Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 9
________________ ( ६ ) ॥ ए ॥ क० ॥ कुमर पयंपे रे सुणो माहारायजी रे, एणे पियुं महिषीनुं दूध || मंदगति य रे तेणे ए कि शोरनी रे, नहीं गति चंचल शुद्ध ॥ १० ॥ क० ॥ प य महिषीनुं रे याये वायडुं रे, वायें गति जारे होय ॥ तुं केम जाणे रे वत्स राजा कहे रे, ज्ञानी चतुर कोय ॥ ११ ॥ क० ॥ यश्वपरीक्षा रे जाणुं राय जी रे, उत्तमचरित्र कहे ताम ॥ राय कहे रे साधुं तें क्युं रे, लघुवय विद्याधाम ॥ १२ ॥ क० ॥ बाल पणाथी रे एहनी मा मुइ रे, बालक कोइ न खाय ॥ महिषी दूधें रे एह उबेरियो रे, तें नाख्युं ते न्याय ॥ १३ ॥ ०॥ गुण देखीने रे उत्तमकुंमारना रे, हर्षि त थयो रे नपाल || बीजी पूरी रे थइ ने एटले रे, कहे जिन हर्ष ए ढाल ॥ १४ ॥ क० ॥ सर्वगाथा ॥ ४ ६ ॥ ॥ दोहा ॥ ॥ कुमरता गुण देखोने, रोज्यो चित्त नरेश ॥ रा जकुमर ने ए सही, निकलियो परदेश ॥ १ ॥ जोतां ए जुगतो मिल्यो, राजकाज समरब || एहने राज्य दे 5 करी, साधुं हुं परमब ॥ २ ॥ सांचल हो तुं शा पु रूप, लइयें माहारुं राज | हुं दीक्षा जेइश हवे, सारि शाम काज ॥ ३ ॥ नाग्य संजोगें मुज नणी, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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