Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society
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VAJJÄLAGGAM देसियसद्दपलोडं
28 । नमिऊण गोरिवयणस्स 610 देसे गामे नयरे...न पसरह 700 नमिजण नं विढप्पा 100 देसे गामे नयरे...न वियरह
नयणमंतरघोलंत
430 Add. 90*15 नयणाइ तुज्म सुंदर 296 देहि सि कह नु भण्णइ 158 नयणाइ तुह विओए 426 दोसिय घणगुणसारं
792 | नयणाइ नयंति Add. 454*3 दोहिं चिय पजतं
42 नयणाइ फुलसु Add. 454* धणसंचया सुगुज्झा
565 नयणाइ समाणियपत्तलाइ धणु संघइ भुयवलयं Add, 300*1 नयणाण पडउ वज्ज 299 धनं तं चेव दिणं
785 नयरं न हो। धमा बहिरंधलिया Add. 64*3 नवणलिणमुणालुल्लोल 261 धम्मस्थकामरहिया 145 | न विणा सम्भावेणं
556 धम्मिय धम्मो सुब्ध Add. 532*2 न वि तह पढम
325 धम्मो धणाण मूलं Add. 90*
8न सहइ अब्भस्थणिय धवलं धवलच्छीए
597 | | नहकुंतगयभिन्ना समुहागय धावंति तम्मुहं धारिया 300
___Add. 3126 धीरा मया वि कजं Add. 1192 | नहकुंतग्गयभिन्ना हारावलि धीरेण समं सम 112
Add. 312*1 धुत्तीरएण धम्मिय जइ इच्छसि 523 | नहमासभेयजणणो धुत्तीरएण धम्मिय जो होइ
न संति परं न थुवंति 37 Add. 532*1 न ह कस्स वि देति धणं 579 धुत्तीरयस्स कज्जे 524 नाराय निरक्खर
770 धुत्तीरयाण कज्जेण
525 नासइ जूएण धणं Add. 90*9 नइपूरसच्छहे
354 नापइ वाएण तुसं Add. 90*5 न गगेइ रूववंतं 566 नाहं दूई न तुमं
438 नग्धंति गुणा विहडंति 123 निग्गुण गुणेहि निय 696 न जलंति न धगधगंति Add.389*6| नियकुद्दालयमज्झ । न तहा पइमरणे वि हु Add. 214*3 निहाभंगी भावंडुरतणं 353 न तहा मारेइ विसं 335 निद्धमो गुणरहिओ
53 न तहा लोयम्मि 660 निद्धोय उदयकंखिर
766 न मए रुण्णं न कयं 370, निबिडदलसंठिय
252 Add. 300*7 निम्मलपवित्तहारा न महुमहणस्स
118 नियकम्मेहि विनीय 703
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