Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society

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Page 702
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra PAGE 9922 38 18 6 10 10 24 11 7 27 LINE 4 Ꮪ 26 3 9 30 26 34 2 35 5 63 4 67 last line 82 2 82 6 94 2 4 45 2 102 110 163 190 190 19% 242 257 75 21 5 5 15 O 6 पक्काय separately from पीणुन्नयाग परिओसं नियहई गाढालिंगिए 122 परिभ्रमन 129 foot note 1 चुंबविण 147 2 151 8 3 شی 574= 336 14 423 www.kobatirth.org 10 ERRATTA READ यागति य कुवयं कुपदं जागति जपति पुहवी रणं साहसेन विवरे थिराइ कुसुमेहि विशेषणद्वारा दिढविद्धाई पत्ते घुम्मावनो जोब पहलू सरिव संजय सभी 471*2 473 27 637 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only जागति थ अवयं अपदं याति जपान पुहबो रन्नं FOR साहसेन विवरं विराइ कुसुमेहि विशेषणद्वार उगवणरंतर पीत्रयाणं पसिओसं नि यह गाढालिगिए परिभ्रमज् चुबेविण दिनिबद्धाई पत्त धुम्मा विभो गुर सुरिच्च संनय खभः 472*2 573 28

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