Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society

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Page 681
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 616 VAJJALAGGAM 289 509 ठाणं न मुयह धीरो :682 : तं नत्थि घरं तं Add.64+1 ज्झाउ सक्कयकन्वं Add. 31*3 | तं नत्थि तं न हयं 278 डझउ सो जोइसिभी 503 | तं नमह जस्स गोठे 591 उज्झसि डज्मसु 454 तंबाउ तिमि सुपओ 160 उज्झति कति 404 तं मित्तं कायन्वं जं किर 68 डझंतु सिसिरदियहा 656 | तं मित्त कायन्वं जं मित्तं 69 बहिऊण निरवसेस 644 | तं वचिओ सि पिययम डिंभत्तणम्मि डिंभेहि Add.496*3 ता किं करोमि पियसहि 411 डिंभाण भुत्तसेस 461 ता किं करेमि माए निजियरुवस्स ढक्कासि हत्थेण मुहं 612 Add. 397*1 ढलिया य मसी | ता किं करेमि माए लोयण 410 ढंखरसेसो वि महुयरेहि 251 ता किं भएण किं चिंतिएण 676 दुरुढल्लंतो रच्छामुहेसु 625 | ता जाइ ता नियत्तइ Add. 389*5 तइया वारिज्जती 545 ता तुंगो मेरुगिरी 103 तइ वोलंते बालय Add. 445*5 | ता धणरिद्धी ता 659 तहियहारंभ 119ता निग्गुण चिय वरं 695 तह कह वि कुम्मुहुत्ते 380 ता रूवं ताव गुणा 134 तह चंपिऊण भरिया 314 ताव चिय ढलहलया... तह जंतिएण जंतं 536 छेया नेहविहणा Add. 284*2 तह झीणा जह मउलिय 437 ताव च्चिय ढलहलया... तह झोणा तुह विरहे 433 सिद्धत्था उण छेया 559 तह तुह विरहे मालह 227 तावच्चिय होइ सुई 339 तह तेण वि सा दिट्ठा 412 | ताव य पुत्ति छइल्लो 349 तह नीससियं जूहाहिवेण 196 | ता विस्थिण्णं गयणं 104 तह रुण्णं तीइ तड Add. 605*2 | तिणतूला वि हु लहुयं 135 तह वासियं वणं मालईइ 232 | तिलतुसमेत्तेण वि 626 तं किं पि कम्मरयणं 111 तिलयं विलय 416 तं किं पि पएस Add. 252*2 | तिहयणणमिओ वि 593 तं किं पि कह वि तुच्छं तवणिं पि 456 तं किं पि साहसं 108 तुलओ ब्व समा 303 तंकि वुच्चइ कवं Add. 31*6 तुह अनेसणकज्जम्मि 424 तं जंतं सा कुंडी 537 तुह गोत्तायण्णण तं ठूण जुवाणं 617 तुह विरहतावियाए 434 485 422 For Private And Personal Use Only

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