुप्पन्नजाइसरणे जाणित्ता गब्भघराणं दाराई विहाडेति । तते णं ते जितसत्तुपामोक्खा [छप्पिरायणो] जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छंति, तते जं महब्बलपामोक्खा सत्त पि य बालवयंसा एगयओ अभिसमन्नागता यावि होत्था । तते णं मल्ली अरहा ते जितसत्तुपामोक्खे छप्पि रायाणो एवं वयासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विग्गा जाव पव्वयामि, तं तुब्भे णं किं करेह, किं ववसह जाव के भे हिययसामत्थे ? तते णं जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो मल्लिं अरहं एवं वयासी जति णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! संसार जाव पव्वाह, अम्हाणं देवाणुप्पिया ! के अन्ने आलंबणे वा आहारे वा पडिबंधे वा ? जह चेव णं देवाणुप्पिया ! तुब्भे अम्हं इओ तच्चे भवग्गहणे बहूसु कज्जेसु य० मेढी पमाणं जाव धम्मधुरा ओत्था तह चेव णं देवाणुप्पिया ! इण्हिं पि जाव भविस्सह, अम्हे वि णं देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विग्गा जाव भीया जम्मण-मरणाणं देवाणुप्पिएहिं सद्धिं मुंडा भवित्ता जाव पव्वयामो। तते णं मल्ली अरहा ते जितसत्तुपामोक्खे [छप्पि रायाणो] एवं वयासि जइ णं तुब्भे संसार जाव मए सद्धिं पव्वह, तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सएहिं २ रज्जेहिं जेट्ठपुत्ते रज्जे ठावेह, २ त्ता पुरिससहस्सवाहिणी [ओ] सीयाओ दुरुहह, [पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ] दुरूढा समाणा मम अंतियं पाउब्भवह। तते णं ते जितसत्तुपामोक्खा [छप्पि रायाणो] मल्लिस्स अरहतो एतमट्टं पडिसुर्णेति । तते णं मल्ली अरहा ते जितसत्तुपामोक्खे [छप्पि रायाणो] गहाय जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कुंभगस्स पाएसु पाडेति । तते णं से कुंभए ते जितसत्तुपामोक्खे विपुलेणं असण ४ पुप्फ-वत्थ- गंध - मल्लालंकारेणं सक्कारेति सम्माणेति जाव पडिविसज्जेति । तते णं ते जियसत्तुपामोक्खा [छप्पि रायणो] कुंभएणं रण्णा विसज्जिया समाणा जेणेव साई साई रज्जातिं जेणेव नगरातिं तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता सगाई सगाई रज्जातिं उवसंपज्जित्ताणं विहरति । तते णं मल्ली अरहा संवच्छरावसाणे निक्खमिस्सामि त्ति मणं पहारेति । ते णं काले णं ते णं समए णं सक्कस्सासणं चलति । तते णं से सक्के देविदे [देवराया] आसणं चलियं पासति, २ ओहिं पउंजति, २ त्ता मल्लिं अरहं ओहिणा आभोएति, २ त्ता इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था एवं खलु जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे मिहिलाए नयरीए कुंभगस्स रन्नो [धूया] मल्ली अरहा निक्खमिस्सामि त्ति मणं पहारेति, तं जीयमेयं तीयपच्चुप्पन्नमणागयाणं सक्काणं [देविंदाणं देवरायाणं] अरहंताणं भगवंताणं निक्खममाणाणं इमेयारूवं अत्थसंपयाणं दलइत्तए, तंजहा तिण्णेव य कोडिसया अट्ठासीतिं च होति कोडीओ | असितिं च सयसहस्सा इंदा दलयंति अरहाणं ॥ १० ॥ ७६. एवं संपेहेति, २ वेसमणं देवं सद्दावेति, २ त्ता [ एवं वयासी] एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे जाव असीति च सयसहस्साइ दलइत्तए, तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवं दीवं भारहं वासं मिहिलं रायहाणिं, कुंभगस्स रन्नो भवणंसि इमेयारूवं अत्यसंपयाणं 45 45 45 45 45 45 LE LE LE LG LEG GEG श्री. आत्माराणामन *555555555கமிககககக**மிக்கழிகிழி 纸 20 Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 30X555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प, मु. ८ अ. मल्ली (५३) $$$$$$$$$$2 OR9455555555555555555555555555555555555555555555 P साहराहि, २ खिप्पामेव मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि। तते णं से वेसमणे देवे सक्केणं देविदेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वे करयल जाव पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता भए देवे सद्दावेइ, २ एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवं दीवं भारहं वासं मिहिलं रायहाणिं, कुंभगस्स रण्णो भवणंसि 'तिन्नि कोडिसया अट्ठासीइंच कोडीओ असिइं च सयसहस्साई' इमेयारूवं अत्थसंपयाणं साहरह, २ मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तते णं ते जंभगा देवा वेसमणेणं जाव सुणेत्ता उत्तरपुरथिम दिसीभागं अवक्कमंति, २ जाव उत्तरवेउव्वियाई रूवाई विउव्वंति, २ ताए उक्किट्ठाए जाव वीइवयमाणा जेणेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वास जेणेव मिहिला रायहाणी जणेव कुंभगस्स रणो भवणे तेणेव उवागच्छंति, २ कुंभगस्स रन्नो भवणंसि तिन्नि कोडिसया जाव साहरंति, २ जेणेव वेसमाणे देवे तेणेव उवागच्छंति, २ करयल जाव पच्चप्पिणंति । त तेणं से वेसमणेदेवे जेणेव सक्के देविदे देवराया तेणेव उवागच्छइ (२) करयल जाव पच्चपिणत्ति तते णं मल्ली अरहा कल्लाकल्लिं जाव मागहओ के पातरासो त्ति बहूणं सणाहाणय य अणाहाणय य पंथियाण य पहियाण य कारोडियाण य कप्पडियाण य एगमेगं हिरण्णकोडी अट्ठ य अणूणाति सयसहस्साति इमेयारूवं अत्थसंपादाणं दलयति । तए णं कुंभए राया मिहिलाए रायहाणीए तत्थ तत्थ तहिं तहिं देसे देसे बहूओ महाणससालाओ कारेति, तत्थ णं बहवे मणुया दिन्नभइभत्तवेयणा विपुलं असण ४ उवक्खडेति, २ त्ता जे जहा आगच्छंति तंजहा पंथिया वा पहिया वा कारोडिया वा कप्पडिया वा पासंडत्था वा गिहत्था वा तस्स य तहा आसत्थस्स वीसत्थस्स सुहासणवरगतस्स तं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं परिभाएमाणा परिवसमाणा विहरंति । तते णं मिहिलाए सिंघाडग जाव बहुजणो अण्णमण्णस्सेवमातिक्खति एवं खलु देवाणुप्पिया ! कुंभगस्स रण्णो भवणंसि सव्वकामगुणियं किमिच्छियं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं बहूणं समणाण य जाव परिवेसिज्जति । वरवरिया घोसिज्जति, किमिच्छियं दिज्जए बहुविहीयं । सुर-असुर-देव-दाणव-नरिंदमहियाण निक्खमणे ॥११|| तते णं मल्ली अरहा संवच्छरेणं तिन्नि कोडिसया अट्ठासीतिं च होति कोडीओ असितिं च सयसहस्सा' इमेयारूवं अत्थसंपदाणं दलइत्ता निक्खमामि त्ति मणं पधारेति। ७७. ते णं काले णं ते णं समए णं लोगंतिया देवा बंभलोए कप्पे रिटे विमाणपत्थडे सएहिं सएहिं विमाणेहिं, सएहिं सएहिं पासायवडिसएहिं, पत्तेयं पत्तेयं चउहिं सामाणियसाहस्सीहि, तिहिं परिसाहि, सत्तहिं अणिएहिं, सत्तहिं अणियाहिवंतीहि, सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं, अन्नेहिं य बहूहिं लोगंतिएहिं देवेहिं सद्धिं संपरिवुडा महयाहयनट्टगीयवाइय जाव रवेणं भुंजमाणा विहरंति, तंजहा सारस्सयमाइच्चा वण्ही वरुणा य गद्दतोया य । तुसिया अव्वाबाहा अग्गिच्चा चेव रिठ्ठा य॥१२॥ तते णं तेसिं लोगंतियाणं देवाणं पत्तेयं पत्तेयं आसाणाइं चलंति, तहेव जाव अरहताणं निक्खममाणाणं संबोहणं करत्तए त्ति, तं गच्छामो णं अम्हे विम मल्लिस्स अरहतो संबोहणं करेमो त्ति कट्ट एवं संपेहेति, २ उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं [अवक्कमंति, अवक्कमित्ता] वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति, [२] संखिज्जाइं जोयणाइं एवं जंभगा जाव जेणेव मिहिला रायहाणी जेणेव कुंभगस्स रण्णो भवणे जेणेव मल्ली अरहा तेणेव उवागच्छंति, २ अंतलिक्खपडिवन्ना सखिखिणियाहिं जाव वत्थाई पवर परिहिया करयल परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट] ताहिं इट्ठाहिं एवं वयासी 'बुज्झाहि भगवं लोगनाहा !, पवत्तेहिं धम्मतित्थं, जीवाणं हितसुहनिस्सेयसकरं भविस्सति' ति कट्ट दोच्च पि तच्चं पि एवं वयंति, २ मल्लिं अरहं वंदंति नमसंति, २त्ता जामेव दिसंपाउब्भूया तामेव दिसंभ पडिगया। तते णं मल्ली अरहा तेहिं लोगंतिएहिं देविहिं संबोहिए समाणे जेणेव अम्मापिवरो तेणेव उवागच्छति, २ करयल परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट एवं वयासी-] इच्छामि णं अम्मयाओ! तुब्भेहि अब्भणुण्णाते मुंडे भवित्ता जाव पव्वतित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेहि । तते णं कुंभए राया कोटुंबियपुरिसे सद्दावेति, कोटुंबियपुरिसे सद्दावेत्ता एवं वदासी खिप्पामेव अट्ठसहस्सं जाव भोमेज्जाणं ति अण्णं च महत्थ जाव तित्थयराभिसेयं उवट्ठवेह, जाव उवट्ठवेति । ते णं काले णं ते णं समएणं चमरे असुरिद असुर [राया] जाव अच्चुयपज्जवराणा आगया। तते णं सक्के देविंदै देवराया आभिओगिए देवे सद्दावेति, २त्ता एवं वदासी खिप्पामेव अट्ठसहस्सं सोवणियाणं जाव अण्णं च तं विउलं उवट्ठवेह, जाव उवट्ठवेति । ते वि कलसा तेसु चेव कलसेसु अणुपविट्ठा । तते णं र से सक्के देविद देवराया कुंभए य राया मल्लिं अरहं सीहासणंसि पुरत्याभिमुहं निवेसेति, अट्ठसहस्सेणं सोवण्णियाणं जाव अभिसिंचति । तते णं मल्लिस्स भगवओ Merres555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-६४३55555555555555555555555556or. mer05555555555555555555555555555555555555555555555555573OR Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली [५४] 明明明明明明明明明明明明明明明OO HOLIC乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明听听听听FSC अभिसेए वट्टमाणे अप्पेगतिया देवा मिहिलं च [रायहाणिं] सब्भितरबाहि [रियं] जाव सव्वतो समंता परिधावंति । तए णं कुंभए राया दोच्चं पि उत्तरावक्कमणं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेति, २ कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, २ त्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! मणोरमं सीयं उवट्ठवेह, ते वि उवट्ठति । तते णं सक्के देविद देवराया आभिओगिए देवे [सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-] खिप्पामेव [भो देवाणुप्पिया] अणेगखंभ [सयसन्निविट्ठ] जाव मणोरमं सीयं उवट्ठवेह, जाव सा वि सीया तं चेव सीयं अणुपविठ्ठा । तते णं मल्ली अरहा सीहासणाओ अब्भुढेति, २ जेणेव मणोरमा सीया तेणेव उवागच्छति, २ मणोरमं सीयं अणुपयाहिणीकरेमाणे मणोरमं सीयं दुरुहति, [२] सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने । तते णं कुंभए राया अट्ठारस सेणिप्पसेणीओ सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! ण्हाया कयबलिकम्मा जाव सव्वालंकारविभूसिया मल्लिस्स सीयं परिवहह, जाव परिवहति । तते णं सक्के देविदे देवराया मणोरमाए दक्खिणिल्लं उवरिल्लं बाहं गेण्हति, ईसाणे उत्तरिल्लं उवरिल्लं बाहं गेण्हति, चमरे दाहिणिल्लं हेछिल्लं, बली उत्तरिल्लं हेट्ठिल्लं अवसेसा देवा जहारिहं मणोरमं सीयं परिवहति । पुव्विं उक्खित्ता माणुसेहिं सा हट्ठरोमकूपेहिं । पच्छा वहंति सीयं असुरिंद-सुरिंद-नागिंदा ॥१३|| चलचवलकुंडलधरा सच्छंदविउव्वियाभरणधारी। देविंद-दाणविंदा वहंति सीयं जिणिंदस्स ।।१४।। तते णं मल्लिस्स अरहओ मणोरमं सीयं दुरूढस्स [समाणस्स] इमे अट्ठ मंगलगा पुरओ अहाणुपुव्वीए संपत्थिया, एवं निग्गमो जहा जमालिस्स। तयणं तरं मल्लिस्स अरहतो निक्खममाणस्स अप्पेगतिया देवा मिहिलं आसिय अभिंतर वास विहि गाहा जाव परिघावंति। ततेणं मल्ली अरहा जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छति, २ सीयाओ पच्चोरुहति, २ आभरणालंकारं [ओमुयति, तते णं मल्लिस अरहतो माया पभावती [हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरणालंकारं] पडिच्छति । तते णं से मल्ली अरहा सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति । तते णं सक्के देविद देिवराया] मल्लिस्स केसे पडिच्छति, खीरोदसमुद्दे साहरति । तते णं मल्ली अरहा ‘णमोत्थु णं सिद्धाणं' ति कट्ट सामाइयचरित्तं पडिवज्जति। जं समयं च णं मल्ली अरहा चरित्तं पडिवज्जति तं समयं च णं देवाण माणुसाण य णिग्घोसे तुरियनिणाए गीयवातियनिग्घोसे य सक्कवयणसंदेसेणं णिलुक्के यावि होत्था। जं समयं च णं मल्ली अरहा सामाइयचरित्तं पडिवन्ने तं समयं चणं मल्लिस्स अरहतो माणुसधम्माओ उत्तरिए मणपज्जवनाणे समुप्पन्ने । मल्ली णं अरहा जे से हेमंताणं दोच्चे मासे, चउत्थे पक्खे, पोससुद्धे, तस्स णं पोससुद्धस्स एक्कारसीपक्खे णं, पुव्वण्हकालसमयंसि, अट्ठमेणं भत्तेणं अपाणएणं, अस्सिणीनक्खत्तेणं जोगमुवागएणं, तिहिं इत्थीसएहिं अभिंतरियाए परिसाए, तिहिं पुरिससएहिं बाहिरियाए परिसाए सद्धिं मुंडे भवित्ता पव्वइए । मल्लिं अरहं इमे अट्ठ नायकुमाराअणुपव्वइंसु, तंजहा। णंदे य १ णंदिमित्ते २ सुमित ३ बलमित ४ भाणुमिते य ५। अमरवति ६ अमरसेणे ७ महसेणे चेव ८ अट्ठमए ।।१५।। तए णं ते भवणवति-वाणमंतर-जोतिसियवेमाणिया [देवा] मल्लिस्स अरहतो निक्खमणमहिमं करेंति । जेणेव नंदीसरे [दीवे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता] अट्ठाहियं करेंति, २ जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तए णं मल्ली अरहा जं चेव दिवसं पव्वतिए तस्सेव दिवसस्स पच्चावरण्हकालसमयंसि असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि सुहासणवरगयस्स सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं पसत्थाहिं लेसाहिं विसुज्झमाणीहि तयावरणकम्मरयविकरणकरं अपुव्वकरणं अणुपविट्ठस्स अणंते जाव समुप्पन्ने । ७८. ते णं काले णं ते णं समए णं सव्वदेवाणं आसणातिं चलंति, समोसढा सुणेति, अट्ठाहियामहिमं० नंदीसरं० जामेव दिसं पाउ जाव पडिगया। कुंभए वि निग्गच्छति । तते णं ते जितसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो जेट्टपुते रज्जे ठावित्ता पुरिससहस्सवाहिणीयाओ [सीयाओ] दुरूढा (समाणा) सव्विड्डीए जेणेव मल्ली अरहा जाव पज्जुवासंति । तते णं मल्ली अरहा तीसे महतिमहालियाए [परिसाए] कुंभगस्स [रण्णो तेसिंच जियसत्तुपामोक्खाणं [छण्हं पिरायाणं] धम्म परिकहेति, परिसा जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया, कुंभए समणोवासए जाते, पडिगते, पभावती य । तते णं जितसत्तुपामोक्खा छप्पि रायणो धम्म सोच्चा [एवं वयासी-] आलित्तए णं भंते ! जाव पव्वइया, जाव चोद्दसपुब्विणो, अणंते केवल [वरणाणदंसणे समुप्पाडेता तओ पच्छा सिद्धा । तते णं मल्ली अरहा सहसंबवणातो निक्खमति, २ बहिया जणवयविहारं विहरति । मल्लिस्स णं भिसगपामोक्खा अट्ठावीसंगणा अट्ठवीसंगणहरा होत्था। मल्लिस्सणं अरहओ ROYo 5 5555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६४४ 9555555555555556xOR 乐听听听听听听听听听听听听听$$$$$$%%%%%%%%%听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) गायाधम्मकहाओ प. सु. ८ अ. मल्ली / ९. अ. मायंदी [ ५५ ] चत्तालीसं समणसाहस्सीओ उक्कोसिया समणसंपया होत्था । बंधुमतिपामोक्खाओ पणपण्णं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जियासंपया होत्था । सावयाणं एगा सतसाहस्सी चुलसीतिं सहस्सा, सावियाणं तिन्नि सयसाहस्सीओ पण्णतिं च सहस्सा, छस्सया चोहसपुव्वीणं, वीसं सया ओहिनाणीणं, बत्तीसं सया केवलणाणीणं, पणतीसं सया वेडव्वियाणं, अट्ठ सया मणपज्जवनाणीणं, चोद्दस सया वादीणं, वीसं सया अणुत्तरोववातियाणं। मल्लिस्स अरहओ दुविहा अंतकरभूमी होत्था, तंजहा जयंतकरभूमी परियायंतकरभूमी य, जाव वीसतिमाओ पुरिसजुगाओ जुयंतकरभुमी, दुवासपरियाए अंतमकासी । मल्ली णं अरहा पणुवीसं धणूतिमुङ्कं उच्चत्तेणं वण्णं पियंगुसामे, समचउरंससठाणे, वज्जरिसभाणा रायसंघयणे मज्झदेसे सुहंसुहेणं विहरित्ता जेणेव सम्मेए पव्वए तेणेव उवागच्छइ, २ संमेयसेलसिहरे पाओवगमणं णुवन्ने । मल्ली णं अरहा एवं वाससतं अगारवासम [ज्झावसित्ता] पणपण्णं वाससहस्सातिं वाससऊणातिं केवलिपरियागं पाउणित्ता, पणपण्णं वाससहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता, जे से गिम्हाणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे चेत्तसुद्धे तस्स णं चेतसुद्धस्स चउत्थीए पक्खे णं, भरणीए णक्खत्तेणं [जोगमुवागणं,] अडरत्तकालसमयंसि, पंचहिं अज्जियासएहिं अब्भितरियाए परिसाए, पंचहि अणगारसएहिं बाहिरियाए परिसाए, मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं, वग्घारियपाणी, खीणे वेयणिज्जे आउए नामगोए सिद्धे । एवं परिनिव्वाणमहिमा भाणितव्वा जहा जंबुद्दीवपण्णत्तीए, नंदीसरे अट्ठाहियाओ पडिगयाओ। एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता महावीरेणं अट्टमस्स णायज्झयणस्स अयमट्टे पण्णत्ते त्ति बेमि । 555 | 'मल्ली' णायं सम्मत्तं ॥ 555 णवमं अज्झयणं 'मायंदी' ७९. जइणं भंते । समणेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, नवमस्स णं भंते ! नायज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं चंपा नामं नयरी, पुण्णभद्दे चेइए । तत्थ णं माकंदी नामं सत्थवाहे परिवसति, अड्डे [दित्ते वित्थिण्णविउलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहुदासदासीगोमहिसगवेलगप्पभूए बहुधणबहुजायरूवरयए आओग-पओगसंपत्ते विच्छड्डियविउलभत्तपाणे |] तस्स णं भद्दा नामं भारिया, तीसे णं भद्दाए अत्तया दुवे सत्थवाहदारया होत्था, तंजहा जिणपालिए य जिणरक्खिए य । तते णं तेसिं मागंदियदारगाणं अण्णया कयाइ एगयओ इमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था एवं खलु अम्हे लवणसमुद्द पोयवहणेणं एक्कारस वारा ओगाढा, सव्वत्थ वि य णं लखट्ठा कयकज्जा अणहसमग्गा पुणरवि नियगधरं हव्वमागया । तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! दुवालसमं पि लवणसमुद्दं पोतवहणेणं ओगाहित्तए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्से महं पडिसुणेति, २ त्ता जेणेव अम्मापितरो तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता एवं वदासी एवं खलु अम्हे अम्मयाओ ! एक्कारस वारा तं चेव जाव नियघरं हव्वमागया, तं इच्छामो णं अम्मयाओ ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणा दुवालस [मं पि] लवणसमुद्द पोयवहणेणं ओगाहित्तए । तते णं ते मागंदियदारए अम्मापय एवं वदासी इमे ते जाया ! अज्जग जाव परिभाएत्तए। तं अणुहोह ताव जाया ! विउले माणुस्सए इड्डीसक्कारसमुदए, किं भे सपच्चवाएणं निरालंबणेणं लवणसमुद्दोत्तारेणं ? एवं खलु पुत्ता ! दुवालसमी जत्ता सोवसग्गा यावि भवति, तं मा णं तुब्भे दुवे पुत्ता ! दुवालसमं पि लवणसमुद्दे जाव ओगाहेह, मा हु तुब्भं सरीरस्स वावत्ती भविस्सति । तणं मागंदियदारगा अम्मापियरो दोच्चं पि तच्चं पि एवं वदासी एवं खलु अम्हे अम्मताओ ! एक्कारस वारा लवणसमुद्द (६) जाव ओगाहित्तए । तते णं ते मागंदियदारए अम्मापियरो जाहे नो संचाएंति बहूहिं आघवणाहिं य पण्णवणाहि य आघवित्तए [वा] पण्णवित्तए वा ताहे अकामा चेव एयमद्वं अणुमन्नित्था। तते णं ते मागंदियदारगा अम्मापिऊहिं अब्भणुण्णाया समाणा गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च जहा अरहण्णगस्स जाव लवणसमुद्दे बहूई जोयणसयाई ओगाढा । तते णं तेसिं मागंदियदारगाणं अणेगाई जोयणसयाई ओगाढाणं समाणाणं अणेगाई उप्पातियसयातिं पाउब्भूयातिं, तंजहा अयाले गज्जियं जाव धणियसद्दे, कालियावाते यत्थ समुच्छिए । तते णं सा णावा तेणं कालियवातेणं आहुणिज्नमाणी २ संचालिज्जमाणी २ संखोभिज्जमाणी २ सलिलतिक्खवेगेहिं अतियट्टिज्जमाणी २ कोट्टिमकरतलाहते विव तिंदूसए तत्थेव २ ओवयमाणी य उप्पयमाणी य, उप्पयमाणी विव धरणियलाओ सिद्धविज्जा विज्जाहरकन्नगा, ओवयमाणी विव गगणतलाओ श्री आगमगुणमंजूचा ६४५ $$$ $$$ 5 NOD Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 95 (६) णायाधम्मक हाओ प. सु. / ९ अ. मादी [ ५६ ] भट्टविज्जा विज्जाहरकन्नगा, विपलायमाणी विव महागरुलवेगवित्तासिया भुयगकन्नगा, धावमाणी विव महाजणरसियसद्दवित्तत्था ठाणभट्ठा आसकिसोरी, णिगुंजमाणी विव गुरुजणदिट्ठावराहा सुयणकुलकन्नगा, घुण्णमाणी विव वीइपहारसततालिया, गलियलंबणा विव गगणतलाओ, रोयमाणी विव सलिलगठिविप्पइरमाणथोरंसुवाएहिं नववहू उवरतभत्तुया, विलवमाणी विव परचक्करायाभिरोहिया परममहब्भयाभिद्दुया महापुरवरी, झायमाणी विव कवडच्छोमणपओगजुत्ता जोगपरिव्वाइया, णीससमाणी विव महाकतारविणिग्गयपरिस्संता परिणयवया अम्मया, सोयमाणी विव तवचरणखीणपरिभोगा चयणकाले देववरवहू, संचुण्णियकट्ठकूवरा, भग्गमेढिमोडियसहस्समाला, सूलाइयवंकपारिमासा, फलहंतरतडतडेंतफुट्टंतसंधिवियलंतलोहखीलिया, सव्वंगवियंभिया, परिसडियरज्जुविसरंत सव्वगत्ता, आमगमल्लगभूया, अकयपुण्णजणमणोरहो विव चितिज्नमाणगुरुई, हाहाकयकण्णधार णाविय वाणियगजण-कम्मगारविलविया णाणाविहरयणपणियसंपुण्णा, बहूहिं पुरिससएहिं रोयमाणेहिं कंदमाणेहिं सोयमाणेहिं तिप्पमाणेहिं विलवमाणेहिं एवं महं अंतो जलगयं गिरिसिहरमासायइत्ता संभग्गकूवतोरणा मोडियझयदंडा वलयसयखंडिया करकरस्स तत्थेव विद्दवं उवगया । तते णं तीए णावाए विवज्जमाणीए ते बहवे पुरिसा विपुलकणियभंडमायाए अंतोजलंमि णिमज्जाविया यावि होत्था । ८० तते णं ते मागंदियदारगा छेया दक्खा पत्तट्ठा कुसला मेहाविणो णिउणसिप्पोवगया बहूसु पोतवहणसंपराएसु कयकरणा लद्धविजया अमूढा अमूढहत्था एवं महं फलगखंडं आसादेति, जंसिं च णं पदेसंसि से पोयवहणे विवन्ने तंसिं च णं पदेसंसि एगे महं रयणदीवे णामं दीवे होत्था, अणेगाई जोयणाति आयामविक्खंभेणं, अणेगाई जोयणाई परिक्खेवेणं, णाणादुमसंडमंडिउद्देसे सस्सिरीए पासातीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तस्स बहुमज्जसभा एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए यावि होत्था अब्भुग्गयमूसिए जाव सस्सिरीयरूवे पासातीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । तत्थ णं पासायवडेंसए रयणद्दीवदेवया नामं देवया परिवसति पावा चंडा रुद्दा खुद्दा साहसिया । तस्स णं पासायवडिंसयस्स चउद्दिसिं चत्तारि वणसंडा किण्हा किण्होभासा० । तते णं ते मागंदियदारगा तेणं फलयखंडेणं ओवुज्झमाणा २ रयणदीवं तेणं संवूढा यावि होत्था । तते णं ते मागंदियदारगा थाहं लभंति, २ त्ता मुहुत्तंतर आससंति, २ त्ता फलगखंड विसज्जेति, २ त्ता रयणदीवं उत्तरंति, २ त्ता फलाणं मग्गणगवेसणं करेंति, २ त्ता फलातिं आहारेति, २ त्ता णालिएराणं मग्गणगवेसणं करेति, २ ता नालिएराइं फोडेंति, २ त्ता नालिएरतेल्लेणं अण्णमण्णस्स गत्ताई अब्भंगेतिं, २ त्ता पोक्खरणी ओगाहेति, २ जलमज्जणं करेति, २ जाव पच्चुत्तरंति, पुढविसिलापट्टयंसि निसीयंति, २ आसत्या वीसत्था सुहासणवरगया चंपं नगरिं, अम्मापिऊण आपुच्छणं च लवणसमुद्दोत्तारं च, कालियावायसंमुच्छणं च, पोतवहणविवत्तिं च, फलयखंडस्स आसायणं च, रयणद्दीवुत्तारं च, अणुचिंतेमाणा २ ओहतमणसंकप्पा जाव झियायंति। तते णं सा रयणद्दीवदेवया ते मागंदियदारए ओहिणा आभोएति, २ असिखेडगवग्गहत्था सत्तट्ठतलप्पमाणं उड्डुं वेहासं उप्पयति, २ त्ता ताते उक्किट्ठाए जाव देवगतीए वीईवयमाणी २ जेणेव मागंदियदारए तेणेव उवागच्छति, २ आसुसत्ता ते मागंदियदारए खरफरूसनिडुरवयणेहिं एवं वदासी हं भो मागंदियदारया ! अप्पत्थियपत्थिया ! जति णं तुब्भे मए सद्धिं विउलाति [भोगभोगाई भुंजमाणा] विहरह तो भे अत्थि जीवियं, अह णं तुब्भे भए सद्धिं विउलातिं भोगभोगाई भुंजमाणा नो विहरह तो भे अहं इमेणं नीलुप्पलगवलगुलिय जाव खुरधारेणं असिणा रत्तगंडमंसुयाई माउयाहिं उवसोहियाइं तालफलाणीव सीसाई एगंते एडेमि । तते णं ते मागंदियदारगा रयणदीवदेवताअंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म भीया करयल [परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु ] एवं वयासी जण्णं देवाणुप्पिया वतिस्सति तस्स आणाउववायवयणनिद्देसे चिट्ठिस्सामा । तते णं सा रयणदीवदेवता ते मागंदियदारए गेण्हति, जेणेव पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता असुभपोग्गलावहारं करेति, २ त्ता सुभपोग्गलपक्खेवं करेति, २ ता ततो पच्छा तेहिं सद्धिं विपुलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरति, कल्लाकल्लिं च अमयफलातिं उवणेति । ८१. तते णं सा रयणदीवदेवया सक्कवयणसंदेसेणं सुट्ठिए लवणाहिवइणा लवणसमुद्दे तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टियव्वे त्ति जं किंचि तत्थ तणं वा पत्तं वा कट्टं वा कयवरं वा असुर पूतियं दुरभिगंधमचोक्खं तं सव्वं आहुणिय २ तित्तखुत्तो एगंते एडेयव्वं ति कट्टु णिउत्ता । तते णं सा रयणदीवदेवता ते मागंदियदारए एवं वदासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! सक्कवयणसंदेसेणं सुट्ठिएणं ॐ श्री आगमगुणमंजूषा ६४६ फ्र • Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ $听听听听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听 FOR955555555555555 रजमा 1995%%%%869359sex तं चेव जाव णिउत्ता, तंजाव ताव अहं देवाणुप्पिया ! लवणसमुद्दे जाव एडेमि ताव तुब्भे इहेव पासायवडेंसए सुहंसुहेणं अभिरममाणा चिट्ठह । जति णं तुन्भे एयंसि अंतरंसि उव्विग्गा वा उस्सुया वा उप्पुया वा भवेजाह तो णं तुब्भे पुरथिमिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह, तत्थ णं दो उदू सया साहीणा, तंजहा पाउसे य वासारत्ते य. "तत्थ उ कंदलसिलिधदंतो णिउरवपुप्फपीवरकरो । कुडयज्जुणणीवसुरभिदाणो पाउसउदू गयवरो साहीणो ||१६|| "तत्थ य सुरगोवमणिविचित्तो दइरकुलरसियउज्झररओ । बरिहिणविंदपरिणद्धसिहरो वासारत्तउउपव्वतो साहीणो" ||१७॥ तत्थ णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! बहूसु बावीसुय जाव सरसरपंतियासु य बहूसु आलीघरएसु य मालीघरएसु य जाव कुसुमघरएसु य सुहंसुहेणं अभिरममाणा २ विहरेज्जाह । जति णं तुब्भे तत्थ वि उव्विग्गा वा उस्सुया वा उप्पुया वा भवेज्जाह तो णं तुब्भे उत्तरिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह, तत्थ णं दो उऊ सया साहीणा, तंजहा सरदो य हेमंतो य, तत्थ उ सण-सत्तिवण्णकउहो नीलुप्पल-पउमम नलिणसिंगो। सारस-चक्कायरवितघोसो सरयउउगोवती साहीणो"||१८|| “तत्थ य सियकुंदधवलजोण्हो कुसुमितलोद्धवणसंडमंडलतलो। तुसारदगधारपीवरकरो हेमंतउउससी सया साहीणो॥१९|| तत्थ णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! बावीसु य जाव विहरेज्जाह । जति णं तुब्भे देवाणुप्पिया तत्थवि उव्विग्गा वा जाव उस्सुया वा ॐ भवेज्जाह, तो णं तुब्भे अवरिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह, तत्थ णं दो ऊऊ साहीणा, तंजहा वसंते य गिम्हे य, “तत्थ उ सहकारचारुहारो किंसुय-कणियारा ऽसोगमउडो । ऊसिततिलग- बउलायवत्तो वसंतउऊ णरवती साहीणो" ||२०|| तत्थ य पाडलसिरीससलिलो मल्लियवासंतिय धवलवेलो । सीयलसुरभिनिलमगरचरिओ गिम्हउऊ सागरो साहीणो ॥२१|| तत्थ णं बहूसु जाव विहरेज्जाह । जति णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! तत्थ वि उव्विग्गा [वा] उस्सुया वा उप्पुया वा भवेज्जाह तओ णं तुब्भे जेणेव पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छेज्जाह, ममं पडिवालेमाणा पडिवालेमाणा चिट्ठज्जाह । मा णं तुब्भे दक्खिणिल्लं वणसंडं गच्छेज्जाह, तत्थ णं महं एगे उग्गविसे चंडविसे घोरविसे महाविसे अइकायमहाकाए, जहा तेयणिसग्गे, मसिमहिसमूसाकालए नयणविस-रोसपुण्णे अंजणपुंजनियरप्पगासे रत्तच्छे जमलजुयलचंचलचलंतजीहे धरणियलवेणिभूए उक्क रफुडकु डिलजडुलकक्खड वियडफडाडोवक रणदच्छे लोहागरधम्ममाणधमधमेतघोसे अणागलियचंडतिव्वरोसे समुहिं तुरियचवलं घमंते दिट्ठीविसे सप्पे परिवसति, मा णं तुब्भं सरीरगस्स वावती भविस्सइ । ते मागंदियदारए दोच्चं पि तच्चं पिएवं वदति, २त्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णति, २त्ता ताए उक्किट्ठाए लवणसमुदं तिसतखुत्तो अणुपरियट्टेउं पयत्ता यावि होत्था। ८२. तए णं ते मागंदियदारया तओ मुहुत्तंतरस्स पासायवडेंसए सई वा रतिं वा धिति वा अलभमाणा अण्णमण्णं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! रयणदीवदेवया अम्हे एवं वदासी एवं खलु अहं सक्कवयणसंदेसेणं सुट्ठिएणं लवणाहिवइणा जाव वावत्ती भविस्सइ, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! पुरथिमिल्लं वणसंडं गमित्तए, अण्णमण्णस्स एयमढे पडिसुणेति, २ जेणेव पुरथिमिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता तत्थ णं वावीसु य जाव आलीघरएसु य जाव अभिरममणा विहरंति । तते णं ते मागंदियदारया तत्थ वि सतिं वा जाव [अलभमाणा ] उत्तरिल्ले वणसंडे तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता तत्थ णं वावीसु य जाव आलीघरएसु य० विहरंति । तते णं ते मागंदियदारगा तत्थ वि सतिं वा जाव अलभमाणा जेणेव पच्चथिमिले वणसंडे तेणेव उवागच्छंति, २ जाव विहरति । तते णं ते मागंदियदारया म तत्थ वि सतिं वा जाव अलभमाणा अण्णमण्णं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे रयणदीपदेवता एवं वयासी-एवं खलु अम्हे (अहं) देवाणुप्पिया ! सक्कस्स वयणसंदेसेणं सुट्ठिएण लवणाहिवइणा जाव मा णं तुब्भं सरीरगस्स वावत्ती भविस्सति । तं भवियव्वं एत्थ कारणेणं । तं सेयं खलु अम्हं दक्खिणिल्लं वणसंडं गमित्तए त्ति कट्ट अण्णमण्णस्स एतमट्ठ पडिसुणेति, २ त्ता जेणेव दक्खिणिल्ले वणसंडे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। ततो णं गंधे निद्धाति से जहा नाम ए अहिमडे ति 4 जाव अणिद्वैतराए चेव तते णं ते मागंदियदारया तेणं असुभेणं गंधेणं अभिभूया समाणा सएहिं सएहिं उत्तरिजेहिं आसातिं पिहेति, २त्ता जेणेव दक्खिणिल्ले वणसंडे तेणेव उवागया । तत्थ णं महं एगं आघतणं पासंति अट्ठियरासिसतसंकुलं भीमदरिसणिज्जं, एगं च तत्थ सूलाइतयं पुरिसं कलुणाति कट्ठातिं विस्सरातिं कूवमाणं पासंति, २त्ता भीता जाव संजातभया जेणेव से सूलातियए पुरिसे तेणेव उवागच्छंति, २त्ता तं सूलाइयं पुरिसं एवं वदासी एस णं देवाणुप्पिया ! कस्साघयणे, ter:05555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजषा ६४७ 555555555555555555555555ORE 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRO:05555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. म. ९ अ. मायंदी 5 55555555555OOK 45555OOK तुमं च णं के कओ वा इहं हव्वमागए, केण वा इमेयारूवं आवतिं पाविए ? तते णं से सुलातियए पुरिसे ते मागंदियदारगे एवं वदासी एस णं देवाणुप्पिया ! रयणदीवदेवयाए आघयणे, अहं चणं देवाणुप्पिया। जंबुद्दीवाओ दीवाओ भारहाओ वासाओ कागंदए आसवाणियए विपुलं पणिय मायाए पोतवहणेणं लवणसमुदं ओयाए। तते णं अहं पोयवहणविवत्तीए निब्बुड्डमंडसारे एग फलगखंडं आसाएमि। तते णं अहं ओवुज्झमाणे २ रयणदीवं तेणं संवूढे तते णं सा रयणदीवदेवया मम ओहिणा] पासइ, २त्ता ममं गेण्हइ, २ मए सद्धिं विपुलाति भोगभोगाति भुंजमाणी विहरति । तते णं सा रयणदीवदेवया अण्णदा कयाइ अहालहुसगंसि अवराहसि परिकुविया समाणी ममं एतारूवं आवतिं पावेति, तं ण णज्जति णं देवाणुप्पिया ! तुम्भं पि इमेसिं सरीरगाणं का मण्णे आवती भविस्सइ ति । तते णं ते मागंदियदारया ॐ तस्स सूलाइयस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्मा बलियतरं भीता जाव संजायभया सूलाइतयं पुरिसं एवं वदासी कहणणं देवाणुप्पिया ! अम्हे रतणदीवदेवताए हत्थाओ साहत्थिं णित्थरिज्जामो? तते णं से सूलाइयए पुरिसे ते मागंदियदारए एवं वदासी एस णं देवाणुप्पिया ! पुरथिमिल्ले वणसंडे सेलगस्स जक्खस्स जक्खाययणे है सेलए नाम आसरूवधारी जक्खे परिवसति । तए णं से सेलए जक्खे चाउद्दसट्ठमुट्ठिपुण्णमासिणीसु आगयसमए पत्तसमये महया २ सद्देणं एवंवदति के तारयामि, के पालयामि ? तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! पुरथिमिल्लं वणसंडं सेलगस्स जक्खस्स महरिहं पुप्फच्चणियं करेह, २ त्ता जण्णुपायवडिया पंजलिउडा विणएणं पज्जुवासमाणा चिट्ठह, २ जाहेणं से सेलए जक्खे आगतसमए पत्तसमए एवं वदेज्जा कं तारयामि, कं पालयामि ? ताहे तुब्भे एवं वदह अम्हे तारयाहि, अम्हे पालयाहि । सेलए भे जक्खे परं रयणदीवदेवयाए हत्थाओ साहत्थिं णित्थारेज्जा, अण्णहा भे न याणामि इमेसिं सरीरगाणं का मण्णे आवती भविस्सइ ? ८३. तते णं ते मागंदियदारया तस्स सूलाइयस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्मा सिग्धं चंडं चपलं तुरियं वेइयं जेणेव पुरथिमिल्ले वणसंडे जेणेव पोक्खरिणी तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता पोक्खरिणिं ओगाहेति, २त्ता जलमज्जणं करेंति, २ जाई तत्थ उप्पलाइं जाव गेण्हंति, २ त्ता जेणेव सेलगस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छंति, २त्ता आलोए पणामं करेति, २त्ता महरिहं पुप्फच्चणियं करेंति, २ त्ता जण्णुपायवडिया सुस्सूसमाणा णमंसमाणा पज्जुवासंति । तते णं से सेलए जक्खे आगतसमए पतसमए एवं वदासी के तारयामि, कं पालयामि ? तते णं ते मागंदियदारया उठाए उट्टेति, [२त्ता करयल परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट] एवं वदासी अम्हे तारयाहि, अम्हे पालयाहि ! तए णं से सेलए जक्खे ते मागंदियदारए एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुब्भं मए सद्धिं लवणसमुई मज्झमज्झेणं वीइवयमाणाणं सा रयणदीवदेवया पावा चंडा रुद्दा खुद्दा साहस्सिया बहूहिं खरएहि य मउहि य अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य सिंगारेहि य कलुणेहि य उवसग्गेहि य उवसरगं करेहिति, तं जति णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! रयणदीवदेवयाए एतमढे आढाह वा, परियाणह वा, अवयक्खह वा, तो भे अहं पट्ठातो विधुणामि, अहणं तुब्भे रयणदीवदेवयाए एतमढें णो आढाह, णो परियाणह, णो अवयक्खह, तो भे रयणदीवदेवयाहत्थातो साहत्यिं णित्यारेमि । तए णं ते मागंदियदारया सेलगं जक्खं एवं वदासी जण्णं देवाणुप्पिया वइस्संति तस्स णं उववायवयणणिद्देसे चिट्ठिस्सामो । तते णं से सेलए जक्खे उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवक्कमति, [२ ता] वे उब्वियसमुग्घाएणं समोहण्णति, २ त्ता संखेज्जाति जोयणाई दंडं निसिरइ, दोच्चं पि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णति, २त्ता एगं महं आसरूवं विउव्वइ, २ त्ता ते मागंदियदारए एवं वदासी हं भो मागंदियदारगा ! आरूह णं देवाणुप्पिया ! मम पटुंसि । तते णं ते मागंदियदारया [हट्ट तुट्ठा सेलगस्स जक्खस्स पणामं करेति, २ सेलगस्स पटुं दुरूढा । तते णं से सेलए ते मागंदियदारए दुरूढे जाणिता सत्तहतलप्पमाणमेत्तातिं उर्दु वेहासं उप्पयति, २ ताए उक्किट्ठाए तुरियाए देवगईए लवणसमुई मज्झंमज्झेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे, जेणेव भारहे, जेणेव चंपा नयरी, तेणेव पहारेत्थ गमणाए। ८४. तते णं सा रयणदीवदेवया लवणसमुदं तिसतखुत्तो अणुपरियट्टति, जं तत्थ तणं वा जाव एडेति, २ त्ता जेणेव पासायवडेंसए तेणेव उवागच्छति, २ ता ते मागंदियदारए पासायवडेंसए अपासमाणी जेणेव पुरथिमिल्ले वणसंडे जाव सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं करेति, २ तेसिं मागंदियदारगाणं कत्थइ सुतिं वा खुइं वा पउत्तिं वा अलभमाणी जेणेव उत्तरिल्ले एवं चेव पच्चत्थिमिल्ले वि जाव अपासमाणी ओहिं पउंजति, २ ते मागंदियदारए सेलएणं सद्धिं लवणसमुदं मज्झमज्झेणं वीतिवयमाणे २ पासति. २ काफ 955555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा ६४८55555555555555555555555555OR LOK055555555555555555555555555555555555555555555555555IOR Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. / ९ अ. मायंदी [ ५९ ] आसुरुता असिखेडगं गेण्हर्ति, २ सत्तट्ठ जाव उप्पयति, २ त्ता ताए उक्किट्ठाए [देवगतीए ] जेणेव मार्गदियदारगा तेणेव उवागच्छति, २ एवं वदासी हं भो मागंदियदारगा अप्पत्थियपत्थिया किण्णं तुब्भे जाणह ममं विप्पजहाय सेलएणं जक्खेणं सद्धिं लवणसमुदं मज्झंमज्झेणं वीतिवयमाणा २ ? तं एवमवि गए जइ तुभे ममं अवयक्खह तोभे अत्थि जीवियं, अह णं णावयक्खह तो भे इमेणं नीलुप्पलदलगवल जाव एडेमि । तते णं ते मागंदियदारया रयणदीवदेवयाए अंतिए एयमहं सोच्चा णिसम्म अभीया अतत्था अणुव्विग्गा अक्खुभिया असंभंता रयणदीवदेवयाए एयमहं नो आढायंति, नो परियाणंति, जो अवयक्खंति, अणाढायमीणा अपरियाणमीणा अणवयक्खमीणा सेलएण जक्खेण सद्धिं लवणसमुद्धं मज्झं मज्झेणं वीतिवयंति। तते णं सा रयणदीवदेवयाए ते मागंदियदारगे जाहे नो संचा बहूहिं' [खरएहि य मउएहि य अणुलोमेहि य] पडिलोमेहि य उवसग्गेहि य चालित्तए वा खोभित्तए वा लोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे महुरेहि यसिंगारेहिय कलुणेहि य उवसग्गेहि य उवसग्गेउं पयत्ता यावि होत्था। हं भो मागंदियदारगा ! जातिं णं तुब्भेहिं देवाणुप्पिया ! मए सद्धिं हसियाणि य रमियाणि यलियाणि कीलयाणि य हिंडियाणि य मोहियाणि य ताइन्नं तुब्भे सव्वातिं अगणेमाणा ममं विप्पजहाय सेलएणं सद्धिं लवणसमुद्दं मज्झमज्झेणं वीतिवयह । तते णं सा रणदीवदेवया जिणरक्खियस्स मणं ओहिणा आभोएति, आभोएत्ता एवं वदासी णिच्चं पि य णं अहं जिणपालियस्स अणिट्ठा अकंता अप्पिया अमणुण्णा अमणामा, निच्चं मम जिणपालिए अणिट्टे अकंते अप्पिए अमणुण्णे अमणामे, निच्चं पि य णं अहं जिणरक्खियस्स इट्ठा कंता पिया मणुम्मा मणामा, निच्वं पि य णं ममं जिणरक्खिए इट्ठे कंते पिए मणुम्मे मणामे । जति णं ममं जिणपालिए रोयमाणि कंदमाणि सोयमाणिं तिप्पमाणिं विलवमाणिं णावयक्खति, किण्णं तुमं जिणरक्खिया ! ममं रोयमाणि जाव णावयक्खसि ? तते णं सा पवररयणदीवस्स देवया ओहिणा उ जिणरक्खियस्स । नाऊण वधनिमित्तं उवरिं मागंदियदारगाणं दोपहंपि || १ ||२२|| दोसकलिया सललियं णाणाविहचुण्णवासमीसं दिव्वं । घाणमणनिव्वुइकरं सव्वोउयसुरभिकुसुमवुद्धिं पहुंचमाणी ||२||२३|| णाणामणि - कणग- रयणघंटिया• खिखिणि-उर- मेहलभूसणरवेणं । दिसाओ विदिसाओ पूरयंती वयणमिणं बेति सा सकलुसा ||३||२४|| हाल वसुल गोल णाह दइत पिय रमण कंत सामिय णिग्घिण णित्थक्क । थिण्ण णिक्किव अकयण्णुय सिढिलभाव निल्लज्ज लुक्ख अकलुण जिणरक्खिय मज्झं हिययरक्खग ! || ४ ||२५|| ण हु जुज्जसि एक्कियं अणाहं अबंधवं तुज्झ चलणओवायकारियं उज्झिउमधण्णं । गुणसंकर ! हं तुमे विहूणा ण समत्था जीवितं खणं पि || ५ ||२६|| इमस्स उ अणेगझस-मगरविविधसावयसयाउलघरस्स । रयणागरस्स मज्झे अप्पाणं वहेमि तुज्झ पुरओ एहि णियत्ताहि जब सि कुवितो खमाहि एक्कावराहं मे ||६||२७|| तुझं य विगयघणविमलससिमंडलागारसस्सिरीयं सारदनवकमल-कुमुद-कुवलयदलनिकरसरिसनिभनयणं । वयणं पिवासागयाए सद्धा मे पेच्छिउं जे अवलोएहि ता इओ मं णाह जा ते पेच्छामि वयणकमलं ||७||२८|| एवं सप्पणयसरलमहुरातिं पुणो पुणो कलुणाई वयणाति । जंपमाणी सा पावा मग्गओ समण्णेइ पावहि ||८||२९|| तते णं से जिणरक्खिए चलमणे तेण य भुसणरवेणं कण्णसुंमणहरेणं तेहि य सप्पणयसरलमहुरभणिएहिं संजायबिउणराए रयणदीवदेवयाए तीसे सुंदरथणजहण - वयण-कर-चरण- नयण- लावण्णरूव जोव्वणसिरिं च दिव्वं सरभसउवगूहियाइं विब्बोयविलसियाणि य विहसिय सकडक्खदिट्ठि निस्ससियमलिय-उवललिय-थिय-गमण-पणयखिज्जिय-पसादियाणि य सरमाणे रागमोहियमई अवसे कम्मवसगए अवयक्खति मग्गतो सविलियं । तते णं तं जिणरक्खियं सप्पन्नकणभावं मच्चुगलत्थल्लणोल्लियमहं अवयक्खंतं तहेव जक्खे उ सेलए जाणिऊण सणियं सणियं उव्विहति नियगपट्टाहि विगयसङ्के । तते णं सा रयणदीवदेवया निस्संसा कलुणं जिणरक्खियं सकलुसा सेलगपट्ठाहि ओवयंतं दास ! मओ सि त्ति जंपमाणी अप्पत्तं सागरसलिलं गेण्हिय बाहाहिं आरसंतं उड्ड उव्विहति अंबरतले, ओवयमाणं च मंडलग्गेण पडिच्छित्ता नीलुप्पलगवलअयसिप्पगासेण असिवरेण खंडाखंडि करेति, २ त्ता तत्थेव विलवमाणं तस्स य सरसवाहियस्स घेत्तूण अंगमंगातिं सरुहिराई उक्खित्तबलिं चउद्दिसिं करेति सा पंजली पहट्ठा। ८५. एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथाणं वा निग्गंधीण वा अंतिए पव्वतिए समाणे पुणरवि माणुस्सए कामभोगे आसयति पत्थयति पीहेति अभिलसति से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं ४ जाव संसारं अणुपरियट्टिस्सति, श्री आगमगणमनपा ६०० THE WET WELLE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LT YO Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राणानापपाण्. पापमा गण h hhhhhhhhhiHORORS CF乐乐555听听听听听听听听听听 乐555$$$$$$$$$$乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 जहा वा से जिणरक्खिए । छलिओ अवयक्खंतो निरावयक्खो गओ अविग्घेणं । तम्हा पवयणसारे निरवयक्खेण भवियव्वं ॥