Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society

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Page 687
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 132 622 VAJJĀLAGGAM परिसिहिसि तुम 157 | विविहविहंगमणिवहेण 721 बवसायफलं विहवो 116 विसहरविसग्गिसंसग्ग 387 वस पहिय अंगण रिचय 495 विहदउ मंडलिधो 601 वसिऊण मज्न हियए 368 विहांति सुया विहति 672 वसिऊण सग्गलोए 253 विहवक्खए वि दाणं Add. 119*1 चंकमणियाइ कत्तो Add. 284*3 | विहवक्खए वि सुयणो Add. 48*5 पंक ताण न की Add. 284*3 विहिणा चिय लिहियं । __129 वंकेहि पिओ सरलेहि 298 । विहिविहियं चिय लगभइ वाणियय हथिदंता 213 विंझेण विणा वि गया 188 वाससएण वि बद्धा Add. 16*2 वेलामहल्लकल्लोल 749 वातास्ते पावासियाण Add. 3731 वेल्लहलाकाव 421 वासारत्ते पाउद्धएण Add. 445*3 | वेसाण कवडसय 571 विउलं फलयं थोरा 502 वोसट्टबहल परिमल 249. विउल वि जलं जल Add. 263*4 सउणो नेहसउण्णो 775 विज्ज तुहागमण चिय 517सकुलकलंक नियकंत Add. 471*2 विज्ज न एसो जरओ 511 सक्वयमसक्कयं पि हु विजय अन्नं वारं 518 सगुणाण निग्गुणाण य 70 विज्जुभुयंगमसहियं Add. 652*1 | सच्च अणंग कोयंड 397 वियडं सो परिसकर | सच्चं चिय चवह जणो 604 वियता वि जंतवाया 534 सच्चं चेय भुयंगी वियलइ धणं न माणं 164 सच्च चेव पलासो Add, 641*3 विलियतेएण वि 773 सचं जरए कुसलो वियलियदलं पि 250 सच्चं पलास जं विलियमएण गय सच्चुचरणा पडिवw Add. 48*4 वियसंतसरस 243 सच्छंदं बोलिज्जा 148 वियसंतु नाम 229 | सच्छंदिया सरूवा 12 वियसियमुहाइ 530 सजणसलाहणिज्जे वि.हगिगाजलणजाला Add. 389*3 | सट्ठीइ होइ सुहवा विरहपलित्तो रे वरगइंद सत्थत्थे पडियस्स वि 121 विरहेण मंदरेण व 381 सद्दपलोहें दोसेहि विवरीए रइविंबे 501 सद्दालयं सरूवं 535 विवरीयरया लच्छी 611 सद्दावसद्दभीरू विविहका विरयाण 3| सम्भावबाहिरहिं 171 598 512 743 705 478 For Private And Personal Use Only

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