Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society
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मालविरहे रे तरुण मा वच्चह वीसंभ
मा सुमर चंदण मा होगा
मित्तं पयतोयसमं
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मित्त सूरो कयपत्त मुत्तादलं व क
मुत्ताद्दलं व पहुणो मुयमाणं माण पिंयं
मुहारियाइ सुवि हराओ चिपess
मूलाहिंतो साक्षण मेरुतिर्ण व सग्गो मोणकरणगणि
INDEX
192 रुणरुण वलहू Add. 90*7 | रुंदारविंदमंदिर 67 रे रे कलिकालमहा
716 रे रे विश्व मा 8
693 रे ससिवाहण वाहण वारिज्जतो
360 | रहइ पियपडिरंभण Add. 540 रेहइ सुरयवसाणे
403 | लच्छिणिलयत्तणुत्ताण 645 लच्छीइ विणा रयणायरस्स 105 लच्छीए परिगहिया 505 ललिए महुरक्खरए 520 | लवणसमो नस्थि रसो
मोण बालतंत
मोत्ण विकेसर Add. 252*1 लंकालएण रत्तंबर कलहकुवियगोरी 606 लंकालयाण पुत्तय रच्छातुलग्गवडिओो Add. 496*10 | लीलावलोयणेण वि 548 व मग्गपेसियाई 550 वग्घाण नहा सीहाण 549 | वच्चिहिसि तुमं पाविहिसि Add. 72*7
रज्जति नेय कस्स वि
Add. 300 * 5
रज्जावंति न रज्जहि न देति रज्जावंति न रज्जहि" हरंति रणरणइ घरं रणरणइ रतं रत्तेहि सियं रत्रता सम्मि रमियं जहिच्छ्याए रणाइ सुराण समपिऊण रयणाय रचत्तेण
551
वच्छस्थलं च सुइडस्स वडवाण ेण गहिओ 661 वदसि विरहे 758वड्स माइकलिए 356 वड्ढाधियकोसो जं 762 वणय तुरयाद्दिरूढो
रयणायर त्ति नामं
रयणायरस्मि जम्मो
268 | वण्णड्ढा मुहर सिया
रणारस्सन हु होइ
755
वम्म पसंसणिज्जो
रयणायरेण रयणं
746
20
जलप सोहं रयणेहि निरंतर पूरिएहि
753
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241 | रायंगणमि परिसंठियस्त 61 राहाइ कवोलतलुच्छलंत
रे ससिवाहणवाहण मा
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621
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240
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43
483
371
372
389 *4
328
714
750
713
29
Add. 90*1
Add, 637*1
चम्महभक्खण दिग्वोस हीइ
वरतरुणिणयण
वरिससयं नरभाऊ
637
283
427
214
Add. 263*1
178
751
Add. 389*7
228
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