Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society

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Page 678
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir INDEX 613 648 13 15 किं ताल तुज्झ तुंगत्तणेण 736/ खंडिज विहिणा ससहरो 126 किं तुज्झ पहाए 779 खुहइ न कडुयं जंपइ Add. 48*1 किं तेण आइएण व 701 गजति घणा भग्गा य पंथया किं तेण जाइएण वि 699 ! गरुयछुहाउलियस्स 195 किं वा कुलेण कीरह 143 गहचरिय देवचरियं 668 किं वा गुणेहि कीरइ Add. 90*13 ! गहवइसुएण भणियं 516 किं विहिणा सुरलोए 486 गहिऊण चूयमंजरि 635 कीरइ समुद्दतरण Add. 72*5 गहिऊण सयलगंथं 578 कुडिलनणं च वंकत्तणं च 574 | गहियविमुक्का तेयं 683 कुद्दालघायघण 589 589 गाढयरचंबणुप्फुसिय Add. 300*6 कुप्पाढएहि कुलेइएहि Add. 16-1| गाढासणस्स कस्स वि . 174 कुपुत्तेहि कुलाइं Add. 90*4 गाहाम रसा महिलाण कुलबालिया पसूया Add. 624*2 ! गाहाणं गीयाणं कुललंछणं अकित्ती 569 | गाहा रुअइ अणाहा Add. 15*1 कुलवालियाइ पेच्छह 467 | गाहा रुअइ वराई कुसलं राहे सुहिओ सि गाहाहि को न हीरइ Add. 18*1 कुंकुमकयंगराय 619 गाहे भजिहिसि तुम कुंजर मइंददसण Add. 199*5 गिम्हे दवग्गि 643 कुंदलयामउलपरिट्ठिएण 248 गुणवजिए वि नेहो Add. 80*1 केसव पुराणपुरिसो 599 गुणहीणा जे पुरिसा 686 केसाण दंतणहठक्कराण 681 गुणिणो गुणेहि विहवेहि 55 केसिवियारणरुहिरुल्ल 595 गुरुविरहसंधिविग्गह Add. 641*1 को एत्थ सया सुहिमओ...खलणं 127 गुरुविहवलंघिया अवि 273 को एत्थ सया सुहिओ...पलिअं 667 गुरुविहववित्थस्त्यंभिरे 742 को दाऊण समत्थो 677 | गोमहिसतुरंगाणं 189 को देसो उज्वसिओ 442 घरवावारे घरिणी 466 खणभंगुरेण विसमेण Add. 349*2 घाएण मओ सहेण मई 219 खणमेत्तं संतावो 383 घेत्तण करंडं भम 526 खरपवणचाडुचालिर 444 घेप्पइ मच्छाण पए 670 खरफरसं सिप्पिउडं 688 | घोलंततारवण्णुजलेण 286 खलसजणाण दोसा 64 चच्चरघरिणी 464 खलसंगे परिचत्ते Add. 64*2/ चल चमरकण्णचालिर 173 16 For Private And Personal Use Only

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