Book Title: Vajjalaggam
Author(s): M V Patwardhan
Publisher: Prakrit Text Society

View full book text
Previous | Next

Page 675
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 610 VAJJĀLAGGAM 65/ 555 226 344 310 288 भद्धस्थमिए सूरे 722 | बलिया बल व Add. 31 +8 अनबरायरसियं 567 अलियालावे वियसंत 711 अचलगाकयपत्त 707 अवधूयभलक्षण भनमा मेहलया Add. 318*2 अवमाणिओ व्व समाणिो 165 अन्नं तं सयदलियं Add. 349*4 | अवरेण तवा सूरो 642 भरंति हियए 274 भवहरइज न विहिय 673 अन्न न रुच्चा च्चिय 521 अपहिदियहागमा 378 भवं लमहत्तणयं 315 मध्वो जाणामि अहं अत्तण 336 अनासत्ते वि पिए मध्वो जाणामि अहं तुम्ह 558 भने विगामराया 287 अम्वो जाणामि अहं पेम्म Add.349+6 भबेहि पि न पत्ता अब्बो तहिं तहिं चिय भन्मो को वि सहावो 390 | मन्चो धावसु तुरियं 490 अन्नोलणेहणिजार Add. 328.1 अन्णे न हुंति थणया अप्पच्छंपहाविर 453 असई असमत्तरया Add. +96*2 भप्पणकज्जेण वि असईणं विप्पिय रे 489 अप्पस्थियं न लम्मा Add. 161*1 असईहि सई भणिया 481 भपहियं कायन्वं 83 असमत्थमंततंताण अप्पं परं न याणसि असरिसचित्ते दियरे 465 भपाणं अमुयंता 91 | अह तोडइ नियकंध 151 अबुहा पहाण मझे | अह भुंजइ सह पिय भमयं पाइयकवं अह मरइ धुरालग्गो 180 भमया मओ व 309 | अहवा तुज्म न दोसो Add. 421-1 भमरतरुकुमुममंजरि 256 अहवा मरंति गुरुवसण 97 अमुणियगुणो न जुप्पा 183 अह सुप्पइ पियमालिंगिऊण 98 भमुणियजम्मुप्पत्ती Add. 578*1| अहिणवगजियस Add.445*2 अमुणियपथसंचारा अहिणवघणउच्छलिया 259 अमुणिय पियमरणाए 460 अहिणवपेम्मसमागम 621 अमुहा सलो ब्व कुडिला 302 अहिणि ब्व कुडिलगमणा 560 भम्हाण तिणकुरभोयणाण 216 | अहियाइमाणिणो 462 भलिएण व सच्चेण व 629 अंगारयं न याणइ 507 भलियपयंपिरि 350- अंतोकढत मयणगि Add.318*3 भलियं जंपेइ अणो 72 आठत्ता सप्पुरिसेहि 117 58 712 30 99 2 652 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 673 674 675 676 677 678 679 680 681 682 683 684 685 686 687 688 689 690 691 692 693 694 695 696 697 698 699 700 701 702 703 704 705 706