Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society
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अपि विrees अकए वि कए विपिए
अकुलीणो दोमुहओ अक्खंडिय हवयास अगणिय समविसमाणं
अगणिय से सजुषाणा
अग्गि व पउमसंदे
Verse Index
Index to First Lines
Add. = Additional Stanza found in Manuscript C, and print• ed in the Appendix (pp. 216-267)
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Add. 284 * 1
Add. 317! अज्जेव पियपवासो Add. 462-2
38 | अज्झाइ नी कंचुय
308
679
52 अज्झा कवोलपरिसंठियस्स अणवश्यवहलरोमंच
25
110 भणवर देतस्स वि
754
425 | अणुझिज्जिरी आलोइऊण
649
Add. 312*4 Add. 31*2
Add. 496*13
724 अणुणयकुसलं परिहास Add 284*4 चाहि महुं दे गेह 351 | अणुराश्यण भरियं अच्छता इयरजणो 93 अणुसरह मग्गलगं अछता करिवहणं Add. 214*5 | अत्ता जाणइ सुण्डं अच्छउ ता फलविहं 740 अत्ता बहिरंधलिया 407 अत्थक्को रसर हिओ 408 | अत्थरस कारणेणं 420 | अत्थं घरंति वियला अस्थि भसंखा संखा
492
27
572
584
759
499
120
346
347
उता फंससुई
अच्छउ ता लोयणगोयरम्मि अच्छ ताव सविब्भम
अच्छीहि तेण भणियं Add. 496*11 अच्छी पई सिहिणेहि
614 अस्थि घर चिय गणओ
भज्ज कयस्थो दियो अज वि विहुरो सुपहू अज्जवि संभरह गभी
206 | मत्थो विज्जा पुरिसत्तणं 168 | भई पणेण इदंसणेण 191 अहंसणेण बालय 377 अद्दिट्ठे रणरणओ दिट्ठे ईसा 376 375 | अद्दिट्ठे रणरणओ दिट्ठे ईसा
अज्जं गओ ति अज्जं अजं चिय तेण विणा
मज्जं चेय पडत्यो अज्जं अजं चेय पउत्थो उज्जागरभो अजं पुण्णा अवही
374
विषणा
382
अजं चिय तेण विणा Add. 300*3
जाई gha
Add. 72-3
V.L....39
609
अदिट्ठए Add. 72*2
अट्ठेि रणरणओ दिट्ठे ईसा
सुइट्ठिए अद्धक्खर भनियाई
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