३०|| भोगे अवयक्खंता पडंति संसारसागरे घोरे। भोगेहिं निरवयक्खा तरंति संसारकंतारं ॥३१।। ८६. तते णं सा रयणदीवदेवया जेणेव जिणपालिए तेणेव उवागच्छति, २त्ता बहूहिं अणुलोमेहि य पडिलोमेहि य वरमयसिंगारेहिं य कल्लुणेहि य उवसग्गेहि य जाहे नो संचाएइ चालित्तए वा खोभित्तए वा विप्परिणामेत्तए वा ताहे संता तंता परितंता निविण्णा समाणा जामेव दिसं नाउब्भूता तामेव दिसं पडिगया। तते णं से सेलए जक्खे जिणपालिएण सद्धिं लवणसमुदं मज्झमज्झेणं वीतिवयति, जेणेव चंपानगरी तेणेव उवागच्छति, २त्ता चपाए नयरीए अग्गुज्जाणंसि जिणपालियं पट्टातो ओयारेति, २त्ता एवं वदासी एस णं देवाणुप्पिया ! चंपानयरी दीसति त्ति कट्ट जिणपालियं आपुच्छति, २ जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए। ८७. तते णं जिणपालिए चंपं अणुपविसति, २ जेणेव सए गिहे जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ,२ अम्मापिऊणं रोयमाणे जाव विलवमाणे जिणरक्खियवावत्तिं निवेदेति । तते णं जिणपालिए अम्मापियरो य मित्त-णाति जाव परिजणेण सद्धिं रोयमाणातिं बहूइं लोइयाइं मयकिच्चाई करेंति, २त्ता कालेणं विगतसोगा जाया। तते णं जिणपालियं अन्नया कयाइ सुहासणवरगतं अम्मापियरो एवं वदासी कहण्णं पुत्ता। जिणरक्खिए कालगते ? तते णं से जिणपालिए अम्मापिऊणं लवणसमुद्दोत्तारं च कालियवायसंमुच्छणं च पोतवहणविवत्तिं च फलहखंडआसातणं च रयणदीवुत्तारं च रयणदीवदेवयागेण्हणं च भोगविभुइं च रयणदीवदेवयाअप्पाहणं च सूलाइपुरिसदरिसणं च सेलगजक्खआरुहणं च रयणदीवदेवयाउवसगं च जिणरक्खियविवत्तिं च लवणसमुद्दउत्तरणं च चंपागमणं च सेलगजक्खआपुच्छणं च जहाभूतमवितहमसंदिद्धं परिकहेति । तते णं से जिणपालिए जाव अप्पसोगे जाव विपुलातिं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरति । ८८. ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे समोसढे, जिणपालिए] धम्म सोच्चा पव्वतिए, एक्कारसंगवी, मासिएणं [भत्तेणं अपाणएणं कालमासे कालं किच्चा] सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववन्ने,] दो सागरोवमाइं [ठिई, महाविदेहे सिज्झिहिति, एवामेव समणाउसो ! जाव माणुस्सए कामभोए णो पुणरवि आसयइ पत्थयति पीहेति अभिलसति से णं जाव वीतिवतिस्सति, जहा वा से जिणपालिए। एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं नवमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि ॥ नवमं अज्झयणं सम्मत्तं ॥ दसमं अज्झयणं 'चंदिमा' ८९. जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं नवमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते दसमस्स णं णायज्झयणस्स के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे नयरे गोयमे एवं वदासी कहण्णं भंते ! जीवा वडंति वा हायति वा ? गोयमा ! से जहा नामए बहुलपक्खस्स पाडिवयाचंदे पुण्णिमाचंदं पणिहाय हीणे वण्णेणं, हीणे सोम्मयाए, हीणे निद्धयाए, हीणे कंतीए, एवं दित्तीए जुत्तीए छायाए पभाए ओयाए लेस्साए मंडलेणं, तयाणंतरं च णं बीयाचंदे पाडिवयं चंदं पणिहाय हीणतराए वण्णेणं जाव मंडलेणं, तयाणंतरं च णं ततियाचंदे बितियाचंदं पणिहाय हीणतराए वण्णेणं जाव मंडलेणं, एवं खलु एएणं कमेणं परिहायमाणे २ जाव अमावसाचंदे चाउद्दसिचंदं पणिहाय नढे वण्णेणं जाव नढे मंडलेणं, एवामेव समणाउसो जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव पव्वइए समाणे हीणे खंतीए एवं मुत्तीए गुत्तीए अज्जवेणं मद्दवेणं लाघवेणं सच्चेणं तवेणं चियाए अकिंचणयाए बंभचेरवासेणं, तयाणंतरं च णं हीणतराए खंतीए जाव हीणतराए बंभचेरवासेणं, एवं खलु एएणं कमेणं परिहायमाणे २ णढे खंतीए जाव णटे बंभचेरवासेणं । से जहा वा सुक्कपक्खस्स पाडिवयाचंदे अमावसाचंदं पणिहाय अहिए वण्णणं जाव अहिए मंडलेणं, तयाणंतरं चणं बिझ्याचंदे पाडिवयाचंदं पणिहाय अहिययराए वण्णेणंजाव अहियतराए मंडलेणं, एवं खलु एएणं कमेणं परिवड्डेमाणे २ जाव पुण्णिमाचंदे चाउद्दसिचंदं पणिहाय पडिपुण्णे वण्णेणं जाव पडिपुण्णे मंडलेणं, एवामेव समणाउसो । जाव पव्वतिए समाणे अहिए खंतीए जाव बंभचेरवासेणं, तयाणंतरं च णं अहिययराए खंतीए जाव बंभचेरवासेणं, एवं खलु एएणं कमेणं परिवड्डेमाणे २ जाव पडिपुण्णे बंभचेरवासेणं । एवं खलु जीवा वटुंति वा हायंति वा । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता महावीरेणं दसमस्सणायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि। दिसमं नायज्झयणं सम्मत्तं ॥ एक्कारसं अज्झयणं दावद्दवे' 听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明听听听听听听乐Q AGROFF$$$$ Re:5 55555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६५०55555555555555555555555OOR Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. / ११ अ. दावद्दवे / १२ अ. उदगे (६१] ९०. जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं दसमस्स णायज्झणस्स अयमट्ठे पण्णते, एक्कारसमस्स णं णायज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे गोयमे एवं वदासी कहण्णं भंते! जीवा आराहगा वा विराहगा वा भवंति ? गोयमा ! से जहा णामए एगंसि समुद्दकूलंसि दावद्दवा नाम रुक्खा पण्णत्ता किण्हा जाव निउसंबभृया पत्तिया पुप्फिया फलिया हरियगरेरिज्जमाणा सिरीए अतीव २ उवसोभेमाणा २ चिह्नंति । जया णं दीविच्चगा ईसिं पुरेवाया पच्छा वाया मंदा वाया महावाया वायंति तदा णं बहवे दावदवा रुक्खा पत्तिया जाव चिट्ठति, अप्पेगतिया दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा परिसडियपंडुपत्तपुप्फफला सुक्करुक्खओ विव मिलायमाणा २ चिह्नंति, एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव पव्वतिते समाणे बहूणं समणाणं ४ सम्म सहति जा सेति, बहू अण्णउत्थियाणं बहूणं निहत्थाणं नो सम्मं सहति जाव नो अहियासेति, एस णं मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते समणाउसो ! जया णं सामुद्दगा ईसि पुरेवाया पच्छा वाया मंदा वाया महावाया वायंति तदा णं बहवे दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा जाव मिलायमाणा २ चिट्ठति, अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा पत्तिया पुप्फिया फलिया जाव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति, एवामेव समणाउसो !! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा पव्वतिए समाणे बहूणं अण्णउत्थिय-गिहत्थाणं सम्म सहति [जाव अहियासेति, ] बहूणं समणाणं ४ नो सम्मं सहति [जाव नो अहियासेति, ] एस णं मए पुरिसे देसाराहए पन्नत्ते । समणाउसो ! जया णं नो दीविच्चगा णो सामुद्दगा ईसि पुरेवाया पच्छा वाया जाव महावाया वायंति तदा णं सव्वे दावद्दवा रुक्खा जुण्णा झोडा [परिसडियपंडुपत्त- पुप्फ-फला सुक्करुक्खओ विव मिलायमाणा २ चिट्ठति,] एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वतिए समाणे बहूणं समणाणं ४ बहूणं अन्नउत्थिय - गिहत्थाणं नो सम्मं सहति [जाव नो अहियासेति, ] एस णं मए पुरिसे सव्वविराहए पण्णत्ते समणाउसो ! जया णं दीविच्चगा वि सामुद्दगा वि ईसिं [पुरेवाया] पच्छा वाया जाव वायंति तदा णं सव्वे दावाद्दवा रुक्खा पत्तिया जाव चिट्ठति, एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं पव्वतिए समाणे बहूणं समणाणं ४ बहूणं अन्नउत्थिय - गिहत्थाणं सम्मं सहति [जाव अहियासेति, ] एस णं मए पुरिसे सव्वाराहए पण्णत्ते । एवं खलु गोयमा ! जीवा आराहगा वा विराहगा वा भवंति । एवं खलु जंबू ! समणेण भगवता महावीरेण एक्कारसमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते बेमि। 555 | एक्कारसमं णायज्झयणं सम्मत्तं ॥ बारसमं अज्झयणं 'उदगे' फफ ९१. जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं एक्कारसमस्स नायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, बारसमस्स णं नायज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं चंपा नाम नयरी, पुण्णभद्दे चेइए, जितसत्तू राया, धारिणी देवी, अदीणसत्तू नामं कुमारे जुवराया यावि होत्था । सुबुद्धी अमच्चे जाव रज्जधुराचिंतए समणोवासए । तीसे चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए एत्थ णं एगे फरिहोदए यावि होत्था, मेय-वसा मंस - रुहिर-पूयपंडलपोच्चडे मयगकलेवरसंछण्णे अमण्णुणे व जाव अमणुण्णे फासेणं, से जहा नामए अहिमडे ति वा गोमडे ति वा जाव मय - कुहिय - विणट्ठ किमिण वावण्ण- दुरभिगंधे किमिजालाउले संसत्ते असुइविगयबीभत्थदरिसणिज्जे भवे एयारूवे सिया ? णो इणट्ठे समट्ठे, एत्तो अणिट्टतराए चेव जाव गंधेणं पण्णत्ते । ९२. तते णं से जितसत्तू राया अण्णदा कयाइ हाए कयबलिकम्मे जाव अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे बहूहिं ईसर जाव सत्थवाहप्पभितीहिं सद्धिं भोयणमंडवंसि भोयणवेलाए सुहासणवरगए विपुलं असणं ४ जाव विहरति, जिमितभुत्तुत्तरागए जाव सुइभूते तंसि विपुलंसि असण ४ जायविम्हए ते बहवे ईसर जाव पभिती एवं वयासी अहो णं देवाणुप्पिया ! इमे मणुणे असण-पाण-खाइम-साइमे वण्णेणं उववेए जाव फासेणं उववेए आसायणिज्जे वीसायणिज्जे पीणणिज्जे दीवणिज्जे दप्पणिज्जे मयणिज्जे बिंहणिज्जे सव्विंदियगायपल्हायणिज्जे । तते णं ते बहवे ईसर जाव सत्थवाहप्पभियओ जितसत्तुं एवं वदासी तहेव णं सामी ! जण्णं तुब्भे वदह 'अहो णं इमे मणुणे असण- पाण- खाइम - साइमे वण्णेणं उववेए जाव पल्हायणिज्जे' । तते णं जितसत्तू सुबुद्धिं अमच्चं एवं वदासी अहो णं देवाणुप्पिया सुबुद्धी ! इमे मणुण्णे असणपाणखाइम साइमे जाव पल्हायणिज्जे । तए णं सुबुद्धी जितसत्तुस्सेयमहं नो आढाइ जाव तुसिणीए संचिट्ठति । तते णं जितसत्तू सुबुद्धिं दोच्चं पि तच्चं पि एवं श्री आगमगुणमंजूषा - ६५१ Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ W ROTO5555555555555 (क) णायाधम्मकहाओ प. स. /१२ अ. उदगे श5 5 555555FOOTOS वयासी अहो णं सुबुद्धी ! इमे मणुण्णे, तं चेव जाव पल्हायणिज्जे । तए णं से सुबुद्धी अमच्चे जितसुत्तणा रण्णा दोच्चं पि एवं वुत्ते समाणे जितसत्तुं रायं एवं वदासी नो खलु सामी! अम्हं एयंसि मणुण्णंसि असण-पाण-खाइम-साइमंसि केइ विम्हए, एवं खलु स मी ! सुब्भिसद्द वि पोग्गला दुब्भिसहत्ताए परिणमंति, दुब्भिसद्दा वि पोगल्ला सुन्भिसद्दत्ताए परिणमंति, सुरूवा वि पोग्गला दुरूवत्ताए परिणमंति, दुरूवा वि पोग्गला सुरूवत्ताए परिणमंति, सुब्भिगंधा वि पोग्गला दुब्भिगंधत्ताए परिणमंति, दुब्भिगंधा वि पोग्गला सुब्भिगंधत्ताए परिणमंति, सुरसा वि पोग्गला दुरसत्ताए परिणमंति, दुरसा वि पोग्गला सुरसत्ताए परिणमंति, सुहफासा वि पोग्गला दुहफासत्ताए परिणमंति, दुहफासा वि पोग्गला सुहफासत्ताए परिणमंति । पओग-वीससापरिणया वि य णं सामी ! पोग्गला पण्णत्ता । तते णं से जितसत्तू सुबुद्धिस्स अमच्चस्स एवमातिक्खमाणस्स एवं भासमाणस्स एवं पण्णवेमाणस्स एवं परूवेमाणस्स एतमढें नो आढाति, नो परियाणाइ, तुसिणीए संचिट्ठइ। तएणं से जितसत्तू अन्नया कयाइण्हाए आसखंधवरगते मयाभडचडगर० आसवाहणियाए निज्जायमाणे तस्स फरिहोदगस्स अदूरससामंतेणं वीतीवयइ, ॐ तते णं जितसत्तू तस्स फरिहोदगस्स असुभेणं गंधेणं अभिभूते समाणे सएणं उत्तरिज्जगेणं आसगं पिहेति, २ त्ता एगंतं अवक्कमति, २ त्ता ते बहवे ईसर जाव पभितओ एवं वदासी अहोणं देवाणुप्पिया ! इमे फरिहोदए अमणुण्णे वण्णेणं ४, से जहा नामए अहिमडे ति वा जाव अमणामतराए चेव गंधे [f] पण्णत्ते । तए. णं ते बहवे ईसर जाव पभितयो एवं वदासी तहेव णं तं सामी ! जंतं णं तुब्भे एवं वयह 'अहोणं इमे फरिहोदए अमणुण्णे वण्णेणं ४ से जहा णामए अहिमडे इ वा जाव अमणामतराए चेव गंधे [f] पण्णत्ते।' तए णं से जियसत्तू सुबुद्धिं अमच्चं एवं वदासी अहो णं सुबुद्धी ! इमे फरिहोदए अमणुण्णे वण्णेणं ४, से जहा नामए अहिमडे इ वा जाव अमणामतराए चेव [गंधेणं पण्णत्ते] । तए णं से सुबुद्धि अमच्चे जियसत्तुणा रन्ना एवं वुत्ते समाणे नो आढाइ, नो परियाणाइ जाव तुसिणीए संचिट्ठइ। तए णं से जियसत्तू राया सुबुद्धिं अमच्चं दोच्च पि तच्वं पि एवं वदासी अहो णं तं चेव । तए णं से सुबुद्धी अमच्चे जियसत्तुणा रन्ना दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे एवं वदासी नो खलु सामी ! अम्हं एयंसि फरिहोदगंसि केइ विम्हए। एवं खलु सामी ! सुन्मिसद्दा वि पोग्गला दुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति, तं चेव जाव पओग-वीससा-परिणया वि य णं सामी ! पोग्गला पण्णत्ता । तते णं जितसत्तू सुबुद्धिं एवं वयासी माणं तुम देवाणुप्पिया! अप्पाणं च परं च तदुभयं च बहूहिं य असब्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिणिवेसेण य वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहराहि । तते णं सुबुद्धिस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था अहोणं जितसत्तू संते तच्चे तहिए अवितहे सब्भूते जिणपण्णत्ते भावे णो उवलभति, तं सेयं खलु मम जितसत्तुस्स रण्णो संताणं तच्चाणं तहियाणं अवितहाणं सब्भूताणं जिणपण्णत्ताणं भावाणं अभिगमणट्ठयाए एयमट्ठ उवाइणावेत्तए। एवं संपेहेति, २त्ता पच्चतिएहिं पुरिसेहिं सद्धिं अंतरावणाओ नवए घडए पडए य गेण्हति, २ त्ता संझाकालसंमयंसि पविरलमणुस्संसि णिसंतपडिनिसंतसि जेणेव फरिहोदए तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता तं फरिहोदगं गेण्हावेति, २ त्ता नवएसु घडएसु गालावेति, २ नवएसुघडएसु पक्खिवावेति, २ सज्जाखारं पक्खिवावेति, २त्ता लंछियमुद्दिते कारावेति, २ त्ता सत्तरत्तं परिवसावेति, २त्ता दोच्चं पि नवएसु घडएसुगालावेति, २ नवएसु घडएसु पक्खिवावेति, २त्ता सज्जखारं पक्खिवावेइ, २त्ता लंछियमुद्दिते कारावेति, २त्ता सत्तरत्तं परिवसावेति, २त्ता तच्चं पि नवएसु घडएसु जाव संवसावेति । एवं खलु एएणं उवाएणं अंतरा गालावेमाणे अंतरा पक्खिवावेमाणे अंतरा संवसावेमाणे २ सत्त सत्तए रातिदियाइं परिवसावेति । तते णं से फरिहोदए सत्तमसत्तयंसि परिणममाणंसि उदगरयणे जाए यावि होत्था अच्छे पच्छे जच्चे तणुए फालियवण्णाभे वण्णेणं उववेते ४ आसायणिज्जे जाव सव्विदियगायपल्हायणिज्जे । तते णं सुबुद्धी अमच्चे जेणेव से उदगरतणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयलंसि आसादेति, २ तं उदगरतणं वण्णेणं उववेयं ४ म आसायणिज्जं जाव सव्विदियगायपल्हायणिज्जं जाणित्ता अट्ठतुढे बहूहिं उदगसंभारणिज्जेहिं दव्वेहिं संभारेति, २ ता जितसत्तुस्स रण्णो पाणियघरियं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वदासी तुम णं देवाणुप्पिया ! इमं उदगरतणं गेण्हाहि, २ जितसत्तुस्स रण्णो भोयणवेलाए उवणेज्जासि । तते णं से पाणियघरिए सुबुद्धिस्स एतमढें र पडिसुणेति, २तं उदगरतणं गेण्हति, २ जितसत्तुस्स रण्णो भोयणवेलाए उवट्ठवेति । तते णं से जितसत्तू राया तं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं आसाएमाणे XOR 5 555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६५२ $ $$$$$$$$$$$$O2ORK O SSSSS$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$%$$$$$$ 09年听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 $$$$$$$$$$$$ $$$ Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROHO$$$$$$$55555555f (६) णायाधम्मकहाओ प. स. १२ अ. उदगे (६३] 5 99$exoy Mero55555 明明明明明明明 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明 明明明明明明明明明明明 2वीसाएमाणे जाव विहरति, जिमियभुत्तुत्तरागते वि य णं जाव परमसुइभूए तंसि उदगरयणंसि जायविम्हए ते बहवे ईसर जाव एवं वदासी अहो णं देवाणुप्पिया! इमे उदगरयणे अच्छे जाव सव्विदियगायपल्हायणिज्जे । तते णं ते बहवे ईसर जाव एवं वदासी तहेव णं सामी ! जण्णं तुब्भे वदह जाव तं चेव पल्हायणिज्जे । तते णं जितसत्तू राया पाणियपरियं सद्दावेति, २ ता एवं वदासी एस णं तुमे देवाणुप्पिया ! उदगरतणे कतो आसादिते ? तते णं से पाणियघरिए जितसत्तुं एवं वदासी एस णं सामी ! मए उदगरयणे सुबुद्धिस्स अंतियाओ आसादिते । तते णं जितसत्तू सुबुद्धिं अमच्चं सद्दावेति, २त्ता एवं वदासी अहोणं केणइ कारणेणं सुबुद्धी ! अहं तव अणिढे अकंते अप्पिए अमणुण्णे अमणामे जेणं तुम मम कल्लाकल्लिं भोयणवेलाए इमं उदगरतणं न उवठ्ठवेसि ? तं एस णं तुमे देवाणुप्पिया! उदगरतणे कओ उवलद्धे ? तते णं से सुबुद्धी जितसत्तुं एवं वदासी एस णं सामी ! से फरिहोदए। तते णं से जितसत्तू सुबुद्धिं एवं वदासी-केणं कारणेणं सुबुद्धी ! एस से फरिहोदए ? तते णं सुबुद्धी जितसत्तुं एवं वदासी एवं खलु सामी ! तुब्भे तया मम एवमातिक्खमाणस्स एवं भासमाणस्स एवं पण्णवेमाणस्स एवं परूवेमाणस्स एतमढें णो सहहह, णो पत्तियह, णो रोयह, ततोणं मम इमेयारूवे अज्झत्थिते चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - अहोणं जितसत्तू संते जाव भावे नो सद्दहति, नो पत्तियति, नो रोएति, तं सेयं खलु मम जियसत्तुस्स रण्णो संताणं जाव सब्भूताणं जिणपण्णत्ताणं भावाणं अभिगमणट्ठयाए एतमढे उवाइणावेत्तए । एवं संपेहेमि, २ तं चेव जाव पाणियघरियं सद्दावेमि, २ एवं वदामि तुम णं देवाणुप्पिया ! उदगरतणं जितसत्तुस्स रण्णो भोयणवेलाए उवणेहि । तं एतेणं कारणेणं सामी ! एस से फरिहोदए। तते णं से जितसत्तू राया सुबुद्धिस्स अमवस्स एवमातिक्खमाणस्स एवं भासमाणस्स एवं पण्णवेमाणस्स एवं परूवेमाणस्स एतमलु नो म सद्दहति, नो पत्तियति, नो रोएति, असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे अन्भितरट्ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेति, २ एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! अंतरावणातो नवए घडए पडए य गिण्हह, २ जाव उदगसंभारणिज्जेहिं दव्वेहिं संभारेह । ते वि तहेव संभारेति, २ जितसत्तुस्स उवणेति, तते णं से जितसत्तू राया तं उदगरयणं करयलंसि आसाएति, २त्ता आसातणिज्जं जाव सविदियगायपल्हायतणिज्जं जाणित्ता सुबुद्धिं अमच्चं सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी सुबुद्धी ! एए णं तुमे संता तच्चा जाव सब्भूया भावा कतो उवलद्धा ? तते णं सुबुद्धी जितसत्तुं एवं वदासी एए णं सामी! मए संता जाव भावा जिणवयणातो उवलद्धा । तते णं जितसत्तू सुबुद्धिं एवं वदासि तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तव अंतिए जिणवयणं निसामेत्तए। तते णं सुबुद्धी जितसत्तुस्स विचित्तं केवलिपण्णत्तं चाउज्जामं धम्म परिकहेति, तमाइक्खति जहा जीवा बझंति जाव पंच अणुव्वयाई [सत्त सिक्खवयाइं] । तते जितसत्तू णं सुबुद्धिस्स अंतिए धम्म सोच्चा णिसम्म हट्ठतुढे सुबुद्धिं अमच्चं एवं वदासी सद्दहामिणं देवाणुप्पिया ! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामिणं देवाणुप्पिया निग्गंथं पावयणं, रोएमिणं देवाणुप्पिया ! निग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुब्भे वयह । तं इच्छामि णं तव अंतिए पंचाणुव्वतियं सत्तसिक्खावतियं जाव उवसंपजित्ताणं विहरित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तए णं से जियसत्तू सुबुद्धिस्स अमच्चस्स अंतिए पंचाणुव्वइयं जाव दुवालसविहं धम्म पडिवज्जइ। ततेणं जितसत्तू समणोवासए जाते अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरति । ते णं काले णं ते णं समए णं थेरागमणं, जियसत्तू राया सुबुद्धी य निग्गच्छति, सुबुद्धी धम्म सोच्चा जं नवरं जितसत्तुं आपुच्छामि जाव पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! तते णं सुबुद्धी जेणेव जितसत्तू तेणेव उवागच्छति, २ ता एवं वदासी एवं खलु सामी ! मए थेराणं अंतिए धम्मे निसंते, से वि य धम्मे इच्छिए भ पडिच्छिए इच्छिय-पडिच्छिए । तए णं अहं सामी ! संसारभउव्विग्गे भीए जाव इच्छामि णं तुब्भेहिं अब्भणुन्नाए समाणे जाव पव्वइत्तए। तते णं जितसत्तू सुबुद्धिं एवं वदासी अच्छामु ताव देवाणुप्पिया ! कतिवयाति वासाति उरालाति जाव भुंजमाणा, ततो पच्छा एगयओ थेराणं अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वइस्सामो। तते णं सुबुद्धी जितसत्तुस्स एतमट्ठ पडिसुणेति। तते णं तस्स जितसत्तुस्स रण्णो सुबुद्धिणा सद्धिं विपुलाई माणुस्स जाव पच्चणुब्भवमाणस्स दुवालस वासाई वीतिवंताई। ते णं काले णं ते णं समए णं थेरागमणं, तते णं जितसत्तू धम्म सोच्चा एवं वयासी जं नवरं देवाणुप्पिया ! सुबुद्धिं अमच्चं आमंतेमि, जेट्टपुत्तं रज्जे ठवेमि, तए णं तुम्भं १ णं जाव पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! तते णं जितसत्तू जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, २त्ता सुबुद्धिं सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी एवं खलु मए थेराणंडा xoss55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६५३5555555555555555555555555670 556VOR Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGR0555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १२ अ. उदगे/१३ अ. दद्दुरे [६४] 555555555555555FOXO! Xeroti 乐听听听听听听听听听听听听听 NO295555555555555555555555555555 जाव पव्वामि, तुम णं किं करेसि ? तते णं सुबुद्धी जितसत्तुं एवं वदासी जाव के अन्ने आहारे वा जाव पव्वामि। तं जति णं देवाणुप्पिया ! जाव पव्वाहि, गच्छह णं देवाणुप्पिया ! जेट्टपुत्तं च कुडुंबे ठावेहि, २ त्ता सीयं दुरुहित्ताणं ममं अंतिए० सीया जाव पाउब्भवति । तते णं जितसत्तू कोडुबियपुरिसे सद्दावेति, २त्ता एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! अदीणसत्तुस्स कुमारस्य रायाभिसेयं उवट्ठवेह जाव अभिसिंचति जाव पव्वतिए । तते णं जितसत्तू एक्कारस अंगाई अहिज्जति, बहूणि वासाणिपरियाओ, मासियाए जाव सिद्धे । तते णं सुबुद्धी एक्कारस अंगाई अहिज्जति, बहूणि वासाणि परियाओ, मासियाए जाव सिद्धे । एवं खलु म जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं बारसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि 5 बारसमं णायज्झयणं सम्मत्तं तेरसमं अज्झयणं 'दद्दुरे ९३. जतिणं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं बारसमस्सणायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, तेरसमस्सणं भंते ! नायज्झयणस्स के अटे पण्णते? एवं ई खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे णामं नयरे होत्था, गुणसिलए चेतिए, समोसरणं, परिसा निग्गया। ते णं काले णं ते णं समए णं सोहम्मे कप्पे, दडुरवडिसए विमाणे, सभाए सुहम्माए, दडुरंसि सीहासणंसि, दद्दुरे देवे चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं, चउहिं अगमहिसीहिं सपरिसाहिं, एवं जहा सूरियाभो जाव दिव्वाति भोगभोगाइं जमाणे विहरइ । इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विपुलेणं ओहिणा आभोएमाणे २ जाव नट्टविहिं उवदंसित्ता पडिगते, जहा सूरियाभे। भंते ! त्ति भगवं गोतमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, २ एवं वदासी अहोणं भंते ! दद्दुरे देवे महिड्डिए महज्जुईए महब्बले महायसे महासोक्खे महाणुभागे। दडुरस्स णं भंते ! देवस्स सा दिव्वा देविड्डी ३ (सा दिव्वा सोविड्डी सा दिव्वा देवज्जुई, से दिव्वे देवाणुभागे) कहिं गया कहिं अणुपविट्ठा ? गोयमा ! सरीरं गया, सरीरं म अणुपविट्ठा, कूडागारदिट्ठतो । दहुरेणं भंते ! देवेणं सा दिव्वा देविड्डी ३ किणा लद्धा जाव अभिसमन्नागया ? एवं खलु गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे, भारहे वासे, रायगिहे [णयरे, गुणसिलए चेतिए, सेणिए राया। तत्थ णं रायगिहे णगरे णंदे णामं मणियारसेट्ठी अड्ढे दित्ते । ते णं काले णं ते णं समए णं अहं गोतमा ! समोसढे, परिसा णिग्गया, सेणिए राया निग्गए। तते णं से नंदे मणियारसेट्ठी इमीसे कहाए लद्धढे समाणे ण्हाए पायचारेणं जाव पज्जुवासति, णंदे धम्म सोच्चा समणोवासए जाते, तते णं हं रायगिहातो पडिनिक्खंते बहिया जणवयविहारं विहरामि । तते णं से णंदे मणियारसेट्ठी अन्नया कयाति असाधुदंसणेण य अपज्जुवासणआए य अणणुसासणताए य असुस्सूसणताए य सम्मत्तपज्जवेहिं परिहायमाणेहिं परिहायमाणेहि मिच्छत्तपज्जवेहिं परिवड्डमाणेहिं परिवड्डमाणेहिं मिच्छत्तं विप्पडिवन्ने जाते यावि होत्था। तते णं नंदे मणियारसेट्ठी अन्नया गिम्हकालसमयंसि जेट्ठामूलंसि मासंसि अट्ठमभत्तं परिगेण्हति, २त्ता पोसहसालाए जाव विहरति । तते णं णंदस्स अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि तण्हाए छुहाए य अभिभूतस्स समाणस्स इमे एतारूवे अज्झित्थिते चिंतिते पत्थिते मणोगते संकप्पे समुप्पज्जित्था धन्ना णं ते ईसर जाव पभितओ जेसिंणं रायगिहस्स बहिया बहूओ वावीतो पोक्खरणीओ जाव सरसरपंतियाओ जत्थ णं बहुजणो ण्हातिय पियति य पाणियं च संवहति । तं सेयं खलु ममं कल्लं पाउ० सेणियं रायं आपुच्छित्ता रायगिहस्स बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभागे वेभारस्स पव्वयस्स अदूरसामंते वत्थुपाढगरोइयंसि भूमिभागंसि णंदं पोक्खरिणिं खणावेत्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेति, २त्ता कल्लं पाउप्पभायाए जाव पोसहं पारेति, २ पहाते कयबलिकम्मे मित्त-णाइ जाव संपरिवुडे महत्थं जाव पाहुडं रायारिहं गेण्हति, २ त्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छति, २ त्ता जाव पाहुडं उवट्ठवेति, २ त्ता एवं वदासी इच्छामि णं सामी ! तुब्भेहिं अब्भणुन्नाए समाणे रायगिहस्स बहिया जाव खणावित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया ! तते णं णंदे सेणिएणं रन्ना अब्भणुण्णाते समाणे हट्ट [तुट्ठ) रायगिह मज्झंमज्झेणं निग्गच्छति, २ वत्थुपाढयरोइयंसि भूमिभागंसि णंदं पोक्खरिणिं खणावेउं पयत्ते यावि होत्था । तते णं सा गंदा पोखरिणी अणुपुव्वेणं खम्ममाणा २ पोक्खरिणी जाया यावी होत्था चाउक्कोणा समतीरा अणुपुव्वसुजायवप्पसीयलजला संछन्नपत-मिस-मुणाला बहुउप्पल-पउम-कुमुद-नलिण-सुभग-सोगंधिय-पुंडरीय-महापुंडरीय-सयपत्तसहस्सपत्त-पप्फुल्लकेसरोवचिया परिहत्थभमंतमच्छ-छप्पय-अणेगसउणगणमिहुणवियरि यसकुन्नइयमह रसरनाइया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा। RaO5555555555555555555555555555555555555555555555FOxory rer. c55555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा- ६५४॥55555555555555555555$OOK Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ O $ $ $ $ $ $$$$$$$559 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. / १३ अ. दद्दुरे [ ६५ ] तते णं से णंदे मणियारसेट्ठी णंदाए पोक्खरणीए चउद्दिसिं चत्तारि वणसंडे रोवावेति । तए णं ते वणसंडा अणुपुव्वेणं सारक्खिज्जमाणा संगोविज्जमाणा संवह्निज्जमाणा य वणसंडा जाया किण्हा जाव निकुरूंबभूया पत्तिया पुप्फिया जाव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति । तते णं नंदे पुरत्थिमिल्ले वणसंडे एगं महं चित्तसभं कारावेति अणेगखंभसयसंनिविट्टं पासादीयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरुवं । तत्थ णं बहूणि किण्हाणि य जाव सुक्किलाणि य कट्टकम्माणि य पोत्थकम्माणि य चित्त-लेप्पगंथिम-वेढिम-पूरिम-संघातिम [कम्माणि य] उवदंसिज्जमाणाई २ चिट्ठति । तत्थ णं बहूणि आसणाणि य सयणाणि य अत्थुयपच्चत्थुयाइं चिट्ठति । तत्थ णं बहवे डा य णट्टा य जाव दिन्नभइभत्तवेयणा तालायरकम्मं करेमाणा २ विहरंति, रायगिहविणिग्गओ य तत्थ बहू जणो तेसु पुव्वणत्थेसु आसण-सयणेसु संनिसन्नो य संतुट्टो य सुणमाणो य पेच्छमाणो य साहेमाणो य सुहंसुहेणं विहरति । तते णं णंदे मणियारसेट्ठी दाहिणिल्ले वणसंडे एगं महं महाणससालं कारावेति अणेगखंभ० जाव पडिरूवं । तत्थ णं बहवे पुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा विपुलं असण- पाण- खाइम साइमं उवक्खर्डेति, बहूणं समण-माहण-अतिहि किविण-वणीमगाणं परिभाएमाणा २ विहरति । तते णं णंदे मणियारसेट्ठी पच्चत्थिमिले वणसंडे एगं महं तेगिच्छियसालं कारेति, अणेगखंभसय० जाव पडिरूवं । तत्थ णं बहवे वेज्जा य वेज्जपुत्ता य जाणुया य जाणुयपुत्ता य कुसला य कुसलपुत्ता य दिन्नभइभत्तवेयणा बहूणं वाहियाण य गिलाणाण य रोगियाण य दुब्बलाण य ते गच्छकम्मं करेाणा २ विहरंति, अण्णे य एत्थ बहवे पुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा तेसिं बहूणं वाहियाण य गिलाणाण य रोगियाण य दुब्बलाण य ओसह भेसज्ज - भत्त-पाणेणं पडियारकम्मं कमाणा २ विहरति । तते णं णंदे मणियारसेट्ठी उत्तरिल्ले वणसंडे एवं महं अलंकारियसमं कारावेति, अणेगखंभसय० जाव पडिरूवं तत्थ णं बहवे अलंकारियपुरिसा दिन्नभइभत्तवेयणा बहूणं सणाहाण य अणाहाण य गिलाणाण य रोगियाण य दुब्बलाण य अलंकारियकम्मं करेमाणा २ विहरति । तते णं तीए णंदाए पोक्खरणीए वे साहाय अणाय पंथिया य पहिया य कारोडिया य कारवा [हिया] य तणहारा [य] पत्तहारा [य] कट्ठहारा [य] अप्पेगतिया ण्हायंति, अप्पेगतिया पाणियं पियंति, अप्पेगतिया पाणियं संवहंति, अप्पेगतिया विसज्जितसेय - जल-मल परिस्सम- निद्द - खुप्पिवासा सुहंसुहेणं विहरति । रायगिहविणिग्गओ वि य एत्थ बहुजणो, किं ते ? जलरमण- विविह-मज्जण कयलि-लयाघरय-कुसुमसत्थरय- अणेगसउणगणरूयरिभितसंकुलेसु सुहंसुहेणं अभिरममाणो २ विहरति । तते णंदाए पोक्खरिणीए बहुजणो ण्हायमाणो य पियमाणो य पाणियं च संवहमाणो य अन्नमन्नं एवं वदासी धन्ने णं देवाणुप्पिया णंदे मणियारसेट्ठी, कत्थे जाव मजीवियफ जस्स णं इमेयारूवा णंदा पोक्खरिणी चाउक्कोणा जाव पडिरूवा, जस्स णं पुरत्थिमिल्ले, तं चैव सव्वं, चउसु वि वणसंडेसु जाव रायगिहविणिग्गओ यत्थ बहुजणो आसणेसु य सयणेसु य सण्णिसण्णो य संतुयट्टो य पेच्छमाणो य साहेमाणो य सुहंसुहेणं विहरति । तं धन्ने कयत्थे कयपुन्ने कया णं० लोया ! सुलदे माणुस्सए जम्मजीवियफले णं नंदस्स मणियारस्स । तते णं रायगिहे सिंघाडग जाव बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमातिक्खति, एवं भासति, एवं पण्णवेति, एवं परूवेति धन्ने णं देवाणुप्पिया ! णंदे मणियारे, सो चेव गमओ जाव सुहंसुहेणं विहरति । तते णं से णंदे मणियारे बहुजणस्स अंतिए एतमहं सोच्चा निसम्म अट्टतुट्ट धाराहतकलंबगं पिव समूसवियरोमकूवे परं सायासोक्खमणुभवमाणे विहरति । ९४. तते णं तस्स नंदस्स मणियारसेट्ठिस्स अन्नया कयाइ सरीरगंसि इमे सोलस रोगातंका पाउब्भूता, तंजहा “सासे कासे जरे दाहे, कुच्छिसूले भगंदरे । अरिसा अजीरए दिट्ठी-मुद्धसूले अकारए" ||३२|| अच्छिवेयणा कण्णवेयणा कंडू दओदरे कोढे ॥ तते णं से णंदे मणियारसेट्ठी इमेहिं सोलसहिं रोगातंकेहिं अभिभुते समाणे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! रायगिहे सिंघाडग जाव पहेसु महता सद्देण उग्घोसेमाणा २ एवं वदह एवं खलु देवाणुप्पिया ! णंदस्स मणियारसेट्ठिस्स सरीरगंसि सोलस रोग़ायंका पाउन्भूता, तंजा सासे जाव कोढे । तं जो णं इच्छति देवाणुप्पिया ! वेज्जो वा वेज्जपुत्तो वा जाणुओ वा जाणुयपुत्तो वा कुसलो वा कुसलपुत्तो वा नंदस्स मणियारस्स तेसिं च णं सोलसण्हं रोयायंकाणं एगमपि रोयायंकं उवसामेत्तए तस्स णंदे मणियारे विउलं अत्यसंपदाणं दलयति त्ति कट्टु दोच्चं पि तच्चं पि घोसणं घोसेह, २ जाव पच्चप्पिणह । ते वि तहेव पच्चप्पिणंति । तते णं रायगिहे नगरे इमेयारूवं घोसणं सोच्चा णिसम्म बहवे वेज्जा य वेजपुत्ता य जाव कुसलपुत्ता य सत्थकोसहत्थगया य फफफफफफफफफफफफफफफफ श्री आगमगणमंजषा- ६५५ LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LELELELELELELKESY · फफफफफफफफ Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नानागागगगगगगगगगगग जापानमा ५.