Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
INDEX
615
सरसा
557
738
जस्स न गेण्हंति गुणा 698 | जा नीलजलहरोदार
651 जह कणय तह पडिमाण 771 | जायासुयविरह
194 जह जह न चडइ चावो 210 | जारट्ठविणिम्मिय Add. 496*6 जह जह न समप्पह
113 | जारमसाणसमुन्भव Add. 496-7 जह बह वड्दति थणा तह तह 208 |
242 जह जह वड्ढेति थणा वियसह 209 | जीयं जलबिंदुसम
665 जह जह वड्ढेइ ससी 265 जूरिजह किं न जए
769 जह जह वाएइ विही Add. 119*3 जूहाओ वणगहणं
198 जह पढमदिणे तह
279 | जे के वि रसा Add.412*1 जह पढमे तह दीसह 793. जे जे गुणिणो जे जे
140 जह पल हिगुणा परछिद्द 710 जेण विणा न वलिज्जह जंचिय विहिणा लिहियं 674 | जेण समं संबंधो Add. 496*1 जं जस्स मम्ममेयं
81 जे भग्गा विहवसमीरणेण 142 जंजं ढालं लंबई 124 जेहिं चिय उन्भविया
62 जं जाणइ भणइ जणो 689 जेहिं नीओ वडिट जे जाणइ भणउ जणो Add. 90*11 जेहिं सोहग्गणिही जंजि खमेइ समरथो
87
389, Add. 389*1 जं जीहाइ विलग्गं
225 | जोइक्खो गिलइ तमं जंतिय गुलं विमग्गसि 533 | जोइसिय कीस चुक्कसि जंतुह कज्ज भण तं
415 जोइसिय मा विलंबसु 498 जं दिज्जह पहरपरग्वसेहि 162 जो जंपिऊण जाणइ
272 जं नयणेहि न दीसइ 125 जोज करेइ पावइ सो त 480 जं पक्खालियसारं
जो धम्मिओ न पाव जं सेवयाण दुक्खं
झणझणइ कणयडोरो 327 जा इच्छा कावि मणो
झिज्जइ झीणम्मि सया जाइविसुद्धाण नमो 201 झिज्जउ हिययं फुटुंतु
450 जाई रूवं विज्जा
झीणविहवो वि सुयणी जाएण तेण धवलीको 760 ठड्ढा खलो ब्व सुयणो जाए माणप्पसरे
345 ठाणच्चुयाण सुंदरि Add. 312*5 जाओ पियं पियं पह
ठाणयरेहिं एहिं Add. 312*11 जाओ सि कीस पंथे 733 | ठाणं गुणेहि लब्भइ...हारो वि जाणिज्जइ न उ पियमप्पियं 655 गुण Add. 90*14 जा न चलइ ता अमयं Add, 349•7 ठाणे गुणेहि लाम...हारो वि नेय 690
776 500
791
522
75
144
94 301
For Private And Personal Use Only
Page Navigation
1 ... 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706