Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
624
VAJJILAGGAM
409
527
सुरयप्पसुत्त कोवण Add. 328*3 | हत्थठियं कवालं
436 सुरयावसाणसमए Add. 328*2 हत्थफंसेण वि पिय । सुरसरिपूरं वरविडवि Add. 72*1 हत्थे ठियं कवालं Add. 724 सुलहाइ परोहड
यदुज्जणस्स वयणं __49 सुसह व पंक
653 हरसिरसरणम्मि गओ 269 सुसिएण निहसिएण वि 728हरिणा जाणंति गुणा 215 सुहय गयं तु विरहे 431 | हतूग वरगइंद
618 सहियाण सुहंजणया Add. 6414 हंसेहि समंजह Add. 263*3 सेयच्छलेण पेच्छह 318 हंसो ममाणमझे
258 सेला चलंति पलए ___47| सो सि महासरमंडणो 257 सो कस्थ गओ सो सुयणवल्लहो हारेण मामि कुसुम Add. 397*2
सो सहाण 782 | हा हियय किं किल मसि 452 सो कत्थ गओ सो सुयणवल्लहो हा हियय झीणसाहस 451
सो सुहासिय Add. 412*2 हिट्ठकयकंटयाणं सो को वि न दीसइ सामलंगि हिट्ठठे जाणिवहं
150 एयम्मि 343हियए जं च निहितं Add. 284*8 सो को विन दीसह सामलंगि हियए जाओ तत्थेव 115 जो घडइ Add. 349*10 हियए रोसुगिणं
616 सोच्चिय सयडे सो च्चिय 184 हिययटिभी वि पिभो Add.412*4 सो तहाइयपहिय व्व Add. 312*2 | हियओि वि सुहवो 787 सो मासो तं पि दिणं Add. 412*3 | हे हियय अन्ववष्ठिय Add. 454*1 सोसणमई उ निवससु 744 होसह फिल साहारो 639 सो सुबह सुहं सो
341 होही तंकिंपि दिणं Add. 412*5 सो सोहह दूसंतो
26 होति परजणिस्था Add. 48*3 सो होहिद को विदिणो 873
706
For Private And Personal Use Only
Page Navigation
1 ... 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706