सु. . ./१२ अ. ददुर [६६] 由5555555555520 sexy सिलियाहत्थगया य गुलियाहत्थगया य ओसहभेसज्जहत्थगया य सएहिं २ गिहेहितो निक्खमंति, २ रायगिह मज्झमज्झेणं जेणेव नंदस्स मणियारसेट्ठिस्स गिहे तेणेव उवागच्छंति, २ णंदस्स मणियारसेट्ठिस्स सरीरं पासंति, २ त्ता तेसिं रोयातंकाणं णिदाणं पुच्छंति, २ त्ता णंदस्स मणियारस्स बहूहिँ उव्वलणेहि य उव्वट्टणेहि य सिणेहपाणेहि य वमणेहि य विरेयणेहि य सेयणेहि य अवदहणेहि य अवण्हाणेहि य अणुवासणाहि य वत्थिकम्मेहि य निरूहेहि य सिरावेहेहि य तच्छणेहिय पच्छणेहि य सिरोबत्थीहि य तप्पणाहि य पुटवाएहि य छल्लीहि य वल्लीहि य मूलेहि य कंदेहि य पत्तेहि य पुप्फेहि य फलेहि य बीएहि य सिलियाहि य गुलियाहि य ओसहेहि य भेसज्जेहि य इच्छंति तेसिंसोलसण्हं रोयातंकाणं एगमवि रोयातंकं उवसामित्तए, नो चेवणं संचाएति उवसामित्तए। तते णं ते बहवे वेज्जा य वेज्जपुत्ता य जाणुया य जाणुयपुत्ता य कुसला य कुसलपुत्ता य जाहे नो संचाएंति तेसिं सोलसण्हं रोगाणं एगमपि रोगायंकं उवसामित्तए, ताहे संता तंता जाव पडिगया। तते णं णंदे तेहिं सोलसेहिं रोगायंकेहिं अभिभूते समाणे णंदाए पोक्खरिणीए मुच्छिए गढिए गिज्झे अज्झोववन्ने तिरिक्खजोणिएहिं निबद्धाउते बद्धपएसिए अट्टदुहट्टवसट्टे कालमासे कालं किच्चा नंदाए पोक्खरिणीए ददुरीए कुच्छिसि ददुरत्ताए उववन्ने । तए णं णंदे दद्दुरे गब्भाओ विणिम्मुक्के समाणे उम्मुक्कबालभावे विन्नयपरिणयमित्ते जोव्वणगमणुपत्ते नंदाए पोक्खरिणीए अभिरममाणे २ विहरति । ९५. तते णं नंदाए पोक्खरिणीए बहुजणो ण्हायमाणो य पियमाणो य पाणियं च संवहमाणो य अन्नमन्नस्स एवमातिक्खति, एवं भासति, एवं पण्णवेति, एवं परूवेति धन्ने णं देवाणुप्पिया ! णंदे मणियारे, जस्स णं इमेतारूवा गंदा पोखरिणी चाउक्कोणा जाव पडिरूवा, जस्स णं पुरथिमिल्ले वणसंडे चित्तसभा अणेगखंभ० तहेव चत्तारि सभातो जाव जम्मजीवियफले। तते णं तस्स दडुरस्सतं अभिक्खणं २ बहुजणस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म इमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था कहिं मन्ने मए इमेयारूवे सद्दे णिसंतपुव्वे त्ति कट्ट सुभेणं परिणामेणं जाव जातीसरणे समुप्पन्ने, पुव्वजाति सम्म समागच्छति।तते णं तस्स दडुरस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं इहेव रायगिहे नगरे णंदे णाम मणियारे अड्डे० । ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे समोसढे । तए णं मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए पंचाणुव्वइए सत्तसिक्खावइए जाव पडिवन्ने । तए णं अहं अन्नया कयाति असाहुदंसणेण य जाव मिच्छंत्तं विप्पडिवन्ने । तए णं अहं अन्नया कयाइ गिम्हकालसमयंसि जाव उवसंपज्जित्ताणं विहरामि, एवं जहेव चिंता, आपुच्छणा, नंदा पुक्खरिणी, वणसंडा, सभाओ, तं चेव सव्वं जाव नंदाए पोक्खरिणीए दडुरत्ताए उववन्ने । तं अहो णं अहं अधन्ने अपुन्ने अकयपुन्ने निग्गंथाओ पावयणाओ नढे भट्ठे परिन्भटे । तं सेयं खलु मम सयमेव पुव्वपडिवन्नाति पंचाणुव्वयाति उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए, एवं संपेहेति, २ पुव्वपडिवन्नाति पंचाणुव्वयाई आरुहेति, इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हति कप्पति मे जावज्जीवं छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावमाणस्स विहरित्तए, छट्ठस्स वि य णं पारणगंसि कप्पइ मे णंदाए पोक्खरिणीए परिपेरंतेसु फासुएणं ण्हाणोदएणं उम्मद्दणालोलियाहि य वित्तिं कप्पेमाणस्स विहरित्तए । इमेयारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हति, २ जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं जाव विहरति । ते णं काले णं ते णं समए णं अहं गोयमा ! गुणसिलए समोसढे, परिसा निग्गया । तते णं नंदाए पुक्खरिणीए बहुजणो ण्हायमाणो य पियमाणो य पाणियं च संवहमाणो य अन्नमन्नं जाव समणे भगवं महावीरे इहेव गुणसिलए [चेइए समोसढे,] तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो जाव पज्जुवासामो, एयं णे इहभवे परभवे य हियाए जाव आणुगामियत्ताए भविस्सति । तएणं तस्स दडुरस्स बहुजणस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म अयमेयारूवे अज्झथिए चितिएपत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्थाएवं खलु समणे भगवं महावीरे इहेव गुणसिलए चेइए समोसढे तं गच्छामि णं वंदामि, एवं संपेहेति, २त्ता गंदाओ पोक्खरिणीओ सणियं २ पच्चुत्तरति, २ जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छति, २त्ता ताए उक्किट्ठाए ६ ददुरगतीए वीतीवयमाणे २ जेणेव ममं अंतिए तेणेव पहारेत्थ गमणाए। इमं च णं सेणिए राया भिभिसारे ण्हाएफ कयबलिकम्मे कयकोउय जाव सव्वालंकारविभूसिए हत्थिखंधवरगते सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं [धरिज्जमाणेणं] सेयवरचामरा [हिं वीइज्जमाणे] हय-गय-रह० महया भडचडगर० चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे मम पायवदंते हव्वमागच्छति । तते णं से दद्दुरे सेणियस्स रण्णो एगेणं आसकिसोरएणं वामपाएणं अक्ते Te # 555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६५६ ॥ ॥ EOPORT $乐乐乐乐场 听听听听听听听听听听听听听听 明明明明明听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐E F$$$$$$$$$$$$$FFFFFFFFFF Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मक हाओ प. सु. १३ अ. दहुरे / १४ अ. तेतली समाणे अंतनिग्घातिए कते यावि होत्या । तते णं से दद्दुरे अथामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति कट्टु एगंतमवक्कमति, करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वयासी नमोत्थु णं जाव संपत्ताणं, नमोत्थु णं मम धम्मायरियस्स जाव संपाविउकामस्स, पुव्विं पि य णं मए समणस्स भगवतो महावीरस्स अंतिए थूलए पाणातिवाए पच्चक्खाए जाव थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए, तं इयाणिं पि तस्सेव अंतिए सव्वं पाणातिवायं पच्चक्खामि जाव सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामि जावज्जीवं सव्वं असण- पाण- खाइम साइमं पच्चक्खामी जावज्जीवं जं पि य इमं सरीरं इदं कंतं जाव मा फुसंतु एयं पि य णं चरिमेहिं सासेहिं वोसिरामि त्ति कट्टु । तते णं से दद्दुरे कालमासे कालं किच्चाजाव सोहम्मे कप्पे दद्दुरवडेंसए विमाणे उववायसभाए दद्दुरदेवत्ताए उववन्ने । एवं खलु गोयमा ! दद्दुरेण देवेणं सा दिव्वा देविड्डी लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया। दद्दुरस्स णं भंते! देवस्स केवतियं कालं ठिई [पण्णत्ता ] ? गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । से णं दद्दुरे देवे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति जाव अंतं करेहिति । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता महावीरेणं तेरसमस्स नायज्झयणस्स अमट्ठे पण्णत्ते त्ति बेमि । 555 || तेरसमं णायज्झयणं सम्मत्तं ।। 555 चोद्दसमं अज्झयणं 'तेतली' 55 ९६. जति णं भंते ! तेरसमस्स णायज्झयणस्स अयमठ्ठे पण्णत्ते चोहसमस्स णं णायज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं तेवलिपुरं नाम नगरं, पमयवणे णाम उज्जाणे, कणगरहे राया, तस्स णं कणगरहस्स पउमावती देवी, तस्स णं कणगरहस्स तेयलिपुत्ते णामं अमच्चे साम-दंड० । तत्थ णं तेयलिपुरे कलादे नामं मूसियारदारए होत्था अड्डे जाव अपरिभूते । तस्स णं भद्दा नाम भारिया । तस्स णं कलायस्स मूसियारदारगस्स धूया, भद्दाए अत्तिया, पोट्टिला नामं दारिया ओत्था रूवेण जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किदुसरीरा । तते णं पोट्टिला दारिया अन्नदा कदाइ पहाता सव्वालंकारविभूसिया चेडियाचक्कवालसंपरिवुडा उप्पिं पासयवरगया आगासतलगंसि कणगतिंदुसएणं कीलमाणी २ विहरति, इमं च णं तेयलिपुत्ते अमच्चे पहाए आसखंधवरगते महया भडचडगर [वंदपरिक्खिते] आसवाहणियाए णिज्जायमाणे कलायस्स मूसियारदारगस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं वीतिवयति । तते णं से तेयलिपुत्ते अमच्चे मूसियारदारग [स्] हिस्स अदूरसामंतेणं वीतिवयमाणे २ पोट्टिलं दारियं उप्पिं पासायवरगयं आगासतलगंसि कणगतिदूसरणं कीलमाणि पासति, २ पोट्टिलाए दारियाए रूवे य जोव्वणे य लावणे य जाव अज्झोववन्ने कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी एस णं देवाणुप्पिया ! कस्स दारिया किंनामधेज्जा वा ? तते णं ते कोटुंबियपुरिसा तेयलिपुत्तं एवं वदासी एस णं सामी ! कलायस्स मुसियारदारयस्स धूया, भद्दाए अत्तया, पोट्टिला नामं दारिया रूवेण य जाव सरीरा । तते णं से तेयलिपुत्ते अमच्चे आसवाहणियाओ पडिनियत्ते समाणे अब्भिंतरट्ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! कलादस्स मूसियारदारंयस्स धूयं भद्दाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं मम भारियत्ताए वरेह । तते णं ते अब्भिंतरट्ठाणिज्जा पुरिसा तेतलिणा एवं वुत्ता समाणा [हट्ठ तुट्ठा] करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं देवो] तहत्ति [आणाए विणएण वयणं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तेयलिपुत्तस्स अमच्चस्स अंतियातो पडिणिक्खमंति, पडिणिक्खमेत्ता तेयलिपुरस्स नगरस्स मज्झंमज्झेणं] जेणेव कलायस्स मुसियारदारयस्स गिहे तेणेव उवागया । तते णं से कलाए मूसियारदारए ते पुरिसे एज्नमाणे पासति, २ त्ता हट्ठतुट्ठे आसणाओ अब्भुट्ठेति, २ त्ता सत्तट्ठपदातिं अणुगच्छति, २ त्ता आसणेणं उवणिमंतेति, २ आसत्थे वीसत्थे सुहासणवरगए एवं वदासी संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणपओयणं ? तते णं ते अब्भिंतरट्ठाणिज्जा पुरिसा कलायं मूसियारदारयं एवं वदासी अम्हे णं देवाणुप्पिया ! तव धूयं भद्दाए अत्तयं पोट्टिलं दारियं तेयलिपुत्तस्स भारियत्ताए वरेमो । तं जति णं जाणसि देवाणुप्पिया ! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्जं वा, सरिसो वा संजोगो, दिज्जउ णं पोट्टिला दारिया तेयलिपुत्तस्स । ता भण देवाणुप्पिया ! किं दलामो सुकं ? तते णं कलाए भूसियारदारए ते अब्भिंतरट्टाणिज्जे पुरिसे एवं वदासी एस चेव णं देवाणुप्पिया ! मम सुंके जन्नं तेतलिपुत्ते मम दारियानिमित्तेणं अणुग्गहं करेति । ते अब्भिंतरट्ठाणिज्जे पुरिसे विपुलेणं असण- पाण- खाइम साइमेणं पुप्फ-वत्थ जाव मल्लालंकारेणं सक्कारेति सम्माणेति, २ 新 COOK श्री आगमगुणमंजुषा - ६५७ ४५ [ ६७ ] Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RROR9$$$$$$$$$$$$ (६) णायाधम्मकहाओ प.सु. १४ अ. तेतली [६८] 面虽乐为5555555520 TOTO乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐 पडिविसज्जेति। तए णं ते कलायस्स मूसियारदारगस्स गिहातो पडिनिक्खमंति, २ जेणेव तेयलिपुत्ते अमच्चे तेणेव उवागच्छंति, २ तेयलिपुत्तस्स अमच्चस्स एयमढें निवेतिति । तते णं कलाए मूसियारदारए अन्नया कयाइ सोहणंसि तिहि-करण-नक्खत्त-मुहुत्तंसि पोट्टिलं दारियं ण्हायं सव्वालंकारभूसियं सीयं दुरुहइ, २त्ता मित्तणाइ- [नियग-सयण-संबंधि-परिजण] संपरिवुडे सातो गिहातो पडिनिक्खमति, २त्ता सव्विड्डीए तेयलिपुरं मज्झमज्झेणं जेणेव तेतलि [पुत्त स्स गिहे तेणेव ॥ उवागच्छति, २ त्ता पोट्टिलं दारियं तेतलिपुत्तस्स सयमेव भारियत्ताए दलयति । तते णं से तेतलिपुत्ते पोट्टिलं दारियं भारियत्ताए उवणीयं पासति, २ त्ता हट्ठ [तुढे] पोट्टिलाए सद्धिपट्टयं दुरुहति, २ त्ता सेतापीतएहिं कलसेहिं अप्पाणं मज्जावेति, २ त्ता अग्गिहोमं कारेति, २त्ता पाणिग्गहणं करेति, २ त्ता पोट्टिलाए भारियाए मित्तणाति जाव परिजणं विपुलेणं असण-पाण-खातिम-सातिमेणं पुप्फ-वत्थ जाव पडिविसज्जेति, २ तते णं से तेतलिपुत्ते पोट्टिलाए भारियाए अणुरत्ते अविरत्ते ओरलाइं जाव विहरति । ९७. तते णं से कणगरहे राया रज्जे यरटे य बले य वाहणे य कोसे य कोट्ठागारे य अंतेउरे य मुच्छिते गढिए गिज्झे अज्झोववन्ने जाते जाते ॥ पुत्ते वियंगेति, अप्पेगतियाणं हत्थंगुलियाओ छिंदति, अप्पेगतियाणं हत्थंगुदुए छिदति, एवं पायंगुलियाओ पायंगट्ठए वि [ यंगेति ] कण्णसक्कुलीओ वि [यंगेति,] नासापुडाइं फालेति, अंगमंगाई वियंतेति । तते णं तीसे पउमावतीए देवीए अन्नया पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु कणगरहे राया रज्जे य जाव पुत्ते वियंगेति जाव अंगमंगाइं वियंतेति, तं जति णं अहं दारयं पयायामि सेयं खलु ममं तं दारगंज कणगरहस्स रहस्सिययं चेव सारक्खमाणीए संगोवेमाणीए विहरित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेति, २ तेयलिपुत्तं अमच्चं सद्दावेति, २ एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया रज्जे य जाव वियंगेति, तं जति णं अहं देवाणुप्पिया ! दारगं पयायामि, तते णं तुम कणगरहस्स रहस्सिययं चेव अणुपुव्वेणं सारक्खमाणे संगोवेमाणे संवड्डेहि, तते णं से दारए उम्मुक्कबालभावेजाव जोव्वणगमणुप्पत्ते तव य मम य भिक्खाभायणे भविस्सति। तते णं से तेयलिपुत्ते अमच्चे पउमावतीए एयमर्दु पडिसुणेति, २त्ता पडिगए। ततेणं परमावती य देवी पोट्टिला य अमच्ची सममेव गभं गेण्हति, सममेवपरिवहति । तते णं सा पउमावती नवण्हं मासाणं जाव पियदंसणं सुरुवं दारगं पयाया। जं रयणिं च णं पउमावती दारयं पयाया तं रयणिं च णं पोट्टिला वि अमच्ची नवण्हं मासाणं विणिहायमावन्नं दारियं पयाया। तते णं सा पउमावती देवी अम्मधातिं सद्दावेति, २त्ता एवं वदासी गच्छह णं तुमे अम्मो ! तेयलिपुत्तं रहस्सिययं चेव सद्दावेहि। तते णं सा अम्मधाती तहत्ति पडिसुणेति, २त्ता अंतेउरस्स अवदारेणं निगच्छति, २त्ता जेणेव तेयलि [पुत्त] स्स गिहे, जेणेव तेयलिपुत्ते तेणेव उवागच्छति, २ करयल जाव एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! पउमावती देवी सद्दावेति । तते णं तेयलिपुत्ते अम्मधातीए अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्मा हट्ठतुढे अम्मधातीए सद्धिं सातो गिहातो णिग्गच्छति, २ अंतेउरस्स अवद्दारेणं रहस्सिययं चेव अणुपविसति, २ त्ता जेणेव पउमावती तेणेव उवागच्छति, २ त्ता करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट] एवं वदासी संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! जं मए कायव्वं । तते णं पउमावती तेतलिपुत्तं एवं वदासी एवं खलु कणगरहे राया जाव वियंगेति, अहं च णं देवाणुप्पिया ! णवण्ह मासाणं दारगं पयाया, तं तुम णं देवाणुप्पिया ! एतं दारगं गेण्हाहि जाव तव य मम य भिक्खाभायणे भविस्सति त्ति कट्टतेयलिपुत्तस्स हत्थे दलयति । तते णं तेयलिपुत्ते पउमावतीते हत्थातो दारगं गेण्हति, २ त्ता उत्तरिज्जेणं पिहेति, २ ता अंतेउरस्स रहस्सिययं अवद्दारेणं निग्गच्छति, २ त्ता जेणेव सए गिहे, जेणेव पोट्टिला भारिया, तेणेव उवागच्छति, २ पोट्टिलं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया रज्जे य जाव वियंगेति, अयं च णं दारए कणगरहस्स पुत्ते पउमावईए अत्तए, तं णं तुम देवाणुप्पिया ! इमं दारगं कणगरहस्स रण्णो रहस्सिययं चेव अणुपुव्वेणं सारक्खाहि य संगोवेहि य संवड्ढेहि य । तते णं एस दारए उम्मुक्कबालभावे तव य मम य पउमावतीए य आहारे भविस्सति त्ति कट्ट पोट्टिलाए पासे णिक्खिवति, २ त्ता पोट्टिलाए पासाओ तं विणिहायमावन्नियं दारियं गेण्हति, २त्ता उत्तरिज्जेणं पिहेति, २ त्ता अंतेउरस्स अवदारेणं अणुपविसति, २त्ता जेणेव पउमावती देवी तेणेव उवागच्छति, २त्ता पउमावतीए देवीए पासे ठावेति, २ जाव पडिनिग्गते । तते णं तीसे ५ पउमावतीए अंगपडियारियाओ पउमावतिं देविं विणिहायमावन्नियं च दारियं पयायं पासंति, २त्ताजेणेव कणगरहेराया तेणेव उवागच्छंति २त्ता करयल[परिग्गहियं mero5555 श्री आगभगुणमंजूषा - ६५८ # ## 595FGIOR 乐乐乐听听听乐乐乐所开明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 LEARNEDARopal Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FROO5555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प.सु. १४ अ.तेतली [६९] 1555555555555555yetog C虽听听听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明明明明明 乐乐乐乐乐乐 明明明乐乐乐明明明明明明明明挥GO दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट] एवं वदासी एवं खलु सामी ! पउमावती देवी मएल्लियं दारियं पयाया। तते णं कणगरहे राया तीसे मएल्लियाए दारियाए नीहरणं करेति, बहूणि लोइयाइं मयकिच्चाइं [करेति, २ त्ता] कालेणं विगयसोगे जाते । तते णं से तेतलिपुत्ते कल्लं कोडुबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी खिप्पामेव चारगसोहणं जाव ठितिपडियं० जम्हा णं अम्हं एस दारए कणगरहस्स रज्जे जाए तं होउणं दारए नामेणं कणगज्झए जाव भोगसमत्थे जाते। ९८. तते णं सा पोट्टिला अन्नया कयाइ तेतलिपुत्तस्स अणिट्ठा अकंता अप्पिया अमणुण्णा अमणामा जाया यावि होत्था, णेच्छति णं तेतलिपुत्ते पोट्टिलाए नामगोयमवि सवणयाए, किं पुण दंसणं वा परिभोगंवा ? तते णं तीसे पोट्टिलाए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं तेतलिपुत्तस्स पुव्विं इट्ठा कंता पिया मणुम्मा मणामा आसि, इयाणि अणिट्ठा अकंता अप्पिया अमणुण्णा अमणामा जाया, नेच्छति णं तेतलिपुत्ते अमच्चे मम नामं जाव परिभोगं वा । ओहयमणसंकप्पा जाव झियाति । तए णं तेतलिपुत्ते पोट्टिलं ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमणिं पासति, २त्ता एवं वदासि मा णं तुमं देवाणुप्पिया ! ओहयमण [संकप्पा करयलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया झियाहि,] तुम णं मम महाणसंसि विपुलं असण-पाण-खाइमसाइमं-उवक्खडावेहि, २ बहूणं समण-माहण जाव वणीमगाणं देमाणी य दवावेमाणी य विहराहि । तते णं सा पोट्टिला तेयलिपुत्तेणं अमच्चेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा तेतलिपुत्तस्स एयमद्वं पडिसुणेति, २ त्ता कल्लाकल्लिं महाणसंसि विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं जाव दवावेमाणी य विहरति । ९९. ते णं काले णं ते णं समए णं सुव्वयाओ नामं अज्जाओ इरियासमियातो जाव गुत्तबंभचारिणीतो बहुस्सुयातो बहुपरिवारातो पुव्वाणुपुब्विं जेणामेव तेतलिपुरे नगरे तेणेव उवागच्छंति, २ अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हंति, २ संजमेण तवसा अप्पाणं भावेमाणीतो विहरंति । तते णं तासिं सुव्वयाणं अज्जाणं एगे संघाडए पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेति, २त्ता जाव अडमाणीतो तेतलिस्स गिहं अणुपविठ्ठातो । तते णं सा पोट्टिला तातो अज्जातो एज्जमाणीतो पासति, २ त्ता हट्ठतुट्ठा आसणातो अब्भुतुति, २त्ता वंदति नमसति, २ विपुलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेति, २ एवं वदासी एवं खलु अहं अज्जातो! तेतलिपुत्तस्स अमच्चस्स पुव्विं इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणामा आसि, इयाणिं अणिठ्ठा अर्कता अप्पिया अमणुण्णाअमणामा जाव दंसणं वा परिभोगं वा, तं तुब्भे णं अज्जातो बहुनायातो बहुसिक्खियातो बहुपढियातो, बहूणि गामागर जाव आहिँडह, बहूणं राइसर जाव गिहाति अणुपविसह, तं अत्थि याई भे अज्जातो ! केइ कहिचि चुण्णजोगे वा कम्मणजोगे वा कम्मजोगे वा हियउड्डावणे वा काउड्डावणे वा आभिओगिए वा वसीकरणे वा कोउयकम्मे वा भूइकम्मे वा मूले कंदे छल्ली वल्ली सिलिया वा गुलिया वा ओसहे वा भेसज्जे वा उवलद्धपुव्वे जेणाहं तेतलिपुत्तस्स पुणरवि इट्टा भवेज्जामि । तते णं ताओ अज्जाओ पोट्टिलाए एवं वुत्ताओ समाणीओ दो वि कन्ने ठवेति, २त्ता पोट्टिलं एवं वदासी अम्हे णं देवाणुप्पिया ! समणीतो निग्गंथीतो जाव गुतबंभचारिणीतो, नो खलु कप्पति अम्हं एयप्पयारं कन्नेहि वि णिसामित्तए, किमंग पुण उवदिसित्तए वा आयरित्तए वा। अम्हेणं तव देवाणुप्पिया ! विचित्तं केवलिपन्नत्तं धम्म परिकहेज्नामो। तते णं सा पोट्टिला ताओ अज्जातो एवं वदासी इच्छामि णं अज्जाओ ! तुम्हं अंतिए केवलिपन्नत्तं धम्म निसामित्तए। तते णं तातो अज्जातो पोट्टिलाए विचित्तं केवलिपन्नत्तं धम्म परिकहेति । तते णं सा पोट्टिला धम्मं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा एवं वदासी सद्दहामि णं अज्जाओ ! निग्गंथं पावयणं, पत्ति [यामि णं अज्जाओ ! निग्गंथं पावयणं] जाव से जहेयं तुब्भे वयह । इच्छामि णं अज्जाओ ! अहं तुब्भं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं जाव धम्म पडिवज्जित्तए। अहासुहं दिवाणुप्पिया ! मा पडिबंध] । तए णं सा पोट्टिला तासिं अजाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं जाव धम्म पडिवज्जइ, २ तातो अज्जातो वंदति नमसति, २ पडिविसज्जेति । तए णं सा पोट्टिला समणोवासिया जाया जाव पडिलाभेमाणी २ विहरइ । १००. तते णं तीसे पोट्टिलाए अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि, कुटुंबजागरियं [जागरमाणीए] अयमेयारूवे अज्झत्थिते चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं तेतलिपुत्तस्स पुब्विं इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणामा आसि, इदाणिं अणिट्ठा अकंता अप्पिया अमणुण्णा अमणामा जाव परिभोगं वा, तं सेयं खलु मम सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए पव्वितित्तए। एवं संपेहेति, २त्ता कल्लं पाउ० जेणेव तेतलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, २ करयलपरि गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए yer055555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ६५९३० 55555555555555555555OOR 乐听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明覺 Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RO9555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प.सु. १४ अ. तेतली [७०] OPIC多听听听听听听听听听听听听听听 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明纸明明明明明明明明明明明明明明明明明明明5C अंजलि कट्ट] एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए सुव्वयाणं [अज्जाणं] अंतिए धम्मे णिसंते जाव अब्भुणुण्णाया पव्वइत्तए। तते णं तेतलिपुत्ते पोट्टिलं एवं ५ वदासी एवं खलु तुम देवाणुप्पिए ! मुंडा भवित्ता पव्वइया समाणी कालमासे कालं किच्चा अन्नतरेसुदेवलोएसुदेवत्ताए उववज्निहिसि, तंजतिणं तुमं देवाणुप्पिया ! मर्म ताओ देवलोगातो आगम्म केवलिपन्नत्ते धम्मे बोहेहि तो हं विसज्जेमि, अह णं तुमं ममं ण संबोहेसि तो ते ण विसज्जेमि । तते णं सा पोट्टिला तेतलिपुत्तस्स एयमढें पडिसुणेति ! तते णं तेतलिपुत्ते विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेति, २ मित्त-णाति जाव आमंतेइ, २ जाव सम्माणेइ, २ पोट्टिलं पहायं जाव पुरिससहस्सवाहिणीयं सीयं दुरहेत्ता मित्त-णाति जाव परिवुडे सव्विड्डीए जाव रवेणं तेतलिपुरं मज्झंमज्झेणं जेणेव सुव्वयाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छइ, २ सीयाओ पच्चोरुहति, २त्ता पोट्टिलं पुरतो कट्ट जेणेव सुव्वया अज्जा तेणेव उवागच्छति, २ त्ता वंदति नमसति, २ एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मम पोट्टिला भारिया इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणामा, एस णं संसारभउव्विग्गा जाव पव्वतित्तए, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं । अहासुहं, मा पडिबंधं । तते णं सा पोट्टिला सुव्वयाहिं अज्जाहिं एवं वुत्ता समाणा हट्ठ तुट्ठा उत्तरपुर- त्थिमं दिसीभागं अवक्कमति, अवक्कमित्ता सयमेव आभरण-मल्लालंकारं ओमुयति, २ सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, २ जेणेव सुव्वयाओ अज्जाओ तेणेव उवागच्छइ, २ वंदति नमसति, २ त्ता एवं वदासी आलित्ते णं भंते ! लोए, एवं जहा देवाणंदा जाव एक्कारस अंगाइ [अहिज्नति,] बहूणि वासाणि सामन्नपरियागं पाउणइ, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता सढि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा अन्नतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ना। १०१. तते णं से कणगरहे राया अन्नया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते यावि होत्था। तते णं ते ईसर जाव णीहरणं करेति, २ अन्नमन्नं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया रज्जे य जाव पुत्ते वियंगित्था, अम्हे णं देवाणुप्पिया ! रायाहीणा रायाहिट्ठिया रायाहीणकज्जा, अयं च णं तेतली अमच्चे कणगरहस्स रन्नो सव्वट्ठाणेसु सव्वभूमियासु लद्धपच्चए दिन्नवियारे सव्वकज्जवट्टावए यावि होत्था, तं सेयं खलु अम्हं तेतलिपुत्तं अमच्चं कुमारं जातित्तए त्ति कट्ट अन्नमन्नस्स एयमढे पडिसुणेति, २ जेणेव तेतलिपुत्ते अमच्चे तेणेव उवागच्छंति, २ तेयलिपुत्तं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया रज्जे य रट्टे य जाव वियंगेइ, अम्हे य णं देवाणुप्पिया ! रायाहीणा जाव रायाहीणकज्जा, तुमं च णं देवाणुप्पिया ! कणगरहस्स रण्णो सव्वट्ठाणेसु जाव रज्जधुराचिंतए । तं जइ णं देवाणुप्पिया ! अत्थि केइ कुमारे रायलक्खणसंपन्ने अभिसेयारिहे तं णं तुमं अम्हं दलाहि, जाणं अम्हे महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचामो। तएणं तेतलिपुत्ते तेसिंईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इन्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहपभिईणं एतमढे पडिसुणेति, २त्ता कणगज्झयं कुमारं ण्हायं जाव सस्सिरीयं करेत्ता तेसिं ईसर जाव उवणेति, २ त्ता एवं वदासी एस णं देवाणुप्पिया ! कणगरहस्स रण्णो पुते पउमावतीए देवीए अत्तए कणगज्झए नाम कुमारे अभिसेयारिहे राय,क्खणसंपन्ने, मए कणगरहस्स रन्नो रहस्सिययं संवड्डिए । एवं णं तुम्भे महता र रायाभिसेएणं अभिसिंचह । सव्वं च से उट्ठाणपारियावणियं परिकहेइ । तते णं ते ईसर -[तलवर-माडंबिय-कोडुबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहपभितओ] कणगज्झयं कुमारं महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचंति । तते णं से कणगज्झए कुमारे राया जाए महयाहिमवंतमलय० वण्णओ जाव रज्जं पसासेमाणे विहरति । तते णं सा पउमावती देवी कणगज्झयं रायं सद्दावेति, २ एवं वदासी एसणं पुत्ता ! तव [पिता कणगरहे राया] रज्जे य जाव अंतेउरे य०, तुमं च तेतलिपुत्तस्स अमच्चस्स पहावेणं । तं तुमं णं पुत्ता ! तेतलिपुत्तं अमच्चं आढाहि, परिजाणाहि, सक्कारेहि, सम्माणेहि, इंतं अब्भुटेहि, ठियं पज्जुवासाहि, वयंतं पडिसंसाहेहि, अद्धासणेणं उवणिमंतेहि, भोगं च से अणुवड्ढेहि। तते णं से कणगज्झए पउमावतीए [वयणं] तहत्ति पडि [सुणेति, २त्ता] जाव भोगं च से वड्डेति । १०२. तते णं से पोट्टिले देवे तेतलिपुत्तं अभिक्खणं २ केवलिपण्णत्ते धम्मे संबोहेति, नो चेव णं से तेतलिपुत्ते संबुज्झति । तते णं तस्स पोट्टिलदेवस्स इमेयारूवे अज्झत्थिते चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु कणगज्झए राया तेतलिपुत्तं आढाति जाव भोगं च से बड्डेति, तते णं से तेतलि [पुत्ते] अभिक्खणं २ संबोहिज्जमाणे वि धम्मे नो संबुज्झति, तं सेयं खलु मम २ कणगज्झयं तेतलिपुत्तातो विप्परिणामित्तए त्ति कटु एवं संपेहेति, २ त्ता कणगज्झयं तेतलिपुत्तातो विप्परिणामेइ । तते णं तेतालिपुत्ते कल्लं पहाते जाव पायच्छित्ते reO5 5 555555 5श्री आगमगुणमजूषा - ६६० $$ $ $O OR Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १४ अ. तेतली [७१] आसखंधवरगए बहूहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुडे सातो गिहातो निग्गच्छति, जेणेव कणगच्छए राया तेणेव पहारेत्थ गमणाए । तते णं तेतलिपुत्तं अमच्चं जे जहा बहवे राईसर-तलवर जाव पभियओ पासंति ते तहेव आढायंति, परियाणंति, अब्भुट्ठेति, अंजलिपरिग्गहं करेति, इठ्ठाहिं कंताहि जाव वग्गूहिं आलवमाणा य संलवमाणा य पुरतो य पिट्ठतो य पासतो य मग्गतो य समणुगच्छति। तते णं से तेतलिपुत्ते जेणेव कणगज्झए तेणेव उवागच्छिति । तते णं से कणगज्झए तेतलिपुत्तं एज्जमाणं पासति, २ त्तानो आढाति, नो परियाणाति, नो अब्भुट्ठेति, अणाढायमीणे ३ अणाढायमीणे अपरियाणमीणे अणब्भुट्ठेमीणे) परम्मुहे संचिट्ठति । तते णं से तेतलिपुत्ते गज्झयस्सरणो अंजलि करेइ, ततो य णं से कणगज्झए राया अणाढायमीणे ३ तुसिणीए परम्मुहे संचिट्ठति । तते णं तेतलिपुत्ते कणगज्झयं विप्परिणयं जाणत्ता भी जाव संजातभए एवं वदासी रुट्टे णं मम कणगज्झए राया, हीणे णं मम कणगज्झए राया, अवज्झाए णं मम कणगज्झए राया, तं ण नज्जइ णं मम hars कुमारेण मारेहिति त्ति कट्टु भीते तत्थे य जाव सणियं २ पच्चोसक्कति, २ त्ता तमेव आसखंधं दुरुहति, २ तेतलिपुरं मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव पहारेत्थ गमणा । तते णं तं तेतलिपुत्तं जे जहा ईसर जाव पासंति ते तहा नो आढायंति, नो परियाणंति, नो अब्भुट्ठेति, नो अंजलि [ परिग्गहं करेति] इट्ठाहिं जाव नो संलवंति, नो पुरओ पिओ य पासओ य मग्गओ य समणुगच्छंति । तते णं तेतलिपुत्ते जेणेव सए गिहे तेणेव उवागए । जा वि य से तत्थ बाहिरिया परिसा भवति, तंजा दासेति वा पेसे ति वा भाइल्लए ति वा सा वि य णं नो आढाति, नो परियाणति, नो अब्भुट्टेति । जा वि य से अब्भितरिया परिसा भवति, तंजहा पिया इ वा माता ति वा जाव सुण्हा ति वा सा वि य णं नो आढाति, नो परियाणाति, नो अब्भुट्ठेति । तते णं से तेतलिपुत्ते जेणेव वासघरे जेणेव सयणिज्जे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता सयणिज्जंसि णिसीयति, २ त्ता एवं वदासी एवं खलु अहं सयातो गिहातो निग्गच्छामि, तं चेव जाव अब्भितरिया परिसा नो आढाति, नो परियाणाति, नो अब्भुट्ठेति । तं सेयं खलु मम अप्पाणं जीवियातो ववरोवित्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेति, २ तालउडं विसं आसगंसि पक्खिवति, से य विसे नो कमति । तते णं से तेतलिपुत्ते नीलुप्पल जाव असिं खंधंसि उवहरति, तत्थ वि य से धारा ओएण्णा (ओइण्णा ?) । तते णं से तेतलिपुत्ते जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छति, २ त्ता पासगं गवाए बंधति, २ रुक्खं दुरुहति, २ पासगं रुक्खे बंधति, २ अप्पाणं भुयति, तत्थ वि य से रज्जू छिन्ना । तते णं से तेतलिपुत्ते महतिमहालियं सिलं गीवाए बंधति, अत्थाहमतारमपोरुसेयंसि उदगंसि अप्पाणं मुयति, तत्थ वि से थाहे जाते । तते णं से तेतलिपुत्ते सुक्कंसि तणकूडंसि अगणिकायं पक्खिवति, २ त्ता अप्पाणं जाए, को तत्व से अगणिकाए विज्झाए । तते णं से तेतलि [पुत्ते ] एवं वदासी सद्धेयं खलु भो ! समणा वयंति, सद्धेयं खलु भो ! माण्हा वयंति, सद्धेयं खलु भो ! समणा माणा वयंति, अहं खलु एगो असद्धेयं वयामि, एवं खलु अहं सह पुत्तेहिं अपुत्ते को मेदं सद्दहिस्सति ? सह मित्तेहिंअमित्ते को मेदं सद्दहिस्सति ? एवं अत्थेणं, दारेणं, दासेहिं, पेसेहिं, परिजणेणं, एवं खलु तेतलिपुत्तेणं अमच्चेणं कणगज्झएणं रन्ना अवज्झाएणं समाणेणं तालपुडगे विसे आसगंसि पक्खित्ते, से विय णो कमति, को मेयं सद्दहिस्सति ? तेतलिपुत्ते णं अकच्चेणं नीलुप्पल जाव खंधंसि ओहरिए, तत्थ वि य से धारा ओइल्ला (ओइण्णा ?), को मेदं सद्दहिस्सति ? तेतलिपुत्ते पासगं गीवाएं बंधेइ, २ जाव रज्जू छिन्ना, को मेदं सद्दहिस्सति ? तेतलिपुत्ते महालियं जाव बंधित्ता अत्थाह जाव उदगंसि अप्पा मुक्के, तत्थ वि य णं था सद्दहिस्सति ? तेतलिपुत्ते सुक्कंसि तणकूडे० अग्गी विज्झाए, को मेदं सद्दहिस्सति ? ओहतमणसंकप्पे जाव झियाइ । तते णं से पोट्टिले देवे पोट्टिलारूवं विउव्वति, तेतलिपुत्तस्स अदुरसामंते ठिच्चा एवं वदासी हं भो तेतलिपुत्ता ! पुरतो पवाए, पिट्ठओ हत्थिभयं, दुहओ अचक्खुफासे, मज्झे सरा णिवयंति, गामे पलित्तेरन्ने झियाति, रन्ने पलित्ते गामे झियाति, आउसो ! तेतलिपुत्ता ! कओ वयामो ? तते णं से तेतलिपुत्ते पोट्टिलं एवं वयासी भीयस्स खलु भो ! पव्वज्जा, उक्कंट्ठियस्स सदेसगमणं, छायस्स अन्नं, तिसियस्स पाणं, आउरस्स भेसज्जं, माइयस्स रहस्सं, अभिजुत्तस्स पच्चयकरणं, अद्बाणपरिस्संतस्स वाहणगमणं, तरिउकामस्स पवणकिच्चं परं अभिउंजितुकामस्स सहायकिच्चं । खंतस्स दंतस्स जितिदियस्स एत्तो एगमवि ण भवति । तते णं से पोट्टिले देवे तेतलिपुत्तं अमच्चं एवं वदासी सुठु २ णं तुमं तेतलिपुत्ता ! एयमहं आयाणाहि त्ति कट्टु दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयइ, २ जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए । १०३. तते णं तस्स श्री आगमगुणमंजूषा - ६६१ फफफफफफ Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १४ अ. तेतली / १५ अ. मंदिफले [७२] तेयलिपुत्तस्स सुभेणं परिणामेणं जातीसरणे समुप्पन्ने । तते णं तस्स तेतलिपुत्तस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिते चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं इहेव जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे पोक्खलावतीविजए पोंडरिगिणीए रायहाणीए महापउमे नामं राया होत्या । तते णं हं थेराणं अंतिए मुंडे भवित्ता जाव चोस पुव्वाति [अहिज्जित्ता ] बहूणि वासाणि सामन्न [परियागं पाउणित्ता ] मासियाए संलेहणाए महासुक्के कप्पे देवे। तते णं हं ताओ देवलोयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं इहेव तेयलिपुरे तेतलिस्स अमच्चस्स भद्दाए भारियाए दारगत्ताए पच्चायाते । तं सेयं खलु मम पुव्वुद्दिट्ठाई महव्वयाइं सयमेव उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । एवं संपेहेति, २ त्ता सयमेव महव्वयाइं आरुहेति, २ जेणेव पमयवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छति, २ असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि सुहनिसन्नस्स अणुचिंतेमाणस्स पुव्वाधीताइं सामाइयमाइयाइं चोद्दस पुव्वाइं सयमेव अभिसमन्नागयाइं । तते णं तस्स तेतलिपुत्तस्स अणगारस्स सुमेणं परिणामेणं जावं तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं कम्मरयविकरणकरं अपुव्वकरणं पविट्ठस्स केवलवरणाणदंसणे समुप्पन्ने । १०४. तए णं तेतलिपुरे नगरे अहासन्निहिए हिं वाणमंतरेहिं देवेहिं देवीहि य देवदुंदुभीओ समाहयाओ, दसद्धवन्ने कुसुमे निवाइए, चेलुक्खेवे दिव्वे गीयगंधव्वनिनाए कए यावि होत्या । तते णं से कणझ इमीसे कहाए लद्धट्ठे एवं वदासी एवं खलु तेतलि [पुत्ते ] मए अवज्झाते मुंडे भवित्ता पव्वतिते, तं गच्छामि णं तेतलिपुत्तं अणगारं वंदामि नम॑सामि, २ एयमहं विणणं भुज्जो भुज्जो खामेमि, एवं संपेहेति, २ त्ता हाए चाउरंगिणीए सेणाए जेणेव पमयवणे उज्जाणे जेणेव तेतलिपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छति, २ तेतलिपुत्तं अणगारं वंदति नम॑सति, एयमद्वं च णं विणएणं भुज्जो भुज्जो खामेति, नच्चासन्ने जाव पज्जुवासति । तते णं से तेयलिपुत्ते अणगारे कणगज्झयस्स रन्नो तीसे य महइ [महालियाए परिसाए] धम्मं परिकहेइ । तते णं से कणगज्झए राया तेतलिपुत्तस्स केवलिस्स अंतिए धम्मं सोच्चा णिसम्म पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं सावगधम्मं पडिवज्जइ, २ समणोव़ासए जाते अहिगयजीवाजीवे० । तते णं तेतलिपुत्ते केवली बहूणि वासाणि केवलिपरियागं पाउणित्ता जाव सिद्धे । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेण चोद्दसमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते त्ति बेमि । 555 || चोद्दसमं णायज्झयणं संमत्तं ॥ 