Book Title: Uttam Charitra Kumar Ras
Author(s): Jinharshsuri
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 29
________________ (२६) जेम तेम जोडे रे प्रात सोहामणी रे,निगुण न पाले तेह ॥ ११॥ म० ॥ घणुं घणुं तुजनेरे कही करयुं रे, तुं दीनदयाल ॥कहे जिन हा विचारो वानहा रे, ए थ दशमी ढाल ॥१शाम॥ सर्वगाथा॥२०७ ॥दोहा॥ कमरीकडे मदालसा.सांनल कंत मजाण॥शेत तणी एप्रोतडी, हानि जाण निज प्राण ॥ १ ॥ कंत मरा चे एहद्यु, ए में कपटी दीत ॥ कालाशिरनो यादमी, होये उष्ट मुहामि ॥ ॥ अति विश्वास न कीजिये, कंत कहूं कर जोडि ॥ एक कनक अरु कामिनी,एहथी अनरथ कोडि ॥३॥ यतः॥ पुष्पं दृष्ट्वा फलं दृष्ट्वा दृष्ट्वा, च नव यौवनं ॥ इविणं पतितं दृष्ट्वा, कस्य नो चलते मनः ॥१॥ कुमर कहे सांनल प्रिये,ए उपगारी शेत॥ थापण ऊपर एहनी, सुनजर शीतल दृष्ट ॥ ४ ॥ मुह मीठा जूग हिये, दुं न पतीजुंताय ॥ मीठा बोलो मो रियो, साप सपूतो खाय ॥ ५॥ धूता होय सनद पा, कुसती होय सलऊ ॥ खारा पाणी सीयला,ब दुफल होय अखऊ॥६॥ वयण नारीनां अवगणी, निशिवासर रहे पास ॥ अवसर देखी नाखियो, सा यरमांहे तास ॥ ७ ॥ कोलाहल करी उठियो, प Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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