Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society
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INDEX
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तुह संगमदोहलिणीह 423 | दाडिमफलं व पेम्म
334 तुह सुरयपवरतरु Add. 389*2 | दाणं न देइ न करेइ
332 तुंगो चिय होइ मणो 102 दाण न देंति बहुलं
547 तुंगो थिरो विसालो
361 दारिदय तुज्झ गुणा ते गिरिसिहरा ते 221 ! दारिदय तुज्झ नमी
139 ते धना कढिणुत्तुंग 447 दाहिणकरेण खग्गं
167 ते धना गरुयणियंब
| दिट्ठा हरति दुक्खं ते धन्ना ताण नमो ते कुसला दिट्ठीतुलाइ भुवणं
277 Add. 2845 दिट्ठी दिटटिप्पसरो ते धन्ना ताण नमो ते गरुया 101 दिवें वि हु होइ सुह ते धना ताण नमो ते चिय 448 दिटठो सि जेहि पंथिय 443 ते धना समयगइंद
449 दिढलोहसंकलाणं तोलिज्जति न केण वि Add. 551*1 दिलं गेण्हइ अप्पेह Add. 412*6 थणकणयकलस . Add. 312*3 | दिन थणाण अग्धं
211 थणजुयलं तीइ
311 दिना पुणो चि दिज्जउ Add. 284*7 थणहार तीइ समुन्बयं Add. 3129 दीणं अब्भुद्धरिडं
44 थद्धो वंकग्गीवो 50 दीसंति जोयसिद्धा
141 थरथरइ धरा खुम्भंति 109 दीहरखडियाहत्थो थरथरथरेइ हिययं 136 ! दीहं लण्हं बहुसुत्त
788 थोरगरुयाइ सुंदर 539 | दीहुण्हपउरणी सास
223 थोरंसुसलिलसित्तो
386 | दुक्खं कीरइ कव्वं दइयादसणतिण्डालुयरस 445 दुक्खेहि वि तुह विरहे Add. 438*2
ठूण किंसुया साहा 741 . दुग्गयघरम्मि घरिणी 457 दटूण तरुणसुरयं 319 | दूइ तुमं चिय कुसला
413 ठूण रयणिमझे | दूइ समागमसेउल्ल
418 दक्षणेहणालपरिसंठियस्स 359 दूठिया न दूरे
77 दढणेहणालपसरिय Add. 349*5 दूरयरदेसपरिसंठियस्स...महंतस्स 786 दढरोसकलुसियस्स वि 35 दूरयरदेसपरिसंठियस्स...वहंतस्स दरहसियकडक्ख 552
Add. 80*2 दंतच्छोई तडवियडमोडणं 186 दूरं गए वि कयविप्पिए 340 दंतणहक्खयमहियं
323दे पितं पि Add. 226*1 दंतुलिहणं सव्वंग Add. 199*2 देमि न कस्स वि जंपइ
535 दंते तिणाइ कंठे Add. 364*1/ देवाण बंभणाण य
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