555 पन्नरसमं अज्झयणं 'दिफले' 55 १०५. जति णं भंते ! चोद्दसमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते, पन्नरसमस्स [ णं णायज्झयणस्स ] के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं चंपा नाम नयरी होत्था । पुण्णभद्दे चेइए । जियसत्तू राया । तत्थ णं चंपाए नयरीए धणे णामं सत्थवाहे होत्या अड्डे जाव अपरिभूए । तीसे णं चंपाए नयरीए उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए अहिच्छत्ता नाम नयरी होत्था, रिद्धत्थिमियसमिद्धा, वण्णओ । तत्थ णं अहिच्छत्ताए नयरीए कणगकेऊ नामं राया होत्था, महया०, वन्नओ । तए णं तस्स धणस्स सत्थवाहस्स अन्नदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि इमेयारूवे अज्झत्थिते चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था सेयं खलु मम विपुलं पणियभंडमायाए अहिच्छत्तं नगरिं वाणिज्जाए गमित्तए, एवं संपेहेति, २ गणिमं च धरिमं च मेज्जं च पारिच्छेज्जं च चउव्विहं भंडं गेण्हइ, २ सगडीसागडं सज्जेइ, २ सगडीसागडं भरेति, २ कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! चंपाए नगरीए सिंघाडग जाव पहेसुं [महया महया सद्देणं उग्घोसेमाणा उग्घोसेमाणा उग्घोसणं करेह ] एवं खलु देवाणुप्पिया ! धणे सत्थवाहे विपुलं पणियं [ भंडमायाए] इच्छति अहिच्छत्तं नगरिं वाणिज्जाए गमित्तते । तं जो णं देवाणुप्पिया ! चरए वा चीरिए वा चम्मखंडए वा भिच्छंडे वा पंडुरंगे वा गोतमे वा गोव्वतिते वा धम्मेवा धम्मचिंतए वा अविरुद्ध-विरुद्ध-वुड्ढ-सावग-रत्तपड-निग्गंथप्पभिती पासंडत्थे वा गिहत्थे वा धणेणं सद्धिं अहिच्छत्तं नगरिं गच्छइ तस्स णं धणे अच्छतगस्स छत्तगं दलाति, अणुवाहणस्स उवाहणाओ दलयति, अकुंडियस्स कुंडियं दलयति, अपत्थयणस्स पत्थयणं दलयति, अपक्खेवगस्स पक्खेवं दलयति, अंतरा विय से पडियस्स वा भग्गलुग्ग [स्स वा] साहेज्जं दलयति, सुहंसुहेण य णं अहिच्छत्तं संपावेति त्ति कट्टु दोच्चं पि तच्चं पि घोसणयं घोसेह, २ मम एयमाणत्तिय॑ पच्चप्पिणह । तते णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव एवं वदासी हंदि सुणंतु भवंतो चंपानगरीवत्थव्वा बहवे चरगा य जाव पच्चप्पिणंति । तते णं तेसिं कोटुंबियपुरिसाणं ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ६६२ 用先用55555555555555 Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HORO$$$$$$$$$$$$$$ (६) णायाधम्मकहाओ प.स. ___/१५ अ. णदिफले (७३] 55$$$$$$$$$$$$FORog HOIC$明明乐乐明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C [अंतिए] एयमढे सोच्चा चंपाए नयरीए बहवे चरगा य जाव गिहत्था य जेणेव धणे सत्यवाहे तेणेव उवागच्छंति । तते णं धणे सत्थवाहे तेसिं चरगाण य जाव गिहत्थाण य अच्छत्तगस्स छत्तगं दलयइ, जाव पत्थयणं दलाति, २ गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! चंपाए नयरीए बहिया अग्गुज्जाणंसि ममं पडिवालेमाणा २ चिट्ठह । तते णं ते चरगा य० धणेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा जाव चिट्ठति । तते णं धणे सत्थवाहे सोहणंसि तिहि-करण-नक्खत्तंसि विपुलं असणं ४ उवक्खडावेइ, २ मित्त-नाइ-णियग-सयण-संबंधि-परिजणं आमंतेति, २ भोयणं भोयावेति, २ आपुच्छति, २त्ता सगडीसागडं जोयावेति, २त्ता चंपाओ नगरीओ निग्गच्छति, २ णाइविगिद्धेहिं अद्धाणेहि वसमाणे २ सुहेहिं वसहि-पायरासेहिं अंगंजणवयं मज्झमज्झेणं जेणेव देसग्गं तेणेव उवागच्छति, २ सगडीसागडं मोयावेति, २ सत्थणिवेसं करेति, कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ एवं वदासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया । मम सत्थनिवेसंसि महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वदह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! इमीसे आगामियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए बहुमज्झदेसभाए एत्थं णं बहवे णंदिफला नाम रूक्खा पन्नत्ता किण्हा जाव पत्तिया पुफिया फलिया हरिया रेरिज्जमाणा सिरीए अतीव अतीव उवसोभेमाणा चिट्ठति, मणुण्णा वन्नेणं जाव मणुन्ना फासेणं, मणुना छायाए, तं जो णं देवाणुप्पिया! तेसिं नंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि वा कंद-तय-पत्त-पुप्फ-फलाणि वा बीयाणि वा हरियाणि वा आहारेति छायाए वा वीसमति तस्स णं आवाए भद्दए भवति, ततो पच्छा परिणममाणा २ अकाले चेव जीवियातो ववरोवेति । तं मा णं देवाणुप्पिया । केइ तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि वा जाव छायाए वा वीसमउ, मा णं से वि अकाले चेव जीवियातो ववरोविज्जति । तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! अन्नेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव हरियाणि य आहारेह छायासु वीसमह त्ति घोसणं घोसेह जाव पच्चप्पिणंति । तते णं धणे सत्थवाहे सगडीसागडंजोएति, २ जेणेव नंदिफला रुक्खा तेणेव उवागच्छति, २त्ता तेसिंनंदिफलाणं अदुरसामंते सत्थणिवेसं करेति, दोच्चं पितच्चं पि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! मम सत्थनिवेसंसि महता सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वयह एए णं देवाणुप्पिया ! ते नंदिफला किण्हा जाव मणुन्ना छायाए । तं जो णं देवाणुप्पिया ! एएसिंणंदिफलाणं रुक्खाणं मूलाणि वा कंद-तया-पत्त-फल जाव अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेति, तं मा णं तुब्भे जाव वीसमह, मा णं अकाले चेव जीवितातो ववरोविस्संति, अन्नेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव वीसमह ति कट्ट घोसणं पच्चप्पिणंति। तत्थ णं अत्थेगइया पुरिसा धणस्स सत्थवाहस्स एयमढे सद्दहति जाव रोयंति, एयमलु सद्दहमाणा पत्तियमाणा रोएमाणा तेसि नंदिफलाणं दूरंदूरेण परिहरमाणा अन्नेसिं रुक्खाणं मूलाणि य जाव वीसमंति, तेसि णं आवाए नो भद्दए भवति, ततो पच्छा परिणममाणा २ सुभरूवत्ताए ५ सुव्वरुपत्ताए सुव्वरसत्ताए सव्वगन्धत्ताए सव्वकासत्ताए सव्वछायताए भुज्जो भुज्जो परिणमंति, एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा जाव पंचसु कामगुणेसु नो सज्जति नो रज्जति नो मुच्छति नो मुच्छति ३ से णं इह भवे चेव बहूणं समणाणं ४ अच्चणिज्जे, परलोए नो आगच्छति जाव वीतीवतिस्सति । तत्थ णं अप्पेगतिया पुरिसा धणस्स एयमद्वं नो सद्दहति नो पत्तियंति नो रोयंति, धणस्स एयमढे असद्दहमाणा अपत्तियमाणा अरोएमाणा जेणेव ते नंदिफला तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता तेसिं नंदिफलाणं मूलाणि य जाव वीसमंति, तेसिणं आवाए भद्दए भवति, ततो पच्छा परिणममाणा जाव ववरोवेति, एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा पव्वतिए पंचसु कामगुणेसु सज्जति ३ जाव अणुपरियट्टिस्सति, जहा व ते पुरिसा । तते णं से धणे सगडीसागडं जोयावेति, २ जेणेव अहिच्छता नगरी तेणेव उवागच्छति, २ अहिच्छत्ताए नयरीए बहिया अग्गुजाणे सत्थनिवेसं करेति, २ सगडीसागडं मोयावेइ । तए णं से धणे सत्थवाहे महत्थं महग्धं महरिहं रायरिहं पाहुडं गेण्हइ, २ बहूहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुडे अहिच्छत्तं नगरि मज्झमज्झेणं अणुपविसइ, २ जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छति, २ करयल जाव वद्धावेइ, २ तं महत्थं महग्धं महरिहं पाहुडं उवणेति । तए णं से कणगकेऊ राया हद्वतुढे धणस्स सत्थवाहस्स तं महत्थं महग्धं महरिहं जाव पडिच्छइ, धणं सत्थवाहं सक्कारेति सम्माणेति, २ उस्सुकं वियरति, २ पडिविसज्जेइ । तए णं से धणे भंडविणिमयं करेइ, २ परिभंडं गेण्हति, २ सुहंसुहेणं जेणेव चंपानयरी तेणेव उवागच्छति, २ मित्त-नाति -[णियग-सयण-संबंधि-परिजणेण सद्धिं ] अभिसमन्नागते विपुलाइं माणुस्सगाइं जाव विहरति । ते णं काले णं ते णं समए णं थेरागमणं, धणे धम्म सोच्चा जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठवेत्ता पव्वइए, सामाइयमाझ्याइं 听听听听听听听助步步步步步步步步步步步步馬斯PTT - $$$$$$$$$$$$$$ $$$$$$%) GNC%%$$$$$$$历乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FF明明明明明明明明明听乐园 Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FROR95$$$$$$$$ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १५ अ. णंदिफले / १६ अ. अवरकंका [४] 555555555555 x oy O$$$$乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听55CM एक्कारस अंगाई [अहिजित्ता,] बहूणि वासाणि [सामण्णपरियागं पाउणित्ता] मासियाए सं [लेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता] अन्नतरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं करेहिति । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पन्नरसमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमिका पन्नसमं णायज्झयणं सम्मत्तं ॥ॐ सोलसमं अज्झयणं 'अवरकंका १०६. जति णं भंते ! [समणेणं भगवता महावीरेणं] पन्नरसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते, सोलसमस्सणं णायज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू ! तेणं काले णं ते णं समए णं चंपा नाम नयरी होत्था। तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए सुभूमिभागे नाम उज्जाणे होत्था । तत्थ णं चंपाए नयरीए तओ माहणा भातरो परिवसंति, तंजहा सोमे, सोमदत्ते, सोमभूती, अड्डा जाव रिव्वेद ४ जाव सुपरिनिट्ठिया। तेसि णं माहणाणं तओ भारियातो होत्था, तंजहा नागसिरी, भूयसिरी, जक्खसिरी, सुकुमाल जाव तेसिणं माहणाणं इट्ठाओ विपुले माणुस्सए जाव विहरंति । तते णं तेसिं माहणाणं अन्नया कयाइ एगयओ समुवागयाणं जाव इमेयारूवे मिहो कहासमुल्लावे समुप्पज्जित्थाएवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं इमे विपुले धण जाव सावतेज्जे, अलाहि जाव आसत्तमाओ कुलवंसाओ पकामं दाउं पकामं भोत्तुं पकामं परिभाएउं, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! अन्नमन्नस्स गिहेसु कल्लाकल्लिं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडेउं परिभुंजमाणाणं विहरित्तए । अन्नमन्नस्स एयमट्ठ पडिसुणेति, २ कल्लाकल्लिं अन्नमन्नस्स गिहेसु विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेति,२ परि जमाणा विहरंति । तते णं तीसे नागसिरीए माहणीए अन्नदा भोयणवारए जाते यावि होत्था । ततेणं सा नागसिरी विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडेति, २ एगं महं सालतियं तित्तालाउयं बहुसंभारसंजुत्तंणेहावगाढं उवक्खडावेति, २ एगं बिंदुयं करतलम्मि आसाएइ, २ तं खारं कडुयं अखज्जं विसभूयं जाणित्ता एवं वदासि धिरत्थु णं मम नागसिरीए अहन्नाए अप्पुणाए दूभगाए दूभगसत्ताए दूभगणिंबोलियाए, जाए णं मए सालइए बहुसंभारसंभिए नेहावगाढे उवक्खडिए, सुबहुदव्वक्खए य नेहक्खए य कए, तं जति णं ममं जाउयाओ जाणिस्संति तो णं ममं खिसिस्संति ४ । तं जाव ममं जाउयाओ ण जाणंति ताव मम सेयं एयं सालतियं तित्तलाउयं बहुसंभारणेहकयं एगते गोवेत्तए, अन्नं सालइयं महुरालाउयं जाव नेहावगाढं उवक्खडेत्तए, एवं संपेहेति, २त्तातं सालतियं जाव गौवेइ, २ अन्नं सालतियं महुरालाउयं उवक्खडेइ, २ तेसिंमाहणाणं ण्हायाणंजाव सुहासणवरगयाणं तं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं परिवेसेति। ततेणं ते माहणा जिमितभुत्तुत्तरागया समाणा आयंता चोक्खा परमसूइभूया सकम्मसंपउत्ता जाया यावि होत्था। तते णं ताओ माहणीओ ण्हायाओजाव विभूसियाओ तं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं आहारेति, २ जेणेव सयाइंसयाइंगेहाइं तेणेव उवागच्छंति, २ सकम्मसंपउत्तातो जायातो। १०७. ते णं काले णं ते णं समए णं धम्मघोसा नाम थेरा जाव बहुपरिवारा जेणेव चंपा नाम नगरी जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे तेणेव उवा [गच्छंति,२ अहापडिरूवं जाव विहरंति । परिसा निग्गया, धम्मो कहिओ, परिसा पडिगया । तए णं तेसिं धम्मघोसाणं थेराणं अंतेवासी धम्मरुई नाम अणगारे ओराले जाव तेयलेस्से मासंमासेणं खममाणे विहरति । तते णं से धम्मरूई अणगारे मासखमणपारणगंसि पढमाए पोरुसीए सज्झायं करेइ, बीयाए पोरुसीए, एवं जहा गोयमसामी तहेव उग्गाहेति, तहेव धम्मघोसं थेरं आपुच्छइ, २ जाव चंपाए नयरीए उच्चनीच-मज्झिमकुलाइं जाव अडमाणे जेणेव नागसिरीए माहणीए गिहे तेणेव अणुपविढे। तते णं सा नागसिरी माहणी धम्मरुइं अणगारं एज्जमाणं पासति, २त्ता तस्स सालइयस्स तित्तलाउयस्स बहु [संभारसंभियस्स हा [वगाढस्स] एडणट्ठयाए हट्ठतुट्ठा उट्ठाए उठेति, २ त्ता जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छति, २ तं सालतियं तित्तालाउयं बहु संभारसंभियं नेहा वगाढं धम्मरुइस्स अणगारस्स पडिग्गहगे सव्वमेव निसिरति। ततेणं से धम्मरुई अणगारे अहापज्जत्तमिति कट्ट नागसिरीए माहणीए गिहातो पडितिक्खमति, २ त्ता चपाए नगरीए मज्झंमज्झेणं पडिनिक्खमति, २ जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे तेणेव उवागच्छति, जेणेव धम्मघोसा थेरा तेणेव उवागच्छति, २त्ता धम्मघोसस्स अदूरसामंते अन्न-पाणं पडिलेहेति, २ अन्नपाणं से करयलंसि पडिदंसेति । तते णं ते धम्मघोसा थेरा तस्स सालइतस्स नेहावगाढस्स गंधेणं अभिभूया समाणा ततो सालझ्यातो नेहावगाढाओ एगं बिंदुगं गहाय ॥ GO乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 ॐtexod श्री आगमगुणमंजूषा-६६४ 46:08 Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOR95455555555555 ) णायाधम्मकहाओ प. स. / १६ अ. अवरकंका (०५] 55555555555 F OR 45955555555555555QSION करयलंसि आसाति, २ तं तित्तगं खारं कडुयं अखज्जं अभोजं विसभूयं जाणित्ता धम्मरूयिं अणगारं एवं वदासी जति णं तुमं देवाणुप्पिया ! एयं सालइयं जाव नेहावगाढं आहारेसि तो णं तुमं अकाले चेव जीवितातो ववरोविज्जसि, तं मा णं सुमं देवाणुप्पिया ! इमं जाव आहारेसि, मा णं तुमं अकाले चेव जीविताओ ववरोविज्जसि । तं गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! इमं सालतियं एगंतमणावाए अचित्ते थंडिले परिट्ठवेहि, २ अन्नं फासुयं एसणिज्जं असण-पाण-खाइम-साइमं पडिगाहेत्ता आहारं आहारहि । तते णं से धम्मरुई अणगारे धम्मघोसेणं थेरेणं एवं वुत्ते समाणे धम्मघोसस्स थेरस्स अंतियाओ पडिनिक्खमति, २ ता सुभूमिभागउज्जाणाओ अदूरसामंते थंडिल्लं पडिलेहेति, २त्ता तातो सालइयातो एगं बिंदुंगहाय थंडिलंसि निसिरति । तते णं तस्स सालतियस्स तित्तकडुयस्स बहु [संभारसंभियस्स] नेहावगाढस्स गंधेणं बहूणि पिपीलिगासहस्साणि पाउब्भूयाणि, जा जहा य णं पिपीलिका आहारेति सा तहा अकाले चेव जीवितातो ववरोविज्जति । तते णं तस्स धम्मरुइस्स अणगारस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था जइ ताव इमस्स सालतियस्स जाव क एगंमि बिंदुगंमि पक्खित्तंमि अणेगातिं पिपीलिकासहस्साइं ववरोविजंति, तं जति णं अहं एयं सालइयं थंडिल्लंसि सव्वं निसिरामि तो णं बहूणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं वहकरणं भविस्सति, तं सेयं खलु ममेयं सालइयं जाव गाढं सयमेव आहारेत्तए, ममं चेव एएणं सरीरएणं णिज्जाउ त्ति कट्ट एवं संपेहेति, २ त्ता मुहपोत्तियं पडिलेहेति, २ त्ता ससीसोवरियं कायं पमज्जेति, २ त्ता तं सालइयं तित्तकडुयं बहु [संभारसंभियं] नेहावगाढं बिलमिव पन्नगभूतेणं अप्पाणेणं सव्वं सरीरकोट्ठगंसि पक्खिवति । तते णं तस्स धम्मरुइस्स तं सालइयं जाव नेहावगाढं आहारियस्स समाणस्स मुहुत्तंतरेणं परिणममाणंसि सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूता उज्जला जाव दुरहियासा । तते णं से धम्मरुई अणगारे अथामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति कट्ट आयारभंडगं एगते ठवेइ, २ त्ता थंडिलं पहिलेहेति, [२] दब्भसंथारगं संथरेइ, २ दब्भसंथारगं दुरुहति, २ त्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसण्णे करयलपरिग्गहियं [दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट] एवं वदासी नमोऽत्थु णं अरहंताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं धम्मघोसाणं थेराणं मम धम्मायरियाणं धम्मोवएसयाणं, पुव्विं पिणं मए धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए सव्वे पाणातिवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव परिग्गहे, इयाणि पिणं अहं तेसिं चेव भगवंताणं अंतिए सव्वं पाणातिवायं पच्चक्खामि जाव परिग्गह पच्चक्खामि जावज्जीवाए, जहा खंदओ जाव चरिमेहिं उस्सास नीसासेहिं] वोसिरामि त्ति कट्ट आलोइयपडिक्कंते समाधिपत्ते कालगए । तते णं ते धम्मघोसा थेरा धम्मरुई अणगारं चिरगयं जाणित्ता समणे निग्गंथे सद्दावेति, २त्ता एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया! धम्मरुई अणगारे मासखमणपारणगंसि सालइयस्स जाव गाढस्स णिसिरणट्ठयाए बहिया निग्गते चिरावेति, तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं करेह। ततेणं ते समणा निग्गंथा जाव पडिसुणेति, २ त्ता धम्मघोसाणं थेराणं अंतियाओ पडिनिक्खमंति, २ धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं करेमाणा २ जेणेव थंडिल्लं तेणेव उवागच्छंति, २ धम्मरुइस्स अणगारस्स सरीरगं निप्पाणं निच्चेटुं जीवविप्पजढं पासंति, २त्ता हा हा अहो अकज्जमिति कट्ट धम्मरुइस्स अणगारस्स परिणिव्वाणवत्तियं काउसग्गं करेंति, २त्ता धम्मरुइस्स आयारभंडगं गेण्हंति, २त्ता जेणेव धम्मघोसा थेरा तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता गमणागमणं पडिक्कमंति, २ भत्ता एवं वदासी एवं खलु अम्हे तुब्भं अंतियाओ पडिनिक्खमामो, सुभूमिमागस्स उज्जाणस्स परिपेरंतेणं धम्मरुइस्स अणगारस्स सव्वतो जाव करेमाणा जेणेव ॐ थंडिल्ले तेणेव उवाग [च्छामो] जाव इहं हव्वमागया, तं कालगए णं भंते ! धम्मरूई अणगारे, इमे से आयारभंडए। तते णं ते धम्मघोसा थेरा पुव्वगए उवओगं गच्छंति, २ त्ता समणे निग्गंथे निग्गंथीओ य सद्दावेंति, २त्ता एवं वदासी एवं खलु अज्जो ! मम अंतेवासी धम्मरुई नाम अणगारे पगइभद्दए जा विणीए ॐ मासंमासेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं जाव नागसिरीए माहणीए गिहं अणुप्पविढे । तए णं सा नागसिरी माहणी जाव निसिरइ । तए णं से धम्मसई अणगारे म अहापज्जत्तमिति कट्ट जाव कालं अणवकंखमाणे विहरति । सेणं धम्मरुई अणगारे बहूणि वासाणि सामन्नपरियागं पाउणित्ता आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे र कालं किच्चा उ९ सोहम्म जाव सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अजण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता, तत्थ णं धम्मरुइस्स वि Mero555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा ६६५555555555555555555$$$$OOR [[$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$SSSSLOE C$$$$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मामananananamann55:) (६) णायाधम्मकहाओ प.सु. /१६ अ, अवरकका ७६] 55555555555555OSXY AGRO55555555555555555555555555555555555555555555555ol देवस्स तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता । से णं धम्मरुई देवे ताओ देवलोगाओ जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं काहिति।१०८. तं धिरत्थुणं अज्जो ! नागसिरीए माहणीए अधन्नाए अपुन्नाए जाव णिंबोलियाए, जाए णं तहारूवे साहू साहुरूवे धम्मरुई अणगारे मासखमणपारणगंसि सालइएणं जाव गाढेणं अकाले चेव जीवितातो ववरोविए। तते णं ते समणा निग्गंथा धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए एतमढे सोच्चा णिसम्मा चंपाए सिंघाडग-तिग जाव बहुजणस्स एवमातिक्खंति ४ - धिरत्थु णं देवाणुप्पिया ! नागसिरीए माहणीए जाव जिंबोलियाए जाए णं तहारूवे साहू साहुरूवे धम्मरुई सालतिएणं जाव जीवियाओ ववरोविते । तए णं तेसिं समणाणं निग्गंथाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्मा जाव बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमातिक्खति, एवं भासति, एवं पण्णवेति, एवं परूवेति धिरत्थु णं नागसिरीए माहणीए जाव ववरोविते । तते णं ते माहणा चंपाए नगरीए बहुजणस्स अंतिए एतमढे सोच्चा निसम्मा आसुरुत्ता जाव मिसिमिसेमाणा जेणेव नागसिरी माहणी तेणेव उवागच्छंति,त्ता नागसिरिं माहणिं एवं वदासी है भो नागसिरी ! अपत्थियपत्थिए दुरंतपंतलक्खणे हीणपुण्णचाउद्दसे ! धिरत्थु णं तव अधन्नाए अपुण्णाए जाव थिंबोलियाते, जाए णं तुमे धम्मरुई अणगारे मासखमणपारणगंसि सालतिएणं जाव ववरोविते, उच्चावयाहिं अक्कोसणाहिं अक्कोसेति, उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेंति, उच्चावयाहिं णिच्छुहणाहिं णिच्छुब्भंति, उच्चावयाहिं णिच्छोडणाहिं निच्छोडेंति, तज्जैति, तालेति, तज्जित्ता तालित्ता सयातो गिहातो निच्छुभंति । तते णं सा नागसिरी सयातो गिहातो निच्छूढा समाणी चंपाए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चरचउम्मुह जाव बहुजणेणं हीलज्जमाणी खिसिज्जमाणी निदिज्जमाणी गरहिज्जमाणी तज्जिज्जमाणी पव्वहिज्जमाणी धिक्कारिजमाणी थुक्कारिज्जमाणी कत्थइ ठाणं वा निलयं वा अलभमाणी दंडिखंडनिवसणा खंडमल्लयखंडघडगहत्थगया फुट्टहडाहडसीसा मच्छियाचडगरेणं अन्निज्जमाणमग्गा गेहंगेहेणं देहंबलियाए वित्ति कप्पेमाणी विहरति । तते णं तीसे नागसिरीए माहणीए तब्भवंसि चेव सोलस रोयातंका पाउब्भूया, तंजहा सासे कासे जोणिसूले जाव कोढे । तए णं सा नागसिरी माहणी, सोलसहिं रोयतंकेहिं अभिभूता समाणी अट्टदुहट्टक्सट्टा कालमासे कालं किच्चा छट्ठाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्टितीएसु नेरईएसु नेरईयत्ताए उववन्ना । सा णं तओऽणंतरं उव्वट्टित्ता मच्छेसु उववन्ना, तत्थ णं सत्थवज्झा दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा अहेसत्तमाए पुढवीए उक्कोससागरोवमद्वितीएसुनेरइएसु उववन्ना । सा णं ततोऽणंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि मच्छेसु उववज्जति, तत्थ वि य णं सत्थवज्झा दाहवक्कंतीए दोच्चं पि अहे सत्तमाए पुढवीए उक्कोससागरोवमद्वितीएसु नेइएसु उववज्जति । सा णं तओहितो जाव उव्वट्टित्ता तच्चं पि मच्छेसु उववन्ना, तत्थ वि य णं सत्थवज्झा दाहवक्कंतीए जाव कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पिछट्ठाए पुढवीए [उक्कोस सागरोवमट्टितीएसुनेरइएसु उववन्ना] । तओऽणंतरं उव्वट्टित्ता उरगेसु, एवं जहा गोसाले तहा नेयव्वं जाव रयणप्पभातो सण्णीसु उववन्ना । ततो उव्वट्टित्ता जाइं इमाइं खहयरविहाणाइं जाव अदुत्तरं च णं खरबायरपुढविकाइयत्ताते तेसु अणेगसतसहस्सखुत्तो [उद्दाइत्ता उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो भुज्जो पच्चायाता] । १०९. साणं तओऽणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे, भारहे वासे, चंपाए नयरिए, सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिसि दारियत्ताए पच्चायाया। तते णं सा भद्दा सत्थवाही णवण्हं मासाणं [बहुपडिपुण्णाणं] दारियं पयाया सुकुमालकोमलियं गयतालुयसमाणं । तए णं तीसे दारियाए निव्वत्तबारसाहियाए अम्मापियरो इमं एतारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज्ज करेति जम्हा णं अम्हं एसा दारिया सुकुमाल [कोमलिया गयतालुयसमाणा तं होउणं अम्हं इमीसे दारियाए नामधेनं सुकुमालिया २॥ तते णं तीसे दारियाए अम्मापितरो नामधेनं करेंति सुकुमालिय त्ति । तए णं सा सूमालिया दारिया पंचधाईपरिग्गहिया तंजहा खीरधाईए जाव गिरिकंदरमल्लीणा इव चंपकलया निव्वायनिव्वाघायंसि जाव परिवड्डइ । तते णं सा सूमालिया दारिया उम्मुक्कबालभावा जाव रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाता यावि होत्था । ११०. तत्थ णं चंपाए नयरीए जिणदत्ते नाम सत्थवाहे अड्डे० । तस्स णं जिणदत्तस्स भद्दा भारिया सूमाला इट्ठा जाव माणुस्सए कामभोगे पच्चणुब्भवमाणा विहरति । तस्स णं जिणदत्तस्स पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सागरए नाम दारए सूमाल जाव सुरूवे । तते णं से जिणदत्ते सत्थवाहे अन्नदा कयाइ सातो गिहातो पडिनिक्खमति, २ त्ता सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं वीतिवयइ, इमं च णं सूमालिया दारिया ण्हाया KOO5555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ६६६5555 55555 55555TOR 520听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明2 Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XOKO$$ $$$$$$$5 ) णायाधम्मकहाओ प. स. /१६ अ, अवरकंका [७७]5 5 55555555eroy FOR9555555555555555555555555555555555555555555555555OXOS चेडियाचक्कवाल सद्धिं संपरिवुडा उप्पिं आगासतलगंसि कणगतेंदूसएणं कीलमाणी २ विहरति । तते णं से जिणदत्ते सत्थवाहे सूमालियं दारियं पासति, २ त्ता सूमालियाए दारियाए रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य जायविम्हए कोडुबियपुरिसे सद्दावेति, २ एवं वदासी एस णं देवाणुप्पिया ! कस्स दारिया, किं वा णामधेज्जं से? तते णं ते कोडुंबियपुरिसा जिणदत्तेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठा करयल जाव एवं वयासी एस णं देवाणुप्पिया ! सागरदत्तस्स सत्थवाहस्सधूया भद्दाए अत्तया सूमालिया नाम दारिया सुकुमालपाणिपाया जाव उक्किट्ठा [उक्किट्ठसरीरा] । तते णं से जिणदते सत्थवाहे तेसि कोडुबियाणं अंतिए एयमढे सोच्चा जेणेव सए गिहे तेणेव उवा गच्छति, २ पहाए जाव मित्त-नाइ- [णियग-सयण-संबंधि-परिजणस] परिवुडे चंपाए मज्झमज्झेणं जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागए । तए णं से सागरदत्ते सत्थवाहे जिणदत्तं सत्थवाह एज्जमाणं पासइ, २ त्ता आसणाओ अब्भुढेइ, २त्ता आसणेणं उवणिमंतेति, २ आसत्थं वीसत्थं सुहासणवरगयं एवं वयासी भण देवाणुप्पिया ! किमागमणपओयणं ? तते णं से जिणदत्ते सत्थवाहे सागरदत्तं सत्थवाह एवं वयासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! तव धूयं भद्दाए अत्तयं सूमालियं सागरस्स भारियत्ताए वरेमि, जति णं जाणह देवाणुप्पिया ! जुत्तं वा, पत्तं वा, सलाहणिज्जं वा, सरिसो वा संजोगो, ता दिज्जउ णं सूमालिया सागरगस्स दारगस्स, तते णं देवाणुप्पिया ! भण किं दलामो सुकं सूमालियाए ? तए णं से सागरदत्ते सत्यवाहे जिणवाहं सत्थवाहं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! सूमालिया दारिया मम एगा धूया एगजाया इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणामा जाव किमंग पुण पासणयाए ? तं नो खलु अहं इच्छामि सूमालियाए दारियाए खणमवि विप्पओगं, तं जति णं देवाणुप्पिया ! साजरए दारए मम घरजामाउए भवति तो णं अहं सागरस्स दारगस्स सूमालियं दलयामि । तते णं से जिणदत्ते सत्थवाहे सागरदत्तेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ते समाणे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, २ सागरगं दारगं सद्दावेति, २त्ता एवं वयासी एवं खलु पुत्ता ! सागरदत्ते सत्थहे मम एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया! सूमालिया दारिया इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणामा, तं चेव , तं जति णं सागरए दारए मम घरजामाउए भवति जाव दलयामि । तते णं से सागरए दारए जिणदत्तेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए [संचिट्ठति । तते णं जिणदत्ते सत्थवाहे अन्नदा कयाइ सोहणंसि तिहि-करण- [णक्खत्त-मुहुर्तसि] विउलं असण ४ उवक्खडावेति, २ मित्त-णाइ -[णियगसयण-संबंधि-परिजणं] आमंतेइ, २ जाव सम्माणित्ता सागरगं दारगं पहायं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेइ, २ पुरिससहस्सवाहिणीयं सीयं दुरुहावेति, २ ता मित्त-णाइ जाव संपरिवुडे सव्विड्डीए सातो गिहाओ निग्गच्छति, २ त्ता चंपं नयरिं मझमज्झेणं जेणेव सागरदत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छति, २त्ता सीयाओ पच्चोरुहति, २त्ता सागरगं दारगं सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स उवणेति । तते णं से सागरदत्ते सत्यवाहे विपुलं असण ४ उवक्खडावेइ, २ जाव सम्माणेत्ता सागरगं दारगं सूमालियाए दारियाए सद्धिं पट्टयं दुरुहावेइ, २ सेयापीतएहिं कलसेहि मज्जावेति, २ अग्गिहोम कारावेति, २ त्ता सागरगं दारयं सूमालियाए दारियाए पाणिं गेण्हावेति । १११. तते णं से सागरए दारए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं पाणिफासं पडिसंवेदेति से जहानामए असिपत्ते इ वा जाव मुम्मुरे इवा एत्तो अणिठ्ठतराए चेव अकंततराए चेव अप्पियतराए चेव अमणुण्णतराए चेव अमणामतराए चेव पाणिफासं संवेदेति । तते णं से सागरए अकामए अवसवसे मुहत्तमेत्तं संचिट्ठति । तते णं सागरदत्ते सत्थवाहे सागरगस्स दारमस्स अम्मापियरो मित्त-णाइ[णियग-सयण-संबंधि-परिजणं च] विपुलं(लेणं) असण ४ पुप्फ-वत्थ जाव सम्माणेत्ता पडिविसज्जेति। तते णं सागरए दारए सूमालियाए सद्धिं जेणेक कारघरे तेणेव उवागच्छति, २ सूमालियाए दारियाए सद्धिं तलिमंसि निवज्जति । तते णं से सागरए दारए सूमालियाए दारियाए इमं एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेति, से जहा नामए असिपत्ते इ वा जाव अमणामतरागं चेव अंगफासं पच्चणुब्भवमाणे विहरति । तते णं से सागरए दारए तं अंगफासं असहमाणे अवसवसे मुहुत्तमेत्तं संचिट्ठति। तते णं से सागरए दारए सूमालिय दारिय सुहपसुतं जाणित्ता सूमालियाए दारियाए पासातो उडेति, २ जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छति, २ सयणीयंसि निवज्जइ। तते णं सा सूमालिया दारिया तओ मुहत्तंतरस्स पडिबुद्धा समाणी पतिवया पतिमणुरत्ता पति पासे अपस्समाणी तलिमाओ उद्वेति, २ जेणेव से सयणिज्जे तेणेव ॥ उवागच्छति, २ सागरस्सदारगस्स पासे णुवज्जइ । तते णं से सागरए दारए सूमालियाए दारियाए दोच्चं पि इम एयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेति जाव अकामए Nexo5 5 55555555 श्री आगमगुणमंजूषा- ६६७ $ $$$$$$$$$$$$$ $$$OOK 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听3 Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १६ अ. अवरकका [७८] अवसव्वसे मुहुत्तमेत्तं संचिट्ठति । तते णं से सागरए दारए सूमालियं दारियं सुहपसुत्तं जाणित्ता सयणिज्जाओ उट्ठे, २ वानघरस्स दारं विहाडेति, २ त्ता मारामुक्के विव काए जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगते । ११२. तते णं सा सूमालिया दारिया ततो मुहुत्तंतरस्स पडिबुद्धा समाणी पतिवया जाव अपासमाणी सयणिज्जाओ उट्टेति, २ सागरस्स दारगस्स सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं करेमाणी २ वासघरस्स दारं विहाडियं पासइ, २ एवं वयासी गए णं से सागरए ति कट्टु ओहयमणसंकप्पा जाव झियायति । तते णं सा भद्दा सत्थवाही कल्लं पाउ० दासचेडिं सद्दावेति, सद्दावेता एवं वयासी गच्छहणं तुमं देवाणुप्पिए ! वहुवरस्स मुधोवणियं उवणेहि । तते णं सा दासचेडी भद्दाए सत्थवाहीए एवं वुत्ता समाणी एयमद्वं तह त्ति पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता मुहधोवणियं गेण्हति, २ जेणेव वासघरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता सूमालियं दारियं जाव झियायमाणि पासति, पासेत्ता एवं वयासी किन्नं तुमं देवाणुप्पिए ! ओहयमण जाव झियाहि ? तते णं सा सूमालिया दारिया तं दासचेडिं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिए ! सागरए दारए ममं सुहपसुत्तं जाणित्ता मम पासाओ उट्ठेति, उट्ठेत्ता वासघरदुवारं अवगुणति, वासघरदुवारं अवगुणित्ता जाव पडिगए। तते णं हं ततो मुहुत्तंतरस्स जाव विहाडियं पासामि पासेता गए णं से सागरए ति कट्टु ओहयमण जाव झियायामि। तते सादास चेडी मालियाए दारियाए एयमहं सोच्चा जेणेव सागरदत्ते सत्थवाहे तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता सागरदत्तस्स एयमहं निवेएइ । तते णं से सागरदत्ते सत्थवाहे दासचेडीए अंतिए एयमद्वं सोच्चा निसम्मा आसुरुत्ते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे जेणेव जिणदत्तस्स सत्यवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता जिणदत्तं सत्यवाहं एवं वयासीकिण्णं देवाणुप्पिया ! एवं जुत्तं वा पत्तं वा कुलाणुरूवं वा कुलसरिसं वा जण्णं सागरए दारए सूमालियं दारियं अदिट्ठदोसवडियं पइंवयं विप्पजहाय इहमागते ? बहूहिं खिज्जणियाहिं य रूटणियाहिं य उवालभति । तए णं जिणदत्ते सत्थवाहे सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स एयमहं सोच्चा णिसम्मा जेणेव सागरए दारए तेणेव उवागच्छति, २ सागरयं दारयं एवं वयासी दुट्टु णं पुत्ता ! तुमे कयं सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स गिहाओ इहं हव्वमागच्छंतेणं, तं गच्छह णं तुमं पुत्ता ! एवमवि गते सागरदत्तस्स गिहे । तते णं से सागरए दारए जिणदत्तं सत्थवाहं एवं वयासी- अवि यातिं अहं ताओ! गिरिपडणं वा तरुपडणं वा मरूप्पवायं वा जलप्पवेसं वा विसभक्खणं वा सत्थोवाडणं वा वेहाणसं वा गद्धपिट्टं वा पव्वज्जं वा विदेसगमणं वा अब्भुवगच्छेज्जा, नो खलु अहं सागरदत्तस्स गिहं गच्छेज्जा । तते णं से सागरदत्ते सत्थवाहे कुटुंतरिए सागरयस्स एयमहं निसामेति, २ त्ता लज्जिए विलिए विड्डे जिणदत्तस्स सत्थवाहस्स गिहातो पडिनिक्खमइ, २ त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता सुकुमालियं दारियं सद्दावेइ, २ अंके निवेसेइ, २ त्ता एवं वयासी किण्णं तव पुत्ता ! सागरएणं दारगेणं ? अहं णं तुमं तस्स दाहामि जस्स तुमं इट्ठा जाव मणामा भविस्ससि त्ति सूमालियं दारियं ताहिं इट्ठाहिं कंताहिं पियाहिं मणुष्णाहिं मणामाहिं वग्गूहिं समासासेइ, २ पडिविसज्जेइ । तए णं से सागरदत्ते सत्थवाहे अन्नया उप्पिं आगासतलगंसि सुहनिसण्णे रायमग्गं ओलोएमाणे २ चिट्ठति । तते गं से सागरदत्ते एगं महं दमगपुरिसं पासइ दंडिखंडनिवसणं खंडमल्लग-खंडघडगहत्थगयं मच्छियासहस्सेहिं जाव अन्निज्जमाणमग्गं । तते गं से सागरदत्ते सत्थवाहे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! एवं दमगपुरिसं विउलेणं असण- पाण- खाइम साइमेणं पलोभेह, २ गिहं अणुपवेसेह, २ खंडमल्लगं खंडघडगं च से एगंते एडेह, २ अलंकारियकम्मं कारेह, २ दमगं हायं कयबलिकम्मं जाव सव्वालंकारविभूसियं करेह, २ मणुण्णं असण- पाण- खाइम साइमं भोयावेह, २ मम अंतियं उवणेह । तए णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव पडिसुणेति, २ जेणेव से दमगपुरिसे तेणेव उवागच्छंति, २ तं दमगं असण-पाण- खाइम साइमेणं उवप्पलोभेति, २ सयं गिहं अणुपवेसंति, तं खंडमल्लगं खंडघडगं च तस्स दमगपुरिसस्स एगंते एडेंति । तते णं से दमगे तंसि खंडमल्लगंसि खंडघडगंसि य एडिज्नमाणंसि महया महया सद्देणं आरसति । तए णं से सागरदत्ते तस्स दमगपुरिसस्स तं महता २ आरसियसद्दं सोच्चा निसम्मा कोटुंबियपुरिसे सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-किण्णं देवाणुप्पिया ! एस दमगपुरिसे महया २ सद्देणं आरसति ? तते णं ते कोटुंबियपुरिसा एवं व्यासी एस णं सामी ! तंसि खंडमल्लगंसि खंडघडगंसि य एडिज्जमाणंसि महया २ सद्देणं आरसइ । ततेां से सागरदत्ते सत्थवाहे ते कोटुंबियपुरिसे एवं वयासी माणं तुब्भे देवाणुप्पिया ! एयस्स दमगस्स तं खंड जाव एडेह, पासे से ठवेह, जहा अपत्तियं ण भवति । ते श्री आगमगुणमंजूषा ६६८ কএএরএ এ Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. ./ १६ अ. अवरकंका (७९) फफफफफफफ वि तहेव ठावेंति, २ तस्स दमगस्स अलंकारियकम्मं कारेति, २ सयपाग-सहस्सपागेहिं तेल्लेहिं अब्भंगेति, अब्भंगिए समाणे सुरभिणा गंधट्टएणं गायं उब्वट्टेति, २ त्ता उसिणोदगगंधोदगेणं ण्हाणेंति, २ सीतोदगेणं ण्हाणेति, २ पम्हलसुकुमालाए गंधकासाईए गायाइं लूहेति, २ त्ता हंसलक्खणं पडगसाडगं परिहेति, २ ता सव्वालंकारभूसियं करेति, २ विउलं असण- पाण- खाइम - साइमं भोयावेंति, २ त्ता सागरदत्तस्स उवर्णेति । तए णं से सागरदत्ते सत्थवाहे सूमालियं दारियं हायं जाव सव्वालंकारभूसियं कारेत्ता तं दमगपुरिसं एवं वयासी एस णं देवाणुप्पिया ! मम धूया इट्ठा कंता पिया मणुण्णा मणामा, एयं णं अहं तव भारियत्ताए दलामि, भद्दियाए भद्दतो भवेज्जासि। तते णं से दमगपुरिसे सागरदत्तस्स एयमहं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता सूमालियाए दारियाए सद्धिं वासघरं अणुपविसति, २ सूमालियाए दारियाए सद्धिं तलिमंसि निवज्जइ । तते णं से दमगपुरिसे सूमालियाए दारियाए इमेयारूवं अंगफासं पडिसंवेदेति, सेसं जहा सागरगस्स जाव सयणिज्जा