Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society

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Page 683
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 291 270 60 618 VAJJÄLAGGAM देसियसद्दपलोडं 28 । नमिऊण गोरिवयणस्स 610 देसे गामे नयरे...न पसरह 700 नमिजण नं विढप्पा 100 देसे गामे नयरे...न वियरह नयणमंतरघोलंत 430 Add. 90*15 नयणाइ तुज्म सुंदर 296 देहि सि कह नु भण्णइ 158 नयणाइ तुह विओए 426 दोसिय घणगुणसारं 792 | नयणाइ नयंति Add. 454*3 दोहिं चिय पजतं 42 नयणाइ फुलसु Add. 454* धणसंचया सुगुज्झा 565 नयणाइ समाणियपत्तलाइ धणु संघइ भुयवलयं Add, 300*1 नयणाण पडउ वज्ज 299 धनं तं चेव दिणं 785 नयरं न हो। धमा बहिरंधलिया Add. 64*3 नवणलिणमुणालुल्लोल 261 धम्मस्थकामरहिया 145 | न विणा सम्भावेणं 556 धम्मिय धम्मो सुब्ध Add. 532*2 न वि तह पढम 325 धम्मो धणाण मूलं Add. 90* 8न सहइ अब्भस्थणिय धवलं धवलच्छीए 597 | | नहकुंतगयभिन्ना समुहागय धावंति तम्मुहं धारिया 300 ___Add. 3126 धीरा मया वि कजं Add. 1192 | नहकुंतग्गयभिन्ना हारावलि धीरेण समं सम 112 Add. 312*1 धुत्तीरएण धम्मिय जइ इच्छसि 523 | नहमासभेयजणणो धुत्तीरएण धम्मिय जो होइ न संति परं न थुवंति 37 Add. 532*1 न ह कस्स वि देति धणं 579 धुत्तीरयस्स कज्जे 524 नाराय निरक्खर 770 धुत्तीरयाण कज्जेण 525 नासइ जूएण धणं Add. 90*9 नइपूरसच्छहे 354 नापइ वाएण तुसं Add. 90*5 न गगेइ रूववंतं 566 नाहं दूई न तुमं 438 नग्धंति गुणा विहडंति 123 निग्गुण गुणेहि निय 696 न जलंति न धगधगंति Add.389*6| नियकुद्दालयमज्झ । न तहा पइमरणे वि हु Add. 214*3 निहाभंगी भावंडुरतणं 353 न तहा मारेइ विसं 335 निद्धमो गुणरहिओ 53 न तहा लोयम्मि 660 निद्धोय उदयकंखिर 766 न मए रुण्णं न कयं 370, निबिडदलसंठिय 252 Add. 300*7 निम्मलपवित्तहारा न महुमहणस्स 118 नियकम्मेहि विनीय 703 For Private And Personal Use Only

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