उट्ठेइ, २ उत्ता वासघराओ निरगच्छति, वासघराओ निग्गच्छित्ता खंडमल्लगं खंडघडगं च गहाय मारामुक्के विव काए जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए। तते णं सा सूमालिया जाव गए णं से दमगपुरिसे त्ति कट्टु ओहयमण जाव झियायति । ११३. तते णं सा भद्दा कल्लं पाउप्पभाया० दासचेडिं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयास जाव सागरदत्तस्स एयमहं निवेदेति । तते णं से सागरदत्ते तहेव संभंते समाणे जेणंव वासघरे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता सूमालियं दारियं अंके निवेसेति निवेसित्ता एवं वयासी अहो णं तुमं पुत्ता ! पुरा पोराणाणं जाव पच्चणुब्भवमाणी विहरसि, तं मा णं तुमं पुत्ता ! ओहयमण जाव झियाहि, तुमं णं पुत्ता ! मम महाणसंसि विपुलं असण- पाण- खाइम साइमं जहा पोट्टिला जाव परिभाएमाणी विहराहि । तते णं सा सूमालिया दारिया एयमहं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता महाणसंसि विपुलं असण-पाण-खाइम - साइमं जाव दलमाणी विहरइ । ते णं काले णं ते समए णं गोवालियाओ अज्जाओ बहुस्सुयाओ जहेव तेतलिणाए सुव्वाओ समोसढाओ, तहेव संघाडओ जाव अणुपविट्ठो, तहेव जाव सूमालिया पडिलाभेत्ता एवं वदासी एवं खलु अज्जाओ ! अहं सागरस्स दारगस्स अणिट्ठा जाव अमणामा, नेच्छइ णं सागरए दारए मम नामं वा जाव परिभोगं वा, जस्स जस्स वि य णं दिज्जामि तस्स तस्स वि य णं अणिट्ठा जाव अमणामा भवामि, तुब्भे यणं अज्जाओ ! बहुनायाओ एवं जहा पोट्टिला जाव उवलब्द्धे जेणं अहं सागरस्स दारगस्स इट्ठा कंता जाव भवेज्जामि, अज्जाओ तहेव भांति, तहेव साविया जाया, चिंता, तहेव सागरदत्तं सत्थवाहं आपुच्छति, जाव गोवालियाणं अंतिए पव्वइया । तते णं सा सूमालिया अज्जा जाया इरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी बहूहिं चउत्थ-छट्ठ-ट्ठम जाव विहरति, तते णं सा सूमालिया अज्जा अन्नया कयाइ जेणेव गोवालियाओ अज्जाओ तेणेव उवागच्छति, २ त्ता वंदति नम॑सति, २ एवं वयासी इच्छामि णं अज्जाओ! तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणी चंपाए बाहिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते छछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं सूराभिमुही आयावेमाणी विहरित्तए । तते णं ताहो गोवालियाओ अज्जाओ सूमालियं अज्जं एवं वयासी अम्हे णं अज्जे ! समणीओ निग्गंथीओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभचारिणीओ, नो खलु अम्हं कप्पति बहिया गामस्स वा जाव सणिवेसस्स वा छछट्टेणं जाव विहरित्तए, कप्पति णं अम्हं अंतो उवस्सयस्स वतिपरिक्खित्तस्स संघाडिद्धियाणं समतलपतियाए आयावेत्तए । तते णं सा सूमालिया गोवालियाए एयमहं नो सद्दति, नो पत्तियति, नो रोएति, एयमठ्ठे असद्दहमाणी अपत्तियमाणी अरोएमाणी सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते छद्वंछद्वेणं जाव विहरति । ११४. तत्थ णं चंपाए ललिया नाम गोट्ठी परिवसति, णरवइदिणविया रा अम्मापिइनियगनिप्पिवासा वेसविहारकयनिकेया नाणविहअविणयप्पहाणा अड्डा जाव अपरिभूया । तत्थ णं चंपाए नयरीए देवदत्ता नामं गणिया होत्था सूमाला जहा अंडणाए । तते णं तीसे ललियाए गोट्ठीए अन्नया पंच गोट्ठिल्लगपुरिसा देवदत्ताए गणियाए सद्धिं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उज्जाणसिरिं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति । तत्थ णं एगे गोट्ठिल्लगपुरिसे देवदत्तं गणियं उच्छंगे धरेति, एगे पिट्ठओ आयवत्तं धरेइ, एगे पुप्फपूरयं रएइ, एगे पाए रएइ, एगे चामरुक्खेवं करेइ । तते णं सा सूमालिया अज्जा देवदत्तं गणियं तेहिं पंचहिं गोट्ठिल्लपुरिसेहिं सद्धिं ओरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणी (णि) पासति, २ त्ता इमेयारूवे संकप्पे समुप्पज्जित्था - अहो णं इमा इत्थिया पुरा पोराणाणं जाव विहरइ । तं जति णं केइ इम्मस्स सुचरियस्स तव नियम- बंभचेरवासस्स कल्लाणे फलवित्तिविसेसे अत्थि श्री आगमगुणमंजूषा - ६६९ 6666666666 Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ LOXOFFE$$$$$$$$$ ६) णायाधम्मकहाओ प. सु. /१६ अ. अवरकंका (८०] 55555555 xog तो णं अहमवि आगमेस्सेणं भवग्गहणेणं इमेयारूवाई ओरालाइं जाव विहरेज्जामि त्ति कट्ट नियाणं करेति, २ त्ता आयावणभूमीओ पच्चोरुभति । ११५. तते णं सा सूमालिया अज्जा सरीरबाउसा जाया यावि होत्था, अभिक्खणं २ अत्थे धोवति, पाए धोवति, सीसं धोवति, मुखं धोवति, थणंतराई धोवति, कक्खंतराइ धोवति, गुज्झंतराइं धोवति, जत्थ य णं ठाणं सेज्जं वा निसीहियं वा चेतेति तत्थ वि य णं पुव्वामेव उदएणं अब्भुक्खेइ, २ त्ता ततो पच्छा ठाणं वा सेज् वा निसीहियं वा चेतेति । तते णं तातो गोवालियाओ अज्जाओ सूमालियं अजं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिए ! अज्ने ! अम्हे समणीओ निग्गंथीओ इरियासमियाओ जाव बंभचेरधारिणीओ, नो खलु कप्पति अम्हं सरीरबाउसियाए होत्तए। तुमं च णं अज्ने ! सरीरबाउसिया अभिक्खणं २ हत्थे धोवसि जाव चेतेसि, तं तुम णं देवाणुप्पिए! एतस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि । तते णं सूमालिया गोवालियाणं अजाणं एयम8 नो आढाइ, नो परिजाणाति, अणाढायमीणा अपरिजाणमीणा विहरति । तए णं ताओ अज्जाओ सूमालियं अज्जं अभिक्खणं २ हीलंति जाव परिभवंति, अभिक्खणं २ एयमद्वं निवारेति । तते णं तीसे सूमालियाए समणीहिँ निग्गंथीहिं हीलिज्जमाणिए जाव वारिज्जमाणीए इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था जदा णं अहं अगारमज्झे वसामि तया णं अहं अप्पवसा,जया णं हं मुण्डा [भवित्ता] पव्वइया तया णं हं परवसा, पुव्विं च णं ममं समणीओ आति, परिजाणंति, इयाणिं नो आदति, नो परिजाणंति, तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्प० गोवालियाणं अज्जाणं अंतियाओ पडिनिक्खमित्ता पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेति, २ कल्लं पाउप्प० गोवालियाणं अज्जाणं अंतियाओ पडिनिक्खमति, २ पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ताणं विहरति । तते णं सा सूमालिया अज्जा अणोहट्टिया अनिवारिया सच्छंदमती अभिक्खणं २ हत्थे धोवइ जाव चेएति । तत्थ वि य णं पासत्था पासत्थविहारी ओसन्ना ओसन्नविहारी कुसीला कुसीलविहारी संसत्ता संसत्तविहारी बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणति, २ अद्धमासियाए संलेहणाए तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे अण्णतरंसि विमाणंसि देवगणियत्ताए उववण्णा। तत्थेगतियाणं देवीणं नव पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं सूमालियाए देवीए नव पलिओवमाइं ठिती पन्नत्ता। ११६. ते णं काले णं ते णं समए णं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पंचालेसु जणवएसु कंपिल्लपुरे नाम नगरे होत्था, वण्णओ। तत्थ णं दुवए नाम राया होत्था, वण्णओ। तस्स णं चुलणी देवी, धट्ठज्जुणे कुमारे जुवराया। तए णं सा सूमालिया देवी ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं जाव चइत्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पंचालेसु जणवएसु कंपिल्लपुरे नगरे दुपयस्स रण्णो चुलणीए देवीए कुच्छिसि दारियत्ताए पच्चायाया। तते णं सा चुलणी देवी नवण्हं मासाणं जाव दारियं पयाया। तते णं तीसे दारियाए निव्वत्तबारसाहियाए इमं एयारूवं [गोण्णं गुणनिप्फण्णं] नाम [नामधेज्जं करेंति] जम्हा णं एसा दारिया दुवयस्स रण्णो धूता चुलणीए अतया तं होउ णं अम्हं इमीसे दारियाए नामधेज्जे दोवती दोवती । तए णं तीसे अम्मापियरो इमं एयारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज करेंति दोवती दोवती। तते णं सा दोवती दारिया पंचधाईपरिग्गहिया जाव के गिरिकंदरमल्लीणा इव चंपगलया निव्वायनिव्वाघासियंसि सुहंसुहेणं परिवड्डइ । तते णं सा दोवई रायवरकन्ना उम्मुक्कबालभावा जाव उक्किट्ठसरीरा जाया यावि होत्था। तते णं तं दोवंति रायवरकन्नं अण्णया कयाइ अंतेउरियाओ ण्हायं जाव विभूसियं करेंति, २त्ता दुपयस्स रण्णो पायवंदियं पेसेंति । तते णं सा दोवती रायवरकन्ना जेणेव दुपए राया तेणेव उवागच्छइ, २ दुपयस्स रण्णो पायग्गहणं करेति । तए णं से दुपए राया दोवतिं दारियं अंके निवेसेति, २ त्ता दोवतीए रायवरकन्नाए रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य जायविम्हए दोवइं रायवरकन्नं एवं वयासी जस्स णं अं तुमं पुत्ता ! रायस्स वा जुवरायस्स वा भारियत्ताए सयमेव दलइस्सामि तत्थ णं तुमं सुहिया वा दुहिया वा भवेज्जासि । ततेणं मम जावज्जीवाए हिययडाहे भविस्सइ। तं णं अहं तव पुत्ता ! अज्जयाए सयंवरं वियरामि, अज्जोपाए है णं तुम दिण्णसयंवरा जण्णं तुमं सयमेव रायं वा जुवरायं वा वरेहिसि से णं तव भत्तारे भविस्सति त्ति कट्ट ताहिं इट्ठाहिं जाव आसासेइ, २ पडिविसज्जेइ । ११७. तते मणं से दुवए राया दूतं सद्दावेति, २त्ता एवं वयासी गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! बारवई नगरिं, तत्थ णं तुमं कण्हं वासुदेवं, समुद्दविजयपामोक्खे दस दसारे, २ बलदेवपामोक्खे पंच महावीरे, उग्गसेणपामोक्खे सोलस रायसहस्से, पज्जुण्णपामोक्खाओ अछुट्ठाओ कुमारकोडीओ, संबपामोक्खाओ सट्ठिदुइंतसाहस्सीओ, Mros5555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ६७०55555555$$$$$$ $$$$$OTOR 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听FGO GO乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听乐场乐乐乐乐乐乐C Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ K (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. वीरसेणपामोक्खाओ एक्कवीसं वीरपुरिससाहस्सीओ, महसेणप्रामोक्खाओ छप्पन्नं बलवगसाहस्सीओ, अन्ने य बहवे राईसर-तलवरसेट्ठि-सेणावति-सत्थवाहप्पभितओ करतलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेहि, २ एवं वयाहि एवं खलु देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे नगरे दुपयस्स रण्णो धूयाए चुलणीए अत्तयाए धट्टज्जुणकुमारस्स भगिणीए दोवईए रायवरकण्णाए सयंवरे भविस्सह, तं णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! दुपयं रायं अणुगिण्हमाणा अकालपरिहीणं चेव कंपिल्लपुरे नगरे समोसरह । तए णं से दूए करयल जाव कट्टु दुपयस्स रण्णो एयमहं पडिसुणेति, २ जेणेव सए गि उवागच्छइ, २ कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंट आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह, जाव उवट्टवेति । तए णं से दूर ह जाव सरीरे चाउग्घंटं आसरहं दुरुहति, २ बहूहिं पुरिसेहिं सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणेहिं सद्धिं संपरिवुडे कंपिल्लपुरं नगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छति, २ पंचालजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव देसप्पंते तेणेव उवागच्छइ, २ सुरद्वाजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव बारवती नगरी तेणेव उवागच्छइ, २ बारवई नगरिं मज्झंमज्झेणं अणुपविसइ, २ जेणेव कण्हस्स वासुदेवस्स बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, २ चाउग्घंटं आसरहं ठवेइ, २ रहाओ पच्चोरुहति, २ मणुस्सवग्गुरापरिक्खित्ते पायचारविहारेणं जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ, २ कण्हं वासुदेवं समुद्दविजयपामोक्खे य दस दसारे जाव बलवगसाहसीओ करयल तं चैव जाव समोसरह । तते णं से कण्हे वासुदेवे तस्स दूयस्स अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म हट्ठ जाव हियए तं दूतं सक्कारेति सम्माणेति, २ पडिविसज्जेति । तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसं सद्दावेति, २ एवं वयासी गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! सभाए सुहम्माए सामुदाइयं भेरिं तालेहि । तए णं से कोडुंबियपुरिसे करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु] कण्हस्स वासुदेवस्स एयमद्वं पडिसुणेति, २ जेणेव सभाए सुहम्माए सामुदाइया भेरी तेणेव उवागच्छति, २ सामुदाइयं भेरिं महया २ सद्देणं तालेति । तए णं ताए सामुदाइयाए भेरीए तालियाए समाणीए समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव महसेणपामोक्खाओ छप्पण्णं बलवगसाहस्सीओ पहाया जाव विभूसिया जहाविभवइडिसक्कारसमुदएणं अप्पेगइया हयगया अप्पेगतिया जाव पायचारविहारेण जेणेव कण्हे वासुदेव तेणेव उवागच्छंति, २ करयल जाव कण्हं वासुदेवं जएणं विजएणं वद्धावेति । तए णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अभिसेक्वं हत्थिरयणं पडिकप्पेह हयगय जाव पच्चप्पिणंति । तते णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव मज्झणघरे तेणेव उवागच्छति, २ समुत्तजालाकुलाभिरामे जाव अंजणगिरिकूडसन्निभं गयवई नरवई दुरूढे । तते गं से कण्हे वासुदेवे समुद्दविजयपामोक्खेहिं दसहिं दसारेहिं जाव अणंगसेणापामोक्खाहिं अणेगाहिं गणियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्डीए जाव रवेण बारवई नगरिं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ, २ सुरट्ठाजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेवदेसप्पंते तेणेव उवागच्छइ, २ पंचालजणवयस्स मज्झंमज्झेणं जेणेव कंपिल्लपुरे नगरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं से दुवए राया दोच्चं दूयं सद्दावेइ, २ एवं वयासी गच्छ णं तु देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरं नगरं । तत्थ णं तुमं पंडुरायं सपुत्तयं, जुहिट्ठिल्लं, भीमसेणं, अज्जुणं, नउलं, सहदेवं दुज्जोहणं भाइसयसमग्गं, गंगेयं, विदुरं, दोणंजयद्दहं, सउणिं, कीवं, आसत्थामं करयल जाव कट्टु तहेव जाव समोसरह । तए णं से दूए एवं वयासी जहा वासुदेवे, नवरं भेरी नत्थि, जाव जेणोव कंपिल्लपुरे नयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । एतेणेव कमेणं तच्च॑ दूयं चंपं नयरिं । तत्थ णं तुमं कण्णे अंगरायं सल्लं नंदिरायं करयल तहेव जाव समोसरह । चउत्थं दूयं सुत्तिमहं नयरिं । तत्थ णं तुमं सिसुपालं दमघोससुयं पंचभाइसयसंपरिवुडं करयल तहेव जाव समोसरह । पंचमं दूयं हत्थिसीसयं नगरं । तत्थ णं तुमं दमदंतं रायं करयल जाव समोसरह । छहं दूयं महुरं नगरं, तत्थ णं तुमं धरं रायं करयल जाव समोसरह । सत्तमं दूयं रायगिहं नगरं । तत्थ णं तुमं सहदेवं जरासिंधसुयं करयल जाव समोसरह । अट्ठमं दूयं कोडिण्णं नयरिं । तत्थ णं तुमं रुप्पिं भेसगसुयं करयल तहेव जाव समोसरह । नवमं दूयं विराडं नयरं । तत्थ णं तुमं कीयगं भाउसयसमग्गं करयल जाव समोसरह । दसमं दूयं अवसेसेसु गामा-ऽऽगर नगरेसु, अणेगाइं रायसहस्साइं जाव समोसरह । तए णं से दूए तहेव निग्गच्छइ जेणेव गामा-ऽऽगर नगर तहेव जाव समोसरह । तए णं ताई अगाई रायसहस्साइं तस्स दूयस्स अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म हट्ठ० तं दूयं सक्कारेति सम्माणेति, २ पडिविसज्जिति । तए णं ते वासुदेवपामोक्खा बह श्री आगमगुणमंजूषा ६७ / १६ अ. अवरकंका [८१] 4 4 4 4 5 5 5 5 5 5 出版 माडिबिय- कोडुंबिय - इब्भ Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOTI13131331 (६) णायाधम्मकहाओ प. स. - ... /१६ अ. अवरकका [८२] 555555555toxox vir $$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$乐听听听听听$$$$$$$$$$50D रायसहस्सा पत्तेयं २ ण्हाया सन्नद्ध(द्धा) हत्थिखंधवरगया हय-गय-रह- [पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा] महयाभडचडकर-पहकर [वंदिपरिक्खित्ता] सएहिं २ नगरेहितो अभिनिग्गच्छंति, २त्ता जेणेव पंचाले जणवए तेणेव पहारेत्थ गमणाए।११८. तए णं से दुवए राया कोडुबियपुरिसे सद्धावेइ, म २त्ता एवं वयासी गच्छह णं तुमे देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे नगरे, बहिया, गंगाए महानदीए अदूरसामंते एगं महं सयंवरमंडवं करेह अणेगखंभसप्तसन्निविट्ठ 卐 लीलट्ठियसालभंजियागं जाव पच्चप्पिणंति। तएणं से दुपदे राया दोच्चं पि कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, २ एवं वयासी खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आवासे करेह । ते वि करेत्ता पच्चप्पिणंति । तए णं से दुपए राया वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आगमणं जाणिता पत्तेयं २ हत्थिखंध जाव परिवुडे अग्धं च पज्झं च गहाय सव्विड्डीए कंपिल्लपुराओ निग्गच्छइ, २ जेणेव ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा तेणेव उवागच्छइ, २ ताई वासुदेवपामोक्खाइं अग्घेण य पज्जेण य सक्कारेति सम्माणेइ, २त्ता तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं पत्तेयं २ आवासे वियरति । तए णं ते वासुदेवपामोक्खा जेणेव सया २ आवासा तेणेव उवागच्छंति, २ हत्थिखंधाहिंतो पच्चोरुहंति, २ पत्तेयं पत्तेयं खंधावारनिवेसं करेति, २ सएसु सएसु आवासेसु अणुपविसंति, २ सएसु २ आवासेसु य असणेसु य सयणेसु य सण्णिसण्णा य संतुयट्टा य बहूहिं गंधव्वेहि य नाडएहि य उवगिज्जमाणा य उवणच्चिज्जमाणा य विहरंति । तते णं से दुवए राया कंपिल्लपुरं नगरं अणुपविसति, २ विपूलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेति, २त्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं सुरं च मजं च महुंच सीधुं च पसण्णं च सुबहुं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारं च वासुदेवयामोक्खाणं रायसहस्साणं आवासेसु साहरह। ते वि साहरंति । तते णं ते वासुदेवपामोक्खा तं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं जाव पसन्नं च आसाएमाणा विस्साएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा विहरंति, जिमियभुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा आयंता जाव सुहासणवरगया बहूहिं गंधव्वेहि य जाव विहरंति । तते णं से दुपदे राया पच्चावरण्हकालसमयंसि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, २ त्ता एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! कंपिल्लपुरे सिंघाडग जाव पहेसु वासुदेवपामुक्खाण य रायसहस्साण आवासेसु हत्थिखंधवरगया महया २ सद्देणं उग्रोसेमाणा २ एवं वदह एवं खलु देवाणुप्पिया ! कल्लं पाउ० दुपदस्स रण्णो धूयाए चुलणीए देवीए अत्तयाए धट्ठज्जुणस्स भगिणीए दोवतीए रायवरकण्णाए सयंवरे भविस्सति, तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! दुपदं रायाणं अणुगिण्हमाणा व्हाया जाव विभूसिया हत्थिखंधवरगया सकोरेंट [मल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं] सेयचामर [राहिं वीइज्जमाणा] हय-गय-रह- [पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा] महयाभडचडगर जाव परिक्खित्ता जेणेव सयंवरामंडवे तेणेव उवागच्छह, २ पत्तेयं पत्तेयं नामंकेसु आसणेसु निसीयह, २ दोवतिं रायवरकण्णं पडिवालेमाणा २ चिट्ठह, घोसणं घोसेह, [२] मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडुबिय० तहेव जाव पच्चप्पिणंति । तए णं से दुवए राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, २ एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सयंवरमंडवं आसियसम्मज्जिओवलित्तं सुगंधवरगंधियं पंचवण्णपुप्फोवयारकलियं कालागरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्क जाव गंधवट्टिभूयं मंचाइमंचकलियं करेह, २ वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं पत्तेयं नामंकाई आसणाई अत्थुयपच्चत्थुयाइं रएह, २ एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह । ते वि जाव पच्चप्पिणंति । तते णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा कल्लं पाउ० व्हाया जाव विभूसिया हत्थिखंधवरगया सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं [वीइज्जमाणा] हयगय जाव परिवुडा सव्विड्डीए जाव रवेणं जेणेव सयंवरा [मंडवे] तेणेव उवागच्छंति, २ अणुपविसंति, २ पत्तेयं २ नामंकेसु निसीयंति, २ दोवई रायवरकण्णं पडिवालेमाणा २ चिट्ठति । तएणं से दुपए राया कल्लं० ण्हाए जाव विभूसिए हत्थिखंधवरगए सकोरेंट [मल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं] हय-गय [रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे] कंपिल्लपुरं णयरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छति, २ जेणेव सयंवरामंडवे जेणेव वासुदेवपामोक्खा बहवे प रायसहस्सा तेणेव उवागच्छति, २ तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं करतल परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट जएणं विजएणं वद्वावेति,] वद्वावेत्ता कण्हस्स वासुदेवस्स सेयवरचामरं गहाय उववीयमाणे २ चिट्ठति । ११९. तए णं सा दोवती रायवरकन्ना कल्लं पाउपभाए जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छति, २ Beyo # 55554 श्री आगमगुणमजूषा- ६७२॥5555555555555555555-OR MOO听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明 Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1619555555555555555 ) णायाधम्मकहाओ प. म. १.अ. अवरकंका ८३] 5555555555555550 र 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听 त्ता मज्जणघरं अणुपविसति, २ ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिया मज्जणधरओ पडिनिक्खमइ. २ जेणेव जिणघरे तेणेव उवागच्छइ, २ जिणघरं अणुपविसइ, २ जिणपडिमाणं आलोए पणाम करेति, २ लोमहत्थयं परामुसति, २ एवं जहा सूरियाभो जिणपडिमाओ' अच्चेति तहेव भाणियव्वं जाव धृवं डहइ, २ वामं जाणुं अंचेति, दाहिणं जाणुं धरणितलंसि णिहट्ट तिक्खुनो मुद्धाणं धरणितलंसि णिमेइ. २ ईसिं पच्चुणामति २ करयल जाव कट्ट एवं वयासी नमोऽत्थु णं अरहताणं भगवंताणं जाव संपत्ताणं । वंदइ नमसइ, २ जिणधराओ पडिनिक्खमति, २ ताजणेव अंत उर तणव उवागच्छइ । १२०. तते णं तं दोवइं रायवरकन्नं अंतेउरियाओ सव्वलंकारविभूसियं करेंति, किं ते ? वरपायपत्तणेउर जाव चेडियाचक्कवालमयहरिगवंदपरिक्खित्ता अंतेउराओ पडिणिक्खमति, २ जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ, २ किड्डावियाए लेहियाए सद्धिं चाउग्घंटं आसरह दुरुहति । तते णं से धट्ठज्जुणे कुमारे दोवतीए कण्णाए सारत्थं करेति । तते णं सा दोवती रायवरकण्णा कंपिल्लपुरं नयरं मज्झंमज्झेणं जेणेव सयंवरमंडवे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता रहं ठवेति, २ रहाओ पच्चोरुहति, २त्ता किड्डावियाए लेहियाए सद्धिं सयंवरमंडवं अणुपविसति, २ करयलप [रिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट] तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं पणामं करेति । तते णं सा दोवती रायवरकन्ना एगं महं सिरिदामगंडं, किं ते? पाडल-मल्लियचंपय जाव सत्तच्छयाईहिं गंधद्धणिं मुयंतं परमसुहफासं दरिसणिज्जं गेण्हति । तते णं सा किड्डाविया सुरूवा जाव कामहत्थेण चिल्लगं दप्पणं गहेऊण सललियं दप्पणसंकंतबिंबसंदंसिए य से दाहिणेण हत्थेण दरिसए पवररायसीहे, फुडविसयविसुद्धरिभियगंभीरमहुरभणिया सा तेसिं सव्वपत्थिवाणं अम्मापिऊ-वस-सत्तसामत्थ-गोत्त-विक्कंति-कंति-बहुविहआगम-माहप्प-रूव-कुल-सीलजाणिया कित्तणं करेति । पढमं ताव वण्हिपुंगवाणं दसारवरवीरपुरिसतेलोक्कबलवगाणं सत्तुसयसहस्समाणा-वमद्दगाणं भवसिद्धियवरपुंडरीयाणं चिल्लगाणं बल-वीरिय-रूव-जोव्वण-गुण-लावन्न-कित्तिया कित्तणं करेति। ततो पुणो उग्गसेणमाइयाणं जायवाणं । भणति य सोहग्गरूवकलिते वरेहि वरपुरिसगंधहत्थीण जो हु ते होति हिययदइओ। तते णं सा दोबई रायवरकन्नगा बहूणं रायसहस्साणं मज्झंमज्झेणं समतिच्छमाणी २, पुव्वकयणियाणेणं चोइज्जमाणी २, जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छति, २ ता ते पंचपंडवे तेणं दसद्धवण्णेणं आवेढित-परिवेढिए करेति, २ त्ता एवं वयासी एए णं मए पंच पंडवा वरिया। तते णं ताई वासुदेवपामोक्खाई बहूणि रायसहस्साणि महया २ सद्देणं उग्धोसेमाणाइं २ एवं क्यंति-सुवरियं खलु भो! दोवतीए रायवरकन्नाए त्ति कट्ट संयवरमंडवाओ पडिनिक्खमंति, २ त्ता जेणेव सया सया आवासा तेणेव उवागच्छंति । तते णं धट्ठज्जुणे कुमारे पंच पंडवे दोवतिं च रायवरकण्णं चाउग्घंटं आसरह हेति, २ त्ता कंपिल्लपुरं णयर मज्झमझेणं जाव सयं भवणं अणुपविसति । तते णं दुवए राया पंच पंडवे दोवतिं रायवरकण्णं पट्टयं दूहेति, २ सेयापीयएहिं कलसेहिं मन्झावेति, २त्ता अग्गिहोम कारेति, २पंचण्हं पंडवाणं दोवतीए पाणिग्गहणं कारेति । तते णं से दुपए राया दोवतीए रायवरकण्णाए इमं एयारूवं पीतिदाणं दलयति, तंजहा अट्ठहिरण्णकोडीओ जाव अट्ठ पेसणकारीओ दासचेडीओ, अण्णं च विपुलं धणकणग जाव दलयति। तते णं से दुपए राया ताई वासुदेवपामोमक्खाइं रायसहस्साई विपुलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंध जाव पडिविसज्जेति।१२१. तते णं से पंडू राया तेसिं वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं करयल परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट] एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरे नगरे पंचण्हं पंडवाणं दोवतीए य देवीए कल्लाणकारे भविस्सति । तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! ममं अणुगिण्हमाणा अकालपरिहीणं चेव समोसरह । तते णं ते वासुदेवपामोक्खा पत्तेयं २ जाव पहारेत्थ गमणाए । तते णं से पंडू राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ. २ एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरे पंचण्हं पंडवाणं पंच पासायवडेंसए कारेह अब्भुग्णयमूसिय० वण्णओ जाव पडिरूवे। तते णं ते कोडुबियपुरिसा पडिसुणेति जाव कारावेति । तते णं से पंडूराया पंचहिं पंडवेहिं दोवतिए देवीए सद्धिं हयहै गय- -रह-पवर-जोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिखुडे कंपिल्लपुराओ पडिनिक्खमइ, २ त्ता जेणेव हत्थिणाउरे तेणेव उवागते । तते णं से पंडू राया, तेसिं वासुदेव-पामोक्खाणं आगमणं जाणित्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, २ एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरस्स नयरस्स बहिया 5555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६७३5555555555$$$$$$$$$$FSOK $听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听CC 55442OD Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मंकहाओ प. सु. / १६ अ. अवरकंका [८४] वासुदेवपामोक्खाणं बहूणं रायसहस्साणं आवासे कारेह अणेगखंभयस्स० तहेव जाव पच्चप्पिणंति । तते णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव हत्थिणाउरे णयरे तेणेव उवागच्छंति । तते णं से पंडू राया ते वासुदेवपामोक्खा जाव आगए जाणित्ता हट्टतुट्ठे पहाए कयबलिकम्मे जहा दुपओ जाव जहारिहं आवासे दलयति । ते ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा जेणेव सया २ आवासा तेणेव उवागच्छंति, २ तहेव जाव विहरंति। तते णं से पंडू राया हत्थिणाउरं णयरं अणुपविसति, २ कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ एवं वयासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! विपुलं असण- पाण- खाइम साइमं तहेव जाव उवर्णेति । तते णं ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्सा ण्हाया कयबलिकम्मा तं विपुलं असण- पाण- खाइम साइमं तहेव जाव विहरंति । तते णं से पंडू राया ते पंचपंडवे दोवतिं च देवि पट्टयं दुरुहेति, २ त्ता सेयापीएहिं कलसेहिं ण्हावेति, २ त्ता कल्लाणकारं कारेति, २ ते वासुदेवपामोक्खा बहवे रायसहस्से विपुलेणं असण पाण- खाइम साइमेणं पुप्फ-वत्थ -[ गंधमल्लालंकारेणं] सक्कारेति सम्माणेति जाव पडिविसज्जेति । तते णं तातिं वासुदेवपामोक्खातिं बहूतिं जाव पडिगयातिं । १२२. तते णं ते पंच पंडवा दोवतीए देवीए सद्धिं कल्लाकल्लिं वारंवारेणं ओरालातिं भोगभोगातिं जाव विहरंति। तते णं से पंडू राया अन्नया कयाइ पंचहिं पंडवेहिं, कोंतीए देवीए, दोवतीए य देवीए सद्धिं अंत अंतेउरपरियाल सद्धिं सपरिवुडे सीहासणवरगते यावि विहरति । इमं च णं कच्छुल्लणारए दंसणेणं अतिभद्दए विणीए अंतो २ य कलुसहियए मज्झत्थोवत्थिए य अल्लीणसोमपियदंसणे सुरूवे अमइल्सगलपरिहिए कालमियचम्मउत्तरासंगरइयवच्छे दंड कमंडलुहत्थे जडामउडदित्तसिरए जन्नोवइयगणेत्तिय-मुंजमेहलवा हत्थकयकच्छभीए पियगंधव्वे धरणिगोयरप्पहाणे संचरणावरणि-ओवयणुप्पयणि-लेसणीसु य संकामणि- अभिओग- पण्णत्ति-गमणी थंभणीसु य बहुसु विज्जाहरीसु विज्जासु विस्सुयजसे, इट्ठे रामस्स य केसवस्स य पज्जुन्न- पईव-संब- अनिरुद्ध - णिसढ- उम्मुय - सारण -गय- सुमुह- दुम्मुहातीण जायवाणं अद्भुट्ठाण य कुमारकोडी हिययदइए, संथवए, कलह जुद्ध- कोलाहलप्पिए, भंडणाभिलासी, बहूसु य समरसयसंपराएस दंसणरए, समंततो कलहं सदक्खिणं अणुगवेसमाणे, असमाहिकरे दसारवरवीरपुरिसतेलोक्कबलवगाणं, आमंतेऊण तं भगवतिं पक्कमणि गगणगमणदच्छं उप्पइओ गगणमभिलंघयंतो गामा-गर-नगर-खेड- कब्बड - मडंब - दोणमुहपट्टण संबाहसहस्समंडियं थिमियमेइणीतं वसुहं ओलोइते रम्मं हत्थिणाउरं उवागए पंडुरायभवणंसि अइवेगेण समोवइए । तते णं से पंडू राया कच्छुल्लनाराय एज्नमाणं पासति, २त्ता पंचहि पंडेवेहिं कुंतीए य देवीए सद्धिं आसणातो अब्भुट्ठेति, २ त्ता अग्घेण य पज्जेण य आसणेण य उवणिमंतेइ । तते णं से कच्छुल्लनारए उदगपरिफोसियाए दब्भोवरिपच्चत्थुयाए भिसियाए णिसीयति, २ पंडुं रायं रज्जे य जाव अंतेउरे य कुसलोदंतं पुच्छइ । तते णं से पंडू राया कुंती देवी पंच य पंडवा कच्छुल्लणारयं आढंति जाव पज्जुवासंति । तए णं सा दोवई देवी कच्छुल्लनारयं अस्संजय- अविरय- अप्पडिहय- अपच्चक्खायपावकम्मे त्ति कट्टु नो आढाति, नो परियाणति, नो अब्भुट्टेति, नो पज्जुवासति । १२३. तते णं तस्स कच्छुल्लणारयस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिंतिते पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था अहो णं दोवती देवी रूवेण य जाव लावण्णेण य पंचहिं पंडवेहिं अवथद्धा समाणी ममं णो आढाति जाव नो पज्जुवासइ तं सेयं खलु मम दोवतीए देवीए विप्पियं करेत्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेति, २ पंडुं रायं आपुच्छइ, २ त्ता उप्पयणि विज्जं आवाहेति, २ त्ता ताए उक्कट्ठाए जाव विज्जाहरगतीए लवणसमुद्दं मज्झमज्झेणं पुरत्थाभिमु वीतिवतिउं पयत्ते यावि होत्था। ते णं काले णं ते णं समए णं धायइसंडे दीवे पुरत्थिमद्धदाहिणद्धभारहे वासे अवरकंका णाम रायहाणी होत्था । तत्थ णं अवरकंकाए रायहाणीए पउमणाभे णाम राया होत्था महताहिमवंत०, वण्णओ । तस्स णं पउमणाभस्स रण्णो सत्त देवीसतातिं ओरोहे होत्था । तस्स णं पउमनाभस्स रण्णो सुनाभे ना त्वया या होत्था । तते णं से पउमणाभे राया अंतो अंतेउरंसिं ओरोहसंपरिवुडे सीहासणवरगते विहरति । तए णं से कच्छुल्लणारए जेणेव अवरकंका रायहाणी, जेणेव पउमनाभस्स भवणे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता पउमणाभस्स रण्णो भवणंसि झत्ति वेगेणं समोवतिते । तते णं से पउमनाभे राया कच्छुल्लनारयं एज्माणं पासति, २त्ता आसणातो अब्भुट्ठेति, २ अग्घेणं जाव आसणेणं उवणिमंतेति । तए णं से कच्छुल्लनारए उदयपरिफोसियाए दब्भोवरिपच्चत्थुयाए भिसियाए निसीयइ जाव कुसलोदंतं पुच्छति । तते णं से पउमनाभे राया णियगओरोहे जायविम्हए कच्छुल्लणारयं एवं वयासी तुमं णं देवाणुप्पियवा ! बहूणि गामाणि जाव श्री आगमगुणमंनुषा-१७३ 1 9 0 4 4 4 4 乐乐乐出乐乐乐 新 Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Yo95555555555555555 ) णायाधम्मकहाओ प. सु. /१६ अ, अवरकंका (८५) 555555555555555OXOY गिहातण अणुपविससि, तं अत्थि याइं ते कहिंचि देवाणुप्पिया ! एरिसए ओरोहे दिट्ठपुव्वे जारिसए णं मम ओरोहे ? तते णं से कच्छुल्लनारए पउमनाभेणं रण्णा एवं वुत्ते समाणे ईसिं विहसियं करेइ, २ ता एवं वयासी सरिसे णं तुम पउमणाभ ! तस्स अगडदडुरस्स । के णं देवाणुप्पिया ! से अगडदडुरे ? एवं जहा मल्लिणाए। एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुदीवे दीवे भारहे वासे हतिथणाउरे नयरे दुप्पयस्स रण्णो धूया चुलणीए देवीए अत्तया पंडुस्स सुण्हा पंचण्हं पंडवाणं भारिया दोवती णाम देवी रूवण य जाव उक्किट्ठसरीरा। दोवईए णं देवीए छिन्नस्स वि पायंगुट्ठस्स अयं तव ओहोहे सतिमं पि कलं ण अग्घति त्ति कट्ट, पउमणामं आपुच्छति, २ ता जाव पडिगते । तते णं से पउमनामे राया कच्छुल्लनारय [स्स ?] अंतियं एयमढे सोच्चा णिसम्म दोवतीए देवीए रूवे य जोव्वणे य लावण्णे य मुच्छिए गढिए गिद्धे अज्झोववन्ने जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छति, २ पोसहसालं जाव पुव्वसंगतियं देवं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुदीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणाउरे नयरे जाव सरीरा। तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! दोवइं देविं इहमाणीयं । ततेणं से पुव्वसंगतिए देवे पउमनाभं एवं वयासी नो खलु देवाणुप्पिया ! एतं भूतं वा भव्वं वा भविस्सं वाजंणं दोवती देवी पंच पंडवे मोत्तूण अन्नेण पुरिसेण सद्धिं ओरालातिंजाव विहरिस्सति। तहा वियणं अहं तव पियट्ठताए दोवतिं देविं इह हव्वमाणेमि त्ति कट्ट पउमणाभं आपुच्छइ, २ ता ताए उक्किट्ठाए जाव लवणसमुई मज्झमज्झेणं जेणेव हत्थिणाउरे णयरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। ते णं काले णं ते णं समए णं हत्थिणाउरे जुहिट्ठिले राया दोवतीए देवीए सद्धिं उप्पिं आगासतलंसि सुहपसुत्ते यावि होत्था । तए णं से पुव्वसंगतिए देवे जेणेव जुहिट्ठिले राया, जेणेव दोवती देवी तेणेव उवागच्छइ, २त्ता दोवतीए देवीए ओसोवणिं दलयति, २त्ता दोवतिं देविंगेण्हेइ, २त्ता ताए उक्किट्ठाए जाव जेणेव अवरकंका जेणेव पउमणाभस्स भवणे तेणेव उवागच्छइ, २त्ता पउमणाभस्स भवणंसि असोगवणियाए दोवतिं देविं ठावेति, २ ओसोवणिं अवहरति, २ त्ता जेणेव पउमणाभे तेणेव उवागच्छति, २ एवं वयासी एस णं देवाणुप्पिया ! मए हत्थिणाउराओ दोवती देवी इह हव्वमाणीया तव असोगवणियाए चिट्ठति, अतो परं तुम जाणसि त्ति कट्ट जामेव दिसं पाउब्भूते ता व दिसं पडिगते। तते णं सा दोवती देवी ततो मुहुर्ततरस्स पडिबुद्धा समाणी तं भवणं असोगवणियं च अपच्चभिजाणमाणी एवं क्यासी नो खलु अम्हं एसे सए भवणे, णो खलु एसा अम्हं सगा असोगवणिया, तं ण णज्जति णं अहं केणइ देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किन्नरेण वा महारगेण वा गंधव्वेण वा अन्नस्स रण्णो असोगवणियं साहरिय त्ति कट्ट ओहयमणसंकप्पा जाव झियायति । तते णं से पउमणाभे राया पहाए जाव सव्वालंकारविभूसिए अंतेउरपरियालसंपरिवुडे जेणेव असोगवणिया जेणेव दोवती देवी तेणेव उवागच्छति, २ त्ता दोवतिं देविं ओहयमण जाव झियायमाणिं पासति, २ त्ता एवं वयासी किं णं तुम देवाणुप्पिए ! ओहयमण जाव झियासि ? एवं खलु तुम देवाणुप्पिए ! मम पुव्वसंगतिएणं देवेणं जंबूदीवाओ दीवाओ भारहाओ वासाओ हत्थिणापुराओ नगराओ जुहिट्ठिलस्स रण्णो भवणाआ साहरिया, तं मा णं तुमं देवाणुप्पिए ! ओहयमण जाव झियाहि, तुमं णं देवाणुप्पिए ! मए सद्धिं विपुलाइं भोगभोगाइं जाव विहराहि । तते णं सा दोवती देवी पउमणाभं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे बारवतीए णगरीए कण्हे णामं वासुदेवे मम पियभाउए परिवसति । तं जति णं से छण्हं मासाणं मम कूवं नो हव्वमागच्छइ, तते णं हं देवाणुप्पिया ! जं तुमं वदसि तस्स आणाओवायवयणणिद्देसे चिहिस्सामि । तते णं से पउमे दोवतीए देवीए एतमढे पडिसुणेइ, २ त्ता दोवंति देविं कण्णंतेउरे ठवेति । तते णं सा दोवती देवी छटुंछट्टेणं अनिक्खित्तेणं आयंबिलपग्गहिएणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणी विहरति । १२४. तते णं से जुहुट्ठिले राया तओ मुहत्तंतरस्स पडिबुद्धे समाणे दोवतिं देविं पासे अपासमाणे सयणिज्जाओ उट्ठइ, २ त्ता दोवतीए देवीए सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं करेइ, २ त्ता दोवतीए देवीए कत्थइ सुई वा खुत्तिं वा पउत्तिं वा अलभमाणे जेणेव पंडू राया तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता पंडु राय एवं वयासी एवं खलु तातो ! ममं आगासतलगंसि सुहपसुत्तस्स पासातो दोवती देवी ण णज्जति केणइ देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किन्नरेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा हिया वा णिया वा अक्खित्ता वा ! ते इच्छामि णं तातो ! दोवतीए देवीए सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं कयं । तते णं से पंडू राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया! हत्थणाउरे नयरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-महापह-पहेसु महया महया सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वयह एवं खलु 1845555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ६७५5555555555555555555555555 29555555555555555555555555555555555555555555555555sex 520听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听2C网 Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. / १६ अ. अवरकंका [८६] देवाणुप्पिया ! 'जुहिट्ठिलस्स रण्णो आगासतलगंसि सुहपसुत्तस्स पासातो दोवती देवी ण णज्जति केणइ देवेण वा दाणवेण वा किंपुरिसेण वा किन्नरेण वा महोरगेण वा गंधव्वेण वा हिया वा निया वा अक्खित्ता वा, तं जो णं देवाणुप्पिया । दोवतीए देवीए सुतिं वा जाव पउत्तिं वा परिकहेति तस्स णं पंडू राया विउलं अत्यसंपदाणं दयति त कट्टु घोसणं घोसावेह, २ त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। तते णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव पच्चप्पियंति। तते णं से पंहू राया ढोवतीए देवीए कन्थ वि सतिं वा जाव अलभमाणे कोति देवि सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिए! बारवति णयरिं, कण्हस्स वासुदेवस्स एयमहं णिवेदेहि । कण्हें णं परं वासुदेवे दोवती देवीए मग्गणगवेसणं करेज्जा, अन्नहा न नज्जति दोवतीए देवीए सुती वा खुत्ती वा पवत्ती वा । तते णं सा कोंती देवी पंडुणा रन्ना एवं वृत्ता समाणी जाव पडणेति, २ ता पहाया कयबलिकम्मा हत्थिखंधवरगया हत्थिणोउरं नगरं मज्झमज्झेणं णिग्गच्छति, २ कुरुजणवयं मज्झं मज्झेण जेणेव सुरद्वाजणवा जेणेव बारवती नगरी जेणेव अग्गुज्जाणे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता हत्थिखंधाओ पच्चोरुहति, २ त्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासी गच्छह णं तुभे देवाप्पिया ! जेणेव बारवई णयरी तेणेव अणुपविसह, २ कण्हं वासुदेवं करयल परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वयह एवं खलु सामी ! तुम पिउच्छा कोंती देवी हत्थिणाउरातो नयरातो इहं हव्वमागया तुब्भं दंसणं कखति । तते णं ते कोडंबिय पुरिसा जाव कहेति। तते णं कण्हे वासुदेवे कोटुंबियपुरिसाणं अंतिए [एयमहं] सोच्चा णिसम्मा हट्टतुट्टे हत्थिखंधवरगए हयगय - [रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे ] बारवतीए नयरीए मज्झं मज्झेणं जेणेव कोंती देवी तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता हत्थिखंधातो पच्चोरुहति, २ त्ता कोंतीए देवीए पायग्गहणं करेति, २ कोंतीए देवीए सद्धिं हत्थिखंधं दुरुहति, २ ता बारवतीए णयरीए मज्झं तेणेव मज्झेणं जेणेव सए गिहे णेव उवागच्छइ, २ सयं गिहं अणुपविसति । तते णं से कण्हे वासुदेवे कोति देवि ण्हायं कयबलिकम्मं जिमियत्तत्तरागयं जाव सुहासणवरगयं एवं वयासी संदिसउ णं पिउच्छा ! किमागमणपओयणं ? तते णं सा कोंती देवी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु पुत्ता ! हत्थणाउरे णयरे जुहिट्ठिलस्स आगासतलए सुहपसुत्तस्स पासातो दोवती देवी ण णज्जति केणइ अवहिया जाव अक्खित्ता वा, तं इच्छामि णं पुत्ता ! दोवतीए देवीए मग्गणगवेसणं कयं । तते णं से कण्हे वासुदेवे कुंतिं पिउच्छिं एवं वयासी जं णवरं पिउच्छा ! दोवतीए देवीए कत्थइ सुतिं वा जाव लभामि, तो णं अहं पायालाओ वा भवणाओ वा अद्धभरहाओ वा समंततो दोवतिं देविं साहत्थिं उवणेमि त्ति कट्टु कोतिं पिउच्छिं सक्कारेति सम्माणैति, २ जाव पडिविसज्जेति । तते णं सा कोंती देवी कण्हेण वासुदेवेणं पडिविसज्जिया समाणी जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया । तते णं से कण्हे वासुदेवे कोटुंबियपुरिसे सद्दावेइ, २ एवं वयासी गच्छहणं तुब्भे देवाणुप्पिया ! बारवतिं, एवं जहा पंडू, तहा घोसणं घोसावेति जाव पच्चप्पिणंति, पंडुस्स जहा । तते गं से कण्हे वासुदेवे अन्नया अंतो अंते उरगए ओरोह जाव विहरति । इमं चणं कच्छुल्लनारए जाव समोवतिए जाव निसीयइ, णिसीइत्ता कण्हं वासुदेवं कुसलोदंतं पुच्छति । तते णं से कण्हे वासुदेवे कच्छुल्लं [नारयं] एवं वयासी तुमं णं देवाणुप्पिया ! बहूणि गामा जाव अणुपविससि, तं अत्थि याई ते कहिचि दोवतीए देवीए सुती वा जाव उवलद्धा ? तते से कच्छुल्ल [नारए] कण्हं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अन्नया धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धं दाहिणडुभारवासं अवरकंकारायहाणिं गए, तत्थ णं मए पउमनाभस्स रन्नो भवणंसि दोवती देवी जारिसिया दिट्टपुव्वा यावि होत्था । तते णं कण्हे वासुदेवे कच्छुल्लणारयं एवं वयासी तुब्भं चेव णं देवाणुप्पिया ! एवं पुष्वकम्मं । तते णं से कच्छुल्लनारए कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ते समाणे उप्पयणिं विज्जं आवाहेति, २ ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए । तते गं से कहे. वासुदेवे दूयं सद्दावेइ, २ त्ता एवं वदासि गच्छहणं तुमं देवाणुप्पिया ! हत्थिणाउरं पंडुस्स रण्णो एयमहं निवेदेहि एवं खलु देवाणुप्पिया ! धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे अवरकंकाए रायहाणीए पउमणाभस्स भवणंसि दोवतीए देवीए पउत्ती उवलद्धा, तं गच्छंतु णं पंच पंडवा चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडा, पुरन्थिमवेयालीए ममं पडिवालेमाणा चिद्वंतु। तते णं से दूर जाव भणति, पडिवालेमाणा चिट्ठह । ते वि जाव चिट्ठति । तते णं से कण्हे वासुदेवे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, २ त्ता एवं वयासी गच्छहणं तुभे देवाणुप्पिया ! सन्नाहियं भेरिं तालेह । ते वि तालेति । तते णं तीसे सण्णाहियाए भेरीए सद्दं सोच्चा समुद्दविजयपामोक्खा दस दसारा जाव MO श्री आगमगुणमंजुषा - ६७६ N 4 4 5 5 5 5 5 5 5 5 फ्र फफफफफफफु Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. / १६ अ. अवरकका [८७] फफफफफफफफफफफफफफ छप्पण्णं बलवयसाहस्सीओ सनद्धबद्ध जाव गहियाउहपहरणा, अप्पेगतिया हयगया, अप्पेगइया गयगया, जाव वग्गुरापरिक्खित्ता जेणेव सभा सुधम्मा, जेणेव हे वासुदेवे, तेणेव उवागच्छंति, २ करयल जाव वद्धावेति । तते णं कण्हे वासुदेवे हत्थिखंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं वीजमाणे हय-गय- [-रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे] महताभडचडगरपहकरेण बारवईए णयरीए मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छति, २ ताजेव पुरत्थमवेयाली तेणेव उवागच्छति, २ त्ता पंचहिं पंडवेहिं सद्धि एगयओ मिलइ, २ खंधावारणिवेस करेति, २ त्ता पोसहसाल कारेति, २ पासहसाल अणुपविसति, २ सुट्ठियं देवं मणसी करेमाणे २ चिट्ठति । तते णं कण्हस्स वासुदेवस्स अट्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि सुट्ठितो जाव आगतो। भण देवाणुप्पिया ! जं मए तवं । तते से कहे वासुदेवे सुट्ठियं देवं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! दोवती देवी जाव पउमनाभस्स भवणंसि साहिया, तं णं तुमं देवाणुप्पिया ! मम पंचहि पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्टस्स छहं रहाणं लवणसमुद्धे मग्गं वियराहि जाणं अहं अवरकंकं रायहाणि दोवतीए कूवं गच्छामि। तते णं से सुट्ठिए देवे कण्हं वासुदेव एवं वयासी किं णं देवाणुप्पिया ! जहा चेव पउमणाभस्स रन्नो पुव्वसंगतिएणं देवेणं दोवती जाव साहिया तहा चेव दोवतिं देवि धायतिसंडातो दीवातो भरहातो जाव हत्थिणापुरं साहरामि, उदाहु पउमणाभं रायं सपुरबलवाहणं लवणसमुद्दे पक्खिवामि ? तते णं कण्हे वासुदेवे तं सुट्ठियं देवं एवं क्यासी मा णं तुम देवाप्पिया ! जाव साहराहि । तुमं णं देवाणुप्पिया ! मम लवणसमुद्दे अप्पछट्टस्स छण्हं रहाणं मग्गं वितराहि। सयमेवा णं अहं दोवतीए कूवं गच्छामि । तए णं से सुट्टिए देवे कहं वासुदेवं एवं क्यासी एवं होउ । पंचहि पंडवेहिं सद्धि अप्पछट्टस्स छण्हं रहाणं लवणसमुद्दे मग्गं वितरति । तते णं से कण्हे वासुदेवे चाउरंगिणि सेणं पडिविसज्जेति, २ त्ता पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछट्टे छहिं रहेहिं लवणसमुदं मज्झंमज्झेणं वीतीवयति, जेणेव अवरकंका रायहाणी तेणेव उवागच्छइ, २ जेणेव अवरकंकाए रायहाणीए अग्गुज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, २ रहं ठवेइ, २ त्ता दारुयं सारहिं सहावेति, २ त्ता एवं वयासी गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! अवरकंकं यहाणि अणुविसाहि, २ त्ता पउमणाभस्स रण्णो वामेणं पाएणं पादपीढं अक्कमित्ता कुंतग्गेणं लेहं पणामेहि, २ ना तिवलियं भिउडिं पिडाले साहड आसुरुते रुले विए चंडिक्किए एवं वदाहि हं भो पउमणाहा ! अप्पत्थियपत्थिया दुरंतपंतलक्खणा हीणपुन्नचाउद्दसा सिरि-हिरि-धितिपरिवज्जिया अज्जं ण भवसि किन्नं तुम ण यासि कण्हस्स वासुदेवस्स भगिणिं दोवतिं देविं इहं हव्वमाणमाणे, तं एवंमवि गए पच्चप्पिणाहि णं तुमं दीवति देवि कण्हस्स वासुदेवस्स, अहव णं जुज्झसजे गच्छाहि । एस णं कण्हे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछडे दोवतीए देवीए कूवं हव्वमागए। तते णं से दारूए सारही कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वृत्ते समाणे हट्ट [तुट्ठे] पडिसुणेइ, २ त्ता अवरकंकं रायहाणि अणुपविसति, २ त्ता जेणेव पउमनाभे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता करयल जाव वळावेत्ता एवं वयासी एस णं सामी ! मम विणयपडिवत्ती, इमा अन्ना मम सामिस्स समुहाणित्ति त्ति कट्टु आसुरुते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसमाणे वामपादण पायपीढं अक्कमति, २ त्ता कुतरंगण ह पणामेति, २ ता जाव कूवं हव्वमागए । तते णं से पउमणाभे राया दारुएणं सारहिणा एवं वृत्ते समाणे आसुरुते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे निवल भिलाई निडाले साह एवं वयासी णं अप्पिणामि णं अहं देवाणुप्पिया ! कण्हस्स वासुदेवस्स दोवति, एस णं अहं सयमेव जुज्झसज्जं णिरगच्छामि त्ति कट्टु दारुयं सारहिं एवं वयासी केवलं भो ! रायसत्थेसु दूते अवज्झे त्ति कट्टु असक्कारियअसम्माणियं अवद्दारेणं णिच्छुभावेति । तते णं से दारुए सारही पउमणाभेणं असक्कारिय जाव पिच्छूढे समाणे जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छइ, २ करयल [ परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु] कण्हं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु अहं सामी ! तुब्भं वयणेणं जाव णिच्छुभावेति । तते णं से पउमणामे बलवाउयं सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी विप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! आभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह । तयाणं तरं च णं छेयायरिय उवदेसमइविकप्पणाहिं जाव उवर्णेति । तते णं से पउमनाहे सन्नद्ध [बद्धवम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टीए पिणदगेवेज्जे बद्धआविद्धविमलवरचिंधपट्टे गहियाउहपहरणे ] अभिसेयं [हत्थिरयणं] द्रुहति, २ त्ता हयगय [रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडे महताभडचडगरवंदपरिक्खित्ते] जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तते णं से कण्हे वासुदेवे पउमणाभं रायाणं एज्जमाणं पासति, २ त्ता ते पंच पंडवे एवं श्री आगमगुणमंजूषा ६७० ॐ Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C%%$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$乐$$$$乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明 RO:39555555555555 (६) णायाधम्मकहाआ प. ग. / १६ अ. अवरकंका [८८] 555555555555555exols वयासी हं भो दारगा ! किण्णं तुन्भे पउमणाभेणं सद्धिं जुज्झिहिह, उदाहु पेच्छिहिह ? तते णं ते पंच पंडवा कण्हं वासुदेवं एवं वयासी अम्हे णं सामी ! म जुज्झामो, तुब्भे पेच्छह । तते णं त पंच पंडवा सण्णद्ध जाव पहरणा रहे दुरुहंति, २त्ता जेणेव पउमनाभे राया तेणेव उवागच्छंति, २ एवं वयासी अम्हे वा पउमणाभे वा राय त्ति कट्ट पउमनाभेणं सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था । तते णं से पउमनाभे राया ते पंच पंडवे खिप्पामेव हयमहियपवरविवडियचिधधयपडागे जाव दिसोदिसिं पडिसेहेति । तते णं ते पंच पंडवा पउमनाभेणं रण्णा हयमहियपवरविवडिय जाव पडिसेहिया समाणा अत्थामा जाव अधारणिज्जमिति कट्ट जेणेव कण्हे वासुदेवे तेणेव उवागच्छंति । तते णं से कण्हे वासुदेवे ते पंच पंडवे एवं वयासी कहं णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! पउमणाभेणं रण्णा सद्धिं संपलग्या ? तते णं ते पंच पंडवा कण्हं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणा सनद्ध [बद्धवम्मियकवया उप्पीलियसरासणपट्टीया पिणद्धगेवे बद्धआविद्धविमलवरचिंधपट्टा गहियाउहपहरणा] रहे दुरुहामो, २ जेणेव पउमनाभे तेणेव उवा [गच्छामो,] २ एवं व [यामो] अम्हे वा पउमणाभे वा जावई पडिसेहेति । तते णं से कण्हे वासुदेवे ते पंच पंडवे एवं वदासी जति णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! एवं वयंता 'अम्हे, णो पउमनाभे राय' त्ति कट्ट.पउमनाभेणं सद्धिं संपलग्गंता तो णं तुब्भे णो पउमणाहे हयमहियपवर जाव पडिसेहंते , तं पेच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! 'अहं, नो पउमणाभेराय' त्ति कट्ट पउमनाभेां रन्ना सद्धिं जुज्झामि । रहं दुरुहति, २त्ता जेणेव पउमनाभे राया तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता सेयंगोखीरहारधवलं तणसोल्लियसिंदुवारकुंदेंदुसन्निगासंनिययस्स बलस्स हरिसजणणं रिउसेण्णविणासकरं पंचजन्नं संखं परामुसति, २ त्ता मुहवायपूरियं करेति । तते णं तस्स पउमणाहस्स तेणं संख सद्देणं बलतिभाएहय जाव पडिसेहिए तते णं से कण्हे वासुदेव घणुं परामुसति वेढो घणुं पूरेति ताघणुस करेति तते णं तस्स पउमनाभस्स दोच्चे बलतिभाए तेणं धणुसद्देणं हयमहिय जाव पडिसेहिए । तते णं से पउमणाभे राया तिभागबलावसेसे अत्थामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति कट्ट सिग्धं तुरियं [चवलं चंडं जइणं] जेणेव अवरकंको तेणेव उवागच्छति, २ अवरकंका रायहाणिं अणुपविसति, २ त्ता वारातिं पिहेति, २त्ता रोहासज्जे चिट्ठति । तते णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव अवरकंका तेणेव उवागच्छति, २ त्ता रहं ठवेति, २ रहातो पच्चोरुति, २ त्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णति, एगं महं णरसीहरूवं विउव्वति, २त्ता महया महया सद्देणं पाददद्दरयं करेति । तते णं कण्हेणं वासुदेवेणं महया महया सद्देणं पाददद्दरएणं कएणं समाणेणं अवरकंका रायहाणी संभग्गपायारगोउराहालयचरियतोरणपल्हत्थियपवरभवणसिरिघरा सरसरस्स धरणीतले सन्निवइया । तते णं से पउमणाभे राया अवरककं रायहाणि संभग्ग जाव पासित्ता भीए दोवतिं देवि सरण उवेति । तते णं सा दोवती देवी पउमनाभं रायं एवं वयासी किं णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाणसि कण्हस्स वासुदेवस्स उत्तमपुरिसस्स विप्पियं करेमाणे ममं इहं हव्वमाणेमाणे, तं एवमवि गते गच्छ णं तुम देवाणुप्पिया ! पहाते उल्लपडसाडए ओचूलगवत्थणियत्थे अंतेउरपरियालसंपरिबुडे अग्गाइं वराई रयणाइं गहाय ममं पुरतो काउं कण्हं वासुदेवं करतल परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट पायवडिए सरणं उवेहि, पणिवइयवच्छला णं देवाणुप्पिया ! उत्तमपुरिसा । तते णं से पउमनाभे राया दोवतीए देवीए एयमटुं पडिसुणेति, २ ण्हार जाव सरणं उवेति, २ करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट] एवं वयासी दिट्ठा णं देवाणुप्पियाणं इड्डी जाव परक्कम्मे, तं खामेमिणं देवाणुप्पिया ! खमंतुणं देवाणुप्पिया ! जावणाहं भुज्जो एवंकरणयाए त्ति कट्टपंजलिउडे पायवडिए कण्हस्स वासुदेवस्स दोवतिं देविं साहत्थिं उवणेति। तते से कण्हेवासुदेवे पउमणाम एवं वयासी हं भो पउमणाभा ! अप्पत्थियपत्थिया दुरंतपंतलक्खणा हीणपुन्नचाउद्दसा सिरि-हिरि-धितिपरिवज्जिया किं णं तुमं जाणसि मम भगिणिं दोवतिं देविं इहं हव्वमाणेमाणे ? तं एवमवि गए णत्थि ते ममाहितो इदाणिं, भयमत्थि ति कट्ट पउमणाभं रायं पडिविसज्जेति ता दोवतिदेविं गिण्हति २ त्ता रहं दुरुहेति, २ त्ता जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छइ, २त्ता पंचण्हं पंडवाणं दोवतिं देविं साहत्थिं उवणेति । तते णं से कण्हे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं 4 अप्पछट्टे छहिं रहेहिं लवणसमुदं मज्झमज्झेणं जेणव जंबुदीवे दीवे जेणेव भारहे वासे तेणेव पहारेत्थ गमणाए। १२५. ते णं काले णं ते णं समए धायतिसंडे दीवे पुरथिमद्धे भारहे वासे चंपा णामं णयरी होत्था । पुण्णभद्दे चेतिए । तत्थ णं चंपाए नयरीए कविले णामं वासुदेवे राया होत्था, महताहिमवंत० वण्णओ। ते णं काले KaroFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF श्री आगमगुणमजूषा - ६७८ 55555FFFFFFFF55555555555FOOR GO乐乐听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明玩乐乐$乐 Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AORO$$$$$$$$$$$$$ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. /१६ अ. अवरकका [९] 5955555555pxox MOC明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听CE णं ते णं समए णं मुणिसुव्वते अरहा चंपाए पुण्णभद्दे समोसढे । कविले वासुदेवे धम्मं सुणेति । तते णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयस्स अरहतो धम्मं सुणेमाणे . कण्हस्स वासुदेवस्स संखसई सुणेति । तते णं तस्स कविलस्स वासुदेवस्स इमेयारूवे अज्झत्थिते चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था किं मण्णे धायइसंडे दीवे भारहे वासे दोच्चे वासुदेवे समुप्पण्णे जस्स णं अयं संखसद्दे ममं पिव मुहवायपूरिते वियंभति ? कविला वासुदेवभद्दा ! ति मुणिसुव्वते अरहा कविलं वासुदेवं एवं वयासी से णूणं ते कविला वासुदेवा ! मम अंतिए धम्मं णिसामेमाणस्स संखसई आकण्णित्ता इमेयारूवे अज्झत्थिते [चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था] किं मन्ने जाव वियंभति, से णूणं कपिला वासुदेवा ! अढे समढे ? हंता ! अत्थि । तं नो खलु कविला ! एयं भूयं वा भव्वं वा भविस्सं वा जं णं एगखेत्ते एगजुगे एगसमएणं दुवे अरहंता वा चक्कवट्टी वा बलदेवा वा वासुदेव वा उप्पज्जिसु वा उप्पज्जति वा उप्पज्जिस्संति वा । एवं खलु वासुदेवा ! जंबूदीवाओ दीवाओ भारहाओ वासाओ हत्थिणाउराओ जगराओ पंडुस्स रण्णो सुण्हा पंचण्हं पंडवाणं भारिया दोवती देवी तव पउमनाभस्स रण्णो पुव्वसंगतिएणं देवेणं अवरकंक णयरिं साहरिया । तते णं से कण्हे वासुदेवे पंचहिं पंडवेहिं सद्धिं अप्पछढे छहिं रहेहिं अवरकंकं रायहाणिं दोवतीए देवीए कूवं हव्वमागते । तते णं तस्स कण्हस्स वासुदेवस्स पउमणाभेणं रण्णा सद्धिं संगामं संगामेमाणस्स अयं संखसद्दे तव मुहवायाइद्धे इव वियंभति । तए णं से कपिले वासुदेवे मुणिसुव्वयं वंदति नमंसइ, २ त्ता एवं वयासी गच्छामि णं अहं भंते ! कण्हं वासुदेवं उत्तमपुरिसं सरिसपुरिसं पासामि । तए णं मुणिसुव्वते अरहा कविलं वासुदेवं एवं वयासी नो खलु देवाणुप्पिया ! एयं भूयं वा भव्वं वा भविस्सं वा जण्णं अरहंता वा अरहंतं पासंति, चक्कवट्टी वा चक्कवट्टि पासंति, बलदेवा वा बलदेवं पासंति, वासुदेवा वा वासुदेवं पासंति । तहवि य णं तुमं कण्हस्स वासुदेवस्सलवणसमुई मज्झं मज्झेणं वीतिवयमाणस्स सेयापीयाइं धयग्गाइं पासिहसि। तते णं से कविले वासुदेवे मुणिसुव्वयं वंदति नमसइ, २ त्ता हत्थिखधं दुरुहति, २ सिग्धं तुरियं चवलं चंडं जइणं जेणेव वेलाउले तेणेव उवागच्छति, २त्ता कण्हस्स वासुदेवस्स लवणसमुदं मझमज्झेणं वीतिवयमाणस्स सेयापीयाई धयग्गाई पासति, २ त्ता एवं वयइ एसणं मम सरिसपुरिसे उत्तमपुरिसे कण्हे वासुदेवे लवणसमुई मज्झमज्झेणं वीतिवयति त्ति कट्ट पंचजन्नं संखं परामुसति, २त्ता मूहवायपूरियं करेति । तते णं से कण्हे वासुदेवे कविलस्स वासुदेवस्स संखसई आकन्नेति, २ पंचयन्नं जाव पूरियं करेति । तते णं दो वि वासुदेवा संखसद्दसामायारिं करेति । तते णं से कविले वासुदेवे जेणेव अवरकंका तेणेव उवागच्छति, २ अवरकंकं रायहाणिं संभग्गतोरणं पासति, २ त्ता पउमणाभं एवं वयासी किं णं देवाणुप्पिया ! एसा अवरकंका संभग्ग जाव सन्नि वईया ? तते णं से पउमणाभे कविलं वासुदेवं एवं वयासी- एवं खलु सामी ! जंबुद्दीवातो दीवातो भारहातो वासातो इहं हव्वमागम्म कण्हेणं वासुदेवेणं तुब्भे परिभूय अवरकंका जाव सन्निवाडिया । तते णं से कपिले वासुदेवे पउमणाभस्स अंतिए एयमढे सोच्चा पउमणाभं एवं वयासी हं भो पउमणाभा अप्पत्थियपत्थिया दुरंतपंतलक्खणा हीणपुण्णचाउद्दस सिरि-हिरि-धितिपरिवज्जिया! किं णं तुम जाणसि मम सरिसपुरिसस्स कण्हस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणे ? आसुरुते जाव पउमणाभं णिव्विसयं आणवेति, पउमणाभस्स पुतं अवरकंकाए रायहाणीए महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचति, जाव पडिगते । १२६. तते णं से कण्हे वासुदेवे लवणसमुदं मज्झंमज्झेणं वीतिवयति, २ ते पंच पंडवे एवं वदासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! गगं महानदि उत्तरह जाव ताव अहं सुट्ठियं लवणाहिवतिं पासामि । तते णं ते पंच पंडवा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवागच्छंति, २ एगट्ठियाए मग्गणगवेसणं करेति, २ एगट्ठियाए गंगं महानदिं उत्तरंति, २ ता अण्णमण्णं एवं वदंति पभू णं देवाणुप्पिया ! कण्हे वासुदेवे गंगं महाणदिं बाहाहिं उत्तरित्तए, उदाहु णो पभू उत्तरित्तए त्ति कटु एगट्ठियं णूमेति, २ कण्हं वासुदेवं पडिवालेमाणा २ चिट्ठति । तते णं से कण्हे वासुदेवे सुट्ठियं लवणाहिवतिं पासति, २ जेणेव गंगा महाणदी तिणेव उवागच्छति, २त्ता एगट्ठियाए सव्वतो समंता मग्गणगवेसणं करेति, २त्ता एगट्ठियं अपासमाणे एगाए बाहाए रहं सतुरंगं ससारहिं गेण्हति, २ एगाए बाहाए गंगं महाणदिं बासढि जोयणाई अद्धजोयणं च वित्थिण्णं उत्तरिउ पयत्ते यावि होत्था । तते णं से कण्हे वासुदेवे ॥ गंगाए महाणदीए बहुमज्झदेसभागं संपत्ते समाणे संते तंते परितंते बद्धसेए जाते यावि होत्था । तते णं तस्स कण्हस्स वासुदेवस्स इमेयारूवे अज्झत्थिते जावडा OFFFFFF555555555555FFFFFFF[ श्री आगमगुणमंजूषा - ६७९555555555555555555555555 FOTO $$$$$$$$$$$$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FO95555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. /१६ अ. अवरकका [९] 555555555555secong CIC$$$$$$听听听听听听听听听听。 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听听听听听 समुप्पज्जित्था अहोणं पंच पंडवा महाबलवगा, जेहिं गंगा महाणदी बावढि जोयणाई अद्धजोयणं च वित्थिण्णा बाहाहिं उत्तिण्णा । इच्छंतएहिं णं पंचहिं पंडेवेहिं। फ़ पउमणाभे हयमहिय जाव णो पडिसेहिए। तते णं गंगा देवी कण्हस्स वासुदेवस्स इमं एयारूवं अज्झत्थियं जाव जाणित्ता थाहं वितरति । तते णं से कण्हे वासुदेवे मुहृत्तंतरं समाससति, २ गंगं महाणदि बावट्टि जाव उतरति जेणेव पंच पंडवा तेणेव उवागच्छति. त्ता पंच पंडवे एवं वयासी अहो णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! महाबलवगा, जेहिं णं तुब्भेहिं गंगा महाणदी बावट्टि जाव उत्तिण्णा, इच्छंतएहिं तुब्भेहिं पउमनाहे जाव णो पडिसेहिए। तते णं ते पंच पंडवा कण्हेणं वासुदेवेणं एवं वुत्ता समाणा कण्हं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे तुम्भेहिं विसज्जिया समाणा जेणेव गंगा महाणदी तेणेव उवगच्छामो, २ त्ता एगट्ठियाए है मग्गणगवेसणं तं चेव जाव णूमेमो, तुम्भे पडिवालेमाणा २ चिट्ठामो । तते णं से कण्हे वासुदेवे तेसिं पंचण्हं पंडवाणं एयमढे सोच्चा णिसम्म आसुरुते जाव तिवलियं मिउहिं णिडाले साहट्ट] एवं वयासी अहो णं जया मए लवणसमुदं दुवे जोयणसयसहस्सा वित्थिण्णं वीतीवइत्ता पउमणाभं हयमहिय जाव पडिसेहेत्ता अवरकंका ॐ संभग्ग [पायारगोउराट्टालयचरियतोरणपल्हत्थियपवरभवणसिरिघरा सरसस्स धरणितले सन्निवाइया] दोवती साहत्थिं उवणीया तदा णं तुम्भेहिं मम माहप्पं ण विण्णायं, इयाणिं जाणिस्सह त्ति कट्ट लोहदंडं परामुसति, २ पंचण्हं पंडवाणं रहे मुसुमूरेति, २ त्ता णिव्विसए आणवेति, तत्थ णं रह मद्दणे णामं कोट्टे णिविट्ठे । तते णं से कन्हे वासुदेवे जेणेव सए खंधावरे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता सएणं खंधावारेणं सद्धि अभिसमन्नागए यावि होत्था। तते णं से कण्हे वासुदेवे जेणेव बारवती णयरी तेणेव उवागच्छति, २त्ता अणुपविसति । १२७, तते णं ते पंच पंडवा जेणेव हत्थिणाउरे णयरे तेणेव उवागच्छंति, २ जेणेव पंडू राया तेणेव उवागच्छंति,२ त्ता करयल जाव एवं वयासी एवं खलु तातो ! अम्हे कण्हेणं णिव्विसया आणत्ता। तते णं पंडू राया ते पंच पंडवे एवं वयासी कण्णं पुत्ता ! तुब्भे कण्हेणं + वासुदेवेणं णिव्विसया आणत्ता? ततेणं ते पंच पंडवा (पंडु] रायं एवं वयासी एवं खलु तातो! अम्हे अवरकंकातो पडिणियत्ता लवणसम्मुदं दोन्नि जोयणसयसहस्साइं वीतीवतित्ता। तए णं से कण्हे अम्हेएवं वयति गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! गंगं महाणदि उत्तरह जाव ताव अहं , एवं तहेव, जाव चिट्ठामो । तते णं से कण्हे वासुदेवे सुट्टियं लवणाहिवइं दट्टणं, तं चेव सव्वं, नवरं कण्हस्स चिंता णं बुज्झति जाव अम्हे णिव्विसए आणवेति । तए णं से पंडू राया ते पंच पंडवे एवं वयासी दुइ णं तुब्भेहिं पुत्ता ! कयं कण्हस्स वासुदेवस्स विप्पियं करेमाणेहिं । तते णं से पंडू राया कोतिं देविं सद्दावेति, २त्ता एवं वयासी गच्छ णं तुम देवाणुप्पिए ! बारवति, कण्हस्स वासुदेवस्स णिवेदेहि एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुमे पंच पंडवा णिव्विसया आणता, तुमं च णं देवाणुप्पिया ! दाहिणड्डभरहस्स सामी, संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! ते पंच पंडवा कयरं देसं वा दिसं वा गच्छंतु ? तते णं सा कोंती पंडुणा एवं वृत्ता समाणी हत्थिखंधं दुरुहति, २ जहा हेट्ठा जाव संदिसंतु णं पिउच्छातो ! किमागमणपओयणं? तते णं सा कोती कण्हं वासुदेवं एवं वयासी एवं खलु तुमे पुत्ता ! पंच पंडवा णिव्विसया आणत्ता, तुमं च णं दाहिणड्डभरह जाव दिसं वा गच्छंतु ? तते णं कण्हे वासुदेवे कोतिं देवि एवं वयासी अपूइवयणा णं पिउच्छा ! उत्तमपुरिसा वासुदेवा बलदेवा चक्कवट्टी, तं गच्छंतु णं पंच पंडवा दाहिणिल्लं वेयालिं, तत्थ पंडुमहुरं णगरि णिवेसंतु, ममं अदिवसेवगा भवंतु त्ति कट्ट कोतिं देविं सक्कारेति सम्माणेति, २ जाव पडिविसज्जेति । तते णं सा कोंती देवी जाव पंडुस्स एयम8 णिवेदेति । तते णं पंडू पंच पंडवे सद्दावेति, २ ता एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे पुत्ता ! दाहिणिल्लं वेयालिं, तत्थ णं तुब्भे पंडुमहुरं णिवेसेह । तते णं ते पंच पंडवा पंडुस्स रण्णो जाव तहत्ति पडिसुणेति, २त्ता सबल-वाहणा हयगय [-रहपवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवुडा मह्याभडचडगररहपहकरविंदपरिक्खित्ता ] हत्थिणाउरातो पडिणिक्खमंति, २ जेणेव दक्खिणिल्लवेयाली तेणेव उवागच्छंति, २ पंडुमहुरं नगरि म निवेसेंति, २ तत्थ विणं ते विपुलभोगसमितिसमण्णागया यावि होत्था । १२८. तते णं सा दोवती देवी अन्नया कयाइ आवण्णसत्ता जाया यावि होत्था । तते णं साई ॐ दोवती देवी णवण्हं मासाणं जाव सुरूवं दारगं पयाया सूमाल [कोमलं गयतालुयसमाणं । तए णं तस्स णं दारगस्स] णिव्वत्तबारसाहस्स [अम्मापियरो] एयारूवं इमं [गोण्णं गुणणिप्फन्नं नामधेज करेति] जम्हा णं अम्हं एस दारए पंचण्हं पंडवाणं पुत्ते दोवतीए देवीए अत्तए, तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स णामधेनं reOF555555 श्री आगमगुणमजूषा - ६८०- 5 5555555555 Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. / १६ अ. अवरकंका (११) D पंडुसेणे पंडुसेणे । तते णं तस्स दारगस्स अम्मापितरो णामधेज्जं करेति पंडुसेणे त्ति बावत्तरिं कलातो जाव भोगसमत्थे जाते जुवराया जाव विहरति । थेरा समोसढा, परिसा निग्गया, पंडवा वि निग्गया, धम्मं सोच्चा एवं वयासी जं णवरं देवाणुप्पिया ! दोवतिं देविं आपुच्छामो, पंडुसेणं च कुमारं रज्जे ठावेमो, ततो पच्छा देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वयामो । अहासुहं देवाणुप्पिया ! तते गं ने पंच पंडवा जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छंति. २ ना दोवति देवि सदावेति, २त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिए! अम्हेहिं थेराणं अंतिए धम्मे णिसंते जाव पव्वयामो, तुमं देवाणुप्पिए! किं करेसि ? तते णं सा दोवती देवी ते पंच पंडवे एवं वयासी-जति णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विग्गा जाव पव्वयह, ममं के अण्णे आलंबे वा जाव भविस्सति ? अहं पि य णं संसारभउव्विग्गा देवापि सद्धिं जाव पव्वतिस्सामि । तते णं ते पंच पंडवा पंडुसेणस्स अभिसेओ जाव राया जाते जाव रज्जं पसासेमाणे विहरति । तते णं ते पंच पंडवा दोवती य देवी अन्नया कयाइ पंडुसेणं रायाणं आपुच्छंति । तते णं से पंडुसेणे राया कोटुबियपुरिसे सहावेति, २ त्ता एवं वयासी खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! निक्खमणाभिसेयं जाव उवट्ठवेह, २ पुरिससहस्सवाहिणीओ सिबियाओ उवडवेह जाव पच्चोरुहंति, २ जेणेव थेरा [भगवंतो तेणेव उवागच्छंति. उवागच्छिता थेरे भगवंते तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करोति, करित्ता वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी] आलित्ते णं जाव समणा जाया चोद्दस पुव्वाइं अहिनंति, २ त्ता बहूणि वासाणि छट्ठट्ठमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणा विहरंति । १२९. तते णं सा दोवती देवी सीयातो पन्चोरुहति, २ ता जाव पव्वतिया, सुव्वताए अज्जाए सिस्सिणियत्ताए दलयंति, एक्कारस अंगाई अहिज्जति, २ त्ता बहूणि वासाणि छट्ठट्ठमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं अप्पाणं भावेमाणा विहरति । १३०. तते णं ते थेरा भगवंतो अन्नया कयाइ पंडुमहुरातो णयरीतो सहसंबवणाओ उज्जाणातो पडिणिक्खमंति, २ बहिया जणवयविहारं विहरति । ते णं काले णं ते णं समए णं अरिहा अरिट्ठनेमी जेणेव सुरद्वाजणवए तेणेव उवागच्छति, २ सुरद्वाजणवयंसि संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति, तणं बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमातिक्खति ४ एवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहा अरिट्ठनेमी सुरद्वाजणवए जाव विहरति । तते णं ते जुहिट्टिलपामोक्खा पंच अणगारा बहुजणस्स अंतिए एयम सोच्चा अन्नमन्नं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहा अरिट्ठनेमी पुव्वाणुपुव्विं जाव विहरति । तं सेयं खलु अम्हं थेरा आपुच्छित्ता अरहं अरिट्ठनेमिं वंदणाए गमितए । अन्नमन्नस्स एयमहं पडिसुर्णेति, २ त्ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता थेरे भगवंते वंदंति णमंसंति, २ त्ता एवं वयासी इच्छामो णं तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणा अरहं अरिट्ठनेमिं जाव गमित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया ! तते णं ते जुहिट्ठिलपामोक्खा पंच अणगारा थेरेहिं अब्भणुन्नाता समाणा थेरे भगवंते वंदंति णमंसंति, २ थेराणं अंतियातो पडिणिक्खमंति, २ त्ता मासंमासेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेण गामागा दूतिज्जमाणा जाव जेणेव हत्थकप्पे नयरे तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता हत्थकप्पस्स बहिया सहसंबवणे उज्जाणे जाव विहरंति । तते णं तं जुहिडिलवज्जा चत्तारि अणगारा मासखमणपारणए पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेति, बीयाए एवं जहा गोयमसामी, णवरं जुहिट्ठिलं आपुच्छंति जाव अडमाणा बहुजणसद्दं णिसामेति, एवं खलु देवाणुप्पिया ! अरहा अरिट्ठनेमी उज्जितसेलसिहरे मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं पंचहिं छत्तीसेहिं अणगारसएहिं सद्धिं कालगते जाव पहीणे । तते णं ते वाचत्तारि अणगारा बहुजणस्स अंतिए [एयम] सोच्चा णिसम्मा हत्थकप्पातो पडिणिक्खमंति, २ त्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे, जेणेव जुि अणगारे तेणेव उवागच्छंति, २ भत्तपाणं पच्चुवेक्खंति, २ गमणागमणस्स पडिक्कमंति, २ त्ता एसणमणेसणं आलोएंति. २ भत्तपाणं पडिदंसेंति, २ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! जाव कालगते, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! इमं पुव्वगहियं भत्तपाणं परिट्ठवेना सेत्तुज्जं पव्वयं सणियं सणियं दुरुहित्तए, संलेहणाझोसणाझोसियाणं कालं अणेवेक्खमाणाणं विहरित्तए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्स एतमट्टं पडिसुणेति, २ तं पुब्वगहियं भत्तपाणं एगंते परिट्ठवेति, २ त्ता जेणेव सेतुज्ने पव्वए तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता सेतुज्जं पव्वयं दुरुहंति, २ जाव कालं अणवकखमाणा विहरंति । तते णं ते जुहिट्ठिलपामोक्खा पंच अणगारा सामाइयमाझ्याई चोद्दस पुव्वाई [अहिज्जित्ता, ] बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणित्ता, दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसित्ता, जस्सट्टाए कीरति णग्गभावे जाव तमट्ठमारा श्री आगमगणमंजषा ६८ UGG C 9 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PागगगगामामCONORA C$乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$$$$$$$ AGO5555555555555 हेति,] २ अणते णाणे समुप्पन्ने जाव सिद्धा। १३१. तते णं सा दोवती अज्जा सुव्वयाणं अज्जियाणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जति, २ बहूणि 卐 वासाणि मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता आलोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए उववन्ना । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता। तत्थ णं दुवयस्स वि देवस्स दस सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता। सेणं भंते ! दुवए देवे ताओ देवलोगाओ जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जावंतं काहिति। एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं सोलसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पन्नत्ते त्ति बेमि । ।सोलसमं नायज्झयणं संमत्तं ॥१६॥ सत्तरसमं अज्झयणं 'आइण्णे' १३२. जति णं भंते ! सोलसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, सत्तरसमस्सणं णायज्झयणस्स के अढे पन्नत्ते? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं हत्थिसीसे णामं नगरे होत्था, वण्णओ। तत्थ णं कणगकेऊ णामं राया होत्था, वण्णओ। तत्थ णं हत्थिसीसे णगरे बहवे संजत्ताणावावाणियगा परिवसंति अड्डा जाव बहुजणस्स अपरिभूता यावि होत्था । तते णं तेसिं संजत्ताणावावाणियगाणं अन्नया एगयओ जहा अरहण्णए जाव लवणसमुदं अणेगाइं जोयणसयाइं ओगाढा यावि होत्था । तते णं तेसिंजाव बहूणिउप्पातियसयातिं जहा मागंदियदारगाणं जाव कालियवाए यत्थ संमुच्छिए । तते णं साणावा तेणं कालियवाएणं आहुणिज्जमाणी २ संचालिजमाणी २ संखोभिज्जमाणी २ तत्थेवर परिभमति। तते णं से णिज्जामए णट्ठमतीए णट्ठसुतीए णट्ठसण्णे मूढदिसाभाए जाते यावि होत्था, ण जाणइ कयरं देसं वा दिसं वा पोयवहणे अवहिते त्ति कट्ट ओयमणसंकप्पे जाव झियायति । तते णं ते बहवे कुच्छिधारा य कण्णधारा य गब्भेज्जगा य संजत्ताणावावाणियगा य जेणेव से णिज्जामए तेणेव उवागच्छंति, २ एवं वयासी किन्नं तुमं देवाणुप्पिया ! ओहयमण [संकप्पा जाव झियायह ?] तते णं से निज्जामए ते बहवे कुच्छिधारा य कण्णधारा य गब्भिज्जगा य संजत्ताणावावाणियगा य एवं वयासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! णट्ठमतीए जाव अवहिए त्ति कट्ट ओहयमणसंकप्पे जाव झियामि । तते णं ते कण्णधारा य कुच्छिधारा य गब्भेज्जगा य संजत्ताणावावाणियगा य तस्स णिज्जामयस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्मा भीया तत्था तसिया उव्विग्गा संजातभया ण्हाया कयबलिकम्मा करयल [परिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट] बहूणं इंदाण य खंदाण य जहा मल्लिनाए जाव उवायमाणा २ चिट्ठति। तते णं से णिज्जमए ततो मुहुत्तंतरस्सलद्धमतीए लद्धसुतीए लद्धसण्णे अमूढदिसाभाए जाते यावि होत्था । तते णं से णिज्जामए ते बहवे कुच्छिधाराय कण्णधारा य गन्भेज्जगा य संजत्ताणावावाणियगा य एवं वयासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! लद्धमतीए जाव अमूढदिसाभाए जाए। अम्हे णं देवाणुप्पिया ! कालियदीवं तेणं संछूढा, एस णं कालियदीवे आलोक्कति । तते णं ते कुच्छिधारा य कण्णधारा य गन्भेज्जगा य संजत्ताणावावाणियगा य तस्स णिज्जामगस्स अंतिए एयमटुं] सोच्चा णिसम्मा हट्ठतुट्ठा पयक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव कालियदीवे तेणेव उवागच्छंति, २त्ता पोयवहणं लंबेति, २त्ता एगट्ठियाहिं कालियदीवं उत्तरंति, तत्थ णं बहवे हिरण्णागरे य सुवण्णागरे य रयणागरे य वइरागरे य बहवे यत्थ आसे पासेंति । किं ते? हरिरेणुसोणिसुत्तग० आइण्णवेढो। तते णं ते आसा ते वाणियए पासंति, २ तेसिंगंधं अग्घायंति, २ भीया तत्था उव्विगा उव्विग्गमणा ततो अणेगाई जोयणाई उब्भमंति। ते णं तत्थ पउरगोयरा पउरतणपाणिया निब्भया निरूव्विग्गा सुहंसुहेणं विहरंति । तए णं ते संजत्तानावावाणियगा अण्णमण्णं एवं वयासी किण्णं अम्हं देवाणुप्पिया ! आसेहिं ? इमे णं बहवे हिरण्णागारा य सुवण्णागरा य रयणागरा य वइरागरा य, तं सेयं खलु अम्हं हिरण्णस्स य सुवण्णस्स य रयणस्स य वइरस्स य पोयवहणं भरित्तए त्ति कट्ट अन्नमन्नस्स एतमढे पडिसुणेति, २ त्ता हिरण्णस्स य सुवण्णस्सय रयणस्स य वइरस्स य तणस्स य कट्ठस्स य अन्नस्स य पाणियस्स य पोयवहणं भरेति, २ त्ता दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीरए पोतपट्टणे तेणेव उवागच्छंति, २ पोयवहणं लबेति, २ सगडीसागडं सज्जेति, २ तं हिरण्णं च जाव वइरं च एगट्ठियाहिं पोयवहणातो संचारेति, २ सगडीसागडं जोएंति, २ जेणेव हत्थिसीसए नगरे तेणेव उवागच्छंति, २त्ता हत्थिसीसयस्स नगरस्स बहिया अग्गुज्जाणे सत्थणिवेसं करेति, २त्ता सगडीसागणं मोएंति, २त्ता महत्थं महग्धं महरिहं जाव पाहुडं गेण्हंति, २त्ता हत्थिसीसगं नगरं अणुपविसंति, २त्ता जेणेव कणगकेऊ O$$听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明CC $$$$$$ rec5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६८२ 555555FFFFFFFFFF5555555557 Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOROF #5555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १७ अ, आइण्णे [९३] 15555555555555555DKOT तेणेव उवागच्छंति, २त्ता जाव उवणेति।१३३. तते णं से कणगकेऊ तेसिं संजत्तावाणियगाणं तं महत्थं जाव पडिच्छति, २त्ता ते संजतावाणियगे एवं वयासी तुब्भे6 णं देवाणुप्पिया ! गामागर जाव आहिंडह, लवणसमुदं च अभिक्खणं २ पोयवहणेणं ओगाहह, तं अत्थि याइं थ केइ भे कहिंचि अच्छेरए दिट्ठपुव्वे ? तते णं ते संजत्तावाणियगा कणगकेउं एवं वदासि एवं खलु अम्हे देवाणुप्पिया ! इहेव हत्थिसीसे नगरे परिवसामो तं चेव जाव कालियदीवं तेणं संछूढा । तत्थ णं बहवे हिरण्णागरा य जाव बहवे यत्थ आसे, किं ते ? हरिरेणु जाव अणेगाइं जोयणाई उब्भमंति । तं एस णं सामी ! अम्हेहिं कालियदीवे ते आसा अच्छेरए दिठ्ठपुव्वे । तते जणं से कणगकेऊ राया तेसिं संजत्तगाणं अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्मा ते संजत्तए एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! मम कोटुंबियपुरिसेहिं सद्धि कालियदीवातो ते आसे आणेह । तते ण ते संजत्तावाणियगा कणगकेउं एवं वयासी एवं सामि त्ति आणाए विणएणं पडिसुणेति। तते णं से कणगकेऊ कोटुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! संजत्तएहिं सद्धिं कालियदीवातो मम आसे आणेह । ते वि पडिसुणेति । तते णं ते कोटुंबियपुरिसा सगडीसागडं सज्जेति, २त्ता तत्थ णं बहूणं वीणाण य वल्लकीण य भामरीण य कच्छभीण य भंमाण य छब्भामरीण य चित्तवाणाण य अन्नेसिं च बहूणं सोतिदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरेति, २ बहूणं किण्हाण य जाव सुकिलाण य कट्ठकम्माण य चित्तकम्माण य पोत्थकम्माण य लेप्पकम्माण य गंथिमाप्प यजाव संघइमाण य अन्नेसिंच बहूणं चक्खिदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरेति, २ बहूणं कोट्ठपुडाण य केयइपुडाणय जाव अन्नेसिंच बहूणं घाणिदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरेति, २ बहुस्स खंडस्स य गुलस्स य सक्काराए य मच्छंडियाए य पुप्फुत्तरा [ए य] पउमुत्तरा [ए यो अन्नेसिं च बहूणं जिब्मिदियपाउग्गाणं दव्वाणं सगडीसागडं भरेति, २ बहूणं कोयवाण य कंबलाण य पावाराण य नवतयाण य मलयाण य मसूराण य सिलावट्टाण य जाव हंसगब्भाण य अन्नेसिंच फासिदियपाउग्गाणं दव्वाणं जाव भरेति, २ सगडीसागडं जोएति, २ जेणेव गंभीरए पोयट्ठाणे तेणेव उवागच्छंति, २त्ता सगडीसागडं मोएंति, २ पोयवहणं सजेति २ तेसिं उक्किट्ठाणं सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधाणं कठ्ठस्स य तणस्स य पाणियस्स य तंदुलाण य समियस्स य गोरसस्स य जाव अन्नेसिंच बहूणं पोयवहणपाउग्गाणं पोयवहणं भरेंति, २त्ता दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव कालियदीवे तेणेव उवागच्छंति, २त्ता पोयवहणं लंबेति, २त्ता ताई उक्किट्ठाइं सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधाई एगट्ठियाहिं कालियदीवं उत्तारेति, २त्ता जहिं जहिं च णं ते आसा आसयंति वा सयंति वा चिटुंति वा (निसीयंति वा तुयटुंति वा तहिं तहिं च णं ते कोडुबियपुरिसा ताओ वीणाओ य जाव चित्तवीणातो य अन्नाणि य बहूणि सोइंदियपाउग्गाणि दव्वाणि समुदीरेमाणा चिट्ठति, तेसिं च परिपेरंतेणं पासए ठवेति, [२] णिच्चला णिप्फंदा तुसिणीया चिट्ठति । जत्थ जत्थ ते आसा आसयंति वा जाव तुयटृति वा तत्थ तत्थ णं ते कोटुंबियपुरिसा बहूणि किण्हाणि य नीलाणि य लोहियाणि य हालिद्दाणि य सुक्किलाणि य कट्ठकमाणि य जाव संघाइमाणि य अन्नाणि य बहूणि चक्खिदियपाउग्गाणि दव्वाणि ठवेति, २ तेसिं परिपेरंतेणं पासए ठवेति, २ णिच्चला णिप्फंदा तुसिणीया चिट्ठति । जत्थ जत्थ ते आसा आसयंति वा सयंति वा चिटुंति वा निसीयंति वा तुयटृति वा तत्थ तत्थ णं ते बहवे कोटुंबियपुरिसा कोट्ठपुडाण य अन्नेसिंच घाणिदियपाउग्गाणं दव्वाणं पुजे य णिगरे य करेंति; २ तेसिं परिपेरंते जाव चिट्ठति । जत्थ जत्थ णं ते आसा आसयंति वा सयंति वा चिटुंति + वा निसीयंति वा तुयटृति वा तत्थ तत्थ गुलस्स य जाव अन्नेसिंच बहूणं जिब्भिदियपाउग्गाणं दव्वाणं पुंजे य निगरे य करेंति, २ वियरए खणंति, २ गुलपाणगस्स म खंडपाणगस्स पोरपाणगस्स अन्नेसिंच बहूणं पाणगाणं वियरए भरेति, २ तेसिं परिपेरंतेणं पासगे ठवेति जाव चिटुंति । जहिं जहिं च णं ते आसा आसयंति वा सयंति वा चिट्ठति वा निसीयंति वा तुयद्वृति वा तहिं तहिंचते [कोटुंबियपुरिसा] बहवे कोयवया जाव सिलावट्टया अण्णाणिय फासिदियपाउग्गाइंदव्वाइं अत्थुयपच्चत्थुयाइं अठवेति, २ तेसिं परिपेरंतेणं जाव चिट्ठति । ततेणं ते आसा जेणेव ते उक्किट्ठा सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधा तेणेव उवागच्छंति, २त्ता तत्थ णं अत्थेगतिया आसा बपुव्वा फणं इमे सद्द-फरिस-रस-रूव-गंध त्ति कट्ट तेसु उक्किट्ठेसु सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधेसु अमुच्छिया अगढिया अगिद्धा अणज्झोववण्णा तेसिं उक्किट्ठाणं सद्द जाव गंधाणं दूरंदूरेणं अवक्कमंति । ते णं तत्थ पउरगोयरा पुउरतणपाणिया आसयंति वा सयंति वा चिटुंति वा निसीयंति वा तुयटृति वा, पउरतणपाणिया णिब्भया reOFFFFFFFFFFFFFFFFFश्री आगमगुणमजूषा - ६८३. 555555555555555555555555557OR OSC$$$$$$乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 MozC$$$5555555555明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐QC Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Froz9555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १७ अ, आइण्णे [१४] 555555555555 CNC$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$纸听听听听听听C णिरूव्विग्गा सुहंसुहेणं विहरंति। एवामेव समणाउसो!जो अम्हं णिग्गंथो वा णिग्गंथी वा सद्द-फरिस-रस-रव-गंधेसुणो सज्जति से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं साविया णं य अच्चणिज्जे जाव वीतीवतिस्सति । १३४. तत्थ णं अत्थेगतिया हासा जेणेव ते उक्किट्ठा सद्द-फरिस-रस-रूवगंधा तेणेव उवागच्छंति, २ त्ता तेसु उक्किडेसु सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधेसु मुच्छिया जाव अज्झोववण्णा आसेविउं पयत्ता यावि होन्था । तते णं ते आया ते कि सद्द-फरिस-रस-रूव-गंधे आसेवमाणा तेहिं बहूहिं कूडेहि य पासेहि य गलएसु य पाएसु बज्झंति । तते णं ते कोडुबियपुरिसा ते आसे गेण्हंति, २ एगट्ठियाहिं पोतवहणे संचारेति, २ तणस्स य कट्ठस्स य जाव भरेति । तते णं ते संजत्ताणावावाणियगा दक्खिणाणुकूलेणं वाएणं जेणेव गंभीरए पोयपट्टणे तेणेव उवागच्छति, २ पोयवहणं लंबेति, २त्ता ते आसे उत्तारेति, २त्ता जेणेव हत्थिसीसे णगरे जेणेव कणगकेऊ राया तेणेव उवागच्छंति, २ करयल जाव वद्धावेति. २ ना ते आसे उवणेति । तते णं से कणगकेऊ राया तेसिं संजत्तावाणियगाणं उस्सुक्कं वितरति, २ ता सक्कारेति संमाणेति, २ पडिविसज्जेति । तते णं से कणगकेऊ राया कोटुंबियपुरिसे सद्दावेति, २त्ता सक्कारेति संमाणेति, २ पडिविसज्जेति । तते णं से कणगकेऊराया आसमद्दए सद्दावेति. २त्ता एवं वदासी तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! मम आसे विणएह । तते णं ते आसामद्दतहत्ति पडिसुणेति, २ त्ता ते आसे बहूहि मुहबंधेहि य कण्णबंधेहि य णासाबंधेहि य वालबंधेहिं य खुरबंधेहिं य कडगबंधेहिं यम खलिणबंधेहि य अहिलाणेहिं य पडयाणेहिं य अंकणाहिं य वेत्तप्पहारेहि य लयप्पहारेहिं य कसप्पहारेहिं य छिवप्पहारेहिं य विणयंति, २ कणगकेउस्स रण्णो उवणेति । तते णं से कणगकेऊ ते आसमद्दए सक्कारेति सम्माणेइ, २ ना पडिविसज्जेति । तते णं ते आसा बहूहि मुहबंधेहिं य जाव छिवप्पहारेहि य बहूणि सारीरमाणसाइं दुक्खाइं पावेति । एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं णिग्गंथो वा णिगंथी वा पव्वइए समाणे इढेसु सद्द-फरिस जाव गंधेसु सज्जति रज्जति गिज्झति मुज्झति अज्झोववज्जति से णं इहलोए चेव बहूणं समणाण य जाव सावियाण य हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्टिस्सति । १३५. कलरिभियमहुरतंती-तलताल-वंसकउहाभिरामेसु । सद्देसु रज्जमाणा रमंति सोइंदियवसट्टा ।।३३।। “सोइंदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ हवति दोसो । दीविगरूयमसहंतो वहबंधं तित्तिरो पत्तो" ॥३४|| थण-जहण-वयण-कर-चरण-णयण-गव्वियविलासियगतीसु । रूवेसु रज्जमाणा रमंति चक्खिदियवसट्टा ॥३५॥ चक्खिदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ भवति दोसो । जं जलणंमि जलते पडति पयंगो अबुद्धीओ ॥३६।। अगरुवरपवरधूवण-उउय-मल्लाणुलेवणविहीसु । गंधेसु रज्जमाणा रमंति घाणिदियवसट्टा ॥३७|| घाणिदियदुईतत्तणस्स अह एत्तिओ हवइ दोसो। जं ओसहिगंधेणं बिलातो निद्धावती उरगो ॥३८॥ तित्तकडुयकसायं ब महुरबहुखज्नपेजलेज्झेसु । आसायंमि उ गिद्धा रमंति जिभिदियवसट्टा ॥३९|| जिभिदियदुईतत्तणस्स अह एत्तिओ हवति दोसो । जंगललग्गुक्खित्तो फुरइ थलविरल्लितो मच्छो ॥४०॥ उउभयमाणसुहेसुय सविभवहिययमणनिव्वुइकरेसु। फाससुरज्जामाणा रमति फासिदियवसट्टा ॥४१॥ फासिदियदुद्दतत्तणस्स अह एत्तिओ भवति दोसो। जं खणइ मत्थयं कुंजरस्स लोहंकुसो तिक्खो ॥४२॥ कलरिभियमहुरंतति-तलताल-वंस-कउहाभिरामेसु । सद्देसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ॥४३|| थण-जहणवयण कर-चरण-नयण-गव्वियविलासियगतीसु । रूवेसु जे न रत्ता वसट्टमरणं न ते मरए ।।४४|| अगरुवरपवरधूवण-उउय-मल्लाणुलेवणविहीसु । गंधेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ।।४५|| तित्तकडुकसायं बिल महुरं बहुखज्जपेज्जलेज्झेसु । आसायम्मि अगिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए ।।४६।। उउभयमाणसुहेसु य सविभवहिययमणणिव्वुइकरेसु । फासेसु जे न गिद्धा वसट्टमरणं न ते मरए।।४७|| सद्देसु य भद्दगपावएसु सोयविसयं उवगतेसु । तुटेण व रुद्वेण व समणेण सया ण होयव्वं ॥४८॥ स्वेसु य भद्दगपावएसु चक्खुविसयं उवगतेसु । तुट्टेण व रुट्टेण व समणेण सया ण होयव्वं ॥४९॥ गंधेसु य भद्दयपावएसु घाणविसयं उवगतेसु। तुट्टेण व रुढेण व समणेण सया ण होयव्वं ॥५०|| रसेसु य भद्दगपावएसु जिब्भविसयं उवगएसु । तुट्टेण व रुद्वेण व समणेण सया ण होयब्वं ॥५१।। फासेसु यम 4 भद्दगपावएसु कायविसयं उवगतेसु । तुटेण व रुटेण व समणेण सया ण होयव्वं ॥५२॥ एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं सत्तरसमस्स णायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि । । सत्तरसमं नायज्झयणं सम्मत्तं ॥१७॥ अट्ठारसमं अज्झयणं 'सुंसुमा' १३६. जति णं भंते ! veres1555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-६४४5555555555555555555555555OOK 555555555听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRO:05555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प. स. १८ अ. सुसमा [१५] $$$$$$$$$$$ 2 0 CC乐听听听听听听听$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$乐听听听听听听听听听听听听 2 समणेणं भगवया महावीरेणं सत्तरसमस्स नायज्झयणस्स अयम? पण्णत्ते, अट्ठारसमस्स णं भंते ' नायज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पन्नते? एवं खलु के जंबू ! ते णं काले णं ते णं समएणं रायगिहे णाम नगरे होत्था, वण्णओ। तत्थ णं धणे सत्थवाहे, भद्दा भारिया, तस्स णं धणस्स सत्थवाहस्स पुत्ता भद्दाए अत्तया पंच सत्थवाहदारगा होत्था, तंजहा धणे, धणपाले, धणदेवे. धणगोवे. धणरविवए। तस्स णं धणस्स सत्थवाहस्य ध्या महाए अत्तया पंचण्हं पुनाणं अणुमग्गजातिया सुसुमा णामं दारिया होत्था सूमालपाणिपाया० । तस्सणं धणस्स सत्थवाहस्स चिलाए नाम दासचेडे होत्था, अहीणपंचेंदियसरीरे मंसोवचिते बालकीलावणकुसले यावि होत्था । तते णं से दासचेडे सुंसुमाए दारियाए बालग्गाहे जाते यावि होत्था । सुसुमं दारियं कडीए गेण्हति, २त्ता बहूहिं दारएहि य दारियाहिं य डिभएहिं य डिभियाहिं य कुमारएहिं य कुमारियाहिं य सद्धिं अभिरममाणे २ विहरति । तते णं से चिलाते दासचेडे तेसिं बहूणं दारयाण य दारियाण य डिभयाण य डिभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अप्पेगतियाणं खुल्लए अवहरति, एवं वट्टए. आडोलियातो, तेंदूसए, पोत्तुल्लए. साडोल्लए, अप्पेगतियाणं आभरणमल्लालंकारं अवहरति, अप्पेगतिए आउसति, एवं अवहसति, निच्छोडेति, निब्भच्छेति, तज्जेति, अप्पेगतिए तालेति। तते णं बहवे दारगा य दारिया य डिंभया य डिभिया य कुमारया य कुमारिया य रोयमाणा य कंदमाणा य तिप्पमाणा य सोयमाणा य विलवमाणा य साणं साणं अम्मापिऊणं णिवेदेति । तते णं तेसिं बहूणं दारगाण य दारियाण य डिभयाण य डिभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अम्मापियरो जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति. २ धणं सत्यवाहं बहूहिं खिज्जणाहि य रुंटणाहि य उवलंभणाहि य खिज्जमाणा य रुटमाणा य उवलभमाणा य धणस्स सत्थवाहस्स एयमढें णिवेदेति । तते णं से धणे सत्थवाहे चिलायं दासचेडं एयमढें भुज्जो २ णिवारेति, णो चेव णं चिलाए दासचेडे उवरमति । तते णं से चिलाए दासचेडे तेसिं बहूणं दारगाण य दारियाण य डिभयाण य डिभियाण य कुमारयाण य कुमारियाण य अप्पेगतियाणं खुल्लइ अवहरति जाव तालेति । तते णं ते बहवे दारगा य दारिया य डिंभया य डिभिया य कुमारया य कुमारिया य रोयमाणा य जाव अम्मापिऊणं णिवेदेति । तते णं ते आसुरुत्ता रुट्ठा कुविया चंडिक्किया मिसिमिसेमाणा जेणेव धणे सत्थवाहे तेणेव उवागच्छंति, २ बहूहि खिज्जणाहि जाव एयमद्वं णिवेदेति। तते णं से धणे सत्थवाहे बहूणं दारगाणं दारियाणं डिभयाणं डिभियाणं कुमारयाणं कुमारियाणं अम्मापिऊणं अंतिए एयमहूँ सोच्चा आसुरुत्ते रुढे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे चिलायं दासचेडं उच्चावयाहिं आओसणाहिं आओसति, उद्धंसति, णिब्भच्छेति, निच्छोडेति, तजेति, उच्चावयाहिं तालणाहिं तालेति, सातो गिहातो णिच्छुभति । १३७. तते णं से चिलाए दासचेडे सातो गिहातो निच्छुडे समाणे रायगिहे नगरे सिंघाडग जाव पहेसु देवकुलेसु य सभासु य पवासु य जूयखलएसु य वेसाघरएसु य पाणियघरएसु य पाणघरएसु य सुहंसुहेणं परिवड्डति । तते णं से चिलाए दासचेडे अणोहट्टिए अणिवारिए सच्छंदमई सइरप्पयारी, मज्जप्पसंगी चोज्जप्पसंगी जूयप्पसंगी वेसप्पसंगी परदारप्पसंगी जाते यावि होत्था । तते णं रायगिहस्स नगरस्स अदूरसामंते दाहिणपुरत्थिमे दिसीभाए सीहगुहा नामं चोरपल्ली होत्था, विसमगिरिकडगकोलंबसन्निविट्ठा वंसीकलंकपागारपरिक्खित्ता छिण्णसेलविसमप्पवायफरिहोवगूढा एगदुवारा अणेगखंडी विदितजणणिग्गमप्पवेसा अब्मितरपाणिया सुदुल्लभजलपेरंता सुबहुस्स वि कूवियबलस्स आगयस्स दुप्पहंसा यावि होत्था । तत्थ णं सीहगुहाए चोरपल्लीए विजए णाम चोरसेणावती परिवसति अहम्मिए जाव अधम्मकेऊ समुट्ठिए बहुणगरणिग्गयजसे सूरे दढप्पहारी साहसिए सद्दवेही। सेणं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचण्हं चोरसयाणं आहेवच्चं जाव विहरति । तते णं से विजए तक्करसेणावती बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयगाण य संधिच्छेयगाण य खत्तखणगाण य रायावगारीण य अणधारगाण य बालघायगाण य वीसंभघायगाण य जूयकराण य खंडरक्खाण य अन्नेसिंच बहूणं छिन्नभिन्नबाहिराहयाणं कुडंगे यावि होत्था । तते णं से विजए चोरसेणावती रायगिहस्स दाहिणपुरत्थिमं जणवयं बहूहिँ गामघाएहि य नगरघाएहि य गोग्गहणेहि य बंदिग्गहणेहि य पंथकोट्टणेहि य खत्तखणणेहि य है ओवीलेमाणे २ विद्धंसेमाणे २ णित्थाणं णिद्धणं करेमाणे २ विहरति । तते णं से चिलाए दासचेडे रायगिहे बहूहिँ अत्थाभिसंकीहि य चोज्जाभिसंकीहि य दाराभिसंकीहि यधणिएहि य जूइकरेहि य परब्भमाणे २ रायगिहातो नगरातो णिग्गच्छति, २ जेणेव सीहगुहा चोरपल्ली तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता विजयं चोरसेणावतिं उवसंपज्जित्ताणं Ye 05555555555555555555555| श्री आगमगुणमंजूषा - ६८५555555555555555555555OF SO$$$$$$乐乐听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGRO555555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ प.स. १८ अ. सुसमा [१६] Prerro55555 乐乐乐步听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听5C 2 विहरति । तते णं से चिलाए दासचेडे विजयस्स चोरसेणावतिस्स अग्गअसिलट्ठिग्गाहे जाते यावि होत्था । जाहे वि य णं से विजए चोरसेणावती गामघायं वा जाव पंथकोट्टि वा काउं वच्चति ताहे वि य णं से चिलाते दासचेडे सुबहुं पि कूवियबलं हयमहिय जाव पडिसेहेति, २त्ता पुणरवि लद्धटे कयकज्जे अणहसमग्गे सीहगुहं चोरपल्लिं हव्वमागच्छति । तते णं से विजए चोरसेणावती चिलायं तक्करं बहूओ चोरविजाओ य चोरमंते य चोरमायाओ य चोरनिगडीओ य सिक्खावेति । तते णं से विजए चोरसेणावई अन्नया कयाइ कालधम्मुणा संजुत्ते यावि होत्था । तते णं तातिं पंच चोरसयातिं विजयस्स चोरसेणावइस्स महया २ इड्डीसक्कारसमुदएणं णीहरणं करेंति, २ बहूतिं लोइयातिं मयकिच्चातिं करेंति, २ जाव विगयसोया जाया यावि होत्था । तते णं ताइं पंच चोरसयाइं अन्नमन्नं सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी एवं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! विजए चोरसेणावती कालधम्मुणा संजुत्ते, अयं च णं चिलाते तक्करे विजएणं चोरसेणावइणा बहूओ चोरविज्जाओ य जाव सिक्खाविए, तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! चिलायं तक्करं सीहगुहाए चोरपल्लीए चोरसेणावइत्ताए अभिसिचित्तए त्ति कट्ट अन्नमन्नस्स एयमढें पडिसुणेति, २ त्ता चिलायं सीहगुहाए चोरपल्लीए चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचंति । तते णं से चिलाते चोरसेणावती जाते अहम्मिए जाव विहरति । तते णं से चिलाए चोरसेणावती चोरणायगे जाव कुडंगे यावि होत्था। सेणं तत्थ सीहगुहाए चोरपल्लीए पंचण्हं चोरसयाण य एवं जहा विजओ तहेव सव्वं जाव रायगिहस्सणगरस्सदाहिणपुरथिमिल्लं जणवयं जाव णित्थाणं निद्धणं करेमाणे विहरति । १३८. तते णं से चिलाते चोरसेणावती अन्नदा कयाइ विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेइ, २ त्ता ते पंच चोरसए आमंतेइ । तओ पच्छा पहाए कयबलिकम्मे भोयणमंडवंसि तेहिं पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं विपुलं असण-पाण-खाइम-साइमं सुरं च जाव पसण्णं च आसाएमाणे विसाएमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे विहरति, जिमियभुत्तुत्तरागते ते पंच चोरसते विपुलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं धूव-पुप्फ-गंधमल्लालंकारेणं सक्कारेति सम्माणेति, २ त्ता एवं वयासि एवं खलु देवाणुप्पिया ! रायगिहे णगरे धणे णामं सत्थवाहे अड्डे० । तस्स णं धूया भद्दाए अत्तया पंचण्हं पुत्ताणं अणुमग्गजातिया सुंसुमा णामं दारिया होत्था अहीणा जाव सुरूवा । तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! धणस्स सत्थवाहस्स गिहं विलुपामो, तुम्भं विपुले धणकणग जाव सिलप्पवाले, ममं सुंसुमा दारिया। तते णं ते पंच चोरसया चिलायस्स [चोरसेणावतिस्स एयम8] पडिसुणेति । तते णं से चिलाते चोरसेणावती तेहिं पंचेहिं चोरसएहिं सद्धिं अल्लं चम्मं दुरुहति, २ पच्चावरण्हकालसमयंसिपंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सण्णद्ध जाव गहियाउहपहरणे माइयगोमुहिएहिंफलएहिं, णिक्कट्ठाहिं असिलट्ठीहि, अंसगतेहिं तोणेहिं, सज्जीवेहिं धणूहिं, समुक्खित्तेहिं सरेहि, समुल्लालियाहिं दाहाहिं, ओसारियाहिं ऊरुघंटियाहिं, छिप्पतूरेहिं वज्जमाणेहि, महता २ उक्किट्ठिसीहणाय जाव समुद्दरवभूयं करेमाणा सीहगुहातो चोरपल्लीतो पडिनिक्खमंति, २त्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छंति, २ रायगिहस्स अदूरसामंते एगं महंगहणं अणुपविसंति, २ दिवसं खवेमाणा चिट्ठति । तते णं से चिलाए चोरसेणावती अडरत्तकालसमयंसि निसंतपडिनिसंतंसि पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं माइयगोमुहितेहिं फलएहिं जाव मूझ्याहिं ऊरुघंटियाहिं जेणेव रायगिहे पुरथिमिल्ले दुवारे तेणेव उवागच्छइ, २ उदगवत्थिं परामुसति, २ त्ता चोक्खे परमसुइभूए आयंते तालुग्घाडणिविजं आवाहेति, २ त्ता रायगिहस्स दुवारकवाडे उदएणं अच्छोडेति, २ कवाडे विहाडेति, २ रायगिह अणुपविसति, २त्ता महता २ सद्देणं उग्घोसेमाणे २ एवं वयासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! चिलाए णामं चोरसेणावती पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं सीहगुहातो चोरपल्लीतो इह हव्वमागते, धणस्स सत्थवाहस्स गिहं घाउकामे, तं जेणं णवियाए माउयाए दुद्धं पाउकामे से णं निग्गच्छउत्ति कट्ट जेणेव धणस्स सत्थवाहस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, २ धणस्स गिहं विहाडेति । तते णं से धणे चिलाएणं चोरसेणावतिणा पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं गिह घातिजमाणं पासति, २त्ता भीते तत्थे तसिए उव्विग्गे पंचहि पुत्तेहिं सद्धिं एगंतं अवक्कमति । तते णं से चिलाए चोरसेणावती धणस्स सत्थवाहस्स गिहं घाएति, २ त्ता सुबहुं धण-कणग जाव सावतेनं सुसुमं च दारियं गेण्हति, २त्ता रायगिहातो पडिणिक्खमति, २ त्ता जेणेव सीहगुहा तेणेव पहारेत्थ गमणाए। १३९. तते णं से धणे सत्थवाहे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, २ सुबहुं धण-कणगं सुसुमं च दारियं अवहरियं जाणित्ता महत्थं महग्धं महरिहं पाहुडं गहाय जेणेव णगरगुत्तिया तेणेव उवागच्छइ, २ तं महत्थं महग्धं महरिहं पाहुडं उवणेति, २ त्ता एवं वयासी एवं MORO59595555555$$$$$$$ श्री आगमगुणमंजूषा - ६८६ F FFFFF FFFFFFOROR 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听TO Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १८ अ. सुंसमा [९७) खलु देवाणुप्पिया ! चिलाए चोरसेणावती सीहगुहातो चोरपल्लीतो इहं हव्वमागम्म पंचहिं चोरसएहिं सद्धिं मम गिहं घाएत्ता सुबहुं घण-कणगं सुंसुमं च दारियं गहाय जाव पडिगते । तं इच्छामो णं देवाणुप्पिया ! सुसुमाए दारियाए कूवं गमित्तए, तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! से विपुले धण-कणग- [ रयण-मणि-मोत्तिय संख-सिलप्पवाल- रत्तरयण-संत-सार- सावत्तेज्जं.] ममं सुंसुमा दारिया । तते णं ते जगरगुत्तिया धणस्स एयमहं पडिसुर्णेति, २ त्ता सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणा महया २ ० जाव समुद्दरभूयं पिव करेमाणा रायगिहातो णिग्गच्छंति, २ त्ता जेणेव चिलाते चोरे तेणेव उवागच्छंति, २ चिलाएणं चोरसेणावतिणा सद्धिं संपलग्गा या होत्या । तते ते णगरकुत्तिया चिलायं चोरसेणावतिं हयमहिय जाव पडिसेर्हेति । तते णं ते पंच चोरसया णगरगुत्तिएहिं हतमहिय जाव पडिसेहिया समाणा तं विपुलं धण-कण - [ रयण-मणि- मोत्तिय संख सिलप्पवाल-रत्तरयणसंतसारसावतेज्जं ] विच्छड्डेमाणा य विप्पकिरेमाणा य सव्वतो समंता विप्पलाइत्था । त ते गरगुत्तिया तं विपुलं धण - कणगं गेण्हंति, २ त्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छंति । तते णं से चिलाए तं चोरसेणं तेहिं णगरगुत्तिएहिं हयमहियपवरवीरघाइय जाव भीते तत्थे सुसुमं दारियं गहाय एवं महं अगामियं दीहमद्धं अडविं अणुपविट्ठे। तते णं धणे सत्थवाहे सुंसुमं दारियं चिलाएणं अडवीमुहिं अवहीरमाणिं पासित्ताणं पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अप्पछट्टे सनद्धबद्ध [ वम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टीए गहियाउहपहरणे] चिलायस्स पदमग्गविहिं अणुगच्छमाणे अभिगज्जं हक्कारेमाणे पुक्कोरमाणे अभितज्जेमाणे अभितासेमाणे पिट्ठतो अणुगच्छति । तते णं से चिलाए तं धणं सत्थवाहं पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अप्पछट्टं सन्नद्धबद्ध वम्मिकवयं उप्पीलियसरासणपट्टीयं गहियाउहपहरणं समणुगच्छमाणं पासति, २ अथामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे जाहे णो संचाएति सुसुमं दारिय णिव्वात्त ताहे संते तंते परितंते नीलुप्पल [-गवलगुलिय- अयसिकुसुमप्पगासं खुरधारं] असिं परामुसति, २ त्ता सुंसुमाए दारियाए उत्तमंगं छिंदति, २ तं गाय तं अगामियं अडविं अणुपविट्ठे । तते गं से चिलाते तीसे अगामियाए अडवीए तण्हाते अभिभूते समाणे पम्हुट्ठदिसाभाए सीहगुहं चोरपल्लिं असंपत्ते अंतरा चेव कालगते । एवामेव समणाउसो ! जो जाव पव्वतिए समाणे इमस्स ओरालियस्स सरीरस्स वंतासवस्स जाव विद्धंसणधम्मस्स वण्णहेउं वा जाव आहारमाहारेति, हलो व बहू समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं य हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्ठिस्सति, जहा वा से चिलाते तक्करे । तते णं से धणे सत्थवाहे पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछट्ठे चिलायं परिधाडेमाणे संते तंते परितंते नो संचाएति चिलातं चोरसेणावतिं साहत्थिं गिण्हित्तए । से णं ततो पडिनियत्तति, २ जेणेव सासुमा [दारिया ] चिलाएणं जीवियाओ ववरोविएल्लिया तेणेव उवागच्छति, २ सुंसुमं दारियं चिलाएणं जीवियातो ववरोवियं पासति, २ परसुनियत्ते व्व चंपगपायवे [धस त्ति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं सन्निवइए] । तते णं से धणे सत्थवाहे अप्पछट्टे आसत्थे कूवमाणे कंदमाणे विलवमाणे महया २ सद्देणं कुहहस्स पन्ने सुचिरं कालं वाहमोक्खं करेति । तते णं से धणे सत्थवाहे पंचहिं पुत्तेहिं अप्पछट्टे चिलायं तीसे अगामियाए अडवीए सव्वतो समंता परिधाडेमाणे तण्हाए छुहाए य परब्भाहते समाणे तीसे अगामियाए अडवीए सव्वतो समंता उदगस्स मग्गणगवेसणं करेति, २ संते तंते परितंते णिव्विण्णे तीसे आ (अ) गामियाए [अडवीए] उदगं अणासाएमाणे जेणेव सा सुंसमा [दारिया ] जीवियातो ववरोएल्लिया तेणेव उवागच्छति, २ जेवं पुत्तं धणे सहावेति, २ एवं वयासी एवं खलु पुत्ता ! सुसुमाए दारियाए अट्ठाए चिलायं तक्करं सव्वतो समंता परिधाडेमाणा तण्हाए छुहाए य अभिभूया समाणा इमीसे अगामियाए अडवीए उद्गस्स मग्गणगवेसणं करेमाणा णो चेव णं उदगं आसादेमो, तते णं उदगं अणासाएमाणा णो संचाएमो रायगिहं संपावित्तए, तं णं तुब्भे ममं देवाणुप्पिया ! जीवियातो ववरोवेह, मम मंसं च सोणियं च आहारेह, तेणं आहारेणं अवदृद्धा समाणा ततो पच्छा इमं अगामियं अडविं णित्थरिहिह, रायगिहं च संपाविहिह, मित्त- [णाइ] - णियय [-सयण-संबंधि-परिजणेण सद्धिं ] अभिसमागच्छिहिह, अत्थस्स य धम्मस्स य पुण्णस्स य आभागी भविस्सह । तते णं से जेट्ठपुत्ते धणेणं सत्थवाहेणं एवं वुत्ते समाणे धणं सत्थवाहं एवं वदासी- तुब्भे णं तातो ! अम्हं पिया गुरुजणया देवयभूया ठवका पतिठवका संरक्खगा संगोवगा, तं कहं णं अम्हे तातो ! तं तुब्भे जीविताओ ववरोवेमो तुब्भं णं मंसं च सोणियं च आहारेमो ? तं तुब्भे णं तातो ! ममं जीवियातो ववरोवेह, मंसं च सोणियं च आहारेह, अगामियं अडविं णित्थरह, For Private & Personal Lise.C MOVATTLLELE LE LELE LELE LE LEVEL LEVELS LE LELE LELE LE LELE श्री आगमगणसंजषा - 719 फफफफफफफफफफफफ Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 05 (६) णायाधम्मकहाओ प. सु. १८ अ. सुंसमा / १० अ. पुंडरी [१८] 6666666666666666 तं चेव सव्वं भणति जाव अत्थस्स य धम्मस्स य पुण्णस्स य आभागी भविस्सह । तते णं तं धणं सत्थवाहं दोच्चे पुत्ते एवं वयासी मा णं तातो ! अम्हे जेहं भायरं गुरुं देवयं जीविया तो ववरोवेमो, तुब्भे णं तातो ! ममं जीवियातो ववरोवेह जाव आभागी भविस्सह । एवं जाव पंचमे पुत्ते । तते णं से धणे सत्थवाहे पंचपुत्ताणं हियइच्छियं जाणित्ता ते पंच पुत्ते एवं वयासी मा णं अम्हे पुत्ता ! एगमवि जीवियातो ववरोवेमो, एस णं सुसुमाए दारियाए सरीरए णिव्वाणे जाव जीवविप्पजढे, तं सेयं खलु पुत्ता ! अम्हं सुसुमाए दारियाए मंसं च सोणियं च आहारेत्तए । तते णं अम्हे तेणं आहारेणं अवदृद्धा समाणा रायगिहं संपाउणिस्सामा । तते णं ते पंच पुत्ता धणेणं सत्थवाहेणं एवं वृत्ता समाणा एयमट्टं पडिसुर्णेति । तते णं से धणे सत्थवाहे पंचहिं पुत्तेहिं सद्धिं अरणिं करेति, २ सरगं करेति, २ त्ता सरएणं अरणि महेति, २ ता अग्गिं पाडेति, २ अग्गिं संधुक्केति, २ दारुयातिं पक्खिवेति, २ अग्गिं पज्जालेति, २ सुंसुमाए दारियाए मंसं पड़ता मंसं च सोणियं च आहारेति । तेणं आहारेण अवदृद्धा समाणा रायगिहं नयरं संपत्ता मित्त-णाइ [-णियय-सयण-संबंधि-परिजणेण सद्धिं ] अभिसमण्णागता. तस्स य विपुन्नस्स धण-कणग-रयण जाव भागी जाया होत्या । तते णं से धणे सत्थवाहे सुसुमाए दारियाए बहूइं लोइयाइं जाव विगयसोए जाते यावि होत्था । १४०. ते णं काले णं ते णं समए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए समोसढे। तए णं धणे सत्थवाहे सपुत्ते धम्मं सोच्चा पव्वइया, एक्कारसंगवीइ, मासियाए संलेहणाए सोहम्मे उबवण्णा, महाविदेहे वासे सिज्झिर्हिति। जहा वि य णं जंबू ! धणेणं सत्थवाहेणं णो वण्णहेडं वा नो रूवहेडं वा णो बलहेडं वा नो विसयहेउं वा सुंसुमाए दारियाए मंस-सोणिए आहारिए नन्नत्थ एगाए रायगिहं संपावणट्टयाए, एवामेव समणाउसो ! जो अम्हं निग्गंथो वा निग्गंथी वा इमस्स ओरालियस्स सरीरस्स वंतासवस्स पित्तासवस्स सुक्कासवस्स सोणियासवस्स जाव अवस्सविप्पजहियव्वस्स नो वण्णहेउं वा नो रूवहेउं वा नो बलहेडं वा नो विसयहेउं वा आहारं आहारेति नन्नत्थ एगाए सिद्धिगमणसंपावणट्टयाए, से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावगाणं बहूणं साविगाणं अच्चणिज्जे जाव वीतिवतिस्सति । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवता महावीरेणं अट्ठारसमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते त्ति बेमि । 555 | अट्ठारसमं णायज्झयणं संमत्तं ॥ १८ || एणवीस मं अज्झयणं 'पुंडरीए' १४१. जति णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेण अट्टारसमस्स नायज्झयणस्स अयमट्टे पण्णत्ते, एगूणवीसतिमस्स नायज्झयणस्स अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं इहेव जंबुद्दीवे दीवे, पुव्वविदेहे वासे, सीताए महाणदीए उत्तरिल्ले कूले, नीलवंतस्स दाहिणेणं, उत्तरिल्लस्स सीतामुहवणसंडस्स पच्चत्थिमेणं, एगसेलगस्स वक्खारपव्वतस्स पुरत्थिमेणं, एत्थ णं पुक्खलावती णामं विजए पण्णत्ते । तत्थ णं पुंडरिगिणी णामं रायहाणी पण्णत्ता णवजोतणवित्थिण्णा दुवालसजोयणायामा जाव पच्चक्खं देवलोगभूया पासातीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा । तीसे णं पुंडरिमिणीए उत्तरपुरत्थि दिसीभागे णलिणिवणे णामं उज्जाणे । तत्थ णं पुंडरिगिणीए रायहाणीए महापउमे णामं राया होत्या, तस्स णं परमावती णामं देवी होत्था, तस्सणं महापउमस्सरण्णो पुत्ता पउमावतीए देवीए अत्तया दुवे कुमारा होत्था तंजहा पुंडरीए य कंडरीए य सुकुमालपाणिपाया। पुंडरीए जुवराया। ते णं काणं तेणं समरागमणं, महापउमे राया णिग्गते, धम्मं सोच्चा पुंडरीयं रज्जे ठवेत्ता पव्वतिए, पुंडरीए राया जाते, कंडरीए जुवराया । महापउमे अणगारे चोद्दस पुव्वाई अहिज्जइ, तते णं थेरा बहिया जणवयविहारं विहरंति, तते णं महापउमे बहूणि वासाणि जाव सिद्धे । १४२. तते णं ते थेरा अन्नया कयाइ पुणरवि पुंडरिगिणीए नयरीए णलिणीवणे उज्जाणे समोसढा, पोंडरीए राया णिग्गते, कंडरीए महाजणसद्दं सोच्चा जहा महब्बलो जाव पज्जुवासति, थेरा धम्मं परिकर्हेति, पुंडरीए समणोवासए जाते जाव पडिगते। तते णं से कंडरीए उट्टाए उट्टेति, उट्ठाए उद्देता जाव से जहेयं तुब्भे वदह जं णवरं पुंडरीय रायं आपुच्छामि, तए णं जाव पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेहि । तए णं से कंडरीए जाव थेरे नमंसइ, अंतियाओ पडिनिक्खमइ, तमेव चाउग्घंटं आसरहं दुरूहति जाव पच्चोरूहइ, जेणेव पुंडरीए राया तेणेव उवागच्छति, २ करयल जाव पुंडरीयं रायं एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए थेराणं अंतिए धम्मे निसंते, से धम्मे ॐ श्री आगमगुणमंजूषा ६ Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 46055555 ४८ (६) णायाथम्मकहाओ प. सु. १९ अ. पुंडरी अं [99] फफफफफफफफ अभिरूइए, तए णं देवाणुप्पिया ! जाव पव्वइत्तए । तए णं से पुंडरीए कंडरीयं एवं वयासी मा णं तुमं भाउया ! इदाणि मुंडे जाव पव्वाहि, अहं णं तुमं महया २ रायाभिसेएणं अभिसिंचामि । तए णं सेकंडरीए पुंडरीयस्स रण्णो एयमहं णो आढाति जाव तुसिणीए संचिट्ठति । तते णं पुंडरीए राया कंडरीयं दोच्चं पि तच्चं पि एवं बयासी जाव तुसिणीए संचिदुति । तते णं पुंडरीए कंडरीयं कुमारं जाहे नो संचाएनि बहूहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य नाहे अकामए चेव एयम अणुमन्नित्था जाव णिक्खमणाभिसेएणं अभिसिंचति जाव थेराणं सीसभिक्खं दलयति । पव्वतिए अणगारे जाए एक्कारसंगवी । तते णं थेरा भगवंतो अन्नया कयाइ पुंडरिगिणीओ नयरीओ णलिणीवणाओं उज्जाणाओ पडिणिक्खमंति, बहिया जणवयविहारं विहरति । १४३, तते णं तस्स कंडरीयस्स अणगारस्स तेहि अंतेहि य पंतेहि य जहा सेलगस्स जाव दाहवकंतीए यावि विहरति । तते णं ते घेरा अन्नया जेणेव पोंडरिगिणी तेणेव उवागच्छंति, २ णलिणिवणे समोसा, पोंडरीए णिग्गते, धम्मं सुणेति । तए णं पोंडरीए राया धम्मं सोच्चा जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता कंडरीयं वंदति णमंसति, २ त्ता कंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगं सव्वाबाहं सरोयं पासति, २ त्ता जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति. २ थेरे भगवंते बंदति णमंसइ, २ त्ता एवं बयासी अहणणं भंते ! कंडरीयस्स अणगारस्स अहापवत्तेहिं ओसहभेसज्जेहिं जाव तेइच्छं आउट्टामि, तं तुब्भे णं भंते! मम जाणसालासु समोसरह । तते णं थेरा भगवंतो पुंडरीयस्स एयमहं पडिसुर्णेति, २ जाव उवसंपज्जित्ताणं विहरति । तते णं पुंडरीए राया जहा महुए सेलगस्स जाव बलियसरीरे जाते । तते पणं थेरा भगवंतो पुंडरीयं राय आपुच्छंति, २ त्ता बहिया जणवयविहरंति । तते णं से कंडरीए ताओ रोयायंकाओ विप्पमुक्के समाणे तंसि मणुष्णंसि असण- पाण- खाइम साइमंसि मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने णो संवाएइ पोंडरीयं आपुच्छिता बहिया अब्भुज्जएणं जाव विहरित्तए, तत्थेव ओसण्णे जाते । तते णं से पुंडरीए इमीसे कहाए लट्ठे समाणे पहाते अंतेउरपरियालसद्धिं संपरिवुडे जेणेव कंडरीए अणगारे तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता कंडरीयं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ, २ त्ता वंदति णमंसति, २ त्ता एवं वयासी धन्ने सि.णं तुमं देवाणुप्पिया ! कयत्थे, कयपुन्ने, कयलक्खणे, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! तब माणुस्सए जम्मजीवियफले जे गं तुमं रज्जं च जाव अंतेउरं च विच्छता विग्गोवइत्ता जाव पव्वतिए, अहं णं अहणणे अपुण्णे अकयपुण्णे रज्जे य जाव अंतेउरे य माणुस्सएस य कामभोगेसु मुच्छिते जाव अज्झोववन्ने नो संचाए जाव पव्वतित्तए । तं धन्ने सि णं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव जीवियफले । तते णं से कंडरीए अणगारे पुंडरीयस्स एयमहं णो आढाति जाव संचिट्ठति । तते कंडरीए पोंडरीए दोच्च पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे अकामए अवसवसे लज्जाए गारवेण य पोंडरीयं आपुच्छति, २ थेरेहिं सद्धिं बहिया जणवयविहारं विहरति । तते गं से कंडरीए थेरेहिं सद्धिं कंचि कालं उग्ग उग्गेणं विहरति । ततो पच्छा समणत्तणपरितंते समणत्तणणिव्विण्णे समणत्तणणिब्भच्छिते समणगुणमुक्कजोगी थेराणं अंतियाओ सणियं सणियं पच्चोसक्कति, २ त्ता जेणेव पुंडरिगिणी नगरी जेणेव पुंडरीयस्स भवणे तेणेव उवागच्छति, २ त्ता असोवगवणिया असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टसि णिसीयति, २ त्ता ओहयमणसंकप्पे जाव झियायमाणे संचिट्ठति । तते णं तस्स पोंडरीयस्स अम्मधाती जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छति, २ कंडरीयं अणगारं असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलापट्टयंसि ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासति, २ त्ता जेणेव पोंडरीए राया तेणेव उवागच्छति, २ त्ता पोंडरीयं रायं एवं वदासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! तव पियभाउए कंडरीए अणगारे असोगवणियाए असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिला [पट्टयंसि] ओहयमण जाव झियायति । तते णं पोंडरीए अम्मधातीए अंतीए एयमवं सोच्चा णिसम्म तहेव संभंते समाणे उट्ठाए उट्ठेति, २ अंतेउरपरियालसंपरिवुडे जेणेव असोगवणिया जाव कंडरीयं तिक्खुत्तो २ जाव एवं वयासी धण्णे सि णं तुमं देवाणुप्पिया ! तमेव जाव पव्वतिते, अहं णं अधण्णे अपुण्णे पुणे पव्वत्तए, तं धन्ने सिणं तुमं देवाणुप्पिया ! जाव जीवियफले। तते णं कंडरीए पुंडरीएणं एवं वुत्ते समाणे तुसिणीए संचिट्ठति, दोच्चं पि तच्चं पि जाव चिट्ठति । तते गं पुंडरीए कंडरीयं एवं वदासि अट्ठो भंते! भोगेहिं ? हंता ! अट्ठो। तते णं से पोंडरीए राया कोटुंबियपुरिसे सद्दावेति, २ त्ता एवं वदासि खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! कंडरीयस्स महत्थं जाव रायाभिसेअं उवट्ठवेह जाव रायाभिसेएणं अभिसिंचति । १४४. तने णं पुंडरीए संयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति, २ सयमेव चाउज्जामं धम्मं फफफफफफफफफफफफफफफफ श्री आगमगणमंजूषा ६८ फ Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1505555555555555555() णायाधम्मकहाओ प. म. १५ अ. पंडरी बी आ गयरबंधी घनमी बग्गा 655555555555555550 HORO5555555555555555555555555555555555555555555550 पडिवज्जति, २ त्ता कंडरीयस्स संतियं आयारभंडयं गेण्हति. २ त्ता इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ कप्पति में थरे वंदित्ता णमंसित्ता थेरेणं अंतिए चाउज्जामं है धम्म उवसंपज्जित्ताणं ततो पच्छा आहारं आहारित्तए त्ति कट्ट । इमं एतारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हित्ताणं पोंडरिगिणीतो पडिनिक्खमति, २ त्ता पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे म गामाणुगाम दइजमाणे जेणेव थेग भगवंतो तेणेव पहारेन्थ गमणाए । १४५. नते णं नस्य कंदरीयस्स रण्णा तं पीयं पाणभोयणं याहारियस्स समाणस्स अतिजागराएण य अइभोयणप्पसंगेण य से आहारे णो सम्म परिणते । तते णं तस्स कंडरीयस्स रण्णो तंसि आहारंसि अपरिणममाणंसि पुचरनावरत्तकालसमयसि सरीरगंसि वेदणा पाउब्भूया उज्जला विउला पगाढा जाव दुरहियासा, पित्तज्जरपरिगयसरीर दाहवनंतीए यावि विहरति । तते णं से कंडरीए राया रज्जे य रढे य अंतेउरे य जाव अज्झोववन्ने अदृदुहट्टवसट्टे अकामए अवसवसे कानमासे कालं किच्चा अहे सत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठितियंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववण्णे । एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वतिए समाणे पुणरवि माणुस्सए कामभोगे आसादेति जाव अणुपरियट्टिस्सति, जहा व से कंडरीए राया । १४६. तते णं से पुंडरीए अणगारे जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति. २ थेरे भगवंते वंदति नमंसति, २ थेराणं अंतिए दोच्चं पि चाउज्जामं धम्म पडिवज्जति,छट्ठखमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेति, २ जाव अडमाणे सीयलुक्खं पाण-भोयणं पडिगाहेति, २ अहापजत्तमिति कट्ठ पडिणियत्तति, जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति, २ भत्तपाणं पडिदंसेति, २ थेरेहिं भगवंतेहिं अब्भणुन्नाए समाणे अमुच्छिते अगिद्धे अगढिए अणज्झोववन्ने बिलमिव पण्णगभूएणं अप्पाणेणं तं फासुएसणिज्जं असणपाण-खाइम-साइमं सरीरकोट्ठगंसि पक्खिवति । तते णं तस्स पुंडरीयस्स अणगारस्सतं कालाइक्वंतं अरसविरसं सीयलुक्खं पाणभोयणं आहारियस्स समाणस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स से आहारे णो सम्मं परिणमति । तते णं तस्स पुंडरीयस्स अणगारस्स सरीरगंसि वेदणा पाउब्भूया उज्जला जाव दुरहियासा, पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए विहरति । तते णं से पुंडरीए अणगारे अथामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे करयल जाव एवं वदासि णमोऽत्थु णं अरहताणं जाव संपत्ताणं, णमोऽत्थु णं थेराणं भगवंताणं मम धम्मायरियाणं धम्मोवदेसयाणं, पुब्बिं पि य णं मए थेराणं अंतिए सव्वे पाणातिवाते पच्चक्खाए जाव मिच्छादसणसल्ले पच्चक्खाए जाव आलोइयपडिक्कंते कालमासे कालं किच्चा सव्वट्ठसिद्धे उववन्ने, ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणमंत काहिति । एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वतिए समाणे माणुस्सएहिं कामभोगेहिं णो सज्जति रज्जति जाव नो विप्पडिघायमावज्जति से णं इहभवे चेव बहूणं समणाणं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं अच्चणिज्जे वंदणिज्जे पूयणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्ने त्ति कट्ट परलोए वि य णं णो आगच्छति बहूणि दंडराणि य मुंडणाणि य तज्जणाणि य तालणाणि य जाव चाउरंतं संसारकंतारं वीतीवइस्सति, जहा व से पुंडरीए अणगारे । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आदिगरेणं तित्थगरेणं जाव सिद्धिगइणामधेनं ठाणंसंपत्तेणं एगूणवीसंइमस्स नायज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया [महावीरेणं] जाव सिद्धिगइणामधेनं ठाणं संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स पढमस्स सुयक्खंधस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि । पढमो सुत्तक्खंधो सम्मत्तो ॥ तस्स णं सुयक्खंधस्स एगूणवीसं अज्झयणाणि एक्कसरगाणि एगूणवीसाए दिवसेसु समप्पंतिकबीओ सुयक्खंधो पढमो वग्गो १४७. ते णं काले ते णं समए णं रायगिहे नामं नगरे होत्था, वण्णओ। तस्सुणं रायगिहस्स णयरस्स बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभागे तत्थणं गुणसिलए णाम चेइए होत्था, वण्णओ। ते णं काले णं ते णं समए णं समणस्स भगवतो महावीरस्म अंतेवासी अज्जसुहम्मा णाम थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुन्नसंपन्ना जाव चउद्दसपुव्वी च उणाणोवगया पंचहि अणगारसाएहिं सद्धिं संपवुिडा पुव्वाणुपुव्विं चरमाणा गामाणुगामं दूइज्जमाणा सुहंसुहेणं [विहरमाणा] जेणेव रायगिहे णगरे जेणेव गुरसिलए चेइए जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति । परिसाई निग्गया, धम्मो कहितो, परिसा जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगया । ते णं काले घण ते णं समएणं अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स अंतेवासी अज्जजंबू णाम 10555555555555555555555555555555555555555555555555 M श्री आगमगणमषा - ११.5555555555555556. Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Karob5555$$$$$$$ (६) णायाधम्मकहाओ बीओ सुयक्खंधो - पढमो वग्गो [१०१] 5555555555555xong CF明明明明明听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐听乐明明明明明明明明明明乐乐乐明明明明明明明明明明乐乐乐乐GO अणगारे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं छट्ठस्स अंगस्स पढमस्स सुयक्खंधस्स णायाणं अयमढे पण्णत्ते, दोच्चस्स णं भंते सुयक्खंधस्स धम्मकहाणं समजेणं जाव संपत्तेणं के अढे पण्णत्ते? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं दस वग्गा पण्णत्ता तंजहा चमरस्स अग्गमहिसीणं पढमे वग्गे १, बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरन्नो अग्गमहिसीणं बीए वग्गे २, असुरिंदवज्जियाणं दाहिणिल्लाणं इंदाणं अग्गमहिसीणं तइए वग्गे ३, उत्तरिल्लाणं असुरिंदवज्जियाणं भवणवासिइंदाणं अग्नमहिसीणं चउत्थे वग्गे ४, दाहिणिल्लाणं वाणमंतराणं इंदाणं अग्गमहिसीणं पंचमे वग्गे ५, उत्तरिल्लाणं वाणमंतराणं इंदाणं अग्गमहिसीणं छठे वग्गे ६, चंदस्स अग्गमहिसीणं सत्तमे वग्गे ७, सूरस्स अग्गमहिसीणं अट्ठमे वग्गे ८, सक्कस्स अग्गमहिसीणं णवमे वग्गे ९, ईसाणस्स अग्गमहिसीणं दसमे वग्गे १०।१४८. जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं दस वग्गा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते ! वग्गस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अढे पण्णत्ते? एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा काली, राई, रयणी, विज्जू, मेहा । जइणं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे णगरे, गुणसिलए चेइए, सेणिए राया, चेल्लणा देवी, सामी समोसढे, परिसा णिग्गया, जाव परिसा पज्जुवासति । तेणं कालेणं ते णं समए णं काली [नाम] देवी चमरचंचाए रायहाणीए, कालवडिंसगभवणे, कालंसि सीहासणंसि, चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं, चउहि मयहरियाहिं सपरिवाराहिं, तिहिं परिसाहि, सत्तहिं, अणिएहिं, सत्तहिं अणियाहिवतीहिं, सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं, अण्णेहिं य बहूहि कालवडिंसगभवणवासीहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धिं संपरिवुडा महयाहय जाव विहरइ, इमं च णं केवलकप्पं दिव्वा देवजुई दिव्वे देवाणुभागे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणं पासति, पासित्ता हट्टतुट्टचित्तमाणं दिया पीतिमणा जाव हियया सीहासणातो अब्भुटेति, २त्ता पायपीढाओ पच्चोरुहति, २त्ता पाउयाओ ओमुयति, २त्ता तित्थगराभिमुही सत्तट्ठ पयाई अणुगच्छति, २त्ता वामं जाणुं अंचेति, २ दाहिणं जाणुं धरणितलंसि निहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निमेति, २ त्ता ईसिं पच्चुण्णमइ, २ त्ता कडयतुडियर्थभियातो भुयातो साहरति, २ त्ता करयल जाव कट्ट एवं वयासी णमोऽत्थु णं अरहताणं जाव संपत्ताणं णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ [महावीरस्स[ जाव संपाविउकामस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इह गया, पासउ मे समणे भगवं [महावीरे] तत्थ गए इह गयं ति कट्ट वंदति [नमंसति,]२ सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहा निण्णा । तते णं तीसे कालीए देवीए इमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता जाव पज्जुवासित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेति, २ आभिओगियदेवे सद्दावेति, २ त्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवं जहा सूरियाभ तहेव आणत्तियं देति जाव दिव्वं सुरवराभिगमणजोग्गं खत्तं करेह, करेत्ता जाव पच्चप्पिणह। ते वि तहेव करेत्ता जाव पच्चप्पिणंति, णवरं जोयणसहस्सवित्थिण्णं जाणं, सेसं तहेव, तहेव णामगोयं साहेति, तहेव नट्टविहिं उवदंसेति जाव पडिगता। भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति, २ त्ता एवं वयासी कालीएणं भंते ! देवीए सा दिव्वा देविड्डी जंबूदीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणी २ पासई, एत्थं णं समणं भगवं महावीरं ३ कहिं गया [कहिं अणुप्पविठ्ठा ?,] कूडागारसालादिद्रुतो। अहोणं भंते ! काली देवी महिड्डिया महज्जुइया महब्बला महायसा महासोक्खा महाणुभागा । कालीएणं भंते ! देवीए ॐ सा दिव्या देविड्डी ३ किणा लद्धा, किणा पत्ता, किणा अभिसमण्णागया ? एवं जहा सूरियाभस्स जाव एवं खलु गोयमा ! ते णं काले णं ते णं समए णं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्पा णामं णयरी होत्था, वण्णओ। अंबसालवणे चेइए, जियसत्तू राया। तत्थ णं आमलकप्पाए नयरीए काले नाम गाहावती होत्था अड्ढे जाव अपरिभूते । तस्स णं कालस्स गाहावतिस्स कालसिरी णामं भारिया होत्था, सुकुमाल जाव सुरूवा । तस्स णं कालस्स गाहावतिस्स घूया कालसिरीए भारियाए अत्तया काली णामं दारिया होत्था, वड्डा वड्डकुमारी जुण्णा जुण्णकुमारी पडियपुयत्थणी णिविण्णवरा वरगवज्जिया यावि होत्था। तेणं काले णं ते णं समए शणं पासे अरहा पुरिसादाणीए आदिगरे, जहा वद्धमाणसामी, णवरं णवहत्थुस्सेहे सोलसहि समणसाहस्सीहिं अकृत्तीसाए अज्जियासाहस्सीहिं सद्धिं संपरिखुडे जाव भा55555555555555555555 श्री आगमगणमनषा - ६९१ 9555555555555555 LELE CLEAROF GO听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明所听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐乐乐 Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रफ्र फ्र (६) णायाधम्मकहाओ बीओ सुयवखंधी पढमो वग्गो [१०२ ] अंबसालवणे समोसढे । परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासति । तते णं सा काली दारिया इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हट्ठजाव हियया जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ, २ त्ता करयल जान एवं वयासी एवं खलु अम्मताओ ! पासे अरहा पुरिसादाणीए आदिगरे जाव विहरति, तं इच्छामि णं अम्मताओ ! तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणी पासस्स अरहतो पुरिसादाणीयस्स पायवंदिया गमित्तए । अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा पडिबंधं करेहि। तते णं सा काली दारिया अम्मापितीहिं अब्भणुन्नाया समाणी हट्टजाव हियया व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा चेडियाचक्कपालपरिकिण्णा सातो गिहातो पडिणिक्खमति, २ त्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणपवरे तेणेव उवागच्छति, २ धम्मियं जाणपवरं दुरूढा । तते सा काली दारिया धम्मियं जाणपवरं एवं जहा देवई तहा पज्जुवासति । तते णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालीए दारियाए तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्मं कहेइ । तते णं सा काली दारिया पासस्स अरहतो पुरिसादाणीयस्स अंतिए धम्मं सोच्चा णिसम्म हट्ठ जाव हियया पासं अरहं पुरिसादाणीयं तिक्खुत्तो वंदति नम॑सति, २ एवं वयासी सद्दहामि णं भंते ! णिग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुब्भे वदह, जं णवरं देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो आपुच्छामि । तते णं अहं देवाप्पियाणं अंतिए जाव पव्वयामि । अहासुहं देवाणुप्पिए ! तते णं सा काली दारिया पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं एवं वुत्ता समाणी हट्टतुट्ठा जाव हियया पासं अहं वंदति नम॑सति, २ त्ता तमेव धम्मियं जाणपवरं दुरुहति, २ पासस्स अरहतो पुरिसादाणीयस्स अंतियातो अंबसालवणातो चेतियातो पडिणिक्खमति, २ ता जेणेव आमलकप्पा नयरी तेणेव उवागच्छति, २ आमलकप्पं णगरिं मज्झंमज्झेणं जेणेव बाहिरिया उवड्डाणसाला तेणेव उवागच्छति, २ धम्मियं जाणपवरं ठवेति, २ त्ता धम्मियातो जाणप्पवरातो पच्चोरुहति, २ जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छति, २ त्ता करयलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं वासी एवं खलु अम्मतातो ! मए पासस्स अरहतो अंतिए धम्मे णिसंते, से वि य धम्मे इच्छिते पडिच्छिते अभिरुइए। तते णं अहं अम्मयातो! संसारभउव्विग्गा, भीया जम्मणमरणाणं, इच्छामि णं तुब्भेहिं अब्भणुन्नाया समाणी पासस्स अरहतो अंतिए मुंडा भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वइत्तए । अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा डिबंध करेह । तते से काले गाहावती विपुलं असण- पाण- खाइम साइमं उवक्खडावेति, २ त्ता मित्त-णाति णियग-सयण संबंधि-परिजणं आमंतेति, २ ततो पच्छा पहाए जाव विपुलेणं पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-णाति णियग-सयण-संबंधि- परिजणस्स पुरतो कालिं दारिय सेयापीएहिं कलसेहिं ण्हावेति, २ सव्वालंकारविभूसियं करेति, २ त्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीयं दुरुहेति, २ मित्तणाति णियग-सयण-संबंधि-परिजणेण सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्डीए जाव रवेणं आमलकप्पं नगरिं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छति, २ त्ता जेणेव अंबसालवणे चेतिए तेणेव उवागच्छति, २ छत्तादीए तित्थगराइसए पासति, २ त्ता सीयं ठवेति, २ त्ता कालिं दारियं सीयाओ पच्चोरुहेति, २ तए णं तं कालिं दारियं अम्मापियरो पुरतो काउं जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव वागच्छंति, २ तावदति [ नर्मसंति] २ एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! काली दारिया अम्हं धूया इट्ठा कंता जाव किमंग पुण पासणयाए ? एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउव्विग्गा इच्छति देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ताणं जाव पव्वइत्तए, तं एयं णं देवाणुप्पियाणं सिस्सिणिभिक्खं दलयामो, पडिच्छंतु णं देवाप्पिया ! सिस्सिणिभिक्खं । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह । तते णं सा काली कुमारी पासं अरहं वंदति नम॑सति, २ त्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमति, २ त्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयति, २ सयमेव लोयं करेति, २ जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छति, २ पासं अरहं तिक्खुत्तो वंदति नम॑सति, २ एवं वयासी आलित्ते णं भंते! लोए, एवं जहा देवाणंदा, जाव सयमेव पव्वावियं, तते णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालिं सयमेव पुप्फचूलाए अज्जाए सिस्सिणियत्ताए दलयति । तते णं सा पुप्फचूला अज्जा कालिं कुमारिं सयमेव पव्वावेति, जाव उवसंपज्जित्ताणं विहरति । तते णं सा काली अज्जा जाया इरियासमिया जाव गुत्तबंभचारिणी । तते णं सा काली अज्जा पुप्फचूलाए अज्जाए अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, २ बहूहिं चउत्थ जाव विहरति । तते सा काली अज्जा अन्नया कयाइ सरीरबाउसिया जाया यावि होत्था, अभिक्खणं २ हत्थे धोवेति, पाए धोवेति, सीसं धोवेति, मुहं धोवेति, थणंतराणि धोवेति, श्री आगमगुणमंजूषा - ६९२ Moon ५० Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRO:055555555555555 (६) णायाधम्मकहाओ बीओ सुयक्खंधो पढमो वग्गो [१०३] 5555555555555550 कक्खंतराणि धोवेति गुज्झंतराणि धोवेइ, जत्थ जत्थ विय णं ठाणं वा सेज्नं वा णिसीहियं वा चेतेति तं पुव्वामेव अब्भुक्खित्ता ततो पच्छा आसयति वा सयति वा । तते णं सा पुप्फचूला अज्जा कालिं अजं एवं वयासी नो खलु कप्पति देवाणुप्पिए ! समणीणं णिग्गंथीणं सरीरबाउसियाणं होत्तए, तुमंचणं देवाणुप्पिए! सरीरबाउसिया जाया अभिक्खणं २ हत्थे धोवसि जाव आसयाहि वा सयाहि वा, तं तुम देवाणुप्पिए ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पायच्छित्तं पडिवज्जाहि। तते णं सा काली अज्जा पुप्फचूलाए अज्जाए एयमद्वं नो आढाति जाव तुसिणीया संचिट्ठति । तते णं ताओ पुप्फचूलाए अज्जाओ कालिं अजं अभिक्खणं रहीति, णिदंति, खिसंति, गरहंति, अवमण्णंति, अभिक्खणं २ एयमद्वं निवारेति । तते णं तीसे कालीए अज्जाए समणीहिं णिग्गंथीहिं अभिक्खणं २ हीलिज्जमाणीए जाव वारिज्जमाणीए इमेयारूवे अज्झत्थिते जाव समुप्पज्जित्था जया णं अहं अगारवासमझे वसित्था तदा णं अहं सयवसा, जप्पभिई च णं अहं मुंडा भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वतिया तप्पभिइं च णं अहं परव्वसा जाया, तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव जलते पाडिक्कयं उवस्सयं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेति, २ कल्लं जाव जलंते पाडिक्कं उवस्सयं गिण्हति, २ तत्थ णं अणिवारिया अणोहट्टिया सच्छंदमती अभिक्खणं २ हत्थे धोवति जाव आसयइ वा सयइ वा । तते णं सा काली अज्जा पासत्था पासत्थविहारी ओसण्णा ओसण्णविहारी कुसीला कुसीलविहारी अहाच्छंदा अहाच्छंदविहारी संसत्ता संसत्तविहारी बहूणि वासाणि सामन्नपरियागं पाउणति, २ अद्धमासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसेति, २ तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेति, २ तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा चमरचंचाए रायहाणीए कालवडिंसए भवणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसंतरिया अंगुलस्स असंखेज्जभागमेत्ताए ओगाहणाए कालीदेवित्ताए उववण्णा। मततेणं सा काली देवी अहुणोववण्णा समाणी पंचविहाए पज्जत्तीए जहा सूरियाभो जाव भासामणपज्जत्तीए। तते णं सा काली देवी चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव अण्णेसिंच बहूणं कालीवडेंसगभवणवासीणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं जाव विहरति । एवं खलु गोयमा ! कालीए देवीए सा दिव्वा देविड्डी ३ लद्धा पत्ता अभिसमण्णागया । कालीए णं भंते ! देवीए केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? गोयमा ! अड्डाइज्जाइं पलिओवमाइं ठिती पण्णत्ता । काली णं भंते ! देवी ताओ देवलोगाओ अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववन्जिहिति? गोयमा! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं काहिति । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पढमस्स वग्गस्स पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते । १४९. जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, बितियस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं [भगवया महावीरेणं] जाव संपत्तेणं के अढे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे नगरे गुणसिलए चेतिए सामी समोसढे, परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासति, ते णं काले णं ते णं समए णं राई देवी चमरचंचाए रायहाणीए एवं जहा काली तहेव आगता, णट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया। भंते त्ति भगवं गोयमे [समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता] पुव्वभवपुच्छा, एवं खलु गोयमा ! तेणं काले णं ते णं समएणं आमलकप्पा णयरी, अंबसालवणे चेइए, जियसत्तू राया, राई गाहावती, राईसिरी भारिया, राई दारिया, पासस्स समोसरणं । राई दारिया जहेव काली तहेव निक्खंता, तहेव सरीरबाउसिया, तं चेव सव्वं जाव अंतं काहिति । एवं खलु जंबू ! बितियस्सऽज्झयणस्स, निक्खेवओ। जति णं भंते ! तइयस्स अज्झयणस्स, उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! रायगिहे णगरे, गुणसिलए चेइए, एवं जहेव राई तहेवक रयणी वि । णवरं आमलकप्पा नयरी, रयणी गाहावती, रयणसिरी भारिया, रयणी दारिया, सेसं तहेव जाव अंतं काहिति । एवं विज्जु वि । आमलकप्पा नयरी, विजू गाहावती, विज्जुसिरी भारिया, विजू दारिया, सेसं तहेव । एवं मेहा वि, आमलकप्पा नयरी, मेहे गाहावती, मेहसिरी भारिया, मेहा दारिया सेसं तहेव । एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते । बीओ वग्गो १५०. जति णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं दोच्चस्स वग्गस्स, उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा सुंभा, निसुंभा, रंभा, निरंभा, मदणा । जति णं MOTOSSF$$$$$$$$$$$55555555 明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听GO 明明明明听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明 ve. c 5 55555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-६९३७55555555555555555555555OOK Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६) णायाधम्मक हाओ बीओ सुयक्खंधो २.३.४-५ वग्गो [१०४] भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं दोच्चस्स वग्गस्स पंच अज्झयणा पण्णत्ता, दोच्चस्स णं भंते! वग्गस्स पढमज्झयणस्स के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे णगरे, गुणसिलए चेइए, सामी समोसढे, परिसा णिग्गता जाव पज्जुवासति । ते णं काले णं ते णं समए णं सुंभा देवी, बलिचंचाए रायहाणीए सुंभवडेंसए भवणे सुंभंसि सीहासणंसि कालीगमएणं जाव णट्टविहिं उवदंसेत्ता जाव पडिगया, पुव्वभवपुच्छा, सावत्थी णयरी, कोट्टए चेइए, जियसत्तू राया, सुंभे गाहावती, सुंभसिरी भारिया, सुंभा दारिया, सेसं जहा कालीए, णवरं अद्भुट्ठातिं पलिओवमातिं ठिती । एवं खलु जंबू !, निक्खेवगो अज्झयणस्स । एवं सा वि चत्तारि अज्झयणा, सावत्थीए, नवरं माया पिया धूया सरिनामया । एवं खलु जंबू !, निक्खेवओ बितियस्स वग्गस्स | 55 तइओ वग्गो 55 १५१. उक्खेवओ तइयवग्गस्स । एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं तइयस्स वग्गस्स चउप्पण्णं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा पढमे अज्झयणे जाव चउप्पण्णतिमे अज्झयणे, जति णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं तइयस्स वग्गस्स चउप्पन्नं अज्झयण्णा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे णगरे, गुणसिलए चेइए, सामी समोसढे, परिसा णिग्गया जाव पज्जुवासति । ते णं काले णं ते णं समए णं अला देवी, धरणाए रायहाणीए अलावडेंसए भवणे अलंसि सीहासणंसि, एवं कालीगमएणं, जाव णट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया, पुव्वभवपुच्छा, वाणारसीए णयरीए, काममहावणे चेइए, अले गाहावती, अलसिरी भारिया, अला दारिया, सेसं जहा कालीए, णवरं धरणस अग्गमहिसित्ताए उववातो, सातिरेगं अद्धपलिओवमं ठिती, सेसं तहेव । एवं खलु, णिक्खेवओ पढमस्स अज्झयणस्स । एवं मका २ सतेरा ३ सोयामणी ४ इंदा ५ विज्या वि६ । सव्वाओ एताओ धरणस्स अग्गमहिसीओ। एवेते छ अज्झयणा वेणुदेवस्स वि अविसेसियां भाणियव्वा । एवं जाव घोसस्स वि एते चेव छ अज्झयणा । एवेते दाहिणिल्लाणं इंदाणं चउप्पण्णं अज्झयणा भवंति । सव्वाओ वि वाणारसीए काममहावणे चेइए। तइयवग्गस्स णिक्खेवओ । उत्थो वग्गो१५२. चउत्थस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं चउत्थस्स वग्गस्स चउप्पण्णं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा पढ अज्झयणे जाव चउप्पण्णइमे अज्झयणे । पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स, उक्खेवगो । एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासति । तेणं काले णं ते णं समए णं रूया देवी, रूयाणंदा रायहाणी, रूयगवडेंसए भवणे, रूयगंसि सीहासणंसि, जहा कालीए तहा, नवरं पुव्वभवे चंपाए पुण्णभद्दे चेतिए, रूयगे गाहावती, रूयगसिरी भारिया, रूया दारिया, सेसं तहेव, णवरं भूयाणंद अग्गमहिसित्ताए उववातो, देसूणं पलिओवमं ठिती, णिक्खेवओ। एवं सुरूया वि रूयंसा वि रूयगावती वि रूयकंता वि रूयप्पभा वि, एवेयाओ चेव उत्तरिल्लाणं इंदाणं भाणियव्वाओ जाव महाघोसस्स । णिक्खेवओ चउत्थवग्गस्स । पंचम वग्गो 555 १५३. पंचमवग्गस्स उक्खेवओ । एवं खलु जंबू ! जाव संपत्तेणं बत्तीसं अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा कमला कमलप्पभा चेव, उप्पला य सुदंसणा । रूववती बहुरूवा, सुरूवा सुभगा वि य ॥ ५३ ॥ पुन्ना बहुपुत्तिया चेव, उत्तमा तारगा विय। पउमा वसुमती चेव, कणगा कणगप्पा ॥५४॥ वडेंसा केउमती चेव, रइसेणा रइप्पिया । रोहिणी नवमिया चेव, हिरी पुप्फवती इ य ॥ ५५ ॥ भुयगा भुयगवती चेव, महाकच्छा फुडा इ य । सुघोसा विमला चेव, सुस्सरा य सरस्सती ॥५६॥ उक्खेवओ पढमस्स अज्झयणस्स । एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासति । ते काणं तेणं समए णं कमला देवी, कमलाए रायहाणीए, कमलवडेंसए भवणे, कमलंसि सीहासणंसि, सेसं जहा कालीए तहेव, णवरं पुव्वभवे नागपुरे नगरे, सहसंबवणे उज्जाणे, कमलस्स गाहावतिस्स कमलसिरीए भारियाए कमला दारिया, पासस्स णं अंतिए निक्खता । कालस्स पिसायकुमारिंदस्स अग्गमहिसी, अद्रपलिओवमं ठिती, एवं सेसा वि अज्झयणा दाहिणिल्लाणं वाणमंतरिंदाणं भाणियव्वा । सव्वाओ णागपुरे सहसंबवणे उज्जाणे, मायापियरो धूयासरिनामया, ठिती अद्धपलिओवमं । पंचमो वग्गो सम्मत्तो । 55फ़ छट्टो वग्गो 55 १५४. छट्टो वि वग्गो पंचमवग्गसरिसो । णवरं महाकालादीणं उत्तरिल्लाणं इंदाणं BOO श्री आगमगुणमजूषा ६९४ 原 Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HGRO5555555555 (6) णायाधम्मकहाओ बीओ सुबक्रबंधों - 5-6-7-8-1 चन्गी [105] 5555555555555555ONONY NGT395555555555555555555555555555555555555555555550xor अग्गमहिसीओ, पुव्वभवे सागेए नगरे, उत्तरकुरु उज्जाणे, मायापियरो धूयासरिणामया, सेसं तं चेव। छट्ठो वग्गो सम्मत्तो। सत्तमो वग्गो 155. सत्तमस्स वग्गस्स उक्खेवओ / एवं खलु जंबू ! जाव चत्तारि अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा सूरप्पभा, आयवा, अच्चिमाली, पभंकरा / पढमस्स अज्झयणस्स उक्खेवो। एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समाए णं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पन्जुवासति / ते गां काले णं ते णं यमाए यूगपभा देवी, सूरंसि विमाणंसि, सूरप्पभंसि सीहासणंसि, सेसं जहा कालीए तहेव, णवरं पुव्वभवे अरक्खुरीए नयरीए, सूरप्पभस्स गाहावइस्स सूरसिरीए भारियाए सूरप्पभा दारिया ।सूरस्स अग्गमहिसी, ठिती अद्धपलिओवमं पंचहि वाससएहिं अब्भहियं, सेसं जहा कालीए / एवं सेसाओ वि सव्वाओ अरक्खुरीए णयरीए / सत्तमो वग्गो सम्मत्तो। जा अट्ठमो वग्गो 156. अट्ठमस्स उक्खेवओ / एवं खलु जंबू ! जाव चत्तारि अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा चंदप्पभा, दोसिणाभा, अच्चिमाली, पभंकरा / पढमस्स अज्झयणस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासति / ते णं काले णं ते णं समए णं चंदप्पभा देवी, चंदप्पभंसि विमाणंसि, चंदप्पभंसि सीहासणंसि, सेसं जहा कालीए, णवरं पुन्वभवे महुराए णयरीए, भंडीरवडेंसए उज्जाणे, चंदप्पभे गाहावती, ' चंदसिरी भारिया, चंदप्पभा दारिया / चंदस्स अग्गमहिसी, ठिती अद्भपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, सेसं जहा कालीए / एवं सेसाओ वि, महुराए णयरीए, मायापियरो धूयासरिनामा, अट्ठमो वग्गो सम्मत्तो।कणवमो वग्गो 157. णवमस्स उक्खेवओ / एवं खलु जंबू ! जाव अट्ठअज्झयणा' पण्णत्ता, तंजहा पउमा, सिवा, सुती, अंजू, रोहिणी, णवमिया, अयला, अच्छरा / पढमज्झयणस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासति। ते णं काले णं ते णं समएणं पउमा देवी, सोहम्मे कप्पे, पउमवडेंसए विमाणे, सभाए सुहम्माए, पउमंसि सीहासणंसि, जहा कालीए, एवं अट्ठ वि अज्झयणा कालीगमएणं नेयव्वा / णवरं सावत्थीए दो जणीओ, हत्थिणाउरे दो जणीओ, कंपिल्लपुरे दो जणीओ, सागेए दो जणीओ, पउमा पियरो, विजया मायरो, सव्वाओ वि पासस्स अंतिए पव्वइयाओ, सक्कस्स अग्गमहिसीओ, ठिती सत्त पलिओवमाई, महाविदेहे वासे अंतं काहिति / णवमो वग्गो सम्मत्तो। दसमो वग्गो 158. दसमस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! जाव अट्ट अज्झयणा पण्णत्ता, तंजहा कण्हा य कण्हराती रामा तह रामरक्खिया वसूय / वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा चेव ईसाणे // 57 // पढमस्सऽज्झयणस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! ते णं काले णं ते णं समए णं रायगिहे समोसरणं जाव परिसा पज्जुवासति / तेणं काले णं ते णं समए णं कण्हा देवी, ईसाणे कप्पे, कण्हवडेंसए विमाणे, सभाए सुहम्माए, कण्हंसि सीहासणंसि, सेसंजहा कालीए, एवं अट्ठ वि अज्झयणा कालीगमएणं णेयव्वा / णवरं पुव्वभवे वाणारसीए नयरीए दो जणीओ, रायगिहे नगरे दो जणीओ, सावत्थीए नयरीए दो जणीओ, कोसंबीए नगरीए दो जणीओ, रामे पिया, धम्मा माया, सव्वाओ वि पासस्स अरहओ अंतिए पव्वइयाओ, पुप्फचूलाए अज्जाए सिस्सिणियाओ / ईसाणस्स अग्गमहिसीओ, ठिती णव पलिओवमाई, महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति / एवं खलु जंबू !, णिक्खेवगो दसमवग्गस्स। दसमो वग्गो समत्तो। 159. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं आदिगरेणं तित्थगरेणं सयंसंबुद्रेणं पुरिसोत्तमेणं पुरिससीहेणं जाव संपत्तेणं [छट्ठस्स अंगस्स बियस्स सुयक्खंधस्स अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि]। धम्मकहा बियसुयक्खंधो दसहिं वग्गेहि सम्मत्तो / एवं नायाधम्मकहाओ सम्मत्ताओ। 3.9乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听乐听听听听听听听听听听玩乐乐听听听听听听听听乐TON સૌજન્ય :- પ. પૂ. સાધ્વીશ્રી ધૈર્ચપ્રભાશ્રીજીના શિષ્યા પ.પૂ. સાધ્વીશ્રી ગુણમાલાશ્રીજી ના શિષ્યા પપૂ. સાધ્વીશ્રી હિતપ્રભાજી ની પ્રેરણાથી. મુલુન્ડ (પૂર્વ) અચલગચ્છ જૈન સંઘ 55555 श्री आगमगुणमंजूषा - 695555555555555555555555555544OR